जिसने दुनिया में सभी को लाई,
वह माँ है सबकी प्यारी।
अपने आँचल में रख कर,
पहली तालीम माँ ही देती है।
जो बच्चों के लिए माँ,
कितने दर्द को सह लेती हैं।
नौ महीने तक माँ कितनी तकलीफ
सह कर हमें दुनिया में लाती हैं।
फिर बच्चे की देखभाल,
माँ ही करती हैं।
सही डगर पर चलना,
सभी को माँ की सिखाती हैं।
बच्चे को चलना अपनी ऊँगली,
पकड़कर माँ ही चलाती हैं।
माँ अपनी ममता से,
बहुत सारी चीजें सिखाती हैं।
माँ अपनी जिंदगी को,
बच्चे की खुशी में बिता देती हैं।
जैसे बच्चा बड़ा होता है,
स्कूल कॉलेज पढ़ने जाता है।
माँ की ममता बाप का प्यार,
मिलता ही रहता है।
हर माँ अपने बच्चों के लिए,
सदा खुश रहने की प्रार्थना करती हैं।
जब वही पढ़कर लिखकर काबिल बनता है,
माँ बाप की खिदमत को छोड़कर इश्क़ लड़ाने लगता है।
जब पूरी तरह से बच्चा वयस्क होता है,
वह ख्वाहिश करता है मेरी शादी हो जाए।
माँ बाप वह भी फर्ज नहीं छोड़ते हैं,
बच्चे को धूमधाम से शादी कर देते हैं।
पहली रात से ही माँ को त्याग देता है,
क्योंकि सभी को लग जाती है मॉर्डन ओढ़नी की हवा।
जब दो तीन दिन शादी की होती है,
पत्नी की बातों सुनकर माँ बाप को भगा देता है।
वह कहानी हर शख्स कैसे भूल जाते हैं,
जब हर कोई बचपन में विवश रहता है,
सिर्फ माँ को ही चिंता रहती है।
माँ दुनिया का अमूल्य रत्न हैं,
हमसब फैशन की खातिर अपचर्या करना छोड़ देते हैं।
हम सब कुछ भी करें माँ के लिए,
माँ बाप का जो हुकूक है अदा नहीं कर पाएंगे।
मो. जमील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार)
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