माँ को है समर्पित क़लम मेरी
कोई शब्द नहीं जो लिख पाऊँ।
नौ माह कोख में रही हूँ मैं
माँ से ही यह जीवन पाऊँ।
कहती है प्यारी माँ मेरी
सौभाग्य से घर में मैं आऊँ।
परछाईं बन जाती वो मेरी
जब कभी कहीं भी मैं जाऊँ।
माँ से ज्यादा कोई प्रेम करे
दुनिया में कहीं ना मैं पाऊँ।
माँ को है समर्पित क़लम मेरी
कोई शब्द नहीं जो लिख पाऊँ।
मेरी माँ मेरे ही पास रहे
मैं भाग्य पे अपने इतराऊँ।
माँ को कोई भी कुछ कह दे
इस बात को मैं न सह पाऊँ।
कितने भी रिश्ते बन जाएं
पर प्रेम अधिक माँ से पाऊँ।
दिल के करीब के रिश्तों में
माँ-बेटी को अक्सर पाऊँ।
माँ को है समर्पित..............!!
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