Saturday, May 9, 2020

मातृ दिवस पर मां बनतीं प्रदर्शन की वस्तु

माता एक शब्द नहीं, हम सब की पहचान। हमारे जीवन का आधार, हमारी माताएं। हमें जन्म देना और फिर हमें पाल पोस कर बड़ा करने वाली हमारी मां ही तो होती है। हमारी माता अक्सर अपना सम्पूर्ण जीवन हमारे लिए जीती है। हमारी खुशी और हमारे सपने सब उसके लिए जैसे अपने होते है।

मातृ दिवस पर हम सभी अपनी माताओं के साथ अपनी तस्वीर अपने मित्रों गणों में सोशल मीडिया के सहारे शेयर करते हैं। मातृ दिवस पर हम सभी अपनी माताओं के लिए अपना प्रेम जताने की कोशिश करते हुए, अनेक तरीकों का उपयोग करते हैं। जिससे हम समाज को और अपनी मां को यह बता सकें कि हम उनसे कितना प्रेम करतें हैं।


किंतु यह दुख की बात है कि हमारे देश में माताओं के लिए प्रेम बस एक दिन या तिथि का गुलाम होकर रह गया है। मातृप्रेम बस सोशल मीडिया पर मदर्स डे के दिन हैप्पी बर्थडे लिखकर अपने साथ अपनी माता की तस्वीर मित्र गणों में शेयर करके दिखाने की एक वस्तु मात्र बन गया है।


हमारे निजी जीवन में माता और मातृ प्रेम की बस एक आवश्यकता जितनी रह गई है। हमारे देश में आज के समय में युवा पीढ़ी अपने कार्यों में इतनी व्यस्त हो गई है कि उनके पास अपने बड़ों के लिए समय ही नहीं है। बड़ों की इच्छाओं को पूरा करना तो दूर की बात, हम उनकी बात भी नहीं सुनना चाहते हैं।


वक़्त से प्रेम हमारा इतना बड़ा स्वार्थ बन गया है आज कि हमारे सम्पूर्ण जिंदगी का आधार ही बदल गया है। बस स्वार्थ यही रह गया है। अपनी माताओं को अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग करना। केवल आम आदमी द्वारा किया जाने वाला कार्य नहीं है। यह ऐसा कार्य है जिसे हमारे नेता और अभिनेता भी करतें हैं। माता के प्रति अपनें प्रेम को दिखा कर, जनता को पागल बना कर उन की सहानुभूति का प्रयोग करते हैं। अपने कार्यों को पूरा करने के लिए।


एक मां जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन आप के लालन-पालन, खुशी और जरूरतों को ध्यान में रख कर गुजारा हो। जब उसे आप के समय की आवश्यकता होती है, तब आप उसे वृद्ध आश्रम या अपने किसी अन्य भाई पास रहने के लिए भेज देते हैं। अपनी जिम्मेदारी का अगर दिखावा करना होता है, तब चंद पैसे दे कर अपनी जिम्मेदारी निभा लेनें की बात कहते हैं।


यदि आप की मां ने भी चंद पैसे दे कर आप को किसी और के हाथों में ‌पलने के लिए छोड़कर। खुद अपने लिए आप की कामयाबी से अलग सपने बुने होते, तब विचार करें आप का जीवन क्या हो सकता था।


मां के आप के लिए किए कार्य, उनकी जिम्मेदारी थी। मां कहलाने की जिम्मेदारी उन्होंने निभाई। अपनी आवश्यकताओं को भूल आप की जरूरतों के बारे में सोच कर। आप की जिम्मेदारी है उस मां के लिए, उसे आप के साथ तस्वीरें और तौफे नहीं चाहिए। उसे आप का सच्चा प्रेम चाहिए। समय कम हो आप के पास कोई बात नहीं, लेकिन जितना भी हो निस्वार्थ भाव से दो।


मां की दुआ निस्वार्थ आप के लिए। मां की इच्छा स्वार्थ और प्रेम से भरी हुई है। तेरे दो पल के मीठे प्रेम के बोल। बस यही मां के पूरे जीवन के परिश्रम का मीठा फल है। इसे देना केवल आप के हाथों में।


इस बार मातृ दिवस के लिए नहीं मां लिए मुस्कुराएं। सोशल वेबसाइट पर हजारों को मत दिखाएं अपनी माता को दिखाएं, अपना प्रेम।
           राखी सरोज


 


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