रिपोर्ट - अर्जुन गुप्ता (जैदपुर)
बाराबंकी - कोरोना वायरस के महामारी में लॉकडाउन से उपजे हालात में मजदूरों को पेट भरने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। और गरीब व श्रमिक इसमें सबसे अधिक मुसीबत झेल रहे हैं। श्रमिकों को काम मिलना मुश्किल हो गया। घर का खर्च चलाना तो दूर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन 20 अप्रैल को सरकार द्वारा मनरेगा योजना का कार्य शुरू करने की अनुमति देने के बाद लोगों को कुछ राहत मिली है। साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अंतर्गत मनरेगा श्रमिकों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से एक हज़ार रुपये ट्रांसफर किए गए हैं । रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे किसान एवं मजदूरों को संकट की इस घड़ी में एक हज़ार की आर्थिक मदद मिलने से बड़ी सहूलियत मिली है।वहीं राज्य सरकार ने लाकडाउन की इस अवधि में मनरेगा के तहत जल संरक्षण खासकर नदियों के पुनरूद्धार, तालाबों की खुदाई, चेक डैम, नहरों की सफाई, पौधरोपण के लिए मिट्टी से संबंधित काम के साथ ही ग्रामीण सड़कों को कराने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। बाराबंकी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित 2500 हजार से अधिक की आबादी वाले हरख ब्लॉक ग्राम लासोरवा मजरे अब्दुल्लापुर में गांव में कुल 560 मनरेगा जॉब कार्ड धारक है ।
मनरेगा योजना में सैकड़ों मजदूरों को रोजगार प्रदान किया गया है। लॉकडाउन से प्रवासियों के लिए भूखमरी की स्थिति बन गई है। सभी कंपनियों के बंद होने एवं रोजगार के अवसर समाप्त होने के बाद घर लौटे प्रवासियों के लिए मनरेगा योजना में कार्य मिलने से खुशी है। हरख ग्राम पंचायत के मुखिया ऋषि कुमार ने बताया कि मनरेगा योजना में ग्रामीणों एवं प्रवासी मजदूरों को कार्य दिया जा रहा है। लॉक डाउन के बाद काम न मिलने से इन जॉब कार्डधारकों की मजदूरी छिन गयीं थी लेकिन फिर से मनरेगा कार्य शुरू हो जाने से इनको काम मिलना शुरू हो गया है जिससे इन मजदूरों को सहूलियत मिली हैं। बाराबंकी ज़िले के हरख गांव के मनरेगा जॉब कार्ड धारक मजदूरों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत पहुँचाई गयी सहायता धनराशि की सराहना की है । लॉक डाउन के ऐसे वक्त में जहां कामकाज व मजदूरी ठप हो गई थी और दिहाड़ी मजदूर कोरोना के कारण देशव्यापी लॉक डाउन के साथ आर्थिक स्थिति से जंग लड़ रहे थे उनके लिए एक हज़ार रुपये किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हुआ है। मनरेगा जॉब कार्ड धारक ने बताया कि कामकाज न मिलने के कारण खाने की समस्याएं उत्पन्न हो गई थी ऐसे में प्रधानमंत्री जी द्वारा भेजे गए एक हज़ार रुपये से खाद्य सामग्री खरीद पाने में राहत मिली हैं। साथ ही लॉक डाउन के बावजूद सरकार ने मनरेगा का काम शुरू कर दिया है जिससे हम लोगों को काम मिल रहा है अब आगे समस्या नहीं होंगी जो सरकार की बहुत अच्छी पहल हैं। वंही गांव के अन्य मनरेगा जॉब कार्डधारक लाभार्थियों ने भी कहा कि परिवार के खर्च व बच्चों की अति आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में यह राशि बड़ी सहायक बनी है । सरकार ने हमारी जरूरतों की फ़िक्र की है और हमें काम दिया इसके लिए सरकार से बहुत खुश है और सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं। बाराबंकी जिले में लॉकडाउन के कारण पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत होने वाले काम महीने से बंद थे। मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया था। यालो जोन में शामिल जिले में सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मनरेगा के काम शुरू करने की सरकार ने अनुमति दे दी। इससे मजदूरों को राहत मिली। जनपद की 900 ग्राम पंचायतों पंचायतों में 26 अप्रैल से सैकड़ों काम शुरू होते ही जिले के करीब 3500 मजदूरों को रोजगार मिल गया। लॉकडाउन लगते ही पंचायतों में सभी निर्माण बंद हो गए थे। इन्हें पूरा कराना अधिकारियों के लिए चुनौती बन गया था। डेढ़ माह बाद लॉकडाउन के बीच सरकार ने राहत दी तो फिर से काम शुरू हुए। इन सभी कामों को बारिश के पहले पूरा करवाना होगा। जनपद के अधिकारियों के अनुसार काम समय पर पूरा करवाने के लिए मजदूरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। पंचायतों में जलसंवर्धन, पौधरोपण, सीसी सड़क, नाला निर्माण, प्रधानमंत्री आवास से लेकर सैकड़ों काम शुरू हो गया है।
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