Wednesday, June 10, 2020

"संवाद होना चाहिए"

जो कहो तुम,मै सुनूं सब

मै भी क्युंकर चुप रहुं अब

यह चिरतंर मौन बस

अपवाद होना चाहिए।

मिट सके जो भेद मन के

संवाद होना चाहिए।

 

मैं लिए प्राणों का दीपक

तेरे सम्मुख आ खड़ा हूं

जो तुम्हें भरमाए पथ में

ऐसे तम से आ भिड़ा हूं

तुम को केवल नाम मेरा

याद होना चाहिए

मिट सकें जो भेद मन के

संवाद होना चाहिए।

 

इस पार मनुज का साथी तो

केवल मानव बन आया है

उस पार के देवों ने बोलो

कभी कितना साथ निभाया है

इस जीवन की मधुशाला में

मिल- बाँट मधु तुम पी पाओ

मधुर इस सोमयज्ञ का

प्रसाद होना चाहिए

मिट सके जो भेद मन के

संवाद होना चाहिए।

 

मधुकर वनमाली

No comments:

Post a Comment