सूरज सुरेश रमन तीनों दोस्तों ने अलग से समीर को पार्टी करने के लिए कहा था देख समीर तेरे जन्मदिन पर शराब की बोतले खुलेंगी जमकर डांस होगा सूरज के दो फ्लैट है एक फ्लैट खाली पड़ा है सूरज वही पार्टी की व्यवस्था कर देगा दोपहर 12:00 बजे पार्टी शुरू करेंगे शाम तक पार्टी चलेगी यह बात समीर को दो दिन पहले ही सुरेश ने बता दी थी
Friday, April 5, 2024
शराब की पार्टी
Wednesday, April 3, 2024
अतीत का दर्द
कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था। कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी, कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी, सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी!
Tuesday, April 2, 2024
क्यों नहीं काटतीं कोहड़ा महिलाएं
इस बार बाजार से सब्जी के साथ कोहड़ा भी आ गया था। लगभग दो किलो का साबूत। इसमें दो दिन सब्जी बन जाती। शाम को उसे काटने के पहले दिव्या ने कहा-पापा काट देते तो सब्जी बना देती। मैंने चाकू से उसे आधा काट दिया। उसने इसी के साथ ही सवाल भी किया कि महिलाएं कद्दू क्यों नहीं काटती़। ऐसा हमेशा से होता आ रहा था कि जब भी पूरा कद्दू आता कोई पुरुष ही उसे पहला चाकू मारता और बाद में महिलाएं उसे काटतीं। मेरी मां भी ऐसा ही करती थीं और ऐसा ही अभी तक चल रहा है। मैंने भी एक बार मां से पूछा था कि तुम इसे क्यों नहीं काटती तो उसने जवाब दिया कि कद्दू बेटा होता है तो उसे कैसे काटा जाए।मैने पूछा कि तो क्या अन्य सब्जियों बेटी होती हैं जिन्हें कोई भी काट सकता है। वह कोई जवाब नहीं दे सकी। उसका यह जवाब मुझे संतुष्ट नहीं कर सका। कुछ अन्य लोगों से भी पूछा लेकिन कोई भी उसका सही जवाब नहीं दे पाया। आज यही प्रश्न मेरे सामने था और मेरे पास कोई तार्किक जवाब नहीं था।
Sunday, March 10, 2024
शिवरात्रि
🚩तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है।
🚩‘स्कंद पुराण के ब्रह्मोत्तर खंड में महाशिवरात्रि के उपवास ,पूजा ,जप तथा जागरण की महिमा का वर्णन है : ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है । उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और भी दुर्लभ है । लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वशिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं । इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।
🚩शिवलिंग का प्रागट्य
🚩पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा ‘संसार का स्वामी कौन ?’ इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव भगवान शंकर को दी।
🚩भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। दोनों ने उस शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर बारह ज्योतिर्लिंगों में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया।
🚩दूसरी पुराणों में ये कथा आती है कि सागर मंथन के समय कालकेतु विष निकला था उस समय भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करने के लिये स्वयं ही सारा विषपान कर लिया था। विष पीने से भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ के नाम से पुकारे जाने लगे। पुराणों के अनुसार विषपान के दिन को ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
🚩पुराणों अनुसार ये भी माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।
🚩शिवरात्रि व्रत की महिमा!!
🚩इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो भक्त करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है ।
🚩महाशिवरात्रि व्रत की विधि!!
🚩इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है. प्रत्येक पहर की पूजा में “ॐ नम: शिवाय” का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है । चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जपों से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।इस दिन रात्रि-जागरण कर ईश्वर की आराधना-उपासना की जाती है । ‘शिव से तात्पर्य है ‘कल्याणङ्क अर्थात् यह रात्रि बडी कल्याणकारी रात्रि है।
🚩‘ईशान संहिता में भगवान शिव पार्वतीजी से कहते हैं : फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथिः स्याच्चतुर्दशी । तस्या या तामसी रात्रि सोच्यते शिवरात्रिका ।।तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम् । न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया । तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।
🚩‘फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रात्रि का उदय होता है, उसीको ‘शिवरात्रि’ कहते हैं । उस दिन जो उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।
🚩शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानतावाला व्रत है ।
🚩महाशिवरात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है । इस रात्रि में किये जानेवाले जप, तप और व्रत लाखों गुणा पुण्य प्रदान करते हैं ।
🚩रुद्राक्ष के फायदे…..
🚩रुद्राक्ष की माला पहनने से शारीरिक-मानसिक मजबूती, घर-परिवार में सुख-शांति रहती है। मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य से लेकर करियर तक में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव, स्वास्थ्य की समस्या, रोजगार की समस्या, घर की समस्या आदि चीजों से फायदा मिलता है।
🚩रुद्राक्ष धारण करने के बहुत फायदे है लेकिन आजकल बाजार में नकली रुद्राक्ष मिल रहे है उसके कारण उसका लाभ आपको नही मिल पाता है। हमारी टीम ने जहांतक देखा है की संत श्री आशारामजी आश्रम में रुद्राक्ष असली मिलता है और उनके देशभर में लगभग हर शहर में आश्रम अथवा सेंटर है वहा से आप असली रुद्राक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
🚩स्कंद पुराण में आता है : ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढकर श्रेष्ठ कुछ नहीं है । जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है ।
🚩यदि महाशिवरात्रि के दिन ‘बं’ बीजमंत्र का सवा लाख जप किया जाय तो जोड़ों के दर्द एवं वायु-सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है ।
🚩व्रत में श्रद्धा,पूजा,उपवास एवं प्रार्थना की प्रधानता होती है । व्रत नास्तिक को आस्तिक, भोगी को योगी, स्वार्थी को परमार्थी, कृपण को उदार, अधीर को धीर, असहिष्णु को सहिष्णु बनाता है । जिनके जीवन में व्रत और नियमनिष्ठा है, उनके जीवन में निखार आ जाता है ।
आखिरी सन्देश
ऋषिकेश के एक प्रसिद्द महात्मा बहुत वृद्ध हो चले थे और उनका अंत निकट था . एक दिन उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा , ” प्रिय शिष्यों मेरा शरीर जीर्ण हो चुका है और अब मेरी आत्मा बार -बार मुझे इसे त्यागने को कह रही है , और मैंने निश्चय किया है कि आज के दिन जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा तब मैं इहलोक त्याग दूंगा .” गुरु की वाणी सुनते ही शिष्य घबड़ा गए , शोक -विलाप करने लगे , पर गुरु जी ने सबको शांत रहने और इस अटल सत्य को स्वीकारने के लिए कहा . कुछ देर बाद जब सब चुप हो गए तो एक शिष्य ने पुछा , ” गुरु जी , क्या आप आज हमें कोई शिक्षा नहीं देंगे ?” “अवश्य दूंगा “, गुरु जी बोले ” मेरे निकट आओ और मेरे मुख में देखो .” एक शिष्य निकट गया और देखने लगा। “बताओ , मेरे मुख में क्या दिखता है , जीभ या दांत ?” “उसमे तो बस जीभ दिखाई दे रही है .”, शिष्य बोला फिर गुरु जी ने पुछा , “अब बताओ दोनों में पहले कौन आया था ?” “पहले तो जीभ ही आई थी .”, एक शिष्य बोला “अच्छा दोनों में कठोर कौन था ?”, गुरु जी ने पुनः एक प्रश्न किया . ” जी , कठोर तो दांत ही था . ” , एक शिष्य बोला . ” दांत जीभ से कम आयु का और कठोर होते हुए भी उससे पहले ही चला गया,पर विनम्र व संवेदनशील जीभ अभी भी जीवित है..शिष्यों,इस जग का यही नियम है,जो क्रूर है , कठोर है और जिसे अपने ताकत या ज्ञान का घमंड है उसका जल्द ही विनाश हो जाता है अतः तुम सब जीभ की भांति सरल,विनम्र व प्रेमपूर्ण बनो और इस धरा को अपने सत्कर्मों से सींचो , यही मेरा आखिरी सन्देश है .”, और इन्ही शब्दों के साथ गुरु जी परलोक सिधार गए..!!
Wednesday, March 6, 2024
गरुड़ पुराण
⭕गरुड़ पुराण में क्या है: 18 पुराणों में से इसे एक गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है तो दूसरी ओर जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है।
🚩1. भगवान गरूढ़ और श्रीहरि विष्णु का संवाद:- एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे। उन्हीं प्रश्नों का भगवान विष्णु ने सविस्तार उत्तर दिया। इन प्रश्न और उत्तर की माला से ही गरुढ़ पुराण निर्मित हुआ। गरूड़ पुराण में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में कुल सात हजार श्लोक ही उपलब्ध हैं। गरूड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है।
🚩2. गरुड़ पुराण में क्या है:- गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरुप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार कौनसी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं इस बात का उत्तर भगवान विष्णु ने दिया है। गरुड़ पुराण में हमारें जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है। जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए। आत्मज्ञान का विवेचन ही गरुड़ पुराण का मुख्य विषय है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारणको प्रवृत्त करने के लिए अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णनके साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है।
🚩3. जब कोई दिवंगत होता है तभी सुनते हैं गुरुड़ पुराण:- गुरुड़ पुराण तभी सुना जाता है जबकि किसी के घर में किसी की मृत्यु हो गई हो, श्राद्धपक्ष में श्राद्ध कर्म करना हो या गया आदि में पितृ विसर्जन करना हो। घर में 13 दिनों तक गरूड़ पुराण का पाठ या गीता का पाठ किया जाना जरूरी माना जाता है। जब मृत्यु के उपरांत घर में गरुड़ पुराण का पाठ होता है तो इस बहाने मृतक के परिजन यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है ताकि मृतक और उसके परिजन दोनों ही यह भलिभांति जान लें कि उच्च लोक की यात्रा करने के लिए कौन से कर्म करना चाहिए। गरुड़ पुराण हमें सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है। सत्कर्म से ही सद्गति और मुक्ति मिलती है।
🚩4. क्यों सुनते हैं गरूड़ पुराण का पाठ:- हिन्दू धर्मानुसार जब किसी के घर में किसी की मौत हो जाती है तो 13 दिन तक गरूड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। शास्त्रों अनुसार कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। किसी को 3 दिन लगते हैं, किसी को 10 से 13 दिन लगते हैं और किसी को सवा माह लगते हैं। लेकिन जिसकी स्मृति पक्की, मोह गहरा या अकाल मृत्यु मरा है तो उसे दूसरा जन्म लेने के लिए कम से कम एक वर्ष लगता है। तीसरे वर्ष गया में उसका अंतिम तर्पण किया जाता है। 13 दिनों तक मृतक अपनों के बीच ही रहता है। इस दौरान गरुढ़ पुराण का पाठ रखने से यह स्वर्ग-नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि तरह की गतियों के बारे में जान लेता है। आगे की यात्रा में उसे किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है यह सभी वह गरुड़ पुराण सुनकर जान लेता है।
🚩5. क्यों नहीं करते हैं रात में दाह संस्कार:- गरूड़ पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद हुई है मृत्यु तो हिन्दू धर्म के अनुसार शव को जलाया नहीं जाता है। इस दौरान शव को रातभर घर में ही रखा जाता और किसी न किसी को उसके पास रहना होता है। उसका दाह संसाकार अगले दिन किया जाता है। यदि रात में ही शव को जला दिया जाता है तो इससे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसी आत्मा असुर, दानव अथवा पिशाच की योनी में जन्म लेते हैं।
🚩6. गाय का महत्व:- हिन्दू धर्म में गाय को सबसे पवित्र प्राणी माना गया है। गरुड़ पुराण अनुसार मरने के बाद वैतरणी नदी को पार कराने वाली गाय ही होती है। गरुड़ पुराण के मुताबिक गाय के दूध को देखने मात्र से ही कई पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान करने के सामान पुण्य प्राप्त होता है। गुरुड़ पुराण अनुसार गौशाला देखने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
🚩7. नैतिक बातें:- गरूड़ पुराण के अनुसार घर में गंदनी रखना या गंदे कपड़े पहनना एक ही बात है। इससे माता लक्ष्मी नाराज हो जाती है। घर में साफ सफाई का नहीं होना गंदे आदमी की निशानी है। इसी तरह अहंकार से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। लोग साथ छोड़ देते हैं और आदमी खुद को अकेला पाता है। दौलत, बंगला, महंगी गाड़ी, भूमि आदि सभी कोई काम नहीं आने वाली है। सूर्योदय के बाद देर तक सोते रहना गलत है। क्योंकि इससे माता लक्ष्मी ही नाराज नहीं होती है बल्कि शनिदेव भी नाराज हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति मेहनत करने से बचना है, कामचोर है। सौंपे गए कामों को ठीक से पूर्ण नहीं करता है तो माता लक्ष्मी रूष्ठ हो जाती है। इसके साथ ही दूसरों के कार्यों में कमियां निकालना भी जीवन को खराब कर देता है। किसी गरीब, असहाय, मजबूत, अबला, विधवा आदि का शोषण करके उसका हक छीनने वाला जल्द ही कंगाल होकर बर्बाद हो जाता है। ऐसे लालची व्यक्ति का कोई साथी नहीं होता है। लक्ष्मी मां ऐसे लोगों को घर ज्यादा दिन नहीं रहती हैं।
🚩8. इन लोगों के हाथों का न करें भोजन:- गरुड़ पुराण के अनुसार हमें कुछ लोगों के हाथों का बना भोजन नहीं करना चाहिए और ना ही उनसे किसी भी प्रकार का संबंध रखना चाहिए। क्योंकि उनके हाथ का बना भोजन करने से हमें उसके पापों का दोष लगता है जिसका परिणाम अच्छा नहीं होता है। जैसे- हिजड़े, चरित्रहीन महिला, नशे का व्यापारी, अपराधी, नर्दयी, ब्याजखोर, अस्वस्थ व्यक्ति, रजस्वला महिला, अधर्मी आदि।
🚩9. ज्ञान का संवरक्षण अभ्यास से:- गरुड़ पुराण के अनुसार कितना ही कठिन से कठिन सवाल हो, ज्ञान हो, विद्या हो या याद रखने की कोई बात हो वह अभ्यास से ही संवरक्षित रखी जा सकती है। अभ्यास करते रहने से व्यक्ति उक्त ज्ञान में पारंगत तो होता ही है साथ ही वह उसे कभी नहीं भूलता है। अभ्यास के बगैर विद्या नष्ट हो जाती है। यदि ज्ञान या विद्या का समय समय पर अभ्यास नहीं करेंगे तो वह भूल जाएंगे। गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि जो भी हम पढ़े उसका हमें हमेशा एक बार अभ्यास करना चाहिए। जिससे की वह ज्ञान हमारे मस्तिष्क में अच्छे से जम जाए।
🚩10. निरोगी काया:- गरुड़ पुराण के अनुसार संतुलित भोजन करने से ही निरोगी काया प्राप्त होती है। भोजन से ही व्यक्ति सेहत प्राप्त करता है और भोजन से ही वह रोगी हो जाता है। भोजन ही हमारे शरीर का मुख्य स्रोत है। हमें हमेशा आधी से ज्यादा बीमारी इस वजह से होती है कि हम असंतुलित खान-पान लेते हैं। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है। इसलिए हमें सदैव सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसे भोजन से पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन से पूर्ण ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और इस वजह से हम रोगों से बचे रहते हैं। इसके लिए एकादशी और प्रदोष का व्रत करना चाहिए।
Sunday, February 25, 2024
शरण
नयासर गांव में सेठ नंदाराम रहते थे।
उनके यहां एक नौकर काम करता था.. जिसके कुटुंब में बीमारी की वजह से कोई आदमी नहीं बचा।
केवल नौकर का लड़का रह गया। वह सेठ नंदाराम के घर काम करने लग गया..
रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था.. और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था। ऐसे समय बीतता गया।
एक दिन दोपहर के समय वह बछड़े चरा कर आया तो सेठ नंदाराम की नौकरानी ने उसे ठंडी रोटी खाने के लिए दे दी।
उसने कहा कि थोड़ी सी छाछ या रबड़ी मिल जाए तो ठीक है।
नौकरानी ने कहा कि, जा जा तेरे लिए बनाई है रबड़ी, जा ऐसे ही खा ले नहीं तो तेरी मर्जी।
उस लड़के के मन में गुस्सा आया कि, मैं धूप में बछड़े चरा कर आया हूं, भूखा हुँ..पर मेरे को बाजरे की सूखी रोटी दे दी.. रबड़ी मांगी तो तिरस्कार कर दिया..।।
वह भूखा ही वहां से चला गया।
गांव के पास में एक शहर था.. उस शहर में संतों कि एक मंडली आई हुई थी.. वह लड़का वहां चला गया।
संतों ने उसको भोजन कराया और पूछा कि तेरे परिवार में कौन हैं।
उसने कहा कि कोई नहीं है..
संतों ने कहा तू भी साधु बन जा.. लड़का साधु बन गया।
संतों ने ही उसके पढ़ने की व्यवस्था काशी में कर दी.. वह पढ़ने के लिए काशी चला गया वहां पढ़कर वह विद्वान हो गया।
फिर कुछ समय बाद उसे महामंडलेश्वर महंत बना दिया गया।
महामंडलेश्वर बनने के बाद एक दिन उसको उसी शहर में आने का आमंत्रण मिला..।
वह अपनी मंडली लेकर वहां आये..
जिनके यहाँ वह बचपन में काम करते थे, सेठ नंदाराम बूढ़े हो गए थे।
सेठ नंदाराम भी शहर में उनका सत्संग सुनने आए..
उनका सत्संग सुना और प्रार्थना की कि महाराज.. एक बार हमारी कुटिया में पधारो जिससे हमारी कुटिया पवित्र हो जाए !
महामंडलेश्वर जी ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया..
महामंडलेश्वर जी अपनी मंडली के साथ सेठ नंदाराम के घर पधारे।
भोजन के लिए पंक्ति बैठी, भोजन मंत्र का पाठ हुआ.. फिर सबने भोजन करना आरंभ किया।
महाराज के सामने तख़्त लगाया गया, और उस पर तरह-तरह के भोजन के पदार्थ रखे हुए थे।
अब सेठ नंदाराम महाराज के पास आए साथ में नौकर था जिसके हाथ में हलवे का पात्र था।
सेठ नंदाराम प्रार्थना करने लगा कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा हलवा मेरे हाथ से ले लो।
महाराज को हंसी आ गई..
सेठ नंदाराम ने पूछा कि आप हँसे कैसे ?
महाराज बोले कि, मेरे को पुरानी बातें याद आ गई इसलिए हंसा।
सेठ नंदाराम बोले महाराज यदि हमारे सुनने लायक बात हो तो हमें भी बताइए।
महाराज ने सब संतो से कहा कि, भाई थोड़ा ठहर जाओ बैठे रहो, सेठ नंदाराम बात पूछता है, तो बताता हूं..
महाराज ने सेठ नंदाराम से पूछा कि, आपके कुटुंब में एक नौकर का परिवार रहा करता था उस परिवार में अब कोई है क्या ?
सेठ नंदाराम बोले कि, केवल एक लड़का था.. और हमारे यहाँ उसने कई दिन बछड़े चराए.. फिर ना जाने कहाँ चला गया।
बहुत दिन हो गए फिर कभी उसको देखा नहीं।
महाराज बोले, कि मैं वही लड़का हूं। पास के शहर में संत-मंडली ठहरी हुई थी। मैं वहां चला गया।
पीछे काशी चला गया वहां पढ़ाई की और फिर महामंडलेश्वर बन गया।
यह वही आंगन है जहां आपकी नौकरानी ने मेरे को थोड़ी सी रबड़ी देने के लिए भी मना कर दिया था।
अब मैं भी वही हुँ, आंगन भी वही है.. आप भी वही हैं..।
पर अब आप अपने हाथों से मोहनभोग दे रहे हैं.. कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा मेरे हाथ से ले लो !
मांगे मिले ना रबड़ी, करूं कहां लगी वरण।
मोहनभोग गले में अटक्या, आ संतों की शरण।।
सन्तो की शरण लेने मात्र से इतना हो गया कि जहां रबड़ी नहीं मिलती थी वहां मोहनभोग भी गले में अटक रहे हैं..।
अगर कोई भगवान् की शरण ले ले, तो वह संतों का भी आदरणीय हो जाए..।
लखपति करोड़पति बनने में सब स्वतंत्र नहीं हैं..पर भगवान् की शरण होने में भगवान् का भक्त बनने में सब के सब स्वतंत्र हैं..!!
और ऐसा मौका इस मनुष्य जन्म में ही है..!!
दो अंगुल बंधन का रहस्य?
ब्रह्मलोक लगि गयउँ मैं चितयउँ पाछ उड़ात।
जुग अंगुल कर बीच सब राम भुजहि मोहि तात॥
भावार्थ:-मैं ब्रह्मलोक तक गया और जब उड़ते हुए मैंने पीछे की ओर देखा, तो हे तात! श्री रामजी की भुजा में और मुझमें केवल दो ही अंगुल का बीच था।
रामचरितमानस में जब प्रभु की भुजा कागभुसुड जी को पकड़ने दोड़ी तो वह भुजा सदा मात्र दो अंगुल के अन्तर से पीछे रही और वृन्दावन में जब यशोदा मैया नटखट भगवान् श्यामसुंदर को बाँधने की कोशिश करती हैं तो सारे वृन्दावन की रस्सी भी मात्र दो अंगुल के फर्क से छोटी रह जाती है।
जब भगवान् जी से पूछा गया की यह दो अंगुल का क्या रहस्य है तो वह मुस्कुराकर बोले एक अंगुल तो मेरी कृपा का है और दूसरी अंगुल जीव की इच्छा का है।जब तक जीव मुझे पकड़ने का प्रयास नहीं करेगा और फिर मै उस जीव पर कृपा नहीं करूँगा तो हमारा मिलन संभव नहीं होगा।अगर ईश्वर और भक्त एक दुसरे को पकड़ने का प्रयास नहीं करते तो जीव और ईश्वर का मिलन नहीं होगा।
ईश्वर को श्रीराम विवाह के समय माँ सीता की पंचरंगी चुनरी के छोर द्वारा बाँधा गया और फिर श्यामसुंदर भगवान् जब राधारानी के बरसाने से रस्सी मंगवाई गयी तो भी भगवान् बन्ध गए।
जिस माँ की गोद में जाकर व्यापक ब्रह्म इतना छोटा हो गया उसके हाथ मे अगर रस्सी भी आकर छोटी हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।माँ यशोदा के हाथ में रस्सी छोटी होने का कारण भगवान् श्यामसुंदर नहीं थे,क्योंकि भगवान् ने रस्सी से न बंधने के लिए अपने शरीर को तो बड़ा नहीं किया था फिर माँ यशोदा क्यों नहीं बाँध पायी।इसका कारण एक तो क्रोध के कारण बांधना चाहती थी और दूसरी ओर प्रेम के कारण उन्हें बाँधने में संकोच हो रहा था इसी कारण रस्सी छोटी रह जाती थी।माँ के क्रोध और संकोच के कारण दो अंगुल का फर्क रहा।मन में अगर किसी प्रकार का संशय है तो ईश्वर को नहीं बाँधा जा सकता।
तात्पर्य यह है कि भगवान् भक्ति के बंधन से बन्ध सकते हैं।माता सीता और राधारानी भक्ति का स्वरुप है।एक बार भक्ति के बंधन में जकड़े जाने के पश्चात ईश्वर भक्ति देवी का ही अनुसरण करते दिखाई देते है।श्रीराम विवाह में माँ सीता की चुनरी से बंधे श्री राम श्री सीता के पीछे पीछे चलकर विवाह पूर्ण करते हैं।
जो ईश्वर का पीताम्बर असीम है और जिसका कोइ छोर नहीं है जिसकी सीमा नहीं है वह ईश्वर भी जब भक्ति की चुनरी के साथ बंधता है तो असीम हो जाता है और फिर वह पकड़ा जा सकता है..!!
Friday, February 23, 2024
संयम और साहस
बहुत दिन पहले किसी गांव में एक नाई रहता था। वह बहुत आलसी था। सारा दिन वह आईने के सामने बैठा टूटे कंघे से बाल संवारते हुए गंवा देता। उसकी बूढ़ी मां उसके आलसीपन के लिए दिन-रात फटकारती थी, लेकिन उसके कानों पर जूं भी नहीं रेंगती थी। आखिरकार एक दिन मां ने गुस्से में उसकी पिटाई कर दी। जवान बेटे ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया और घर छोड़ कर चला गया। उसने कसम खाई कि जब तक कुछ धन जमा नहीं कर लेगा, वह घर नहीं लौटेगा। चलते-चलते वह जंगल पहुंचा। उसे कोई काम तो आता नहीं था इसलिए अब वो भगवान को मनाने बैठ गया। अभी वह प्रार्थना के लिए बैठता, उससे पहले ही उसका एक ब्रम्हराक्षस से सामना हो गया। ब्रम्हराक्षस नाई को देखकर खुश हुआ और खुशी मनाने के लिए लिए नाचने लगा। यह देख नाई के होश उड़ गए, पर अपने डर को जाहिर नहीं होने दिया। उसने साहस बटोरा और राक्षस के साथ नाचने लगा।
कुछ देर बाद उसने राक्षस से पूछा- तुम क्यों नाच रहे हो? तुम्हें किस बात की खुशी है? राक्षस हंसते हुए बोला, मैं तुम्हारे सवाल का इंताज़ार कर रहा था। तुम तो निरे उल्लू हो। तुम समझ नहीं पाओगे। मैं इसलिए नाच रहा हूं कि मुझे तुम्हारा नरम-नरम मांस खाने को मिलेगा। वैसे, तुम क्यों नाच रहे हो? नाई ने ठहाका लगाते हुए कहा, मेरे पास इससे भी बढ़िया कारण है। हमारा राजकुमार सख्त बीमार है। चिकित्सकों ने उसे एक सौ एक ब्रम्हराक्षसों के हृदय का रक्त पीने का उपचार बताया है। महाराज ने मुनादी करवाई है जो कोई यह दवा लाकर देगा, उसे वे अपना आधा राज्य देंगे और राजकुमारी का विवाह भी उससे कर देंगे। मैंने सौ ब्रम्हराक्षस तो पकड़ लिए हैं। अब तुम भी मेरी गिरफ्त में हो।यह कहते हुए उसने जेब से छोटा आईना उसकी आंखों के सामने किया। आतंकित राक्षस ने आईने में अपनी शक्ल देखी। चांदनी रात में उसे अपना प्रतिबिम्ब साफ नज़र आया। उसे लगा कि वह वाकई उसकी मुट्ठी में है। थर-थर कांपते हुए उसने नाई से विनती की कि उसे छोड़ दे, पर नाई राज़ी नहीं हुआ। तब राक्षस ने उसे सात रियासतों के खज़ाने के बराबर धन देने का लालच दिया। पर इस भेंट में नाई ने दिलचस्पी न लेने का नाटक करते हुए कहा- पर जिस धन का तुम वादा कर रहे हो, वह है कहां और इतनी रात में उस धन को और मुझे घर कौन पहुंचाएगा?
राक्षस ने कहा, खज़ाना तुम्हारे पीछे वाले पेड़ के नीचे गड़ा है। पहले तुम इसे अपनी आंखों से देख लो, फिर मैं तुम्हें और इस खज़ाने को पलक झपकाते ही तुम्हारे घर पहुंचा दूंगा। राक्षसों की शक्तियां तुमसे क्या छुपी है, कहने के साथ ही उसने पेड़ को जड़ समेत उखाड़ दिया और हीरे-मोतियों से भरे सोने के सात कलश बाहर निकाले। खज़ाने की चमक से नाई की आंखें चौंधिया गईं, पर अपनी भावनाओं को छुपाते हुए उसने रौब से उसे आदेश कि वह उसे और खज़ाने को उसके घर पहुंचा दे। राक्षस ने आदेश का पालन किया। राक्षस ने अपनी मुक्ति की याचना की, पर नाई उसकी सेवाओं से हाथ नहीं धोना चाहता था। इसलिए अगला काम फसल काटने का दे दिया। बेचारे राक्षस को यकीन था कि वह नाई के शिकंजे में है। सो उसे फसल तो काटनी ही पड़ेगी।
वह फसल काट ही रहा था कि वहां से दूसरा ब्रम्हराक्षस गुजरा। अपने दोस्त को इस हालत में देख वह पूछ बैठा। ब्रम्हराक्षस ने उसे आपबीती बताई और कहा कि, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। दूसरे ने हंसते हुए कहा, पागल हो गए हो? राक्षस आदमी से कहीं शक्तिशाली और श्रेष्ठ होते हैं। तुम उस आदमी का घर मुझे दिखा सकते हो? हाँ, दिखा दूंगा, पर दूर से। धान की कटाई पूरी किए बिना उसके पास जाने की मेरी हिम्मत नहीं है।यह कहकर उसने उसे नाई का घर दूर से दिखा दिया।
वहीं अपनी कामयाबी के लिए नाई ने भोज का आयोजन किया। और एक बड़ी मछली भी लेकर आया। लेकिन एक बिल्ली टूटी खिड़की से रसोई में आकर ज्यादा मछली खा गई।गुस्से में नाई की बीवी बिल्ली को मारने के लिए झपटी, पर बिल्ली भाग गई। उसने सोचा, बिल्ली इसी रास्ते से वापस आएगी। सो वह मछली काटने की छुरी थामे खिड़की के पास खड़ी हो गई। उधर दूसरा राक्षस दबे पांव नाई के घर की ओर बढ़ा। उसी टूटी हुई खिड़की से वह घुसा। बिल्ली की ताक में खड़ी नाइन ने तेज़ी से चाकू का वार किया। निशाना सही नहीं बैठा, पर राक्षस की लम्बी नाक आगे से कट गई। दर्द से कराहते हुए वह भाग खड़ा हुआ। और शर्म के मारे अपने दोस्त के पास वो गया भी नहीं।
पहले राक्षस ने धीरज के साथ पूरी फसल काटी और अपनी मुक्ति के लिए नाई के पास गया।धूर्त नाई ने इस बार उल्टा शीशा दिखाया।राक्षस ने बड़े गौर से देखा।उसमें अपनी छवि न पाकर उसने राहत की सांस ली और नाचता-गुनगुनाता चला गया।
शिक्षा:-
धैर्य और संयम से बड़ी मुसीबतें भी टल जाती हैं।साहस से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है..!!
Sunday, February 18, 2024
जलकुंभी
पहले एक पौधा दिखाई देता है... फिर धीरे धीरे कुछ हफ्तों में तालाब के सब कोनों में एक-दो पौधे तैरते दिखाई देने लगते हैं....
कुछ महीने या सालों में पानी दिखाई देना बंद हो जाता है... सारे तालाब के ऊपर सिर्फ हरा हरा ही दिखाई देता है.... पानी की आक्सीजन खत्म होने लगती है.... अंदर का जीवन, मछलियां मरने लगती हैं...
धीरे धीरे पानी की सड़ांध किलोमीटर दूर से महसूस होनी शुरू हो जाती है.... जिस जिस तालाब में ये जलकुंभी पहुंचती है, उसे उसे खत्म कर देती है....
इलाज...
अगर तो शुरू में ही एक दो पौधों को बाहर निकाल कर फेंक दिया जाए तो वो धूप से सूख जाएंगे....
अगर पूरा तालाब भर गया हो तो सारी जलकुंभी को बाहर निकाल कर सुखाया जाता है.... और सूखने के बाद आग लगा कर बीज तक नाश कर दिया जाता है...
ताकि दुबारा ना पनप सके....
हो सकता है आपके घर के पास के तालाब में एक दो पौधे दिखाई दें... शुरू में आपको ये सुंदर दिखाई देंगे... लेकिन अगर आप अभी इलाज नहीं करेंगे तो धीरे धीरे ये पूरे तालाब पर कब्जा कर लेंगे...
फिर या तो आप सड़ांध सहना या घर बेच कर दूर चले जाना.... दो ही रास्ते होंगे... तीसरा रास्ता समूल नाश का है...
मर्जी है आपकी...
क्यूंकि तालाब है आपका...
घर है आपका...
Friday, February 9, 2024
अपने लिए जीए तो क्या जीए
मोहन निराश होकर भरी दोपहरी में इंटरव्यू देकर वह एक आफिस से बाहर निकला ....इंटरव्यू तो इस बार भी अच्छा हुआ था पर...इससे पहले भी उसके कई इंटरव्यू अच्छे हुए थे पर वह नौकरी अभी तक हासिल नहीं कर पाया था कारण उसके पास किसी बड़ी कम्पनी का कोई अनुभव नहीं था और होता भी कैसे वह अबतक अपने पापा की बात मानकर खुश था कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस सोच छोटी या बड़ी होती है मगर अब लगता था कि पापा भी .... नहीं मेरे पापा गलत नहीं हो सकते वो तो अक्सर कहते हैं अपने लिए जीए तो क्या जीए तू जी ओ दिल जमाने के लिए....
Monday, February 5, 2024
पुराने दिन
पुराने दिनों से इस आधुनिक युग तक का सफर
पिता की दौलत
मगर हम यहां तुम्हारी यादों के सहारे ही जिए… तुम्हारी मां तुम्हें देखने को तरस गई और शायद मैं भी… अब तक तुमसे कोई पैसा नहीं लिया. अपनी पेंशन से ही सारा घर चलाया, पर तुम लोगों को हमेशा ‘इस बक्से में अनमोल दौलत है’ जान-बूझकर सुनाता रहा. मगर बच्चों ध्यान देना अपने बच्चों को कभी अपने से दूर मत करना, वरना जैसे तुमने अपने भविष्य का हवाला देकर हमें अपने से दूर किया वैसे ही… दुनिया का सबसे बड़ा दुख जानते हो क्या होता है?… अपनों के होते हुए भी किसी अपने का पास नहीं होना. जीवन में उस समय कोई दौलत-गहने, संपति काम नहीं आते.
Thursday, February 1, 2024
दुआलिया चूल्हा!
ये हमारी गैस चूल्हा जैसा ही होता था। एक जगह लकड़ी जलाओ और एक साथ दो चीजें बनाओ।
Saturday, January 27, 2024
रिक्शावाला
महज पांच सात वर्ष पहले तक रिक्शा पटना की लाइफ लाइन हुआ करती थी पटना के किसी गली मोहल्ले से स्टेशन बस स्टैंड या किसी भी बाजार में जाने के लिए लोग रिक्शे का इस्तेमाल करते थे पर अब शहर से रिक्शा पुल पुलिया फ्लाईओवर और नए नवनिर्माण के कारणों से दूर हो गया है और पटना के कुछ इलाकों में ही आपको रिक्शा देखने को मिल जाएगा याद कीजिए कि पिछली बार आपने रिक्शे की सवारी कब की थी।मेरे लिए रिक्शे में बैठना एक कठिन निर्णय होता रहा है, रिक्शे की सवारी के समय मेरा ध्यान हमेशा उसकी पैरों की पिंडलियों पर रहता था, कि कितनी मेहनत से खींचता है रिक्शा , सड़क पर कोई भी मोटरसाइकिल वाला या कार वाला उसको ऐसे हिकारत की निगाह से देखता है जैसे कोई जुर्म कर दिया हो, मैनें नोटिस किया अक्सर कारों वालों के अहम के सामने रिक्शेवाले भाई को अपने रिक्शे में ब्रेक लगाने पड़ते थे , गलती किसी की हो थप्पड़ हमेशा रिक्शेवाले के गाल पर ही पड़ता था। पुलिसवाले के गुस्से का सबसे पहला शिकार ये बेचारा रिक्शेवाला ही होता है। बेचारा 2 आंसू टपकाता, अपने गमछे से आँसू पोंछता फिर से पैडल पर जोर मार के चल पड़ता। यार ये दौलत कमाने नहीं निकले, सिर्फ 2 वक़्त की रोटी मिल जाये, बच्चे को भूखा न सोना पड़े बस इसीलिए पूरी जान लगा देते हैं। कभी इनसे मोल भाव मत करना, बस1 दे देना कुछ एक्स्ट्रा , ईश्वर भी फिर प्लान करेगा आपको कुछ एक्स्ट्रा देने का, कभी कभी यूं ही सवारी कर लेना.. रिक्शे की मदद हो जाएगी। भीख देकर उनका अपमान मत करना , वो गरीब हैं भिखारी नहीं I बस कभी कभी यूँ ही सवारी कर लेना I
Wednesday, January 24, 2024
सगपहिता
घर से कल ये बथुआ और उड़द आया था तो सगपहिता न बने भला कैसे हो सकता था।
Monday, January 15, 2024
गूलर के फल में है सैकड़ों बीमारियों का इलाज
दुनिया भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है, और एक आप हैं कि दुनिया भर में तलाश कर रहे हैं...
Saturday, December 16, 2023
गुड़
गुड़ बनेगा!
पुराने दिनों की याद ताजा करता है ये मिर्जापुर का रेस्टोरेंट
क्यों की ये एक बेटियों को समर्पित रेस्टुरेंट हैं, इनके इस प्रयास से इसमें काम करने वाले महिलाएं सम्मानित और सुरक्षित महसूस करती हैं