Friday, May 31, 2019

महिलाओं को शिक्षित करें और उन्‍हें प्रबुद्ध एवं सशक्‍त बनाएं : उपराष्‍ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने शिक्षा पर विशेष जोर देने के साथ-साथ संसद और राज्‍यों की विधानसभाओं में आरक्षण जैसे प्रगतिशील उपायों पर अमल करके महिलाओं को सशक्‍त बनाने का आह्वान किया है।


श्री नायडू ने महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव किये जाने की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए समाज में लोगों के व्‍यवहार एवं नजरिये में बदलाव लाकर इस पर अंकुश लगाने की आवश्‍यकता को रेखांकित किया है।


श्री नायडू ने आज नई दिल्‍ली में अपने आवास पर चाणक्‍यपुरी स्थित कार्मेल कॉन्‍वेंट स्‍कूल की छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि किसी लड़की को शिक्षि‍त करना एक पूरे परिवार को शिक्षित करने के समान है, जबकि एक आदमी को शिक्षित करना सिर्फ एक व्‍यक्ति को शिक्षित करने के समान है।


उपराष्‍ट्रपति ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शिक्षा की अहमियत न केवल रोजगार, बल्कि सशक्तिकरण और ज्ञानोदय से भी जुड़ी हुई है। उन्‍होंने कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का लक्ष्‍य बालिकाओं का सशक्तिकरण करना है।


श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा निश्चित रूप से ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों को आदर्श एवं जिम्‍मेदार बनाए और इसके साथ ही देश के नागरिकों का दृष्टिकोण राष्‍ट्रीय स्‍तर का होना चाहिए। यही नहीं, देश के नागरिकों को सामाजिक रूप से कर्तव्‍यनिष्‍ठ भी होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि देश के युवा भारत की सांस्‍कृतिक विरासत, परम्‍पराओं एवं इतिहास और राष्‍ट्रीय महानुभावों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका तथा समाज सुधारकों के अमूल्‍य योगदान से भलीभांति अवगत हों।


उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि सिर्फ भारत माता के चित्र पर माल्‍यार्पण करना ही राष्‍ट्रवाद नहीं है, बल्कि देश के हितों को सबसे ऊपर रखना और साथी नागरिकों के हितों का ख्‍याल रखना ही राष्‍ट्रवाद है।


श्री नायडू ने सार्वजनिक जीवन में सत्‍यनिष्‍ठा की अहमियत को रेखांकित किया और इसके साथ ही कहा कि लोगों को 4 'सी' यथा कैरेक्‍टर (चरित्र), कंडक्‍ट (आचरण), कैपेसिटी (क्षमता) और कैलिबर (काबिलियत) के आधार पर ही अपने-अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए। इसके साथ ही उन्‍होंने लोगों को 4 अन्‍य 'सी' यथा कैश (नकदी), कास्‍ट (जाति), कम्‍युनिटी (समुदाय) और क्रिमनलिटी (आपराधिकता) को महत्‍व देने के प्रयासों के खिलाफ आगाह किया।


उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था विकास के मोर्चे पर अच्‍छा प्रदर्शन कर रही है और विश्‍व भर में भारत को सम्‍मान दिया जा रहा है तथा पूरी दुनिया में भारत की विशिष्‍ट पहचान है। उन्‍होंने कहा कि कई विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्‍छुक हैं।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विशेष मंत्र 'सुधार, प्रदर्शन एवं रूपांतरण' का उल्‍लेख करते हुए उपरा‍ष्‍ट्रपति ने युवा विद्यार्थियों को एक 'नये भारत' का निर्माण करने के लिए परिवर्तन का हिस्‍सा बनने की सलाह दी।



तम्बाकू मुक्त परिसर" घोषित करने हेतु एक संवादात्मक वार्ता का आयोजन 

आज दिनांक 31 मई, 2019 को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (वर्ल्ड एंटी टोबैको डे) के अवसर
पर मर्चेंट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश ने अपने परिसर को "तम्बाकू मुक्त परिसर" घोषित करने
हेतु एक संवादात्मक वार्ता का आयोजन किया।  



आज की यह वार्ता श्री बी.एम. गर्ग, अध्यक्ष, मर्चेंट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश, की अध्यक्षता में
समपन्न हुई जिसमें मुख्य रूप से डॉ.  आई.एम. रोहतगी, श्री प्रेम मनोहर गुप्ता,  , सुनील
खन्ना, संतोष गुप्ता, आत्मा राम खत्री, मुकुल टंडन, अतुल कनोडिया, डॉ. उमेश पालीवाल, विजय
पांडे, सुशील शर्मा, महेंद्र नाथ मोदी उपस्थित थे।
उक्त वार्ता में यह बताया गया कि पान, मसाला, व् तम्बाकू सेवन न केवल  बीमारियों के
लिए आमंत्रण है वरन यह वह जानलेवा पदार्थ है जो उस व्यक्ति के साथ-साथ पुरे परिवार
को तोड़ के रख देता है। तम्बाकू सेवन से होने वाली बीमारियों में हार्ट अटैक,
ब्रेन-स्ट्रोक, मुँह का कैंसर, फेफड़ों का गलना व् बांझपन भी एक भयानक बीमारी है। अपना
शहर कानपुर को अगर हम तम्बाकू सिटी के नाम से कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योकि
लगभग अधिकांश नागरिक के मुँह में हम पान-मसाला व् तम्बाकू चबाते हुए देखते है। शहर
की अधिकांश आबादी पान-मसाले व् तम्बाकू चबाने की आदि हो चुकी है।  
पान-मसाला व् तम्बाकू के स्वान से बचने के लिए बहुत से उपाय किया जा सकते है लेकिन
खुद से दृण-निश्चयी होने अतिआवश्यक है। सरकार द्वारा भी पान-मसाला को रोकने के लिए
पहल की जानी चाहिए क्योकि यदि कोई कदम जन-हित में उठाया जाता है तो पूरे देश का है
भविष्य बेहतर व् सुरक्षित हो सकता है।  
मर्चेंट्स चैम्बर की 'तम्बाकू मुक्त परिसर' की वार्ता में सर्वसम्मति से
एक प्रस्ताव पास कर प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री  को भेजा जाना प्रस्तावित किया गया कि " हम
शराब बॉर की तरह पान-मसाला-तम्बाखू के खाने को भी पान-मसाला बॉर बना दें, मसाला
उसी बॉर में खाये व् थूंके। बाहर व् घर के बाहर मसाला  खाते या खाये जाने व् पकड़े जाने पर
जुर्माना हो व् तीसरी बार पकड़े जाने पर जेल का प्रावधान  हो साथ ही नो स्मोकिंग जोन की
तर्ज़ पर नो टोबैको जोन बनाने पर भी विचार किया जाए"।   
साथ ही मर्चेंट्स चैम्बर के समस्त सदस्यों को इस बात  के लिए जागरूक किया जाएगा कि वे
अपने-अपने व्यवसायिक परिसरों  को "तम्बाकू मुक्त परिसर" घोषित करने की दिशा में कदम
उठाये।  इस कार्य हेतु उन्हें स्टीकर भेजने का प्रस्ताव भी पास किया गया।
आज की इस अतिमहत्वपूर्ण वार्ता में मर्चेंट्स चैम्बर प्रांगण में समस्त उपस्थित सदस्यगण
यह प्रतिज्ञा करते है कि मर्चेंट्स चैम्बर को आज से 'तम्बाकू मुक्त परिसर' बनाने में पूर्ण
दृणप्रतिज्ञ होंगे।


Thursday, May 30, 2019

आर्सेनिक की चपेट में उत्तर प्रदेश की ग्रामीणआबादी- उमाशंकर मिश्र


 नई दिल्ली, 30 मई (इंडिया साइंस वायर): आर्सेनिक सेप्रदूषित जल का उपयोगस्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। भारतीय शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन में पता चला है किउत्तर प्रदेश की करीब 2.34 करोड़ ग्रामीण आबादी भूमिगत जल में मौजूद आर्सेनिक के उच्च स्तर से प्रभावित है। विभिन्न जिलों से प्राप्तभूमिगत जल के 1680 नमूनों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं।


इस अध्ययन में उत्तर प्रदेश के 40 जिलों के भूजल में आर्सेनिक का उच्च स्तर पाया गया है। राज्य के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित जिलों में आर्सेनिक का उच्च स्तर पाया गया है। इनमें से अधिकांश जिले गंगा, राप्ती और घाघरा नदियों के मैदानी भागों में स्थित हैं। बलिया, गोरखपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, गोंडा, फैजाबादऔर लखीमपुर खीरी आर्सेनिक से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।


शाहजहांपुर, उन्नाव, चंदौली, वाराणसी, प्रतापगढ़, कुशीनगर, मऊ, बलरामपुर, देवरिया और सिद्धार्थनगर के भूजल में आर्सेनिक का मध्यम स्तर पाया गया है। उत्तर प्रदेश की करीब 78 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है जो सिंचाई, पीने, भोजन पकाने और अन्य घरेलू कामों के लिए भूजल पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्सेनिक से प्रभावित होने का खतरा अधिक है क्योंकि शहरों की तुलना में वहां पाइप के जरिये जल आपूर्ति का विकल्प उपलब्ध नहीं है।


शोधकर्ताओं में शामिल नई दिल्ली स्थित टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज से जुड़े डॉ चंदर कुमार सिंह ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “बलिया, गोरखपुर, गाजीपुर, फैजाबाद और देवरिया जैसे जिलों में आर्सेनिक के अधिक स्तर के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट गंभीर हो सकता है। आर्सेनिक के दुष्प्रभाव से लोगों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर हैंडपंप या कुओं के पानी का परीक्षण करने की जरूरत है।”


डॉ चंदर कुमार सिंह और सोनल बिंदल


अध्ययनकर्ताओं ने भूमिगत जल के नमूनों का परीक्षण एक खास किट की मदद से किया है और इस किट से प्राप्त आंकड़ों की वैधता की पुष्टि प्रयोगशाला में की गई है। आर्सेनिक के स्तर को प्रभावित करने वाले 20 प्रमुख मापदंडों को केंद्र में रखकर यह अध्ययन किया गया है। इन मापदंडों में भौगोलिक स्थिति, जलकूपों की गहराई, मिट्टी की रासायनिक एवं जैविक संरचना, वाष्पन, भूमि की ढलान, नदी से दूरी, बहाव क्षेत्र और स्थलाकृति शामिल है। इन आंकड़ों के आधार पर कंप्यूटर मॉडलिंग सॉफ्टवेयर की मदद से आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों का मानचित्र तैयार किया गया है।


पीने के पानी के लिए हैंडपंप या ट्यूबवेल पर निर्भर इलाकों में भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। आर्सेनिक के संपर्क में आने से त्वचा पर घाव, त्वचा का कैंसर, मूत्राशय, फेफड़े एवं हृदय संबंधी रोग, गर्भपात,  शिशु मृत्यु और बच्चों के बौद्धिक विकास जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।


डॉ. सिंह का कहना है कि पूर्वानुमानों पर आधारित इस तरह के अध्ययनों की मदद से आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने में नीति निर्माताओं को मदद मिल सकती है। शोधकर्ताओं में डॉ चंदर कुमार सिंह के अलावा उनकी शोध छात्र सोनल बिंदल शामिल थीं। यह अध्ययन शोध पत्रिका वाटर रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)


एनएसआईसी ने सूक्ष्‍म, लघु तथा मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के साथ सहयोग ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किया

राष्‍ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) ने वर्ष 2019-20 के लिए सूक्ष्‍म, लघु तथा मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किया है। समझौता ज्ञापन पर एएस तथा डीसी (एमएसएमई) तथा एनएसआईसी के सीएमडी राम मोहन मिश्रा तथा एमएसएमई मंत्रालय के सचिव डॉ. अरुण कुमार पांडा ने हस्‍ताक्षर किए। इस अवसर पर सूक्ष्‍म, लघु तथा मध्‍यम मंत्रालय की संयुक्‍त सचिव अलका नांगिया अरोड़ा निदेशक (एमएमई) मर्सी ईपाव, निदेशक पी तथा एम (एनएसआईसी) पी उदय कुमार और निदेशक वित्त (एनएसआईसी) ए के मित्तल उपस्थित थे।


समझौता ज्ञापन में देश में सूक्ष्‍म, लघु तथा मध्‍यम उद्यमों के लिए एनएसआईसी द्वारा अपनी विपणन, वित्तीय, टेक्‍नोलॉजी तथा अन्‍य समर्थनकारी सेवा योजनाओं को बढ़ाने का प्रावधान है। निगम को 2019-20 में संचालन से राजस्‍व प्राप्ति 22 प्रतिशत बढ़ने की आशा है। यह राजस्‍व 2018-19 में 2540 करोड़ रुपये से 22 प्रतिशत बढ़कर 2019-20 में 3100 करोड़ रुपये हो जाएगा। वर्ष 2019-20 में एनएसआईसी  के मुनाफे में 32 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। निगम प्रशिक्षुओं की संख्‍या में 45 प्रतिशत की वृद्धि लक्ष्‍य तय करके उद्यमिता तथा कौशल विकास प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्य कुशलता बढ़ाने की योजना बना रहा है।


सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्योग मंत्रालय की ओर से एनएसआईसी द्वारा लागू की जा रही राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति – जनजाति हब योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के प्रयास विभिन्‍न उपायों तथा कार्यक्रम के माध्‍यम से जारी रहेंगे।


सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के सचिव डॉ. ए के पांडा ने एनएसआईसी के कार्यों की सराहना करते हुए एनएसआईसी की पहुंच को व्‍यापक बनाने के प्रयास का सुझाव दिया ताकि यह देश में बड़ी संख्‍या में सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्योगों की सेवा कर सके।