Sunday, March 1, 2020

वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी 2020 तक केन्द्रअ सरकार के खातों की मासिक समीक्षा

वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी-2020 तक केन्‍द्र सरकार के मासिक खाते को समेकित कर दिया गया है और संबंधित रिपोर्टों को प्रकाशित कर दिया गया है।


इनमें मुख्‍य बातें निम्‍नलिखित हैं : भारत सरकार को जनवरी-2020 तक 12,82,857 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संबंधित बजट अनुमान 2019-20 का 66.41 प्रतिशत) प्राप्‍त हुए हैं, जिनमें 9,98,037 करोड़ रुपये का कर राजस्‍व, 2,52,083 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्‍व और 32,737 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं। गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में ऋणों की वसूली (14,386 करोड़ रुपये) और विनिवेश राशि (18,351 करोड़ रुपये) शामिल हैं।


इस अवधि तक भारत सरकार द्वारा करों में हिस्‍सेदारी के अंतरण के रूप में राज्‍य सरकारों को 5,30,735 करोड़ रुपये हस्‍तांतरित किये गये हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11,003 करोड़ रुपये कम है।


भारत सरकार द्वारा 22,68,329 करोड़ रुपये (संबंधित बजट अनुमान 2019-20 का 84.06 प्रतिशत) का कुल खर्च किया गया है, जिनमें से 20,00,595 करोड़ रुपये राजस्‍व खाते में हैं और 2,67,734 करोड़ रुपये पूंजीगत खाते में हैं। कुल राजस्‍व व्‍यय में से 4,71,916 करोड़ रुपये ब्‍याज भुगतान के मद में हैं और 2,62,978 करोड़ रुपये विभिन्‍न प्रमुख सब्सिडी के मद में हैं।



उपराष्ट्रपति ने युवाओं से बदलाव के वाहक बनने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं को बदलाव का वाहक बनने और अशिक्षा, आर्थिक असमानता और जाति, पंथ या लिंग के आधार पर सामाजिक भेदभाव जैसी चुनौतियों को दूर करने का नेतृत्व करने का आह्वान किया।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के छात्रों को एक्स्ट्रा म्यूरल लेक्चर श्रृंखला के जरिए "भारत 2020 से 2030: दशक के लिए एक विजन," विषय पर संबोधित करते हुए श्री नायडू ने गलत सूचना या नफरत भरे संदेशों को फैलाने के लिए गैर-जिम्मेदाराना तरीके से प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समाज में अच्छाई को बढ़ावा देने वाला समाज का नैतिक घेरा अपनी प्रासंगिकता खो रहा है।


कृषि क्षेत्र की ओर वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और भावी मार्ग दर्शकों का तुरंत ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रयोगशालाओं से प्राप्त नए तथ्यों का खेतीबाड़ी में इस्तेमाल करने के लिए नियमित रुप से किसानों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ बातचीत करें। उन्होंने कृषि को अधिक व्यवहार्य, टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों को नए विचारों के साथ आगे आने का सुझाव दिया।


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में कृषि की भूमिका और राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसके योगदान की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में ही उपजे अन्न से खाद्य सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए और साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लोगों को प्रोटीन युक्त भोजन मिले।


उपराष्ट्रपति ने देश के सभी शोध संस्थानों को कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित करने और यथार्थवादी, किफायती और कुशल समाधानों के साथ आगे आने को कहा है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को किसानों के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा ताकि किसानों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नए समाधान विकसित किए जा सकें।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिए संदेश ‘गांवों की ओर लौटो’ का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सहज रुझान विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है या ग्रामीण किसानों और कारीगरों को नुकसान होता है तो ऐसे में हम समावेशी विकास नहीं कर सकते हैं।


श्री नायडू ने बढ़ते शहरी-ग्रामीण विभाजन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के बारे में बेहतर अवसरों के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे हालात से निपटने के लिए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा किए जाएं कि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। उन्होंने सभी भावी इंजीनियरों से शहरी क्षेत्रों को और अधिक जीवंत और टिकाऊ बनाने के तरीकों और साधनों का पता लगाने के लिए कहा है।


उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के बाद सवाल-जवाब सत्र के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने के लिए उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि कनेक्टीविटी चाहे वह परिवहन हो या तकनीकी, ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने किसानों के लिए  कोल्ड स्टोरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं सृजित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने का भी आह्वान किया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि भीड़भाड़ और प्रदूषण के कारण शहर अब रहने लायक नहीं रह गए हैं। यहां के जलस्रोत दूषित हो रहे हैं और प्राकृतिक संसाधन विचारहीन और लापरवाही पूर्ण दोहन के कारण लगातार घट रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई की युवा पीढ़ी स्वच्छ भारत सुनिश्चित करने के रास्ते तलाशें।


उपराष्ट्रपति चाहते हैं कि युवा वर्ग किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने, जिम्मेदारीपूर्वक खपत एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने और जलवायु कार्य की दिशा में ठोस कदम उठाने के तरीके तलाशे।


उपराष्ट्रपति ने भारत के सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो इसकी देखभाल और हिस्सेदारी के मूल दर्शन पर आधारित है। वे चाहते हैं कि हर कोई एक बेहतर इंसान बने, जो अपने साथी की परवाह करे और समाज के कल्याण में अपना योगदान दे।


श्री नायडू ने कहा कि विभिन्न विषयों को एकीकृत करते हुए शिक्षा को समग्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का एक शक्तिशाली निर्धारक है। उपराष्ट्रपति ने गुणवत्ता, पहुंच, सामर्थ्य, समावेशिता, इक्विटी और लैंगिक समानता के महत्वपूर्ण आयामों के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि पचास प्रतिशत आबादी वाली महिलाओं को राष्ट्र की विकासात्मक प्रक्रिया में बराबर का भागीदार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को शिक्षित करना महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में पहला कदम है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीडीपी के संदर्भ में मात्रात्मक विकास केवल तभी सार्थक है जब हम हर नागरिक को भागीदार, हितधारक और विकास प्रक्रिया का लाभार्थी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के इस युग में सरकार का मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' वास्तव में एक आह्वान है।


इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आईआईटी, मद्रास परिसर में दो घंटे से अधिक समय बिताया और छात्रों के साथ व्यापक बातचीत की, जिस दौरान उन्होंने व्यापक विषयों पर छात्रों के सवालों के जवाब दिए।


इस कार्यक्रम में छात्रों और निकाय सदस्यों के साथ ही तमिलनाडु के मत्स्य पालन, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी. जय कुमार, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. भास्कर राममूर्ति और आईआईटी मद्रास के डीन (छात्र) प्रो. एम. एस. शिवकुमार भी मौजूद थे।



डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में 'पेंशन अदालत', एनपीएस जागरूकता, शिकायत निवारण का उद्घाटन किया

जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास (डीओएनईआर) मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज 'पेंशन अदालत' और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) जागरूकता और शिकायत निवारण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन्स मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से संचालित किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने पेंशन नियमों पर व्याख्या के साथ केस स्टडी वाली बुकलेट जारी करने के साथ ही पारिवारिक पेंशन पर ट्विटर सीरीज 'क्या आप जानते हैं' की भी शुरुआत की।


पेंशन अदालत का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब पेंशन अदालत दिल्ली से बाहर आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप सरकार देश के हर कोने, समाज के हर हिस्से तक पहुंचना चाहती है, जिससे रीयल टाइम में पेंशनर्स अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि पेंशन अदालतों से मौके पर ही पेंशनरों की शिकायतों के निवारण में मदद मिलेगी, जिसने पेंशनरों को 'जीवन में आसानी' का अधिकार दिया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि पेंशनरों को उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए एक परेशानी मुक्त प्रशासनिक प्रणाली उपलब्ध कराई जाए।


शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली 2014 से पहले काफी उपेक्षित थी लेकिन जिस दिन से मौजूदा सरकार सत्ता में आई, उसी दिन से सिस्टम पूरी तरह से बदल गया। शिकायतें कई गुना बढ़कर 2 लाख से 20 लाख हो गई हैं, जो इस बात का सबूत है कि लोगों को मौजूदा सरकार पर पूरा भरोसा है। उन्होंने दोहराया कि मौजूदा सरकार में शिकायतों के निवारण की दर हर हफ्ते 95 फीसदी से 100 फीसदी तक है और कुछ साल पहले शुरू हुई पेंशन अदालत इसका सबूत है।


मंत्री ने यह भी कहा कि पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकार ने कई सुधार किए हैं। मौजूदा सरकार की पहलों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रमुख पहल न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये तय करने का था। उन्होंने कहा कि दूसरी पहल जैसे भविष्य, संकल्प, जीवन प्रमाण- डिजिटल लाइफ सर्टिफेकेट, अप्रचलित कानूनों को हटाना और स्व-प्रमाणन भी शुरू हुईं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में सेवानिवृत्त लोगों की आबादी बढ़ रही है और यह राष्ट्रीय हित में है कि उनकी ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से उपयोग में लाया जाए क्योंकि यह सरकार उन्हें एक संपत्ति मानती है, देयता नहीं। उन्होंने कहा कि सक्रिय जीवन से सेवानिवृत्त जीवन की ओर जाना सुविधाजनक होना चाहिए।


मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए गए रीयल टाइम पोर्टल, सुरक्षाकर्मियों के लिए डैश बोर्ड और टोल फ्री नंबर 1800111960 इसका सबूत हैं कि मौजूदा सरकार सेवारत और रिटायर हो रहे या हो चुके कर्मचारियों के कल्याण को लेकर गंभीर है।


श्री नरेंद्र मोदी की सरकार साक्ष्य के साथ काम करती है और सभी केंद्रीय योजनाएं और कार्यक्रम भारत के दूसरे हिस्सों की तरह जम्मू और कश्मीर में बहुत प्रगतिशील तरीके से लागू किए गए हैं और लोगों की सफलता की कहानियां आपके सामने हैं, जिन्हें उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना से फायदा हुआ।


जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार श्री आर. आर. भटनागर ने अपने संबोधन में कहा कि यह देखना सुखद है कि पेंशन अदालत पहली बार दिल्ली से बाहर आयोजित की गई, जो शिकायतों के निवारण तंत्र को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यहां सभी प्रासंगिक सवाल पूछकर अपनी शिकायतों का समाधान पाना पेंशनरों, सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों और सेवारत के लिए भी अच्छा मौका है। पिछले तीन वर्षों में लिए गए फैसलों के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा करते हुए सलाहकार ने कहा कि पेंशन से संबंधित लंबित मामलों में काफी कमी आई है, जो एक अच्छे शासन का संकेत है।


पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग के सचिव डॉ. छत्रपति शिवाजी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विभाग का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद पेंशनरों को सामाजिक सुरक्षा और एक विशिष्ट सामाजिक जीवन उपलब्ध कराना है। उन्होंने आगे कहा कि वे लोग, जो किन्हीं कारणों से अपना जीवन प्रमाणपत्र नहीं दे पाए हैं, सरकार ने उनके लिए मुश्किल आसान कर दी है और बैंकों से कहा गया है कि उनके घर जाएं और एक जीवन प्रमाणपत्र जारी करें।


पेंशन अदालतों को परेशान पेंशनर, संबंधित विभाग, बैंक या सीजीएचएस प्रतिनिधि जो भी प्रासंगिक हो, को एक मेज पर लाने के उद्देश्य से आयोजित की गई हैं, जिससे ऐसे मामलों का मौजूदा नियमों के तहत मेज पर ही समाधान किया जा सके।


पेंशन अदालत में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों जैसे कपड़ा, रक्षा, वन, एएसआई, जीएसआई, सीजीडब्लूबी, सीडब्लूसी, सीएंडएजी, एनएसएसओ, डीजीडीडी, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एमआईबी और जेकेजीएडीसे जुड़े 342 मामलों पर चर्चा हुई और तुरंत मौके पर ही 289 ऐसे मामलों का निपटारा कर दिया गया। लंबित 53 मामलों को संबंधित विभागों के द्वारा 15 दिनों के भीतर समाधान करने को कहा गया है।


एनपीएसग्राहकों के संबंध में, केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और जम्मू-कश्मीर (जेएंडके) केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े मामलों की संख्या 200 से ज्यादा है। जिनके एनपीएस खातों में कुछ अनियमितताएं हैं, उन्हें सामने रखा गया और उससे संबंधित एओ और डीडीओ को चर्चा और सुधार कार्य के लिए बुलाया गया, जिससे ग्राहकों को सेवानिवृत्त होने के बाद कम वार्षिकी मूल्य के रूप में लगातार नुकसान न उठाना पड़े।



जन स्वास्थ्य पेशेवरों के सहयोग से भारत में जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बीमारियों का उन्मूलन किया गया: डॉ. हर्षवर्धन

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में आज भारतीय जन स्वास्थ्य संघ के 64वें सालाना राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हम आयुष्मान भारत के दो पिलरों के माध्यम से समग्र देखभाल करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने जा रहे हैं। ये पिलर हैं- देश के 50 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और देश के सभी हिंस्सों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना। 2022 तक हमारा लक्ष्य 150,000 पीएचसी और उप-केंद्रों को उन्नत कर स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में परिवर्तित करने का है।'


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमने दुनियाभर में निपाह और इबोला जैसे संक्रमण का प्रकोप देखा और अनुभव किया है, जिसने कई देशों को बुरी तरह से प्रभावित किया है लेकिन हमने इसे अपने देश में फैलने नहीं दिया। इसी प्रकार से, हमने दुनियाभर में फैल रहे नोवेल कोरोनावायरस को रोकने के लिए आवश्यक सभी एहतियाती उपाय किए हैं।


उन्होंने आगे कहा कि हम आगे सभी पक्षों के सहयोग से 2025 तक ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबीको समाप्त करने के अत्यंत मुश्किल लक्ष्य को भी हासिल कर सकते हैं।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनियाभर में बीमारियों के बोझ की गतिशीलता बदल रही है, हमें स्वास्थ्य एवं भू-स्थानिक सूचना प्रणालियों में डिजिटल तकनीक जैसे नए समाधानों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब नए कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम है और सबके लिए स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य पेशेवरों के भरपूर सहयोग से भारत पोलियोमाइलिटिस को खत्म करने में सफल रहा। सफलता की और भी कहानियां हैं, जहां जन स्वास्थ्य पेशेवरों के समर्पण और सहयोग से जन स्वास्थ्य के महत्व की बीमारियों का निवारण किया गया या भारत से उन्मूलन किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय जन स्वास्थ्य संघ (आईपीएचए) के मौजूदा और पूर्व सदस्यों के ऐसे योगदानों के कारण ही आईपीएचए को सम्मान की नजर से देखा जाता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए जन स्वास्थ्य लीडरशिप को बढ़ावा' की थीम के साथ इस सम्मेलन में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे भारत के प्रमुख विशेषज्ञों के विचारों को जानने-समझने का मौका मिलेगा। यह विषय आज के भारत के लिहाज से प्रासंगिक है, जहां अपने नागरिकों को समान स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के मकसद से 'आयुष्मान भारत' की शुरुआत की गई, इस प्रकार से सबके लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त करना है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आईपीएचएसीओएन 2020 विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सरकार की पहलों जैसे स्वस्थ भारत मिशन, आयुष्मान भारत, पोषण अभियान और जल जीवन मिशन पर अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों के लिए जानने, समझने और जानकारी साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। जन स्वास्थ्य के क्षेत्र के जाने-माने वक्ता यूएचसी के लिए जन स्वास्थ्य नेतृत्व, कुपोषण मुक्त भारत मिशन, एनीमिया मुक्त भारत, तंबाकू नियंत्रण, जन स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना, एंटी-माइक्रोबायल रेजिस्टेंस, मातृ पोषण कार्यक्रम, 2030 तक एड्स का खात्मा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहलों पर अपेड्टस जैसे विषयों पर अपने अनुभव, विचार और राय साझा करेंगे।


कार्यक्रम के दौरान डॉ. रणदीप गुलेरिया (निदेशक, एम्स), प्रोफेसर संजय राय (अध्यक्ष, भारतीय जन स्वास्थ्य संघ), डॉ. संघमित्रा घोष (महासचिव, भारतीय जन स्वास्थ्य संघ), प्रोफेसर शशि कांत (एम्स के सामुदायिक दवा केंद्र विभाग के प्रमुख और आयोजन के चेयरपर्सन), आईपीएचएसीओएन 2020 आयोजन के सचिव डॉ. पुनीत मिश्रा समेत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।