Friday, May 1, 2020

किसान रथ मोबाइल ऐप शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर ही बेहद सफल

कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों को सरल बनाने के लिए अनेक उपाय कर रही है। इन कार्यों की अद्यतन स्थिति नीचे दी गई है:



  1. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 17.04.2020 को किसान रथ नाम का एक ऐप शुरू किया है जो किसानों और व्यापारियों की कृषि उत्‍पादों खाद्यान्‍न (अनाज, मोटा अनाज, दलहन आदि) से लेकर फल और सब्जियां, तिलहनों, मसाले, रेशे वाली फसलें, फूल, बांस, लठ्ठे और छोटे वनोत्‍पाद, नारियल आदि को पहुंचाने के लिए परिवहन की सही प्रणाली का पता लगाने में मदद करेगा। अब तक, कुल 80,474 किसान और 70,581 व्‍यापारी इस ऐप पर पंजीकृत हैं।

  2. पूर्ण लॉकडाउन के कारण, सभी थोक मंडियों को 25.03.2020 को बंद कर दिया गया था। भारत में 2587 प्रमुख/ मुख्य कृषि बाजार उपलब्ध हैं, जिनमें से 1091 बाजार 26.03.2020 को कार्य कर रहे थे। 23.04.2020 तक, 2067 बाजारों को काम करने लायक बनाया गया है।

  3. दलहन और तिलहन की न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद वर्तमान में बीस (20) राज्यों में चल रही है। नैफेड और एफसीआई 1,79,852.21 मीट्रिक टन दलहन और 1,64,195.14 मीट्रिक टन तिलहन खरीद चुके हैं जिसका मूल्‍य 1605.43 करोड़ रुपये आंका गया है, जिससे 2,05,869 किसान लाभान्वित हुए हैं।


ग्रीष्मकालीन फसलों का बुवाई वाला क्षेत्र:


चावल: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 25.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में ग्रीष्‍मकालीन चावल का बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 34.73 लाख हेक्टेयर है।


दलहन: पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.82 लाख हेक्टेयर की तुलना में दालों की बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 5.07 लाख हेक्टेयर है।


मोटा अनाज: मोटे अनाज के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान लगभग 5.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र 8.55 लाख हेक्टेयर है।


तिलहन: तिलहन के तहत पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 6.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में बुवाई वाला क्षेत्र लगभग 8.73 लाख हेक्टेयर है।


24.04.2020 को कटाई की स्थिति


गेहूं: जैसा कि राज्यों ने बताया है कि मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 90-92%, उत्तर प्रदेश में 82-85%, हरियाणा में 50-55%, पंजाब में 45-50% और अन्य राज्यों में 86-88% फसल काटी जा चुकी है।



एनएलसी इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत एक नवरत्न सार्वजनिक उद्यम, ने पहली बार कोयले का उत्पादन शुरू किया

एनएलसी इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाला एक नवरत्न सार्वजनिक उद्यम, ने पहली बार कोयले का उत्पादन शुरू किया है। ओडिशा राज्य में तालाबिरा II और III खानों से कोयले का उत्पादन शुरू किया गया है, इसकी उत्पादन क्षमता 20 मिलियन टन प्रति वर्ष है और इसे 2016 में एनएलसीआईएल को आवंटित किया गया था। इसका उपयोग मौजूदा और भविष्य में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।


इस गतिविधि पर टिप्पणी करते हुए, एनएलसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, श्री राकेश कुमार ने कहा, “कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के कठिन समय में इस परियोजना पर सफलता प्राप्त करके, हमारी टीम ने न केवल कंपनी को इसके विकास के मार्ग पर बढ़ने में मदद की है, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी योगदान दिया है, विशेष रूप से तब जब कोयले के आयात से बचना सर्वोच्च प्राथमिकता बना हुआ है।”


इस कोल ब्लॉक को एमडीओ मॉडल के माध्यम से विकसित किया गया है, जिसे एनएलसी टीम द्वारा अभिनव रूप से विकसित और सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इसने पूरे उद्योग जगत में सराहना अर्जित किया है। इस खदान का स्ट्रिपिंग अनुपात 1.09 से कम है और कोयला जी 12 ग्रेड का है, जो कि आने वाले समय में कंपनी को प्रतिस्पर्धात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम बनाएगा। कोयले का उत्पादन 26 अप्रैल 2020 से शुरू किया गया है।


हाल के दिनों में, प्रमुख रूप से ऊर्जा, एनएलसी इंडिया लिमिटेड ने देश में अपनी तरह का पहला लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट की दो इकाइयों में से एक में (1000 मेगावाट- 2 इकाइयों से प्रत्येक में 500 मेगावाट) सफलतापूर्वक चालू कर दिया है। 2019-2020 के दौरान, एनएलसीआईएल ने 1404 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को भी सफलतापूर्वक प्राप्त किया है, जिसमें 1353 मेगावाट सौर और 51 मेगावाट पवन ऊर्जा शामिल है।



निर्धन परिवार का हूँ

मैं गरीब घर का मजदूर हूँ, 

मैं अपनी रोजी रोटी की तलाश में, 

इधर - उधर भटकता हूँ। 

 

मैं अनेक शहरों में जाकर खून पसीने बहाता हूँ,

जो भी मिलता है उसी से गुजर बसर करता हूँ। 

 

मेरे पैरों में से खून निकलते हैं, 

मैं परवाह नहीं करता हूँ। 

 

मैं अपने परिवार का सहारा हूँ, 

मैं निर्धन घर का मजदूर हूँ। 

 

मैं अपनी मजबूरी की खातिर, 

नहीं पढ़ पाया हूँ। 

 

इसलिए आज दर दर की ठोकरें खाता हूँ, 

मुझे कोई देखने वाले नहीं हैं। 

 

कभी कभी ऐसी नौबत आ जाती है, 

कहीं काम नहीं मिल पाता है। 

 

भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ता है, 

मैं भूखे तो रह जाता हूँ, 

मैं अपनी नन्ही परी को भूखे नहीं देख पाता हूँ। 

 

लोग तो हमें खूब मजाक उड़ाते हैं, 

कोई मदद तो नहीं करते हैं। 

 

मैं अपनी मजबूरी को सरकार, 

के पास कहने जाता हूँ, 

सरकार भी सुनकर आनाकानी कर देती। 

 

मैं अपने वोट से सरकार को जिताता हूँ, 

वही सरकार सुनकर नजर अंदाज कर देती है। 

 

मैं अपनी जिंदगी को मजदूरी, 

करते करते काट तो लेता हूँ, 

मैं निर्धन परिवार का मजदूर हूँ। 

मो. जमील

सुन लो भगवन.....

हाथ जोड़कर  खड़े हम
दीन दुखीयों के कष्ट हरों


तुमरे बिन कौन हमारा
सब साथ छोड़ चले है


कष्टों को हर लो हमारे
नई राह बतलाओं,हमकों बचाओं


तेरे दरबार में आये
हम खाली न जाएंगे


हमारी पीड़ा समझो भगवन
हम दीन दुखियों पर कृपा करों


अब हर ओर अंधियारा छाया है
हमारी जिंदगी भी रोशन कर दो


सब दरवाजे बंद पड़े है
बस तेरा द्वार ही खुला है
हमको बचालो भगवन


आज ये काल बनकर खड़ा है
महाकाल बनकर हमकों पार लगा दो


फिर हिमालय उठालो
हमको भी संजीवनी चका दो


इस मुश्किल से पार लगा दो
हमकों बचा लो,प्राथना सुन लो।।


प्रीतम गिरधारी राठौड़