Saturday, October 3, 2020

 गूंगे बहरे और अंधो अब उठो 

ये कैसी राम राज गला घोट दिया लोकतंत्र का 

देखो वो एक नही जो बे-आबरू हुई आज रे

क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं हुई देखकर ?

वो बहन जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज साथियों

क्या वो बहन  इज्ज़त की हक़दार नहीं  यारों

कितने ही आज दुर्शाशन खड़े  इस बाजार में 

पर कोई रखवाला गोपाल नहीं नजर आता 

कहां  छुपे हो तुम आज कृष्ण,चौकीदार 

क्यों किया द्रौपदी पे आज उपकार नहीं रे

लुटते मरते सब देख रहे कर रहे सियासत

गांधी के देश में अब कैसा हो गया देश मेरा

देखो ना यहाँ कोई भी शर्म सार नही साथियों

 सिर्फ आबरू नहीं लुटी बल्कि रूह को चिरा है

उसकी आँखों में दहशत है आहो में पीड़ा है

वो शर्मनाक हरक़त वाले उन्हें पाप का अंजाम दो

उसे मौत दो,उसे मौत दो दरिंदे ओ जानवर 

किसी माफ़ी के हक़दार नही साथियों

मिटा सके जो दर्द तेरा वो शब्द कहां से लाऊं

चूका सकूं एहसान तेरा वो प्राण कहां से लाए

खेद हुआ है आज मुझे लेख से क्या होने वाला

लिख सकूं मैं भाग्य तेरा वो हाथ कहां से लाऊं

देखा जो हालत ये तेरा छलनी हुआ कलेजा 

रोक सके जो अश्क मेरे वो नैन कहां से लाए

कैंडल मार्च, आंदोलन करके थक गए हम 

लेकिन वजीर के कानों में जूं तक ना रेगा

ख़ामोशी इतनी  क्यों क्या गूंगे बहरे हो गए सारे

सुना सकूं जो हालत तेरी वो जुबां कहां से लाए

चिल्लाहट पहुँचा सकूं बहरे इन नेताओं को रे

झकझोर सकूं इन गूंगे बहरे और अंधे मूर्दो को

अब  ईश्वर वो मेरे को शक्ति  दे दो  ।।।

 

Thursday, October 1, 2020

 रीढ़ आज बेटी का ही नहीं टूटा है बल्कि देश के सभी मानव का रीढ़ टूटा है 

हम सभी ने 3 दिन पहले ही डॉटर्स डे बड़ा ही धूमधाम से मनाया, देश की बेटियों के लिए बड़ी-बड़ी बातें कही गई, तस्वीर साझा की गई बेटियों के सुनहरे भविष्य की कामना की गई, लेकिन क्या दोस्त हम एक समाज के तौर पर देश की बेटियों को आज हम यह आश्वासन दे सकते हैं कि बस अब बहुत हो गया अब ऐसा हमारे समाज में नहीं होगा, क्या हमारा शासन प्रशासन व कानून व्यवस्था यह आश्वासन भी दे सकता है कि अब ऐसा अन्याय हमारी बेटियों पर नहीं होगा? दोस्तों याद रखना संस्कार ही ऐसे घिनौनी मानसिकता से हमारे समाज मे होने वाले अपराधों से बचा सकता है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो हफ्ते पहले गैंगरेप का शिकार हुई बेटी की  29 सितंबर को मौत हो गई ये 19 साल की बेटी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थी  परिवार के मुताबिक पुलिस ने मदद नहीं किया बल्कि जब जरूरत थी इस बेटी को इलाज की तब पुलिस ने थाने में रखा हुआ था । जानकारी के मुताबिक 14 सितंबर को जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी तब रिश्तेदार उसे पास के एक अस्पताल में लेकर गए. पुलिस ने शुरुआत में सिर्फ गला दबाने और एससी/एसटी एक्ट के तहत ही मामला दर्ज किया था. आपको बता दें कि गैंगरेप की धारा लगाने में ही पुलिस को पूरे 8 दिन लग गए। 22 सितंबर को लड़की का बयान दर्ज होने के बाद ही पुलिस ने गैंगरेप की धारा लगाई। 27 सितंबर को तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगा तब लड़की को अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया जहां उसकी मौत हो गई।

दोस्त प्रशासन या सरकार में बैठे बुद्धिमान लोग चाहे जो भी दलील दे लेकिन आज यह सच है कि 2 हफ्ते से अस्पताल दर अस्पताल अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही इस बहन की जान नहीं बचाई जा सकी, निर्भया गैंग रेप के वक्त हम सभी ने सड़कों पर उतरे पटना से दिल्ली आए संसद भवन का घेराव किया हम सभी ने आज   यह सब किए हुए आज 8 वर्ष से भी ज्यादा हो गया ध्यान से देखें तो इन 8 वर्षों में भी कुछ नहीं बदला, जो दर्द निर्भया के पिता का था वही दर्द आज हाथरस की इस बहन के पिता का है।

आपको भी याद होगा निर्भया घटना दिसंबर 2012 में जब हुआ था उस वक्त पूरा देश एक साथ सड़क पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि हमारा भारत जाग गया है और अब भारत में एक भी नारी रेप या हिंसा की शिकार नहीं होगी।

दोस्त दिसंबर 2012  हमें याद है उस वक्त मैं खुद स्कूल का छात्र था पटना से आवाज उठाते उठाते हम सभी ने दिल्ली तक आए थे उस समय यह भी देखा मैं की बॉलीवुड के लोगों ने भी इन विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बने थे। आज फिर हमें उसी तरह से मजबूती के साथ आवाज उठाने की जरूरत है, ताकि बहन को न्याय मिले और ऐसी घटनाएं हमारे सभ्य समाज में आगे से नहीं हो।

अगर दोस्त हम नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े देखें तो 2012 में प्रतिदिन रेप की 68 घटनाएं हुई, जिसकी संख्या दोस्त 2013 में बढ़कर 92 हो गई, 2014 में 100 रेप के मामले प्रतिदिन दर्ज हुए, वहीं वर्ष 2016 के आंकड़े देखें तो 106 रेप केस दर्ज हुए हैं। यह मैंने यहां एनसीआरबी के वो आंकड़े बताएं जिसको रिकॉर्ड किया गया है लेकिन आपको बता दें कि अधिकतर मामले तो नजदीकी थाने तक भी नहीं पहुंच पाते हैं अगर पहुंच भी जाए तो रिपोर्ट लिखी ही नहीं जाती है जैसा कि इस हाथरस के बेटी के रिपोर्ट लिखने में ही उत्तर प्रदेश के पुलिस को पूरे 8 दिन लग गया , अब आप समझ सकते हैं कि आखिर हमारे समाज में न्याय के लिए लोगों को कितना संघर्ष करना पड़ता है। दोस्तों एक नारी ही हमें अपने कोख में 9 माह रखकर इस धरती पर लाती है, कोई भी नारी हो किसी न किसी का वह मां होती है चाहे उनसे हमारा कोई भी रिश्ता हो यह हम सभी जानते हैं कि एक नारी ही कभी मां, कभी दोस्त, पत्नी, दादी मां, नानी ना जाने कितनी रिश्तो में हमें अपनाकर हम सभी को प्यार देती है जीवन में आगे बढ़ने के लिए सिचती है, आप ही सोचो दोस्त फिर आज ऐसी घटनाएं एक मां के साथ क्यों हो रही है? जबकि हर एक नारी किसी ना किसी की मां है आप सभी से विनम्र निवेदन है कि चाहे आपका एक नारी से कोई भी रिश्ता हो लेकिन आप उनको जननी मां ही समझना, आज बहुत जरूरत है हमें अपने बच्चों में यह संस्कार डालना कि हर एक नारी मां का ही रूप है , वही हम सभी को 9 माह अपनी कोख में रखकर इस धरती पर लाती है, याद रखना नारी का सम्मान जहां है संस्कृति का वहां उत्थान है। हर एक नारी में मां का ही स्वरूप है।

 

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-चिंतक /पत्रकार/ आईएएस मेंटर/दिल्ली विश्वविद्यालय 9069821319

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो ?

बिन पेंदे के लौटे सा लुढ़क रहे हो

तुम थाली के बैगन से दिख रहे हो

हर चुनाव मे दल क्यो बदल रहे हो?

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो?

गिरगिट सा रंग रोज बदल रहे हो

चुनाव मे किये सारे वादे भुलाकर

तुम क्यो अपनी ढ़पली बजा रहे हो?

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो?

जनता को मूर्ख क्यो समझ रहे हो?

जाति,धर्म और मानवता की बलिवेदी पर 

तुम तो राजनीति की रोटी सेक रहे हो।

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो?

वोट के लिए धर्म भी बदल रहे हो

एक दूजे पर तंज भी कस रहे हो

वोट पाने का ताना बाना बुन रहे हो।

नेता जी तुम क्यो अकड रहे हो?

रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य और विकास भूलकर

तुम कैसी ये राजनीति अब कर रहे हो?

बोलो सपनो का भारत तुम कैसा रच रहे हो?

 

रचनाकार:-

अभिषेक कुमार शुक्ला

सीतापुर, उत्तर प्रदेश

 गाँधी जी की राय

       राजू एक नवी कक्षा का छात्र है और अपने घर के पास ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है।राजू बचपन से ही पढ़ने बहुत होशियार विद्यार्थी है।लेकिन उसके दिमाग की सारी अच्छाइयां उसके गणित के अध्यापक के सामने खत्म हो जाती हैं। वह लगातार अपने गणित के अध्यापक के हाथों डांट खाता रहता है और कक्षा से बाहर किया जाता रहता है।राजू इस बात से बहुत ही दुखी था।क्योंकि अपनी तरफ से तो वह सभी सवालों का सही जवाब देता है।लेकिन ना जाने क्यों गुरुजी लगातार उसे डांटते रहते है और कक्षा से बाहर निकालते रहते हैं।

          गाजियाबाद के सरकारी स्कूल मैं पढ़ रहा राजू बड़ी ही मेहनत से अपनी पढ़ाई कर रहा था।क्योंकि उसे पता था कि वह अपने गरीब मां-बाप का भविष्य पढ़कर ही सुधार सकता है।2 अक्टूबर आने वाली थी यानी कि हमारे *प्यारे बापू ( महात्मा गाँधी )*जी का जन्म जिस दिन हुआ था।आज रात राजू कुछ ज्यादा ही परेशान था।रात को परेशान होते-होते राजू ने महात्मा गांधी जी की तस्वीर, जो कि उसके घर की दीवार पर टंगी हुई थी।उसने बापू के हाथ जोड़े और प्रार्थना की,बापू मुझे अपने गणित के अध्यापक की डाट खाने से बचा लो।उसके बाद वो सो गया।

          राजू को अभी नींद नही आयी थी कि उसने देखा,अचानक तस्वीर से निकलकर बापू,राजू के सामने खड़े हो गए।उन्होंने राजू की समस्या का बड़े ही ध्यान से सुना और राजू से पूछा कि आखिर क्या वजह है,वह अध्यापक उसी को इतना डांटते है।राजू ने बताया कि वह सारे सवालों का सही जवाब देता है।किंतु उसके गणित के अध्यापक सबके सामने उसका मजाक उड़ाकर कक्षा से निकाल देते है और सभी छात्र भी उसका मजाक उड़ाते है।

         सब बातों को सुनकर गांधी जी ने उसे एक उपाय बताया।बेटा राजू,तुम रोज अपने अध्यापक के पास जाओ और उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते करके,बिना उनसे डांट खाए,अपनी गणित की कॉपी उन्हें देकर खुद ही मुस्कुराते हुए कक्षा के बाहर आकर खड़े हो जाओ और उन्हें ये जरूर बता देना कि आप तो मुझे कुछ देर बाद निकाल ही दोगे।देखना इस बात से उनके ऊपर बहुत असर पड़ेगा और वह तुम्हें कक्षा के अंदर लेकर सही तरीके से पढ़ाने लगेंगे और तुम्हारी समस्या का समाधान हो जाएगा।

          राजू को उनका ये उपाय बहुत अच्छा लगा।अगले ही दिन वह कक्षा में पहुँचा और जैसे ही गणित के अध्यापक आए।उसने उनसे हाथ जोड़कर नमस्ते की और कहा सर थोड़ी देर में तो आप मुझे डांट कर कक्षा से निकालने वाले हैं।मैं खुद ही कक्षा से बाहर जाकर खड़ा हो जाता हूँ और वह कक्षा से बाहर जाकर खड़ा हो गया।यह घटनाक्रम लगातार पांच दिन चलता रहे लेकिन गणित के अध्यापक पर कोई भी असर नहीं पड़ा।बल्कि वह हंसते हुए उसके सामने से रोज निकल जाते हैं।राजू बहुत ही परेशान था।

          कल 2 अक्टूबर है।उसने एक बार फिर बापू से पूछा,बापू-अध्यापक के ऊपर तो कोई भी असर नहीं हो रहा है। मैं क्या करूं,तब बाबू ने कहा बेटा कल तुम मेरी फोटो को लेकर जाना और यह घटना दोबारा से दोहराना।उन्हें गणित की कॉपी के साथ मेरी तस्वीर भी जरूर दे देना।अगले दिन राजू ने फिर उसी घटना को दोहरा दिया।इस बार गणित के अध्यापक को हाथ जोड़कर नमस्ते कर,उसने बापू की तस्वीर भी उनको दे दी और कक्षा से बाहर आकर खड़ा हो गया।

          लेकिन आज गणित की कक्षा समाप्त होने के बाद गणित के अध्यापक ने राजू को निराश नहीं होने दिया।उन्होंने राजू को दो 500 रुपये के नोट दिखाये।जिस पर महात्मा गांधी जी का फोटो छपा हुआ था। उन्होंने राजू को बताया बेटा कक्षा के लगभग सभी विद्यार्थी मुझसे ट्यूशन लेते हैं जिससे कि वह पास होकर अगली कक्षा में पहुंच जाएंगे।एक तुम ही हो,जो मुझसे  ट्यूशन नहीं पढ़ते। बेटा मेरी बात समझने की कोशिश करना,बापू की बात तो आज भी सारी  सही है।लेकिन जो तस्वीर तुम्हारे हाथ में है और जो तस्वीर मेरे हाथ में इस नोट पर है।उस तस्वीर वाले रुपयों से मुझसे ट्यूशन लो और देखना तुम्हे मैं फिर कभी कक्षा से नही निकलूंगा।

          राजू खुशी-खुशी अपने घर पहुँचा।शाम को फिर बापू की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर बापू से बोला, आखिर आपकी तस्वीर ने मुझे आज बचा ही लिया।अब मैं समझ गया हूँ कि मुझे आगे क्या करना है।बापू ने कहाँ,देखा मैंने तो कहाँ ही था सब कुछ ठीक हो जाएगा।फिर महात्मा गांधी जी ने भी अचंभित होकर सारी घटना को सुना।

          *बापू ने सारी घटना सुनकर यही निष्कर्ष निकाला,कि शायद आज उनकी बातों को और उन्हें लोगो ने इसीलिए नही भुलाया,क्योंकि उनकी तस्वीर एक ऐसे कागज पर मौजूद है।जिसकी जरूरत जीवन की दिनचर्या चलाने के लिए बार-बार पड़ती है।वरना लोग शायद उन्हें कब का भूल जाते।बापू निराश होकर भारी मन के साथ वापस तस्वीर में चले गए।*

नीरज त्यागी `राज`

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).