Monday, March 1, 2021

सरकारी अस्पताल में मरीज की मौत या अनेपक्षित चोट पहुंचने, यद्यपि चिकित्सीय लापरवाही के बिना भी राज्य को मुआवजा देना बाध्यता - हाईकोर्ट द्वारा 5 लाख़ का मुआवजा देने का निर्देश

चिकित्सा क्षेत्र जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा - सरकार और चिकित्सा क्षेत्र का मदद करने का महत्वपूर्ण दायित्व - एड किशन भावनानी

वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के जबरदस्त प्रकोप में मानव जीवन में चिकित्सीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है,यह बात सभी को समझ में आई होगी। वैसे भी अगर हम सामान्य परिस्थितियों की भी बात करें, तो हमारे बड़े बुजुर्ग आदि काल से ही डॉक्टर को एक भगवान, अल्लाह के रूप में देखते हैं। हालांकि अभी चिकित्सक क्षेत्र में नई खोजें और तकनीकी के विकास के चलते नए आयाम प्राप्त किए हैं। परंतु इसके साथ ही इलाज की कीमतें भी बढ़ी है जिसके कारण एक गरीब आदमी सरकारी अस्पताल के अलावा कहीं और जाने की उम्मीद नहीं करता हैं और कितनी भी बड़ी तकलीफ या बीमारी क्यों ना  हो अपने परिजनों को सरकारी अस्पतालों में ही इलाज़ कराने के लिए निर्भर रहते हैं। जो कि संबंधित राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। चिकित्सा क्षेत्र मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सरकार तथा चिकित्सा क्षेत्र को ही अपनी नैतिकता, सहजता, उदारता और जिम्मेदारी के प्रभाव से मरीज़ की मदद करने का महत्वपूर्ण दायित्व है, क्योंकि मरीजों उनके परिजनों, परिवार वालों को चिकित्सा क्षेत्र में के अलावा बस ऊपर वाले पर ही निगाहें रहती है। और सही न्याय नहीं मिलने पर पीड़ितों के पग अदालतों की ओर चले जाते हैं और फिर इंसाफ के मंदिर से तो सबको इंसाफ की उम्मीद बंधी ही रहती है।.... इसी विषय पर आधारित एक मामला माननीय मद्रास हाईकोर्ट में सोमवार दिनांक 1 फरवरी 2021 को माननीय सिंगल जज बेंच माननीय न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन के समक्ष रिट पिटिशन (एमडी) क्रमांक 2721/2017 याचिकाकर्ता बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु व अन्य 10 के रूप में आया जिसमें माननीय बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात अपने 9 पृष्ठों के आदेश के पॉइंट नंबर 7 और 8 में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी डॉक्टरों पर लगाए गए लापरवाही के आरोप हमने सही नहीं पाए हैं और मैंने इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है, परंतु इसमें, क्षतिपूर्ति देने इस सवाल का जवाब नहीं मिला। याचिकाकर्ता एक अति गरीब हैं व उसका उसके बच्चे की मृत देह उसे मिली जबकि याचिकाकर्ता और बच्चे दोनों की कोई गलती नहीं थी। भले चिकित्सा लापरवाही भी नहीं हुई थी। परंतु, सरकार का दायित्व बनता है और तमिलनाडु सरकार का आदेश जी ओ क्रमांक 395 दिनांक 4 सितंबर 2018 का एक फंड जिसमें हर सरकारी डॉक्टर इसमेंअंशदान करते हैं ऐसा एक फंड बनाया गया है उसमें से इस गरीब को,माननीय बेंच  ने तमिलनाडु राज्य सरकार को उस याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया, जिसकी बेटी की सरकारी अस्पताल में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देने के बाद पैदा हुई जटिलताओं के कारण मौत हो गई। बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और कहा कि भले ही एनेस्थेटिस्ट की ओर से कोई चिकित्सकीय लापरवाही न की गई हो, लेकिन सरकार की ओर से एक दायित्व मौजूद है कि अगर किसी मरीज को एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां वह मरीज प्रभावित होता है या उसे चोट आती है या उसकी मौत हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है। बेंच ने कहा कि, जब किसी मरीज को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उसे कोई चोट आती है या मृत्यु हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है,यहां तक की अगर यह घटना बिना किसी चिकित्सकीय लापरवाही के घटित होती है तो भी सरकार का दायित्व है कि वह प्रभावित पार्टी की मदद करे। मामले के तथ्य तत्काल मामले में, याचिकाकर्ता की बेटी, जिसकी उम्र 8 वर्ष थी, वह टॉन्सिल से पीड़ित थी और उसके उपचार के लिए अरुप्पुकोट्टई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।इलाज के लिए उसे सर्जरी प्रक्रिया से गुजरना था और उस प्रक्रिया में, उसे एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिया गया था। नतीजतन, कुछ जटिलताएं पैदा हुईं और उसे मदुरै के राजाजी सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया,जिसमें वह कोमा में चली गई और आखिरकार उसका निधन हो गया। कोर्ट का अवलोकन - एकल न्यायाधीश बेंच ने कहा कि काउंसलर द्वारा याचिकाकर्ता के लिए प्रस्तुत किया गया है कि उसकी सर्जरी करने से पहले उसे एनेस्थीसिया दिया गया। इसके बाद शरीर के अंदर अनेक जटिलताएं उत्पन्न हुईं और यह एनेस्थेटिस्ट की ओर से की गई लापरवाही के कारण हुआ। चिकित्सकीय लापरवाही को तथ्यात्मक निर्धारण की आवश्यकता बताते हुए,बेंच ने कहा कि बच्चे को जो दवा दी गई थी वह आंतरिक रूप से खतरनाक दवा नहीं थी, लेकिन इससे माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों वाले बच्चों के लिए जटिलताएं हो सकती हैं। हालांकि, यह नोट किया गया कि मृतक बच्चे को इस तरह की बीमारी होने का संकेत देने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं था, जिससे पता चले कि डॉक्टरों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया था। बेंच ने कहा कि,हमेशा ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं, जब कोई दवा रोगी को दी जाती है और दवा का असर शरीर पर सही से नहीं होता है तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। इसलिए, मुझे यह मानने के लिए कोई आधार नहीं मिला है कि प्रतिवादी एनेस्थेटिस्ट ने चिकित्सकीय लापरवाही का कोई भी कार्य किया है।हालांकि, भले ही अदालत ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप को खारिज कर दिया, लेकिन यह टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता एक अधिसूचित अनुसूचित जाति समुदाय का है और बच्चे को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।इस संदर्भ में, अदालत ने कहा कि, जब किसी मरीज को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उसे कोई चोट आती है या मृत्यु हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है, यहां तक की अगर यह घटना बिना किसी चिकित्सकीय लापरवाही के घटित होती है तो भी सरकार का दायित्व है कि वह प्रभावित पार्टी की मदद करे।कोर्ट ने कहा कि, तमिलनाडु सरकार ने एक कोष बनाया है, जिसमें प्रत्येक सरकारी डॉक्टर एक निश्चित धनराशि जमा करते हैं और तदनुसार, तत्काल आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर इस निधि से याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपया मुआवजे के रूप में देने के लिए निर्देशित किया जाता है।

*-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

मारपीट कर घायल अवस्था में किशोर को फेंका इलाज के दौरान हुई मौत

पातेपुर (वैशाली)संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स

पातेपुर के बलिगांव थाना क्षेत्र के खोआजपुर वस्ती पंचायत के पस्तारा चौभैया टोला में एक किशोर को घर से बुला कर कहीं अन्यत्र ले जाकर मारपीट करने के बाद घायलावस्था में किशोर को उसके घर के पास फेंक दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। फेके गए किशोर की इलाज के क्रम में पटना के किसी निजी नर्सिंग होम में  मौत हो गई। किशोर की मौत से परिजनों में कोहराम मच हुआ है । इस मामले में मृतक के भाई द्वारा दिये गए आवेदन के आलोक में तीन आरोपियों के विरुद्ध थाने में आवेदन देकर मामला दर्ज कराया गया है।

   मिली जानकारी के अनुसार बलिगांव थाना क्षेत्र के खोआजपुर वस्ती पंचायत के पस्तारा चौभैया टोला निवासी गेना प्रसाद यादव के पुत्र जितेंद्र कुमार द्वारा बलिगांव थाने की पुलिस को दिए आवेदन के अनुसार बीते 25 फरवरी की रात उसका भाई धर्मेन्द्र कुमार को उसके तीन दोस्त गांव के ही लखिन्द्र राय का पुत्र नीतीश कुमार तथा दशरथ राय के दो पुत्र धर्मेन्द्र कुमार एवं पंकज कुमार घर से बुलाकर कही ले गया था। जो कि देर रात तक घर वापस नही लौटा था। 26 फरवरी की सुबह बेहोशी की हालत में मेरा भाई धर्मेन्द्र कुमार घर के समीप ही पड़ा मिला। घर के लोगो द्वारा घायलावस्था में ही धर्मेन्द्र कुमार को परिजनों ने समस्तीपुर के किसी नर्सिंग होम में इलाज के लिए लेकर गए। जहां स्थिति की गंभीरता को  देखते हुए चिकित्सकों ने पटना रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान शनिवार की देर रात उसकी मौत हो गई। किशोर की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन के द्वारा शव का पोस्मार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। इस मामले मेंउक्त  तीनों आरोपियों के विरुद्ध हत्या का  मामला दर्ज कराई गई है।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमन्त्री केशव प्रसाद मौर्य की जीवन कुण्डली : पं. सुधांशु तिवारी के साथ


 अयोध्या टाइम्स ज्योतिषचार्य



उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने केशव प्रसाद  मौर्य भारतीय राजनीति के दक्षिण पंथी विचारधारा के तहत भारतीय जनता पार्टी से सम्बंधित हैं. ये भारतीय जनता पार्टी के बहुत जाने माने चेहरे हैं और उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष भी हैं. साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इन्होने उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव जीता. 11 जनवरी सन 2016 में पार्टी ने अपने 12 सदस्यों को इन पर बलिया में हमला करने की वजह से पार्टी से बर्खास्त कर दिया. इसके ठीक बाद दो अन्य बड़े नेताओं पर भी मामले दर्ज हुए। 

केशव प्रसाद मौर्य का जन्म और शिक्षा: केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में इलाहाबाद के कौशाम्बी जिले के एक छोटे से क्षेत्र सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. इनका बचपन बहुत कठिन था और इस वजह से इन्हें चाय और अखबार बेचना पड़ता था. इनके पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य है. इन्होने इलाहबाद के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढाई की है.

केशव प्रसाद मौर्य का व्यक्तिगत जीवन: केशव प्रसाद मौर्य हिन्दू धर्मं के कुशवाहा समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इनके पिता एक किसान थे. इनकी पत्नी का नाम राज कुमारी देवी मौर्य है और इनको तीन संतानों का आशीर्वाद मिला है. राजनीति के साथ साथ इनका अपना व्यापार भी है और ये जीवन ज्योति क्लिनिक और हस्पातल के निर्देशक और पार्टनर हैं।

केशव प्रसाद मौर्य का राजनैतिक करियर: केशव प्रसाद मौर्य हिंदुत्व की राजनीति के लिए मशहूर हैं. ये एक लम्बे समय तक विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े रहे. लगभग 18 साल तक इन्होने विश्व हिन्दू परिषद के लिए प्रचार किया. इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. एक अच्छा खासा समय इन दो संस्थाओं में गुजारने की वजह से उनकी राजनैतिक जड़ें मजबूत होती गयीं, जिससे इन्हें राजनीति में बहुत गहराई से उतरने में मदद मिली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होने राम जन्मभूमि आन्दोलन में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इन्होने अपनी राजनैतिक करियर की शुरुआत ‘गरीबी संघ और ओबीसी’ की सोच का रास्ता अपनाकर की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर इन्होंने इस संस्था को और भी मजबूत किया. यद्यपि केशव प्रसाद मौर्या की पहचान कौशाम्बी के बाहर बहुत अधिक नहीं है, लेकिन इनका हिंदुत्व इमेज कई हिदू संस्थाओं में बहुत अच्छे से जाना जाता है. अपने शुरूआती करियर के दौरान ये बजरंग दल से भी जुड़े थे, और नगर कार्यवाह के पद पर काम कर रहे थे. गो- रक्षा आन्दोलन में भी इन्होने बहुत बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया, और साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा के पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया.

लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के साथ इनकी सक्रीय राजनीति की शुरुआत हुई थी. ये हार इन्हें सन 2002 और सन 2007 में मिली, इसके बाद सन 2014 में मोदी लहर में जब कई छिट- पुट नेताओं का बेड़ा पार लग रहा था. उसी समय इस लहर ने इनका भी बेड़ा पार लगा दिया और इस लोकसभा चुनाव में इन्हें जीत मिली. उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में कुशवाहा जाति फैली हुई है और स्थान परिवर्तन के साथ इनका उपनाम भी बदलता है. कई जगहों पर ये सैनी और सख्य के उपनाम से भी जाने जाते हैं. बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ने की वजह ये भी थी, कि बीजेपी में ओबीसी नेता तो कई थे मगर कुशवाहा के मौर्य जाति का कोई नेता नहीं था. मौर्य जाति की एक बहुत बड़ी संख्या उत्तरप्रदेश में होने की वजह से ये समय पर जातिगत राजनीति के बहुत काम आ सकते थे. बसपा और सपा की राजनीति का एक तोड़ यहाँ से भी निकलते देखा जा सकता है. 8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तरप्रदेश राज्य का पार्टी प्रमुख चुना. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है. इन्हें पता था कि उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा जीतने की खास हालत में नहीं है, और यदि ऐसी परिस्थिति में भाजपा से एक ऐसे नता को चुना जाए, जो पिछड़ी जाति का हो और साथ में हिंदुत्व के नाम पर पड़ने वाले वोटों को भी सुरक्षित रखे ऐसी दशा में केशव प्रसाद मौर्य पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम् भूमिका में देखा गया और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है.

केशव प्रसाद मौर्य विवाद में 

कट्टरपंथी राजनीति करने की वजह से इन्हें कई बार विवादों के घेरे में आना पड़ा. सन 2011 में इन पर इनके तीन साथियों के साथ एक गरीब किसान घुलाम गौस अलियास चंद खान की हत्या का आरोप लगा है. 21 मई 2015 में इन्हें बरी कर दिया गया और मृतक किसान के बड़े भाई  ने कहा कि वो अब इस केस को बंद कर देना चाहते हैं, क्योंकि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है और वो मौर्य के साथ दुश्मनी नहीं झेल पायेंगे, और अगर ये दुश्मनी तब हो जब वे उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रमुख हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय एफिडेविट पर उन्होंने दस प-पेंडिंग पड़े केसेस का जिक्र किया था. मौर्य के अनुसार ये सारे मामले उनपर उनसे राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए उनके प्रतिद्वंदियों ने दर्ज कराया है. इन मामलों में उनपर दंगे भड़काने का, अपराध सम्बन्धी सज्जिश रचने का, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने आदि के विरोध में केस दर्ज हैं.

केशव प्रसाद मौर्य की उपलब्धियां  ः सन 2012 से सन 2014 तक इन्होने विधायक के तौर पर काम किया. इसके साथ 16 मई सन 2014 में इन्होने लोकसभा चुनाव को बहुत बड़े वोटिंग मार्जिन से जीत कर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की. आप का भविष्य उज्जवल हो व राजनैतिक जीवन में अनेक उचांई तक पहुँचो शेष शुभ हो श्री राम चन्द्र जी से यही कमाना।



पंडित सुधांशु तिवारी - ज्योतिष चार्य- दैनिक अयोध्या टाइम्स

Sunday, February 28, 2021

ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान का जिला स्तरीय बैठक आयोजित

वैशाली(बिहार)जिला संवाददाता,दैनिक अयोध्या टाइम्स।

महुआ के लोहसारी रोड स्थित कार्यालय पर ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान द्वारा जिला स्तरीय कमिटी की बैठक रविवार को हुई। बैठक की अध्यक्षता ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष राजीव कुमार व संचालन जिला संयोजक कुणाल कौशल द्वारा किया गया। उपस्थित जिले के सभी प्रखंड एवं अनुमंडल संयोजक को ग्रामीण चिकित्सा कल्याण विकास संस्थान के सचिव सह निदेशक सुरेन्द्र कुमार ने संगठन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया एवं टीबी रोग मुक्त जिला बनाने में सरकारी पदाधिकारी मिल कर सहयोग करेंगे इस बात कि भी जानकारी दी। बैठक में मुख्य रूप से महुआ संयोजक कंचन कुमारी,भगवानपुर संयोजक मनोज महाराज, हाजीपुर संयोजक डॉ राज किशोर सिंह, हाजीपुर अनुमंडल संयोजक मनोज कुमार,वैशाली संयोजक रंजीत कुमार,बिदुपुर संयोजक शिव शंकर पासवान,देसरी संयोजक अरुण साह,चेहरा कलां संयोजक अरुण कुमार,जिला उपाधयक्ष बबलू कुमार, समस्तीपुर जिला प्रभारी अशोक कुमार उपस्थित थे।