Friday, September 30, 2022

मां दुर्गा की मूर्ति के शेर द्वारा दूध पीने का मामला कौतूहल का विषय बना

 मां दुर्गा की मूर्ति के शेर द्वारा दूध पीने का मामला कौतूहल का विषय बना है।


जलालाबाद शामली रिपोर्टर फैसल मलिक तहसील संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स जनपद शामली।



 वीडियो सोशल मीडिया में खूब शेयर की जा रही है। जिसमें कुछ महिलाएं मां दुर्गा की मिट्टी से बनी मूर्ति के शेर को चम्मच से दूध पिलाती दिख रही हैं। वीडियो में कहा जा रहा है कि मां दुर्गा का शेर दूध पी रहा है जब यह खबर गांव में फैली तो गांव की महिलाएं शेर को दूध पिलाने के लिए पहुंचने लगी। मामला जनपद शामली के थानाभवन क्षेत्र के गांव मादलपुर का है मादलपुर में अमित पुत्र तेजा कश्यप के यहां देखने को मिला की अमित के परिवार ने नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजन किया अमित ने बताया कि उनकी बेटी रिया जब भोग लगा रही थी तो उसने चम्मच से दूध लेकर दुर्गा मां की मूर्ति के शेर के मुंह पर लगा दी देखते-देखते चम्मच खाली हो गई जबकि दूध की एक बूंद भी बाहर नहीं गिरी। रिया ने परिवार को इस बारे में बताया तो परिवार के लोग भी चम्मच से शेर की मूर्ति को दूध पिलाने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे खबर पूरे गांव में फैल गई तो लोगों की भीड़ बढ़ने लगी अब वीडियो खूब सोशल मीडिया में शेयर की जा रही है। वह इस मामले में एक्सपर्ट से फोन पर बात की गई तो उनका कहना है कि मिट्टी की प्रकृति नमी को सोखने की होती है जब मिट्टी की मूर्ति को कोई द्रव्य लगाया जाता है तो वह उसे सोख लेता है। यह वैज्ञानिक तथ्य हैं इसमें चमत्कार जैसा कुछ भी नहीं। लोगों को यह समझना चाहिए लेकिन भारत में इस तरह की चमत्कारी घटनाओं की वीडियो अक्सर सामने आती रहती हैं। अब इसे  चमत्कार कहे या भ्रम लेकिन लोगों में यह वीडियो कोतूहल का विषय बनी है।

Wednesday, September 28, 2022

पानी में डूबे व्यक्ति का ईलाज

 अगर कभी कोई पानी में डूब के मर जाये और उसका शरीर 3 से 4 घंटे में मिल जाये तो उसकी जिंदगी वापस ला सकता हूँ।अगर कभी किसी को ऐसी दूर्घटना दिखे या सुनाई दे तो तुरंत हमे बताये।।। किसी की जान बच सकती है।। 

प्रशान्त त्रिपाठी

 ़919454311111 और

 ़919335673001 है

आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये।

किसी एक की भी जान बचा सका तो अपना जीवन सफल महसूस करूँगा।।धन्यवाद

पानी में डूबे व्यक्ति का ईलाज 

डेढ़ क्विंटल डले वाला खड़ा नमक को बिस्तर जैसा बिछाकर मरीज को उस पर कपड़े कम करके लेटा दें । नमक धीरे धीरे शरीर से पानी सोख लेगा ।  मरीज के होश आने पर अस्पताल ले जाये । इससे पहले आप अस्पताल ले गये हो और डाँक्टर ने मृत घोषित कर दिया तो आप नमक वाला उपचार करें प्रभु कृपा से खुशी की लहर फैल जायेगी । 

डाँक्टर के मृत घोषित करने पर 

दाह संस्कार करने में जल्दी ना करें ।

जल्दी से जल्दी नमक का उपचार करने के लिये -



मरीज को किसी कार जीप से शहर में ले जायें जहाँ नमक की बोरिया रात में भी बाहर ही पड़ी रहती है उन्हें खाली करके मरीज को जल्दी से सुला दें । 

दुकानदार का हिराब बाद में सुबह या दिन में भी किया जा सकता है ।

नोटरू- डूबे हुए जितना कम समय हुआ होगा उतना जल्दी व्यक्ति के होश में आने की सम्भावना होती है । अतः हर कार्य युद्य स्तर से करें ।

कुछ लोग नमक लेने पहले से ही चलें जायें तो परिणाम शीघ्र मिलेगा ।

के. सी. रूपरा 

नारायणगढ़ ,मन्दसौर म. प्र. 


बिना पढ़ी लिखी पायलट

हमीरपुर जिले के बदनपुर गांव की रुफूलमती बुंदेलखंड की धरती पर वह कर रही हैं, जिसे देखकर पुरुष भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इतनी पढ़ी लिखी तो हैं नहीं कि पायलट बन सकें, लेकिन ऊपर वाले ने बाजुओं में वो ताकत जरूर दी है कि अपने पौरुष से सम्मानपूर्वक परिवार का पालन-पोषण कर सकें। 



पति नशेबाज व अकर्मण्य निकला तो वह प्रतिदिन हमीरपुर से बदनपुर के बीच रिक्शा चलाकर सवारियां ढोती हैं।और अपने बच्चो का पालन पोषण करती है

फूलमती देवी उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणाश्रोत है जो अपने पति की नशे की आदत से तंग आकर गलत कदम उठा लेती है 

प्रणाम इस महान महिला  को जो मेहनत करके पैसा कमा रही है। ईश्वर इन पर जल्दी कृपा करे ......!!

 

गोबर गणेश

गणेश विसर्जन (गोबर गणेश) 

यह यथार्थ है कि जितने लोग भी गणेश विसर्जन करते हैं उन्हें यह बिल्कुल पता नहीं होगा कि यह गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है और इसका क्या लाभ है ?? 

हमारे देश में हिंदुओं की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि देखा देखी में एक परंपरा चल पड़ती है जिसके पीछे का मर्म कोई नहीं जानता लेकिन भयवश वह चलती रहती है 



आज जिस तरह गणेश जी की प्रतिमा के साथ दुराचार होता है , उसको देख कर अपने हिन्दू मतावलंबियों पर बहुत ही ज्यादा तरस आता है और दुःख भी होता है 


शास्त्रों में एकमात्र गौ के गोबर से बने हुए गणेश जी या मिट्टी से बने हुए गणेश जी की मूर्ति के विसर्जन का ही विधान है 


गोबर से गणेश एकमात्र प्रतीकात्मक है माता पार्वती द्वारा अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को उत्पन्न करने का 


चूंकि गाय का गोबर हमारे शास्त्रों में पवित्र माना गया है इसीलिए गणेश जी का आह्वाहन गोबर की प्रतिमा बनाकर ही किया जाता है 


इसीलिए एक शब्द प्रचलन में चल पड़ा = ष्गोबर गणेशष् 


इसिलिए पूजा , यज्ञ , हवन इत्यादि करते समय गोबर के गणेश का ही विधान है जिसको बाद में नदी या पवित्र सरोवर या जलाशय में प्रवाहित करने का विधान बनाया गया 


अब आईये समझते हैं कि गणेश जी के विसर्जन का क्या कारण है ?


भगवान वेदव्यास  ने जब शास्त्रों की रचना प्रारम्भ की तो भगवान ने प्रेरणा कर प्रथम पूज्य बुद्धि निधान श्री गणेश जी को वेदव्यास जी की सहायता के लिए गणेश चतुर्थी के दिन भेजा 


वेदव्यास जी ने गणेश जी का आदर सत्कार किया और उन्हें एक आसन पर स्थापित एवं विराजमान किया 


( जैसा कि आज लोग गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की प्रतिमा को अपने घर लाते हैं ) 


वेदव्यास जी ने इसी दिन महाभारत की रचना प्रारम्भ की या ष्श्री गणेशष् किया 


वेदव्यास जी बोलते जाते थे और गणेश जी उसको लिपिबद्ध करते जाते थे लगातार दस दिन तक लिखने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इसका उपसंहार हुआ 


भगवान की लीलाओं और गीता के रस पान करते करते गणेश जी को अष्टसात्विक भाव का आवेग हो चला था जिससे उनका पूरा शरीर गर्म हो गया था और गणेश जी अपनी स्थिति में नहीं थे 


गणेश जी के शरीर की ऊष्मा का निष्कीलन या उनके शरीर की गर्मी को शांत करने के लिए वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर गीली मिट्टी का लेप किया इसके बाद उन्होंने गणेश जी को जलाशय में स्नान करवाया , जिसे विसर्जन का नाम दिया गया 


बाल गंगाधर तिलक जी ने अच्छे उद्देश्य से यह शुरू करवाया पर उन्हें यह नहीं पता था कि इसका भविष्य बिगड़ जाएगा 


गणेश जी को घर में लाने तक तो बहुत अच्छा है , परंतु विसर्जन के दिन उनकी प्रतिमा के साथ जो दुर्गति होती है वह असहनीय बन जाती है 


आजकल गणेश जी की प्रतिमा गोबर की न बना कर लोग अपने रुतबे , पैसे , दिखावे और अखबार में नाम छापने से बनाते हैं 


जिसके जितने बड़े गणेश जी , उसकी उतनी बड़ी ख्याति , उसके पंडाल में उतने ही बड़े लोग , और चढ़ावे का तांता

इसके बाद यश और नाम अखबारों में अलग 


सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब पब्लिक को आकर्षित करने के लिए लोग डीजे पर फिल्मी अश्लील गाने और नचनियाँ को नचवाते हैं 


आप विचार करके हृदय पर हाथ रखकर बतायें कि क्या यही उद्देश्य है गणेश चतुर्थी या अनंत चतुर्दशी का ?? क्या गणेश जी का यह सम्मान है ?? 


इसके बाद विसर्जन के दिन बड़े ही अभद्र तरीके से प्रतिमा की दुर्गति की जाती है 


वेदव्यास जी का तो एक कारण था विसर्जन करने का लेकिन हम लोग क्यों करते हैं यह बुद्धि से परे है 


क्या हम भी वेदव्यास जी के समकक्ष हो गए ??? क्या हमने भी गणेश जी से कुछ लिखवाया ? 


क्या हम गणेश जी के अष्टसात्विक भाव को शांत करने की हैसियत रखते हैं ??


गोबर गणेश मात्र अंगुष्ठ के बराबर बनाया जाता है और होना चाहिए , इससे बड़ी प्रतिमा या अन्य पदार्थ से बनी प्रतिमा के विसर्जन का शास्त्रों में निषेध है 


और एक बात और गणेश जी का विसर्जन बिल्कुल शास्त्रीय नहीं है 


यह मात्र अपने स्वांत सुखाय के लिए बिना इसके पीछे का मर्म, अर्थ और अभिप्राय समझे लोगों ने बना दिया 


एकमात्र हवन , यज्ञ , अग्निहोत्र के समय बनने वाले गोबर गणेश का ही विसर्जन शास्त्रीय विधान के अंतर्गत आता है 

प्लास्टर ऑफ पैरिस से बने , चॉकलेट से बने , केमिकल पेंट, से बने गणेश प्रतिमा का विसर्जन एकमात्र अपने भविष्य और उन्नति के विसर्जन का मार्ग है 


इससे केवल प्रकृति के वातावरण , जलाशय , जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र , भूमि , हवा , मृदा इत्यादि को नुकसान पहुँचता है 


इस गणेश विसर्जन से किसी को एक अंश भी लाभ नहीं होने वाला 


हाँ बाजारीकरण , सेल्फी पुरुष , सेल्फी स्त्रियों को अवश्य लाभ मिलता है लेकिन इससे आत्मिक उन्नति कभी नहीं मिलेगी


इसीलिए गणेश विसर्जन को रोकना ही एकमात्र शास्त्र अनुरूप है 


चलिए माना कि आप अज्ञानतावश डर रहे हैं कि इतनी प्रख्यात परंपरा हम कैसे तोड़ दें तो करिए विसर्जन  लेकिन गोबर के गणेश को बनाकर विसर्जन करिए और उनकी प्रतिमा 1 अंगुष्ठ से बड़ी नहीं होनी चाहिए 

 

मुझे पता है मेरे इस पोस्ट से कुछ कट्टर झट्टर बनने वालों को ठेस लगेगी और वह मुझे हिन्दू विरोधी घोषित कर देंगे 


बाकी का - सोई करहुँ जो तोहीं सुहाई 


तस्वीर मे जो मुर्तियों की दुर्दशा दिख रही है ये हर साल होती है 

इस साल भी आज से दुर्दशा चालू हो चुकी है।


छात्रों को डिजिटल साक्षरता के बारे में जानने की आवश्यकता क्यों

विजय गर्ग

डिजिटल साक्षरता छात्रों को यह जानने में मदद करती है कि इंटरनेट का सुरक्षित और जिम्मेदारी से उपयोग कैसे करें
युवा कई प्रकार के तकनीकी उपकरणों का उपयोग करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डिजिटल साक्षरता के बारे में जानते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डिजिटल साक्षरता को "व्यक्तियों और समुदायों की जीवन स्थितियों में सार्थक कार्यों के लिए डिजिटल तकनीकों को समझने और उपयोग करने की क्षमता" के रूप में परिभाषित करता है। महामारी जिस गति से विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक को अपना रही है, उसे देखते हुए छात्रों को इसे सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपयोग करने के बारे में जानने की जरूरत है। कई युवा कई प्रकार के तकनीकी उपकरणों का उपयोग करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे सीखने के लिए एक ही उपकरण का उपयोग करते हैं। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे छात्रों को डिजिटल साक्षरता के बारे में पढ़ाया जा सकता है:


ऑनलाइन सामग्री के लिए महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देना: इंटरनेट सभी प्रकार की सूचनाओं के साथ एक विशाल संसाधन है, जिसकी सभी छात्रों तक आसानी से पहुंच है। इसलिए, वे नकली समाचार और गलत सूचना के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। कई स्रोतों से जानकारी की तुलना करने के बाद छात्रों को प्रश्न पूछने और उत्तरों को अंतिम रूप देने के लिए प्रोत्साहित करें।


सीखने के लिए सोशल मीडिया: अधिकांश छात्र सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और इसका इस्तेमाल करने में माहिर हैं। उन्हें इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल रिसर्च पोल करने के लिए किया जा सकता है और फेसबुक और लिंक्डइन का इस्तेमाल साथियों से जुड़ने के लिए किया जा सकता है।

साहित्यिक चोरी से बचना: छात्र अक्सर मूल कार्य को उचित श्रेय दिए बिना एक उद्धरण या एक पैराग्राफ का हवाला देते हैं। उन्हें मूल लेखक को जानकारी का श्रेय देकर उद्धरणों, उद्धरणों का उपयोग करने और उनके उत्तरों का समर्थन करने का सही तरीका सिखाया जाना चाहिए।

इंटरनेट सुरक्षा सिखाएं: व्यक्तिगत या संवेदनशील जानकारी चोरी होने के साथ, छात्रों को एक मजबूत पासवर्ड रखने की आवश्यकता, सार्वजनिक नेटवर्क का उपयोग करते समय क्या करना है, फ़िशिंग क्या है, और बहुत कुछ पता होना चाहिए। इंटरनेट चोरी एक गंभीर मुद्दा है और डिजिटल साक्षरता इसका मुकाबला करने में मदद कर सकती है।


खोज इंजन का प्रभावी उपयोग: छात्रों को यह सिखाया जाना चाहिए कि उनके प्रश्नों के लिए प्रासंगिक परिणाम कैसे प्राप्त करें। दो खोज क्वेरी के बीच "OR" का उपयोग करने जैसी तकनीक परिणामों को जोड़ सकती है। एक वेब पते के सामने एक "संबंधित" अन्य समान साइटों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

डिजिटल विकर्षणों का प्रबंधन: लगातार डिजिटल उपकरणों के आसपास रहने से व्यक्ति दूर और थका हुआ महसूस कर सकता है। डिजिटल साक्षरता छात्रों को व्याकुलता-प्रबंधन तकनीक सीखने में मदद कर सकती है जैसे कि कई ब्रेक लेना और पढ़ते समय सूचनाओं को म्यूट करना।

यह सब वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से सिखाया जाना चाहिए ताकि इसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सके और छात्रों को उनके शैक्षणिक और पेशेवर जीवन में मदद मिल सके।

विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्राध्यापक शैक्षिक स्तंभकार मलोट पंजाब

शिवलिंग कोई साधारण (मूर्त्ति) नहीं है पूरा विज्ञान है!

 शिवलिंग कोई साधारण (मूर्त्ति) नहीं है पूरा विज्ञान है!


शिवलिंग में विराजते हैं तीनों देव:-

सबसे निचला हिस्सा जो नीचे टिका होता है वह ब्रह्म है, दूसरा बीच का हिस्सा वह भगवान विष्णु का प्रतिरूप और तीसरा शीर्ष सबसे ऊपर जिसकी पूजा की जाती है वह देवाधिदेव महादेव का प्रतीक है, शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है तथा अन्य मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का निचला नाली नुमा भाग माता पार्वती को समर्पित तथा प्रतीक के रूप में पूजनीय है... अर्थात शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है। अन्य मान्यता के अनुसार, शिवलिंग का निचला हिस्सा स्त्री और ऊपरी हिस्सा पुरुष का प्रतीक होता है। अर्थता इसमें शिव और शक्ति, एक साथ में वास करते हैं।

शिवलिंग का अर्थ:-



शास्त्रों के अनुसार 'लिंगम' शब्द 'लिया' और 'गम्य' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ 'शुरुआत' व 'अंत' होता है। तमाम हिंदू धर्म के ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया गया है कि शिव जी से ही ब्रह्मांड का प्राकट्य हुआ है और एक दिन सब उन्हीं में ही मिल जाएगा।

शिवलिंग में विराजते त्रिदेव:-

हम में लगभग लोग यही जानते हैं कि शिवलिंग में शिव जी का वास है। परंतु क्या आप जानते हैं इसमें तीनों देवताओं का वास है। कहा जाता है शिवलिंग को तीन भागों में बांटा जा सकता है। सबसे निचला हिस्सा जो नीचे टिका होता है, दूसरा बीच का हिस्सा और तीसरा शीर्ष सबसे ऊपर जिसकी पूजा की जाती है।

निचला हिस्सा ब्रह्मा जी (सृष्टि के रचयिता), मध्य भाग विष्णु (सृष्टि के पालनहार) और ऊपरी भाग भगवान शिव (सृष्टि के विनाशक) हैं। अर्थात शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है। तो वहीं अन्य मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का निचला हिस्सा स्त्री और ऊपरी हिस्सा पुरुष का प्रतीक होता है। अर्थता इसमें शिव-शक्ति, एक साथ वास करते हैं।

शिवलिंग की अंडाकार संरचना:-

कहा जाता है शिवलिंग के अंडाकार के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, दोनों कारण है। अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिव ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं। अर्थात शिव ही वो बीज हैं, जिससे पूरा संसार उपजा है। इसलिए कहा जाता है यही कारण है कि शिवलिंग का आकार अंडे जैसा है। वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से बात करें तो 'बिग बैंग थ्योरी' कहती है कि ब्रह्मांड का निमार्ण अंडे जैसे छोटे कण से हुआ है। 

एक जमाना था.. वो बचपन हर गम से बेगाना था

हमारा भी एक जमाना था...
हमें खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल, बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था।
🤪पास/ फैल यानि नापास यही हमको मालूम था... परसेंटेज % से हमारा कभी संबंध ही नहीं रहा।
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था।
🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं, ऐसी हमारी धारणाएं थी।
☺️ कपड़े की थैली में बस्तों में और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में किताब, कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी।
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम लगभग एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था। 
🤗  साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम।
🤪 हमारे माताजी/ पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ है ऐसा कभी लगा ही नहीं। 
😞  किसी दोस्त के साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी।इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे।


🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना,पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना,और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था।
🧐😝घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनिक जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी।
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे। मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला है इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए😀......

😜बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है।

😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने भी दी नहीं.....इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं। साल में कभी-कभार एक आद बार मैले में जलेबी खाने को मिल जाती थी तो बहुत होता था उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे।
छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे।
दिवाली में लिए गये पटाखों की लड़ को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा।

😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था।
😌आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं क्या पता
स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है।वह दोस्त कहां खो गए वह बेर वाली कहां खो गई....वह चूरन बेचने वाला कहां खो गया...पता नहीं।

😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है।

🙃 कपड़ों में सिलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन क्या था हमें अच्छे से मालूम ही नहीं...हम अपने नसीब को दोष नहीं देते जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है जो जीवन हमने जिया उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती।

😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम पर हमारा भी एक जमाना था। वो बचपन हर गम से बेगाना था।

Thursday, August 4, 2022

हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी



"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*

*ॐ . किसको किसने सुनाई?*
*उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।* 

*ॐ . कब सुनाई?*
*उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।*

*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*
*उ.- रविवार के दिन।*

*ॐ. कोनसी तिथि को?*
*उ.- एकादशी* 

*ॐ. कहा सुनाई?*
*उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।*

*ॐ. कितनी देर में सुनाई?*
*उ.- लगभग 45 मिनट में*

*ॐ. क्यू सुनाई?*
*उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।*

*ॐ. कितने अध्याय है?*
*उ.- कुल 18 अध्याय*

*ॐ. कितने श्लोक है?*
*उ.- 700 श्लोक*

*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*
*उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।* 

*ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा* 
*और किन किन लोगो ने सुना?*
*उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने*

*ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*
*उ.- भगवान सूर्यदेव को*

*ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?*
*उ.- उपनिषदों में*

*ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*
*उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।*

*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?*
*उ.- गीतोपनिषद*

*ॐ. गीता का सार क्या है?*
*उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना*

*ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?*
*उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574*
*अर्जुन ने- 85* 
*धृतराष्ट्र ने- 1*
*संजय ने- 40.*

*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद*

*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*

*33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू*
*धर्म मेँ।*

*कोटि = प्रकार।* 
*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,*

*कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।*

*हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...*

*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे 😘

*12 प्रकार हैँ*
*आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,*
*शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,*
*सविता, तवास्था, और विष्णु...!*

*8 प्रकार हे 😘
*वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।*

*11 प्रकार है :-* 
*रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,*
*अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,*
*रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।*

*एवँ*
*दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।*

*कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी* 

*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*
*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*
*लोगो तक पहुचाएं। ।*

*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

*१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है*

*अब आपकी बारी है कि इस जानकारी*
 *को आगे बढ़ाएँ ......*

*अपनी भारत की संस्कृति* 
*को पहचाने.*
*ज्यादा से ज्यादा*
*लोगो तक पहुचाये.* 
*खासकर अपने बच्चो को बताए* 
*क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं* *बताएगा...*

*📜😇  दो पक्ष-*

*कृष्ण पक्ष ,* 
*शुक्ल पक्ष !*

*📜😇  तीन ऋण -*

*देव ऋण ,* 
*पितृ ऋण ,* 
*ऋषि ऋण !*

*📜😇   चार युग -*

*सतयुग ,* 
*त्रेतायुग ,*
*द्वापरयुग ,* 
*कलियुग !*

*📜😇  चार धाम -*

*द्वारिका ,* 
*बद्रीनाथ ,*
*जगन्नाथ पुरी ,* 
*रामेश्वरम धाम !*

*📜😇   चारपीठ -*

*शारदा पीठ ( द्वारिका )*
*ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )* 
*गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,* 
*शृंगेरीपीठ !*

*📜😇 चार वेद-*

*ऋग्वेद ,* 
*अथर्वेद ,* 
*यजुर्वेद ,* 
*सामवेद !*

*📜😇  चार आश्रम -*

*ब्रह्मचर्य ,* 
*गृहस्थ ,* 
*वानप्रस्थ ,* 
*संन्यास !*

*📜😇 चार अंतःकरण -*

*मन ,* 
*बुद्धि ,* 
*चित्त ,* 
*अहंकार !*

*📜😇  पञ्च गव्य -*

*गाय का घी ,* 
*दूध ,* 
*दही ,*
*गोमूत्र ,* 
*गोबर !*

*📜😇  पञ्च देव -*

*गणेश ,* 
*विष्णु ,* 
*शिव ,* 
*देवी ,*
*सूर्य !*

*📜😇 पंच तत्त्व -*

*पृथ्वी ,*
*जल ,* 
*अग्नि ,* 
*वायु ,* 
*आकाश !*

*📜😇  छह दर्शन -*

*वैशेषिक ,* 
*न्याय ,* 
*सांख्य ,*
*योग ,* 
*पूर्व मिसांसा ,* 
*दक्षिण मिसांसा !*

*📜😇  सप्त ऋषि -*

*विश्वामित्र ,*
*जमदाग्नि ,*
*भरद्वाज ,* 
*गौतम ,* 
*अत्री ,* 
*वशिष्ठ और कश्यप!* 

*📜😇  सप्त पुरी -*

*अयोध्या पुरी ,*
*मथुरा पुरी ,* 
*माया पुरी ( हरिद्वार ) ,* 
*काशी ,*
*कांची* 
*( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,* 
*अवंतिका और* 
*द्वारिका पुरी !*

*📜😊  आठ योग -* 

*यम ,* 
*नियम ,* 
*आसन ,*
*प्राणायाम ,* 
*प्रत्याहार ,* 
*धारणा ,* 
*ध्यान एवं* 
*समाधि !*

*📜😇 आठ लक्ष्मी -*

*आग्घ ,* 
*विद्या ,* 
*सौभाग्य ,*
*अमृत ,* 
*काम ,* 
*सत्य ,* 
*भोग ,एवं* 
*योग लक्ष्मी !*

*📜😇 नव दुर्गा --*

*शैल पुत्री ,* 
*ब्रह्मचारिणी ,*
*चंद्रघंटा ,* 
*कुष्मांडा ,* 
*स्कंदमाता ,* 
*कात्यायिनी ,*
*कालरात्रि ,* 
*महागौरी एवं* 
*सिद्धिदात्री !*

*📜😇   दस दिशाएं -*

*पूर्व ,* 
*पश्चिम ,* 
*उत्तर ,* 
*दक्षिण ,*
*ईशान ,* 
*नैऋत्य ,* 
*वायव्य ,* 
*अग्नि* 
*आकाश एवं* 
*पाताल !*

*📜😇  मुख्य ११ अवतार -*

 *मत्स्य ,* 
*कच्छप ,* 
*वराह ,*
*नरसिंह ,* 
*वामन ,* 
*परशुराम ,*
*श्री राम ,* 
*कृष्ण ,* 
*बलराम ,* 
*बुद्ध ,* 
*एवं कल्कि !*

*📜😇 बारह मास -* 

*चैत्र ,* 
*वैशाख ,* 
*ज्येष्ठ ,*
*अषाढ ,* 
*श्रावण ,* 
*भाद्रपद ,* 
*अश्विन ,* 
*कार्तिक ,*
*मार्गशीर्ष ,* 
*पौष ,* 
*माघ ,* 
*फागुन !*

*📜😇  बारह राशी -* 

*मेष ,* 
*वृषभ ,* 
*मिथुन ,*
*कर्क ,* 
*सिंह ,* 
*कन्या ,* 
*तुला ,* 
*वृश्चिक ,* 
*धनु ,* 
*मकर ,* 
*कुंभ ,*
*मीन!*

*📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -* 

*सोमनाथ ,*
*मल्लिकार्जुन ,*
*महाकाल ,* 
*ओमकारेश्वर ,* 
*बैजनाथ ,* 
*रामेश्वरम ,*
*विश्वनाथ ,* 
*त्र्यंबकेश्वर ,* 
*केदारनाथ ,* 
*घुष्नेश्वर ,*
*भीमाशंकर ,*
*नागेश्वर !*

*📜😇 पंद्रह तिथियाँ -*

*प्रतिपदा ,*
*द्वितीय ,*
*तृतीय ,*
*चतुर्थी ,* 
*पंचमी ,* 
*षष्ठी ,* 
*सप्तमी ,* 
*अष्टमी ,* 
*नवमी ,*
*दशमी ,* 
*एकादशी ,* 
*द्वादशी ,* 
*त्रयोदशी ,* 
*चतुर्दशी ,* 
*पूर्णिमा ,* 
*अमावास्या !*

*📜😇 स्मृतियां -* 

*मनु ,* 
*विष्णु ,* 
*अत्री ,* 
*हारीत ,*
*याज्ञवल्क्य ,*
*उशना ,* 
*अंगीरा ,* 
*यम ,* 
*आपस्तम्ब ,* 
*सर्वत ,*
*कात्यायन ,* 
*ब्रहस्पति ,* 
*पराशर ,* 
*व्यास ,* 
*शांख्य ,*
*लिखित ,* 
*दक्ष ,* 
*शातातप ,* 
*वशिष्ठ !*

हिन्दू धर्म की 10 महत्वपूर्ण बातें ........

१...10 ध्वनियां :  1.घंटी, 2.शंख, 3.बांसुरी, 4.वीणा, 5. मंजीरा, 6.करतल, 7.बीन (पुंगी), 8.ढोल, 9.नगाड़ा और 10.मृदंग

२,,,,10 कर्तव्य:- 1. संध्यावंदन, 2. व्रत, 3. तीर्थ, 4. उत्सव, 5. दान, 6. सेवा 7. संस्कार, 8. यज्ञ, 9. वेदपाठ, 10. धर्म प्रचार। आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से।

३,,,,10 दिशाएं : दिशाएं 10 होती हैं जिनके नाम और क्रम इस प्रकार हैं- उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। एक मध्य दिशा भी होती है। इस तरह कुल मिलाकर 11 दिशाएं हुईं।

४....10 दिग्पाल : 10 दिशाओं के 10 दिग्पाल अर्थात द्वारपाल होते हैं या देवता होते हैं। उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।

५.….10 देवीय आत्मा : 1.कामधेनु गाय, 2.गरुढ़, 3.संपाति-जटायु, 4.उच्चै:श्रवा अश्व, 5.ऐरावत हाथी, 6.शेषनाग-वासुकि, 7.रीझ मानव, 8.वानर मानव, 9.येति, 10.मकर।

६.....10 देवीय वस्तुएं : 1.कल्पवृक्ष, 2.अक्षयपात्र, 3.कर्ण के कवच कुंडल, 4.दिव्य धनुष और तरकश, 5.पारस मणि, 6.अश्वत्थामा की मणि, 7.स्यंमतक मणि, 8.पांचजन्य शंख, 9.कौस्तुभ मणि और संजीवनी बूटी।

७....10 पवित्र पेय : 1.चरणामृत, 2.पंचामृत, 3.पंचगव्य, 4.सोमरस, 5.अमृत, 6.तुलसी रस, 7.खीर, 9.आंवला रस

८....10 महाविद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4. भुवनेश्‍वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।

९....10 उत्सव : नवसंवत्सर, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, पोंगल, होली, दीपावली, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्‍टमी, महाशिवरात्री और नवरात्रि।

१०...10 बाल पुस्तकें : 1.पंचतंत्र, 2.हितोपदेश, 3.जातक कथाएं, 4.उपनिषद कथाएं, 5.वेताल पच्चिसी, 6.कथासरित्सागर, 7.सिंहासन बत्तीसी, 8.तेनालीराम, 9.शुकसप्तति, 10.बाल कहानी संग्रह।

११....10 पूजा : गंगा दशहरा, आंवला नवमी पूजा, वट सावित्री, तुलसी विवाह पूजा, शीतलाष्टमी, गोवर्धन पूजा, हरतालिका तिज, दुर्गा पूजा, भैरव पूजा और छठ पूजा।

१२...10 धार्मिक स्थल : 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, 4 धाम, 7 पुरी, 7 नगरी, 4 मठ, आश्रम, 10 समाधि स्थल, 5 सरोवर, 10 पर्वत और 10 गुफाएं।

१३..10 पूजा के फूल : आंकड़ा, गेंदा, पारिजात, चंपा, कमल, गुलाब, चमेली, गुड़हल, कनेर, और रजनीगंधा।

१४...10 धार्मिक सुगंध : गुग्गुल, चंदन, गुलाब, केसर, कर्पूर, अष्टगंथ, गुढ़-घी, समिधा, मेहंदी, चमेली।

१५...10 यम-नियम :1.अहिंसा, 2.सत्य, 3.अस्तेय 4.ब्रह्मचर्य और 5.अपरिग्रह। 6.शौच 7.संतोष, 8.तप, 9.स्वाध्याय और 10.ईश्वर-प्रणिधान।

१६...10 सिद्धांत : 
1.एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्‍वर है दूसरा नहीं), 2.आत्मा अमर है, 
3.पुनर्जन्म होता है, 
4.मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है, 5.कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से ‍कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है, 6.संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है, 
7.ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है, 
8.संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है, 9.वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है, 
10.दान ही पुण्य है।


 *पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*

*1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन*
*4. नकुल।      5. सहदेव*

*( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )*

*यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन*
*की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।*

*वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..*
*कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -*
*1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह*
*4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम*
*7. सह            8. विंद         9. अनुविंद*
*10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण*
*13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण*
*16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान*
*19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र*
*22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन*
*25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु*
*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*
*31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण*
*34. चित्रवर्मा    35. सुवर्मा    36. दुर्विमोचन*
*37. अयोबाहु   38. महाबाहु  39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग  42. भीमबल*
*43. बालाकि    44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*
*46. सुषेण       47. कुण्डधर  48. महोदर*
*49. चित्रायुध   50. निषंगी     51. पाशी*
*52. वृन्दारक   53. दृढ़वर्मा   54. दृढ़क्षत्र*
*55. सोमकीर्ति  56. अनूदर    57. दढ़संघ 58. जरासंघ   59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक*
*61. उग्रश्रवा   62. उग्रसेन     63. सेनानी*
*64. दुष्पराजय        65. अपराजित* 
*66. कुण्डशायी        67. विशालाक्ष*
*68. दुराधर   69. दृढ़हस्त    70. सुहस्त*
*71. वातवेग  72. सुवर्च    73. आदित्यकेतु*
*74. बह्वाशी   75. नागदत्त 76. उग्रशायी*
*77. कवचि    78. क्रथन। 79. कुण्डी* 
*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर  82. वीरबाहु*
*83. अलोलुप  84. अभय  85. दृढ़कर्मा*
*86. दृढ़रथाश्रय    87. अनाधृष्य*
*88. कुण्डभेदी।     89. विरवि*
*90. चित्रकुण्डल    91. प्रधम*
*92. अमाप्रमाथि    93. दीर्घरोमा*
*94. सुवीर्यवान     95. दीर्घबाहु*
*96. सुजात।         97. कनकध्वज*
*98. कुण्डाशी        99. विरज*
*100. युयुत्सु*
*( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,*
*जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )*

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*🙏🏻॥ जय श्री कृष्णा ॥🙏🏻*