Tuesday, November 29, 2022

विश्व का सबसे प्राचीन बांध भारत में बना था बनाने वाले भी भारतीय ही थे

 विश्व का सबसे प्राचीन बांध भारत में बना था.

…और इसे बनाने वाले भी भारतीय ही थे.
आज से करीब 2 हजार वर्ष पूर्व भारत में कावेरी नदी पर कल्लनई बांध का निमार्ण कराया गया था, जो आज भी न केवल सही सलामत है बल्कि सिंचाई का एक बहुत बड़ा साधन भी है.
भारत के इस गौरवशाली इतिहास को पहले अंग्रेज और बाद में वामपंथी इतिहासकारों ने जानबूझकर लोगों से इस तथ्य को छुपाया.
दक्षिण भारत में कावेरी नदी पर बना यह कल्लनई बांध वर्तमान में तमिलनाडू के तिरूचिरापल्ली जिले में है. इसका निमार्ण चोल राजवंश के शासन काल में हुआ था.राज्य में पड़ने वाले सूखे और बाढ़ से निपटने के लिए कावेरी नदी को डायवर्ट कर बनाया गया यह बांध प्राचीन भारतीयों की इंजीनियरिंग का उत्तम उदाहरण है.
कल्लनई बांध को चोल शासक करिकाल ने बनवाया था.यह बांध करीब एक हजार फीट लंबा और 60 फीट चौड़ा है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बांध में जिस तकनीक का उपयोग किया गया है वह वर्तमान विश्व की आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसकी भारतीयों को आज से करीब 2 हजार वर्ष पहले ही जानकारी थी.
कावेरी नदी की जलधारा बहुत तीव्र गति से बहती है, जिससे बरसात के मौसम में यह डेल्टाई क्षेत्र में भयंकर बाढ़ से तबाही मचाती है.


पानी की तेज धार के कारण इस नदी पर किसी निर्माण या बांध का टिक पाना बहुत ही मुश्किल काम था. उस समय के भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और और नदी की तेज धारा पर बांध बना दिया जो 2 हजार वर्ष बीत जाने के बाद आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है.
इस बांध को आप कभी देखेंगे तो पाएंगे यह जिग जैग आकार का है. यह जिग जैग आकार का इस लिए बनाया गया था ताकि पानी के तेज बहाव से बांध की दीवारों पर पड़ने वाली फोर्स को डायवर्ट कर उस पर दवाब को कम कर सके. देश ही नहीं दुनिया में बनने वाले सभी आधुनिक बांधों के लिए यह बांध आज प्रेरणा का स्रोत है.
यह कल्लनई बांध तमिलनाडू में सिंचाई का महत्वपूर्ण स्रोत है.
आज भी इससे करीब 10 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई होती है.
यदि आप भारत की इस अमूल्य तकनीकी विरासत कल्लनई बांध के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको तमिलनाडू के तिरूचिरापल्ली जिले में आना होगा. मुख्यालय तिरूचिरापल्ली से इसकी दूरी महज 19 किलोमीटर है !

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Saturday, November 26, 2022

कचरियाँ

 इन्हें कचरियाँ कहते हैं। अगस्त के।महीने में स्कूल से आते थे घर के बगल में ही मेरा खेत है उंसमे चौमासी मक्का होती थी।

अब तो मक्का का सीजन बदल गया है। अब मक्का मार्च में बोई जाती है जून जुलाई में कट जाती है
लेकिन तब चौमासी मक्का होती थी मध्यम आषाढ़(जुलाई )के महीने में बोई जाती थी और मध्यम भाद्रपद व शुरुआत कुंवार (सितम्बर अक्टूबर) के महीने में काटी जाती थी।
उस मक्का की पैदावार नाम मात्र की होती थी यूं समझिए किसान दान दरिया व खुद खाने के किये मक्का बोता था।
मेरे यहाँ सर्दियों भर मक्का की रोटी बनना अनिवार्य है इसमें सत्तू मुरकी भी हो जाती थी ....
अग्रस्त माह में स्कूल से आते थे पूरे गांव में सबके नीम के पेड़ पर झूला पड़ा होता था। मवेशी खेतों में चरने निकल जाती थी। हम लोग आये बस्ता टंगा खूंटी पर सबसे पहले गिलास लेकर दूध पिया स्कूल वाला होमवर्क किया फिर झूला झूलने लगते थे अचानक झूला छोड़ मक्का में जाकर यही #कचरियाँ तोड़ कर लाते थे वैसे मेरे खेत में सबसे ज्यादा फुट और कचरियाँ लगती थी क्योकि मेरी मम्मी बहुत शौकीन हैं सब्जी कचरियाँ आदि की ....मक्का में तोरई और कचरियाँ भरपूर होती थीं अपुन को तो ब्लेड मारकर कचरियाँ पकाने में यकीन था...
कई बार अपने खेत मे कचरियाँ न होने पर पड़ोसी के खेत मे डकैती भी डाली है मैने...
यह कचरियाँ अब विलुप्त हो चुकी हैं फसल क्रम बदल चुका है इस कारण साथ ही अब किसान पैदावार पर ध्यान देता है उसके खेत मे हाइब्रिड मक्का होती है जिसमे न घास उगने दी जाती है न कचरियाँ क्योकी ये चीजें पैदावार पर फर्क डालती हैं
पहले तो उसी मक्का में सन के पेड़ भी होते थे जिन्हें काटकर पानी मे डाला जाता फिर 1 महीने बाद निकाल कर उसकी चमड़ी उतारते उसने सफेद जूट सन निकलता था जिसकी रस्सियां बनती थी बकरी गाय बैल के गले मे लगाने चारपाई में लगाने काम आती थी
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उस रस्सी को रंगों में भिगोकर भैंस गाय सजाई जाती थी दीवाली पर ....
यह सब काफी उत्साहित करने वाले नजारे थे जो अब किस्ससो में बचे हैं।
किसान की आम जिंदगी पर हजार कहानियां लिखी जा सकती हैं जो रोमांचक भी हैं और प्रेरणादायक भी....
जो एहसास कराती है कि हम कितने ज्यादा बदल चुके हैं।

खाना है बचा कर रखें वेस्ट न होने दें

मैं उस दिन भी एक शादी में बाउंसर के रूप में मौजूद था। आजकल का चलन हो गया है कि शादियों में हम बाउंसरों को काम दिया जाने लगा है, हम शादी में अव्यवस्था होने से रोकते हैं, मेरे साथ मेरे तीन साथी और थे उसी शादी में। मैं टीम लीडर हूँ।
मैं काफी देर से अपनी वैन में बैठा ड्रोन के ज़रिए , शादी की गहमा गहमी देख रहा था। मैं लड़की वालों की तरफ से इंगेज किया गया था। मुझे एक अधेड़ से दिखने वाले आदमी की कुछ अजीब बातें दिखाईं दीं।
पहली बात तो उसने जो खाना खाया, वो अपनी प्लेट में एक एक चीज ले जा रहा था, उन्हें खाकर ही फिर से आ रहा था। उसने खाना खत्म किया।
वो काफ़ी देर तक खाने की कैटरिंग की कतार को देखता रहा। फिर वो कैटरिंग के लोगों को जा जाकर निर्देष देने लगा। फिर उसने खुद एक स्टाल पर खड़े होकर कमान संभाल ली। मुझे कुछ अजीब लग रहा था, मुझे लग रहा था ये कुछ ज्यादा ही केयरिंग हो रहा है कहीं कोई खाने का खोमचा गायब न कर दे। मैंने अपने एक साथी को वैन में बुलाया और मैं उसकी जगह शादी के टेंट में आ गया। मैं घूमते हुए उस आदमी के पास पहुँचा, उसका अभिवादन किया और फिर उसे इशारे से बुलाया।
वो मेरे पास आ गया, मैंने उससे कहा आपसे बात करनी है जरा मेरे साथ आइए। वो मेरे साथ हो लिया। मैं उसे अपनी वैन के पास ले आया, वहाँ ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी। "मैं काफी देर से आपको वॉच कर रहा हूँ, आप कैटरिंग स्टाल पर क्या कर रहे थे, आप शादी में आये हुए मेहमान लग रहे हैं घराती तो हैं नहीं, आखिर इरादा क्या है आपका ?"मैंने कहा, पर कहने में सख्ती थी । मेरी बात सुनकर वो हँसने लगा, फिर संजीदा हुआ, मुझे अजीब लगा उसका व्यवहार।
"चार महीने पहले मेरी बेटी की भी शादी थी।" उसने ठंडी आह भरी।"मेरे यहाँ दो हज़ार लोगों का खाना बना था । हम सही से मैनेज नहीं कर पाए, लोग भी ज्यादा आ गए । बहुत सा खाना वेस्ट कर दिया गया, लोगों ने खाया कम थालियों में छोड़ा ज्यादा । बारात नाचने गाने में लेट हो गई और बारात जब तक खाने पर आती बहुत से खाने के आईटम कम पड़ गए । मेरे समधी नाराज हो गए , बारात के खाने को लेकर बेटी को जब तब ताने मिलते हैं।"
ये कहते हुए उसकी आँखें भीग गईं और गला भर्रा गया , " मैं सोचता हूँ कि मेरे यहाँ खाने के मामले में सही कंट्रोल और निगरानी रख ली जाती तो मेरी जो इज्जत गई वो बच जाती । अब मेरी कोशिश रहती है कि जिस किसी भी शादी में जाता हूँ , वहाँ खाने को बेमतलब वेस्ट न करके बचाया जाए । इससे न केवल खाना बचेगा बल्कि किसी की इज्जत बची रहेगी , तो सोचता हूँ भाई 'खाना है बचा लो..' अब जाऊँ मैं ? आपकी इजाजत हो तो थोड़ा खाने की स्टाल पर निगरानी रख लूँ।" कहकर वो वहाँ से चला गया ।
मुझे लग रहा था हम चार के अलावा एक पाँचवां बाउंसर और भी है, काश उस जैसे पचास आदमी और हों तो सौ जनों का खाना बचाया जा सकता है। मैंने उसके पीठ पीछे उसके लिए ताली बजाई और फिर से वैन में बैठकर ड्रोन उड़ाने लगा।


Friday, November 25, 2022

इतिहास के निषाद

भूगर्भ के गोंद में खेलता श्रृंगवेरपुर सामाज्य/संस्कृति का निषादों का इतिहास इतना बड़ा व मजबूत है कि उसके आगे कई विशाल सभ्यताए व संस्कृति न्यून हो जाती है।
#सिंधु घाटी सभ्यता, #मेसोपोटामिया की सभ्यता, सुमेरियन की सभ्यता तथा अन्य भारतीय ताम्र व कांस्य युगीन संस्कृतियो को जितनी दावेदारी के साथ हमारे बीच परोसा जाता है समझाया जाता है व किताबो में जगह दी जाती है ....उसका 20% भी कार्य #श्रृंगवेरपुर की प्राचीन संस्कृति तथा धरोहर पर खर्च किया जाता है तो परिणाम औरो से कही ज्यादा आता है।
आज जलांचल प्रगतिपथ का कारवां अपने महान पूर्वज के महान वैज्ञानिक साम्राज्य तक पहुँचा ....जहाँ महाराजा #गुहराज निषाद जी की प्रेरणा व आधारशिला देंखने को मिला! जो हजारो वर्षो से माँ गंगा के आंचल में कई सौ एकड़ में फैला मिला, जिसकी प्राचीर दीवारें, प्राचीन कुंड, प्राचीन अभेद किला ना जाने कितने शताब्दियों की गवाही दे रही है।

प्राचीन विश्व इतिहास मे कही भी ऐसी को तकनीक नही देंखने को नही मिलती है जो जल (पानी) को उसके तल से ऊपर उठा के अन्यत्र किसी और तल पर पहुचा सकें।
जो तकनीकी आज के वैज्ञानिक युग मे ही सम्भव हो पाता है पानी मोटर (टुल्लू) से ही।


Wednesday, November 23, 2022

नारी शोषण,अत्याचार के विरुद्ध शिक्षा,साक्षरता के गंभीर प्रयास की आवश्यकता

(स्त्री पढेगी इतिहास रचेगी)

भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है। भारत की जनसंख्या में पुरुषों के साथ-साथ की स्त्रियों तथा बच्चों की भी जनसंख्या भी बहुत ज्यादा है। देश में स्त्री शोषण की विविधता और धार्मिक कट्टरता को देखते हुए नारियों को शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है, विशेष तौर पर स्त्री तथा बच्चों को बुनियादी शिक्षा तथा साक्षरता की महती आवश्यकता देश में महसूस की जा रही है। स्त्रियां अपने परिवार ,घर और समाज की देखरेख करती हैं अतः उनका शिक्षित होना बहुत ज्यादा आवश्यक भी है, बच्चे देश का भविष्य है अतः उनका शिक्षित होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना किसी भी देश के एक सफल नागरिक को होना चाहिए। स्त्री और शिक्षित होंगी तो स्वयं और अपने परिवार को अच्छे बुरे और असामाजिक घटनाओं से सचेत रहने की शिक्षा भी दे सकती हैं जिससे एक सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक आंदोलन की महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि को तैयार किया जा सकता है।

परिवार की शिक्षा के बाद विद्यालयों की शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसमें अनुशासन, सहभागिता, समानता एवं नेतृत्व जैसे गुणों का समावेश होता हैl पुस्तकों का ज्ञान व्यक्ति एवं व्यक्ति के जीवन में संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देता हैl पर शिक्षक की भूमिका जिंदगी में बड़ी ही प्रेरणादाई होती है। यह कहा जाता कि बिना गुरु ज्ञान नहीं हो सकता है, लोकोक्ति सही भी है, शिक्षकों का मार्गदर्शन खेल खेलने से विकसित होने वाले मूल्य जैसे समूह की भावना, निष्पक्षता, ईमानदारी,साहस की भावना को परिष्कृत करती हैl ऐसे कई उदाहरण हैं की बिना साक्षरता के व्यक्ति पूर्ण रूप से शिक्षित एवं सुसंस्कृत हो सकता हैl अपने समय के महान चिंतक फिलासफर सुकरात ने कहा था कि मैं शिक्षित अथवा ज्ञानी इस अर्थ में हूं,कि मैं कुछ नहीं जानता। शिक्षा व्यक्ति के जीवन में अहंकार,लालच, हिंसा, कटुता आदि को नियंत्रित करने में मदद देती है। पुराण काल में रावण प्रकांड पंडित एवं साक्षर व्यक्ति माना जाता था पर स्त्री के अपहरण में उसका कृत्य अहंकार लालच लिप्सा उसकी साक्षरता को …

Tuesday, November 15, 2022

पुराने जमाने का Hand Sanitizer थी रसोई की राख

 रसोई की राख की रॉयल इमेज....

भारतीय रसोई के चूल्हे की राख में ऐसा क्या था कि, वह पुराने जमाने का Hand Sanitizer थी ...?
उस समय Hand Sanitizer नहीं हुआ करते थे, तथा साबुन भी दुर्लभ वस्तुओं की श्रेणी आता था। उस समय हाथ धोने के लिए जो सर्वसुलभ वस्तु थी, वह थी चूल्हे की राख। जो बनती थी लकड़ी तथा गोबर के कण्डों के जलाये जाने से। चूल्हे की राख का रासायनिक संगठन है ही कुछ ऐसा ।
आइये चूल्हे की राख का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। इस राख में वो सभी तत्व पाए जाते हैं, वे पौधों में भी उपलब्ध होते हैं। इसके सभी Major तथा Minor Elements पौधे या तो मिट्टी से ग्रहण करते हैं या फिर वातावरण से। इसमें सबसे अधिक मात्रा में होता है Calcium.
इसके अलावा होता है Potassium, Aluminium, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium तथा Nitrogen. कुछ मात्रा में Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury तथा Selenium भी होता है ।
राख में मौजूद Calcium तथा Potassium के कारण इसकी ph क्षमता ९.० से १३.५ तक होती है। इसी ph के कारण जब कोई व्यक्ति हाथ में राख लेकर तथा उस पर थोड़ा पानी डालकर रगड़ता है तो यह बिल्कुल वही माहौल पैदा करती है जो साबुन रगड़ने पर होता है।
जिसका परिणाम होता है जीवाणुओं और विषाणुओं का विनाश । आइये, अब मनन करें सनातन धर्म के उस तथ्य पर जिसे अब सारा संसार अपनाने पर विवश है। सनातन में मृत देह को जलाने और फिर राख को बहते पानी में अर्पित करने का प्रावधान है। मृत व्यक्ति की देह की राख को पानी में मिलाने से वह पंचतत्वों में समाहित हो जाती है ।
मृत देह को अग्नि तत्व के हवाले करते समय उसके साथ लकड़ियाँ और उपले भी जलाये जाते हैं और अंततः जो राख पैदा होती है उसे जल में प्रवाहित किया जाता है । जल में प्रवाहित की गई राख जल के लिए डिसइंफैकटैण्ट का काम करती है ।
इस राख के कारण मोस्ट प्रोबेबिल नम्बर ऑफ कोलीफॉर्म (MPN) में कमी आ जाती है और साथ ही डिजोल्वड ऑक्सीजन (DO) की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह स्पष्ट हो चुका है कि गाय के गोबर से बनी राख डिसइन्फैक्शन के लिए एक एकोफ़्रेंडली विकल्प है...
जिसका उपयोग सीवेज वाटर ट्रीटमैंट (STP) के लिए भी किया जा सकता है। सनातन का हर क्रिया कलाप विशुद्ध वैज्ञानिक अवधारणा पर आधारित है। इसलिए सनातन अपनाइए स्वस्थ रहिये ।
आपने देखा होगा कि नागा साधु अपने शरीर पर धूनी की राख मलते हैं जो कि उन्हें शुद्ध रखती है साथ ही साथ भीषण ठंडक से भी बचाये रखती है ।
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Wednesday, November 9, 2022

रोटी के प्रकार

 #रोटी के प्रकार......(पढ़ना जरूर)

कुछ बुजुर्ग दोस्त एक पार्क में बैठे हुऐ थे, वहाँ बातों -बातों में रोटी की बात निकल गई।
तभी एक दोस्त बोला - जानते हो कि रोटी कितने प्रकार की होती है?
किसी ने मोटी, पतली तो किसी ने कुछ और हीं प्रकार की रोटी के बारे में बतलाया।
तब एक दोस्त ने कहा कि नहीं दोस्त...भावना और कर्म के आधार से रोटी चार प्रकार की होती है।"
पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "#माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।
एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।"
उन्होंने आगे कहा "हाँ, वही तो बात है।
दूसरी रोटी #पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।",
क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।
फिर तीसरी रोटी किस की होती है?" एक दोस्त ने सवाल किया।
"तीसरी रोटी #बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है",
थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।
"लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?" मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-
"चौथी रोटी #नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का "पेट" भरता है न ही "मन" तृप्त होता है और "स्वाद" की तो कोई गारँटी ही नहीं है", तो फिर हमें क्या करना चाहिये।
माँ की हमेशा इज्ज़त करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो । बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।
यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो ईश्वर का शुक्रिया करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, और सोचो कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं।

Tuesday, November 8, 2022

सनातन धर्म का दर्शन कराती अति सुंदर घड़ी

 हमारे #सनातन धर्म का दर्शन कराती अति सुंदर घड़ी।।



12:00 बजने के स्थान पर आदित्य लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं।
1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है ।एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।
2:00 बजने की स्थान पर अश्विन और लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं।
3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणः लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं ---- सतोगुण रजोगुण तमोगुण।
4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेद लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं -- ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद।
5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं ।
6:00 बजने के स्थान पर षड्र्स लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं ।
7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षि लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं ।
8:00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियां लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है ।
9:00 बजने के स्थान पर नव द्रव्यणि अभियान लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं।
10:00 बजने के स्थान पर दश दिशः लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है।
11:00 बजने के स्थान पर रुद्रा लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं।

Friday, November 4, 2022

चुटिया (शिखा बंधन) क्या है ?

गायत्री शिखा बंधन क्या है?


शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए। इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये ।
गायत्री शिखा बंधन क्या है?
शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए। इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये ।
शक्ति परमाणु हर घड़ी बाहर निकल-निकलकर आकाश में दौड़ते रहते हैं। इस प्रवाह से शक्ति का अनावश्यक व्यय होता है और अपना कोष घटता है।
इसका प्रतिरोध करने के लिये शिखा में गाँठ लगा देते हैं। सदा गाँठ लगाये रहने से अपनी मानसिक शक्तियों का बहुत-सा अपव्यय बच जाता है।
सन्ध्या करते समय
विशेष रूप से गाँठ लगाने का प्रयोजन यह है कि रात्रि को सोते समय यह गाँठ प्रायः शिथिल हो जाती है या खुल जाती है।
फिर स्नान करते समय केश-शुद्धि के लिये शिखा को खोलना पड़ता है।
सन्ध्या करते समय अनेक सूक्ष्म तत्त्व आकर्षित होकर अपने अन्दर स्थिर होते हैं, वे सब मस्तिष्क केन्द्र से निकलकर बाहर न उड़ जाए इसलिये शिखा में गाँठ लगा दी जाती है।इसमें गाँठ लगा देने से भीतर भरी हुई वायु बाहर नहीं निकल पाती। गाँठ लगी हुई शिखा से भी यही प्रयोजन पूरा होता है।
वह बाहर के विचार और शक्ति समूह को ग्रहण करती है । भीतर के तत्त्वों का अनावश्यक व्यय नहीं होने देती ।
आचमन से पूर्व शिखा बन्धन इसलिये नहीं होता, क्योंकि उस समय त्रिविध शक्ति का आकर्षण जहाँ जल द्वारा होता है, वह मस्तिष्क के मध्य केन्द्र द्वारा भी होता है।
इस प्रकार शिखा खुली रहने से दुहरा लाभ होता है । तत्पश्चात् उसे बाँध दिया जाता है।