देश में कोरोना की रफ्तार कम हो गई है,अधिकतर राज्य धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं, इस बीच हमारे अन्नदाता भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में जुट गए हैं। देश में अन्नदाता का विरोध प्रदर्शन जारी है।,देशभर में जारी विरोध प्रदर्शन का करीब सात महीने से भी अधिक होने वाले हैं। देखे तो आजाद भारत में हम सबका पेट भरने वाले अन्नदाता को आये दिन अपने अधिकारों और हक को हासिल करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है ,लेकिन देश की सरकारें है कि वो अपनी चतुर चाणक्य नीति से हर बार हम किसानों को आश्वासन देकर समझा-बुझाकर सबका पेट भरने के उद्देश्य से अन्न उगाने के लिए वापस खेतों में काम करने के लिए भेज देती है। देश में सरकार चाहें कोई भी हो, लेकिन अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्षरत किसानों की झोली हमेशा खाली रह जाती है। आज अन्नदाता किसानों के हालात बेहद सोचनीय हैं, स्थिति यह हो गयी है कि एक बड़े काश्तकार को भी अपने परिवार के लालनपालन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जो स्थिति देशहित में ठीक नहीं हैं। किसानों के इस हाल के लिए किसी भी एक राजनैतिक दल की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराना उचित नहीं होगा। उनक