ऊष्मीय अनुकूलन से कम हो सकती है एअर कंडीशनिंग की मांग
उमाशंकर मिश्र नई दिल्ली, 21 जून (इंडिया साइंस वायर):गर्मी के मौसम में भारतीय शहरों में एअर कंडीशनिंग का उपयोग लगातार बढ़ रहा है जो ऊर्जा की खपत बढ़ाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के लिए भी एक चुनौती बन रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए शहरों एवं भवनों को ऊष्मीय अनुकूलन के अनुसार डिजाइन करने से एअर कंडीशनिंग की मांग को कम किया जा सकता है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायरमेंट (सीएसई)की आज जारी की गईरिपोर्ट में ये बातें उभरकर आई हैं।इसमें कहा गया है किभारत के प्रत्येक घर में साल में सात महीने एअरकंडीशनर चलाया जाए तो वर्ष 2017-18 के दौरान देश में उत्पादित कुल बिजली की तुलना में बिजली की आवश्यकता 120 प्रतिशत अधिक हो सकती है। यह रिपोर्ट राजधानी दिल्ली में बिजली उपभोग से जुड़े आठ वर्षों की प्रवृत्तियों के विश्लेषण पर आधारित है। रिपोर्ट में दिल्ली में बिजली के 25-30 प्रतिशत वार्षिक उपभोग के लिए अत्यधिक गर्मी को जिम्मेदार बताया गया है। प्रचंड गर्मी के दिनों में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इस वर्ष 7-12 जून के बीच प्रचंड गर्मी की अवधि में दिल्ली में बिजली की ख