Wednesday, July 29, 2020

दुश्मनों के दांत खट्टे करने को आ गया 'राफेल', सुखोई विमान दे रहे हैं सुरक्षा

अंबाला। हिन्दुस्तान के हौसलों को बढ़ाने और दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए राफेल विमान का पहला बेड़ा अंबाला एयरबेस पहुंचने वाला है। पांच लड़ाकू विमानों का यह बेड़ा हरियाणा के अंबाला एयरबेस में तैनात रहेगा। लड़ाकू विमानों के इस बेड़े ने सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु के मेरिग्नैक एयरबेस से उड़ान भरी थी। ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर अंबाला पहुंचे हैं। इस दौरान विमान केवल एक जगह संयुक्त अरब अमीरात में रुका था।


अधिकारियों ने बताया कि इन विमानों में एक सीट वाले तीन और दो सीट वाले दो विमान मौजूद हैं। बता दें कि अधिकारियों ने अंबाला सैन्य अड्डे के आसपास निषेधाज्ञा जारी कर तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी है। हालांकि मीडियाकर्मियों को अब राफेल लड़ाकू विमान की फोटोग्राफी करने की अनुमति मिल गई है। 


 


Tuesday, July 28, 2020

बाढ़ की विभीषिका

आये जब यह बारिस का मौसम

दिल बहुत घबराता रहता है मेरा

मैं बिहार का अबला ग्रामीण हूँ 

बाढ़ की विभीषिका से नाता मेरा।

 

यह बारिस अमीरो को शकून देती

गरीबों के छप्पर को तो चूअन देती

भींगते बदन और रोजी न रोजगार

आशा में दिन निकला थम जा बरसात ।

 

नदियों में उबाल देख डर लगा रहता

घर तो बहेगा ही फसल भी बर्बाद

हर वर्ष हमलोगों को देती दोहरी मार

बाढ़ से निजात का कोई न करता उपाय।

 

बचपन से देख रहा सबका यही हाल

सरकारें बदलती गयी नहीं बदली चाल

बिहार को आगे नही पीछे ले जाते हैं 

हर वर्ष सरकार व यह नदियों की धार।।

 

फिर शूरू होता  बंदरबाट   का  धंधा

लाखो  पैकेज  बनते  करोड़ों के  चंदे

कुछ बांटकर,  खूब चलता गोरख घंघा

फिर वहाँ घडियाली आँसू जाकर बहता।

 

यह विवशता भरी खेल हमसे खेले

हम ग्रामीण फिर भी इनको न बोले

यह जीवन कैसे चले इनपर चुप कैसे रहे

सवालजबाब जब हो ये विपक्ष को बोले। 

 

                                    आशुतोष 

                                  पटना बिहार 

Sunday, July 26, 2020

संतान

राधिका की शादी राहुल से हुए आठ वर्ष व्यतीत हो गए थे किंतु उनके कोई संतान न थी। राधिका जब दूसरे के बच्चों को देखती तो उसका मन घावों से भर जाता और वह भी अपनी गोद में कोई बालक या बालिका को लेने के लिए तरसने लगती। किंतु ईश्वर ने उसे यह सुख प्रदान नहीं किया था। उसकी ममता व्याकुल होकर उससे यही प्रश्न पूछती कि आखिर मैंने ऐसा कौन सा पाप किया था, जो मैं मां न बन सकी। उसने और उसके पति राहुल ने सभी मेडिकल टेस्ट करवा लिए थे। दूर-दूर के सिद्ध और प्रसिद्ध धर्म स्थानों में जा-जाकर ईश्वर से संतान की प्रार्थना भी कर चुके थे। किंतु सब कुछ असफल ही रहा, उनकी गोद न भर सकी। राहुल को भी संतान की कमी बहुत सालती थी किन्तु वह कभी अपनी पीड़ा राधिका के सामने जाहिर नहीं होने देता था और स्वयं को ऑफिस के कामों में अधिकाधिक व्यस्त रखता था। वह समझता था कि इस दुर्भाग्य के पीछे राधिका का कोई दोष नहीं है। संतान का सुख उसके भाग्य में ही नहीं है इसीलिए मेडिकल रिपोर्टों में भी कोई कमी न निकलने के बावजूद उन्हें यह सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा। राधिका भी यही कोशिश करती कि वह राहुल के सामने सामान्य रह सके और उसके भीतर ममता का उठता हुआ ज्वार राहुल को न दिखे। किंतु थी तो वह औरत ही न, ममता की भूखी औरत, जिसका मन सदैव तरसता रहता था, अपनी कोख में बच्चे की हलचल को महसूस करने का, अपनी गोद में किलकारी लेते हुए अपने बच्चे को देखने का। एक मां के रूप में अपने बच्चे को पालने को तरसता हुआ उसका मन सदैव भीतर ही भीतर रोता रहता था। वह बस मन ही मन सदैव ईश्वर से प्रार्थना करती रहती कि ईश्वर उसके दुर्भाग्य को मिटाकर उसे मां बनने का सुख प्रदान करें। पर मानो ईश्वर ने भी अपने कान बंद कर रखे थे और उसकी दिन रात की प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दे रहे थे। कभी-कभी वह स्वयं को ही अपराधी मानने लगती कि वह राहुल को पिता होने का सुख प्रदान न कर सकी।

      एक दिन रात्रि में जब दोनों पति-पत्नी बिस्तर पर लेटे हुए थे, राधिका ने बहुत हिम्मत जुटा कर राहुल से कहा कि मैं चाहती हूं कि तुम दूसरी शादी कर लो। शायद तुम्हारी दूसरी पत्नी तुम्हें पिता होने का सुख प्रदान कर सके और मैं भी उसकी संतान को अपनी संतान समझ कर मातृत्व सुख भोग लूंगी। उसकी बात सुनकर राहुल तमतमाकर बोला, 'तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसी बात करते हुए, मैं इतना गया गुजरा नहीं कि संतान न होने पर अपनी पत्नी को छोड़ दूं या उसकी उपेक्षा कर दूसरी शादी कर लूं, मेरे जीवन में तुम ही हो और तुम ही रहोगी, संतान हो चाहे ना हो।' राहुल की बात सुनकर राधिका फफककर रोते हुए राहुल से लिपट गई और उसके सीने को अपने गर्म-गर्म आंसुओं से नहला दिया।

        समय बीतता गया अब विवाह को हुए दस वर्ष बीत गए थे। दोनों के मन में संतान होने की जो रही-सही उम्मीद थी वो भी जाती रही। एक दिन शाम को चार पीते वक्त राधिका ने राहुल का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, ' मैं आपसे कुछ मांगना चाहती हूं, प्लीज़ आप मना मत करना।' राहुल उसे संशय भरी निगाहों से देखने लगा कि अब वह क्या कहने वाली है। राधिका ने उसके कंधे पर अपना सर रखते हुए और प्यार भरी नजरों से उसे देखते हुए कहा कि क्यों न हम किसी बच्चे को गोद ले लें। राहुल ने राधिका को अपनी बाहों में भरते हुए कहा कि वह बहुत दिनों से यही सोच रहा था पर उससे कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

       अब दोनों अपनी जिंदगी का एक नया निर्णय ले चुके थे। अगले ही दिन वो एक अनाथाश्रम पहुंचे और वहां से एक बहुत प्यारी सी, छोटी सी परी को अपनी बेटी बनाकर ले आए।

        अब राधिका उस नन्ही सी परी के लालन-पालन में ऐसा व्यस्त हुई कि समय का पता ही न चला। उसकी वह लाडली बेटी अब बड़ी हो गई थी और इंजीनियरिंग की परिक्षा पास कर एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने लगी। 'स्नेहा', ये नाम माता-पिता ने बड़े स्नेह से अपनी बेटी को दिया था और बेटी भी अपने नाम को सार्थक करते हुए अपने माता-पिता को अत्यधिक स्नेह करती थी।

 

रंजना मिश्रा ©️

कानपुर, उत्तर प्रदेश

 

 

गरीबी शिक्षा में बाधक नहीं है 




हम जिस युग में जी रहे हैं उसमे आधुनिक तकनीकी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है जिसे सिखने या इस्तेमाल करने के लिए शिक्षा की अहमियत होती है. शिक्षा हम सभी के उज्जवल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है. हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं. ये तो हम हमेसा से सुनते आये हैं की शिक्षा पर दुनिया के हर एक बच्चे का अधिकार है. देश के विकास के लिए प्रत्येक बच्चे का शिक्षित होना बेहद जरुरी है। 

लेकिन हमारे देश भारत में क्या इन बातों पर अमल किया जाता है? सभी इस बात से वाकिफ हैं की भारत में गरीब लोगों की संख्या मध्यवर्गीय और अमीर लोगों की तुलना में कई ज्यादा है. इस गरीबी के कारण ऐसे कई लाख बच्चे हैं जिन्हें प्राथमिक शिक्षा भी नसीब नहीं होती और बचपन से ही उन्हें बाल श्रम के दलदल में ढकेल कर उनका मासूम सा बचपन छीन लिया जाता है। 

गरीबी के कारण केवल एक परिवार को ही नहीं बल्कि उस देश को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है. अशिक्षित लोगों की संख्या बढ़ने से देश के उन्नति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। 

हमारे देश की हालत को सुधारने का एक मात्र रास्ता है शिक्षा. शिक्षा लोगों की सोच को सकारात्मक बनाती है और नकारात्मक विचारों को दूर भगाती है. आज मै आपके लिए एक अनोखा विषय लेकर आई हूँ जिसके बारे में आपको जानना जरुरी है ताकि जब भी आप किसी गरीब बच्चे को शिक्षा प्राप्त ना करते हुए देखें तो आप उसे सही सलाह दे सकते हैं. उस विषय का नाम है गरीबी शिक्षा में बाधक नहीं है पर निबंध. ये निबंध अपने बच्चों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि उन्हें भी इस निबंध के माध्यम से शिक्षा के महत्व के बारे में पता चल सके। 

गरीबी एक ऐसी समस्या है जो हमारे पुरे जीवन को प्रभावित करने का कार्य करती है. गरीबी एक सामाजिक समस्या है जो इंसान को हर तरीके से परेशान करती है. इसके कारण एक व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा स्तर आदि जैसी सारी चीजें ख़राब हो जाती है. आज के समय में गरीबी को दुनिया के सबसे बड़ी समस्याओं में से एक माना जाता है। 

गरीबी में जीवन जीने वाले व्यक्तियों को ना तो अच्छी शिक्षा की प्राप्ति होती है ना ही उन्हें अच्छी सेहत मिलती है. भारत में गरीबी देखना बहुत आम सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मुलभुत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर सकते हैं। 

 गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है और अशिक्षा से अज्ञानता पनपती है. गरीब परिवार के बच्चे उच्च शिक्षा तो छोडिये सामान्य शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पाते हैं. शिक्षा का अधिकार सभी लोगों को है लेकिन गरीबी के कारण ऐसा नहीं हो पाता है. हमारी भारत सरकार गरीब लोगों के लिए कई सारे अभीयान चलाती है लेकिन अशिक्षित होने के कारण गरीबों तक उस अभियान की जानकारी नहीं पहुँच पाती है। 

गरीब लोगों में जागरूकता और जानकारी का अभाव तथा उनका गैर प्रगतिशील नज़रिया एक ऐसा मुलभुत कारण है जिसे गरीबी के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जानकारी तथा जागरूकता की कमी के कारण गरीब लोग सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठाने में असमर्थ रहते हैं. इसलिए प्राथमिक शिक्षा भी गरीबों के लिए बहुत ही जरुरी होता है। 

गरीबी इसलिए होती है क्योंकि गरीब लोगों के 7 से 8 बच्चे होते हैं. उन्हें छोटे परिवार के फायदों के बारे में जागरूक बनाये जाने की जरुरत है. बहुत से गरीब लोगों की ये सोच रहती है की उनका बच्चा पढ़ लिख कर क्या करेगा उसके बदले अगर वो छोटी उम्र से ही ढाबों और कारखानों जैसी जगहों पर काम करेगा तो घर में दो पैसे आ जायेंगे. ये लोग तरक्की करना नहीं चाहते। 

लेकिन विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और ना ही कोई छीन सकता है. यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता बल्कि इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है. शिक्षा हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, इंजिनियर, पायलट, शिक्षक आदि जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। 

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है. यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है. आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व क्या है ये गरीब परिवार और पिछड़ी जाती के लोगों को बताना अति आवश्यक है तभी वो अपने बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करेंगे। 

शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही है ताकि सभी की शिक्षा तक पहुँच संभव हो. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढाई करना नहीं चाहते हैं। 

भारत सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान 2001 से शुरू किया गया है, शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षा के स्तर को सुधारना मुख्य उद्देश्य है. इसमें मुख्य रूप से 7 वर्ष की उम्र से 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को मुफ्त में प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाती है। 

सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य सभी को शिक्षित करके उन्हें अपने पैर पर खड़ा करना है जिससे समाज का कल्याण हो सके. इसके अलावा बालक बालिका का अंतर समाप्त करना, देश के हर गांव शहर में प्राथमिक स्कूल खोलना और मुफ्त शिक्षा प्रदान करना, निशुल्क पाठ्य पुस्तकें, स्कूल ड्रेस देना, शिक्षकों का चयन करना, उन्हें लगातार प्रशिक्षण देते रहना, स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा का निर्माण करना आदि सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य में शामिल हैं। 

बालिका छात्रों तथा कमजोरवर्गों के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया है. डिजिटल दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कम्प्यूटर शिक्षा भी प्रदान की जाएगी। 

स्कूली शिक्षा बिना अमीरी गरीबी का भेदभाव किये सभी बच्चों को मिलनी चाहिए क्योंको ये सभी के जीवन में एक महान भूमिका निभाती है. शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जैसे तिन प्रभागों में विभाजित किया गया है. शिक्षा के सभी भागों का अपना महत्व और लाभ है. प्राथमिक शिक्षा आधार तैयार करती है जो जीवन भर मदद करती है। 

माध्यमिक शिक्षा आगे के अध्ययन के लिए रास्ता तैयार करती है और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा भविष्य और पुरे जीवन का अंतिम रास्ता तैयार करती है. उचित शिक्षा भविष्य में आगे बढ़ने के बहुत सारे रास्ते बनाती है. यह हमारे ज्ञान स्तर, तकनिकी कौशल और नौकरी में अच्छी स्थिति को बढाकर हमें मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से मजबूत बनाता है। 

पहले भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत सख्त थी और सभी वर्गों के लोग अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे. ज्यादा पैसे लगने की वजह से विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना बहुत कठिन था. लेकिन अब शिक्षा प्रणाली में बदलाव किये गए हैं जिससे शिक्षा में आगे बढ़ना सरल और आसान हो गया है। 

भारत सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली को सभी स्तर के लोगों के लिए सुलभ और कम खर्चीली बनाने के लिए कई नियम और कानून बनाये गए हैं और उन्हें लागु किया गया है. शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। 

हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम यानि डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से अपनी पढाई घर बैठे ही पूरी कर सकते हैं. दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविध्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों ने उच्च अध्ययन को इतना सरल और सस्ता बना दिया है की पिछड़े क्षेत्रों के लोग भविष्य में शिक्षा और सफलता तक अपनी पहुँच प्राप्त कर सकते हैं। 

शिक्षा के बहुत से लाभ होते हैं पहला तो ये की गरीबी की स्थिति को सुधारने में सक्षम होता है. शिक्षा के कारण लोगों को समाज में मान सम्मान मिलता है और इज्जत मिलता है. नौकरी के ढेरों अवसर मिलते हैं जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है। 

शिक्षा के कारण ही कई तरह के आविष्कार हुए हैं. इन अविष्कारों से मनुष्य का जीवन और भी आसान हो गया है. अच्छी शिक्षा की वजह से अच्छे अच्छे इंजीनियर, डाॅक्टर, वैज्ञानिक एवं व्यवसायी आदि बनते हैं, जो समाज को काफी कुछ देते हैं जिनसे अनगिनत लोगों को कई फायदे मिलते हैं। 

शिक्षा के वजह से ही व्यापार का विकास होता है और देश की आय में बढ़ोतरी होती है. अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना जैसे कई सारे मुद्दों के बारे में सोचने समझने की काबिलियत प्रदान करता है.। 

समाज में भ्रष्टाचार, अशिक्षा तथा भेदभाव जैसे ऐसी समस्याएं हैं जो आज के समय में विश्व भर को प्रभावित कर रही है. इसे देखते हुए हमें इन कारणों की पहचान करनी होगी और इनसे निपटने की रणनीति बनाते हुए समाज के विकास को सुनिश्चित करना होगा क्योंकि गरीबी का सफाया समग्र विकास के द्वारा ही संभव है।

 

प्रफुल्ल सिंह 

शोध प्रशिक्षिक एवं साहित्यकार

लखनऊ, उत्तर प्रदेश


 

 




"जब हमारे अन्नदाता ही नहीं होंगे तो हम खाएंगे क्या ??""

हाल ही में जो सभी का पेट भरते है हमारे किसान उनकी हत्या बिहार के कटिहार जिले में कर दी गई । आखिर दोस्तों कब थमेगी हमारे अन्नदाता पर ज़ुल्म !

दोस्तों एक तरफ तो हमारे अन्नदाता उनके लागत का उचित मूल्य और अत्यधिक कर्ज होने व फसल बर्बाद हो जाने के कारण आए दिन खुदकुशी जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं ,तो वही दूसरी तरफ हमारे अन्नदाता का इस प्रकार से खुलेआम हत्या आखिर क्यों नहीं सरकार हमारे किसानों के लिए सुरक्षा कानून बनाती है?

दोस्तों देखना आप कोविड 19 जैसी वैश्विक महामारी के कारण गिरती अर्थव्यवस्था को भी हमारे कृषक वर्ग ही पटरी पर लाएंगे।

दोस्तों ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकनोमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट और इसके साथ ही इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनामिक रिलेशंस के एक अध्ययन के मुताबिक भी भारत में पिछले दो दशकों से खेती लगातार घाटे का सौदा बनी हुई है। दोस्तों आज आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी कृषि घाटे का सौदा बनी हुई है इसके लिए सरकारी नीति ही कहीं ना कहीं परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जिम्मेदार  है । साथियों हम देखते हैं  कि हमारे यहां मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए अनाज की कीमत कम रखने पर जोर दिया जाता है जिसके कारण ही किसानों को कम कीमत मिलती है। अगर हम देखें तो बिहार में एक किसान की मासिक आय औसतन 3,558 रूपये हैं तो वही पश्चिम बंगाल में 3980 रूपये  हैं l जबकि दोस्तों पंजाब के एक किसान की मासिक आय 18,059 रुपए तक है।

दोस्तों अगर किसानों की आय को दोगुना भी कर दिया जाता है तब भी देखें तो यह आय अन्य छोटी नौकरियों और मामूली कारोबार की तुलना में बहुत ही कम है । अब आप समझ सकते हैं कि हमारे अन्नदाता आए दिन आत्महत्या जैसे कदम क्यों उठाते हैं ?

मेरे दोस्तों जैसा कि आप भी जानते  हैं कि देश में हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एम .एस .स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 18 नवंबर 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग ने अपने सुझाव मे बताया था कि फसल उत्पादन मूल्य से 50 प्रतिशत ज्यादा कीमत किसानों को मिले और गांवो में किसानों के मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए व फसल बीमा की सुविधा पूरे देश में हर फसल के लिए मिले इसके साथ ही सरकार की मदद से किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर कम करके 4 फ़ीसदी किया जाए और लगातार प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसान को मदद पहुंचाने के लिए एक एग्रीकल्चर रिस्क फंड का गठन किया जाए।

लेकिन हम देख रहे हैं कि आज तक इस पर अमल नहीं किया गया है मैंने तो खुद जो नाबार्ड के माध्यम से फार्मर क्लब बनाकर किसानों को संगठित करके उनको जागरूक व हर संभव मदद करने का योजना है उसमें खुद काम किया लेकिन हमने देखा किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कोई विशेष रूचि नहीं लेता कोई भी संस्था।

दोस्तों केंद्र सरकार के कृषि विकास व किसानों की आमदनी दो गुना करने के तमाम दावों के बावजूद किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और दूसरी तरफ 4 दिन पहले ही हमारे बिहार के कटिहार जिले के अन्नदाता को  बदमाशों ने तो मार ही दिया ।।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो कि रिपोर्ट के मुताबिक फिर एक बार निराशाजनक आंकड़े सामने आए हैं। एनसीआरबी के मुताबिक दोस्तों 2016 में 11,379 किसानों ने खुदकुशी की है। वैसे एक्सीडेंटल डेथ एंड सुसाइड इन इंडिया शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में 2015 में 12,602 आत्महत्याओं के मुकाबले 2016 में खुदकुशी के कुल मामलों में कमी देखने को तो मिली है। दोस्तों किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर आज भी बना हुआ है। हमारा देश  ऐसा है जो दुनिया की सातवीं  सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दोस्तों आप कह सकते हो ऐसे देश में हजारों की संख्या में किसानों का मरना बहुत ही चिंताजनक और अफसोस जनक मामला है। यह आंकड़ा देखकर आप भी सहम जाएंगे की हमारे यहां औसतन हर 46 मिनट में हमारे देश में कहीं ना कहीं एक किसान आत्महत्या जरूर करता है। अब मेरा सवाल यह है कि सरकार की कृषि क्षेत्र की गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की खुदकुशी रुकने का नाम क्यों नहीं ले रही है ??

हमारे अन्नदाताओ की आत्महत्या की यह तस्वीर कहीं सरकार की दोषपूर्ण नीतियों का नतीजा तो नहीं है ना ?

दोस्तों मेरे को कहने की जरूरत नहीं है कि किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला हमारे नीति निर्माताओं की दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों का ही नतीजा है। ऐसी नीतियां जिनसे गरीब और गरीब हो रहे हैं और अमीर और अमीर हो रहा है। जरा आप भी सोचिए क्या कारण है कि एक किसान मंडी में टमाटर प्याज 50 पैसे प्रति किलो बेचने जाता है लेकिन खरीददार और बिचौलिया 20 -25 पैसे प्रति किलो देने के लिए कहता है और वह किसान एक ट्रैक्टर से टमाटर को जमीन पर रौंदकर चला जाता है? उस किसान का जब लागत ही नहीं निकल पाएगा भाड़ा गाड़ी भी नहीं निकल पाएगा तो वह किसान 20- 25 पैसे प्रति किलोग्राम बेचने के बजाय टमाटर प्याज को जमीन पर फेंकना बेहतर समझता है ।।

दोस्तों एनसीआरबी के 2015 के रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की आत्महत्या का सबसे प्रमुख कारण कर्ज में डूबने का ही रहा था। ध्यान से देखें तो गरीबी और बिमारी भी किसानों की आत्महत्या की अहम वजह होती है। गरीबी और बीमारी भी दोस्तों आय से सीधे जुड़ी हुई होती है, गरीबी के कारण ही लोग इलाज के लिए ऋण लेते हैं और निम्न आय के कारण कर्ज चुका  नहीं पाते हैं . और  धीरे- धीरे नतीजतन ब्याज बढ़ते रहने के कारण कर्ज के पहाड़   बढ़ता जाता है, जिसके बोझ को हमारे अन्नदाता सह नहीं पाते हैं।। दोस्तो इसी कृषि  की बदतर हालात के कारण ही किसान अपने बच्चों को खेती के बजाय कोई नौकरी करने की सलाह देते हैं और यही कारण है कि एक बड़ी आबादी गांव से शहर की ओर लगातार पलायन कर रही है। यह तस्वीर दोस्तों भारत के भविष्य के लिए खतरे की घंटी जैसी है। क्योंकि जब हमारे अन्नदाता ही नहीं रहेंगे तो हम खाएंगे क्या?

आप सभी ने भी देखा मेरे दोस्तों जब कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन किया गया तो देश के बड़े-बड़े महानगरों और दूसरे राज्यों में प्रवासी मजदूर के रुप में अपने गांव को छोड़कर गए हुए लोगों में अधिकतर युवा वर्ग के लोग हमारे किसान परिवार से ही थे, जब लॉकडाउन किया गया था तो हजारों किलोमीटर पैदल चलने को यह प्रवासी मजदूर मजबूर हुआ जिसमें से कुछ लोग किसी बस, ट्रक और ट्रेन के नीचे दबकर मारे गए तो कुछ लोग हमने देखा कि भूखे- प्यासे मारे गए जिनमें हमारे अन्नदाता के भी बच्चे थे । यह अन्नदाता के बच्चे अपने घर के माली स्थिति को सुधारने के लिए गए थे जो  जाकर बड़े-बड़े महानगरों में किसी कंपनी या अपना छोटा- मोटा रोजगार करते थे।। आपको बता दें कि चीन में छोटे और सीमांत किसानों को ब्याज मुक्त या निम्न ब्याज दरों पर कर्ज दिया जाता है और भी दूसरे देशों में किसानों के लिए कई प्रकार के सुरक्षा कानून है फिर हमारे यहां क्यों नहीं किसानों के लिए सुरक्षा कानून बनता है ??

कवि विक्रम क्रांतिकारी (चिंतक/पत्रकार / आईएएस मेंटर/अध्येता

दिल्ली विश्वविद्यालय - अध्येता 9069821319

अलग - अलग मापदण्ड

       हर साल की तरह इस साल भी जैसे ही नए साल की पढ़ाई शुरू हुई। प्रिंसिपल मैडम साधना जी ने प्रार्थना स्थल पर खड़े होकर प्रार्थना के बाद अपनी स्पीच देना शुरू किया। उनकी स्पीच सभी बच्चों के लिए और स्कूल में पढ़ाने वाली सभी अध्यापकों के लिए थी।उन्होंने अपने सभी अध्यापकों और स्कूल में आए नए और पढ़ने वाले पुराने विद्यार्थियों को को समझाते हुए अपनी बातों को उनके सामने रखना शुरू किया।

 

           साधना जी ने बड़े ही प्यार से बच्चों को समझाया कि नए साल में सभी अपने किताबों को ध्यान से पढ़े और अपने भविष्य के लिए बडी ही मेहनत से पढ़ाई करें।उन्होंने अपने अध्यापकों से अनुरोध किया कि बच्चों को इस तरीके से पढ़ाया जाए कि उन्हें किसी भी प्रकार के ट्यूशन की जरूरत ना पड़े।उनकी पढ़ाई की सारी परेशानी कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही दूर की जाएं और बच्चों के मां-बाप के होने वाली ट्यूशन की फीस का अलग से खर्चे ना हो।

 

          साधना जी ने अपने टीचरों को समझाया कि उन्हें इतनी लगन से पढ़ाये कि जैसे अपने बच्चों को पढ़ाते है।उनकी शिक्षा से बच्चे आगे बढ़े और उन्हें किसी भी ट्यूशन की जरूरत ना पड़े।भाषण के बाद और स्कूल समाप्त होने के बाद साधना जी घर पहुंची। घर पहुंचने के बाद उन्होंने शाम को उनके पास जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने आते थे।उनको पढ़ाना शुरू किया बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते उन्हें समझा रही थी।देखो बच्चो स्कूल में आजकल कहां इतनी बढ़िया पढ़ाई होती है।ट्यूशन तो बहुत ही जरूरी हो गया है।बिना ट्यूशन के अब केवल स्कूल के समय मे पढ़ाई पूरा करना बड़ा मुश्किल है।

 

          क्लास में तो केवल औपचारिकता ही पूरी हो पाती है।राधा जो नवी कक्षा के विद्यार्थी है।सुबह ही उसने स्कूल में मैडम का भाषण के दौरान साधना जी एक दूसरा चेहरा देखा था और अब ट्यूशन के दौरान उनका कोई दूसरा ही चेहरा दिखाई दे रहा था।अपने भोलेपन में राधा ने साधना जी से पूछ लिया मैडम आप अपने चेहरे पर दो-दो चेहरे कैसे लगा लेते हो।स्कूल में कुछ कहते हो और घर में कुछ कहते हो।साधना मैडम ने राधा को डांट कर एक कोने पर बैठा दिया।शायद अपनी बेशर्मी को छिपाने का उनके पास और कोई तरीका नही था।

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

Saturday, July 25, 2020

ग़ैर कानूनी कार्यो को उजागर करने वाले पत्रकारों पर ही सम्बन्धित थाना कर रहा मुक़दमा दर्ज

लखनऊ। ग़ैर कानूनी कार्यो को उजागर करने वाले पत्रकारों पर ही सम्बन्धित थाना कर रहा मुक़दमा दर्ज सूत्र वीडयो में चकला सम्बन्धित महिलाओ के बयान के बावजूद पत्रकारों पर आखिर क्यों दर्ज हुआ मुक़दमा सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार क्षेत्रवासियों द्वारा सम्बदन्धित  मामले की तहरीर नही लेंगे थाना प्रभारी मड़ियांव पत्रकारो को ही क्यों वादी बनाने में तुला प्रशासन आइये देखते है चकला सम्बन्धित महिलाओ के बयान का वीडियो साभार से हिंदमोर्चा न्यूज़


शिवराज सिंह चौहान की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, मुख्यमंत्री ने कहा- मेरे संपर्क में आए लोग टेस्ट कराएं

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने उनके संपर्क में आने वालों से कोरोना टेस्ट कराने और करीबियों से क्वारैंटाइन होने की अपील की है। वे कोरोना से संक्रमित होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं। तीन दिन पहले उनके साथ लखनऊ जाने वाले कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और उनकी पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी।


शिवराज ने खुद ट्वीट करके जानकारी दी


मुख्यमंत्री ने शनिवार को ट्वीट करके खुद अपने संक्रमित होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा- मैं कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन कर रहा हूं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार खुद को क्वारैंटाइन करूंगा और इलाज कराऊंगा। प्रदेश की जनता से अपील है कि सावधानी रखें, जरा सी असावधानी कोरोना को निमंत्रण देती है।


उन्होंने कहा कि मैंने कोरोना से सावधान रहने के हर संभव प्रयास किए, लेकिन समस्याओं को लेकर लोग मिलते ही थे। मेरी उन सब को सलाह है कि जो मुझसे मिले, वे अपना टेस्ट करवा लें।




कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं: शिवराज


शिवराज ने कहा कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना का समय पर इलाज होता है तो यह बिल्कुल ठीक हो जाता है। मैं 25 मार्च से हर शाम कोरोना की समीक्षा बैठक करता रहा हूं। मैं अब वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोरोना की समीक्षा करने का प्रयास करूंगा।


दूसरे मंत्रियों को भी समीक्षा की जिम्मेदारी दी


शिवराज ने कहा कि मेरी गैरमौजूदगी में समीक्षा बैठक गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी करेंगे। मैं खुद भी क्वारैंटाइन रहते हुए इलाज के दौरान प्रदेश में कोरोना नियंत्रण के हरसंभव प्रयास करता रहूंगा। आप सब सावधान रहें, सुरक्षित रहें और गाइडलाइन का पालन जरूर करें।


शिवराज 3 दिन पहले कैबिनेट की मीटिंग में शामिल हुए थे


शिवराज ने 22 जुलाई को कैबिनेट की मीटिंग की थी। इसके अलावा वे 23 जुलाई को मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और खंडवा की मांधाता सीट से विधायक नारायण पटेल से मिल चुके हैं।


शिवराज का पहले भी 4-5 बार हो चुका टेस्ट


शिवराज का कोरोना टेस्ट पहले भी 4-5 बार किया जा चुका है, तब रिपोर्ट निगेटिव आई थीं। अब जबकि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है ऐसे में उनके परिवार अौर संपर्क में आए लोगों के भी सैम्पल लिए जा रहे हैं। शिवराज का इलाज चिरायु अस्पताल में होगा।


मंत्री भदौरिया के संपर्क में आए थे शिवराज


शिवराज सिंह हाल ही में स्टेट प्लेन से पूर्व राज्यपाल लाल जी टंडन के अंतिम संस्कार में शामिल होने लखनऊ गए थे। उनके साथ कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत और अन्य लोग भी थे। बाद में भदौरिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनका चिरायु अस्पताल में इलाज चल रहा है।


प्रदेश के कई विधायक और नेता पॉजिटिव हो चुके हैं


प्रदेश में शिवराज और भदौरिया के अलावा कई विधायक और नेता कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी, धार विधायक नीना वर्मा, जावद से विधायक ओमप्रकाश सकलेचा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा, जबलपुर से विधायक लखन घनघोरिया, सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह और टीकमगढ़ के विधायक राकेश के नाम शामिल हैं।


 

 



मुख्यमंत्री हुए कोरोना वायरस से संक्रमित

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री चौहान की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट कर खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। मेरी सभी साथियों से अपील है कि जो भी मेरे संपर्क में आए हैं वह अपना कोरोना टेस्ट करवा लें। मेरे निकट संपर्क वाले कोरेंनटाइन में चले जाएं। मैं कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन कर रहा हूं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्वयं को क्वारंटाइन करूंगा और इलाज कराऊंगा। मेरी प्रदेश की जनता से अपील है कि सावधानी रखें, जरा सी असावधानी कोरोना को निमंत्रण देती है।  उन्होंने आगे कहा कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना का समय पर इलाज होता है तो कोरोना बिल्कुल ठीक हो जाता है।


 


Tuesday, July 21, 2020

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया। मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि लालजी टंडन ने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर ली अंतिम सांस ली। लालजी टंडन के निधन के बाद उनके बेटे और यूपी सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्वीट करके कहा कि बाबूजी नहीं रहे। 


गौरतलब है कि लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब में परेशानी की वजह से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।





Monday, July 13, 2020

""चुनाव , सत्ता और माफिया लूट के लोकतंत्र का सच है भूख और गरीबी""

कोविड 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से दुनिया के लगभग सभी लोग त्राहिमाम है । लेकिन सबसे अधिक हमारे गरीब मजदूर और किसान लोग है । जब देश में लॉकडाउन लगाया गया था तो हमारे प्रवासी मजदूर जो कभी रोटी के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों और महानगरों में गए थे, लेकिन हम सभी ने देखा दोस्तों की हमारे देश के रीढ़ प्रवासी मजदूर  हजारों किलोमीटर पैदल ही चल कर अपने घरों की तरफ लौटने के लिए विवश हो गए थे । इनमें से बहुत से प्रवासी मजदूर अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले हीे कहीं किसी ट्रेन के नीचे तो कहीं कुछ हमारे प्रवासी मजदूर बसों और ट्रकों के नीचे कुचलकर मारे गए। हैरानी की बात यह है कि इन प्रवासी मजदूरों पर सभी राजनीतिक दलों ने खूब राजनीति की मुफ्त में अपना प्रचार किया लेकिन वास्तव में किसी भी प्रवासी मजदूरों का मदद नहीं किया गया। लेकिन हमने देखा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीबों को मुफ्त में राशन मुहैया कराने का निर्णय लिया और बहुत से संपन्न लोगों ने भी अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंद लोगों का मदद भी किए । लेकिन इस बिच में देखा गया कि अलग-अलग राज्यों और जिलों में सक्रिय राशन माफिया गरीबों के राशन पर झपट्टा मारने से बाज नहीं आए। कुछ दिनों पहले ही केवल 2 महीनों में राशन डीलरों  द्वारा ब्लैक किया गया 8 कुंटल से अधिक सरकारी गेहूं और चावल पकड़ा जा चुका है । आखिर क्यों गरीबों के पेट पर लात मारते हो ?

जैसा कि हम सब जानते हैं कि अपने देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था पहली बार इसलिए गरीबों और वंचितों के हालात को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने शहर और ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों को मुफ्त में राशन वितरण करने का आदेश जारी किया । लेकिन हमने देखा कि सभी गरीबों को तो राशन नहीं मिला लेकिन राशन माफिया सक्रिय हो गए और  राशन डीलरों से सांठगांठ कर गरीबों के लिए आने वाला राशन ब्लैक में खरीदना शुरू कर दिया ।

दोस्तों अगर हम लोकतंत्र का मतलब चुनाव है बोले तो फिर गरीबी का मतलब चुनावी वादा ही होगा । जिस प्रकार से कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे जोकि पिछले दिनों हमारे 8 पुलिसकर्मियों को भी मार डाला था । यह विकास दुबे राजनैतिक संरक्षण से ही पैदा हुआ था । जो वर्षों से अपना अत्याचार गरीब लोगों पर किया करता था और सभी राजनैतिक पार्टियों के साथ कहीं ना कहीं इसका सांठगांठ था ,इसीलिए वर्षों से यहां अपना अत्याचार किया करता था। लेकिन जब सभी राजनैतिक पार्टियों को लगा कि अब उनका राज खुलने वाला है तो विकास दुबे को मुठभेड़ में मार दिया गया । क्या यही लोक कल्याणकारी राज्य है ?

अगर लोकतंत्र का मतलब सत्ता की लूट है, माफिया पैदा करना है तो फिर नागरिकों के पेट का निवाला छीन कर लोकतंत्र के रईस होने का राग होगा ही और अपने देश में गरीबी और अमीरी का भेदभाव होगा ही। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के लगभग 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है वही 10% देश की संपत्ति पर 90% लोग किसी तरह गुजर- बसर करते हैं । आखिर इतना भेदभाव क्यों ? जबकि हमारे  संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी के बराबरी की बात कही गई है।

आपको बता दे कि पूरी दुनिया भारत को अपना बाजार इसलिए मानती  है कि हमारे यहां जनसंख्या तो है ही ज्यादा लेकिन एक बात और है जो लोग चर्चा नहीं करते अधिकतर वह है हमारे यहां की सत्ता कमीशन पर देश के खनिज संसाधनों की लूट की छूट देने के लिए हमेशा तैयार रहती है । सोच कर देखो आप ही बिहार झारखंड जैसे राज्य जहां लोग मेहनती होने के साथ-साथ यहां खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में फिर भी गरीबी  क्यों नहीं खत्म होती है? लोग दूसरे राज्यों और महानगरों में जाकर अपनी रोजी-रोटी के लिए भटकते हैं । इन सब का कारण मुझे लगता है कि घटिया राजनीति ही एकमात्र है ।

आपको जानकर हैरानी होगी सोशल इंडेक्स में भारत इतना नीचे है कि विकसित देशों का रिजेक्टेड माल भी भारत में खप  जाता है , और ध्यान से देखें तो हमारे भारत का बाजार इतना अधिक  

बिकसित है कि दुनिया के विकसित देश जिन दवाइयों को जानलेवा मानकर अपने देश में पाबंदी लगा चुके हैं वह दवा भी भारत के बाजार में खप जाती है ।

 अजीब हमारा लोकतंत्र है क्योंकि एक तरफ विकसित देशों की तर्ज पर सत्ता ,कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां काम करने लगी है तो वहीं दूसरी तरफ नागरिकों के हक में आने वाले खनिज संसाधनों की लूट उपभोग के बाद जो बचा खुचा गरीबों को बांटा जाता है, और इसको कल्याणकारी योजना का प्रतीक बना दिया जाता है । और हद तब हो जाता है इस कल्याणकारी योजना में भी माफिया अपना लूटमार करना शुरू कर देते हैं।

आज सभी राजनैतिक दल धनबल ,बाहुबली और भाई भतीजावाद के दम पर ही अपनी पार्टियों को चला रहे हैं। आप ध्यान से देखें तो जो विश्वविद्यालय स्तर की छात्र संघ चुनाव होता है उसमें भी उन्हीं को टिकट दी जाती है जिनके पास यह तीनों  शक्तियां हो साथ ही चापलूसी हो इसी प्रकार से सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों का भी हालात है।

इस तरह की व्यवस्था पर आखिर किसका हक रहे इसके लिए ही चुनाव है । जिस पर काबिज होने के लिए लूटतंत्र का रुपया लुटाया जाता है । लेकिन लूटतंत्र के इस लोकतंत्र की जमीन के हालात क्या है? आपको विकास दुबे जैसे राजनैतिक संरक्षण पाए हुए अपराधी से पता चल गया होगा ।

आज बहुत से लोग बहुआयामी गरीबी इंटेक्स के दायरे में आते हैं मतलब की सवाल सिर्फ मेरा गरीबी रेखा से नीचे भर होने का ही नहीं है बल्कि कुपोषित होने ,बीमार होने ,भूखे होकर  जीने के कुचक्र  में लगभग 50 फ़ीसदी से अधिक वंचित लोगों का है और अब तो इस वैश्विक महामारी के कारण और भी ज्यादा यह संख्या बढ़ेगी। वहीं दूसरी तरफ लोग ओवरन्यूट्रिशन से परेशान है तो एक तरफ मालनूट्रिशन से आखिर इतना भेदभाव क्यों ?

यूएनडीपी यानी संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाने वाली संस्था कहती है कि भारत को आर्थिक मदद दिया जाता है लेकिन मदद का रास्ता भी क्योंकि दिल्ली से होकर गरीब तक जाता है इसीलिए राजनैतिक दल गरीब को रोटी की एवज में सत्ता का चुनावी मेनिफेस्टो दिखाता है, वोट मांगता है और विभिन्न प्रकार के वादे करता है और इसके बावजूद भी इन गरीबों की हालत में कोई सुधार नहीं होता है। अब सवाल मेरा यह है कि क्या दुनिया भर से भारत के गरीबों के लिए जो अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए मदद दिया जाता है वह भी कहीं राजनैतिक पार्टियां तो नहीं हड़प लेते हैं और अगर नहीं हड़पते है तो फिर कहां जाता है?

दुख की बात तो यह है कि गरीबी या गरीबों के लिए काम करने वाली संस्थाएं भी विदेशी मदद के रुपयों को हड़पने में सत्ता का साथ देती। अक्सर सत्ता देखे तो उन्हीं संस्थानों को मान्यता देती है या धन देती है जो रुपयों को हड़पने में राजनैतिक सत्ता के साथ खड़े रहे । जब देश और राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनेता लोग अरबों रुपए प्रचार प्रसार में लुटाते हैं और चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टर से आसमान में उड़ते हुए नेता कुलांचे मारते रहते हैं आखिर यह सब पैसे कहां से आते हैं ?

आपको एक बात बता देते हैं दुनिया के मानचित्र में अफ्रीका का देश नामीबिया एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा भूख है और कल्पना कीजिए आप कि यूएनडीपी रिपोर्ट के मुताबिक नामीबिया एमपीआई मतलब मेरा कहने का है कि मल्टीनेशनल पॉवर्टी इंडेक्स गरीबी स्तर में 0.181है उसी प्रकार मध्य प्रदेश का भी लेवल 0.181 है मतलब की आज जिस अवस्था में नामीबिया है उसी अवस्था में मध्य प्रदेश और भी अन्य राज्यों जैसे बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश यह सब बीमारू राज्यों में आते हैं ।

जिस बिहार की सत्ता के लिए नीतीश कुमार बिहार में बहार है कि बात करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के सबसे निचले पायदान पर और दुनिया के 5 वे सबसे निचले पायदान पर आने वाले साउथ ईस्ट अफ्रीका के मलावाई देश के बराबर है ।

 आखिर अपने देश में क्यों जरूरी है जीरो बजट पर चुनाव लड़ने के लिए जनता का दबाव बनाना। उसकी सबसे बड़ी वजह यही लोकतंत्र है जिसके आसरे लोकतंत्र का राग गाया जाता है और हद तो तब हो जाती है जिस केरल के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सियासत अंधी हो चली थी । आपको बता दें कि केरल हमारे देश के सबसे विकसित राज्यों में एक हैं जहां सबसे कम गरीबी में यहां का एमपीआई 0.004 है । तो वही सत्ता और सियासत चुनावी लोकतंत्र के नाम पर देश को ही हड़प ले उससे पहले चेत जाइए दोस्तों ।

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया  -अंतरराष्ट्रीय चिंतक)

शॉर्ट सर्किट से लगी दैनिक अयोध्या टाइम्स कार्यालय में आग

कानपुर। बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा 3 केडीए मार्केट में संजय नगर निवासी बृजेश मौर्या का दैनिक अयोध्या टाइम्स कार्यालय है साथ ही जिसमें ऑनलाइन फार्म व ग्राफिक्स का काम होता है जिसमें रविवार देर रात अचानक शार्ट सर्किट होने के कारण आग लग गई जहां से धुआं उठते देख आस-पड़ोस के लोगा बाहर आ गये। जिसे देख क्षेत्रीय लोगों ने कार्यालय के बाहर लिखें मोबाइल नंबर पर फोन करके कार्यालय मे आग लगने के बारे में बताया जिनकी बात सुनते ही मौके पर आए कार्यालय ऑनर बृजेश मौर्य ने तुरंत कार्यालय का शटर खोला जिसमें तेज लपटों के साथ सारा सामान जल रहा था जिसपर बृजेश मौर्य और क्षेत्रीय लोगों ने मिलकर आग में बाल्टियो से भर भर कर पानी डाला जिससे लोगों ने थोड़ी देर बाद कार्यालय के अंदर लगी आग पर काबू पाया आग लगने से कार्यालय के अंदर रखा करीब दो से ढाई लाख का सामान जलकर खाक हो गया।



सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया

हमारी जिंदगी में नजरिया (attitude) बहुत ज्यादा मायने रखता है। हमारा नजरिया बचपन में ही बन जाता है। हम कैसे विचार करते हैं ये हमारे नजरिए पर निर्भर करता है। अगर हमारी सोच अक्सर सकारात्मक होती है तो हमारा नजरिया सकारात्मक होता है। अन्यथा हमारा नजरिया नकारात्मक होता है। कुछ लोग जरा सी परेशानी आयी औऱ घबराने लगते हैं । उन्हें हमेशा लगता है कि यह मुसीबत हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी। एक के बाद दूसरी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इनका कोई अंत नहीं है। यह सोचकर वे ज्यादा परेशान हो जाते हैं। उनका नजरिया ही नकारात्मक बन जाता है। वे हर सफल व्यक्ति में केवल बुराइयाँ ही तलाशते हैं। उन्हें लोगों की अच्छाइयां कभी दिखाई नहीं देती हैं। वे लोगों में केवल नकारात्मक विचारों को फैलाते हैं। न कभी खुश रहते हैं और ना किसी को रहने देते हैं। हमेशा नकारात्मक बातों को करते रहते हैं। जीवनभर अपना नजरिया बदल नहीं पाते हैं।

इस वजह से जीवन में सदा असफल रहते हैं। अपनी असफलता का कारण दूसरों को मानते हैं। वे यह समझ नहीं पाते हैं कि उनकी असफलता की असली वजह उनका नकारात्मक नजरिया है। वे अपने आपमें कभी सुधार नहीं करते हैं। सदा दुखी और असन्तुष्ट रहते हैं। इन लोगों से मिलकर लोग अप्रसन्न हो जाते हैं। ये लोग दूसरों की परवाह नहीं करते हैं।

दूसरी तरफ सकारात्मक नजरिया वाले लोग आत्मविश्वास से भरे रहते हैं। वे जो काम करते हैं उसमें उन्हें सफलता मिलती है। अगर कभी असफल भी होते हैं तो उसका कारण तलाशते हैं और उस कमी को दूर करते हैं। वे दूसरों पर दोषारोपण नहीं करते हैं। ऐसे लोगों से मिलकर लोग खुश हो जाते हैं क्योंकि वे अच्छे विचार फैलाते हैं। ऐसे लोग बुराई में अच्छाई तलाशते हैं। उनका यह नजरिया ही उन्हें सफलता के करीब ले जाता है। वे दूसरों की अच्छाइयों की तारीफ करते हैं। ऐसे लोगों के बहुत मित्र बन जाते हैं। वे दूसरों में आशा की किरण जगाते हैं तथा लोगों को सदा प्रोत्साहित करते रहते हैं। स्वयं भी सकारात्मक रहते हैं और सकारात्मक ऊर्जा लोगों में फैलाते हैं।

जीवन में सकारात्मक औऱ नकारात्मक विचारों का अपना ही महत्व है। सकारात्मक सोच आगे बढ़ने में सहायता करती है तो नकारात्मक सोच किसी काम में आनेवाली चुनोतियों का एहसास कराती है । हमें दोनों का उचित संतुलन बनाकर अपना काम करना चाहिए। जैसे–सकारात्मक सोच वालों ने हवाई जहाज बनाया लेकिन नकारात्मक सोच वालों ने पैराशूट बनाया। हवाई जहाज बनाने वाले ने सोचा लोग हवा में उड़ सकेंगे तो नकारात्मक विचारों वालों ने सोचा अगर हवाई जहाज गिर गया तो लोग कैसे बचेंगे इसलिए उन्होंने पैराशूट बनाया जिससे लोग बच सकें।

आप इस एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि एक हद तक नकारात्मकता सही है।

प्रफुल्ल सिंह "साहित्यकार"

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

उचित फीस

         लॉक डाउन के समय में अपने बच्चों की पढ़ाई खराब होने का डर शर्मा जी को लगातार हो रहा था।फिर कुछ खबर आई कि बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन होगी।अब शर्मा जी को कुछ तस्सली हुई।उन्हें लगा शायद अब बच्चों का 1 साल खराब होने से बच जाएगा।ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही फीस की स्लिप भी मिल गयी।फीस स्लिप को देखकर शर्मा जी की खुशी का ठिकाना ना रहा।उन्होंने देखा फीस की स्लिप तो केवल 11000 रुपये की है।जबकि पिछले साल तो एक क्वार्टर की फीस 12000 रुपये थी।

         शर्मा जी बहुत खुश थे कि चलो लॉक डाउन में स्कूल वालों ने कुछ तो फीस कम कर दी।तभी अचानक शर्मा जी का माथा ठनका।उन्होंने पिछले साल की स्कूल की फीस की स्लिप निकाली और उसमे 12000 रुपये की पूरी डिटेल देखने के बाद उन्हें समझ में आया कि वह तो बेकार ही खुश हो रहे थे।12000 रुपये क्वार्टर की फीस में 2000 रुपये तो बस की फीस थी।बच्चे जब स्कूल नही जाएंगे और घर पर ही पढ़ाई करेंगे।तो स्कूल की फीस के अलावा बस की फीस तो जाएगी ही नहीं,इसका मतलब इसकी स्लिप तो 10000 रुपये की आनी चाहिए थी।जो कि 11000 रुपये की थी।शर्मा जी अपनी शिकायत लेकर स्कूल की प्रिंसिपल मिलने से मिलने के लिए स्कूल पहुंचे।

          प्रिंसिपल के सामने पहुंचने के बाद उन्होंने प्रिंसिपल मैडम से पूछा, मैडम अगर बस की फीस नहीं जानी है तो उसे काट के तो एक क्वार्टर की फीस केवल 10000 रुपये ही बनती है।यह आपने हजार रुपये किस बात के बढ़ा दिए।प्रिंसिपल साहिबा अचानक शर्मा जी के सवाल से सकपका गयी।उन्होंने शर्मा जी को समझाने की कोशिश की।देखिए सर बच्चों की पढ़ाई तो हो ही रही है।हर साल की तरह सभी टीचरों की सैलरी तो वैसी की वैसी ही देनी है और आपको पता ही है कि हर साल सभी को इन्क्रीमेंट भी देना होता है।सभी बातों को ध्यान में रखते हुए फीस तो बढ़ानी ही पड़ती है।मैडम मेरी बड़ी बहन भी आपके स्कूल में टीचर है और जहां तक मुझे जानकारी है।इस साल आपने कोरोना की वजह से अपने किसी भी अध्यापक को इन्क्रीमेंट देने से मना किया है।

          अगर ऐसा तो आप किस बात के लिए फीस बढ़ा रही हैं।जबकि हम सभी के काम 2 माह बंद रहे हैं।प्रिंसिपल साहिबा से कोई जवाब ना बन पाया और फीस में हुई इस वृद्धि का कोई भी जवाब ना होने के कारण उन्होंने शर्मा जी से कहा आपका दिल करे तो आप बच्चों को यहां पढ़ा लीजिये वरना उन्हें कहीं और पढ़ा लीजिए।फीस तो कम नही होगी।शर्मा जी प्रिंसिपल साहिबा की इन बातों को सुनकर अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे थे। लेकिन कोरोना की इन परिस्थितियों में अब वह किसी और स्कूल में बच्चों का एडमिशन भी नहीं करा सकते थे। *इसलिए बिना मतलब ही फीस वृद्धि का थप्पड़ गाल पर खाकर वह अपना गाल सहलाते हुए फीस भरकर अपने घर वापस आ गए।*

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

जलती आग में घी डालना कोई विपक्षियों से सीखे

कल जब आठ पुलिस कर्मियों की बड़ी ही क्रूरता व निर्दयता से हत्यारे ने हत्या की , तब विपक्ष ने उसे हत्यारा कह-कहकर सरकार के नाक में दम कर दिया था । सोशल मीडिया से लेकर समाचारों के हर पन्नों पर विपक्ष की खोखली बयान बाजियां प्रमुखता से छाई हुई थीं , कि एक ऐसा खूंखार हत्यारा जो हमारे आठ पुलिस कर्मियों को मार कर खुलेआम घूम रहा है । आखिर उसके खिलाफ कार्रवाई कब होगी ? कल पुलिस कर्मियों के साथ दया भाव व घड़ियाली आसूं बहाने वाला यही विपक्ष जो सरकार पर सवालों के अंबार लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था , अब वही विपक्ष जिसने उसे खूंखार हत्यारे से संबोधित किया , आज उस हत्यारे के एनकाउंटर किए जाने के बाद विपक्ष ने ऐसा रंग बदला कि उसके आगे गिरगिट भी रंग बदलने में मात खा गया । आठ पुलिस कर्मियों के घर वाले कल महज विपक्ष की बयान बाजियां सुनते रहे और आज वही विपक्ष पलटी मार हत्यारे के साथ जा खड़ा हो गया । अब कांग्रेस को ही ले लें , वह खूंखार हत्यारे की हत्या के बाद हत्यारे का पक्षधर बन मानवाधिकार आयोग में जा पहुंचा । कल शहीद हुए पुलिस कर्मियों के पक्ष में महज खोखले राग अलाप रहे इस विपक्ष ने उन आठ पुलिस कर्मियों के पक्ष में मानवाधिकार आयोग का दरवाजा नहीं खटखटाया और न ही उन पुलिस कर्मियों के परिजनों से मिल उन्हें कोई सांत्वना ही दी , बस दूर से राजनैतिक रोटियाँ सेंकने में ही व्यस्त दिखे । गौरतलब है कि पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई के चलते एक खूंखार हत्यारे की हत्या हुई , तो विपक्ष और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को इस पर जाँच की माँग करना कहाँ तक जायज है ? जो अपराधी अनेक हत्याएं पहले ही कर चुका है , उसके लिए और कुछ हत्याएं करना बड़ी बात नहीं थी । ऐसे में पुलिस अपनी आत्मरक्षा न करती तो शायद आठ की जगह और अठ्ठारह पुलिस कर्मी उसके शिकार हो चुके होते , तब यही विपक्ष फिर सोशल मीडिया व समाचार चैनलों पर चिल्लाते फिरते कि एक हत्यारा हमारे पुलिस कर्मियों को मार कर चला गया और हमारी सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है ! आज हमारे देश के विपक्ष की हालत ऐसी हो गई है कि बाल की खाल निकालने का कोई भी मौका नहीं चूकने देना चाहते । सरकार के किसी भी कार्य में विपक्ष अपना रोल क्या खूब निभा रहा है , जिसमें वह महज कमियां निकालने व चुटकियां लेने के काम में पूर्ण प्रतिबद्धता दिखा रही है । इन विपक्षियों को यह नहीं समझ आता है कि उनकी इस तरह से राजनैतिक रोटियां सेंकने में जनता के अंदर अनायास की हिंसा पनप सकती है , जो कि देश की एकता , अखण्डता व संप्रभुता के खिलाफ होगा ।
देश की एकता , अखण्डता व संप्रभुता को बनाएं रखना महज सत्ता में मौजूद सरकार का ही कर्तव्य है , क्या विपक्ष का कुछ भी हक नहीं बनता ? क्या यह उनकी अपनी जनता नहीं है ? आखिर इन बेवजह के मुद्दों पर आए दिन उंगली उठाना क्या राजनैतिक दृष्टिकोण से किसी भी विपक्ष के हित में होगा ? विपक्ष की भूमिका निभाने में विपक्षी यह भी भूल जा रहा है कि वह क्या कर गया ? उसकी कभी पाकिस्तान , कभी नेपाल तो कभी चीन के पक्ष में बयान बाजियां आग में घी का काम रही हैं , जिससे उसकी निजी छवि तो खराब हो रही है , साथ जनता के मन में समस्त राजनैतिक पार्टियों के प्रति नकारात्मक संदेश का संचार भी खूब हो रहा है । हालांकि विपक्ष की भूमिका अदा करना गलत नहीं है , मगर राजनीति की मर्यादा को ध्यान में रखकर विपक्ष के कार्य को अंजाम देना भविष्य के लिए बेहतर विकल्प पैदा कर सकता है ।


रचनाकार - मिथलेश सिंह 'मिलिंद'
मरहट , पवई , आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)


Sunday, July 12, 2020

बघौली थाना में कोरोना की दस्तक, महिला कांस्टेबल व उसके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव

बघौली ध्हरदोई। (अयोध्या टाइम्स)कोरोनावायरस महामारी का कहर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिसकी चपेट में बघौली थाना भी आ गया है जहां पर तैनात महिला कांस्टेबल तथा उसके पति की रिपोर्ट कोरो ना पाजिटिव आई है थाना परिसर के साथ-साथ क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है


बताते चलें कि बघौली थाना में तैनात महिला हेल्थ हेड कांस्टेबल ज्योति कुशवाहा उम्र लगभग 38 वर्ष तथा  देवकांत कुशवाहा पुत्र कालिका प्रसाद कुशवाहा उम्र लगभग 41 वर्ष की जांच दिनांक 10 ध्07ध् 2020 को सैंपल हुआ था जिसके बाद आज रिपोर्ट कोरो ना पाजिटिव आने से थाना परिसर संदेह के घेरे में है इसके साथ बघौली क्षेत्र में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है  बघौली पुलिस कर्मियों के मस्तक पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं जिससे पूरा स्टाफ सदमे में है।


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक अहिरोरी मनोज सिंह ने बताया कि बघौली थाना में तैनात महिला कांस्टेबल एवं उसके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उन्हें क्वॉरेंटाइन कराने की व्यवस्था की जा रही है।


अमिताभ और अभिषेक के बाद एश्वर्या राय बच्चन और अराध्या बच्चन भी कोरोना पॉजिटिव

मुंबई


अमिताभ और अभिषेक के बाद एश्वर्या राय बच्चन और अराध्या बच्चन भी कोरोना पॉजिटिव.



अनुपन खेर की मां ,भाई, भाभी और भतीजी को हुआ कोरोना का संक्रमण

कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है अभी अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन के कोविड 19 पॉजिटिव होने की खबरों ने सभी को हैरान करके रख दिया था। अब खबर आ रही है कि अनुपन खेर की मां दुलारी देवी सहित घर के कई सदस्य कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। घर के कई सदस्यों के संक्रमित होने के बाद अनुपन खेर ने भी अपना कोविड 19 का टेस्ट करवाया हैं जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी हैं। फिलहाल अनुपम खैर की मां को कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती करवाया है। जानकारी के मुताबिक अनुपन खेर के भाई, भाभी और भतीजी को कोरोना संक्रमित है।




अनुपन खेर ने अपने मां और परिवार के सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव होने के जानकारी खुद सोशल मीडिया से दी हैं। अनुपम खैर ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा-अनुपम खेर ने आगे लिखा, 'मैंने अपना भी कोरोना टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। मैंने इसकी जानकारी बीएमसी को भी दी है।' वहीं वीडियो में अनुपम खेर ने कहा,'पिछले कुछ दिनों से मेरी मां दुलारी देवी को कुछ दिनों से भूख नहीं लग रही थी। वह कुछ भी नहीं खा रही थी और सोती रहती थी। तो हमने डॉक्टर की सलाह पर उनका ब्लड टेस्ट करवाया, उसमें सबकुछ ठीक निकला. इसके बाद डॉक्टर ने सीटी स्कैन करने किए कहा। तो हमने स्कैन करवाया, तो कोविड पॉजिटिव माइल्ड निकला।'




अमिताभ बच्चन के बंग्लो 'जलसा' की सुरक्षा बढ़ाई गई

मुंबई। मुंबई पुलिस ने अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद नानावती अस्पताल और यहां जुहू स्थित उनके दो बंगलों के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी है। अमिताभ और अभिषेक नानावती अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अमिताभ और अभिषेक ने शनिवार को जब यह जानकारी दी कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, तो उसके बाद कुछ लोगों ने विले पार्ले (पश्चिम) स्थित चिकित्सकीय केंद्र के बाहर एकत्र होने की कोशिश की, लेकिन उनसे वहां से जाने को कहा गया और बताया गया कि उन्हें सड़क पर खड़े होने की अनुमति नहीं है।




सांताक्रूज पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक श्रीराम कोरेगांवकर ने कहा, ‘‘हमने अस्पताल के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी है, ताकि वहां लोग एकत्र न हों। अस्पताल में कोविड-19 के और भी मरीज भर्ती हैं और उन्हें इससे असुविधा नहीं होनी चाहिए। हमारे अधिकारी अस्पताल के बाहर तैनात हैं और किसी को वहां एकत्र होने की अनुमति नहीं दी जा रही।’’


जुहू पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि अभिनेता के बंगलों के बाहर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है, क्योंकि लोग वहां एकत्र होने की कोशिश कर सकते हैं। अमिताभ और अभिषेक ने शनिवार को कहा था कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। अमिताभ 77 साल के हैं और अभिषेक 44 वर्ष के हैं।


 




Saturday, July 11, 2020

महानायक अमिताभ बच्चन हुए कोरोना पॉजिटिव, अस्पताल में भर्ती

बॉलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन की अचानक तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में अमिताभ बच्चन की कोरोना वायरस की जांच भी हुई जहां उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। अमिताभ बच्चन ने अपने कोरोना पॉजिटिव होने की बात खुद सोशल मीडिया पर अपने फैंस को दी। हैं। 




अमिताभ बच्चन ने ट्विचर पर लिखा- मेरा कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। अस्पताल में भर्ती किया गया है। अस्पताल अथॉरिटीज़ को जानकारी दे रही हैं। परिवार और स्टाफ का भी कोरोना वायरस का टेस्ट किया गया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। पिछले 10 दिनों में जो लोग भी मेरे करीब आए हैं, उनसे गुज़ारिश है कि वो अपनी जांच करा लें।


आपको बता दें कि अमिताभ बच्चन हाल ही में फिल्म गुलाबो-सिताबों में नजर आये थे। अमिताभ ने इस फिल्म में पहली बार अयुष्मान खुराना के साथ काम किया था। इस फिल्म को अमेजन प्राइम वीजियो पर रिलीज किया गया था। इसके अलावा अभी अमिताभ कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जिनकी शूटिंग लॉकडाउन के कारण रुकी हुई थी।


 


 




Friday, July 10, 2020

बढ़ती जनसंख्या बनतीं बड़ा खतरा

जनसंख्या दिवस का उद्देश्य है कि बढ़ती जनसंख्या को रोकने का प्रयास किया जाए।  जिसके लिए हमें समय-समय पर बढ़ती जनसंख्या के नुकसान ओ की जानकारी दी जाती है ताकि हम यहां समझे की बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए क्यों रोकना आवश्यक है किंतु इसके बावजूद भी हमारे देश की जनसंख्या प्रत्येक वर्ष तेजी से बढ़ती जा रही है एक और जहां हम एक बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के कारण खुद पर गर्व का अनुभव करते हैं क्योंकि हमारे देश में युवाओं की जनसंख्या अन्य किसी देश की जनसंख्या से अधिक है वहीं दूसरी और यही बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए परेशानियां भी बन रही है। बेरोजगार लोगों का बढ़ता आंकड़ा और बढ़ती ग़रीबी जनसंख्या की ही देन है। अधिक जनसंख्या के चलते हमारे संसाधन कम पड़ जाते हैं। जिसकी वज़ह से हम एक विकसित शक्तिशाली देश बनने का सपना जो देखते हैं, उसमें रुकावट पैदा होती है। बेरोजगारी और ग़रीबी अपराधों को बढ़ाती है। लोगों का जीवन असुरक्षित हो जाता है। स्त्रियों को सबसे अधिक अपराधों का शिकार होना पड़ता है। विचार करिए कोरोनावायरस ने किस तरह हमारी और हमारे सिस्टम की पोल खोली हैं। हमारे पास अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं केवल दिल्ली जैसे कुछ गिने चुने अस्पतालों में है। जबकि क्यूबा हम से गरीब देश होने के बावजूद भी अपने सभी नागरिकों को देश की सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। वहीं दूसरी ओर मजदूरों को हजारों किलोमीटर का सफर पैदल तैं करना पड़ा। यदि हमारी भी जनसंख्या इतनी अधिक ना होती तो क्या हम केवल एक आंकड़ा बन कर मत दाता बन कर नहीं रह जाते। हमारा महत्व होता एक जीवन के रूप में आवश्यकता है हमें यह समझने की कि देश ख़तरे में है, हमारी बढ़ती जनसंख्या के विस्फोटक के कारण।  हमें धर्म और जाति की परवाह करते हुए अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने का प्रयास करने के स्थान पर कम-से-कम बच्चे पैदा करने पर जोर देना चाहिए। देश के  बारे में विचार करिए, अभी कोशिश करने का समय है नहीं तो वक़्त गुज़र जाने पर पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा। 

               राखी सरोज





 





बढ़ती जनसंख्या को रोकना जरुरी

दरअसल हम मूलभूत समस्याओं से अक्सर मुँह मोड़ते रहे हैं।कारण चाहे कुछ भी रहे हों लेकिन ऐसा रहा है।ये भी सच है कि वर्षोंवर्ष से हम सिर्फ तात्कालिक रूप से ही किसी चीज का इलाज करते है सार्वकालिक रूप से नहीं और परिणाम हम भुगतते ही हैं।भारत देश में अनेकानक जटिल से जटिल समस्याएँ हैं जो देश की उन्नति और प्रगति में बाधा पैदा करती हैं।जैसे गरीबी,बेरोजगारी,बेकारी,भुखमरी,शिक्षा का लगातार गिरता स्तर,महिला सुरक्षा,कानून की पालना,राजनीति में घुसता धर्म और गुंडागर्दी,स्वास्थ्य सेवाओं का गिरना आदि-आदि।इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या ऐसी भी है जो इन्हीं में कई समस्याओं की जड़ है।यदि उस समस्या का निपटारा कर दिया जाए तो सम्भवतः कई समस्याएं खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी।वह समस्या है निरन्तर सुरसा राक्षसी की तरह मुँह फैलाती जनसंख्या की बढ़ोतरी।यह भी जटिल समस्याओं में से एक है।आज की तारीख में समस्त विश्व में चीन के बाद भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।यदि यही हाल रहा तो लगभग दो हजार तीस तक हम इस मामले में चीन को पछाड़ कर विश्व में पहले स्थान पर होंगे।

हमारी जनसंख्या वृदधि की दर का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि 1947 के बाद के पश्चात् मात्र पाँच दशकों में यह लगभग पैंतीस करोड़ से एक सौ चालीस करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है।जहाँ तक कारणों की बात है तो हमारे देश में जनसंख्या की बढोतरी के अनेक कारण हैं जैसे यहाँ की जलवायु प्रजनन के लिए अधिक अनुकूल है। इसके अलावा निर्धनता,अनपढ़ता रूढ़िवादिता तथा संकीर्ण मानसिकता जनसंख्या वृदधि के अन्य कारण हैं।देश में बाल-विवाह की परंपरा प्राचीन काल से थी जो आज भी गाँवों में थोड़ी ही सही पर विद्‌यमान है और कहीं-कहीं तो यह प्रथा के रूप में अब भी प्रचलित है जिसके कारण भी अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं ।

शिक्षा की कमी,लोगों की सोच का वैज्ञानिक न होना भी जनसंख्या की लगातार बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण है।आपको शायद होगा कि एक बार 1977 में इंदिरा सरकार ने जबरन ऐसा कुछ किया था जिससे जनसंख्या पर नियंत्रण लगता लेकिन उस वक्त उसी निर्णय पर उनकी काफी फजीहत भी हुई थी।परिवार नियोजन के महत्व को अज्ञानतावश लोग समझ नहीं पाते हैं । इसके अतिरिक्त पुरुष समाज की प्रधानता होने के कारण लोग लड़के की चाह में कई संतानें उत्पन्न कर लेते हैं।परन्तु इसके पश्चात् उनका उचित भरण-पोषण करने की सामर्थ्य न होने पर निर्धनता में कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।जन्मदर की अपेक्षा मृत्यु दर कम होना भी जनसंख्या वृद्धि का ही एक कारण है क्योंकि समय के हिसाब से वैज्ञानिक प्रगति हुई जिससे चिकित्सा विज्ञान ने मृत्यु दर को कम कर दिया।ऐसी कुछ बीमारियां जो आसाध्य थी,उनका इलाज भी हमने ढूंढ लिया और परिणाम बढ़ोतरी हुई।गरीबी भी जनसंख्या के बढ़ने का एक प्रमुख कारणों में एक है।इस तरह के आंकड़े हैं कि जहां गरीबी कम है,वहां जनसंख्या की बढ़ोतरी उनकी अपेक्षा कम हुई जहां गरीबी थी।

अब सवाल यह है कि यदि जनसंख्या बढ़ती है तो फिर देश में रोजी-रोटी और रोजगार की समस्या तो बढ़ेगी ही।साथ ही गरीबी और भुखमरी भी पैदा होगी।जल,जंगल और जमीन की कमी रहेगी।कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी कहीं न कहीं परेशानी तो जरूर आएगी।अभी बहुत पहले की बात न करें तो इस महामारी के दौरान हमने इस बात को भली-भांति देखा ही है।जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी तो निश्चित रूप से गरीबी बढ़ेगी।हाल में हम देख सकते हैं कि देश में अस्सी करोड़ लोगों को तो सरकार को फ्री अनाज देना पड़ रहा है और हरियाणा जैसे प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा उच्चतम स्तर पर है।हम दो-हमारे दो का नारा भी हमने लगाकर देखा है लेकिन वो सार्थक परिणाम नहीं आए  जिसकी हम अपेक्षा करते थे।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना देश के विकास के लिए बेहद आवश्यक है। यदि इस दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब स्थिति हमारे नियत्रंण से दूर हो जाएगी।इस संदर्भ में सबसे पहले यह जरुरी है कि हम परिवार-नियोजन के कार्यक्रमों को विस्तृत रूप देकर इसे जन-जन तक पहुंचाने का काम तीव्रता से करें।जनसंख्या वृदधि की रोकथाम के लिए न केवल प्रशासनिक स्तर बल्कि  सामाजिक,धार्मिक और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास किए जाने की तत्काल और सख्त जरूरत है।हरेक स्तर पर इसकी रोकथाम के लिए जनमानस के प्रति जन जागरण अभियान छेड़ा जाना चाहिए।जनसंख्या को काबू करने के लिए यदि सरकार को कोई कठोर कदम भी उठाना पड़े तो उठाने से नहीं हिचकना चाहिए।कोई न कोई सख्त कानून बनाकर भी जनसंख्या को काबू किया जा सकता है।इसी संदर्भ में कुछ ऐसे निर्णय भी लिए जा सकते हैं कि जैसे दो से अधिक बच्चों वालों को नौकरी नहीं दी जायेगी,चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा।दो से अधिक बच्चे होने पर किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधाएं नहीं दी जाएगी।शिक्षा का प्रचार-प्रसार करके भी इसे रोका जा सकता है।अतः में हम यही कहना चाहेंगे कि यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो फिर बहुत देर हो जाएगी।हम और हमारा देश बहुत पीछे की और चले जाएंगे।आमीन।

 

कृष्ण कुमार निर्माण

करनाल,हरियाणा।

देश को प्रकृति और विकास के बीच संतुलन की आवश्कता




कोरोना वायरस महामारी के चलते लगभग 2 माह के लॉकडाउन के बाद भारत सहित विश्व के लगभग 75 प्रतिशत देश अपनी अर्थव्यवस्थाएँ धीरे-धीरे खोलते जा रहे हैं। अब आर्थिक गतिविधियाँ पुनः तेज़ी से आगे बढ़ेंगी। परंतु लॉकडाउन के दौरान जब विनिर्माण सहित समस्त प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ बंद रहीं तब हम सभी ने यह पाया कि वायु प्रदूषण एवं नदियों में प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो गया है। देश के कई भागों में तो आसमान इतना साफ़ दृष्टिगोचर हो रहा है कि लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ भी साफ़ दिखाई देने लगे हैं, कई लोगों ने अपनी ज़िंदगी में इतना साफ़ आसमान पहले कभी नहीं देखा था। इसका आश्य तो यही है कि यदि हम आर्थिक गतिविधियों को व्यवस्थित तरीक़े से संचालित करें तो प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखा जा सकता है।

 

हर देश में सामाजिक और आर्थिक स्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। इन्हीं परिस्थितियों के अनुरूप आर्थिक या पर्यावरण की समस्याओं के समाधान की योजना भी बनती है। आज विश्व में कई ऐसे देश हैं जिनकी ऊर्जा की खपत जीवाश्म ऊर्जा पर निर्भर है। इससे पर्यावरण दूषित होता है। हमारे अपने देश, भारत में भी अभी तक हम ऊर्जा की पूर्ति हेतु आयातित तेल एवं कोयले के उपयोग पर ही निर्भर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान हम सभी को एक बहुत बड़ा सबक़ यह भी मिला कि यदि हम इसी प्रकार व्यवसाय जारी रखेंगे तो पूरे विश्व में पर्यावरण की दृष्टि से बहुत बड़ी विपदा आ सकती है।

 

भारत विश्व में भू-भाग की दृष्टि से सांतवां सबसे बड़ा देश है जबकि भारत में, चीन के बाद, सबसे अधिक आबादी निवास करती है। इसके परिणाम स्वरूप भारत में प्रति किलोमीटर अधिक लोग निवास करते हैं और देश में ज़मीन पर बहुत अधिक दबाव है। हमारे देश में विकास के मॉडल को सुधारना होगा। सबसे पहले तो हमें यह तय करना होगा कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना भी अब बहुत ज़रूरी है। यदि हाल ही के समय में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कुछ क़दमों को छोड़ दें तो अन्यथा पर्यावरण के प्रति हम उदासीन ही रहे हैं। अभी हाल ही में प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बहुत सारे ऐसे क़दम उठाए गए हैं जिनमें न केवल जन भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है बल्कि इन्हें क़ानूनी रूप से सक्षम बनाए जाने का प्रयास भी किया गया है। जैसे ग्रीन इंडिया की पहल हो, वन संरक्षण के बारे में की गई पहल हो अथवा वॉटर शेड के संरक्षण के लिए उठाए गए क़दम हों। यह इन्हीं क़दमों का नतीजा है कि देश पर जनसंख्या का इतना दबाव होने के बावजूद भी भारत में अभी हाल में वन सम्पदा बढ़ी है और देश में वन जीवन बचा हुआ है।

 

भारत विश्व में भू-भाग की दृष्टि से सांतवां सबसे बड़ा देश है जबकि भारत में, चीन के बाद, सबसे अधिक आबादी निवास करती है। इसके परिणाम स्वरूप भारत में प्रति किलोमीटर अधिक लोग निवास करते हैं और देश में ज़मीन पर बहुत अधिक दबाव है। हमारे देश में विकास के मॉडल को सुधारना होगा। सबसे पहले तो हमें यह तय करना होगा कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना भी अब बहुत ज़रूरी है। यदि हाल ही के समय में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कुछ क़दमों को छोड़ दें तो अन्यथा पर्यावरण के प्रति हम उदासीन ही रहे हैं। अभी हाल ही में प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बहुत सारे ऐसे क़दम उठाए गए हैं जिनमें न केवल जन भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है बल्कि इन्हें क़ानूनी रूप से सक्षम बनाए जाने का प्रयास भी किया गया है। जैसे ग्रीन इंडिया की पहल हो, वन संरक्षण के बारे में की गई पहल हो अथवा वॉटर शेड के संरक्षण के लिए उठाए गए क़दम हों। यह इन्हीं क़दमों का नतीजा है कि देश पर जनसंख्या का इतना दबाव होने के बावजूद भी भारत में अभी हाल में वन सम्पदा बढ़ी है और देश में वन जीवन बचा हुआ है।

 

प्रफुल्ल सिंह "साहित्यकार"

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

8564873029


 

 



 

गैंगस्टर की गिरफ्तारी का कॉमेडी ड्रामा

आठ पुलिसवालों की हत्या करने वाले एक खूंखार अपराधी को सात रात और सात दिनों तक उत्तर प्रदेश पुलिस की चालीस थानों की टीमें और पांच राज्यों की पुलिस दिन रात ढूंढ़ती है, किन्तु पकड़ने में असफल रहती है, और एक दिन अचानक वह उज्जैन के महाकाल मंदिर के प्रांगण में टहलता दिखाई देता है। वह सात दिनों में 1200 किमी की यात्रा करता है, गाड़ी में बैठ कर आराम से खाते पीते मंदिर पहुंचता है, वीआईपी दर्शन की पर्ची कटवा कर, इसप्रकार आराम से घूम फिर रहा था, मानो वो फरार न हो कर घूमने आया हो। 

        जिस गैंगस्टर को उत्तर प्रदेश के बड़े-बड़े अधिकारी तथा पांच राज्यों की पुलिस नहीं पकड़ पाई, उसे महाकाल मंदिर का एक गार्ड जिसका नाम लखन है, पहचान लेता है। वह इस पर लगातार दो घंटे तक नजर बनाए रखता है और स्थानीय पुलिस वालों को इसकी सूचना देता है और पुलिस विकास दुबे को वहां से गिरफ्तार कर लेती है।

       जब पुलिस वाले उसको पकड़ने के लिए भाग दौड़ कर रहे थे तो वह उज्जैन में महाकाल से शायद अपने बचने की प्रार्थना करने गया था कि कहीं पुलिस उसका एनकाउंटर न कर दे।इस दौरान वह दस से ज्यादा टोलप्लाजा पर टोल देने के लिए रुका होगा, लेकिन कहीं भी पहचाना नहीं गया।जबकि हर टोल प्लाजा पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं।हर टोलप्लाजा पर पुलिस रहती है, नाकाबंदी रहती है और उत्तर प्रदेश की पुलिस नोएडा से गुजरने वाली गाड़ियों की गहराई से जांच भी कर रही थी। पकड़े जाने पर विकास दुबे चिल्ला कर बोला, 'मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला।' मानो वो अपराधी न होकर कोई ब्रांड एंबेसडर हो।

        ये पूरी गिरफ्तारी फिल्मी कहानियों की तरह हुई। 2 और 3 जुलाई की रात आठ पुलिसवालों को इसने गोलियों से छलनी कर दिया था। इसकी गिरफ्तारी पर 5 लाख का इनाम था और आखिर कार ये मोस्ट वांटेड मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर में पकड़ा गया।

 

रंजना मिश्रा ©️

विश्व जनसंख्या समस्या पर वैश्विक चेतना 2020

साल दर साल विश्व जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में हो रही वृद्धि के मद्देनजर, इस स्थिति से अनभिज्ञ हो चुकी समस्त मानव जाति को एक मंच पर लाकर उन्हें बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करने की एक पहल विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के रूप में आयोजित की जाती है। जिसमें दुनिया के लगभग सभी देश मिलकर जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न हो रही समस्त समस्याओं पर आपसी विचार-विमर्श करते हुए इन समस्याओं से निजात पाने हेतु कई वैश्विक सुझावों पर सहमति जाहिर करते हैं। हालांकि इस वर्ष जनसंख्या दिवस का विषय ' परिवार योजना एक मानव अधिकार है ' के अंतर्गत स्वस्थ व सुदृढ़ परिवार की स्थापना में समस्त मानव जाति की भागीदारी को सुनिश्चित करना, मगर फिर भी हर वर्ष जनसंख्या दिवस की भाँति इस बार भी बढ़ती जनसंख्या को केंद्र में रखकर, समस्त मानव जाति को जनसंख्या के महत्व को समझाया जाएगा।
हालांकि जनसंख्या किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। संसाधनों के मुकाबले अगर जनसंख्या की वृद्धि कम है तो यह किसी भी राष्ट्र की बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रेरित करती है। जनसंख्या वृद्धि के प्रति सचेत करते हुए, समस्त मानव जाति को इससे अनवरत घट रहे संसाधनों के प्रति जागरूक करना इस दिवस का मुख्य लक्ष्य होता है। तीव्र गति से बढ़ती हुई वैश्विक जनसंख्या कई बड़ी समस्याओं को जन्म देती है, जिसका प्रभाव मानव जाति के साथ-साथ प्राकृतिक चक्र पर भी प्रत्यक्षतः देखा जा सकता है। बात अगर स्वास्थ्य करें तो एक बच्चे को जन्म देने में प्रतिदिन लगभग 800 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है, अतः हम कह सकते हैं कि जननीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की तरफ समस्त मानव जाति को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर इन मुद्दों पर विशेष जोर दिया जाता रहा है, क्योंकि एक स्वस्थ प्रजनन एक सुदृढ़ विकास को बढ़ावा देता है।
वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या लगभग 7.7 अरब के पार पहुंच चुकी है, इस विशाल जनसंख्या वृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान चीन और भारत के द्वारा किया गया है, जो कि एक चिंतनशील मुद्दा है। इस तरह की तीव्र जनसंख्या वृद्धि के मद्देनजर प्रश्न यह उठता है कि क्या हम इतनी बड़ी जनसंख्या के भरण-पोषण हेतु संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सक्षम हैं ? अगर हैं ! भी तो आखिर कब तक ? आज जनसंख्या का दबाव जिस तरह संसाधनों के ऊपर बढ़ता जा रहा है, उसे देखकर यह नहीं लगता कि हमारे मौजूदा संसाधन भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सकेंगे। यूएन के एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान व्यक्त किया गया है कि 2023 तक विश्व की जनसंख्या 8 अरब तथा 2056 तक 10 अरब को पार कर जाएगी। ऐसे में यह आंकड़ें काफी चौकाने वाले हैं कि अगर ऐसा होता है तो दुनिया अनेक समस्याओं का सामना करेगी, मौजूदा जनसंख्या के भरण-पोषण, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं व रोजगार मुहैया कराना, एक बड़ी चुनौती हो जाएगी।
आज जनसंख्या की यह तीव्र वृद्धि पूरी दुनिया के सम्मुख जनसंख्या विस्फोट के रूप में एक चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। इस विस्फोटक चुनौती को संभालना पूरी दुनिया के लिए बेहद अहम है, क्योंकि जनसंख्या और संसाधन के बीच गहरा संबंध है, अधिक जनसंख्या अधिक संसाधन का उपयोग करेगी। अतः इस तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करना पूरी दुनिया के लिए बेहद जरूरी हो गया है, जिसके लिए समस्त मानव जाति को हम दो हमारे एक या दो को अपनाते हुए, स्वास्थ्य व सुरक्षा के प्रति जागरूक होना होगा। तीव्र गति से घट रहे संसाधनों का संतुलित उपयोग व संरक्षण सुनिश्चित करना होगा, ताकि भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित व संरक्षित संसाधनों को बचाया जा सके। क्योंकि संसाधन ही किसी समाज के सुदृढ़ विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं।


रचनाकार - मिथलेश सिंह 'मिलिंद'
मरहट, पवई, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)


कानपुर SP बोले, गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की

आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया गया है। कानपुर मुठभेड़ की मौत की पुष्टि पुलिस ने की है। कानपुर पश्चिम के एसपी ने बताया कि विकास दुबे को जब लाया जा रहा था तब गाड़ी पलट गई, इसमें जो पुलिसकर्मी घायल हुए उसने उनका पिस्टल छीनने की कोशिश की। पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर कर आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की जिसमें उसने जवाबी फायरिंग की। आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की। जिसके बाद उसे कानपुर के अस्पताल लाया गया और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


गौरतलब है कि विकास दुबे को कानपुर ला रही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी पलट गई। हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ। इससे पहले कल विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था।  



हथियार छीनकर भागने की कोशिश में गैंगस्टर विकास दुबे का द एंड, शव लेकर हैलट अस्पताल पहुंची पुलिस और STF

विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर लेकर आ रहे उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स(एसटीएफ) का वाहन पलट गया। मौके पर पुलिस पहुंची है। इस हादसे में सभी घायलों को अस्पताल ले जाया गया। इस बीच सबसे बड़ी खबर जो सूत्रों के हवाले से आ रही है कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और वह मुठभेड़ में मारा गया है।


हथियार छीनकर भागने की कोशिश में 5 लाख के ईनामी बदमाश विकास दुबे को ढेर कर दिया। कानपुर के हैलेट अस्पताल में विकास की डेड बॉडी लेकर पुलिस पहुंची है। 


 


विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में मारा गया

विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर लेकर आ रहे उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स(एसटीएफ) का वाहन पलट गया। मौके पर पुलिस पहुंची है। इस हादसे में सभी घायलों को अस्पताल ले जाया गया। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और वह मुठभेड़ में मारा गया है।


Thursday, July 9, 2020

उत्तर प्रदेश में फिर से लॉकडाउन

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से लॉकडाउन लगने जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कल रात 10 बजे से 13 जुलाई को सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान किया है। हालांकि इस लॉकडाउन में जरूरी सामानों की दुकानें खुली रहेंगी। सभी कार्यालय, बाजार और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। आवश्यक सेवाओं को अनुमति दी जाएगी। ट्रेनों का संचालन जारी रहेगा।


आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के और 17 मरीजों की मौत हो गई, जबकि संक्रमण के 1,248 नये मामले सामने आने के बाद प्रदेश में इसके कुल मामले बढ़ कर 32,362 हो गये हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद में बृहस्पतिवार को बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित 17 और लोगों की मौत के साथ इस महामारी से मरने वाले लेागों की कुलसंख्या बढ़कर 862 हो गई है। 



 


पुलिस के हत्थे आया मोस्ट वांटेड विकास दुबे, मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार

गैंगस्टर विकास दुबे की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस जगह-जगह खाक छान रही थी और एक-एक कर उसके गुर्गे को ठिकाने भी लगा रही थी। लेकिन इन सब के बीच पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई। खबरों के अनुसार आखिरकार आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया है। 


उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों का कहना है कि कानपुर मुठभेड़ के मुख्य आरोपी विकास दुबे को उज्जैन के एक पुलिस स्टेशन में गिरफ्तार किया गया। 



 


भारत में चीन की 59 ऐप बैन

भारत में चीन की 59 ऐप बैन कर देने से चीन बौखला गया है। चीन के विदेश मंत्री ने भारत के फैसले को परेशान करने वाला बताया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चाइनीज ऐप्स की एक लिस्ट तैयार कर केंद्र सरकार से अपील की थी कि इनको बैन किया जाए। क्योंकि इनके जरिए चीन भारतीय डेटा हैक कर सकता है और इसीलिए भारत सरकार ने तुरंत इन 59 ऐप को बैन कर दिया है और आगे और भी चीनी ऐप पर प्रतिबंध लग सकता है।

        टेलीग्राफ एक्ट के तहत संचार मंत्रालय को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को किसी भी वेबसाइट या ऐप का डेटा रोकने को कहने का हक है। अगले एक-दो दिन में यह डेटा रोक दिया जाएगा। गूगल प्ले स्टोर, ऐप स्टोर से ये ऐप हटा दिए गए हैं। इनके अपडेट भी नहीं मिलेंगे। डेटा रोकने पर यूजर्स को फीड मिलनी बंद हो जाएगी और केवल पुरानी वीडियो ही मिलेंगे।इन एप्स के जरिए हिंदुस्तानियों का डेटा दूसरे देशों में जा रहा था। चीन ने इसी तरह फेसबुक और गूगल को बैन कर दिया था। दुबई में व्हाट्सएप पर चैट तो कर सकते हैं पर व्हाट्सएप कॉल नहीं कर सकते।

        एप्पल की रिपोर्ट ने भी दावा किया है कि यहां पर डेटा सुरक्षित नहीं है। इन 59 ऐप में टिक टॉक में 100 मिलियन यूजर्स हैं, वहीं लाइक और हैलो जैसे ऐप का भी युवाओं में बहुत क्रेज है। यह भारत से करोड़ों रुपए कमा रहे थे।

        भारत सरकार द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का असर एक और चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया है। इस एंटी चाइना कैंपियन का सबसे ज्यादा असर बीगो लाइव, पबजी, टिक टॉक,लाइकी और शेयर इट को हुआ है। सेंसर टावर की एक रिपोर्ट के अनुसार जून में इन एप्स का बहुत नुकसान हुआ है जून में इनके नंबर ऑफ़ डाउनलोड्स बहुत कम रह गए आशा है इन चाइनीज ऐप्स के अल्टरनेटिव शीघ्र उपलब्ध हो जाएंगे

 

रंजना मिश्रा ©️

कानपुर, उत्तर प्रदेश

 

 

डीसीपी के आदेशो पर पश्चिमी ठाकुरगंज पुलिस अपराधों पर लगाम लगाने के लिये लगातार दिख रही मुस्तैद




पुष्पेंद्र सिंह सवांददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ 

डीसीपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी के आदेशों पर काम कर रही पश्चिमी पुलिस लगातार बढ़ रहे अपराधों पर नियंत्रण करने के लिये डीसीपी और पश्चिमी पुलिस लगातार रोडो पर नजर आ रहे है। लखनऊ ठाकुरगंज क्षेत्र में पुलिस ने किया पैदल मार्च अपराधों को बढ़ावा देने वालों को और संदिग्ध गतिविधियों को भांपने के लिये बालागंज से कैम्पवेल रोड तक हुआ मार्च जिसमें लोगों को मांस लगाने के लिए बोला गया और सामाजिक दूरी भी बनाने को कहा गया । भीड़ भाड़ न  हो लोगों को समझाया गया। जिससे जनता को किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े ।  वही दूसरी तरफ आदेशो का पालन न करने वाले लोगो के खिलाप चलाया जा रहा चेकिंग अभियान।

लगातार चौराहों पर पुलिस चला रही चेकिंग अभियान।

बालागंज चौराहे पर गाड़ियों पर तीन लोग सवार होकर चल रहे और बगैर मास्क लोगों के भी  किये गये चालान।मार्च में थाना ठाकुरगंज प्रभारी राजकुमार सिंह व बालागंज चौकी प्रभारी विजय कुमार सिंह और अन्य भरी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।


 

 



 

बालागंज चौराहे से कैम्पवेल रोड तक किया पैदल मार्च




पुष्पेंद्र सिंह सवांददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ 

लखनऊ ठाकुरगंज क्षेत्र में पुलिस ने किया पैदल मार्च अपराधों को नियंत्रण करने के लिये  और संदिग्ध गतिविधियों को भांपने के लिये बालागंज से कैम्पवेल रोड तक हुआ मार्च जिसमें लोगों को मांस लगाने के लिए बोला गया और सामाजिक दूरी भी बनाने को कहा गया भीड़ भाड़ न लोगों को समझाया गया मार्च में थाना ठाकुरगंज प्रभारी राजकुमार सिंह व बालागंज चौकी प्रभारी विजय कुमार सिंह और अन्य पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।



 



 

पिनाहट में आर्थिक तंगी व बेरोजगारी के चलते लगाई युवक ने लगाई फांसी, मौत






पिनाहट । थाना पिनाहट क्षेत्र के गांव पडुआ पुरा में आर्थिक तंगी व बेरोजगारी के चलते युवक ने फांसी लगा ली ।जिससे युवक की मौत हो गयी । मौत की सूचना से घर में कोहराम मच गया ।

     जानकारी के अनुसार थाना पिनाहट क्षेत्र के गांव पडुआ पुरा निवासी बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण बीती रात करीब 12 बजे अपने घर में फांसी लगा ली । सूचना पर पहुंची पुलिस घायल को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिनाहट पहुंची ।जहां डॉक्टरों ने उसे रैफर कर दिया।


 

 



 



घरेलू कलह के चलते कलयुगी पति ने पत्नी को उतारा मौत के घाट




पुष्पेंद्र सिंह सवांददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ 

पत्नी के सर पर छोटे सिलेंडर से हमला कर किया मौत के हवाले

लखनऊ। ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के आदर्शनगर मल्लपुर में बुधवार की सुबह एक कलयुगी पति ने गैस के छोटे सिलेंडर से अपनी पत्नी के सर पर वार कर उसकी हत्या कर दी। पत्नी की हत्या कर पति आराम से फरार हो गया। घटना के बाद स्थानीय लोगो की सूचना पर पहुची ठाकुरगंज पुलिस ने मौका 

ए वारदात पर मिले सुबूतों को कब्जे में लेने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसीपी का कहना है कि घरेलू विवाद में हत्या हुई है।आरोपी पति फरार तलाश जारी है।

जानकारी के अनुसार मूल रूप से जिला सीतापुर की रहने वाली हैं 40 वर्षीय गुड़िया ठाकुरगंज के आदर्शनगर मल्लपुर में रहती थी। पति की मौत के बाद गुड़िया ने अपने देवर अम्बर के साथ दूसरी शादी की थी। बताया जा रहा है कि गुड़िया और अम्बर के बीच मनमुटाव की वजह से अम्बर अलग रहता था गुड़िया के पहले पति से उसके बच्चे है लेकिन वो भी अपनी माँ के साथ नही रहते है। बुधवार की सुबह गुड़िया का पति अम्बर गुड़िया के पास आया था और पति पत्नी के बीच हुए झगड़े के बाद अम्बर ने घर मे रक्खे 5 लीटर के छोटे गैस सिलेंडर से गुड़िया के सर पर वार कर उसकी हत्या कर दी। पत्नी की हत्या करने के बाद अम्बर आराम से फरार हो गया। मोहल्ले में हुई हत्या की घटना के बाद स्थानीय लोगो द्वारा पुलिस को सूचना दी गई तो पुलिस मौके पर पहुची। पुलिस ने मौका ए वारदात से गुड़िया के शव के पास खून से सना गैस सिलेंडर बरामद कर लिया है। एसीपी चौक दुर्गा प्रसाद तिवारी ने बताया कि मृतिका ने अपने पति की मौत के बाद अपने देवर अम्बर से विवाह किया था उन्होंने बताया कि मूल रूप से सीतापुर का रहने वाला अम्बर मज़दूरी करता है उन्होंने बताया कि हत्या घरेलू विवाद के चलते हुई है आरोपी हत्या करने के बाद फरार हो गया है पुलिस उसकी तलाश कर रही है।


 

 



 

दवाई लेकर जा रहे दंपत्ति को बाइक सवार युवकों ने मारी गोली

गंभीर हालत में दोनों को सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया
ब्यूरो चीफ:-प्रशान्त यादव दैनिक अयोध्या टाइम्स
मैनपुरी:-घटना की जानकारी मिलते ही एसपी अस्पताल पहुंचे हमलावरों की तलाश में पुलिस दे रही है दबिश। कोतवाली क्षेत्र के ग्राम अगौथा के निकट बाइक से जा रहे दंपति को अज्ञात लोगों ने गोली मार दी। गंभीरावस्था में दोनों को जिला अस्पताल लाया गया जहां से उन्हें सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। घटना की जानकारी मिलते ही एसपी, एएसपी भारी पुलिस बल के साथ जिला अस्पताल पहुंच गए। लोगों की भारी भीड़ अस्पताल में जमा थी। गोली किसने और क्यों मारी इस संबंध में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है।कोतवाली के ग्राम बृजपुर निवासी महेश चंद्र यादव के पुत्र रोहित यादव ने एक वर्ष पूर्व पास के ही गांव की  निवासी ज्योति से प्रेम विवाह किया था।मंगलवार को दोनों दवाई लेने कीरतपुर गए गए थे। वापस लौटते समय गांव जाने वाले मार्ग पर दो बाइकों पर आए 6 लोगों ने उन्हें घेर लिया और दोनों को गोली मार दी। गोली की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़ पड़े। लोगों को आता देख हमलावर भाग खड़े हुए। मौके पर पहुंचे लोगों ने दोनों घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया। खबर मिलते ही एसपी अजय कुमार पांडेय, एएसपी मधुबन कुमार सिंह पुलिस बल के साथ जिला अस्पताल पहुंच गए। दोनों घायलों की हालत गंभीर थी इसलिए उन्हें एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज में भेज दिया गया।मृतक के पिता का आरोप है कि 5 दिन पहले एक आदमी उनके घर आया था और लड़की वापस करने का दबाव बना रहा था। ऐसा न करने पर दोनों को गोली मारने की धमकी दी थी। एसपी अजय कुमार पांडेय ने बताया दोनों की हालत गंभीर है। मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है। घटना के संबंध में जो भी तहरीर दी जाएगी उसके आधार पर मुकदमा दर्ज होगा।

जिला कार्यकारिणी के सदस्य द्वारा  विधायक राम गोपाल को माला पहनाकर स्वागत किया




जिला संवाददाता अर्जुन कुमार गुप्ता*

बाराबंकी:  मसौली में पूर्व विधायक आदरणीय  रामगोपाल रावत  की मौजूदगी में जिला कार्यकारिणी में मनोनीत सदस्य अशोक यादव व जैसीराम यादव का सभी कार्यकर्ताओं व प्राधिकारियों के द्वारा माला पहनाकर स्वागत किया गया ।कार्यक्रम का आयोजन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष/जिला पंचायत सदस्य शकील अहमद सिद्दीक़ जी के प्रतिष्ठान पर किया गया। 

पूर्व विधायक आदरणीय  रामगोपाल रावत ने मनोनीत सदस्यों का माला पहनाकर स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे मेहनती और कर्मठ लोगो को जिम्मेदारी मिली है जो पद पर न रहते हुए भी पार्टी के लिए दिन रात काम करते थे आज इन्हें जिम्मेदारी मिलने से जिले में संगठन को और मजबूती मिलेगी और कार्यकर्ताओं में नये जोश का संचार हुआ है हम सभी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संगठन को मजबूत करने के लिए  

निश्चित ही हम सबकी मेहनत रंग लाएगी और हम 2022मे विजय पताका फहराने का काम करेंगे । 

इस अवसर पर मौजूद जिला पंचायत सदस्य शकील सिद्दीकी, बलराम सिंह जी लल्लू प्रधान जी मेढिया,मास्टर रामनरेश यादव जी, मोईन अंसारी, अनवार कुरैशी,फारुख वेल्डर, हफीज़ वारिस शिवम सिंह, लवलेश यादव, मुन्ना, रय्यान सिद्दीकी,अमन रावत, रामफल रावत, तौफीक राजेश कुमार ने मनोनीत प्राधिकारियों का माला पहनाकर स्वागत किया । में मनोनीत सदस्य अशोक यादव व जैसीराम यादव जी का सभी कार्यकर्ताओं व प्राधिकारियों के द्वारा माला पहनाकर स्वागत किया गया ।कार्यक्रम का आयोजन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष/जिला पंचायत सदस्य शकील अहमद सिद्दीक़ जी के प्रतिष्ठान पर किया गया। 

निश्चित ही हम सबकी मेहनत रंग लाएगी और हम 2022मे विजय पताका फहराने का काम करेंगे । 

इस अवसर पर मौजूद जिला पंचायत सदस्य शकील सिद्दीकी, बलराम सिंह जी लल्लू प्रधान जी मेढिया,मास्टर रामनरेश यादव जी, मोईन अंसारी, अनवार कुरैशी,फारुख वेल्डर, हफीज़ वारिस शिवम सिंह, लवलेश यादव, मुन्ना, रय्यान सिद्दीकी,अमन रावत, रामफल रावत, तौफीक राजेश कुमार ने मनोनीत प्राधिकारियों का माला पहनाकर स्वागत किया ।


 

 



 

रुद्रनगर के बाद मुरारी दास गली में फूटा को रोना बम






विशेष संवाददाता नरेश कुमार पांडे बलदीराय

 रुद्रनगर के बाद नगर के मुरारी दास गली में को रोना बम फूटा है! एक ही परिवार के 2 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं !इस बात का खुलासा लखनऊ में इलाज के दौरान हुआ! फिलहाल पूरे परिवार का अभी तक स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ है ।


 

 



 



राष्ट्रीय युवा क्रान्ति मोर्चा व वीर भगत सिंह युवा मोर्चा ने किया पौधारोपण

दैनिक अयोध्या टाइम्स,रामपुर- शाहबाद क्षेत्र मे राष्ट्रीय युवा क्रान्ति मोर्चा व वीर भगत सिंह युवा मोर्चा से सौजन्य से पौधारोपण कार्यक्रम किया और लगातार चल रही मुहिम "हर घर तुलसी व ड्रीम ग्रीन रामपुर मुहिम" के अर्तगत क्षेत्र के शिव मंदिर (लक्खी वाग) शाहबाद कोतवाली, नशा मुक्ति केन्द्र, विकास खण्ड, भारत संचार निगम लि0 व क्षेत्र के ही गांव ऊचागांव व मोतीपुरा मे भी 500 से अधिक पौधारोपण कार्य किया गया इस बार अवसर पर कोतवाल शाहबाद प्रभारी नरेन्द्र त्यागी व सैफनी चौकी प्रभारी इंद्रेश कुमार ने सभी युवाओ की उत्साहवर्धन किया व भविष्य मे सामाजिक कार्य मे लगे रहने की अपील की इस मौके पर वीर भगत सिंह युवा मोर्चा के अध्यक्ष रजत कुमार व राष्ट्रीय युवा क्रान्ति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी व मुहिम के संयोजक सुनील यादव (राष्ट्रीय खिलाडी कव्वडी) भाजपा नेता मौनी पांडेय, संगठन प्रभारी आकाश शंकर मनवीर यादव,अमित सक्सैना, संजीव यादव,सत्यवीर यादव, सतेन्द्र यादव, नरेन्द्र कुमार, मन्नु ठाकुर आदि रहे ।

 

Monday, July 6, 2020

लगातार कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति के बावजूद केन्द्र का रोडमैप सामने न आ पाना है अक्षमता- प्रमोद तिवारी




लालगंज, प्रतापगढ़।

 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने देश मे कोरोना संक्रमण के लगातार बढने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अभी तक कोई रोडमैप सामने नही ला पाने को सरकार की सबसे बडी अक्षमता ठहराया है। श्री तिवारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र के पास कोरोना संक्रमण की इतनी विकराल स्थिति बन जाने के बाद भी रोडमैप तो नही है बल्कि वह आज संक्रमण के क्षेत्र मे सोवियत रूस को भी पीछे छोडकर तीसरे नंबर पर आ गया है। प्रमोद तिवारी ने सरकार पर तगड़ा कटाक्ष किया कि यह स्पर्धा विकास या सम्पन्नता मे नही बल्कि सोवियत रूस को हमने कोरोना संक्रमण मे पीछे छोडा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस समय सरकार सिर्फ सोशल डिस्टेसिंग व मास्क लगाने का जनता को उपदेश दे रही है लेकिन वह यह नही बता पा रही कि सरकार किस जिम्मेदारी का कोरोना संक्रमण मे निर्वहन कर रही है। उन्होने प्रधानमंत्री से कहा कि देश मे लगभग सात लाख से अधिक कोरोना संक्रमण की संख्या हो गई है यही नही ताजा अध्ययन की रिर्पोट के हवाले का जिक्र करते हुए प्रमोद तिवारी ने दावा किया है कि ज्यादातर वही लोग संक्रमित हो रहे है जो कोरोना योद्धा है अथवा सरकारी या अर्धसरकारी नौकरी करने वाले लोग या फिर सबसे दुखद पहलू सामने आ रहा है कि रोज कमाकर खाने वाले गरीब और साधारण तबके के संक्रमण की जद मे आ रहे है। श्री तिवारी ने कहा कि अब अनलॉकडाउन शुरू हो गया है तो केंद्र सरकार सार्वजनिक कार्यस्थलो पर भीड कम करने के लिए पचहत्तर हजार रूपये की धनराशि आखिर किसान मजदूर तथा गरीब को न्याय योजना के तहत अगले छः माह तक दिये जाने की घोषणा करने से परहेज क्यों कर रही है। उन्होनें यह भी सवाल उठाया कि सरकार को लोगो को घरों से कम निकलने की जरूरत के लिए किसी सरकारी कार्यक्रम को शुरू किये जाने की भी जबाबदेही न लेने से ही क्या संक्रमण का प्रभाव नही बढ़ रहा है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार देश मे बढते संक्रमण को लेकर यह कदापि न भूले कि गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली तथा यूपी के आगरा सहित देश के उन्ही सात राज्यों मे कोरोना संक्रमण का प्रभाव अधिक है, जहां नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम कराया गया। श्री तिवारी ने उत्तर प्रदेश मे लगभग एक हजार और देश मे लगभग पचीस हजार संक्रमितो का एक ही दिन मे केस बढने को भी चिंताजनक ठहराया। वहीं देश की आबादी एक अरब बत्तीस करोड के हिसाब से एक प्रतिशत से भी कम टेस्टिंग पर भी चिंता जताई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने कानपुर मे पुलिस उपाधीक्षक व उप निरीक्षक तथा पुलिसकर्मियो की शहादत को दुखद ठहराते हुए कहा कि यूपी मे अपराधियो के हौसले इतने बुलंद है कि वह अब बीस से पच्चीस सशस्त्र सिपाहियो के दस्ते पर हमले कर सकते है। बकौल प्रमोद तिवारी इस घटना से प्रदेश की जनता मे स्वाभाविक भय उत्पन्न हो गया है। उन्होने यूपी सरकार से भी सवाल दागा कि अभी तक वह साठ अपराधो के आरोपी विकास दुबे को क्यों गिरफ्तार नही कर सकी है। वही श्री तिवारी ने प्रधानमंत्री की लददाख यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि यह जरूर पीएम की स्वागत योग्य यात्रा है किंतु यदि प्रधानमंत्री गलवान घाटी मे अग्रिम पंक्ति के सैनिको के पास भी चले जाते तो सीमा पर लडने वाले देश के सैनिको का मनोबल व साहस और बढ़ जाता। उन्होने प्रधानमंत्री की लददाख यात्रा को लेकर यह भी संशय जाहिर किया कि आखिर पीएम ने इसके बावजूद कि यूएसए तथा यूके सहित दुनिया के कई देशो ने जब भारतीय सेना के बीस जवानो की शहादत को लेकर चीन की भर्त्सना कर सकते है तो फिर प्रधानमंत्री ने चीन का जिक्र करने से आखिर क्यूं परहेज किया। उन्होने प्रधानमंत्री को सवालिया घेरे मे लेते हुए स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री का शहीद सैनिको के सम्मान मे दोषी देश को इंगित कर कडा संदेश न देना भारतीय सेना के मनोबल को गिराने वाला और देश की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिको का अपमान है। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से सोमवार को यहां जारी बयान मे प्रमोद तिवारी ने कोरोना तथा गलवान घाटी की स्थिति पर पीएम से कहा है कि वह सरकार के साथ हकीकत को पहचानते हुए अब जागे और जनता की मदद के साथ देश की मजबूती को लेकर सार्थक कदम उठाये।


 

 



 

ओज कवि अंजनी अमोघ के राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर साहित्यकारों मे खुशी 




लालगंज, प्रतापगढ़। 

नगर मे स्थानीय साहित्यकारों की सोमवार को हुई बैठक मे प्रख्यात ओज कवि अंजनी अमोघ को साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम के काशी प्रान्त का अध्यक्ष चयनित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की गई। साहित्यकारो ने अंजनी अमोघ को मिली इस जिम्मेदारी को लेकर कहा कि इससे प्रतापगढ़ का साहित्यिक स्वरूप प्रदेश भर मे नया आयाम हासिल कर सका है। व्यंग तथा ओज के कवि अमोघ कई साहित्य पुरस्कारो से भी सम्मानित हो चुके है। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश गुप्ता व प्रान्त प्रभारी सर्वेश ने साहित्य सृजन मे अंजनी अमोघ के योगदान को सराहा है। बैठक की अध्यक्षता प्राचार्य डा. शक्तिधर नाथ पाण्डेय व संचालन साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने किया। इस मौके पर जयराम पाण्डेय, अनूप प्रतापगढ़ी, आशुतोष आशू, अनूप अनुपम, सौरभ ओझा, सुधांशु उपाध्याय, संयुकत अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल महेश, चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी, ब्लाक प्रमुख ददन सिंह, रूरल बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल आदि ने साहित्य सृजन मे प्रतापगढ़ के योगदान पर प्रकाश भी डाला।


 

 



 

कोरोना में कलाकार

एक सामान्य नागरिक की तरह एक व्यक्ति, जो ‘कलाकार‘ भी हो सकता है, के जीवन-यापन और रोजगार की स्थितियों पर सहानुभूति सहित विचार करने का प्रयास करें तो कुछ बातें ध्यान में आती हैं (संभव है स्वाभिमानी कलाकारों को किसी की ‘सहानुभूति‘ की आवश्यकता न हो, फिर भी यहां उनकी स्थितियों पर तत्वतः विचार का प्रयास है) अपने संपर्क के कलाकारों, खासकर प्रदर्शनकारी कलाओं से जुड़े कलाकार और जिनमें साहित्यकारों को भी शामिल कर लिया जाय तो उनकी आवाज आपको अधिक सुनाई पड़ेगी, क्योंकि इस वर्ग की अभिव्यक्तियां अन्य की तुलना में अधिक मुखर होती हैं और उनके लिए मंच भी होता है।



ऐसे बहुतेरे कलाकार हैं जो वेतनभोगी हैं, जिनके आय का नियमित साधन है। ऐसे भी कलाकार होते हैं, जो अपनी कला के माध्यम से कोई आय उपार्जन नहीं करते, जिनमें रामधुन आदि की प्रभात-फेरी निकालने वाले, आल्हा गाने वाले, खेत-खार में ददरिया गाते, बंसी बजाने वाले और नवरात्रि के दौरान मांदर बजाने वाले, माता सेवा के गीत गाने वाले अनगिन अनाम कलाकार हैं। निसंदेह, ऐसे भी कलाकार हैं जिनका जीवन-यापन, पेशा, आजीविका का एकमात्र/मुख्य साधन कलाकारी है। यह भी याद रखना और दुहराया जाना जरूरी है कि कला-साहित्य का क्षेत्र सरस्वती की साधना है और सरस्वती-लक्ष्मी का बैर बताया जाता है। आशय यह कि बहुत सीमित, बल्कि ऐसे कलाकारों-साहित्यकारों का प्रतिशत नगण्य होगा, जिनका आसानी से गुजारा कला-साहित्य के आसरे हो जाता है।

यों तो कलाकारों की मदद के लिए सरकारी योजनाएं और प्रावधान हैं, लेकिन अप्रत्याशित विपरीत परिस्थितियों में दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति में न सिर्फ कलाकार, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ अलग किस्म की अड़चनें सामने आती हैं। कोरोना के इस दौर में कलाकारों की मदद के लिए जिज्ञासा की जा रही है। विचाारणीय है कि संकट काल में जीवन की तात्कालिक और आकस्मिक बुनियादी जरूरतों और उनके प्रति मदद के लिए लिंग, जाति, वर्ग, धर्म या अन्य किसी आधार पर वर्गीकरण किया जाना न तो आसान होगा, न व्यावहारिक इसलिए गैर-जरूरी भी। इन बातों के साथ मेरी जानकारी में, परिस्थितियों से मजबूर ऐसे जरूरतमंद, जिनके दैनंदिन जीवन के लिए आवश्यक ‘रोटी-कपड़ा-मकान‘ की कोई व्यवस्था नहीं है, उनके साथ बिना भेदभाव के शासन-प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं और निजी स्तर पर भी सहयोग के लिए हाथ आगे आए हैं। हम में ऐसे हैं जो अपनी रोजाना की जरूरत पूरी कर पा रहे हैं, बल्कि अन्य की मदद कर सकने की स्थिति में भी हैं। यह ध्यान रहे कि हम किसी के प्रति कुछ कर रहे हैं तो सब से पहले अपनी तसल्ली, अपने मन के संतोष के लिए कर रहे हैं और जिसके लिए कर रहे हैं, वह उसके प्रति उपकार नहीं, क्योंकि वह हमारी संतुष्टि के लिए निमित्त-मात्र है। अपने योगदान के लिए अपनी सीमा में आवश्यक सावधानी रखते हुए यथासंभव अपने आसपास, ऐसे जरूरतमंद, जो आपकी प्राथमिकता में हो, मदद के लिए पहल करें, प्रेरित करें

इस दौर में हम सभी, विशेषकर ऐसे विचारवान जो अभिव्यक्ति के माध्यमों से जुड़े हैं, अपनी नागरिक जिम्मेदारी सहित अपने प्रश्न, संदेह और असंतोष के साथ, उनके हल की ओर सक्रिय और अग्रसर होकर, उस पर विजय पाने का प्रयास करें।

 

प्रफुल्ल सिंह



""राजनैतिक संरक्षण के बिना हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे जैसा अपराधी नहीं पैदा हो सकता ""

आपको बता दें कि कानपुर में जो गुरुवार को हमारे 8 पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम दिया था जो अपराधी विकास दुबे वह खादी का चोला पहन चुका था, राजनैतिक दलों में सक्रिय  रहा हैं और तो और प्रधान के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुका है । आज हम देख रहे है की राजनीति भाई- भतीजावाद बाहुबल और धनबल के साथ ही चापलूसी जो करते हैं उन्हीं के लिए यह दरवाजा खुला हुआ है । ऐसा ही देखने को हमें मिलता है कि पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक और तो और विश्वविद्यालय का जो छात्र संघ चुनाव होता है वहां भी बाहुबल , धनबल भाई- भतीजावाद के साथ-साथ चापलूसी को ही मौका दिया जाता है। वैसे ही विकास दुबे राजनेताओं के संरक्षण से खादी का चोला पहना और राजनीति में प्रवेश भी किया साथ ही ना जाने कितने यह हिस्ट्रीशीटर ने अपराध किया जिसका कोई आंकड़ा स्पष्ट रूप से हम नहीं कह सकते है ,अगर हम आंकड़े देखें तो हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर गिरोह बनाकर लूट हत्या से लेकर डकैती जैसे कई मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हुआ है और तो और यह बिकास दुबे शिवली थाना के बाहर भाजपा के मंत्री की हत्या में भी नामजाद हुआ था।  जैसा कि सुनने में आया है मीडिया के माध्यम से ही कि इस विकास दुबे का काला कारोबार प्रदेश के कानपुर से लेकर इलाहाबाद व गोरखपुर फैला हुआ था। यह दुष्ट अपराधी कारोबारी तथा व्यापारी से जबरन वसूली करता था जिसके लिए यह कुख्यात था फिर आखिर राज्य सरकार इस पर पहले ही नकेल क्यों नहीं कसी  ? इसीलिए दोस्तों मैं कहता हूं कि इसको राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है और आप भी जानते हैं कि आज राजनीति में भाई भतीजावाद ,जातिवाद ,धन्य बल बाहुबल और चापलूसी अपने चरम स्थान पर है ।

 इस दैत्य हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जघन्य अपराध इतिहास रहा है दोस्तों इसने 60-70 से भी अधिक हत्या का प्रयास किया है जिसका अभी  केस भी चल रहा है । मीडिया के मुताबिक बचपन से ही अपराध की दुनिया में यह अपना नाम कमाना चाहता था , इसके लिए उसने पहले  गैंग बनाया और फिर  लूट, डकैती हत्याएं करने लगा और तो और  इस बेशर्म ने बहुत से युवाओं को भी अपने रास्ते में लाया उनको भटकाया और अपने अपराध को दिन -प्रतिदिन बढ़ाते गया और राजनीतिक संरक्षण इसको मिलते गया और आज हमारे देश के रक्षा करने वाले पुलिस को ही मार डाला। यह आज वांछित अपराधी बन चुका है सुनने में तो यह भी आया है कि दहशथ के जोर पर चुनाव में जीत दिलाना इसका पेशा  बन चुका था और इसके लिए राजनीतिक पार्टियां इसको संरक्षण देने के साथ-साथ खूब धन भी उड़ाते थे इस अपराधी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर अब  आप सोच  सकते हो कि आज राजनीतिक किस स्तर पर गिरती जा रही है l  आपको बता दे‌ की अपराधी विकास दुबे दूसरों के घरों को जेसीबी से  तोडा करता था , उसके घर में प्रतिबंधित हथियार से जब दिल करता था तब पुलिस पर हाथ उठा देता था और तो और उसने एक  जज  साहब को भी धमका दिया था , सूत्रों के मुताबिक पुलिस विभाग में उसका मुखबिर रहा करते थे, लेकिन आज वह जहां भी भागा है अब छोड़ा नहीं जाएगा अब उसके दिन गिनती के ही रह गए है ऐसा ही कहना हमारे प्रशासन का भी लेकिन अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? कहीं कोई नेता जी ही तो नहीं अपने घरों में छुपा कर रखे हैं , ऐसा मै इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि इसको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और वह अलग-अलग पार्टियों में अलग-अलग पदों पर रह भी चुका था ।

आज दुनिया को भले पता चला कि कोई हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे है  लेकिन चौबेपुर ,कानपुर में हर एक  लोग जानता था विकास दुबे की कहानियां ।

नेताओं का तो  वैसे भी विकास प्रिय शब्द है जिस नेता जी को जहां मौका मिलता है वही विकास कराने लगते है , कभी शिक्षा का विकास की बात करते हैं तो कभी किसान का विकास तो कहीं राज्य और देश का विकास लेकिन विकास छलता ही रहा है । ध्यान से देखिए तो विकास अपने ऊपर जल्दी हाथ किसी का नहीं रखने देता है, कई बार तो हवा में ही रह जाता है नेता जी के भाषण से इसी प्रकार चौबेपुर के विकास में भी अपने ऊपर किसी का हाथ नहीं रखने दिया। मेरा कहने का मतलब है कि इस विकास को रोकने का किसी ने साहस नहीं किया और विकास का विकास होने दिया इसको हमेशा राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा और आम जनता को परेशान करते रहा , इसीलिए  विकास दुबे ने 2 जुलाई  रात की स्याही का अंधेरा अनेक निर्दोष पुलिस वालों के परिवारों को डस लिया । मेरे प्रिय मित्र एक खाकी वर्दी सैकड़ों-  हजारों लोगो का भरोसा होती है और इसलिए उस पर हुआ हमला हम सभी के दिलों को हिला दिया है , यह बात करने में जरा भी संकोच नहीं कर रहा हूं कि किसी अपराधी का लालन-पालन राजनीति ही करती है, आप ध्यान से देख लो डाकू हो या तस्कर हो सब राजनीति के आंगन में ही शरण पाते हैं। कहने का मेरा मतलब है कि राजनीति ही अपराधी की इच्छा और महत्वाकांक्षा को बढ़ाती है, इसी प्रकार से अपराधी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे दलो से ऊपर था और कानपुर और उसके पड़ोसी जिलों में हर राजनीतिक दल के नेता जी लोग इसका इस्तेमाल करते थे लेकिन देख रहा हूं अब सभी लोग चुप्पी साधे बैठे हैं।

पिछले 27 वर्षों में 60 मुकदमे जिस अपराधी पर हो और जिस थाने में ही घुसकर भारतीय जनता पार्टी के एक नेता जी की हत्या का आरोप लगा हो फिर भी ना उस पर कभी रासुका लगा और ना ही कभी उस पर एसटीएफ की सूची में जगह बनाएं गया , इससे साफ है कि अपराधी विकास दुबे ने उत्तर प्रदेश में नेताओं और अपराधियों के गठजोड़ को ऐसा उखाड़ा है कि वर्षों तक  मिसाल दिया जाता रहेगा । वैसे मुझे माननीय मुख्यमंत्री जी के बातें सुनकर अच्छा लगा कि मुख्यमंत्री जी ने सख्ती  के साथ- साथ इस माफिया पर  टूट पड़ने को कहे हैं । अब यही सही वक्त है कि पुलिस को इस माफिया को धर- दबोचकर अपने साथियों की शहादत को सम्मान देने के लिए दिल से करना चाहिए। दोस्तों जब तक राजनीति मे जातिवाद, धनबल ,बाहुबल और चापलूसी खत्म नहीं होगी तब तक ऐसे हिस्ट्रीशीटर दैत्य विकास दुबे जैसे पैदा होते रहेंगे। क्योंकि मुझे लगता है इन सब का कारण आज के घटिया राजनीति ही है ?

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया- अंतरराष्ट्रीय चिंतक)