Tuesday, December 28, 2021

नहीं चाहिए ऐसे दोस्त!

दोस्ती का मतलब है, दोस्त को सही राह पर लाना,
उनके साथ हंसना, रोना, पढ़ना, और खाना,
उन्हें सही कार्य के लिए, हर वक्त जगाना,
कुछ लोग सोचते हैं, दोस्ती का मतलब होता है,
सिर्फ एक दोस्त को बिगाड़ना!

नहीं चाहिए ऐसी दोस्ती, जो सिर्फ मतलब से जुड़ी हो,
हर कदम, हर वक्त, सिर्फ गलत राह पर ही मुड़ी हो,
ना बनाएं ऐसे दोस्त, जिनकी राहे अच्छाइयों से जुदा हो,
उनके लिए तो सिर्फ, बुराई ही खुदा हो!

संगति ऐसी हो जो आपको निखरने दे,
ऐसी संगति ना करो, जो आपको बिखरने दे,
चाहो तो जिंदगी में कभी दोस्त ना बनाओ,
पर हर कदम, हर समय, सही राह को अपनाओ!

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)

स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। डॉ. विक्रम चौरसिया

समाज में पुरुष व महिला को संविधान द्वारा समान तौर पर समस्त अधिकार तो दिए गए हैं, लेकिन फिर भी देखे तो किसी न किसी रुप में सामाजिक रूढ़िवादी मान्यताओं व विषमताओं के कारण ही कुछ महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है, इसी तरह देखें तो आज बहुत से पुरूष भी पीड़ित है।स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक दूसरे के पूरक हैं, सहयोगी हैं, विरोधी नहीं ,प्रकृति ने दोनों को एक खास मकसद से सृष्टि की निरंतरता हेतु बनाया है, दोनों एक दूसरे के लिए आवश्यक हैं, अनुपयोगी नहीं , दोनो एक दूसरे के मित्र हैं, शत्रु नहीं है। इस सृष्टि की सभी नारी किसी ना किसी की मां होती है चाहे उनसे हमारा कोई भी रिश्ता क्यों ना हो,कभी मां,कभी बहन,कभी पत्नी,कभी दादी, नानी मां और भी बहुत से रिश्ते में हमें समेटकर प्यार , स्नेह देकर सींचती है,लेकिन आज के इस वैश्वीकरण के दौर में हम देख रहे हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों से  अक्सर ही इस तरह की खबर मिल रही है कि किसी लड़की ने थोड़ी सी ही कहासुनी हो जाने पर ही अपने लोगों पर ही बलात्कार का आरोप लगा दी ,ऐसे में  कैसे ये सृष्टि चलेगी ? देखे तो हाल ही में जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में दो गुने से भी ज्यादा है, इसके पीछे तमाम कारणों में पुरुषों का घरेलू हिंसा का शिकार होना भी बताया जाता है, जिसकी शिकायत वो किसी फोरम पर कर भी नहीं पाते हैं।  हालांकि ऐसा नहीं है कि पुरुषों के खिलाफ हिंसा की किसी को जानकारी नहीं है या फिर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठती है लेकिन यह आवाज एक तो उठती ही बहुत धीमी है और उसके बाद खामोश भी बहुत जल्दी हो जाती है, वही  498A को कानूनविदों द्वारा लागू किया गया ,महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए इसे कानून का रूप दिया गया है , लेकिन वर्तमान तथ्यों और आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ महिलाओं द्वारा अपने लाभ के लिए इसका व्यापक रूप से दुरुपयोग भी किया जा रहा है और इस कारण इंसानों के लिए ये उपद्रव पैदा हो रहा है, यही कारण भी है कि यह खंड आईपीसी का सबसे अधिक विवादित खंड बना हुआ है। बलात्कार या किसी भी तरह का शोषण किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक है, ऐसे में चाहे पुरुष हो या महिला अगर कोई भी किसी का शोषण करता है तो उस पर महिला व पुरुष में भेदभाव ना करते हुए, दोनों को बराबर की सजा होनी चाहिए। यह सच्चाई ही है कि देश को शर्मसार करने वाली दिसंबर 2012 की निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की घटना के बाद बलात्कार से संबंधित कानूनी प्रावधानों को कठोर बनाए जाने के बावजूद भी महिलाओं किशोरियों और अबोध बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाओं में अपेक्षित कमी नहीं आई है, इसके बावजूद भी इस तथ्य से कैसे इंकार किया जाए कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों में निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाए जाने की घटनाएं भी बढ़ रही है, अब सवाल यह उठता है कि क्या बलात्कार जैसे संगीन अपराध से संबंधित कठोर कानूनी प्रावधान का इस्तेमाल झूठे मामले में पुरुषों को फसाने के लिए हथियार के रूप में तो नहीं किया जा रहा है। क्या झूठे मामले की वजह से समाज और परिवार में कलंकित होने वाले व्यक्ति को  ऐसी महिला के खिलाफ हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने की छूट नहीं मिलनी चाहिए?


ओमिक्रान वेरिएंट- चुनाव 2022- सुशासन- चुनौतियां!!!

ओमिक्रान वेरिएंट - प्रस्तावित चुनाव 2022 स्वरूपी रैलियों की भीड़ पर संज्ञानः लेना समय की मांग 


आेमिक्रान वेरिएंट- नागरिकों को अफ़वाह, भ्रम और डर से बचकर कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख़्ती से पालन करना ज़रूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से बड़ी मुश्किल से कोविड-19, डेल्टा, डेल्टा प्लस पर आंशिक काबू पाकर कुछ राहत की सांस भर ली थी कि फ़िर आेमिक्रान वेरिएंट ने तहलका मचा दिया है। सबसे अधिक प्रभावित देशों में ब्रिटेन की हालत नाजुक है वहां एक लाख से अधिक केस आ रहे हैं जिससे अमेरिका सहित भारत भी सावधानी की मुद्रा में आ गया है यही कारण है कि पीएम मोदी ने गुरुवार को एक हाईलेवल मीटिंग ली जिसमें अनेक महत्वपूर्ण विभागों के बड़े बड़े अधिकारी शामिल हुए। हालातों की समीक्षा की गई एवं महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए। साथियों बात अगर हम भारत में ओमिक्रान वेरिएंट के कहर की करें तो स्थिति धीरे-धीरे क्रिटिकल होती जा रही है। अभी 18 राज्यों में पहुंच चुका है 450 से अधिक केस आ चुके हैं। दिल्ली,महाराष्ट्र, यूपी, मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों में रात्रिकर्फ्यू की घोषणा भी की गई है। उधर मध्यप्रदेश में कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव पास कर वहां होने वाले लोकल चुनाव पर रोक लगा दी है जबकि चुनाव आयोग ने कहा रोक नहीं लगा सकते। विधि विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण चर्चाएं शुरू है। उधर 10 राज्य में केंद्रीय स्वास्थ्य टीमें जहां उनकाअधिकार क्षेत्र होगा उस स्थिति में अपनी रणनीति को तैयार किए हुए हैं तथा केंद्र व राज्य सरकारें तीसरी लहर की स्थिति से निपटने अपना - अपना गुणा भाग कर रणनीतिक रोडमैप तैयार करने में भिड़ गए हैं कि कहीं यह ओमिक्रोन वेरिएंट सुपरस्प्राइडर बन के न रह जाए। राजनीतिक पार्टियों ने अपनी प्रस्तावित चुनाव सभाओं, रैलियों के लिए एसओपी तैयार कर दिए हैं ताकि पूर्वगामी दुष्परिणामों से बचा जा सके। साथियों बात अगर हम पीएम द्वारा गुरुवार को ली गई हाईलेवल मीटिंग की करें तो देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच उन्होंने देश भर में कोरोना की स्थिति, ओमिक्रॉन और स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट को देखते हुए हमें सतर्क और सावधान होना चाहिए। सरकार सतर्क है। बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार राज्यों का पूरा सहयोग कर रही है। तत्काल और प्रभावी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग में तेजी, टीकाकरण में तेजी लाना और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। साथियों बात अगर हम ओमिक्रान वेरिएंट पर चुनाव आयोग के चुनाव 2022 प्रस्तावित दौरे की करें तो, देश में 2022 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ने की संभावना के बीच में चुनाव की तैयारी के लिए उत्तराखंड के एक दिनके दौरे के बाद मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपनी टीम के साथ 28 दिसंबर से उत्तर प्रदेश के तीन दिन के दौरे पर रहेंगे तथा स्वास्थ्य सचिव के साथ मीटिंग। साथियों बात अगर हम इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी में चुनाव को टालने के सुझाव की करें तो, यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर कोरोना का संकट गहराने लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को यूपी में चुनाव टालने का सुझाव दिया था। इसपर अब चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया सामने आ गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि वो स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश जा रहे हैं, इसके बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोग कोरोना से निपटने के लिए तैयार और सारी तैयारियां हो चुकी हैं। यूपी में कुछ महीनों में होने हैं चुनाव यूपी में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है. ऐसे में उससे पहले चुनाव कराने जरूरी है। हालांकि, चुनाव आयोग के पास चुनाव को टालने का अधिकार है. अगर यूपी में चुनाव टलते हैं तो 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। साथियों बात अगर हम ओमिक्रान वेरिएंट की तैयारियों और सुशासन की करें तो, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने परीक्षण और निगरानी बढ़ाने के अलावा रात में कर्फ्यू लगाने, बड़ी सभाओं का सख्त नियमन, शादियों और अंतिम संस्कार में लोगों की संख्या कम करने जैसे रणनीतिक निर्णय को लागू करने की सलाह दी है। पत्र में उन उपायों पर प्रकाश डाला गया है, जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के शुरुआती संकेतों के साथ-साथ चिंता बढ़ाने वाले वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए उठाए जाने की आवश्यकता है। ओमिक्रॉन की संक्रामकता के मद्देनजर देश में कोविड रोधी टीके की बूस्टर डोज देने की मांग भी उठ रही है।कई देशों में बूस्टर डोज दी भी जा रही है। उपरोक्त पूरी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों द्वारा दी गई है। साथियों बात अगर हम दिनांक 25 दिसंबर 2021 को पीएम द्वारा राष्ट्र के नाम संदेश की करें तो पीआईबी के अनुसार, वर्तमान में, ओमीक्रॉन की चर्चा जोरों पर चल रही है। विश्व में इसके अनुभव भी अलग-अलग हैं, अनुमान भी अलग-अलग हैं। भारत के वैज्ञानिक भी इस पर पूरी बारीकी से नजर रखे हुए हैं, इस पर काम कर रहे हैं। हमारे वैक्सीनेशन को आज जब 11 महीने पूरे हो चुके हैं तो सारी चीजों का वैज्ञानिको ने जो अध्ययन किया है और विश्वभर के अनुभवो को देखते हुए आज कुछ निर्णय लिए गए है। आज अटल जी का जन्म दिन है, क्रिसमस का त्योहार है तो मुझे लगा की इस निर्णय को आप सबके साथ साझा करना चाहिए। भारत में ओमिक्रोन संक्रमण का जिक्र करते हुए, पीएम ने लोगों को इससे नहीं घबराने की अपील की और मास्क पहनने तथा बार-बार हाथ धोने जैसी सावधानियों का पालन करने का अनुरोध किया। पीएम ने कहा कि महामारी से लड़ने के वैश्विक अनुभव ने बताया है कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने का दूसरा हथियार टीकाकरण है। पीएम ने घोषणा की कि 3 जनवरी 2022, सोमवार से, 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू हो जाएगा। इस कदम से स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को सामान्य स्थिति में लाने में मदद मिलने की संभावना है और इससे स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता की चिंता कम होगी। उन्होंने 10 जनवरी 2022, सोमवार से स्वास्थ्य सेवा और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों के लिए एहतियाती खुराक की भी घोषणा की। अग्रिम मोर्चे के कर्मी  और स्वास्थ्य देखभाल कर्मी कोविड रोगियों की सेवा में लगे हुए हैं। भारत में तीसरी खुराक को बूस्टर डोज नहीं 'एहतियाती खुराक' कहा गया है। एहतियाती खुराक के निर्णय से स्वास्थ्य सेवा और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों का विश्वास मजबूत होगा। पीएम ने यह भी घोषणा की कि 10 जनवरी, 2022 से डॉक्टरों की सलाह पर सह-रुग्णता वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एहतियाती खुराक लेने का विकल्प उपलब्ध होगा। पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि आज, जैसे-जैसे वायरस के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं, चुनौती का सामना करने की हमारी क्षमता और आत्मविश्वास भी हमारी अभिनव भावना के साथ कई गुना बढ़ रहा है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ओमिक्रान वेरिएंट- चुनाव 2022- सुशासन और चुनौतियां सभी से एक साथ निपटना है तथा प्रस्तावित चुनाव 2022 चुनाव की रैलियों की भीड़ पर संज्ञानः लेना समय की मांग है एवं नागरिकों को अफ़वाह, भ्रम और डर से बचकर कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख़्ती से पालन करना ज़रूरी है। 

Monday, December 27, 2021

जागो हिन्दू जागो

     चर्चों   से   चिठ्ठी   निकल   पड़ी, 

     मस्जिद  का  फतवा  बोल  रहा।
     यदि   मंदिर   अब  खामोश  रहे,
     समझो  फिर  खतरा  डोल रहा।
                        वो  देश  चलाएॅ फतवे से,
                        तुम   तेल   सूंघते  ही रहना।
                        जब घर में घुसकर मारेंगे,
                        तब  हाथ  रगड़ते  रहना।
     वो काल-खण्ड  हम याद करें,
     जब   बटे   हुए  थे  जाती  में।
     पराधीन    यह    देश    हुआ,
     व  घाव  मिला  था  छाती  में। 
                    हिन्दू  विघटन  के  कारण  ही,
                    परतन्त्र रहे हम  सदियों तक।
                    अगर    अभी   न   हम   चेते,
                    फिर करो तैयारी जन्मों तक।         
      परिदृश्य वही फिर आज यहां,
      सबको मिलकर चलना होगा। 
      नहीं  जातिवाद, अब राष्ट्रवाद,
      की  धारा  में ही बहना  होगा। 
                      एकत्र  हो  रहे  फ्यूज  बल्ब,
                      सूरज को दिया दिखाने को।
                      नहीं   हैं  दाने   जिनके  घर,
                      वो  अम्मा  चली भुनाने को।                         
      हुंकार भरें जब एक अरब,
      सारी दुनियाँ हिल जाएगी। 
      चोरों  की  गठबंधन  नीती,
      सब धरी पड़ी रह जाएगी। 
                   हम   लाखों  वीर  शहीदों  का,
                   अपमान   नहीं  कर  सकते हैं। 
                   हो  उनके  सपनों  का  भारत,
                   संकल्प तो हम कर सकते हैं।            
      धन्य   देश   की   है   जनता,
      सरकार   बनाई   मोदी  की।
      औलादें  बाहर  निकल  रहीं,
      बाबर खिलजी व लोदी की।              
                      है  पीएम  की  बारात  बड़ी,
                      फिर  दूल्हा  किसे  बनाएंगे।
                      वो अभी वोट लेकर सबका,
                      सन  अस्सी  को दोहराएंगे। 
      देश   की   सत्ता  गद्दारों  को,
      नहीं     सौंपने    अब    दूंगा।
      मेरे  तन   में   शक्ती  जितनी,
      सब कुछ अर्पण मैं कर दूंगा।     
                      गठबंधन   जाली   टोपी  का,
                      सड़कों  पर   रौंदा   जाएगा।
                      बाइस   तो  आने  दो  मित्रों,
                      फिर घर-घर भगवा छाएगा। 
     दी   आज   चुनौती  है उनको,
     जो  चले  हैं  देश मिटाने  को।
     हम   भी   कट्टर   हिन्दू  ठहरे,
     हिन्दू  को  चले   जगाने  को।    
                     वो आग से लड़ने है निकला,
                     अंगारों  से अब  डरना क्या।
                     वो  शेर है  भारत  माता का,
                     गद्दारों  से अब  डरना क्या। 
     गठबंधन  करके सारे दल,
     देश  को दलदल कर देंगे। 
     जो  भरा खजाना मोदी ने,
     वो लूट के खाली कर देंगे। 
                      है   देश   तुम्हारे   हाथों   में,
                      निज  भाग्य तुम्हारे हाथों में।
                      अब देश की भावी पीढ़ी का,
                      निर्माण    तुम्हारे   हाथों  में।    
     चहुँ ओर से फतवा निकल रहा,
     क्या   अपनी   हंसी  कराओगे। 
     बन  जाएॅगे  गीदड़  एक अरब,
     क्या फतवा सरकार  बनाओगे।  
                  अब  बड़ी  चुनौती  बाइस  की,
                  मिलकर  विजयी   होना  होगा।
                  नव  स्वर्णिम  भारत के खातिर,            
                  फिर   से   मोदी   लाना होगा

                        भारत माता की जय !

कॉस्मोप्रॉफ इंडिया ने भारत की कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री में बिखेरा जलवा

-अनिल बेदाग़-



मुंबई :  भारत में तेजी से बढ़ते हुए ब्यूटी मार्केट के लिए मुंबई के होटल सहारा स्टार में 2 दिन की बिजनेस टु बिजनेस इवेंट, कॉस्मोप्रॉफ इंडिया, का आयोजन किया गया। बोलोग्नाफियर और इंफॉर्मा  की ओर से आयोजत की गई कॉस्मोप्रॉफ इंडिया दुनिया भर में प्रतिष्ठित कॉस्मोप्रॉफ ब्रैंड की ओर से भारत के भौगोलिक क्षेत्र के अनुकूल लगाई  गई प्रदर्शनी है। इसका अपना एक अलग पैमाना और पहचान है। इसमें सभी क्षेत्रों के प्रोफेशनल ब्यूटी बिजनेस का प्रतिनिधित्व है। इसके तहत कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री से संबंधित हर पहलू, सामान, कच्चा माल, मशीनरी, ओईएम,  कान्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चिंरग और प्राइवेट लेबल, प्राइमरी और सेकेंडरी पैकेजिंग, सर्विस प्रोवाइडर्स और तैयार माल का प्रदर्शन किया जाता है। यह परफ्यूमरी और कॉस्मेटिक्स, खूबसूरती और स्पा, बाल, नाखून, नैचुरल और ऑर्गेनिक में बंटा है।
इस दो दिन के शो का उद्घाटन इंडस्ट्री के तमाम दिग्गज लोगों की मौजूदगी में लैक्मे लीवर के सीईओ और कार्यकारी निदेशक श्री पुष्कराज शेनाई,  इंडल्ज द सैलून की संस्थापक मिस सुर्कीति पटनायक,  इंडल्ज द सैलून के संस्थापक श्री जयंत पटनायक, दक्षिण एशिया में टोनी एंड गाइ के सीईओ मिस्टर ब्लेसिंग ए मानिकनंदन, जीन- क्लॉड बिगुइन सैलून एंड स्पा के सीईओ श्री समीर श्रीवास्तव,  श्री सचिन कामत निदेशक, श्री भूपेश डिंगर. निदेशक इनरिच ब्यूटी, जेसीकेआरसी की संस्थापक  मिस रेखा चौधरी, बीब्लंट की सीईओ मिस स्फूर्ति शेट्टी, सेवियो जॉन परेरा सैलूंस  के संस्थापक श्री सेवियो जॉन परेरा, सिंपलीनाम की संस्थापक मिस नम्रता सोनी, वर्ल्ड पैकेजिंग ऑर्गनाइजेशन  के ग्लोबल एंबेसेडर श्री एवीपीएस चक्रवर्ती, गैटेफॉरस के एमडी डा. सुनील बांबरकर, भारत में इंफॉर्मा इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक श्री योगेश मुद्रास, इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के ग्रुप डायरेक्टर श्री राहुल देशपांडे ने किया।  
कॉस्मोप्रॉफ इंडिया भारत में अत्याधुनिक रूप से उभरने वाले नए-नए ट्रेंड्स और प्रस्तावों की ऑब्जर्वेटरी रहा है। 2000  वर्गमीटर के प्रदर्शनी स्थल में प्रतिष्ठित ब्रैंड्स आई-ब्यूटी का नवीनतम झलक पेश करते है। यब प्रॉडक्ट और तकनीक हाल ही में स्थानीय मार्केट के उभरने के नतीजे के रूप में सामने आई है। यह 2500 से ज्यादा संभावित ऑपरेटरों को हाई क्वॉलिटी के कारोबारी अनुभव की गारंटी देते हैं। इस साल कॉस्मोप्रॉफ इंडिया ने अमेज़न, मिंत्रा, पर्पल, मैरिको, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लैक्मे लीवर , कामा आयुर्वेद, एमकैफीन, मामा अर्थ समेत कई अन्य खरीदारों ने स्वागत किया। 

महिला सशक्तिकरण

 महिला सशक्तिकरण तब है जब महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो। उनके लिए क्या सही है और उनके लिए क्या गलत है, यह तय करने में उन्हें पूरा अधिकार हो।  महिलाओं को दशकों से पीड़ित होना पड़ा है क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं थे और अब भी बहुत सी जगह, गांव, यहां तक की बहुत से शहर और देश में भी नहीं है!

 महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया और अब भी किया जा रहा है । अपने अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सिखाया गया कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में आत्मनिर्भर कैसे हों।  उन्हें सिखाया गया कि उनके लिए एक स्थान कैसे बनाया जाए जहां वे बढ़ सकें और वह बन सकें जो वे बनना चाहती हैं।
 पुरुषों के पास हमेशा सभी अधिकार होते थे।  हालाँकि, महिलाओं को इनमें से कोई भी अधिकार नहीं था, यहाँ तक कि मतदान जैसा छोटा अधिकार भी।  चीजें बदल गईं जब महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें भी समान अधिकारों की आवश्यकता है।  यह अपने अधिकारों की मांग करने वाली महिलाओं द्वारा क्रांति के साथ लाया गया।   दुनिया भर के देशों ने खुद को "प्रगतिशील देश" कहा, लेकिन उनमें से हर एक के पास महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करने का इतिहास है।  इन देशों में महिलाओं को आजादी और दर्जा हासिल करने के लिए उन प्रणालियों के खिलाफ लड़ना पड़ा, जो उन्होंने आज हासिल की हैं।  हालाँकि, भारत में, महिला सशक्तिकरण अभी भी पिछड़ रहा है। अब भी जागरूकता फैलाने की बहुत अधिक आवश्यकता है। भारत उन देशों में से एक है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है और इसके कई कारण हैं।  उनकी सुरक्षा में कमी का एक कारण ऑनर किलिंग का खतरा भी है।  परिवारों को लगता है कि अगर वे परिवार और परिवार की प्रतिष्ठा के लिए शर्म की बात है, तो उन्हें उनकी हत्या करने का अधिकार है।  महिलाओं के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि शिक्षा की कमी है। देश में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए महिलाओं को हतोत्साहित किया जाता है।  इसके साथ ही उनकी शादी जल्दी हो जाती है।  महिलाओं पर हावी पुरुषों को लगता है कि महिलाओं की भूमिका उनके लिए काम करने तक सीमित है। वे इन महिलाओं को कहीं जाने नहीं देते हैं, नौकरी नहीं करने देते हैं, और इन महिलाओं को कोई स्वतंत्रता नहीं है। महिला सशक्तीकरण लैंगिक समानता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।  इसमें एक महिला के आत्म-मूल्य, उसकी निर्णय लेने की शक्ति, अवसरों और संसाधनों तक उसकी पहुंच, उसकी शक्ति और घर के अंदर और बाहर अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण और परिवर्तन को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को बढ़ाना शामिल है।   फिर भी लैंगिक मुद्दे केवल महिलाओं पर केंद्रित नहीं हैं, बल्कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंधों पर हैं। पुरुषों और लड़कों के कार्य और दृष्टिकोण लैंगिक समानता प्राप्त करने में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं।
 यदि महिलाएं घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार से गुजर रही हैं, तो वे इसकी सूचना किसी को नहीं देती हैं। उसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि वे जिस समाज में रहती हैं, उसके बारे में टिप्पणी करेंगे। भारत एक ऐसा देश है जिसमें महिला सशक्तिकरण का अभाव है।देश में बाल विवाह का प्रचलन है।  माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि अगर वे अपमानजनक रिश्ते में हैं, तो उन्हें घर आना चाहिए।  इससे, महिलाओं को ऐसा लगेगा कि उन्हें अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त है और वे घरेलू हिंसा से बाहर निकल सकती हैं। 
महिलाओं को उन चीजों मै आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए की वे अपने सभी लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त कर सके जो वो करना चाहती है। आज भी विश्व स्तर पर, महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में आर्थिक भागीदारी के लिए कम अवसर हैं, बुनियादी और उच्च शिक्षा तक कम पहुंच, अधिक स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम, और कम राजनीतिक प्रतिनिधित्व।
 महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के अवसर प्रदान करना न केवल लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।  सशक्त महिलाएं और लड़कियां अपने परिवार, समुदायों और देशों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान करती हैं, जिससे सभी को लाभ होता है।
 लिंग शब्द सामाजिक रूप से निर्मित भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है जो समाज पुरुषों और महिलाओं के लिए उपयुक्त मानते हैं।  लिंग समानता का अर्थ है कि पुरुषों और महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता, शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए समान शक्ति और समान अवसर प्राप्त हैं। अब भी बहुत से विकासशील देशों में लगभग एक चौथाई लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं।  आमतौर पर, सीमित साधनों वाले परिवार जो अपने सभी बच्चों के लिए स्कूल की फीस, वर्दी और आपूर्ति जैसे खर्च नहीं कर सकते, वे अपने बेटों के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देंगे।एक शिक्षित लड़की की शादी को स्थगित करने, छोटे परिवार को बढ़ाने, स्वस्थ बच्चे पैदा करने और अपने बच्चों को स्कूल भेजने की अधिक संभावना है।  उसके पास आय अर्जित करने और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने के अधिक अवसर हैं, और एचआईवी, करोना अन्य बीमारियों से संक्रमित होने की संभावना कम है।
 महिलाओं का स्वास्थ्य और सुरक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है।  एचआईवी / एड्स महिलाओं के लिए एक तेजी से प्रभावी मुद्दा बनता जा रहा है।मातृ स्वास्थ्य भी विशिष्ट चिंता का एक मुद्दा है।  कई देशों में, महिलाओं की प्रसव पूर्व और शिशु देखभाल तक सीमित पहुंच है, और गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का अनुभव होने की अधिक संभावना है।  यह उन देशों में एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है जहाँ लड़कियाँ शादी करती हैं और उनके तैयार होने से पहले बच्चे होते हैं;  18 वर्ष की आयु से पहले। शिक्षा मातृ स्वास्थ्य देखभाल सूचना और सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु प्रदान कर सकती है जो माताओं को अपने स्वयं के स्वास्थ्य और अपने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में सूचित निर्णय लेने वालों के रूप में सशक्त बनाती है।  हमें एक ऐसी संस्कृति में रहने की जरूरत है जो सम्मान के साथ देखती है और महिलाओं को पुरुषों के जितना ही आदर्श बनाती है।
 लैंगिक समानता प्राप्त करने में ध्यान केंद्रित करने का एक अंतिम क्षेत्र महिलाओं का आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण है।  हालांकि महिलाओं में दुनिया की 50% से अधिक आबादी शामिल है, लेकिन उनके पास दुनिया की संपत्ति का केवल 1% ही है।  दुनिया भर में, महिलाएं और लड़कियां लंबे समय तक अवैतनिक घरेलू काम करती हैं।  कुछ स्थानों पर, महिलाओं को अभी भी खुद की जमीन या संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने, ऋण प्राप्त करने, आय प्राप्त करने या नौकरी के भेदभाव से मुक्त अपने कार्यस्थल में स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है। घर और सार्वजनिक क्षेत्र में सभी स्तरों पर, महिलाओं को निर्णय निर्माताओं के रूप में व्यापक रूप से रेखांकित किया जाता है।  दुनिया भर की विधानसभाओं में, महिलाओं को 4 से 1 तक पछाड़ दिया जाता है, फिर भी लैंगिक समानता और वास्तविक लोकतंत्र प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए राजनीतिक भागीदारी महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।
जिन पुरुषों के पास सभी अधिकार थे, उनकी तुलना में महिलाओं के पास सबसे लंबे समय तक मतदान करने जैसे आवश्यक अधिकार नहीं थे।  महिलाओं का सशक्तीकरण आवश्यक है क्योंकि महिलाओं के पास दशकों से अधिकार और स्वतंत्रता नहीं थी।  महिलाएं लगभग न के बराबर थीं।  महिलाएं भी मनुष्य हैं, और उन्हें अपने साथी मनुष्यों के समान अधिकार और स्वतंत्रता की आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण की जरूरत, समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है।  ऐसे कई तरीके हैं जिनसे महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। महिला सशक्तिकरण को वास्तविकता बनाने के लिए लोगों को एकजुट होना चाहिए।  महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम महिलाओं को शिक्षित करना होगा।  शिक्षा प्रदान और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि अधिक महिलाएं साक्षर हो सकें।  वे जो शिक्षा प्राप्त करती हैं, उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की जानी चाहिए ।  महिलाओं के पास वह जीवन हो सकता है जो वे चाहती हैं और इसमें खुश रह सकती है!  महिला सशक्तिकरण का एक और तरीका है कि हर क्षेत्र में सम्मान और समान अवसर दिए जाएं। महिलाओं को वही मौका दिया जाना चाहिए जो उनके समकक्षों को मिलता है। 
वेतन एक और क्षेत्र है जो महिलाओं और पुरुषों के लिए समान होना चाहिए।  महिलाओं को उस काम के लिए समान रूप से भुगतान किया जाना चाहिए जो वे करते हैं।
 महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण चीज है जिसे पूरा करने की जरूरत है।  आज महिलाओं के पास जो अधिकार और स्वतंत्रता है, वह उन झगड़ों का परिणाम है, जिनके खिलाफ सशक्त महिलाओं ने लड़ाई लड़ी।  इन सशक्त महिलाओं के कृत्यों से पता चलता है कि यह समय है कि महिलाएं भी सभी स्वतंत्रता और अधिकारों का आनंद ले सकती हैं।
*महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज़ खोजने की ज़रूरत नहीं है, उनके पास एक आवाज़ है, आत्मविश्वास है, और उन्हें इसका उपयोग करने के लिए सशक्त महसूस करने की आवश्यकता है, और लोगों को सुनने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है!*

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)

मिशन-कर्मयोगी - अब शासन नहीं भूमिका!!!

हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं - शासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी 

डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता, रचनात्मकता से करना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - समय का चक्र हमेशा घूमते रहता है, किसी की ताकत नहीं कि इस चक्र को रोक सके। आज वैश्विक रूप से प्रौद्योगिकी, विज्ञान, नवाचार, नवोन्मेष तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं परंतु ऐसा कोई नवाचार प्रौद्योगिकी न आई है, और ना ही कभी आएगी जो समय के चक्र को रोक सके!!! साथियों समय था उनका! जब बड़े-बड़े राजाओं महाराजाओं ने भारत पर राज़ किया समय था!! समय था उनका! जब अंग्रेजों नें भारत पर राज़ किया!! स्वतंत्रता के बाद समय था उनका! जिसने इतने वर्षों तक राज़ किया!! समय का चक्र घूमते गया किसी का लिहाज नहीं किया!! किसी को आसमान से जमीन पर गिराया! तो किसी को ज़मीन से आसमान तक पहुंचाया!! वाह समय साहिबान जी!! तुम्हारी गत तुम ही जानों!! साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन की करें तो समय था उनका! जब मानवीय हसते कार्य होता था!! आज अगर हम अंदाज लगाएं तो सोच सकते हैं कि क्या कुछ नहीं हो सकता होगा उस समय परंतु इसमें किसी का दोष नहीं है क्योंकि वह भी एक समय था उनका!! आज डिजिटल भारत स्पेशलाइजेशन युग में डिजिटलाइजेशन हो रहा है तो यह भी समय का चक्र है कि पूरा काम डिजिटल हो गया है, उसमें अनेकों लीकेजस के रास्ते बंद हो गए हैं!! बाकी बचे लेकेजेस भी बंद होने के कगार पर हैं और देश सुशासन की ओर बढ़ रहा है। हालांकि यह भी एक कहावत है कि कितने भी कानून बना लो पर भ्रष्टाचार वालों के भी रास्ते गुपचुप निकल ही आते हैं!!! साथियों बात सच है परंतु आज इस दिशा में भी तीव्रता से उपाय ढूंढ कर लीकेजेज को पूर्णतः बंद करना ज़रूरी होगा साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन के सेवकों की करें तो आज के डिजिटल इंडिया में अब उनको अपनी शासन प्रशासन की स्थिति को अब शासन नहीं, भूमिका में बदलना होगा!! उन्हें अपनी प्रक्रिया, कार्यवाही का निर्वहन, सहिष्णुता विनम्रता और रचनात्मक लहजे में करना होगा ताकि शिकायतकर्ताओं के समाधान की ओर बढ़ा जाए। प्रक्रिया में या सख्त लहजे में, नियमों में, ना उलझा जाए इस तरह की नियमावली बनाने का संज्ञान शासन ने तीव्रता से लेना होगा तथा नागरिकों को अपनी वास्तविक भूमिका मालक के रूप में मिले इसलिए उन्हें पावरफुल बनाना होगा ताकि भ्रष्टाचार रूपी दानव को दफनाने में 135 करोड़ जनसंख्या के 270 करोड़ हाथ एक साथ उठ जाएं ताकि यह दानव कभी सर नहीं उठा सके और हम फिर सतयुग की ओर भारत को लेजाकर सोने की चिड़िया का दर्जा वापस दिलाने में सामर्थ बने। साथियों बात अगर हम दिनांक 23 दिसंबर 2021 को माननीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा, पीएम के नए लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन की वर्तमान में जारी व्यस्था को शासन से भूमिका में बदलने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है ताकि भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यवस्था का युग समाप्त हो गया है और यह प्रशासन के लिए कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि हम सुपर स्पेशलाइजेशन के युग में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा को अपनी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं पर केंद्रित होना चाहिए और मिशन कर्मयोगी का मुख्य लक्ष्य यही है कि नागरिक शासन को भविष्य के लिए उपयुक्त और उद्देश्य के लिए उपयुक्त की योग्यता वाला बनाया जा सके। सिविल सेवकों को रचनात्मक, कल्पनाशील और अभिनव प्रयोगवादी सक्रिय और विनम्र होना, पेशेवर और प्रगतिशील होना, ऊर्जावान और सक्षम होना, कुशल और प्रभावी होना, पारदर्शी और नई तकनीक के उपयोग हेतु सक्षम होने के पीएम के आह्वान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सिविल के लिए अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, यह जरूरी है कि देश भर के सिविल सेवकों के पास दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान का सही सेट हो। उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के शुभारंभ सहित कई पहल की हैं। कार्यक्रम से सरकार में मानव संसाधन प्रबंधन के विभिन्न आयामों को एकीकृत करने की उम्मीद है, जैसे कि सावधानीपूर्वक क्यूरेटेड और सत्यापित डिजिटल ई-लर्निंग सामग्री के माध्यम से क्षमता निर्माण, योग्यता मानचित्रण के माध्यम से सही व्यक्ति को सही भूमिका में तैनात करना, उत्तराधिकार योजना, आदि। सुशासन सप्ताह के आयोजन के हिस्से के रूप में मिशन कर्मयोगी – भविष्य का ख़ाका विषय पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य नागरिक सेवाओं के लिए भविष्य की महत्वपूर्ण दूरदर्शिता है जिससे अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप प्रभावी ढंग से निर्धारित हो सकेगा और 2047 तक भारत की शताब्दी को आकार दे सकेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से पीएम द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, इस मिशन की स्थापन इस मान्यता में निहित है कि एक नागरिक-केंद्रित सिविल सेवा की सही भूमिका, कार्यात्मक विशेषज्ञता और अपने क्षेत्र के बारे में अपेक्षित ज्ञान के साथ सशक्त होती है, के परिणामस्वरूप जीवनयापन को बेहतर बनाने और व्यवसाय करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि लगातार बदलती जनसांख्यिकी, डिजिटल क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता की पृष्ठभूमि में, सिविल सेवकों को अधिक गतिशील और पेशेवर बनने के लिए सशक्त करने की आवश्यकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिशन कर्मयोगी अब शासन नहीं भूमिका है। हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं प्रशासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी हैं। डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता रचनात्मकता से करना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Sunday, December 26, 2021

क्या आप बोल्ड हैं

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक सवाल है कि आप कितना बोल्ड है? यह तो बहुत बोल्ड महिला है या यह तो बहुत बोल्ड पुरुष है... ? आप पर लगा यह लेबल आप को अच्छा लगता है? आप के परिवार वालों को अच्छा लगता है? क्या आप एक बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में पसंद करेंगें? क्या आप को लगता है कि बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में स्वीकार करने के बाद वह सामान्य महिला के रूप में संबंध निभाएगी?
एक महिला के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? किसी पुरूष मित्र के कंधे पर हाथ रख कर सिगरेट पीना? बिंदास गालियां देना? स्पेगेटी ब्लाउज, आफ शोल्डर टीशर्ट या पैंटी दिखाई दे इस तरह की स्कर्ट्स पहनना? दोस्ती से बिस्तर तक पहुंचने वाले संबंधों को खुलेआम स्वीकार करना? सास-ससुर की बातों को न मानना?
एक पुरुष के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? छाती ठोक कर अपने मन की बात कहना? अपनी अनपढ़ पत्नी के साथ न पटने की बात स्वीकार करना? अपने एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप का बखान करना? बगल से गुजरने वाली लड़की को देख कर शरीर में होने वाली सनसनाहट को सब के सामने स्वीकार करना?
बोल्ड होना क्या है? बहादुरी? समूह से अलग होने की टेक्निक? स्वभाव? प्रमाणिकता?
बोल्ड होने का मतलब अपनी गलतियों को स्वीकार करना। बोल्ड होने का मतलब यानी अपनी गलतियों को स्वीकार कर नई शुरुआत करना। बोल्ड होने का मतलब अपनी इच्छाओं को न दबाना। एकदम अंजान सुनसान रास्ते पर अंधेरी रात में अकेली जाना यह बोल्डनेस नहीं है, पर ऐसे अंजान रास्ते पर अकेली जाने में डर लगता है, यह स्वीकार करना बोल्डनेस है। जिस तरह जी रही हो, वह सब स्वीकार कर लेना बोल्डनेस नहीं है। पर जिस तरह जी रही हो, उसमें से थोड़ा भी किसी को पता न चले, इस तरह उसे कहीं आड़े हाथों छुपा रखो, यह बोल्डनेस है। कपड़े के अंदर हर आदमी नंगा होता है। पर कपड़ा पहन कर घूम रहे समूह के बीच एकदम नग्न हो निकल पड़ना भी बोल्डनेस नहीं है।
बोल्डनेस गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं की जा सकती। सोशल मीडिया पर जम कर लिखने, फलानाफलाना का खुलासा करने से आप बोल्ड नहीं हो जातीं। 'बोल्ड' होने के लिए जिस तरह शार्पनर में पेंसिल छीली जाती है, उस तरह छिलना पड़ता है। मुट्ठियां जलानी पड़ती हैं। जली मुट्ठियों का पसीना पीना पड़ता है।
आप की बोल्डनेस का आप के कपड़े से कोई लेनादेना नहीं है। आप की बड़ी सी लाल बिंदी या आप के बढ़े बालों से आप की बोल्डनेस को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। बोल्डनेस किसी भी तरह के प्रतीकों से नहीं आती। गांव की पूरी तरह शरीर ढ़ंकने वाली महिला खुद अपने लिए कोई निर्णय लेती है तो उसे बोल्ड कहा जा सकता है। 'जाओ, तुम शहर जा कर अपना कैरियर बनाओ, मैं यहां रह कर संघर्ष करूंगी।' पति के कंधे पर हाथ रख कर यह कहने वाली महिला भी बोल्ड है और गड्ढ़े में गिरे बेटे को निकलने की राह देखने वाली महिला भी बोल्ड है। पूरे दिन आफिस में काम कर के घर आने वाले पति को दूध या दही लेने के लिए चौराहे पर भेजने वाली महिला बोल्ड नहीं है। पर पूरे दिन काम करने वाले पति की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले लेने वाली पत्नी जरूर बोल्ड है। 
अगर बोल्ड होने का दिखावा करने के लिए आप कार्पोरेट मीटिंग में शराब पीती हैं, खुद को बुद्धिशाली साबित करने के लिए सामने वाले व्यक्ति को नीचा दिखाती हैं, उसका अपमान करती हैं, अपने पूर्व के संबंधों के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करती हैं, जैसा रह लही हैं, वैसा सचसच कह जाती हैं, एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेती हैं, पोर्न फिल्मों या सेक्स की बातें करती हैं तो आप बोल्ड नहीं, मूर्ख हैं। रांग साइड में बाइक चलाना या शहर की सड़कों पर 120 की स्पीड में कार चलाना बोल्डनेस नहीं है। अगर आप के अंदर शिष्टता है तो आप बोल्ड हो सकती हैं। जब आप अपना सुरक्षा कवच तोड़ कर उसमें से बाहर कदम रखती हैं तो आप बोल्डनेस की ओर पहला कदम बढ़ाती हैं। सब कुछ जानते हुए भी आप चुप रहना पसंद करती हैं तो आप बोल्डनेस की अंगुली पकड़ रही होती हैं। जब आप किसी के ऊपर आर्थिक रूप से डिपेंड नहीं रहना चाहतीं, तब आस बोल्डनेस को गले लगा रही होती हैं। जिंदगी में, नौकरी में या धंधे में, संबंधों में आने वाले हर संघर्ष के लिए तैयार रहती हैं तो आप बोल्डनेस को अपने अंदर उतारती हैं।
बोल्ड मनुष्य वह है जो खूब शक्तीशाली होने के बावजूद अपनी शक्तियों को काबू में रख सके। बोल्ड मनुष्य वह है, जो अपने संबंधों का प्रचार करने के बजाय संबंधों में की गई अपनी गलती को बेझिझक कबूल कर सके। बोल्ड मनुष्य वह है जो संबंधों-धंधे में खुद की गलती को अपने कंधे पर ले सके। बोल्ड रहने के लिए खुद के साथ कमिटेड रहना पड़ता है। झूठ को समझना पड़ता है और सत्य को खुला रखना पड़ता है। बोल्डनेस हर किसी को रास नहीं आती, बोल्ड होने के लिए जलते अंगारे पर बिना चीखे नंगे पैर चलने का साहस करना पड़ता है।  
कृत्रिम बोल्डनेस को ओढ़ कर चलने वाला मनुष्य किसी भी समय नंगा हो सकता है। बोल्डनेस दिखाने के लिए सिगरेट के कश लेना, शराब पीना या शिष्टता भंग करने की कतई जरूरत नहीं है। बोल्डनेस दिखाने की पहली सोढ़ी है स्वीकार। किसी भी परिस्थिति, संयोग को स्वीकार करना। सार्वजनिक रूप से या आईने के सामने खड़े हो कर या खुद के सामने। आप की बोल्डनेस दुनिया नहीं देखेगी तो चलेगा, पर आप को जरूर पता होनी चाहिए।

वीरेंद्र बहादुर सिंह 
जेड-436ए, सेक्टर-12,

डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत

वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत - स्वसत्यापन, स्वप्रमाणन, स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत 

डिजिटल भारत में सरकारी विभागों के मामलों में नियमों, प्रक्रियात्मक पहलुओं, को गैर-अपराधिक करने और आवेदक़ के शिकायतों का निवारण संवेदनशील तरीके से करने की ज़रूरत - एड किशन भावनानी 
गोंदिया - भारत बड़ी तेज़ी के साथ डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते हुए डिजिटलाइजेशन की आंधी में,संकरी गलियों रूपी मानव हस्तकार्य याने हैंडवर्क को विशाल चौड़े रास्तों याने डिजिटलाइजेशन की ओर लाया जा सके ताकि सब काम तेजी से हो अर्थात एकसंकरी गली विशाल रोडरस्ते का स्थान लेकर हजारों लाखों काम एक साथ हो, यह है हमारे नए भारत का रणनीतिक रोड मैप का एक हिस्सा!!! साथियों इस डिजिटलाइजेशन में रहते हुए बात अगर हम जीवनयापन के लिए व्यापार, व्यवसाय या कोई गैर सरकारी निजी काम करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की प्रक्रियाओं के अनुपालन की करें तो करीब -करीब हर इस क्षेत्र से जुड़े नागरिक को अनुभव होगा के सरकारी ऑफिसों के कितने चक्कर लगाने पड़ते हैं!!! हर विभाग के एक छोटे से छोटे आवेदन कागज से लेकर उसके प्रमाणपत्र पाने तक का कितना लंबा समय होता है!!! यह हम सबको अनुभव है! अब ज़रूरत है इस प्रोटोकॉल, नियमावली नियमों विनियमों को कम करने की या समाप्त करने की!! अब समय आ गया है कि छोटे-छोटे वैधानिक मापनविधा को अपराध रहित बनाया जाए और इसके स्थान पर स्वसत्यापन स्वप्रमाणिन और स्वनियमन को बढ़ावा हर क्षेत्र में सरकारी विभागों में दिया जाए। साथियों बात अगर हम इस क्रियात्मक प्रोटोकॉल या नियमावली की करें तो हर क्षेत्र के सरकारी बाबू के द्वारा इस प्राथमिक स्तरपर ही प्रक्रियात्मक नियमावली का हवाला देकर प्रक्रियात्मक, नियमात्मक, आवेदन फामरमेट, टिकट, इतने दिन इस टेबल पर, इतने टाइमपर, फ़िर यह सब करने पर उन कागजों का सत्यापन, प्रमाणन, हलफनामा, अनेक नियम नहीं करने पर अपराधिक संज्ञान का हवाला और हलफनामा इत्यादि से अब डिजिटल इंडिया में नागरिक बहुत परेशान हो चुके है। अब केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस तरह के अनुपालन बोझ को कम करने या हटाने का स्वतः संज्ञान सरकारों द्वारा लेना ज़रूरी है। साथियों बात अगर हम करीब 1500 अनुपयोगी कानूनों को रद्द करने और करीब 25000 से अधिक अनुपालनों को कम करने की करें तो हमने कुछ साल पहले देखे थे कि संसद से अनेक अनुपयोगी कानून हटाए गए थे और अनेक मामलों में एक कानून बनाकर लागू किया गया था जिसका जीता जागता उदाहरण जीएसटी है!!! इसी तर्ज पर अब नियमों विनियमों के अनुपालनों के बोझ को कम किया जाए या हटाया जाए! अब इनसे लोगों को बांधना उचित नहीं है। नियमों विनियमों प्रक्रियाओं का हवाला देकर शिकायतकर्ता की शिकायतों का समाधान रोकना उचित नहीं! अब संवेदनशीलता व सहिष्णुता का उपयोग अधिक ज़रूरी है, क्योंकि अब डिजिटल इंडिया है!!! साथियों बात अगर हम दिनांक 22 दिसंबर 2021 को वाणिज्य मंत्री द्वारा एक कार्यक्रम को संबोधन करने की करें तो वाणिज्य मंत्रालय की पीआईबी के अनुसार, वैधानिक मापनविद्या को गैर-अपराधी बनाने की जरूरत पर उन्होंने उद्योग क्षेत्र के प्रतिभागियों से प्रक्रियाओं में सुधार और उन्नति की मांग करते रहने का अनुरोध किया। उन्होंने स्व-सत्यापन, स्व-प्रमाणन और स्व-नियमन को बढ़ावा देने का भी आह्वाहन किया। उन्होंने आगे कहा कि अब उचित समय आ गया है कि नागरिकों की ईमानदारी पर भरोसा करके अनुपालन प्रणाली को बनाई जाए। पूरे दिन चलने वाली इस कार्यशाला को तीन समानांतर सत्रों में बांटा गया था। इनमें पहले सत्र की विषयवस्तु सरकारी विभागोंके बीच व्यवधान को समाप्त करना और तालमेल बढ़ाना था। वहीं, दूसरा सत्र नागरिक सेवाओं के कुशल वितरण के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की की कार्यशीलता की विषयवस्तु पर आधारित था। सबसे आखिर में तीसरे सत्र को प्रभावी शिकायत निवारण  की विषयवस्तु पर आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि अनुपालन जरूरतों को डिजाइन करते समय सभी हितधारकों, विशेष रूप से उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखने के साथ-साथ जमीनी वास्तविकता पर भी हमेशा विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने नीति निर्माताओं से उन अनुपालनों के विवरण को पता लगाने के लिए क्राउड सोर्सिंग का उपयोग करने का अनुरोध किया, जो बोझिल साबित हो रहे थे और उन्हें युक्तिसंगत बनाने पर काम किया गया। भारी सुधारों का आह्वाहन करते हुए उन्होंने कहा कि नए संरचनाओं को लोगों से बांधना नहीं चाहिए। हितधारकों के बीच सूचना की विषमता के समाधान की जरूरत को रेखांकित करते हुए, अनुपालन बोझ को कम करने में अब तक प्राप्त लाभ को एकीकृत करने का आह्वाहन किया। इस कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली को मानवीय और संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिन मामलों में नियमों और प्रक्रियात्मक पहलुओं के कारण शिकायतों का पूरी तरह से समाधान नहीं किया जा सकता है, उनके बारे में शिकायतकर्ता को संवेदनशील तरीके से अवगत कराया जाना चाहिए। सरकारी विभाग मानवीयता की भावना के साथ वास्तविक शिकायतों को संभाल सकते हैं। मंत्री ने कहा कि इससे जब स्वीकृति व अनुमति के लिए आवेदन करने की बात हो तो दोहराए जाने वाली प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया जा सके और खाई व अतिरेकताओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने व्यापार और व्यक्तियों के लिए आधार, पैन और टैन इत्यादि जैसे मौजूदा कई पहचान संख्याओं को मिलाकर एक एकल पहचान संख्या बनाने का आह्वाहन किया, जिससे सेवाओं का वितरण आसानी और तेजी से हो सके। तकनीक की अनंत संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की सहायता करनी चाहिए व जीवन जीने व व्यापार करने में सहजता को बढ़ावा देने के लिए पहल करने के साथ अनुपालन प्रणाली को और ज्यादा जटिल नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने भारत के सामने आने वाली समस्याओं के स्वदेशी समाधान को विकसित करने की जरूरत का भी उल्लेख किया। उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व, नौकरशाही और उद्योग नेतृत्व से अनुरोध किया कि वे अनुपालन बोझ को कम करने के लिए सादगी के सिद्धांतों व सेवाओं के समय पर वितरण से संबंधित अपनी पहल पर ध्यान केंद्रित करें। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत है तथा वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत एवं स्वसत्यापन स्वप्रमाणन स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत है तथा डिजिटल भारत में सरकारी विभागों के मामलों में नियमों, प्रक्रियात्मक पहलुओं को गैर-अपराधिक करने और आवेदक के शिकायतों का निपटान संवेदनशीलता सहिष्णुता तरीके से करने की ज़रूरत है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

आज जन्मदिन विशेष है

उस महान आत्मा का ,

जो भारत की पहचान था।
अटल के नाम से विख्यात था।

चले गए इस दुनिया से वो।
लेकिन भारत को विश्व गुरु l
की श्रेणी में लाकर खड़ा किया,
आतंकवाद को खत्म किया |

भारत भूमि से दुश्मन को l
सीमा से खदेड भागने पर मजबूर किया,
भारत की ताकत का लोहा
दुश्मनों को फिर मनवा दिया l 

राजनीति का पुरोधा था वो।
लडकर कभी हार नहीं माना
हार कर भी जीतने की।
उम्मीद पर जीता रहा।

मौत को बांध मुठ्ठी में भर कर।
जिंदगी का सफर में चलता रहा।
अटल था वो अटल हैं अटल 
रहेगा ।
यही संदेश दुनिया को देकर गया।
_____________________
      शैलेन्द पयासी ( स्वतंत्र लेखक 
विजयराघवगढ़, कटनी मध्यप्रदेश

वफ़ा के नाम पे धोका (ग़ज़ल)

जिसने चराग़ दिल में वफ़ा का जला दिया

ख़ुद को भी उसने दोस्तों इंसां बना दिया।

घरबार जिसके प्यार में अपना लुटा दिया
उस शख़्स ने ही बेवफा हमको बना दिया।

जो मिल गए हैं ख़ाक में वो होंगे और ही 
हमने तो हौसलों को ही मंज़िल बना दिया।

यह है रिहाई कैसी परों को ही काट कर 
सैयाद तूने पंछी हवा में उड़ा दिया।

हंस हंस के ज़ख़्म खाता रहा जो सदा तेरे 
तूने ख़िताब उसको दगाबाज़ का दिया।

'निर्मल' समझ के अपना जिसे प्यार से मिले 
उसने वफ़ा के नाम पे धोका सदा दिया।

आशीष तिवारी निर्मल 
लालगांव रीवा 

अटल हमारे अटल तुम्हारे

अटल  हमारे  अटल  तुम्हारे।

नहीं   रहे  अब   बीच  हमारे।
जन जन  के  थे  राज दुलारे।
अटल  हमारे  अटल  तुम्हारे।
बेबाक    रहे   बोल  चाल  में।
मस्ती  दिखती  चालढाल  में।
अश्क   बहाते     घर  चौबारे।
अटल  हमारे   अटल  तुुम्हारे।
अगर कहीं कुछ  सही न पाया।
राजधर्म  तब  जा  सिखलाया।
इसीलिये   थे   सब  के   प्यारे।
अटल   हमारे   अटल  तुम्हारे।
सजे  मंच  पर   जब  आते  थे।
झूम  झूम  कर  फिर  गाते  थे।
नहीं   बिसरते   आज  बिसारे।
अटल  हमारे    अटल  तुम्हारे।
चला  गया जनता  का  नायक।
छोड़ सभी कुछ  यार यकायक।
जन जन उनको  आज  पुकारे।
अटल   हमारे   अटल   तुम्हारे।
किया  देश हित  जीवन अर्पण।
बिरला    देखा    गूढ़   समर्पण।
रोते    हैं    यूँ     चाँद    सितारे।
अटल   हमारे    अटल   तुम्हारे।
कम से कम की  दिल  आज़ारी।
खेली  जम  कर   अपनी   पारी।
लगा  रहे  सब   मिल  जय कारे।
अटल   हमारे    अटल   तुम्हारे।
राजनीति   थी   खेल   खिलौना।
खेला   करके    सब  को   बौना।
शब्द     चढ़ाये      शब्द    उतारे।
अटल   हमारे    अटल    तुम्हारे।
हमीद कानपुरी
(अब्दुल हमीद इदरीसी)

एहसास

सर्दी बहुत है

गर्मी का एहसास करवाइए ।
नफरत बहुत है
मोहब्बत का एहसास करवाइए ।
गम बहुत है
खुशियों का एहसास करवाइए।
बेगानापन बहुत है
अपनेपन का एहसास करवाइए।
अंधेरा बहुत है
रोशनी का एहसास करवाइए।
शोर बहुत है
शांति का अहसास करवाइए।
अस्थिरता बहुत है
स्थिरता का एहसास करवाइए।
मिथ्या बहुत हौ
सत्यता का एहसास करवाइए।
दोगलापन बहुत है
एकसारता का एहसास करवाइए।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
पता-गांव जनयानकड़

किस्सा, किस्से और किस्साहट

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा

उजाले में भी अंधेरा बसता है। किसी-किसी को दिखता है। किसी-किसी को नहीं दिखता है। किसी-किसी को दिखकर भी नहीं दिखता है तो किसी-किसी को नहीं दिखकर भी दिखता है। यह किसी-किसी कहलाने वाले लोग गुफाओं या आदिम युग में नहीं रहते। हमीं में से कोई किसी-किसी का पात्र निभाता रहता है। आश्चर्य की बात यह है कि एक किसी दूसरे किसी को किसी-किसी का किस्सा बताकर अपनी किसियाने की खुसखुसी करता रहता है। कोई किसी’ के दुख में किसी सुख को तलाशने की कोशिश करता है। कोई किसी’ की आग में किसी की रोटी सेंकने का काम करता है। । कोई किसी के गिरने में किसी के उठने की राह जोहता है। यह किसकिसाने का फसाना बहुत पुराना है। हमसे-तुमसे-सबसे पुराना है। किसी की बात में किसी की चुप्पी, किसी के लिखे में किसी के मिटने और किसी की ताजगी  में किसी के बासीपन की याद हो आना किस्साहट नहीं तो और क्या है!

यह किसी-किसी कहलाने वाले प्राणी बड़े विचित्र होते हैं। एक किसी दूसरे किसी के शव को छूना नहीं चाहता है। यह किसी कभी किसी का बेटा बनकर किसी पिता को अंतिम दर्शन करने के सौभाग्य से वंचित कर देता है। किसी का पति बनकर किसी पत्नी का सुहाग उजाड़ देता है। किसी का भैया बनकर किसी भाई का सहारा छीन लेता है। ऐसा किसी किसी-किसी का नहीं होता। किसी ने खूब कमाया, कोठियाँ खड़ी कीं, घोड़ा-गाड़ी का ऐशो आराम देखा। किंतु यह केवल किसी-किसी तक सीमित रहा। आगे उसी किसी के किसी-किसी ने उसे भोगा। यह किसी-किसी का किस्सा युगों से चला आ रहा है।

किसी-किसी ने किसी-किसी के साथ मिलकर जिंदगी के चार दिन बिताए थे। किसी के सामने किसी ने सिर उठाकर अपनी गुमानी दिखायी थी। दुर्भाग्य से एक किसी के मरने पर कोई किसी के साथ नहीं गया। सब के सब यहीं रह गये। उसका बंगला, घोड़ा, नौकर-चाकर सब के सब यहीं रह गए। किसी कहलाने वाला चार किसी कहलाने वाले कंधों के लिए तरसकर रह गया। न जाने कैसे उस किसी को किसी ने किसी तरह किसी ऐसी जगह पहुँचाया जहाँ किसी-किसी को मुक्ति मिलती है। किसी-किसी की बातें, किसी-किसी की यादें, और किसी-किसी के किस्से तब तक हैं जब तक कोई किसी को किसी तरह यह आपबीती सुनाता है। एक किसी को जीने के लिए किसी चीज़ की जरूरत पड़े न पड़े, लेकिन जाते समय किसी कहलाने वाले चार कंधों की जरूरत अवश्य पड़ती है। सच है, चार कंधे भी किसी-किसी को किस्मत से ही मिलते हैं।     


94 वें जन्मोत्सव पर अटल जी को स्मरण किया

*अटल जी विनम्रता, लोकप्रियता,मिलनसारिता की प्रतिमूर्ति थे -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य*

गाजियाबाद,शनिवार 25 दिसम्बर 2021,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनके 94 वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 
उल्लेखनीय है कि 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि श्री अटल जी भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय,विनम्र, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी प्रधानमंत्री रहे।वह कवि ह्रदय, पत्रकार,लेखक दयालु व भावुक थे।राष्ट्रीय मोर्चे पर कारगिल युद्ध में उनके कुशल नेतृत्व में विजय प्राप्त की व पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत की शक्ति का विश्व पटल पर परिचय भी दिया। वह तीन बार प्रधानमंत्री बने।वह बहुत अच्छे वक्ता थे देर रात तक उनका भाषण सुनने के लिए लोग आतुर रहते थे।उन्होंने केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रधानमंत्री निवास पर आयोजित कार्यक्रम में घोषणा की थी भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा व सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं होंगे।आज अटल जी के जीवन से प्रेरणा लेने का दिन है।वह भारतीय राजनीति के अजातशत्रु रहे ।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने प.मदनमोहन मालवीय जी के जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का आह्वान किया।
वैदिक विद्वान आचार्य सत्यवीर शर्मा,ओम सपरा वैध प्रदीप कटारिया,शैलन जगिया,देवेन्द्र भगत,आचार्य महेंद्र भाई,डॉ विपिन खेड़ा,राजेश मेहंदीरत्ता ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किये।
गायक रविन्द्र गुप्ता,नरेंद्र आर्य सुमन,दीप्ति सपरा,रजनी गर्ग, रजनी चुघ,बिंदु मदान,सरोज शर्मा,सुदेश आर्या,प्रवीना ठक्कर आदि के मधुर भजन हुए।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,

जश्न बनाम हादसों की रात

लो फिर आ गई हादसों वाली रात.....,हर साल की तरह इस बार भी 31-दिसम्बर आने वाला हैं,महानगरों में तो कई लोगो ने जश्न की  तैयारियां भी शुरू कर दी है। आजकल की युवा पीढ़ी को 31 दिसम्बर की रात का बेसब्री से इंतजार रहता हैं। पाश्चत्य संस्कृति को अपनाने वालों की धारणा होती हैं, कि बीता हुआ साल व आनेे वाले साल को ‘दिल ओ जान’ से  मनाया जाए। इसलिए एक महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। हर उम्र के लोगों के लिए अलग अलग पार्टियां रखी जाती। इस रात को रोमानी और मनोरंजक बनाने के लिए हर तरह की व्यवस्था रखी जाती साथ ही साथ तरह तरह के फूड,शराब,कोकिन,हेरोइन,अश्लील नाच गाना,यहां तक की सम्भोग भी। इस रात को हसीन बनाने के लिए लाखो का खर्च कर तरह तरह की योजनाएं बनाई जाती। एक महीने पहले से ही ऑफर के साथ नाइट बुकिंग भी शुरू हो जाती हैं। कई पार्टियां तो शहर से दूर। सुनसान एरिये में रखी जाती, ताकी पुलिस की नजर न पड़े। टुरिस्ट प्लेसेस अधिक से अधिक सजाए जाते हैं ताकी अधिक से अधिक लोग इन जगह पर रात बिताएं । 31 दिसम्बर अब महानगरों तक ही सीमित नही हैं। छोटे छोटे कस्बों में भी इसका अच्छा खासा चलन हो गया हैं। कई युवक युवतियां तो शादी की तरह तैयारी करते साथ ही कई तो इस रात के लिए पहले से ही कई योजनाएं भी बनाकर रखते हैं। 31 दिसम्बर की शाम से ही शहर जगमगा जाते हैं। रात होते ही पार्टिया शबाब पर आ जाती। नाच- गाना, खाना-पीना, तरह तरह के ड्रग्स छोटे छोटे कपडों में मेकप से पूती लहराती युवतियां, हाथों में शराब लिए क्लबों में नाचते हुए, अलग ही रोमांचक रोनके शुरू हो जाती हैं। इन क्लबों में हर तरह का नशा किया जाता। कोई पहली बार आता हैं, तो कोई जबरदस्ती लाया जाता। कई दोस्तों को जर्बदस्ती मनुहार करके नशा करने को मजबूर किया जाता हैं, तो युवक युवतियों के साथ ड्रग्स शराब के सेवन के लिए प्यार की दुहाई देकर पिलाया जाता हैं। नया वर्ष शुरू होते होते सभी युवक युवतियां अपने होश खोने लग जाते हैं। फिर रात का तांडव शुरू होता। कई बार किसी युवती के साथ जबरदस्ती तो किसी की बेहोशी की हालात में इज्जत से खिलवाड़, नशे में धूत सडक़ पर घूमती युवतियों के साथ छेडख़ानी। देर रात पार्टियां खत्म होने पर नशे में धुत गाडी चलाने पर कई एक्सीडेंट होना। नया साल नए नए हादसों का साल बन जाता हैं। सुबह तक कई तरह के वारदाद को अंजाम दे दिया जाता हैं। धीरे धीरे हफ्ते तक सभी अंजाम सामने आते रहते हैं। अगर किसी युवती के साथ दर्दनाक बलात्कार हुआ तो नया कानुन,साथ ही जगह जगह मोमबत्ती जलाकर मातम मनाना,टीवी पर बहस....बस। सोचने वाली यह बात है, वाकई में हमारे नए वर्ष  की शुरुआत ऐसे होना चाहिए ?,

      एक जनवरी को नव वर्ष मनाने का चलन 1582 इस्वी के ग्रेगेरियन कैलेन्डर आरंभ हुआ  । ग्रेगेरियन कैलेन्डर को पोप अष्टम ग्रेगेरी ने तैयार किया था,आर्थोडॉक्स चर्च रोमन कैलेन्डर को मानता हैं। उसके अनुसार नया साल 14 जनवरी को होता हैं। जब सभी लोग अपने अपने कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाते हैं। तो फिर हम क्यों हमारे "विक्रम संवत" कैलेंडर के अनुसार नया साल नही मनाते हैं ? हमारा कैलेंडर  "विक्रम संवत"  गे्रगेरियन कैलेन्डर से भी अधिक प्राचीन है, कालगणना हमारे संवत पंचाग के अनुसार की जाती है। अभी विक्रम संवत 2078 चल रहा है,                  हम कितने आधुनिक हो गए हैं,कि हम यह भी भूल गए की हमारा नया साल चेत्र गुड़ीपड़वा से शुरू होता हैं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का सृजन इसी दिन हुआ था।
भारत सरकार का राष्ट्रीय पंचांग-शालिवाहन शक संवत का प्रारम्भ।
    पाश्चात्य संस्कृति हमें किस पतन की ओर लें जा रही है, आज हम आधुनिकता दिखावे के चक्कर में, हम अपनी मान मर्यादा इज्जत सब कुछ लुटा रहे है | हमारी संस्कृति परम्परा को भूलते जा रहे हैं, बिता हुआ वर्ष कुछ अनुभव देता, नया सिखाता, नया वर्ष नए कार्य की उम्मीदों का वर्ष...., किन्तु अगर हम 31दिसंबर इसी तरह से मनाते रहे तो हादसों का सफर बढ़ता जाएगा, आज हम सभी को गहन चिंतन करने की आवश्यकता है, क्या नया वर्ष मनाने का यह सही तरीका ?

वैदेही कोठारी (स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका )

Thursday, December 23, 2021

बच्चू...कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त

एक भड़कीला युवक अपने स्थानीय सांसद से जा भिड़ा। सांसद जी बड़े संयमी थे। सो, युवक को डाँटने-फटकारने अथवा लताड़ने की जगह उसे बड़े प्रेम से बैठने के लिए कहा। बड़ी विनम्रता से पूछा क्या बात है भाई! ऐसी क्या मुसीबत आ पड़ी जो तुम मुझे इतनी सुबह-सुबह डाँट रहे हो?” इस पर युवक ने कहा, आपने झूठे-झूठे वायदे कर चुनाव तो जीत लिया और हम जैसे लोगों को भूल गए। खुद तो चैन की नींद सोते हो और हमें दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया है। महँगाई के मारे न खाए बनता है न पीए। बेरोजगारी से हमारे जैसे लोगों की हालत खस्ता है। जेब में एक फूटी-कौड़ी भी नहीं है। अब आप ही बताइए ऐसे में आदमी गरियायेगा नहीं तो उसकी आरती उतारेगा?”

सांसद जी को सारा मामला समझ में आ गया। वे कुछ समझाते इससे पहले ही युवक भड़क उठा और बोला, आपको क्या है? आपको तो सरकार की ओर से बत्तीवाली चार चक्का गाड़ी, बड़ा बंगला, नौकर-चाकर, खाने-पीने में पाँच सितारा होटल सा भोजन, आए दिन हवाई सफर करने का मौका, बीमार पड़ने पर एक से बढ़कर एक अस्पताल। और बदले में हम जैसे लोगों को क्या मिलता है – ठेंगा!” सांसद जी को लगा कि युवक तो बड़ा जागरूक है। इसे यों ही बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। वे कुछ जुगाड़ करने लगे। थोड़ी देर सोचने-समझने के बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए उससे कहा, तो तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है। एक फूटी-कौड़ी भी नहीं?” हाँ युवक ने मुँह फुलाते हुए उत्तर दिया। ठीक है तो मैं तुम्हें एक लाख रुपये देने के लिए तैयार हूँ, लेकिन शर्त यह है कि तुम्हें मुझे अपना एक हाथ काटकर देना होगा। अरे भाई यदि मैं आपको अपना हाथ दे दूँगा, तो अपने काम कैसे करूँगा?” ठीक है तो अपना एक पैर ही दे दो। इसके बदले में मैं तुम्हें दस लाख रुपये दूँगा। सोच लो। सौदा फायदे का है। क्या कमाल की बात करते हैं आप! यदि मैं अपना पैर दे दूँगा तो इधर-उधर चलूँगा कैसे? कुछ सोच-समझकर बात कीजिए। बड़े अजीब आदमी हो। कुछ भी माँगता हूँ तो न-नुकूर करते हो। चलो ठीक है, एक काम करो तुम अपनी जीभ ही काटकर दे दो इसके एवज में मैं तुम्हें एक करोड़ रुपये दूँगा। तुम्हारी गरीबी हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। सोच लो ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलेगा। युवक का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह झल्लाकर बोला, लगता है जब से आप सासंद बने हैं तब से आपका दिमाग सिर में कम घुटने में ज्यादा रहता है। दिमाग-विमाग खराब तो नहीं हो गया। कैसी बे-फिजूल की बातें कर रहे हैं। मैं यदि अपनी जीभ दे दूँगा तो जीवन भर बात कैसे करूँगा। अपनी जरूरतों के लिए सामने वाले से पूछूँगा कैसे?”

सांसद जी अब बड़े इत्मनान में थे। युवक की बातें सुन उन्हें लगा कि अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। उन्होंने एक लंबी साँस ली और कहा, भाई! जब तुम्हारे पास एक लाख रुपये से अधिक कीमती हाथ है, दस लाख रुपये से अधिक कीमती पैर है और एक करोड़ रुपये से भी अधिक कीमती जीभ है तो तुम कैसे कह सकते हो कि तुम्हारे पास फूटी-कौड़ी भी नहीं है। मैंने चुनाव जीतने के लिए बहुत से पापड़ बेले हैं। मैं यूँ हीं सांसद नहीं बना। इसी को मेहनत कहते हैं। यदि मैं भी तुम्हारी तरह सुबह-सुबह डाँटने-फटकारने या लताड़ने का काम करता तो आज सांसद नहीं तुम्हारी तरह दर-दर की ठोकरें खाते फिरता। जाओ, मेहनत करो और मेरा-तुम्हारा समय बर्बाद मत करो।

पाप बेचारा युवकवह इतना सा मुँह लेकर वहाँ से चला गया।