Friday, June 30, 2023

लोहे के बर्तन ही बेहतर है

#बर्तन तो लोहे के ही बेहतर है
खाने के बर्तन कैसे होने चाहिए यह सवाल लगातार पूछा गया है .एक पत्र भी मिला .खाने के बर्तन के बारे में मेरा मानना है कि
परम्परागत रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले बेहतर थे .मिर्जापुरी ' भरत ' पीतल के मुकाबले थोड़ी सफ़ेद धातु है .इसके बर्तन काफी
वजनदार होते हैं .एक बार गर्म हो जाने के बाद दाल सब्जी आसानी से पकती है .भार की वजह से नीचे लगने का भी डर कम होता
है .भरत की पतीली कुछ ज्यादा ही भारी होती है .इसमें रखा भोजन न पितलाता है न ही कसियाता है .यह धातु पीतल स्टेनलेस
स्टील के मुकाबले महंगी तो जरुर है लेकिन एलोपैथिक डाक्टरों को चुकाए जाने वाले हर्जाने में इतनी बचत कर देते हैं कि ये महंगे
बर्तन सस्ते ही साबित होते हैं .खटाई युक्त भोजन कच्चे पक्के लोहे की कड़ाही में ही पकाया जा सकता है लेकिन पकते ही उसे
मिटटी ,पत्थर या चीनी मिटटी के बर्तन में निकाल लेना चाहिए .इस तरह के भोजन को बार बार गर्म नहीं करना चाहिए .जिन्हें सिर्फ
गर्म खाना ही रुचता हो उन्हें पुराने दिनों की तरह रसोई में आसन पर बैठकर आंच से उतरता भोजन करना चाहिए .
रसोई में खड़ा चूल्हा अगर अनिवार्य हो गया हो तो वहीँ एक मेज लगा ले .मौसम ठीक हो तो मिर्जापुरी भरत में रखा भोजन चार छह
घंटे बिलकुल ठीक रहता है .तीस चालीस साल पहले बर्तन की आम दूकानों पर भरत की पतीली ,कड़ाही सहज उपलब्ध हुआ
करती थी .अब तो जगाधरीतक में भरत की ढलाई आखिरी सांस गिन रही है .फिर भी बनारस और कोलकता के बर्तन बाजार में
ढूढने पर ये मिल जाते हैं .अमदावाद शहर में जैन संत श्रीमंत हितरुचि विजय महाराज की चार पांच उत्साही युवाओं ने शुद्ध और
अहिंसात्मक अन्न वस्त्र भांडों का व्यापर शुरू किया है .
बर्तन के मामले में यह जान लें कि कुम्हार के आंवें में पके मिटटी के बर्तन तो उपयुक्त हैं ही साथ ही बिहार ,बंगाल ,दक्षिण में ढले
लोहे के बर्तन भी उपयुक्त हैं .मिर्जापुर में पीतल कसकूट आदि मिलकर ढाले गए भरत के बर्तन सभी तरह का भोजन बनाने के लिए
उपयुक्त हैं .एल्यूमीनियम के बर्तन ठीक नहीं होते .स्टील में भी अगर अच्छी गुणवत्ता का स्टील न हुआ तो उसमे बना भोजन ठीक
नहीं होता .आजकल जो कूकर चल रहे हैं उनसे हो सके तो बचना चाहिए या फिर स्टील के कूकर का इस्तेमाल करना चाहिए .


लोहे की कड़ाही में दमपुख्त
यह मूल नुस्खा तो अवध के ग्रामीण अंचल से आया था .भीगे चनो में पालक ,परवल ,लौकी ,आलू और टमाटर का सालन .आज की
खिचड़ी तो अपने आप में संपूर्ण भोजन है .पहला नुस्खा -गेंहू ,मूंग मोठ चना भीगोकर साठ से बहत्तर घंटे तक अंकुरित हो जाने दें
.इस दौरान चारो अन्न बारी बारी से धोते रहिए .स्टार्च बचेगा ही नहीं .हीं चारो अन्न पूरी तरह अंकुरित होने पर सिर्फ प्रोटीन ,रफेज और

उर्जा रूप रह जाएंगे .स्टार्च की जरूरत हो तो इसे पकाते समय इसमें मक्के का दलिया मिला सकते हैं . 

भोजन विधि (आयुर्वेदोक्त)

 आयुर्वेदोक्त #भोजन विधि

"भोजन विधि" (भोजन खाने के नियम)


(1) भोजनाग्रे सदा पथ्यनलवणार्द्रकभक्षणम् |
अग्निसंदीपनं रुच्यं जिह्वाकण्ठविशोधनम् ||
भोजन शुरू करने से पहले आपको आद्रक (अदरक) का छोटा टुकड़ा और चुटकी भर सैंधव (सेंधा नमक) मिलाकर खाना चाहिए।
यह आपके पाचन को बढ़ावा देने के लिए आपकी अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाएगा, आपकी जीभ और गले को साफ करेगा जिससे आपकी स्वाद कलिकाएं सक्रिय होंगी।
(2) घृतपूर्वं संश्नीयात कठिनं प्राक् ततो मृदु।
अन्ते पुनर्द्रवाशि च बलरोग्ये न मुञ्चति।।
घृत को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। सबसे पहले सख्त खाद्य पदार्थ जैसे रोटी आदि से शुरुआत करें, फिर नरम खाद्य पदार्थ खाएं। भोजन के अंत में आपको तक्र (छाछ) जैसे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपको ऊर्जा और स्वास्थ्य मिलता है।
(3) अश्नियात्तनमना भूत्वा पूर्वं तु मधुरं रसम्।
मध्येऽमल्लवणौ मूर्ति कटुतिक्तक्षायकं।।
भोजन एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए। सबसे पहले, मधुर द्रव्य (मीठा भोजन) से शुरू करें, फिर बीच में, अमला द्रव्य (खट्टा भोजन) और लवण युक्त द्रव्य (नमकीन भोजन), और अंत में, तिक्त द्रव्य (कड़वा भोजन), कटु द्रव्य (मसालेदार भोजन), और कषाय द्रव्य (कसैला भोजन)।
(4) फलान्यादौ समश्नीयाद दादिमादीनि बुद्धि।
विना मोचाफलं तद्वद् वरिअय च कर्कति।।
नरम भोजन में सबसे पहले दाड़िमा आदि फलों से शुरुआत करें, लेकिन भोजन की शुरुआत में केला और खीरा जैसे फल न खाएं क्योंकि खीरे में पानी होता है इसलिए यह पाचन अग्नि को कम कर देगा।
(5) अन्नेन कुक्षेर्द्वावंशौ पवेनैकं प्रापुरयेत्।
आश्रयं पवनदीनां चतुर्थमवशेषयेत्।।
पेट के दो हिस्से (पेट की आधी क्षमता) ठोस भोजन से भरे होने चाहिए, पेट का एक हिस्सा तरल भोजन से भरा होना चाहिए और पेट का बाकी हिस्सा वात यानी हवा के मुक्त प्रवाह के लिए खाली रखा जाना चाहिए।
वैधानिक अधिसूचना करने से पूर्व पंजीकृत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें

Thursday, June 22, 2023

गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है

*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।*
*बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।*
*संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।*
बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।
संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।
*रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*
कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।

रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है।
अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।
*माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।*
मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई है।।
*पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।*
*बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*
सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।
दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।
मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है।
*मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*
खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद उड़ाई है।
*बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*
गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।
*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।*
*बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई है।*
ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।।
*दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*
बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के मम्मी ने दो पैग लगाई है।।
*खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।*
*चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*
*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।।*

Wednesday, June 14, 2023

हैप्पी हेल्थ डे

 सभी को स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं

 🄷🄰🄿🄿🅈 🄸🄽🅃🄴🅁🄽🄰🅃🄸🄾🄽🄰🄻

🄷🄴🄰🄻🅃🄷   🄳🄰🅈

 ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:

1. बीपी: 120/80

2. नाड़ी :70 -100

3. तापमान: 36.8 - 37

4. श्वास: 12-16

5. हीमोग्लोबिन: पुरुष -13.50-18

 स्त्री -11.50 - 16

6.कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200

7.पोटेशियम: 3.50 - 5

8. सोडियम: 135 - 145

9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220

10. शरीर में खून की मात्रा: पीसीवी 30-40%

11. शुगर लेवल: बच्चों (70-130) वयस्कों के लिए: 70 - 115

12. आयरन :8-15 मिलीग्राम

13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC: 4000 - 11000

14. प्लेटलेट्स: 1,50,000- 4,00,000

15. लाल रक्त कोशिकाएं आरबीसी: 4.50 - 6 मिलियन।

16. कैल्शियम: 8.6 -10.3 mg/dL

17. विटामिन डी3: 20 - 50 एनजी/एमएल।

18. विटामिन B12:  200 - 900 पीजी/एमएल।

40/50/60 वर्ष वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुझाव:

1- पहला सुझाव:  प्यास या ज़रूरत न होने पर भी हर समय पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी के कारण होती हैं।  प्रति दिन कम से कम 2 लीटर। 2-दूसरा निर्देश: शरीर से जितना हो सके उतना काम करें, शरीर का मूवमेंट होना चाहिए, जैसे चलना, तैरना, या किसी भी तरह का खेल।

3-3 टिप: कम खाएं... ज्यादा खाने की लालसा छोड़ें... क्योंकि इससे कभी अच्छा नहीं होता।  अपने आप को वंचित मत करो, बल्कि मात्रा कम करो।  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।

4- चौथी हिदायत: वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो।  यदि आप कहीं भी किराने का सामान लेने जा रहे हैं, किसी से मिल रहे हैं, या कोई काम कर रहे हैं, तो अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें।  लिफ्ट, एस्केलेटर का इस्तेमाल करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।

5- 5वां निर्देश गुस्सा छोड़ दें, चिंता करना छोड़ दें, बातों को इग्नोर करने की कोशिश करें।  अपने आप को परेशानी वाली स्थितियों में शामिल न करें, वे सभी स्वास्थ्य को खराब करते हैं और आत्मा की महिमा को हर लेते हैं।  सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।

6- छठा निर्देश सबसे पहले धन का मोह त्याग दें

 अपने आसपास के लोगों से जुड़ें, हंसें और बात करें!  पैसा जीवित रहने के लिए बनाया जाता है, जीवन पैसे के लिए नहीं।

7-  7वाँ नोट अपने लिए, या किसी ऐसी चीज़ के बारे में खेद महसूस न करें जिसे आप हासिल नहीं कर सके, या ऐसी किसी चीज़ के बारे में जिसका आप सहारा न ले सकें। इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।

8- आठवीं सूचना धन, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सौंदर्य, जाति और प्रभाव;  ये सब चीजें अहंकार को बढ़ाती हैं।  विनम्रता लोगों को प्यार से करीब लाती है।

9- नौवां टोटका अगर आपके बाल सफेद हैं तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है।  यह एक अच्छे जीवन की शुरुआत है।  आशावादी बनो, स्मृति के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो।  यादें बनाएं!

10-10वां निर्देश अपने छोटों से प्यार, सहानुभूति और स्नेह से मिलें!  कुछ भी व्यंग्यात्मक मत कहो!  अपने चेहरे पर मुस्कान रखें!

भूतकाल में आपने कितना भी बड़ा पद क्यों न धारण किया हो, उसे वर्तमान में भूल जाइए और सभी के साथ घुलमिल जाइए! 

 


"मृत्यु के १४ प्रकार"

राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?

रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?
अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है!
तब अंगद ने मृत्यु के १४ प्रकार बताए-
कौल कामबस कृपन विमूढ़ा।
अति दरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।
सदा रोगबस संतत क्रोधी।
विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।
तनुपोषक निंदक अघखानी।
जीवत शव सम चौदह प्रानी।।
१. कामवश: जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।
२. वाममार्गी: जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो, नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।
३. कंजूस: अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।
४. अति दरिद्र: गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।
५. विमूढ़: अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।
६. अजसि: जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।
७. सदा रोगवश: जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।
८. अति बूढ़ा: अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।
९. सतत क्रोधी: २४ घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।
१०. अघ खानी: जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।
११. तनु पोषक: ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।
१२. निंदक: अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।
१३. परमात्म विमुख: जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।
१४. श्रुति संत विरोधी: जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।
अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान जीवित रहने से बचाना चाहिए। .......

Monday, June 12, 2023

लोटा और गिलास के पानी में अंतर

कभी भी गिलास में पानी ना पियें,
भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना नही है. अपना लौटा है. और लौटा कभी भी एकरेखीय नही होता. तो वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लौटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.
लौटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.
गिलास और लोटा के पानी में अंतर
गिलास के पानी और लौटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. जो नीचे चित्र में दिखाई गई है.
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना. अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है, आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा भगन्दर, बवासीर, मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.


इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लौटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है. तो गिलास की बजाय पानी लौटे में पीयें. तो लौटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें. जब से आपने लोटे को छोड़ा है तब से भारत में लौटे बनाने वाले कारीगरों की रोजी रोटी ख़त्म हो गयी. गाँव गाँव में कसेरे कम हो गये, वो पीतल और कांसे के लौटे बनाते थे. सब इस गिलास के चक्कर में भूखे मर गये. तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लौटे वापिस लाइए।

Thursday, June 8, 2023

आटा चक्की हाथ

 एक बुढ़ि मां ने हाथ आटा चक्की टांचने वाले कारीगर को बुलाया।

देख भाई चक्की टांचना जानता तो है ना ?...ये पड़ी चक्की इसे ठीक कर दे, बस आज लायक दलिया बचा है, वो चूल्हे पर चढ़ा दिया है, तू इसे ठीक कर, मैं तब तक कुए से मटकी भर लाती हूँ।
ठीक है अम्मा चिंता मत कर मेरी कारीगरी के 7 गाँवों में चर्चे हैं, चक्की ऐसी टांचूंगा कि आटा पीसेगी और मैदा निकलेगी। चूल्हे पर चढ़ा तेरा दलिया भी सम्भाल लूंगा।
बुढ़िया आश्वस्त हो कुंए की तरफ पानी भरने निकल ली और कारीगर चक्की की टंचाई करने लगा।
हत्थे से निकल कर हथौड़ी उछल चूल्हे के ऊपर लटकी घी की बिलौनी पर लगी, घी सहित बिलौनी चूल्हे पर चढ़ी दलिये की हांडी पर गिरी।
कारीगर हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट में चक्की का पाट भी टूट गया। कुछ समझ में आता, उससे पहले चूल्हे पर बिखर गए घी से लपटें उछली और फूस की छान/छत ने आग पकड़ ली और झोंपड़ी धू-धू कर जलने लगी।
कारीगर उलटे पाँव भागा और रास्ते में आती बुढ़िया से टकरा गया, जिससे उसकी मटकी गिर गयी।
अरे रोऊँ तुझे, ऐसी क्या जल्दी थी, अब रात को क्या प्यासी सोऊंगी, एक ही मटकी थी, वो भी तूने फोड़ दी।
कारीगर बोला अम्मा किस- किस को रोयेगी। पानी की मटकी को रोयेगी, घी की बिलौनी को रोयेगी, दलिये की हांड़ी को रोयेगी, टूटी चक्की को रोयेगी या जल गई अपनी झोंपड़ी को रोयेगी और कारीगर झोला उठा कर भाग छूटा।
देश भी कुछ ऐसे ही हालातों में पड़ा है... हिन्दुत्व के गद्दारों से लड़ोगे, घुसपैठियों से लड़ोगे, राष्ट्रद्रोहियों से लड़ोगे, टुकड़े टुकड़े गैंग से लड़ोगे, अवार्ड वापसी गैंग से लड़ोगे, बाहरी दुश्मनों से लड़ोगे या देश के अन्दर बैठे दुश्मनों से लड़ोगे... ?


भिखारी बना व्यापारी

 एक था भिखारी ! रेल सफ़र में भीख़ माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है, इससे भीख़ माँगने पर यह मुझे जरूर अच्छे पैसे देगा। वह उस सेठ से भीख़ माँगने लगा।*

भिख़ारी को देखकर उस सेठ ने कहा, “तुम हमेशा मांगते ही हो, क्या कभी किसी को कुछ देते भी हो?”

*भिख़ारी बोला, “साहब मैं तो भिख़ारी हूँ, हमेशा लोगों से मांगता ही रहता हूँ, मेरी इतनी औकात कहाँ कि किसी को कुछ दे सकूँ?”*

सेठ:- जब किसी को कुछ दे नहीं सकते तो तुम्हें मांगने का भी कोई हक़ नहीं है। मैं एक व्यापारी हूँ और लेन-देन में ही विश्वास करता हूँ, अगर तुम्हारे पास मुझे कुछ देने को हो तभी मैं तुम्हे बदले में कुछ दे सकता हूँ।

*तभी वह स्टेशन आ गया जहाँ पर उस सेठ को उतरना था, वह ट्रेन से उतरा और चला गया।*

इधर भिख़ारी सेठ की कही गई बात के बारे में सोचने लगा। सेठ के द्वारा कही गयीं बात उस भिख़ारी के दिल में उतर गई। वह सोचने लगा कि शायद मुझे भीख में अधिक पैसा इसीलिए नहीं मिलता क्योकि मैं उसके बदले में किसी को कुछ दे नहीं पाता हूँ। लेकिन मैं तो भिखारी हूँ, किसी को कुछ देने लायक भी नहीं हूँ।लेकिन कब तक मैं लोगों को बिना कुछ दिए केवल मांगता ही रहूँगा।

*बहुत सोचने के बाद भिख़ारी ने निर्णय किया कि जो भी व्यक्ति उसे भीख देगा तो उसके बदले मे वह भी उस व्यक्ति को कुछ जरूर देगा। लेकिन अब उसके दिमाग में यह प्रश्न चल रहा था कि वह खुद भिख़ारी है तो भीख के बदले में वह दूसरों को क्या दे सकता है?*

इस बात को सोचते हुए दिनभर गुजरा लेकिन उसे अपने प्रश्न का कोई उत्तर नहीं मिला।

*दुसरे दिन जब वह स्टेशन के पास बैठा हुआ था तभी उसकी नजर कुछ फूलों पर पड़ी जो स्टेशन के आस-पास के पौधों पर खिल रहे थे, उसने सोचा, क्यों न मैं लोगों को भीख़ के बदले कुछ फूल दे दिया करूँ। उसको अपना यह विचार अच्छा लगा और उसने वहां से कुछ फूल तोड़ लिए।*

वह ट्रेन में भीख मांगने पहुंचा। जब भी कोई उसे भीख देता तो उसके बदले में वह भीख देने वाले को कुछ फूल दे देता। उन फूलों को लोग खुश होकर अपने पास रख लेते थे। अब भिख़ारी रोज फूल तोड़ता और भीख के बदले में उन फूलों को लोगों में बांट देता था।

*कुछ ही दिनों में उसने महसूस किया कि अब उसे बहुत अधिक लोग भीख देने लगे हैं। वह स्टेशन के पास के सभी फूलों को तोड़ लाता था। जब तक उसके पास फूल रहते थे तब तक उसे बहुत से लोग भीख देते थे। लेकिन जब फूल बांटते बांटते ख़त्म हो जाते तो उसे भीख भी नहीं मिलती थी,अब रोज ऐसा ही चलता रहा।*

एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तो उसने देखा कि वही सेठ ट्रेन में बैठे है जिसकी वजह से उसे भीख के बदले फूल देने की प्रेरणा मिली थी।

*वह तुरंत उस व्यक्ति के पास पहुंच गया और भीख मांगते हुए बोला, आज मेरे पास आपको देने के लिए कुछ फूल हैं, आप मुझे भीख दीजिये बदले में मैं आपको कुछ फूल दूंगा।*

सेठ ने उसे भीख के रूप में कुछ पैसे दे दिए और भिख़ारी ने कुछ फूल उसे दे दिए। उस सेठ को यह बात बहुत पसंद आयी।

*सेठ:- वाह क्या बात है..? आज तुम भी मेरी तरह एक व्यापारी बन गए हो, इतना कहकर फूल लेकर वह सेठ स्टेशन पर उतर गया।*

लेकिन उस सेठ द्वारा कही गई बात एक बार फिर से उस भिख़ारी के दिल में उतर गई। वह बार-बार उस सेठ के द्वारा कही गई बात के बारे में सोचने लगा और बहुत खुश होने लगा। उसकी आँखे अब चमकने लगीं, उसे लगने लगा कि अब उसके हाथ सफलता की वह चाबी लग गई है जिसके द्वारा वह अपने जीवन को बदल सकता है।

*वह तुरंत ट्रेन से नीचे उतरा और उत्साहित होकर बहुत तेज आवाज में ऊपर आसमान की ओर देखकर बोला, “मैं भिखारी नहीं हूँ, मैं तो एक व्यापारी हूँ..*

मैं भी उस सेठ जैसा बन सकता हूँ.. मैं भी अमीर बन सकता हूँ!

*लोगों ने उसे देखा तो सोचा कि शायद यह भिख़ारी पागल हो गया है, अगले दिन से वह भिख़ारी उस स्टेशन पर फिर कभी नहीं दिखा।*

एक वर्ष बाद इसी स्टेशन पर दो व्यक्ति सूट बूट पहने हुए यात्रा कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को देखा तो उनमे से एक ने दूसरे को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहा, “क्या आपने मुझे पहचाना?”

सेठ:- “नहीं तो ! शायद हम लोग पहली बार मिल रहे हैं।

*भिखारी:- सेठ जी.. आप याद कीजिए, हम पहली बार नहीं बल्कि तीसरी बार मिल रहे हैं।*

सेठ:- मुझे याद नहीं आ रहा, वैसे हम पहले दो बार कब मिले थे?

अब पहला व्यक्ति मुस्कुराया और बोला:

हम पहले भी दो बार इसी ट्रेन में मिले थे, मैं वही भिख़ारी हूँ जिसको आपने पहली मुलाकात में बताया कि मुझे जीवन में क्या करना चाहिए और दूसरी मुलाकात में बताया कि मैं वास्तव में कौन हूँ।

*नतीजा यह निकला कि आज मैं फूलों का एक बहुत बड़ा व्यापारी हूँ और इसी व्यापार के काम से दूसरे शहर जा रहा हूँ।*

आपने मुझे पहली मुलाकात में प्रकृति का नियम बताया था... जिसके अनुसार हमें तभी कुछ मिलता है, जब हम कुछ देते हैं। लेन देन का यह नियम वास्तव में काम करता है, मैंने यह बहुत अच्छी तरह महसूस किया है, लेकिन मैं खुद को हमेशा भिख़ारी ही समझता रहा, इससे ऊपर उठकर मैंने कभी सोचा ही नहीं था और जब आपसे मेरी दूसरी मुलाकात हुई तब आपने मुझे बताया कि मैं एक व्यापारी बन चुका हूँ। अब मैं समझ चुका था कि मैं वास्तव में एक भिखारी नहीं बल्कि व्यापारी बन चुका हूँ।

*भारतीय मनीषियों ने संभवतः इसीलिए स्वयं को जानने पर सबसे अधिक जोर दिया और फिर कहा -*

सोऽहं 

शिवोहम !!

समझ की ही तो बात है...

*भिखारी ने स्वयं को जब तक भिखारी समझा, वह भिखारी रहा | उसने स्वयं को व्यापारी मान लिया, व्यापारी बन गया |*

जिस दिन हम समझ लेंगे कि मैं कौन हूँ...

*अर्थात मैं भगवान का अंश हूॅ।*

फिर जानने समझने को रह ही क्या जाएगा ?

Friday, June 2, 2023

लड़कियों_को_आदर_सहित_समर्पित

 बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना

ये पोस्ट बहुत जरूरी थी अपलोड करनी
लड़के ने नम्बर मांगा आप ने दे दिया...
लड़के ने तस्वीर मांगी आप ने दे दी...
लड़के ने वीडियो कॉल के लिए कहा आप ने कर ली...
लड़के ने दुपट्टा हटाने को कहा आप ने हटा दिया...
लड़के ने कुछ देखने की ख्वाहिश की आप ने पूरी कर दी...
लड़के ने मिलने को कहा आप माँ बाप को धोखा देकर आशिक़ से मिलने पहुंच गयीं...
लड़के ने बाग में बैठ कर आप की तारीफ़ करते हुए आपको सरसब्ज़ बाग दिखाए आपने देख लिये...
फिर जूस कार्नर पर जूस पीते वक़्त लड़के ने हाथ लगाया, इशारे किये, मगर कोई बात नहीं अब नया ज़माना है यह सब तो चलता ही है...
फिर लड़के ने होटल में कमरा लेने की बात की, आप ने शर्माते हुए इंकार कर दिया, कि शादी से पहले यह सब अच्छा तो नहीं लगता न...
फिर दो तीन बार कहने पर आप तैयार हो गयीं होटल के कमरे में जाने के लिए...
आप दोनों ने मिल कर खूब एंजॉय किया...
अंडरस्टेंडिंग के नाम पर दुल्हा दुल्हन बन गए protection use ki बस बच्चा पैदा न हो इस पर ध्यान दिया...
फिर एक दिन झगड़ा हुआ और सब खत्म क्योंकि हराम रिश्तों का अंजाम कुछ ऐसा ही होता है...
लेकिन लेकिन...
यहां सरासर मर्द गलत नहीं है, वह भेड़िया है, वह मुजरिम है, वह सबकुछ है...
क्योंकि आप ने तो तस्वीर नहीं दी थी वह जबर्दस्ती आपके मोबाइल में घुस कर ले गया था...
आप ने तो अपना नम्बर नहीं दिया वह लड़का खुद आप के मोबाइल से नम्बर ले गया था...
आप ने तो वीडियो कॉल नहीं की वह लड़का खुद आप के घर पहुंच गया था आपको लाइव देखने...
जूस कार्नर पर भी जबरदस्ती ले गया था गन प्वाइंट पर...
होटल के कमरे तक भी वह आपको जबर्दस्ती आपके घर से ले गया था...
तो मुजरिम तो सिर्फ लड़का है आप तो बिल्कुल भी नहीं...
बच्ची हैं आप कोई चार साल की?
आपको समझ नहीं आती?
यह कचरे में पड़ी लाशें देख कर भी आपको अक़्ल नहीं आती?
यह बिना सर के मिलने वाले धड़ आपकी अक़्ल पर कोई चोट नहीं देते?
यह सोशल मीडिया पर आए दिन ज़्यादती के बढ़ती हुई घटना आपको कुछ नहीं बताती?
जूस कार्नर पर जाना,
आपको नहीं पता था कि एक होटल के ईकमरे में या चारदीवारी में जिस्मों की प्यास बुझाई जाती है,
सब पता था आपको, सब पता है आपको...
होटल के कमरे में मुहब्बत के अफसाने नहीं लिखे जाते,वहां कोई इबादत नही होती है
फिर शिकायत होती है के चार लड़कों ने ग्रुप रेप कर दिया...
क्या लगता है वह आपका जो आपकी इज्ज़त का ख्याल रखे जो खुद आपको इसी मकसद के लिए लेकर जा रहा है?
अपनी सीमा में रहेंगी तो आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता...
जिस्म के भूखो से दूर ही रहे लड़का हो या लड़की प्यार जैसे पवित्र रिश्ते को बदनाम ना करे प्यार दिल देखकर करे ना कि जिस्म देखकर l❣ जब तक तुम साथ नही दोगी तब तक किसी लड़के की कोई औकात नही हैं कि वो तुम्हे किसी होटल के रूम तक ले जा सके।।।। गलत लगे तो मुझे माफ कीजिएगा!!!🙏