Friday, May 28, 2021

इरा खान ने लॉन्च किया 'अगत्सु फाउंडेशन'

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : इरा खान ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर 'अगत्सु फाउंडेशन' के लॉन्च की घोषणा की है जो मानसिक स्वास्थ्य सहायता और शरीर जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और आत्म-प्राप्ति को बढ़ावा देने का प्रयास है। 
     इरा ने अपने इंस्टाग्राम पर खुद का एक वीडियो अपलोड करते हुए कहा, "मैंने एक सेक्शन 8 कंपनी रजिस्टर की है, जिसे अगत्सु फाउंडेशन कहा जाता है, जो आज लॉन्च हो रही है। अगत्सु का उद्देश्य संतुलन खोजने की कोशिश करना, संतुलन हासिल करने की कोशिश करने का मेरा प्रयास, जीवन को मेरे लिए बेहतर बनाना और आपको अपने जीवन को किसी भी तरह से बेहतर बनाने में मदद करना है। आइए और इसे देखें!" 
     अगत्सु फाउंडेशन के सोशल मीडिया पेज पर, एक वीडियो अपलोड किया गया था जिसमें यह बताया गया था कि एक आदमी अपने लाइफ में किन बदलावों से गुजरता है, जो बदले में व्यक्ति को अभिभूत कर सकते है। 
     इरा ने इससे पहले मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाने की कोशिश करते हुए, सोशल मीडिया पर डिप्रेशन के साथ अपना अनुभव साझा किया था। इरा अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में मुखर रही हैं, और 'अगत्सु फाउंडेशन' के साथ, उनका उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है, जिन्हें विशेष रूप से इन कठिन समय के दौरान सहायता की आवश्यकता है। 
     निर्णय-मुक्त स्थान के रूप में पहचाने जाने वाले 'अगत्सु' को ऑफलाइन सेवाओं के साथ शुरू किया जाएगा।  आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए, फाउंडेशन में एक वार्मलाइन, एक अनाम और संचालित मंच, जांचे गए मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनलस की एक डायरेक्टरी और लाइसेंस प्राप्त प्रोफेशनलस की एक प्रशिक्षुता होगी, जो ज़रूरत पड़ने पर मदद करेंगे।

टिप्स म्यूजिक प्रस्तुत करता है फरहान गिलानी का "जब दिल मिले"


-अनिल बेदाग़-

लिंक- https://www.youtube.com/watch?v=iM0OVY9FcX8

मुंबई : कुछ सुंदर धुन और गीत हैं और जब उन्हें एक आधुनिक मोड़ दिया जाता है, तो युवाओं को क्लासिक्स से परिचित कराने में मदद करता है।
पुराने संस्करण की तरह, नया "जब दिल मिले" संगीत और गीतात्मक रूप से समृद्ध है और देखने लायक है।
    कुमार तौरानी कहते हैं, “पुराने गानों में कुछ जादुई होता है, जो यादों को ताजा करने की ताकत रखता है। नई पीढ़ियों की संवेदनाओं से मेल खाने के लिए बनाए जाने पर वे और भी दिलचस्प हो जाते हैं। ”
      गायक फरहान गिलानी कहते हैं, "टिप्स म्यूजिक के साथ काम करना सम्मान की बात है। हालांकि गाने को फिर से बनाया गया है, लेकिन एहसास और वाइब बिल्कुल अलग है। उम्मीद है कि दर्शक इसे पसंद करेंगे।" संगीत अनु मलिक और आतिफ अली ने दिया है।कोरियोग्राफी जीतू सुरजीत, मोहिब खान, ज़ाकीर की है।


जसबीर जस्सी का नया ट्रैक 'दिल मंगदी'


-अनिल बेदाग़-

लिंक- https://youtu.be/b1adTx8wfts

मुंबई : जसबीर जस्सी और अनीशा मधोक का नया ट्रैक 'दिल मंगदी'  एक मजेदार शुरुआती कविता के साथ खुलता है और फिर पार्टी बीट्स के साथ क्लब मोड में लॉन्च होता है। जब गीत गति को गति देता है, तो यह नृत्य करने योग्य मनोदशा को बढ़ाता है। हालांकि इस गाने में वेस्टर्न टच है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि यह पंजाबी फील के लिहाज से काफी ऊंचा है।
    इसकी संगीत समृद्धि, इसकी सूक्ष्मता और दर्शकों के दिलों में गहराई तक पहुंचने की इसकी अलौकिक क्षमता अधिक है। जसबीर जस्सी ने कहा, "हम एक कठिन परिस्थिति के बीच में हैं। संगीत एक महान पलायन है। यह चंगा करता है, शांत करता है और सकारात्मक विचारों को उत्तेजित करता है।"
       दिल मंगदी' गाने को प्रमोद शर्मा राणा ने डायरेक्ट किया है। इसमें पूर्व मिस इंडिया प्रतियोगी इशिका तनेजा ने अपना जलवा बिखेरा है। इस गाने के लिरिक्स जसबीर जस्सी ने लिखे हैं, जबकि म्यूजिक सिंबा सिंह और जैरी सिंह ने दिया है। इस गाने के जरिए जसबीर एक बार फिर अपना जादू बिखेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।


अभिनेत्री ज़ैनब शेख का दिलचस्प कदम


-अनिल बेदाग़-


ज़ैनब शेख एपिसोडिक सीरीज़ नंबर 3  में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। यह शो वूट पर प्रसारित हो रहा है। आप इसे देख सकते हैं और इसे कलर्स टीवी पर भी प्रसारित किया जाएगा। प्रोमो शुरू हो चुके हैं। इस शो को बेहद लोकप्रिय अभिनेता रोनित रॉय होस्ट कर रहे हैं। ज़ैनब सुभी के किरदार को दोहरा रही हैं। शो में सुभी होगी ऋषि" की गर्लफ्रेंड। कंटेंट की दुनिया तेजी से ओटीटी की तरफ बढ़ रही है और ज़ैनब के लिए यह बहुत दिलचस्प कदम है।
      हमने ज़ैनब से बात की। शो के बारे में उनका क्या कहना है कि इसका निर्देशन मेरे पसंदीदा निर्देशक में से एक सबरीना ने किया है, जिसके साथ मैंने काम किया है। मैं सुभी का किरदार निभा रही हूं जो एक स्वतंत्र लड़की है जो ऋषि की युवा प्रेमिका है। वह बहुत शांत है लेकिन एक ही समय में दुष्ट है। यह वूट पर है और कलर्स पर भी प्रीमियर होगा। मुझे खुशी है कि मैं अपने तरीके से मनोरंजन के द्वारा घर पर लोगों के लिए योगदान कर सकती हूं। मैं सभी से शो देखने का अनुरोध करती हूं। अन्य बातों के अलावा, आइए हम सभी यथासंभव घर के अंदर रहें और एसओपी का पूरी तरह से पालन करें। हमें वायरस को हराना है और हम यह करेंगे।"  यह थ्रिलर शो आपको यह समझने में मदद करेगा कि आप एक सुरक्षित परिवार के आसपास कैसे धन्य महसूस कर सकते हैं और हमें पहले अच्छे इंसान होने पर ध्यान देना चाहिए।

Tuesday, May 25, 2021

हंसी का दंगल दिखाएगी "हंगामा 2"

अनिल बेदाग़-


मुंबई : फ़िल्म घोषणा के बाद से ही प्रियदर्शन के निर्देशन में बनी हंगामा २, २००३ की सुपर-हिट फिल्म की अगली कड़ी है, २०२१ की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है। यह फिल्म कलाकारों और अपने जेनर के साथ चर्चा में बनी रही है और यह बहुप्रतीक्षित मल्टीस्टारर फिल्मो में से एक है। इसमें मिजान, प्रणिता सुभाष, परेश रावल और शिल्पा शेट्टी कुंद्रा मुख्य भूमिका में हैं। इस साल की शुरुआत में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली गई थी और कॉमिक केदीवाने दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए पूरी तरह तैयार है जबकि निर्माता इस साल एक थिएट्रिकल रिलीज़ के लिए कमर कस रहे थे, तो वही कोरोना की दूसरी लहर ने देश को घेर लिया, जिसके कारण अधिकांश राज्यो ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूर्ण रूप से लॉकडाउन में चले गए। 
     वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, निर्माता रतन जैन ने पुष्टि की है कि बहुप्रतीक्षित पारिवारिक मनोरंजक फ़िल्म, वास्तव में इस साल एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है। एक आधिकारिक बयान में, रतन जैन ने कहा, "हंगामा 2 एक हल्की-फुल्की फिल्म है जिसका सभी आयु के लोग में आनंद ले सकते हैं और हमें लगता है कि यह दर्शकों का खूब मनोरंजन करेगी और इस कठिन समय में कुछ उत्साह लाएगी। हम फिल्म को डिजिटल पर रिलीज करेंगे। इस साल फिल्म प्रेमी अपने घरों में आराम से हंसी के दंगल का आनंद ले सकते हैं। हमने हंगामा 2 को बेहद प्यार से बनाया है और हमें विश्वास है कि हमारी फिल्म लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाएगी।" 
     वीनस रिकॉर्ड्स एंड टेप्स एलएलपी प्रोजेक्ट, हंगामा 2 का निर्माण रतन जैन, गणेश जैन, चेतन जैन और अरमान वेंचर्स ने किया है। प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में आशुतोष राणा, मनोज जोशी, राजपाल यादव, जॉनी लीवर और टीकू तलसानिया भी प्रमुख भूमिकाओं में दिखाई देंगे।

'सुपर डांसर 4' में शिल्पा शेट्टी कुंद्रा की वापसी

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : मुश्किल दिनों में अपने परिवार के साथ देने के बाद, शिल्पा शेट्टी कुंद्रा आखिरकार अपने लोकप्रिय डांस रियलिटी शो, 'सुपर डांसर 4' में जज के रूप में लौट आयी हैं। शो में हमेशा अपने विशेष मनोरंजन तड़का जोड़ते हुए शिल्पा निस्संदेह सभी की पसंदीदा रही है। 
जब दिवा अपने छोटे से ब्रेक पर थी, हमने छोटे बच्चों को सुना और शो में शामिल सभी लोग वास्तव में उन्हें मिस कर रहे थे और शिल्पा के वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। 
     एक बार फिर 'सुपर डांसर 4' के एपिसोड की शूटिंग को लेकर उत्साहित शिल्पा ने कहा, "मैं 'सुपर डांसर 4' के सेट पर वापस आकर बहुत खुश हूं। ये बच्चे और पूरा क्रू मेरा पूरा परिवार है और मैंने निश्चित रूप से उन्हें याद किया। मैं आखिरकार वापस आ गयी हूं और हम एक धमाका कर रहे हैं। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है, मेरे लिए यहां होना और लड़कों और लड़कियों के इन अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली समूह को देखना मेरे लिए सम्मान की बात है।" पेशेवर मोर्चे पर, शिल्पा शेट्टी कुंद्रा अगली बार बहुप्रतीक्षित फ़िल्म 'निकम्मा' और 'हंगामा 2' में दिखाई देंगी।

'गुम है किसी के प्यार में' ने तय किया 200 एपिसोड्स सफ़र

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : अक्टूबर 2020 में लॉन्च होने के बाद से बहुत ही कम समय के भीतर, स्टार प्लस के शो 'गुम है किसी के प्यार में' ने एक आधुनिक महाराष्ट्रीयन परिवार के अपने प्रगतिशील चित्रण के साथ देश में हलचल मचा दी है। इसकी बारीक और दिलचस्प कहानी, प्रतिभाशाली कलाकार, अच्छी तरह से परिभाषित किरदारों को बड़ी बारीकी से निभाया गया है। इस शो ने हाल ही में 24 मई, 2021 को 200 एपिसोड का सफल प्रदर्शन पूरा किया। देश भर में लाखों दर्शकों को आकर्षित करने के बाद, यह शो अब और भी दिलचस्प घटनाओं की ओर बढ़ रहा है। नाटक और रोमांस के सम्मोहक मिश्रण ने एक दर्शकों में जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है और टेलीविजन पर बेजोड़ वफादारी की कमान संभाली है। यह शो भारतीय टेलीविजन पर टॉप रेटेड फिक्शन शो के रूप में उभरा है।
         निर्माता राजेश राम सिंह कहते हैं, “गुम है किसी के प्यार में' शो के 200 एपिसोड्स का पूरा होना हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस शो के कलाकारों के लिए यह दर्शकों का प्यार ही है जो इस शो से इतनी गहराई से जुड़े हैं। शो ने शुरू से ही अपना जादू बिखेरा है और इसके किरदारों को दर्शकों ने खूब सराहा है। हमें यकीन है कि 'गुम है किसी के प्यार में' शो की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी हम दर्शकों को अधिक ड्रामा और उत्साह प्रदान करते रहेंगे। मैं स्टार प्लस, अपने पार्टनर्स, शो राइटर्स और पूरी कास्ट और क्रू को शो की शुरुआत से ही शो के प्रति उनके निरंतर समर्थन और दृढ़ संकल्प के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।”
     बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता नील भट्ट कहते हैं, "ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात है जब हमने शूटिंग शुरू की थी। मुझे खुशी है कि इस शो ने अपने 200 एपिसोड्स पूरे कर लिए हैं। मैं बहुत ज्यादा खुश हूँ। यह इस वक़्त टीवी पर नंबर वन शो है। हमारे पास बहुत अच्छी टीम है और इसलिए हम यह आंकड़ा हासिल कर पाए। एक टीम के रूप में हम वास्तव में अच्छा कर रहे हैं, अभी हाल ही में हम अपने 100 एपिसोड्स पूरे करने को लेकर चर्चा कर रहे थे और अब हमने आज 200 एपिसोड्स पूरे कर लिए हैं। मुझे लगता है कि जब आपके पास काम करने के लिए सही तरह के लोग होते हैं तो समय बड़ी आसानी से गुजर जाता है। इस ख़ूबसूरत सफ़र ने मुझे कई ख़ास लम्हे दिए हैं, जिस दिन मुझे विराट चव्हाण की भूमिका निभाने के लिए साइन किया गया, वह मेरे दिल में बसा हुआ है और तब से कभी मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैं स्टार प्लस, निर्माताओं और मेरी क्रिएटिव टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने मुझ पर एक अभिनेता के रूप में बहुत विश्वास दिखाया है। शो ने मुझे चुनौती दी और एक अभिनेता के रूप में मुझमें बहुमुखी प्रतिभा को लोगों के सामने लाने का मौका दिया। 
      प्रतिभावान अभिनेत्री आयशा सिंह कहती हैं, ''गुम है किसी के प्यार में' ने एक और उपलब्धि हासिल की है। मैं अब तक की यात्रा के लिए बहुत खुश और सभी का आभारी महसूस कर रही हूं। 
     खूबसूरत अभिनेत्री ऐश्वर्या शर्मा कहती हैं, '' गुम है किसी के प्यार में का सफर अभूतपूर्व रहा है। हमारी पूरी टीम यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम करती है कि हर एपिसोड दर्शकों का मनोरंजन करता रहे। मैं इस अवसर पर शो के सभी प्रशंसकों को इस शो के लिए हमें बिना शर्त प्यार और समर्थन देने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं। 
     दिग्गज अभिनेत्री किशोरी शहाणे कहती हैं, ''यह पूरी कास्ट और क्रू के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपने शो को इतने सारे एपिसोड के बाद भी इतना अच्छा प्रदर्शन करते हुए देखना एक जबरदस्त अहसास है। 

स्टार प्लस के 'पंड्या स्टोर' ने लगाया शतक

 -अनिल बेदाग़-




मुंबई : स्टार प्लस के सबसे चर्चित शो में से एक, पंड्या स्टोर ने दर्शकों को अपनी शानदार कहानी से बांधे रखा है। इस शो में न केवल एक बेहतरीन कहानी है, बल्कि इसके कलाकारों ने अपने दर्शकों को बेहतरीन समय देने की अपनी पूरी कोशिश की है। शो के टाइम स्लॉट में बदलाव के बाद भी अपने वफादार दर्शकों से पूरी तरह से जुड़े हुए लोगों का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहा है। शो ने अपने 100 एपिसोड पूरे होने का जश्न मनाया।
     मुख्य अभिनेता किंशुक महाजन कहते हैं, "यह हम सभी के लिए खुशी का क्षण है कि हमने 100 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। इसके अलावा मैं अपने प्रशंसकों और दर्शकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने लगातार हमारा समर्थन किया है और हम पर अपने प्यार की बरसात की है। कलाकारों और क्रू के प्रत्येक सदस्य को धन्यवाद देकर इस मौके का जश्न मनाने का इससे  बेहतर तरीका क्या हो सकता है, जिनका इस शो को सफल बनाने के पीछे असली हाथ हैं। पूरी यूनिट यह सुनिश्चित करने के लिए अपना दिल और आत्मा लगा देती है कि हम प्रत्येक एपिसोड के साथ दर्शकों को बांधे रखें। चैनल, प्रोड्यूसर्स, को-एक्टर्स और हमारे पूरे क्रू को मेरी ओर से हार्दिक बधाई। हम आने वाले दिनों में अपने शानदार ड्रामे के साथ दर्शकों और प्रशंसकों के मनोरंजन को जारी रखने का वादा करते हैं।"
    पांड्या स्टोर में धरा की भूमिका निभाने वाली शाइनी दोशी कहती हैं, "हम सभी अपने शो के 100वें एपिसोड के पूरा होने का जश्न मनाते हुए बेहद खुश हैं। इस शो के निर्माण में शामिल सभी लोगों के लिए यह जश्न का क्षण है, आखिरकार, एक शतक पूरा करना हमेशा एक बड़ी उपलब्धि है। मैं चैनल और निर्माताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे धारा का किरदार निभाने का यह शानदार मौका दिया। मुझे इस शो को करने में मजा आ रहा है क्योंकि यह मेरे लिए एक और सीखने का अनुभव है। मैं मानती हूँ कि हमें अब तक जो सफलता और प्यार मिला है, वह हमारी पूरी टीम के रूप में कास्ट और क्रू द्वारा किए गए शानदार काम के लिए चलते हुआ है जिसके लिए उन सभी का धन्यवाद ! साथ ही मैं प्रशंसकों और दर्शकों को उनके निरंतर और अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद कहना चाहूंगी और भविष्य में उनके साथ एक मजबूत संबंध बनाने के लिए तत्पर हूँ। इस वक्त हमारा सेट अच्छे वाइब्स और खुशी के साथ चमक रहा है और यह मेरे लिए एक अभिनेत्री के रूप में बहुत ही संतोषजनक एहसास है। ”
    इस विशेष अवसर पर, प्रतिभाशाली कंवर ढिल्लों ने कहा, “इस शो का हिस्सा बनकर बेहद खुशी हो रही है। इसने एक संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन करने वाले अपने वादे को पूरा किया है। जिस तरह से दर्शक और दोस्त इस ट्रैक की सराहना कर रहे हैं, उससे मैं भी बहुत उत्साहित हूं। हमने  100 एपिसोड पूरे किए हैं और कई आने वाले हैं। हम चाहते हैं कि हमारे प्रशंसक हमें हर दिन अधिक से अधिक प्यार करें। इस तरह के एक सफल शो का हिस्सा बनना वाकई जबरदस्त है। हम कहानी के एक दिलचस्प चरण की ओर बढ़ रहे हैं और मुझे दर्शकों के निरंतर समर्थन की उम्मीद है।”

Sunday, May 23, 2021

कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के भविष्य का रणनीतिक रोडमैप, योजनाएं सरकारों द्वारा तात्कालिक बनाना जरूरी

गोंदिया - वैश्विक महामारी कोविड-19 ने काल का ग्रास बनाकर लाखों मानव जीवो की इह लीला समाप्त कर ली। और अभी भी तांडव मचाना जारी है।..बात अगर हम भारत की करें तो यहां इस महामारी की दूसरी लहर की तीव्रता में हल्का सा सुधार आना शुरू हुआ था, लेकिन इससे घातक बीमारी ब्लैक फंगस और वाइट फंगस ने तीव्रता से पैर पसारना शुरू कर दिया है और 15 राज्यों में पैर पसार दिया है जिसमें से 12 राज्यों ने इसे महामारी अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित कर दिया है...बात अगर हम इन महामारीयों से ग्रस्त भारतीय परिवारों की करें तो इस भारी त्रासदी में देश के बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हो गए हैं याने उनके माता-पिता तथा परिवारों के सदस्य काल के गाल में समा गए हैं और यह मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं हालांकि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उन्हें ऐसे कई मामलों की जानकारी मिली है कि कई एनजीओ उन बच्चों के बारे में बता रहे हैं जो कोविड-19 की वजह से माँ-बाप की मौत के बाद अनाथ हो गए हैं। एनसीआरपी, कमिशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (सीपीसीआर) एक्ट, 2005 के सेक्शन 3 के तहत बनाई गई एक वैधानिक बॉडी है, जिसका काम देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा करना और इससे जुड़े मसलों को देखना है। एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को इस बारे में चिट्ठी लिखी है। आयोग ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति, संस्था या एनजीओ को ऐसे बच्चों की जानकारी मिलती है तो उनको इस बारे में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर जानकारी देनी होगी। हालांकि आयोग ने कहा है कि ऐसे बच्चों की किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत देखभाल और सुरक्षा की जाएगी और ऐसे बच्चों को जेजे एक्ट 2015 के सेक्शन 31 के तहत ज़िले की चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी के सामने पेश करना होगा, ताकि बच्चे की देखभाल के लिए ज़रूरी आदेश पास किए जा सकें। हालांकि, इस सेवायज्ञ में योगदान के लिए कई सामाजिक संस्थाएं, गैर सरकारी संस्थाएं, एनजीओस, बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं और इस सेवायज्ञ में अपना योगदान देने की हामी भरी है परंतु मेरा यह निजी मानना है कि इसमें सेवा यज्ञ को इन गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा मदद करने में आने वाली सरकारी प्रक्रिया को कुछ सरल करना होगा जिसके लिए एक आसान रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर बाल संरक्षण संबंधी कुछ कानूनों में लचीलापन या ढील देने का नोटिफिकेशन जारी करना होगा, ताकि अधिक से अधिक गैर सरकारी संस्थाएं, सामाजिक संस्थाएं और एनजीओस इस सेवायज्ञ में सामने आकर बच्चों के भविष्य को सवारे। केंद्रीय महिला और बाल विकासमंत्रालय की माननीय मंत्री ने भी 1 मई 2021 को अपराह्न 7.24 पर   एक ट्वीट करके बताया कि भारत सरकार ने सभी राज्यों से संपर्क करके कोविड-19 की वजह से अपने माँ-बाप को खोने वाले बच्चों को जेजे एक्ट के तहत संरक्षण देना सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ने राज्यों से अपील की है कि वो बाल कल्याण समितियों को ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में सक्रिय रूप से पता करते रहने के काम में लगाएँ। वहीं दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने भी एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन ने ट्वीट कर कहा, अगर आपको ऐसे ज़रूरतमंद बच्चों के बारे में पता चलता है तो संपर्क करें, डीसीपीसीआर 24 घंटे के अंदर मदद करेगा।...वही बात अगर हम राज्य सरकारों द्वारा बेसहारा बच्चों की योजनाओं की करतेहैं तो मध्यप्रदेश श्रम विभाग ने सी एम कोविड-19 जन कल्याण (पेंशन, शिक्षा व राशन) योजना का आदेश जारी किजा जा चुका है। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ बच्चों को 21 साल तक हर माह 5 हजार रुपए पेंशन दी जाएगी। आदेश के मुताबिक, काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को 21 साल तक प्रति माह 5 हजार रुपए पेंशन स्कीम देने का वादा किया गया है। हालांकि, इस योजना को सिर्फ 30 मार्च 2021 से 31 जुलाई 2021 तक के लिये प्रभावी किया गया है। इस अवधि के दौरान ही कोरोना से मृत्यु होने पर अनाथआश्रितों को योजना का लाभ मिल सकेगा। उधर गुजरात सरकार ने भी ऐसे ही बेसहारा बच्चों को हर महीने 4, हज़ार रुपये 18 साल की उम्र तक देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की मीटिंग में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, हालांकि, गुजरात सरकार की एक योजना पहलेसे चल रही है जिसमें अनाथ बच्चों के अभिभावक को हर महीने 3, हज़ार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।..उधर दिल्ली में कोरोना वायरस कहर में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की परवरिश का जिम्मा राज्य सरकार उठाएगी। इसके अलावा, उनकी पढ़ाई का खर्च भी दिल्ली सरकार देगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित दिल्ली की जनता का सहारा बनने का ऐलान किया है। जिन बुजुर्गों के कमाने वाले बच्चे नहीं रहे, उनकी भी आर्थिक मदद सरकार करेगी। उधर कोविड-19 में बेसहारा हुए बच्चों की मदद का मामला अदालतों की दहलीज पर भी जा पहुंच गया है और माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अतः उपरोक्त पूरे मामले पर अगर हम विश्लेषण करें तो मेरा मानना है कि उपरोक्त राज्य सरकारों द्वारा दी गई योजनाओं में शर्तों, बंधनों, कागजी कार्यवाही, में परिस्थितियों को देखते हुए कुछ ढीला रुख अपनाया जाएगा तो बेसहारा बच्चों को जल्द राहत मिलेगी और उनका भविष्य सुरक्षित होगा और इस तरह की योजनाएं सभी राज्यों ने बनाकर घोषणा करना चाहिए तथा केंद्र सरकार द्वारा भी रणनीतिक रोडमैप योजना बनाकर तात्कालिक घोषणा करना चाहिए। 


विकास पुत्र की लालसा में अबला

सन 2005  की वो हसी शाम थी।जिस दिन हमारी शादी कुर्सी से हुई आज सोलह वर्ष हो गये लेकिन विकास पुत्र का जन्म नही हुआ ।महिला, माता, बूढे, बुजुर्ग, की दर्द भरी कहानी जो विकास के खोखले दावो की पोल खोलता गंगा तट पर दफन हो गया । क्या कुर्सी के कुमारों एक भी विकास पुत्र पैदा कर पाएँगे? 

वैसे कुमारों ने अपनी सेहत और अपने उठने बैठने के तौर तरीके में खूब विकास की है। देखा जाय तो ऊँचे ऊँचे बिल्डिंग बनी, व्यापारियो के ऋण माफ किए गये,म्यूजियम, यौवन की उन्नति के लिए जगह जगह रास लीलापार्क, ओवरब्रिज, पुल पुलिया, सडक, पानी, बिजली लेकिन सबसे जरूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे साम्राज्य में ऐसी विखरी कि आज कुमारो को विनास पुरूष का तगमा लिए फिर रहे हैं। ऐसी शादी का क्या जो विगत सत्रह सालो में एक स्वास्थ्य रूपी स्वस्थ पुत्र पैदा नही कर पायी।रोते विलखते लोग परिजन दर दर ठोकर खाएँ और कुमारो भीडिओ फेसबुक और व्हाट एक के जरिए चंद चाटुकार से भोजन का स्वाद पूछकर विकास का वखान चैनल पर करते रहे ।शहर की राजधानी की नामी गिरामी अस्पताल में मरीज के साथ हैवानियत बालात्कार क्या नही ? मुजफ्फरपुर चमकी, चारा, अलकतरा सेल्टर होम,सृजन ऐसे कई कारनामें है जिसे अब सहने की आदत सी पड़ गयी है।
आज लिखते हुए हाथ कांपते है मगर इस दर्द विदारक घड़ी में कलम को ही हथियार बना लिया हूँ क्योंकि मैं एक वेवश अबला नारी हूँ। बिहार मायका है मेरा और इस मायके की यह दुर्दशा देखकर मैं विवश और रो पडी हूँ । ऐसे न जाने कितने अस्पताल है जिसके उद्घाटन तो हुए लेकिन न दवा है न डाक्टर न सफाई है न व्यवस्था सारी बस किताबो के पन्ने में दब गयी और योजनाओं की पैसा तिजोरियों में आखिर यह बंदरबांट का खेल खेलकर कैसे विकास पुत्र पैदा करेगे।
अब महीने दिन बाद बिहार पुनःबाढ की विभीषिका झेलेगा और उजड़ जाएगी कितने विकास पुत्र, मां के कोख में ही कोशी, कमला, गंडक, गंगा की लहरों में दम तोड़ देंगी। यह सिलसिला आज से नही सदियों से चली आ रही है।प्रत्येक साल दावे होते है लेकिन लाखो की तादाद में लोग प्रभावित होते है।फिर मुआवजे और रिलीफ फंड का ढिंढोरा पीटकर घडल्ले से तिजोरी भरे जाते हैं और विकास पुत्र को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है।
विकास पुत्र पैदा करने के सपने तो हर अबला नारी को दिखाया जाता है लेकिन ऐसी सरकारें या सिस्टम नहीं बना जो विकास पुत्र ही पैदा करे।हां घोटाले पुत्र की फौज खडी है जब घोटाला पुत्र की तादाद बढ़ जाय तो कोई विकासपुत्र की उम्मीद कैसे रखे पक्ष हो या विपक्ष सभी घोटाले में दबे होते है और उसमें दबती है मां की आशाएं बहन का सुहाग और फिर रोज मरता है विकास पुत्र ।
                                           आशुतोष 
                                          पटना बिहार 

Saturday, May 22, 2021

मौनी रॉय ने दिया इस्कॉन फाउंडेशन में योगदान

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : मौनी रॉय उन कुछ अभिनेत्रियों में से एक रही हैं जिन्होंने हमेशा नेक कामों का समर्थन किया है। इस भयानक महामारी के दौरान मौनी अपने साथी देशवासियों की यथा संभव मदद करती रही हैं। वह अब इस्कॉन फाउंडेशन की प्रमुख मायापुर के बारे में जानकारी साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही है और पश्चिम बंगाल का यह छोटा शहर चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कैसे पीड़ित है यह बात रही है। 
      अस्पताल, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑन-कॉल डॉक्टर और संबंधित चिकित्सा आपूर्ति नहीं होने से आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ बस्ती के लोग भी पीड़ित हैं। इस्कॉन फाउंडेशन मायापुर में एक चिकित्सा सुविधा का निर्माण कर रहा है जो कोविड -19 से पीड़ित लोगों को उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद करेगी। मौनी रॉय ने अब इस नेक काम के लिए अपनी क्षमता अनुसार इस्कॉन फाउंडेशन को दान दिया है। उसी के बारे में बात करते हुए एक वीडियो साझा करने के लिए मौनी ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। 
    मौनी रॉय ने हाल ही में इस कोविड -19 संकट के बीच जरूरतमंद लोगों की मदद करने की दिशा में उनके इस नेक काम को आगे बढ़ाते हुए गिव इंडिया फाउंडेशन को दान दिया था। अपने वीडियो में, मौनी रॉय ने अपने प्रशंसकों और फ़ॉलोअर्स से इस संदेश को फैलाने और इस्कॉन फाउंडेशन के प्रति दान के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने का अनुरोध किया। इस नेक काम के लिए जितने अधिक लोग आगे आएं और दान करें, इस से इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित लोगों को लड़ने में ज्यादा सहायता मिलेगी। 
     मौनी रॉय को लगता है कि मनुष्य के रूप में यह हमारा मूल कर्तव्य है कि इस कठिन महामारी के समय में एक-दूसरे की हर संभव मदद करें। 

श्री राजपूत करणी सेना ने मनाई सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती

-अनिल बेदाग़-


मुंबई : वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती का नेत्रदीपक आयोजन श्री राजपूत करणी सेना, मुंबई द्वारा किया गया।  इस दौरान राष्ट्र गौरव पृथ्वीराज चौहान को याद किया गया एवं उनकी वीरता पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। बुधवार को अंधेरी पश्चिम, डी. एन. नगर मे करणी सेना मुंबई मे आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करणी सेना मुंबई अध्यक्ष दिलीप राजपूत ने किया।    
      विख्यात कलाकार एवं करणी सेना की मुंबई महिला अध्यक्ष आरती नागपाल, मुंबई प्रदेश के महासचिव दीपक चव्हान मौजूद थे। वक्ताओं ने वीरों, महापुरुषों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का स्मरण और उनके आदर्शों का अनुसरण करने व समाज में भाईचारे के साथ रहने का आह्वान किया।
       कार्यक्रम के दौरान राजपूत वंश का उदय, राजपूत समाज में नारी का महत्व शीर्षक पर परिसंवाद का आयोजन हुआ। इस मौके पर विराज राजपूत, प्रेम चव्हाण, जय चव्हाण, निहाल भाटी विनायक हातातागले, अनिताजी, ललित सोलंकी आदि मौजूद रहे।  

Thursday, May 20, 2021

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर में 308 लोगों को दिए गए कोरोना के टीका

राजापाकर (वैशाली) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स

 राजापाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित बैघनाथपुर चकसिकंदर एवं भोजपट्टी  स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में गुरूवार को  308 व्यक्तियों को कोरोना की वैक्सीन दी गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार एवं बीसीसीएम रवि कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि 18 से 44 आयु वर्ग के 220 लोगों को  कोवि शील्ड के टीके दिए गए। वही 45 से ऊपर  वाले 88 लोगों  कोवैक्सीन के टीके दिए गए। राजापाकर बाजार निवासी पत्रकार अरुण श्रीवास्तव के पुत्र व पुत्री क्रमशः  उज्जवल श्रीवास्तव एवं नंदनी  ने बताया कि वे दोनों टीके लेने के बाद अपने को महफूज होने का अनुभव कर रहे हैं। हमें  किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं हुई

दो प्राथमिकी अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा

राजापाकर( वैशाली) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स

राजापाकर थाना की पुलिस ने बुधवार की रात थाना कांड संख्या 107/21 के प्राथमिकी अभियुक्त नागेश्वर साहनी का पुत्र सुनील साहनी एवं शाहिद साह का पुत्र फूल मोहम्मद दोनों साकिन चौसीमा  कल्याणपुर को एस आई पंकज शर्मा एवं संजीत कुमार ने बीते बुधवार की रात गिरफ्तार कर गुरुवार को जेल भेज दिया है। दोनों गिरफ्तार अभियुक्त पर पुलिस अनुसंधान में बाधा डालने एवं मारपीट किए जाने का आरोप था।

तलाब में रखा मछली की रखबाली करना पड़ा महंगा मारपीट किया जख्मी

 गोरौल(वैशाली)संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स

गोरौल थाना क्षेत्र के धाने गोरौल गांव में तलाब में रखा मछली की रखबाली करना एक व्यक्ति को महंगा पडा। रखबाली के दौरान ही कुछ लोग आ धमके और उसे मारपीट कर बुरी तरह जख्मी कर दिया। जख्मी हालत में उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। जहा से उसे अच्छे इलाज हेतु सदर अस्पताल हाजीपुर रेफर कर दिया गया है। इस सम्बंध में  गांव के ही रवि कुमार के द्वारा थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि वह अपने तलाब में पलने के लिये रखे मछली की रखबाली कर रहा था कि कुछ लोग आ धमके और मछली मारने का प्रयास करने लगा। मना करने पर सभी ने लाठी डंडे से मारकर सर फोर दिया। साथ ही दो हजार रुपया भी निकाल लिया। इस मामले में थाना क्षेत्र के ही राजखण्ड गांव निवासी सुजीत पासवान,वीरेंद्र पासवान,रोहित कुमार सहित पांच लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।

पप्पू यादव की रिहाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया

राजापाकर( वैशाली) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स           

 जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव की रिहाई की मांग  अब गांवों में भी उठने लगी है। गुरूवार की शाम  प्रखंड की बाकरपुर पंचायत के शेखपुरा गांव में पप्पू यादव की रिहाई के स्वर सुनाई दिए।  पूर्व सांसद की गिरफ्तारी को लेकर पार्टी के नेताओं ने आक्रोश व्यक्त कर विरोध जताया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मंजेलाल राय  प्रखंड अध्यक्ष रविंद्र राय  युवा जाप नेता सुरंजन यादव  युवा समाजसेवी अभिषेक शर्मा अरुण यादव उर्फ व्यास जी आदि ने सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल  रखते हुए शेखपुरा विद्यालय के समीप से राष्ट्रीय राजमार्ग 322 के गोविंदपुर झखराहा चौक पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा सांसद राजीव  प्रताप रूडी की अर्थी निकालकर पुतला दहन किया। पुतला दहन के बाद प्रखंड अध्यक्ष रविंद्र राय ने कहा कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। गिरफ्तारी सांसद राजीव  प्रताप रूडी की होनी चाहिए और यहां की अंधी-बहरी सरकार गरीबों का मसीहा जो अपनी जान की परवाह किए बगैर गरीबों और आम आवाम की मदद करने वाले पप्पू यादव को गिरफ्तार कर लिया।

युवा जाप नेता सुरंजन यादव ने कहा की इस डबल इंजन की सरकार ने 15 साल के अंदर स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक नहीं कर सकी। आज लोग दवा , ऑक्सीजन,  एंबुलेंस के लिए दर-दर भटक रहे हैं। सरकार के मुखिया नीतीश कुमार जी कहाँ हैं। डबल इंजन की सरकार के सांसद और विधायक कहां हैं। बल्कि उल्टे  सारी सरकारी तंत्र सांसद प्रताप रूडी को बचाने के लिए लग गए हैं। पप्पू यादव को अगर अभिलंब रिहा नहीं किया गया तो जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक ढंग से उग्र आंदोलन के लिए बाध्य  होगी। वही युवा समाजसेवी अभिषेक शर्मा ने कहा कि जिसने पर्दाफाश किया उसकी गिरफ्तारी करवा दी गई। सरकार की नजरों में  जनता के हक-हकूक के लिए लड़े वह गलत है।

पुतला दहन कार्यक्रम में प्रखंड अध्यक्ष रविंद्र राय  सुरंजन यादव अभिषेक शर्मा उर्फ गोलू  पूर्व जिला अध्यक्ष गंगा राय अरुण यादव उर्फ व्यास जी  वीरेंद्र राय  रवि कुमार  मंजय कुमार तुलसी कुमार  जितेंद्र राय  दीपक कुमार  अभिलाख राय  रंजन यादव  रणधीर राय सहित  दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए ।

बिजली के शार्ट सर्किट से बैक में लगी आग , ग्रामीणों के सहयोग से नही हुआ भारी नुकसान

सारण (ब्यूरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक अयोध्या टाइम्स 

सोनपुर प्रखंड अंतर्गत डुमरी बुजुर्ग के भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में गुरुवार की सुबह अचानक बिजली के शार्ट सर्किट से अचानक लगी आग से बैंक शाखा से धुआ निकलता देख आसपास के लोगों में अफरा तभरी बन गया । इस घटना के देखकर  मकान मालिक पंकज कुमार ने  शाखा प्रबंधक पंकज कुमार सिंह व अग्निशमन विभाग, पंचायत समिति उदय कुमार सिंह  को इस घटना की जनकारी  दी। खबर के सुनते ही वहां देखते ही देखते थोड़ी ही देर में लोगों की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। दूसरी ओर खबर की जनकारी मिलते ही शाखा प्रबंधक ने तत्परता दिखाते हुए अग्निशमन विभाग तथा स्थानीय पुलिस व अपने कर्मचारियों के सूचित किया। आग लगने की सूचना मिलते ही  स्थानीय पुलिस तथा अग्निशमन की गाड़ी मौके पर पहुंच गई इसके पूर्व आसपास के लोगों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया था। शाखा प्रबंधक पंकज कुमार ने बताया कि बिजली की शार्ट सर्किट से यह आग लगी। आग लगने से शाखा मे लगा बिजली का मीटर तथा कुछ इलेक्ट्रिक तार जल गया। बैंक के अन्य किसी सामान की कोई क्षति नहीं हुई है । इलेक्ट्रिक मैन को बुलाकर जले हुए समानो को मरम्मत किया जा रहा है । वही समिति सदस्य उदय कुमार  सिंह, शशिभूषण सिंह ने कहा कि मकान मालिक अभिषेक कुमार अगर तत्क्षण जनकारी व तत्प्रता नही दिखाते तो निश्चित ही बैक के    बहुत बड़ी छति हो सकता था ।

गरीब रक्षक आर्मी महिला विंग ने किया महिलाओं के बीच सेनेटाइजर का वितरण

सारण (ब्यूरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक आयोध्या टाइम्स सोनपुर प्रखंड के कल्याणपुर पंचायत अंतर्गत बैजलपुर नया टोला मे विभिन्न महिला ग्रुपो के बीच गरीब रक्षक आर्मी की महिला उपाध्यक्ष सह समाजसेवी सुकांती देवी द्बारा महिलाओं के बीच गुरुवार को मास्क, वितरण किया गया।

मौके पर संगठन की सचिव हैप्पी कुमारी ने कहा कि कोविड 19 को लेकर हम सभी को सतर्क रहने की जरूरत है । घर में भी बाहरी लोगों से बातचीत करे तो मास्क लगाकर बातचीत करे और  सोशल डिस्टेन्स का पालन करे साथ ही घर के साफ सफाई पर विशेष ध्यान दे । किसी काम को करने से पहले हाथ को साबून से जरूर  धोएं क्योंकि यह महामारी बहुत ही खतरनाक है । 

मौके पर संगठन के संयोजक प्रभात रंजन , प्रीति कुमारी, करीना कुमारी, निशा कुमारी समेत दर्जनों महिला मौजूद रही।

लाॅकडाउन उल्लंघन के आरोप में चार दुकानों को किया गया सील

महुआ ( वैशाली) अनुमंडल संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स

अनुमंडल क्षेत्र के महुआ बाजार में चार दुकान सागर रेडीमेड, ओम साई रेडीमेड व कपड़ा दुकान तथा एक आभूषण दुकान को अधिकारियों द्वारा सील किया गया। जिससे आस पास हलचल मच गई। वृहस्पतिवार को थानाध्यक्ष कृष्णानंद झा ने बताया कि महुआ कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद तथा थानाध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में लाॅकडाउन के नियमों को लेकर महुआ बाजार में जांच अभियान चलाया गया। इस दौरान पातेपुर रोड स्थित  सागर रेडीमेड , ओम साई रेडीमेड व कपड़ा दुकान तथा  गांधी चौक स्थित लख्खी ब्याहुत आभूषण भंडार को भी सील किया गया। बताते चलें कि कोरोनावायरस एवं लाॅकडाउन गाइडलाइन में चोरी छिपे दुकान खोलने तथा नियमों का उल्लघंन करने के आरोप में चार दुकान को सील किया गया है। वही अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण से मुक्ति एवं बचाव में सभी लोग सहयोग करें। सरकार के द्वारा जो गाइडलाइन दिया गया है उसका पालन करें। जो लोग सरकार के तमाम गाइडलाइन के पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जनप्रतिनिधियों के अधिकार समाप्त होते ही जनता की समस्याओं से रूबरू होंगे अधिकारी

सारण (ब्यूरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक आयोध्या टाइम्स बिहार में कोरोना महामारी लगातार बढ़ रही है ऐसे में बिहार सरकार ने इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए 25 दिनों के लिए लॉक डाउन लगाते हुए  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को स्थगित कर दी है । अगर बिहार सरकार पंचायत के जनप्रतिनिधियों की सत्ता का अधिकार छीन लेती है तो पंचायती राज पदाधिकारी से लेकर, बीडीओ, सीओ, अनुमंडल अधिकारी से लेकर जिला के सभी वरीय अधिकारियों को पंचायत के जनसमस्याओं को जानकारी पूर्ण रूप से हो जाएगी। जिस तरह से पंचायतों में कुछ भष्ट जनप्रतिनिधियों के कारण जातिवाद, व्यक्तिवाद, और कुटनितिवाद के कारण पंचायत का विकास न होकर सरकारी योजनाओं की धरातल पर पूर्ण रूप से नहीं होना एवम् सरकार की योजनाओं की जानकारी आम जनता तक नहीं मिलने के कारण जन प्रतिनिधियों ने भले ही पंचायत की विकास नहीं की हो लेकिन अपना सर्वांगीण विकास करते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी तक सरकार की योजनाओं का खुलियाम कागजों पर घोटाला करते हुए समाज के अंदर अपना वर्चस्व कायम कर लिया । अगर सरकार की मंशा पंचायत की विकास चाहती है तो सत्ता में बैठे जनप्रतिंनीधियो की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय पूर्ण होते ही सत्ता छीन कर अधिकारियों को दे दी गयी तो निश्चित ही जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती दिखाई देगी । जिस तरह कोरोना काल में भी मास्क, साबुन के साथ अन्य सरकारी योजनाओं का भी घोटाला हुआ है वैसे कई उदाहरण है जो जमीनी हकीकत को अगर नेक आला अधिकारी निरीक्षण करे तो कई तरह की खामियां ही खामियां पंचायतो में उजागर होगी और भर्स्ट जनप्रतिनिधियों की पोल खुल सकती हैं । जिस तरह से मतदाता को  जनप्रतिनिधियों द्वारा चुनाव में विकास के सपने दिखाते हैं लगता है कि महात्मा गांघी के सपना पूर्ण हो जायेगा और सरकार की योजनाओं का लाभ लाभान्वितों को मिल जायेगा लेकिन जैसे ही सत्ता मिली कि जनप्रतिनिधियों गिरगिट के तरह रंग बदलकर अपना विकास में लग जाते हैं और जनता माथे पर हाथ धर कर अफसोस जताते हुए नये जनप्रतिनिधियों की 5 साल बीतने की बाट जोहते है कुछ ग्रामीण प्रखंड के अधिकारियों को जन समस्याओं या अपनी समस्याओं को अवगत कराते हुए निदान करने की गुहार लगाते-- लगाते थक जाते है क्योंकि कुछ कुर्सियाँ भर्स्ट व जनप्रतिनिधियों के कथनानुसार चलने के कारण ग्रामवासियों के विकास रुक जाती है और सरकारी लाभ से वंचित हो जाते हैं  जिसके कारण हर पांच साल पर जनता छलते जाते है जिसके कारण महात्मा गांधी का सपना चकनाचूर होते जा  रहा है ।

वासुदेवपुर गाँव के चम्बर में एक युवक का शव पेड़ से लटका हुआ बरामद

हाजीपुर(वैशाली)संवाददाता नवीन कुमार दैनिक अयोध्या टाइम्स

महनार थाना क्षेत्र के वासुदेवपुर गांव के चम्बर में पेड़ से लटका हुआ एक युवक का शव बरामद हुआ शव बरामद होने की सूचना मिलने के बाद मौके पर लोगो की भाड़ी भीड़ जमा हो गई जिसके बाद स्थानीय लोगो ने इसकी सूचना महनार थाने को दिया घटना की सूचना के बाद महनार एसडीपीओ सुरेंद्र पंजियार एवं थानाध्यक्ष मनोज कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पंहुचे और शव को पेड़ से जे सी बि की मद्द से नीचे उतरवाया गया ।इस संबंध में महनार थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने बताया की मृतक की पहचान समस्तीपुर जिले के तारा धमौन गांव निवासी 35 वर्षिय धर्मेंद्र कुमार के रूप में हुई है और शव देखने से आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है ।साथ ही थानाध्यक्ष ने बताया की लोगो द्वारा बताया जा रहा है कि  मृतक युवक  पहले भी आत्महत्या का  प्रयास किया था।फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।वही स्थानीय लोगो का कहना है कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त था। हालांकि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर मामले की जांच ने जुटी हुई है।

भारत का गौरव ढ़ाने की प्रियंका की बड़ी उपलब्धियां

अनिल बेदाग़-


मुंबई : मनोरंजन उद्योग में दो दशक और प्रियंका चोपड़ा जोनस अब भी अपने काम मे बहुत व्यस्त हैं। बॉलीवुड में उनके नाम पर लगभग 60 फिल्म है और विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रशंसक के साथ, वह सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो की जाने वाली भारतीय फिल्म स्टार हैं। इस बीच, पश्चिम में, उन्होंने एबीसी के क्वांटिको में अपने शानदार अभिनय से दिल जीत लिया है। प्रियंका चोपड़ा ने 2016 की लाइव-एक्शन फ़िल्म जंगल बुक में भी आवाज दी और बेवॉच (2017), ए किड लाइक जेक (2018) और एंड इट्स रोमांटिक (2019) और वी कैन बी हीरोज (2020) जैसी हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया। उनकी आखिरी बॉलीवुड रिलीज़, द व्हाइट टाइगर उनकी बेहतरीन कृतियों में से एक के रूप में उभरी और बड़े पैमाने पर प्रशंसा मिली है। 
     विश्व स्तर पर सामाजिक परिवर्तन के चेहरे के रूप में जानी जाने वाली, सुपरस्टार ने समय-समय पर अपनी विभिन्न उपलब्धियों से हमें गौरवान्वित किया है। नीचे हम आपके लिए ९ शानदार कारण लेकर आए हैं जो साबित करते हैं कि वह अगले कई दशकों तक दिलों पर राज करने के लिए यहां हैं। 
1. फोर्ब्स के 100 सबसे प्रभावशाली कवर पर आने वाली पहली भारतीय महिला। 
निस्संदेह, हॉलीवुड को पार करने वाली सबसे सफल बॉलीवुड अभिनेत्री में से एक, प्रियंका चोपड़ा जोनास लगातार दो बार 'फोर्ब्स 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची' में रही हैं। वह प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला है। 
2. भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित
हिंदी फिल्म उद्योग में उनकी बड़ी सफलता और प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण, प्रियंका चोपड़ा जोनास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री से सम्मानित किया गया। बॉलीवुड को वैश्विक मानचित्र पर दबदबा बनाने के लिए पीसी ने 2016 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से पद्म श्री प्राप्त किया। 
3. वोग यूएस के कवर पर पहुंचने वाले पहले दक्षिण एशियाई । 
अपनी पेशेवर ऊंचाइयों के साथ 2018 में प्रियंका चोपड़ा जोनास वोग अमेरिका के कवर पर आने वाली पहली दक्षिण एशियाई बनीं। वैश्विक आइकन फैशन पत्रिका के कवर पर प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय महिला थीं। 
4. टेलीविजन पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में पीपुल्स च्वाइस अवार्ड जीतने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री 
पश्चिम में शीर्ष पर अपनी जगह बनाते हुए, प्रियंका चोपड़ा जोनास पीपुल्स च्वाइस अवार्ड जीतने वाली पहली दक्षिण एशियाई अभिनेत्री बनीं। उन्होंने यूएस थ्रिलर क्वांटिको में एक एफबीआई एजेंट के रूप में अपनी भूमिका के लिए 'एक नई टीवी सीरीज पसंदीदा अभिनेत्री' का पुरस्कार जीता। 
5. माराकेच फिल्म समारोह में सम्मानित होने वाली पहली बॉलीवुड अभिनेत्री 
यूनिसेफ स्नोफ्लेक बॉल में डैनी केए ह्यूमैनिटेरियन अवार्ड प्राप्त करने के तुरंत बाद, प्रियंका चोपड़ा जोनास को पिछले साल मोरक्को में फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म डी माराकेच में सम्मानित किया गया था। अभिनेत्री-निर्माता को सिनेमा में उनके 20 वर्षों के लिए सम्मानित किया गया। 
6. TIFF (टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल) में एंबेसडर बनने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री 
अपनी सफलता को ओर बढ़ाते हुए, प्रियंका चोपड़ा एक बार फिर 2020 के टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए एंबेसडर के रूप में चुने जाने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बन गईं। प्रियंका उन 50 फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं में शामिल रही जिन्हें इस कार्यक्रम के 45वें संस्करण में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था ।  7. फ्लोरेंस, इटली में सल्वाटोर फेरागामो संग्रहालय में फुटप्रिंट वाली पहली भारतीय अभिनेत्री 
प्रियंका चोपड़ा जोनस इटली के फ्लोरेंस में प्रतिष्ठित सल्वाटोर फेरागामो संग्रहालय में अपने पैरों के निशान रखने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बनीं। उन्होंने फेरागामो हाउस से कस्टम-डिज़ाइन किए गए जूते भी प्राप्त हुए यह वास्तव में प्रभावशाली रहा! 
8. चार अलग-अलग मैडम तुसाद संग्रहालयों में मोम के पुतले रखने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री । 
वैश्विक आइकन 2019 में मैडम तुसाद संग्रहालय में चार मोम की मूर्तियां स्थापित करने वाली पहली भारतीय फिल्म स्टार बन गईं। उनकी मोम की मूर्तियाँ लंदन, न्यूयॉर्क और सिडनी सहित चार अलग-अलग स्थानों पर रखी हुई हैं।
9. इस साल ऑस्कर नामांकन की घोषणा करने वाली पहली भारतीय स्टार
प्रियंका चोपड़ा जोनस ने इस साल इतिहास रच दिया क्योंकि उन्होंने प्रतिष्ठित 93 वें अकादमी पुरस्कार नामांकन की घोषणा की। जो चीज इसे और भी खास बनाती है वह यह है कि पीसी ने पति और पॉपस्टार निक जोनस के साथ सम्मान की घोषणा की । 
बाल अधिकारों के लिए एक वैश्विक यूनिसेफ सद्भावना राजदूत, प्रियंका चोपड़ा जोनस हमेशा परोपकारी रूप से सक्रिय रही हैं। कोविड -19 के इस चुनौतीपूर्ण समय में, वह दुनिया के लिए अपना काम कर रही है।

"गली बॉय" के बाद अब "गटर बॉय" ने बटोरी सुर्खियां

यूके फ़िल्म फेस्टिवल में होगा प्रीमियर

-अनिल बेदाग़-

मुंबई : कॉमेडी फिल्म "उमाकांत पांडेय पुरुष या....?" से चर्चा में आए अभिनेता अजीत कुमार आजकल अपनी दूसरी फिल्म "गटर बॉय" को लेकर सुर्खियों में छाए हुए हैं। फ़िल्म 'गटर बॉय - ए जर्नी टू हेल' को  ब्रिज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, ग्रीस, दरभंगा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल सहित कई फिल्म समारोहों में ऑफिशियल एंट्री के रूप में चुना गया है। खास बात यह है कि इस फ़िल्म

ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशन,  सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ कहानी की कैटगरी में अपना नामांकन हासिल किया है। और अब यूकेएएफएफ (UKAFF) फ़िल्म फेस्टिवल में गटर बॉय का प्रीमियर 28 मई को शाम 7 बजे होने जा रहा है। 58 मिनट की इस हिंदी फ़िल्म के ट्रेलर को शानदार रिस्पॉन्स मिल रहा है। इसके ट्रेलर की शुरुआत इस डायलॉग से होती है। "एक बार फिर म्युनिस्पल कॉर्पोरेशन के 2 कर्मचारी गटर की सफाई करते हुए मारे गए।" 
निर्देशक अनुपम खन्ना बसवाल की रियलिस्टिक फ़िल्म गटर बॉय में अजीत कुमार एक गटर बॉय का चुनौतियों भरा टाइटल रोल निभा रहे हैं।
कुछ लोग अब भी अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर 'गटर' और 'नाले' की सफाई का काम करते हैं। इस फ़िल्म का केंद्रीय किरदार संदीप एक गरीब, निचली जाति के परिवार का है। वह बेहतर जीवन की आशा में बड़े शहर में चला जाता है, जहां उसे गटर क्लीनर की नौकरी दी जाती है। कुछ बदकिस्मत लोग ऐसे हैं जो इंसानों द्वारा पैदा की गई गंदगी को साफ करते हैं। संदीप भी एक ऐसा ही किरदार है। कुछ लोग कैसे अब भी अमानवीय काम करने को विवश हैं फ़िल्म उसी काले अंधेरे पर प्रकाश डालती है।गटर बॉय वाकई एक दिल को झिंझोड़ देने वाली कहानी है।
    अजीत कुमार ने बताया कि मैंने लोगों को गटर की सफाई करते देखा था लेकिन कभी ऐसा करने की कल्पना नहीं की थी। फिर मैंने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और खुद को भूलकर सन्दीप बन गया। एक गटर के अंदर काम करने के मेरे पहले दिन ने मुझे खुद को इंसान के रूप में घृणित महसूस कराया। 
गटर बॉय युवक संदीप के जीवन बदलने वाले अनुभव की कहानी है। यह फिल्म गटर में विकसित होने वाली जहरीली गैसों के कारण होने वाली मौतों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल और मुद्दे भी उठाती है कि कैसे ये गरीब लोग सिर्फ अपने परिवार को खिलाने के लिए हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं। अजीत कुमार के लिए एक गटर बॉय का रोल निभाना काफी चैलेंजिंग था लेकिन थिएटर बैकग्राउंड से होने के कारण वह इसे सहजता से निभा पाए। अजीत कुमार सोशल इशु पर बेस्ड फिल्म गटर बॉय को इतने सारे फ़िल्म फेस्टिवल्स में जगह और नॉमिनेशन मिलने पर बेहद एक्साईटेड हैं।

Wednesday, May 19, 2021

राजापाकर में सामुदायिक किचन खोलकर गरीबों को कराया जा रहा भोजन

राजापाकर( वैशाली ) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स

बिहार में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लगे संपूर्ण लॉकडाउन के बाद सरकार द्वारा प्रखंड मुख्यालय में भी सामुदायिक किचन का शुभारंभ किया गया है जिसमें दोनों वक्त निर्धनों का पेट भरेगा। खासकर वैसे गरीब मजदूर जिन्हें दो वक्त की रोटी भी बड़ी कठिनाइयों से नसीब हो पाती है उनके लिए परेशानी और बढ़ गई थी इसे देखते हुए बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन अब गरीबों का पेट भर रहा है। राजापाकर प्रखंड मुख्यालय में फिलहाल मात्र एक स्थान प्रखंड मुख्यालय अंतर्गत आदर्श मध्य विद्यालय राजापाकर पर सामुदायिक किचन बुधवार 19 मई से अंचलाधिकारी राजापाकर के देखरेख में शुरू किया गया है। इस दौरान लगभग 60 लोगों को खाना परोसा गया। CO राजापाकर ने बताई की सामुदायिक किचन में गरीब, असहाय, दैनिक श्रमिकों ,रिक्शा ,ठेला चालक के लिए यह सामुदायिक किचन काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आज प्रथम दिन 60 लोगों के बीच चावल दाल एवं सब्जी का भोजन कराया गया है ।पुनः शाम 5:00 बजे से रात्रि का भोजन परोसा जाएगा। हालांकि सामुदायिक किचन के चालू हो जाने का कोई प्रचार प्रसार नहीं किया गया है । मालूम हो कि सरकार द्वारा आगामी 25 मई तक लॉकडाउन लगे रहने की घोषणा की गई है यह सामुदायिक किचन 7 दिनों के लिए खुला है।

सोनपुर में 17 संक्रमित की हुई पहचान ,130 लोगो को दी गयी कोविड 19 वैक्सीन

सारण (ब्युरो चीफ  संजीत कुमार) दैनिक आयोध्या टाइम्स      सोनपुर--  सोनपुर में लॉक डाउन होने के बाद से अब कोरोना संक्रमित की संख्या में कमी आने शुरू हो गयी है लेकिन फिर भी इस महामारी को नजरअंदाज करने की जरूरत नहीं है अब भी संक्रमित व्यक्ति कोरोना जाँच में मिल रहे हैं । कुछ लोगो की लापरवाही के कारण आज भी संक्रमित व्यक्ति की पहचान हो रही हैं आज भी लोग इस महामारी को नजरअंदाज कर रहे हैं और बिना मास्क पहने घर से निकल रहे हैं।  इस बात की जानकारी देते हुए सोनपुर पूर्व  कोरोना नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक कुमार सिन्हा ने बुधवार को बताया कि सोनपुर एएनएम  ट्रेनिंग सेंटर ,रेलवे स्टेशन ,अनुमंडल अस्पताल  में  रैपिड कीट से 173 लोगो को जांच किया गया जिसमें 17 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं वहीं 203 लोगों आरटीपीसीआर के तहत जांच किया गया सभी जांच सैंपल पटना भेज दी गई है । कोरोना नोडल अधिकारी डॉ  राजकिशोर सिंह ने बताया कि  कोविड केयर सेंटर में आज तक कुल 4 संक्रमित व्यक्ति भर्ती है ।जब कि एक संक्रमित व्यक्ति को पटना रेफर कर दिया गया है । अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी डॉ हरिशंकर चौधरी ने बताया कि  17 संक्रमित व्यक्ति की पहचान हुई हैं सभी संक्रमित व्यक्ति को दवा उपलब्ध कराते हुए होम कवर्टाइन में रहने को सलाह दिया गया है । संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले को भी कोरोना जाँच किया जायेगा  स्वास्थ प्रवन्धक रवीश कुमार ने बताया कि 130 लोगो को  दी गयी कोविड 19 वैक्सीन ।

कोरोनावायरस गाइडलाइन के उल्लंघन करने के आरोप में तीन रेडीमेड तथा एक परचून की दुकान को किया गया सील

महुआ ( वैशाली) अनुमंडल संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स।

महुआ अनुमंडल क्षेत्र के गोलारोड में कोरोनावायरस गाइडलाइन का उल्लघंन करने पर कपड़ों की तीन रेडीमेड तथा एक परचून दुकानों को अधिकारियों ने सील कर दिया। जिससे क्षेत्र में आस पास हड़कंप मच गई। गुरूवार को महुआ कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, अमीन रामेश्वर पंडित तथा पुअनि शिवेंद्र ना. सिंह के नेतृत्व में कोरोनावायरस गाइडलाइन को लेकर महुआ बाजार में जांच अभियान चलाया गया। इस दौरान गोलारोड में लुका छुपी का खेल कपड़ा दुकानदार ने क्रमशः अजय रेडीमेड, पवन रेडीमेड व वैशाली साड़ी तथा महेश परचून की दुकानदार ने समय अवधि के बाद भी चोरी छिपे दुकान खोलने के आरोप में दुकान को सील कर दिया गया है। वही अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण के जो गाइडलाइन दिया गया है उसका पालन करें। जो लोग सरकार के गाइडलाइन के पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर में गुरुवार को टीकाकरण का कार्य होगा

राजापाकर( वैशाली )संवाददाता, दैनिक आयोध्या टाइम्स

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर समेत चार केंद्रों पर गुरुवार से पुनः कोरोना का वैक्सीन दिया जाएगा ।जानकारी देते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया है कि गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर समेत बैजनाथपुर, चक सिकंदर एवं भोज पट्टी स्वास्थ्य केंद्र पर गुरुवार 20 मई को 45 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों का प्रथम डोज़ एवं सेकंड डोज़ सिर्फ को वैक्सीन का टीकाकरण होगा ।वही उन्होंने यह भी जानकारी दिया कि राजापाकर अस्पताल में 18 से 44 वर्ष वाले उन्हीं लोगों का टीकाकरण होगा जिन लोगों ने 20 मई के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुक कराया है। मालूम हो कि  जिला वैक्सीन भंडार में वैक्सीन उपलब्ध नहीं रहने के कारण बीते 19 मई को वैक्सीनेशन का कार्य बाधित रहा है।

कोविड-19 - दिशानिर्देशों में सामायिक परिवर्तन - शासन, प्रशासन, वैज्ञानिकों की सजगता और जागरूकता का प्रमाण - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से कोविड -19 महामारी ने वर्ष 2019 के अंत से वैश्विक स्तर पर पैर पसारना शुरू कर दिया था और अपनी तीव्र घातकता से वैश्विक स्तर पर मानव पर हमला कर अपना उग्र रूप दिखाया, पूरे विश्व में तबाही मचा कर रख दी।...बात अगर हम भारत की करें तो भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल के त्रिचूर में 30 जनवरी 2020 को सामने आयाथा और इसके अगले ही दिन याने 31 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस को वैश्विक आपदा घोषित किया था। 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था और इसके अगले ही दिन याने 12 मार्च 2020 को भारत में कोरोना संक्रमण से पहली मौत की पुष्टि हुई थी, जिसमें भारत एकदम चौकन्ना, चाक-चौबंद और सतर्क हुआ और पीएम मोदी ने 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू का आह्वान कर 25 मार्च 2020 को देश को संबोधन किया और रात 12 बजे से 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी और फिर कोविड-19 की गाइडलाइंस बनाने का और क्रियान्वयन करने का दौर जो शुरू हुआ जो मंगलवार दिनांक 18 मई 2021 तक शुरू है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), केंद्रीय गृहमंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवारकल्याण मंत्रालय, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य सरकारोंने अपने अपने स्तर पर गाइडलाइंस बनाकर क्रियान्वयन करना शुरू किया गया था जो अभी तक जारी है।......बात अगर हम नई गाइडलाइंस की करें तो हर संबंधित विभाग एमएचए, आईसीएमआर, एमएचएफडब्ल्यूई, एनडीएमए, द्वारा परिस्थितियों के बदलते परिवेश में अपनी-अपनी गाइडलाइंस को संशोधित, रणनीतिक अपडेट, करते रहे। जैसे जैसे कोविड-19 महामारी के वेरिएंट में बदलाव का संकेत, या कानून व्यवस्था नियंत्रण, स्वास्थ्य समीक्षा का अपडेट डाटा, के आधार पर अपनी अपनी गाइडलाइंस को संशोधित करते रहे और वर्ष 2020 पूरा निकल गया जबकि महामारी में कुछ राहत 2020 के अंत और 2021 के जनवरी माह तक थी। लेकिन फरवरी 2021 से महामारी ने ऐसी तीव्रता से आघात किया कि महामारी की दूसरी लहर पीक पर और तीसरी लहर का अंदेशा जताया जाने लगा। जिसको ध्यान में रखते हुए एमएचए, आईसीएमआर और एमएचटीडब्ल्यूए, एनडीएमए ने भी अपने दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए कुछ सामायिक अंतराल में बदलते परिवेश में नई नई गाइडलाइंस निकालते रहे, जिससे लॉकडाउन की तिथियां बढ़ाना, घर पर 3 लेयर मेडिकल मास्क पहनना, कोरोना मरीज हल्के लक्षण मरीजों को घर पर क्वॉरेंटाइन, होली, ईद पर भीड़ इकट्ठा ना होने, धार्मिक स्थल बंद करने इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण  दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए जारी किए गए और आज दिनांक 18 मई 2021 तक यह सामायिक अंतर में, बदलते परिवेश, परिस्थितियों और डाटा के अपडेट होने पर तुरंत नई गाइडलाइंस बनाई जा रही है। कोरोना महामारी के संबंध में  मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित अनेक मंत्रालयों को भी अपनी गाइडलाइंस बनाने पड़ी है और परिस्थिति के अनुसार उन्हें अपडेट करना चालू है।.....बात अगर हम पिछले कुछ दिनों की गाइडलाइंस अपडेट की करें तो अभी कुछ राज्यों में ब्लैक फंगस बहुत तेजी से विस्तारित हो रहा है और गाइडलाइंस जारी हुई है तथा एम्स के विशेषज्ञों ने भी अलर्ट किया है और दिनांक 17 मई 2021 को आईसीएमआर ने प्लाजमा थेरेपी को चिकित्सीय प्रबंधन दिशानिर्देशों से हटा दिया है। आईसीएमआर ने जानकारी दी है कि प्लाजमा थेरेपी बीमारी की गंभीरता या मौत की संभावना को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अतः बदलते परिवेश में आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन जारी कर इसे हटा दिया है। अब कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए प्लाजमा थेरेपी उपयोग में नहीं होगा और इसे चिकित्सीय प्रबंधन दिशा-निर्देशों से हटा दी गई है।अतः हम उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर्स, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय इत्यादि अनेक विभागों द्वारा बदलती परिस्थितियों और डाटा अपडेट के कारण अपनी गाइडलाइंस को रणनीतिक अपडेट किया हैं, जो इसका प्रमाण है कि शासन प्रशासन इस विपत्ति की घड़ी में हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण सजगता, जागरूकता के साथ कर रहे हैं और भारत को इस महामारी से मुक्ति दिलाने के लिए रात दिन प्रयत्नों में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं। 


-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

सरस्वती और लक्ष्मी का द्वंद

हिंदी लेखन जगत में एक नई बहस चल रही है। मेरे बहुत से मित्र कुछ न कुछ लिख रहे हैं। कुछ समर्थन में तो कुछ विरोध में। हालांकि बहस में कुछ भी नया नहीं है। यह सालों से चली आ रही समस्या है; जिससे लेखक-कवि जूझ रहा है। समस्या है - सरस्वती-लक्ष्मी का द्वंद्व। 

दो तरह के काम हैं। एक, स्वयंचेतस् रचनात्मकता। दूसरा, डिमांड पर लिखना। दोनों अलग-अलग हैं। 
मैं एक पत्रिका का सह संपादक रहा हूँ। मैंने बाक़ायदा पैसे लिये। क्योंकि वो काम 'मज़दूरी' है। ईमेल चेक करो, आवश्यक संसोधन करो, प्रूफ़ रीडिंग, डिजाइन तैयार करो ... ढेर सारे छोटे-मोटे काम। यह एक फॉर्मेट में होता है। इसका पारिश्रमिक माँगा जाना चाहिए। 
विद्यालयों में बतौर वक्ता गया हूँ। बुलाने वाले मित्र थे। जब वक्ता होने की सहमति दी तब नहीं पता था कि बोलने का पारिश्रमिक मिलता है। लेकिन भाषण-समाप्ति उपरांत पैसा हाथ में आया तो अच्छा लगा। वो मेरी बेरोज़गारी के दिन थे। उन पैसों से काफ़ी सहायता मिली। 
कुछ कार्यक्रमो का संचालन भी किया है, शौक़िया तौर पर। कभी न पैसा माँगा न मुझे दिया गया। मैं पैसों के लिए यह करता भी नहीं था। हाँ, एक जगह के आयोजक ने ( जिसने कार्यक्रम में लाखों का खर्चा किया था ) मुझे पाँच हजार का चेक दिया था। मैंने सहर्ष स्वीकार भी लिया था। 
कहीं पर बोलने जाने से पहले मैंने आयोजकों से यह कभी नहीं कहा कि मैं डिबेटर रहा हूँ। यह देखिए मेरे सर्टिफिकेट्स। मेरी प्रतिभा है इसलिए आपको पैसा देना होगा। उल्टा मैं डिबेट में इसलिए जाना छोड़ चुका था क्योंकि वहाँ पुरस्कार राशि के लिए मारधाड़ मची थी। योग्यता झक मारती थी। रटा-रटाया और आवेशपूर्ण बोलना ज्यूरी को ज़्यादा रुचता था। उनकी अपनी लॉबी थी। ख़ैर ...
अनुवादक का काम किया है मैंने। अंग्रेजी से हिंदी। काम करवाने वाले ने प्रति-पृष्ठ मेहनताना तय किया। मुझे कीमत ठीक लगी तो मैंने वह काम किया। 
दिल्ली में मेरे घनिष्ठ हैं।  उन्हें कंटेंट प्रोवाइड करता था। यह काम भी बाक़ायदा पारिश्रमिक देता था। 
अपने मित्रों की किताबों की प्रूफ़ रीडिंग की है। मैंने किसी से पैसा नहीं माँगा। यह काम मैंने दोस्ती के लिए किया। कुछ काम मुझे सौंपा गया तो मैं मना नहीं कर पाया और कुछ मैंने स्वेच्छा से किया ... एक मित्र ने पैसे देने भी चाहे तो मैंने स्वीकार न किये।
पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख भेजता रहा हूँ। बस इसलिए कि लोगों तक मेरा लिखा हुआ पहुँचे। यह शुद्ध रचनात्मक कार्य था। मैंने इस काम के लिए कभी पैसे नहीं चाहे। तीन चार पत्रिकाओं ने लेख प्रकाशन पश्चात बैंक डिटेल माँगी तो सुखद भी लगा।
बात हमारी इच्छा पर है। डिमांड पर लिखने के पैसे मांगना लेखक का अधिकार है। लेकिन अपना लिखा सिर्फ़ इसीलिए न छपवाना कि उसके पैसे नहीं मिल रहे, नितांत बौनापन है।
अमीश त्रिपाठी और चेतन भगत करोड़ों कमाते हैं। फेम और ग्लैमर उन्होंने खुद पैदा किया है। आप ब्रांडिंग कीजिए, मार्केटिंग कीजिए, कमाइए लाखों - कौन रोक रहा है ?
पाठकों का मन मेरी समझ में नहीं आया कभी। आजकल वो ग्लैमर के पीछे भागता है। अमीश का कचरा पढ़ लेंगे लेकिन नरेंद्र कोहली को खरीदकर पढ़ने में जोर आता है। बलदेव उपाध्याय की किताबें कोई पलटकर देखना नहीं चाहता, वहीं राधाकृष्णन का दर्शन थोक में बिक रहा। कुछ बात फेम की है, कुछ पाठकों के नज़रिये की। लेकिन वो उसकी मर्ज़ी की बात है। आप और मैं दबाव नहीं डाल सकते।
कुछ किताबें जो उपहार में मिलतीं हैं, स्तरीय होतीं हैं तो कुछ कोरा कचरा। कुछ खरीदीं किताबें भी निराश कर सकतीं हैं।
एक सवाल रॉयल्टी को लेकर भी है। प्रकाशक किताब बेचे और आपको उचित रॉयल्टी न दे तो यह धोखेबाजी है। लेखक को रॉयल्टी मिलनी चाहिए और उसकी योग्यता को सम्मान भी। लेकिन हाँ, योग्यता का सम्मान लड़-झगड़कर तो नहीं लिया जा सकता न !
अनुपम मिश्र कृत " आज भी खरे हैं तालाब " पुस्तक की लाखों प्रतियाँ बिकीं। उन्होंने उसे कॉपीराइट से मुक्त रखा। यह उनकी इच्छा थी। उनके लेखकीय कर्म का सम्मान किया जाना चाहिए। यह सेवा ही थी... लेकिन आप पर कोई दबाव नहीं कि आप सेवा करें। यहाँ अनुपम जी को लेखक-बिरादरी का दुश्मन मानने का कोई कारण नहीं। ऐसे कई सेवाभावी लोग गम्भीर अकादमिक कार्य में लगे हुए हैं ... मेरा असीम आदर है उनके प्रति।
यह आपका चुनाव है। आप चाहें तो कचरा बेचकर करोड़ों कमाएं, चाहें तो महत्वपूर्ण कार्य का भी एक पैसा न लें। निराला का उदाहरण ज़्यादा घसीटने का कोई अर्थ नहीं रहा। अंग्रेजी लेखकों का लेखकीय-कर्म भी हिंदी के मुक़ाबले थोड़ा अलग है, इसलिए उसकी चर्चा भी अकारथ है। 
हम अपने हीनताबोध से बाहर आएं। पुरस्कारों के लिए लड़ना-झगड़ना बंद करें। चापलूसी कर फैलोशिप प्राप्ति के सपने देखना छोड़ें। सुंदर लड़कियों की अधपकी कविताओं को अज्ञेय के शिल्प की कविताएँ कहने से बचें। कोमल शरीर देख समीक्षा-लेखन से बाज़ आएं .... तो कुछ बात करें। 
मुझे कोई लड़की अच्छी लगी तो उसके ज़िस्म की तारीफ़ कर ली, उसके सौंदर्य पर कविता लिख मारी, उसके ड्रेस  सराह लिया, कुछ सलाह दे दी, कह दिया कि भविष्य उज्ज्वल है आपका, लेकिन उसके लिखे को निराला के समकक्ष बताने का अपराध न हो सका। 

इति नमस्कारांते ...

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

Tuesday, May 18, 2021

कोविड-19 - वैज्ञानिक आधार को बढ़ावा देना जरूरी - गांवों में भ्रांतियों को ख़ारिज कर जनजागरण अभियान चलाना जरूरी

21वीं सदी के डिजिटल युग में भ्रांतियों, टोटकों और जादू टोना प्रथा को स्वतः संज्ञान लेकर लगाम लगाना जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से कोरोना महामारी अपना तांडव मचा रही है। हालांकि कुछ विकसित देशों ने इसे वैज्ञानिक आधार, वैक्सीनेशन, लॉकडाउन, दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन के आधार पर कोरोना महामारी को मात देने के करीब पहुंच गए हैं और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने हेतु अग्रसर हो गए हैं।मंगलवार दिनांक18 मई 2021को माननीय प्रधानमंत्री ने 9 राज्यों के 46 कलेक्टरों से प्रथम चरण की वर्चुअल बैठक की जिसमें माननीय पीएम ने महामारी से निपटने संबंधी अनेक मंत्रों सहित मार्गदर्शन में कहा गावों तक महामारी के संक्रमण के विस्तार को रोकना है, कालाबाजारी को रोकना और कड़े कदम उठाना हैं, अपना जिला जीता तो भारत जीता, ट्रिपल टी फार्मूला, वैक्सीन के वेस्टेज को रोकना सहित अनेक बाते कहीं और महामारी के संक्रमण को रोकने, तेज़ी से निपटने के लिए सुझाव भी मांगे और उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति पर तारीफ़ की और भी अनेक सकारात्मक पहलुओं से डीएम का मार्गदर्शन किया जो हम सभ ने लाइव प्रसारण देखे जो 12.56 pm तक चला और हम जनता को भी बहुत अच्छा महसूस हुआ.....बात अगर हम भारत की करें तो आज सोमवार दिनांक 17 मई 2021 को केंद्रीय और राज्यों के स्तर पर आए आंकड़ों से दिख रहा है कि कोरोना महामारी पर लगातार तीन दिन से हम संक्रमण पर दबाव बढ़ाने में कामयाब हो रहे हैं और आगे भी इसी तरह संक्रमण के मामले और दर घटती जाएगी ऐसा हम हौसला रख पूरी मुस्तैदी से जंग लड़ना जारी रखें तो सफलता हमें जरूर मिलेगी यह पक्का विश्वास है।....बात अगर हम इस 21 वीं सदी के वैज्ञानिक, डिजिटल युग में भ्रांतियों, टोटकों और जादू टोने की करें तो कुछ अजीब सा महसूस होता है।खासकर इन भ्रांतियां,  टोटकों को अगर कोविड-19 जैसी घातक जानलेवा और फेफड़ोंको अत्यधिक तीव्रता से संक्रमित कर मानव को यमलोक पहुंचाने मैं अडिग इस डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित महामारी को दूर करने में भी अगर हम इन भ्रांतियों, टोटकों, जादूटोना का उपयोग करेंगे तो यह अपने आप में नाइंसाफी होगी यह मेरा मानना है।.... बात अगर हम भ्रांतियों की करें तो आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से हम ग्राउंड रिपोर्टिंग देख रहे हैं कि किस तरह इस कोरोना महामारी ने गांव तक तीव्रता से दस्तक दी है और बड़ी तेजी से शहरों से गांव की ओर फैल रही है। जहां अपेक्षाकृत कई गुना कम मेडिकल संसाधन दवाइयां हैं और कई गांव में तो अस्पताल कई किलोमीटर दूर है और वहां कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी है और उनका इलाज भ्रांतियों, टोटकों, जादू टोना धुए से भरी काली हंडी को घुमाकर, तालाब पर भीड़ जमा कर कोरोना को भगाने की पूजा, संतरे के बगीचों में, जंगलों में स्लाइन लगाकर,  ऐसे अनेक भ्रांतियों से उपाय किए जा रहे हैं। दूसरी ओर इनका इलाज ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है जिनके पास कोई डिग्रियां तक नहीं है या अस्पताल का कोई लाइसेंस नहीं है दूसरी भाषा में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है। ऐसे इलाज से संक्रमण पूरे परिवार, फिर गांव, फिर आस-पास के गांव, में फैलने की उम्मीद रहेगी। अतः हमारे गांव वाले ग्रामीण भाई-बहनों से निवेदन है कि वह स्वत संज्ञान लेकर ऐसे गफलतों से बचें और गांव में टेस्टिंग करने आई मेडिकल टीम से टेस्टिंग कराकर उनके दिशानिर्देशों पर चलें और मानवता की सेवा में सहयोग करें।...बात अगर हम इन भ्रांतियोंको बढ़ावा देने वाले प्रबुद्ध शिक्षित, कुशल नेतृत्व , कलाधारी, नामी-गिरामी, व्यक्तित्व की करें और उनके वक्तव्य में इन भ्रांतियों को बढ़ाने का संज्ञान मिले तो देश के लिए हैरानी वाली बात होगी। यह वक्तव्य जैसे गंगा मैया में स्नान करने या गंगा मैया के आस पास कोरोना कभी नहीं भटकेगी, गोमूत्र का सेवन करने से कोरोना महामारी नहीं होगी या फेफड़ों पर संक्रमण नहीं होगा, या यह वैक्सीन तो उस पार्टी की वैक्सीन है, वैक्सीन लगाने से बांझपन आता है, पहले पीएम को वैक्सीन लगाना चाहिए, इस तरह के वक्तव्य और कुछ भ्रांतियां हमने बहुत पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से सुनते और देखते आ रहे हैं। मेरा निजी मानना है कि इससे जनता में एक भ्रम की स्थिति फैलती है और इन पर विश्वास कर जनता इसका अनुसरण या पालन करने लगती है जिससे संक्रमण अपनी चैन को मजबूती से बढ़ाने में कामयाब होता है जिससे सबसे अधिक नुकसान आम नागरिकों को वाहन करना होता है। अतः सरकार द्वारा इन वक्तव्य को स्वत संज्ञान लेकर या वक्ता द्वारा स्वतः ही इस बयान को ख़ारिज या वापस लेने की पहल करनी चाहिए।....बात अगर हम वैज्ञानिक आधारों का आविष्कार करने वाली मेडिकल एजेंसीयों की करें तो, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एंडसीडीसी) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट का पता लगाने के लिए बने सलाहकारों के सरकारी फोरम, इंडियन सार्स-सीओवी-2 जिनोमिक्स कंसोर्टिया (आईएनएसएजीओजी) इत्यादि देश की 10 बड़ी प्रयोगशाला तालमेल से वायरस पर कार्य कर रही है जिनकी कुल मिलाकर 15 समितियां है जिनकी अभी तक 67 रिव्यू मीटिंग हुई है ऐसी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों द्वारा दी गई है। इसके अनुसार पूरी दुनिया में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक आधार पर सटीकता में भारत का डंका बजता है। लेकिन हम अभी कुछ समय से जब से,,गांव में महामारी ने पैर पसारे हैं तो भ्रांतियों, टोटकों, का सिलसिला लगातार सुनाई दे रहा है और कुछ वक्तव्य भी सुनाई दे रहे हैं। हालांकि इन भ्रांतियों का संबंध हमारे पूर्वजों के वैद्यकीय ज्ञान या सामाजिक प्रथा के रूप में हो सकता है। परंतु उस समय इतनी मेडिकल सुविधाएं और संसाधन नहीं थे। आज के डिजिटल युग में अनेक मेडिकल संसाधन उपलब्ध हैं। अतः हमारे हर ग्रामीण क्षेत्र के साथियों को आगे आकर स्वतः संज्ञान लेकर इन भ्रांतियों, टोटकों, का विरोध कर कोविड-19 के पुराने या नए सिम्टम्स का थोड़ा साभी आभास होता है तो गांव पहुंची टीम से टेस्ट करवाएं और पॉजिटिव आने पर क्वॉरेंटाइन हो जाएं ताकि अन्य साथियों को संक्रमित होने से बचाया जा सके। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का हम विश्लेषण करें तो हमें यह ज्ञात होता है कि इस महामारी के इलाज में हम वैज्ञानिक आधार को बढ़ावा देना चाहिए। शासन, प्रशासन, अधिकारियों, को इस क्षेत्र में रिसर्च करने वाली एजेंसियों की सिफारिशों पर ही अपनी रणनीतिक रोडमैप और दिशानिर्देश बनाया जाना जारी रखना चाहिए।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

कैसे मिले प्रभु रोजी रोटी इस संकट काल में ?

आज देश के ओ वंचित वर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं,जो रोज कुंआ खोदते रोज पानी पीते थे,यानी की मजदूर वर्ग जो दिहाड़ी करके कमाते  थे, जिससे इनके घरों में चूल्हे जला करते थे , आंकड़ों को देखें तो इस कोरोना महामारी ने लगभग 63 फीसदी तो  घरेलू कामगारों से ही रोजगार  छीन लिया है , ऐसे में अब तो घर चलाना बहुत ही  मुश्किल हो रही है। हमने देखा की  पिछले साल कोरोना के चलते लगाएं गए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था, हालांकि कुछ समय बाद चीजें धीरे-धीरे पटरी पर लौटना शुरू हुई तो कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तबाह कर दिया है , दूसरी लहर के बाद अचानक नए कोरोना के मामलों में भारी उछाल आया और फिर राज्य सरकारों ने धीरे-धीरे सख्त पाबंदियां लगाते हुए लॉकडाउन लगा दिया है ,इस कोरोना महामारी से भारी संख्या में लोगों की नौकरी गई हैं,स्थिति यह हो गई कि जिन लोगों का रोजगार छूटा है, उनके घरों में आर्थिक संकट इस कदर हावी हो गया कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। हम सभी ने देखा की हमारे प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग शहरों और राज्यों से पैदल ही हजारों हजार किलोमीटर चलने को मजबूर हुए थे, जिनमें से बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने से पहले ही कोई ट्रेन के पहियों के नीचे तो कोई ट्रक के पहियों के नीचे तो बहुत से प्रवासी मजदूर भूखे दम तोड़ दिया था ,अब तो लगभग देश के हर वह वर्ग रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है जो रोज कमाता खाता था, साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार वालों का भी आज हालात दिन पर दिन बदतर होती जा रही है , एक रिपोर्ट में पता चला है कि केवल देश के राजधानी  दिल्ली में 63 फिसदी घरेलू कामगारों जो मकानों में कपड़े, बर्तन, झाडू-पोछा और खाना बनाने वाली महिलाओं  ने ही इस महामारी के बाद से नौकरी खो दी हैं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य क्षेत्रों में काम करने वालों की हालत क्या हो सकती है ?  वही दूसरी तरफ इस महामारी ने मजदूरों को झझकोर कर रख दिया है, सबसे ज्यादा दुखों का पहाड़ प्रवासी मजदूरों पर टूटा है, मजदूरों के पास अब रोजी-रोटी का संकट है, इनके साथ ही अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मध्यम वर्गीय परिवार पर भी रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है , सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जो राशन भारत सरकार पहुंचाने का प्रयास कर रही है , गरीबों और जरूरतमंद लोगों के रोटी पर भी कालाबाजारी करने वाले डंका  डाल दे रहे है , मजदूरों के उत्थान के लिए सरकार की योजनाएं सरकारी कार्यालयों में दम भर रही हैं,हर शहर व  नगर के चौराहों पर सुबह के समय रोजी-रोटी की तलाश में ना जाने कितने मजदूर रोजी की तलाश में खड़े रहते हैं, देखे तो दो वर्षों में कोराना महामारी ने मजदूरों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, रोजी-रोटी की तलाश में मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं, बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूर कोरोना संकट से जूझ रहे है ,आज गांवों में भी रोजगार के संसाधन नहीं हैं, मनरेगा योजना में भी मजदूरी केवल 201 रुपये है, जिसमे पहले से काफी श्रमिक मजदूर जुड़े हुए है ,ऐसे में शहरों से अभी गए हुए ,मजदूरों को रोजी रोटी का व्यवस्था कैसे होगा ? वही दूसरी तरफ देश के कुछ  रहीस लोग गरीबों पर ही कोरोना महामारी का भी आरोप लगा देते है, बोलते हैं कि गरीबों के कारण यह करोना का रफ्तार बढ़ा  है, अब इनको मैं कैसे समझाऊं कि हमारा गरीब तबका जहाज से नहीं चलता है, जहाजों में बैठकर आप लोग आएं और आप हमारे यहां लाए,फिर जो वर्षों तक आपके शहर को चमकाने में हमारे प्रवासी मजदूर दिन रात एक किए थे उसको आप रोटी तक के लिए भी नहीं पूछते हो, बल्कि घटिया राजनीति करते हो झूठी आश्वासन देते हो फिर सोशल मीडिया पर उसका आप मजाक भी बनाते रहते हों, हालांकि सभी लोग ऐसे ही नहीं करते बहुत से लोग आज भी मानवता के रास्ते पर चलते हुए जरूरतमंद लोगों को मदद दे रहे हैं, आज आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप भी अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी जरूरतमंद आपके आंखों से दिखे तो जरूर आगे बढ़कर उसका साथ दे।


डॉ. विक्रम चौरसिया (क्रांतिकारी)

हृदय रोगों और आँखों के संक्रमण रोके औषधीय घटक - पुनर्नवा

यह एक ऐसी वनस्पति है जिसे पुनर्नवा के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के जानकार इसे एक प्रचलित औषधि के रूप में सदियों से प्रयोग कराते आ रहे हैं ।पुनर्नवा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह पुर्न यानि दुबारा नवा अर्थात नई यानि जो शरीर मे नवीन कोशिकाओं को जन्म दे नूतनता लाये ऐसी वनस्पति पुनर्नवा है।लेटिन में इसे बोरहावीया डिफ्युजा के नाम से जाना जाता है।इसकी दो प्रजातियां होती है एक श्वेत पुनर्नवा और दूसरी रक्त पुनर्नवा।अभी बारिश के मौसम के इसके छोटे पौधे निकलते है जो 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं और जमीन पर फैलते हैं।इसके नामके साथ एक और रोचक पहलू है सूखा हुआ पुनर्नवा का पौधा बरसात आने पर फिर से नया जीवन प्राप्त कर लेता है इन्ही गुणों के कारण प्राचीन ऋषियों ने इसका नाम पुनर्नवा रखा हो।

*विभिन्न भाषाओं में नाम -* संस्कृत- पुनर्नवा। हिन्दी- सफेद पुनर्नवा, विषखपरा, गदपूरना। मराठी- घेंटूली। गुजराती- साटोडी। बंगला-श्वेत पुनर्नवा, गदापुण्या। तेलुगू- गाल्जेरू। कन्नड़-मुच्चुकोनि। तमिल- मुकरत्तेकिरे, शरून्नै। फारसी- दब्ब अस्पत। इंग्लिश- स्प्रेडिंग हागवीड। लैटिन- ट्रायेंथिमा पोर्टयूलेकस्ट्रम।
*गुण -* श्वेत पुनर्नवा चरपरी, कसैली, अत्यन्त आग्निप्रदीपक और पाण्डु रोग, सूजन, वायु, विष, कफ और उदर रोग नाशक है।
*रासायनिक संघटन*- इसमें पुनर्नवीन नामक एक किंचित तिक्त क्षाराभ (0.04 प्रतिशत) और पोटेशियम नाइट्रेट (0.52 प्रतिशत) पाए जाते हैं। भस्म में सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट और क्लोरेट पाए जाते हैं।
*परिचय*- यह भारत के सभी भागों में पैदा होती है। इसकी जड़ और पंचांग का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। सफेद और लाल पुनर्नवा की पहचान यह है कि सफेद पुनर्नवा के पत्ते चिकने, दलदार और रस भरे हुए होते हैं और लाल पुनर्नवा के पत्ते सफेद पुनर्नवा के पत्तों से छोटे और पतले होते हैं। यह जड़ी-बूटियां बेचने वाली दुकान पर हमेशा उपलब्ध रहती है।श्वेत पुनर्नवा अत्यंत ही औषधि गुणों से युक्त होती है जबकि रक्त पुनर्नवा आपको अपने आसपास ही सड़कों के किनारे लगी मिल जाएगी।पुनर्नवा का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का एल्केलायड है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है। इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है। अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है। पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है। इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं। अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं। इन्हीं के कारण यह अपना अद्भुत औषध गुण दर्शाती है। कहा गया है-- 
*पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा ।*
जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है ‘पुनर्नवा’ ।
अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से यह पूरी दुनिया मे जानी जाती है ।
मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों आदि में फायदेमंद है l
*आँखों के लिए लाभ*--
आँखो के फूल जाने पर या सूजन आने पर पुनर्नवा की जड़ घी में घिसकर आंखों पर लगाएं। सूजन में राहत मिलेगी। पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर लगाने से आंखों में होने वाली खुजली दूर होती है। आंखों से पानी आने पर पुनर्नवा की जड़ को शहद के साथ घिसकर लगाने से यह परेशानी दूर हो जाती है। पुनर्नवा की जड़ को कांजी में घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी की समस्या में लाभ मिलता है। मोतियाबिंद के लिए पुनर्नवा की जड़ को पानी के साथ पीस लें। अब इस पेस्ट को आईलाइनर के रूप में लगाएं। इसका नियमित रूप से उपयोग करने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
*किडनी के लिये लाभप्रद-*
किडनी से जुड़ी बीमारियों के खतरे को दूर करने के लिए पुनर्नवा का सेवन करें। एक शोध के मुताबिक पुनर्नवा के पौधे और कुछ अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर बीमार किडनी को स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसके सेवन से किडनी से जुड़ी बीमारी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
*ब्लड प्रेशर और हार्ट स्ट्रोक में*-
इन दिनों ब्लड प्रेशर की समस्या लोगों के बीच लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेदिक औषधि पुनर्नवा का इस्तेमाल कर आप इस परेशानी को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए पुनर्नवा पाउडर को आप शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है तो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकती है। बता दें कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे हार्टअटैक और हार्ट स्ट्रोक की समस्या होने का खतरा रहता है।
*यूरीन इन्फेक्शन की समस्या को दूर करें*-
सही खानपान नहीं होने की वजह से अक्सर लोगों को यूरिन इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। इस बीमारी से पुरुषों के साथ महिलाएं भी प्रभावित होती हैं। इस स्थिति में पुनर्नवा एक औधषि के रूप में काम करता है। इसका सेवन करने से यूरिन के रास्ते को साफ करन में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह यूरिन संबंधित संक्रमण के खतरे से भी बच सकते हैं।
*एंटी एजिंग गुण बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोके -*
बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए लोग तरह तरह उपाय आजमाते हैं, लेकिन पुनर्नवा में एंटी एजिंग गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके लाभ पाने के लिए एक चम्मच पुनर्नवा पाउडर एक ग्लास पानी में मिलाकर पिएं। इसे आप हफ्ते में दो से तीन बार पी सकते हैं। यह त्वचा में निखार और कसाव उत्पन्न करने का काम करता है।
*पाचन को ठीक करे –* 
यदि आपको पाचन से संबंधित कोई बीमारी है, तो आपको इसका रोज़ाना एक चम्मच सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से पेट संबंधी सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।
*चर्मरोग से छुटकारा पाएं –*
 यदि किसी को चर्मरोग, दाग या धब्बे हैं, तो वह उस स्थान पर पुनर्नवा के जड़ को पीसकर लगाए। कुछ दिन में ही इसका असर दिखने लगेगा।
*वजन कंट्रोल करे –*
 पुनर्नवा के सेवन से आपका वजन बिल्कुल कंट्रोल रहेगा। यानि आप न ज्यादा मोटे होंगे और न ही ज्यादा पतले होंगे, बल्कि आपका वजन एकदम परफेक्ट रहेगा।
*हृदय के लिए फायदेमंद-*
पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो हृदय से जुड़ी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। दिल की बीमारी या सेहतमंद रखने के लिए पुनर्नवा का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। बता दें कि हृदय से जुड़े कई तरह की बीमारियों को पुनर्नवा की मदद से दूर कर सकते हैं।
*कैंसर से निज़ात –*
 पुनर्नवा की जड़े और पत्ते कैंसर के मरीज़ों के लिए वरदान है। जी हां, इसके इस्तेमाल से बॉडी में नयी कोशिकाएं बनने लगती हैं और धीरे धीरे कैंसर से लड़ने में मरीज़ कामयाब हो जाता है।
*पथरी से निज़ात-*
 यदि किसी को पथरी है, तो वह पुनर्नवा रोज़ाना शाम और सुबह को दूध में मिलाकर पीएं। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में पथरी पैशाब के रास्ते से बाहर निकल जाएगी।
*पीलिया से निज़ात –*
यदि किसी को पिलिया हुआ हो तो वह पुनर्नवा का इस्तेमाल शहद के साथ करे, ऐसा करने से जल्दी ही आराम मिल जाएगा।
*फोड़ा फुंसी आदि –*
 यदि किसी को फोड़ा फुंसी आदि हुआ हो तो पुनर्नवा को देसी घी में मिलाकर रोज़ाना पीएं, जल्दी ही फायदा मिलेगा।
*बवासीर –*
 यदि किसी को बवासीर है, तो वह पुनर्नवा को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पीए, इससे फौरन ठीक हो जाएगा।
*जोड़ो का दर्द –*
 यदि आप जोड़ो के दर्द से परेशान है तो आपको पुनर्नवा का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे जल्दी आराम मिलेगा।
*खून साफ होगा –*
 पुनर्नवा के इस्तेमाल से खून साफ हो जाता है और इससे जुड़ी तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इसके अलावा बहुत से रोगों में पुनर्नवा का इस्तेमाल होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियाँ सामान्य मान्यताओं पर आधारित है।आप सेवन से पहले अपने डाॅक्टर या विशेषज्ञ से सलाह अरुर लें।


*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय  एवं*
*4. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष - वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

श्मशान में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र सब जल रहे हैं पास-2*

 ऐसी विपदा तो सौ सालों में,कभी नहीं थी आई।

कैसा ये परिदृश्य बना है, टीवी देखें आये रुलाई।

इंसानों ने विकास हेतु,किया प्रकृति से खिलवाड़।
वृक्ष एवं जंगल सब काटे,बंद ऑक्सीजन किवाड़।

बड़े बड़े तालाबों को पाटा,बिल्डर्स का है ये धंधा।
खनन माफियाओं का भी,काम हुआ नहीं ये मंदा।

वृक्षारोपण किए नहीं हैं,प्रदूषण भी ऐसा फैलाया।
साँस भी लेना दूभर है,कोरोना ने ऐसे पैर फैलाया।

पिघल रहा ग्लेशियर,ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है।
भू जल भी क्षरण हो रहा,ऊर्जा ह्रास का असर है।

अपनी करनी का ये फल,मानव ही भोगा-भोगे गा।
धरती पर तो शुकून नहीं,हर घर में रोग है भोगे गा।

इन सब झंझावातों से कैसे,इंसान कोई संघर्ष करे।
आजिज आ गया है ये,इंसा कोविड से संघर्ष करे।

कितनी जानें रोज जा रहीं, हर तरफ है हाहाकार।
आपदा में भी अवसर का,कर रहे लोग हैं व्यापार।

नहीं रह गई इंसानियत कोई,ब्लैक में बेंचते दवाई।
लाशों का ढ़ेर लगा है,अस्पताल में बेड है न दवाई।

शमशान में जाते ही,मिट ये गया है सब छुआछूत।
पास पास ही जल रहे हैं,ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र।

राजनीति लाशों पर भी होये,कितनी है ये बेहयाई।
किसी नेता को भी बिलकुल,इसमें शर्म नहीं आई।

कभी-2 मरने वाले के दरवाजे,पे पहुँच भले जाते।
नेतागण दिखावे में अपना भी,ये शोक जता जाते।

डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*

वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

लडकियों को तहजीब सीखाएं- मायके पक्ष

हमारे सनातन धर्म में कहा गया है लड़की का सुहागन होना और ससुराल में होना शुभ है ,और संस्कारिक मर्यादा भी।लेकिन आज कल के माॅम डैड ने इसे वर्बाद कर रखा है।सबसे ज्यादा विकट स्थिति का माध्यम फोन का घंटो तक आदान प्रदान होना।जिस किसी घर में ऐसी बीमारी लगी है वह घर रिश्ते की लिहाज से दम तोड़ चुके हैं । जबसे यह आधुनिक फोन का प्रचलन बढा है मायके का हस्तक्षेप बढता गया है। जिसे कोई खुद्दार पति शायद बर्दाश्त नहीं करता और यही सम्बन्धों की एक दीवार खड़ी करती है जो आये दिन अदालतें थाने और विभिन्न आयोग के बढ़ती फाइलों में दम तोड़ रही है।

प्राचीन काल में ऐसा बिल्कुल नहीं था रिश्तों की एक बुनियाद होती थी ।मायके पक्ष कभी भी नादानी या ओछी बात नही करते थे बल्कि अपने बच्ची को समझाते थे ।जिससे रिश्ता प्रगाढ और निरंतर बना रहता था।जब कोई खास आयोजन में उनसे राय मांगी जाती थी तो वे मशवरा देते थे आज बिल्कुल अलग है ।आज दाल में नमक अधिक हो गया अगर पति ने डांट दी तो पति को डाटने के लिए प्रोग्राम बनाया जाता है जिसका माध्यम भी मोबाइल ही है जबकि पहले लोग हंसकर उड़ा डालते थे। यही फर्क है आज के इस नयी पीढी में जिसकी वजह से नौबत तालाक तक पहुंच जाती है।घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की सारे हदें पार कर चुका यह समाज अब पतन की कगार पर खड़ा है जिसकी वजह है एकल मानसिकता से ग्रसित लडकियां शादी के बाद सिर्फ एकल परिवार को बढावा दे रही है।

ऐसा नही कि एकल होने के बाद यह सिलसिला समाप्त हो जाता है अपितु बढ़ जाता है।कई पुरूष चुपचाप सहकर जीवन निर्वाह कर लेते है तो कई डिप्रेशन के शिकार हो जाते है।क्योंकि कलह की निरंतरता बनी रहती है।आज अदालतों में सबसे ज्यादा मुकदमे तालाक के है,महिला थाना में परिवारवाद की केस की संख्या इतनी ज्यादा है कि नम्बर आने में महीनो लग जाते है।महिला आयोग मानवाधिकार आयोग में भी प्रायः यही स्थिति है।
अब सवाल उठता है ऐसा क्यों है ऐसा इसलिए है क्योंकि ""एको अहम द्वितीयो नाश्ती। की मानसिकता जब पनपने लगती है तो सामने वाला बडा हो बुजुर्ग हो अथवा गेस्ट हो आप तरजीह नही देते और अपनी बात को सबसे उपर रखते है ।आप समझने की कोशिश नही करते कि आपकी बच्ची सही है या दामाद आप सिर्फ और सिर्फ अपनी एको हम द्वितीयो नाश्ती की परिभाषा को परिभाषित करते है जिससे सम्बन्ध विच्छेद होता है।
 युग कितना भी बदल जाय पर संस्कार तो घर और परिवार ही देता है और जब एकल परिवार ही रहेगा तो संस्कार कहां से आएगा ।यह आज की वास्तविकता है जिसे स्वीकार करना होगा।रिश्ते करने से पहले यह एक आवश्यक पहलू है जिसे हरकोई देखता है। मायके का बढ़ता प्रचलन विगत दशको से खूब फल फूल रहा जरूरत से ज्यादा उनकी भागीदारी ससुराल पक्ष में भी कटुता पैदा करता है ।यह भी घरेलू हिंसा का एक कारण है।कारण अनेको हैं जिसे समझने की जरूरत है।
देखा जाय तो संयुक्त परिवार का विधटन ऐसे तमाम परेशानियों को जन्म दे गया जो आज समाज में अभिशाप बना हुआ है। हमारे हिन्दु समाज में तालाक महिला थाना या महिला आयोग नही हुआ करती थी । इन सभी चीजो को बढ़ती घटनाओ को देखकर समयानुसार बनाया गया है।अलग कानून बनाकर महिला को सशक्त किया गया है ।लेकिन ऐसी सशक्तिकरण का क्या जहां पुरूष प्रताडित होते रहे।
आज महिला प्रताड़ना से ज्यादा पुरूष प्रताडित किए जाते है ।पुरूष की हालत ऐसी है कि वह चाहकर भी अपनी बात किसी से नही करता जबकि हकीकत तो सभी जानते हैं ।आखिर सरकार द्वारा बनाये गये कानून का कोई सदुपयोग करे यह सुनिश्चित भी तो नही क्योंकि शातिर दिमाग दुरूपयोग की ज्यादा सोच रखता है। आज ऐसे करोडो पुरूष है जो किसी न किसी रूप से अपनी पत्नी अथवा किसी महिला द्वारा प्रताडित है। क्या सरकार पुरूष आयोग बनाएगी ? वैसे कईयों को महिला कानून के गलत इस्तेमाल पर दंड भी दिया गया है लेकिन इसकी तादाद कम है।इसलिए मां बाप लड़कियों को मन विषैला करने के वजाय ससुराल में रहने का तरीका सीखाना चाहिए।तभी इन अदालतों का बोझ कम हो सकेगा।
                                             आशुतोष 
                                           पटना बिहार