Tuesday, May 18, 2021

हृदय रोगों और आँखों के संक्रमण रोके औषधीय घटक - पुनर्नवा

यह एक ऐसी वनस्पति है जिसे पुनर्नवा के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के जानकार इसे एक प्रचलित औषधि के रूप में सदियों से प्रयोग कराते आ रहे हैं ।पुनर्नवा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह पुर्न यानि दुबारा नवा अर्थात नई यानि जो शरीर मे नवीन कोशिकाओं को जन्म दे नूतनता लाये ऐसी वनस्पति पुनर्नवा है।लेटिन में इसे बोरहावीया डिफ्युजा के नाम से जाना जाता है।इसकी दो प्रजातियां होती है एक श्वेत पुनर्नवा और दूसरी रक्त पुनर्नवा।अभी बारिश के मौसम के इसके छोटे पौधे निकलते है जो 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं और जमीन पर फैलते हैं।इसके नामके साथ एक और रोचक पहलू है सूखा हुआ पुनर्नवा का पौधा बरसात आने पर फिर से नया जीवन प्राप्त कर लेता है इन्ही गुणों के कारण प्राचीन ऋषियों ने इसका नाम पुनर्नवा रखा हो।

*विभिन्न भाषाओं में नाम -* संस्कृत- पुनर्नवा। हिन्दी- सफेद पुनर्नवा, विषखपरा, गदपूरना। मराठी- घेंटूली। गुजराती- साटोडी। बंगला-श्वेत पुनर्नवा, गदापुण्या। तेलुगू- गाल्जेरू। कन्नड़-मुच्चुकोनि। तमिल- मुकरत्तेकिरे, शरून्नै। फारसी- दब्ब अस्पत। इंग्लिश- स्प्रेडिंग हागवीड। लैटिन- ट्रायेंथिमा पोर्टयूलेकस्ट्रम।
*गुण -* श्वेत पुनर्नवा चरपरी, कसैली, अत्यन्त आग्निप्रदीपक और पाण्डु रोग, सूजन, वायु, विष, कफ और उदर रोग नाशक है।
*रासायनिक संघटन*- इसमें पुनर्नवीन नामक एक किंचित तिक्त क्षाराभ (0.04 प्रतिशत) और पोटेशियम नाइट्रेट (0.52 प्रतिशत) पाए जाते हैं। भस्म में सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट और क्लोरेट पाए जाते हैं।
*परिचय*- यह भारत के सभी भागों में पैदा होती है। इसकी जड़ और पंचांग का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। सफेद और लाल पुनर्नवा की पहचान यह है कि सफेद पुनर्नवा के पत्ते चिकने, दलदार और रस भरे हुए होते हैं और लाल पुनर्नवा के पत्ते सफेद पुनर्नवा के पत्तों से छोटे और पतले होते हैं। यह जड़ी-बूटियां बेचने वाली दुकान पर हमेशा उपलब्ध रहती है।श्वेत पुनर्नवा अत्यंत ही औषधि गुणों से युक्त होती है जबकि रक्त पुनर्नवा आपको अपने आसपास ही सड़कों के किनारे लगी मिल जाएगी।पुनर्नवा का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का एल्केलायड है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है। इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है। अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है। पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है। इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं। अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं। इन्हीं के कारण यह अपना अद्भुत औषध गुण दर्शाती है। कहा गया है-- 
*पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा ।*
जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है ‘पुनर्नवा’ ।
अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से यह पूरी दुनिया मे जानी जाती है ।
मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों आदि में फायदेमंद है l
*आँखों के लिए लाभ*--
आँखो के फूल जाने पर या सूजन आने पर पुनर्नवा की जड़ घी में घिसकर आंखों पर लगाएं। सूजन में राहत मिलेगी। पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर लगाने से आंखों में होने वाली खुजली दूर होती है। आंखों से पानी आने पर पुनर्नवा की जड़ को शहद के साथ घिसकर लगाने से यह परेशानी दूर हो जाती है। पुनर्नवा की जड़ को कांजी में घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी की समस्या में लाभ मिलता है। मोतियाबिंद के लिए पुनर्नवा की जड़ को पानी के साथ पीस लें। अब इस पेस्ट को आईलाइनर के रूप में लगाएं। इसका नियमित रूप से उपयोग करने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
*किडनी के लिये लाभप्रद-*
किडनी से जुड़ी बीमारियों के खतरे को दूर करने के लिए पुनर्नवा का सेवन करें। एक शोध के मुताबिक पुनर्नवा के पौधे और कुछ अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर बीमार किडनी को स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसके सेवन से किडनी से जुड़ी बीमारी के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
*ब्लड प्रेशर और हार्ट स्ट्रोक में*-
इन दिनों ब्लड प्रेशर की समस्या लोगों के बीच लगातार बढ़ रही है। आयुर्वेदिक औषधि पुनर्नवा का इस्तेमाल कर आप इस परेशानी को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए पुनर्नवा पाउडर को आप शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है तो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकती है। बता दें कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे हार्टअटैक और हार्ट स्ट्रोक की समस्या होने का खतरा रहता है।
*यूरीन इन्फेक्शन की समस्या को दूर करें*-
सही खानपान नहीं होने की वजह से अक्सर लोगों को यूरिन इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। इस बीमारी से पुरुषों के साथ महिलाएं भी प्रभावित होती हैं। इस स्थिति में पुनर्नवा एक औधषि के रूप में काम करता है। इसका सेवन करने से यूरिन के रास्ते को साफ करन में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह यूरिन संबंधित संक्रमण के खतरे से भी बच सकते हैं।
*एंटी एजिंग गुण बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोके -*
बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए लोग तरह तरह उपाय आजमाते हैं, लेकिन पुनर्नवा में एंटी एजिंग गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके लाभ पाने के लिए एक चम्मच पुनर्नवा पाउडर एक ग्लास पानी में मिलाकर पिएं। इसे आप हफ्ते में दो से तीन बार पी सकते हैं। यह त्वचा में निखार और कसाव उत्पन्न करने का काम करता है।
*पाचन को ठीक करे –* 
यदि आपको पाचन से संबंधित कोई बीमारी है, तो आपको इसका रोज़ाना एक चम्मच सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से पेट संबंधी सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।
*चर्मरोग से छुटकारा पाएं –*
 यदि किसी को चर्मरोग, दाग या धब्बे हैं, तो वह उस स्थान पर पुनर्नवा के जड़ को पीसकर लगाए। कुछ दिन में ही इसका असर दिखने लगेगा।
*वजन कंट्रोल करे –*
 पुनर्नवा के सेवन से आपका वजन बिल्कुल कंट्रोल रहेगा। यानि आप न ज्यादा मोटे होंगे और न ही ज्यादा पतले होंगे, बल्कि आपका वजन एकदम परफेक्ट रहेगा।
*हृदय के लिए फायदेमंद-*
पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो हृदय से जुड़ी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। दिल की बीमारी या सेहतमंद रखने के लिए पुनर्नवा का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। बता दें कि हृदय से जुड़े कई तरह की बीमारियों को पुनर्नवा की मदद से दूर कर सकते हैं।
*कैंसर से निज़ात –*
 पुनर्नवा की जड़े और पत्ते कैंसर के मरीज़ों के लिए वरदान है। जी हां, इसके इस्तेमाल से बॉडी में नयी कोशिकाएं बनने लगती हैं और धीरे धीरे कैंसर से लड़ने में मरीज़ कामयाब हो जाता है।
*पथरी से निज़ात-*
 यदि किसी को पथरी है, तो वह पुनर्नवा रोज़ाना शाम और सुबह को दूध में मिलाकर पीएं। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में पथरी पैशाब के रास्ते से बाहर निकल जाएगी।
*पीलिया से निज़ात –*
यदि किसी को पिलिया हुआ हो तो वह पुनर्नवा का इस्तेमाल शहद के साथ करे, ऐसा करने से जल्दी ही आराम मिल जाएगा।
*फोड़ा फुंसी आदि –*
 यदि किसी को फोड़ा फुंसी आदि हुआ हो तो पुनर्नवा को देसी घी में मिलाकर रोज़ाना पीएं, जल्दी ही फायदा मिलेगा।
*बवासीर –*
 यदि किसी को बवासीर है, तो वह पुनर्नवा को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पीए, इससे फौरन ठीक हो जाएगा।
*जोड़ो का दर्द –*
 यदि आप जोड़ो के दर्द से परेशान है तो आपको पुनर्नवा का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे जल्दी आराम मिलेगा।
*खून साफ होगा –*
 पुनर्नवा के इस्तेमाल से खून साफ हो जाता है और इससे जुड़ी तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इसके अलावा बहुत से रोगों में पुनर्नवा का इस्तेमाल होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियाँ सामान्य मान्यताओं पर आधारित है।आप सेवन से पहले अपने डाॅक्टर या विशेषज्ञ से सलाह अरुर लें।


*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय  एवं*
*4. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष - वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

No comments:

Post a Comment