मिट्टी के बर्तनों से टूटता नाता:-
हिमाचल प्रदेश मण्डी जिला के पांगणा उप-तहसील मुख्यालय से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित तोगड़ा गांव देवी-देवताओं के देवगण "तोगड़ा" के कारण तोगड़ा नाम से जाना जाता है।"तोगड़ा" शब्द दिव्य शक्ति सम्पन्न देवगण के लिए व्यवहृत होता है।यह लोकोपकारी देवगण कुचाली स्वभाव का माना गया है।देवगण तोगड़ा अपने अनुयायियों की मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव के पास धार,डूंघरु,कणाओग,मंशवाड़ा,फरै टल,सराई, देहरी आदि उप-गाँव हैं।तोगड़ा गांव कुम्हारों का गांव है।तोगड़ा निवासी मेहर चंद शर्मा का कहना है कि जनश्रुति है कि रियासती काल में मस्ता नामक ब्राह्मण के पुत्र घुइंया ने कुम्हारों को यहाँ लाकर बसाया था।जवाहर नामक कुम्हार ने सबसे पहले तोगड़ा में बर्तन बनाने शुरू किए।सम्पूर्ण पांगणा के साथ लगते,नाचण,सुंदर नगर,सराज के शिकारी देवी से सटे ऊपरी क्षेत्र के गांवों में तोगड़ा के बने घड़े,घड़ोलु,पारू,ढोरणु,संजीउठि या,दीपक,सींजीए,चीड़ के पेड़ों का बिरोजा निकालने में प्रयुक्त होने वाले गमले आदि की बहुत मांग रहती थी।आज तोगड़ा मे मिट्टी के बर्तन निर्माण से जुड़े एक मात्र कुम्हार इन्द्