Saturday, October 24, 2020

अम्बे माँ का जगराता

          हमेशा की तरह हाथ में कपड़ो से भरा हुआ पुराना बैग लिए राजू के पड़ोस की सरोज अम्मा उसके पास से जा रही थी।सरोज रोज के मुकाबले आज बहुत ही खुश नजर आ रही थी।आमतौर पर सरोज के चेहरे पर हमेशा एक मंद मुस्कान दिखाई देती थी।लेकिन आज उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर राजू ने उनसे पूछ ही लिया - अम्मा आज तो बहुत खुश नजर आ रही हो।क्या बात है?

         सरोज हापुड़ के एक सरकारी मकान में काफी समय से अकेले रहती थी।सरोज के पति का जब स्वर्गवास हुआ तब वो एक सरकारी जॉब पर थे।उनका बेटा भी मुजफ्फरनगर में एक बहुत ही अच्छे सरकारी पद पर कार्यरत है और काफी संपन्न है।लेकिन राजू ने देखा की उनका बेटा काफी समय से उनसे मिलने आया नहीं है और ना ही उसने सरोज को कभी अपने बेटे के पास जाते हुए देखा।

           लेकिन सरोज को देखकर कभी भी नहीं लगता कि सरोज किसी भी वजह से परेशान है।चाहे वह आज इतनी खुश हो या ना हो लेकिन उनके चेहरे पर एक मीठी मुस्कान हमेशा रहती है।अक्सर पड़ोस में चर्चाएं रहती हैं कि इतनी अच्छी सैलरी पर इनका बेटा कार्यरत है।लेकिन सरोज कुछ ना कुछ काम करते हुए अपने आपको हमेशा व्यस्त रखती है।कभी आसपास के दर्जियों के कमीशन बेस पर सूट सलवार या लेडीज कपड़े सिल देना या छोटे बच्चों को ट्यूशन दे देना।

           हमेशा सरोज को यही कहते पाया है।बेटा पैसे तो बहुत भेजता रहता है।लेकिन मेरा समय ही नहीं कटता है।इसलिए कुछ ना कुछ करती रहती हूँ।जिससे समय कटता रहे।पति के देहांत के बाद लगभग 4 वर्ष से सरोज की यही दिनचर्या है।बेटा अपने सरकारी कामों में इतना व्यस्त रहता है कि कभी आ ही नहीं पाता।लेकिन सरोज के माथे पर कभी भी इस बात की शिकन नहीं आती कि उसका बेटा उससे मिलने नहीं आ पाता।

          बस उसे तो इसी बात की खुशी है कि वह रोज अपने बेटे और बहु से फोन पर बात कर लेती है। लेकिन आज सरोज के चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिख रही है।राजू का सवाल सुनकर सरोज ने राजू को अपने पास बैठा लिया और बड़े ही प्यार से उसे बताया।कल रात पोती जया का फोन आया था।उसने बताया पापा आखरी नवरात्रि वाले दिन जगराता करा रहे हैं।

          उसने कहाँ अम्मा अब हम आपसे काफी दिनों बाद मिल पाएंगे। जब हम लोग आपको छोड़कर मुजफ्फरनगर आए थे।तब मैं 6 साल की थी।आज पूरे 10 साल की हो गई हूँ।अक्सर आपके उसी लाड प्यार की याद आती है।आप नवरात्रि के बाद जगराते वाले दिन आओगी तो मैं आपको अपने पास से जाने नहीं दूंगी। यह बताते हुए सरोज की आंखों में आंसू आ गए।राजू बेटा, मैं बहुत भाग्यवान हूं जो मुझे ऐसे बेटा-बहू और पोता-पोती मिले हैं।जो मुझसे रोज बात करते हैं।

          खैर धीरे-धीरे नवरात्रि का समय बीता और आखरी नवरात्रा आ ही गया।नवरात्रि खत्म होने के बाद भी अम्मा को घर पर ही देख कर राजू ने पूछ लिया।अम्मा क्या हुआ आप तो बेटे के पास जाने वाली थी।4 साल से अपने अंदर सारे दुखों को समेटे हुए चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए हुए सरोज से अब रहा नहीं गया और उसकी आंखें छलक आई और सरोज जोर-जोर से रोने लगी।

          राजू समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या हुआ है।हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए रहने वाली सरोज अचानक क्यों रोने लगी।उसने अम्मा को रसोई से पानी लाकर दिया और पानी पिलाने के बाद पूछा , अम्मा क्या बात हो गई? बेटा - बहू सब ठीक है ना,कुछ अपशकुन तो नहीं हुआ है। 4 साल अपने अंदर दुख समेटे सरोज ने आखिर राजू को बताना शुरू किया।

           बेटा जब से मेरे बेटा-बहू और पोता-पोती मुजफ्फरनगर गए हैं।मुझे कोई भी फोन नहीं करता और मैं अपने घर का मान-सम्मान पड़ोस में बनाये रखने के लिए हमेशा झूठ बोलती रहती हूँ।कि मुझे रोज सबका फोन आता है।तब राजू ने अम्मा से पूछा अम्मा फिर आपको कहाँ से पता चला कि आपका बेटा जगराता करवाने वाला है।

          सरोज ने कहाँ-बेटा मुजफ्फरनगर जहाँ मेरे बेटा रहता हैं वहीं पड़ोस में मेरे जानने वाले रहते हैं। बस वही लोग मुझे उनके बारे में बताते रहते हैं।बेटे ने जगराता करा लिया और अपनी माँ को बुलाया भी नही।लेकिन मुझे इस बात की तसल्ली है कि मेरे बेटा -बहु सब कुशलता से है।माँ जगदंबे से यही अरदास करती हूँ वो उन्हें हमेशा खुश रखे।

          सरोज ने राजू को सब बता तो दिया लेकिन उन्होंने राजू को कसम दी।कि वह आज की सारी बातों को किसी को नहीं बतायेगा।राजू पूरा घटनाक्रम सुनकर अपने घर की तरफ चल पड़ा।इस घटना के काफी दिनों बाद सरोज पहले की तरह ही हमेशा मुस्कुराते हुए दिखती है।लेकिन अब सरोज की मुस्कुराहट के पीछे छुपे दर्द को वह साफ पहचान लेता है।

आज समाज के भीतर पनप रहे रावण को जलाने की जरूरत 

आज हर तरफ फैले भ्रष्टाचार और अन्याय रूपी अंधकार को देखकर मन में हमेशा उस उजाले को पाने की चाह रहती है, जो इस अंधकार को मिटाए। कहीं से भी कोई आस न मिलने के बाद हम अपनी संस्कृति के ही पन्नों को पलट आगे बढ़ने की उम्मीद करते हैं।

 

रावण को हर वर्ष जलाना असल में यह बताता है कि हिंदू समाज आज भी गलत का प्रतिरोधी है। वह आज भी और प्रति दिन अन्याय के विरुद्ध है। रावण को हर वर्ष जलाना अन्याय पर न्यायवादी जीत का प्रतीक है, कि जब जब पृथ्वी पर अन्याय होगा हिन्दू संस्कृति  उसके विरुद्ध रहेगी।

 

आतंकवाद, गंदगी, भ्रष्टाचार और महंगाई आदि बहुमुखी रावण है। आज के समय में ये सब रावण के प्रतीक हैं। सबने रामायण को किसी न किसी रुप में सुना, देखा और पढ़ा ही होगा। रामायण यह सीख देती है कि चाहे असत्य और बुरी ताकतें कितनी भी प्रबल हो जाएं, पर अच्छाई के सामने उनका वजूद उनका अस्तित्व नहीं टिकेगा। अन्याय की इस मार से मानव ही नहीं भगवान भी पीड़ित हो चुके हैं लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का साथ दिया है ।

 

दशहरा का पर्व दस प्रकार के पाप : काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को हरता है। दशहरे का पर्व इन्हीं पापों के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। राम और रावण की कथा तो हम सब जानते ही हैं, जिसमें राम को भगवान विष्णु का एक अवतार बताया गया है। वे चाहते तो अपनी शक्तियों से सीता को छुड़ा सकते थे, लेकिन मानव जाति को यह पाठ पढ़ाने के लिए कि - "हमेशा बुराई अच्छाई से नीचे रहती है और चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यूं न हो एक दिन मिट ही जाता है” उन्होंने ऐसा नहीं किया।

 

यह बुराई केवल स्त्री हरण से जुड़ी नहीं है। आज तो हजारों स्त्रियों का हरण होता है, कुछ लोग एक दलित को जिंदा जला देते हैं, बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं, देश में शराबखोरी और ड्रग्स की लत से युवा घिरे हुए हैं। वे युवा जिन्हें 21 वीं सदी में भारत को सिरमौर बनाने की जिम्मेदारी उठाने वाला कहा जाता है वे ड्रग्स की लत से ग्रस्त हैं। 

   

हमने रावण को मारकर दशहरे के अंधकार में उत्साह का उजाला तो फैला दिया, लेकिन क्या हम इन बुराईयों को दूर कर पाए हैं? दशहरा उत्सव अपने उद्देश्य से भटक गया है। अब दशहरे पर केवल शोर होता है और कुछ घंटों का उत्साह मगर लोग आज भी उन बुराईयों के बीच जीते हैं। इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है। 

 

धन पाने की लालसा में व्यक्ति लगा रहता है और बुराईयों के जाल में उलझ जाता है। इस पर्व में भी रावण के पुतले के दहन के साथ ही समाज उसकी बुराईयों को देखता है मगर उसकी अच्छाईयों को भूल जाता। इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है, लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है।

             

राम ने मानव योनि में जन्म लिया और एक आदर्श प्रस्तुत किया। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के रूप में लोग बुरी ताकतों को जलाने का प्रण लेते हैं  दशहरा आज भी लोगों के दिलों में भक्तिभाव को ज्वलंत कर रहा है। रावण विजयदशमी को देश के हर हिस्से में जलाया जाता है।

 

   साथियों वोट  देने चलो 

साथियों वोट देकर बनो लोकतंत्र का पहरेदार

वोट से करो बदलाव नेता के बदलो हाव - भाव 

आप साथी सही उम्मीदवार का करना चुनाव

भूलकर भी बेईमानों को मत देना आप भाव 

देखो साथी आपका वोट है आपकी ताकत 

हम सभी का लोकतंत्र  में यही तो ताकत है 

वोटर आईडी संग लेते जाना सुबह में ही आप

ध्यान रहे साथियों उस इंसान को देना वोट

जो हो सच्चा ईमानदार लोकतंत्र की प्रहरी हो

मतदान के दिन घर में ही आप ना रह जाना 

वरना पांच साल पड़ेगा सहना साथियों

कुछ लोग तो लोकतंत्र  का आनंद उठाते हैं

फिर ऐसे लोग वोट क्यों नहीं दे आते ?

याद रखना आप वोट से आएगा बदलाव

समाज सुधरेगा, कम होगा तनाव साथी

लोकतंत्र की लाज बचाने वालों की पहचान करो

घर से निकलें बाहर आए मिलकर मतदान करो

अगर कुछ ना समझ में आए तो नोटा ही दबा देना

 लेकिन लोकतंत्र की मजबूती के लिए वोट जरूर करें

अधिकारों की खातिर हम सभी को लड़ना होगा

चाटुकारिता व लालच से दूर सदा रहना होगा

साथियों हमें चोर-उचक्कों से क्या डरना ?

आओ हम सभी  ऐलान करें घर से निकले

मिलकर मतदान करके लोकतंत्र को मजबूत करें।।

 

Friday, October 9, 2020

रामविलास पासवान का निधन

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्री के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनके निधन से देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा। पासवान का आज 74 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके बेटे  ने ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी। उनके निधन पर मोदी ने कहा, ‘‘दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास। हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा’’ उन्होंने कहा, ‘‘रामविलास पासवान जी का निधन मेरी निजी क्षति है। मैंने अपना एक दोस्त, बहुमूल्य सहयोगी और एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया है जो हर गरीब इंसान को सम्मान का जीवन सुनिश्चित करने को लेकर बहुत भावुक थे।’’ 




कड़ी मेहनत और दृढ़ता से राजनीति में अपनी एक विशेष पहचान बनाने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के नेता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक युवा नेता के रूप में पासवान ने ‘‘आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हुए हमले और अत्याचार’’ का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने कहा, ‘‘वह एक उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे जिन्होंने नीतिगत क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।’’ वह पांच दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में थे और देश के जाने-माने दलित नेताओं में से एक थे। पासवान उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री थे।