Sunday, September 29, 2019

बुंदेलखंड के 2 लाख बुनकरों का जीवन संकट में, नहीं कोई निदान

वे जो दूसरे की मर्यादा ढकते हैं  जन्म से मृत्यु तक कपड़ा चाहिए। मनुष्य की प्रथम व अंतिम आवश्यकता को पूरा करने वाले बुंदेलखंड के 2 लाख बुनकरों का जीवन संकट में है। जिस हथियार से गांधी जी ने अंग्रेजों से लोहा लिया तथा देश को एक सूत्र में बांधा देश की स्वदेशी तरीके से अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, जिस हथियार से जाति, धर्म का भेद मिटाया। आज उस स्वावलंबी हथियार हथकरघा चरखा के चलाने वाले का जीवन संकट में है उसके चलाने वाले बुनकर आज अपनी मूलभूत जरूरते, जैसे रोटी, मकान, स्वास्थ्य, और शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं गांधी, विनोवा के अंतिम जन आजादी के 7 दशक के बाद भी अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं यदि हमें हैंडलूम को बचाना है। तो गांव गांव में रहने वाले बुनकरों को सुरक्षित रखना होगा। निपुण बुनकरों से बुनकारी सीखने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा कृषि के बाद हथकरघा ही सबसे बड़ा क्षेत्र है जो सब को रोजगार दे सकता है पढ़ा, अनपढ़ बच्चे, वृद्ध, महिला, पुरुष एवं परिवार के सभी सदस्य एक ही घर में एक ही हथकरघा में कृषि के साथ काम कर सकते हैं और करते भी रहे हैं। इस उद्योग में अपार संभावना है आजादी के पहले हैंडलूम का कार्य सभी जाति के लोग करते थे पावर लूम युग आने के बाद इस परंपरागत हथकरघा के रोजगार को बंदी के कगार पर खड़ा कर दिया।



वर्तमान में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 43 लाख बुनकर पूरे देश में बचे हैं 2011 की हथकरघा जनगणना के अनुसार 7ः बुनकरों की संख्या प्रति वर्ष घट रही है अगर बुनकर कारीगरों ने अपना हुनर छोड़ दिया तो यह कला पूरी तरीके से खत्म हो जाएगी। दुनिया का 85ः हथकरघा वस्त्र उद्योग केवल भारत में होता है वर्ष 2013 में योजना आयोग ने बुनकर को नई तरीके से परिभाषित करने को कहा आज कपड़ा मिल खड़ा हो जाने से 50 बुनकरों का काम एक आदमी एक पावर लूम में करता है जिससे 49 आदमी बेकार हो गए बुनकर हमारे समाज के इंजीनियर हैं जो बिना किसी डिग्री के अपने काम में निपुण है आज कोई भी युवा इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा क्योंकि इसमें कैरियर नहीं है ऐसा प्रचार प्रसार किया जा रहा है यह हुनर लोगों की इज्जत है  मनुष्य जन्म से के समय नंगा होता है कपड़े से उसे ढाका जाता है बुनाई हमारे देश की संस्कृति का हिस्सा थी, कला थी, साधना थी, स्वतंत्रता संग्राम की वर्दी बनने वाली कला को जीवित रखना मुश्किल हो रहा है। हथकरघा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है यह हथकरघा सम्मानजनक रोजगार देने का प्रतीक है हथकरघा चरखा कृषि से ही केवल भारत के गांव को समृद्ध किया जा सकता है।इंसान के हाथ इंसान द्वारा बनाई गई छोटी सी मशीन जो बिना बिजली के चलती है सुंदर कपड़ों का सर्जन करती बुनकर कला को जिंदा रखना होगा अभी एक आम आदमी हैंडलूम और पावर लूम के कपड़ों में फर्क नहीं जानता अभी कुछ ही वर्षों पूर्व बुंदेलखंड के झांसी मऊरानीपुर के हैंडलूम का कपड़ा पूरे भारत में दिखता था जिसमें मऊरानीपुर में करीब 2 लाख लोगों को रोजगार मिलता था। किसी जमाने में महोबा, बांदा, छतरपुर, हरपालपुर बुनाई तथा कपास के उत्पादन के केंद्र थे आज के दौर में बंद है जिन्हें पुनः शुरू करने की आवश्यकता है। बुंदेलखंड के 80ः बुनकर अपना परंपरागत हुनर त्याग कर दूसरे धंधे में लग गए हैं यदि बुंदेलखंड का पलायन रोकना है, बेरोजगारी दूर करनी है, तो पुनः हैंडलूम शुरू करना होगा।बुंदेलखंड के निवाड़ी, टीकमगढ़ बांदा के अतर्रा, खुरहंड, में किसी जमाने में बुनाई, कढ़ाई, गोला बनाना, कंघी भरना, रंगाई,धुलाई, सूत खोलना, ताना बनाना कपड़े में गांठ लगाना, धोना, प्रेस करना जैसे अनेक कार्य जो कपड़ा बनाने से एवम् बेचने से संबंधित है। गांव के करीब 300000 परिवार किसी न किसी रूप में हथकरघा रोजगार से जुड़े थे सरकार की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की नासमझी के कारण पावर लूम युग आया और साथ ही बुंदेलखंड में प्राकृतिक आपदा ने प्रवेश किया। एक ओर जहां बाजार मंदी के दौर से गुजरा वहीं बुंदेलखंड में पानी संकट होने के कारण बुंदेलखंड सूखे की चपेट में आ गया और यहीं से बुनकरों का जीवन संकट में पड़ने लगा। बुंदेलखंड का भू-भाग केवल प्राकृतिक जल वर्षा पर निर्भर है पिछले 20 वर्षों से लगातार बुंदेलखंड सूखे की मार झेल रहा है यहां के निवासियों का जीवन यापन का सबसे बड़ा सहारा केवल कृषि है। सरकार की उदासीनता के कारण ना तो किसानों को समय पर सहयोग मिला और ना ही बुनकरों को अपने जीवन यापन के लिए कोई समाधान हुआ। गरीब किसान और बुनकर अपने परिवार को पलायन के लिए देश के महानगर दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब आदि दूसरे शहरों में मजबूरी मे मजदूरी करने के लिए पलायन कर रहा है। गांव के गांव खाली हो रहे हैं केवल वृद्धजन और बच्चे ही गांव में देखने को मिल रहे हैं प्रतिदिन 5000 लोग रेल बस या विभिन्न साधनों से बुंदेलखंड से पलायन कर रहे हैं यदि सरकार बुनकरों को नई तकनीक पर हैंडलूम क्रियाशील पूंजी प्रशिक्षण पुनः दे तो यह परंपरागत रोजगार बुंदेलखंड में खड़ा हो सकता है। किसान की भांति बुनकरों के लिए बुनकर क्रेडिट कार्ड बनाने की जरूरत है बुनकरों द्वारा बुने गए कपड़े का मूल्य बुनकर स्वयं तय करें बुनकर द्वारा बुने गए कपड़े को रोज मिलिट्री हॉस्पिटल, सरकारी स्कूलों, दफ्तरों, मल्टीनेशनल कंपनियों, आंगनबाड़ी जैसे स्थानों पर सरकार  बेचने की की व्यवस्था करें सभी 1 दिन सप्ताह में हैंडलूम के कपड़े पहने नई नई तकनीक के हैंडलूम स्टैंड लूम का आविष्कार होना चाहिए जो सौर ऊर्जा से चल सके। पंजाब में बेटी को दहेज में चरखा दिया जाता है वेदों महाभारत रामायण में भी बुनाई का जिक्र है असम में जिस लड़की को बुलाई नहीं आती उसकी शादी होना मुश्किल होता है। कुरान में भी बुनाई का जिक्र है गांधी,विनोबा को यदि हमें जिंदा रखना है तो हथकरघा चरखा को जिंदा रखना होगा सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते मैंने कई गांव का और कई जिलों का भ्रमण किया जहां हजारों लोग बुनाई करते थे और आज भी बुनाई के लिए तैयार है। यह सूचना बहुत ही महत्वपूर्ण है सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए और मीडिया के लिए बुंदेलखंड के किस जिले के किस गांव में कहां पर हथकरघा संचालित था  और कहा बंद हो गया है।इसकी पूरी जानकारी हम दे सकते हैं सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते यह सूचना देना मै अपना कर्तव्य मानता हूं।  


क्या है! एक्यूपंक्चर पद्धति, एक्यूपंक्चर बिंदुओं, एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट, एक्यूपंक्चर के फायदे, और एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट

एक्यूपंक्चर के फायदे और साइड इफेक्ट


एक्यूपंक्चर । शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ लोग दवाओं की बजाय प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेकर ठीक होना चाहते हैं। एक्यूपंक्चर बीमारियों को ठीक करने का एक ऐसा ही माध्यम है जिसमे शरीर के विभिन्न बिंदुओं में सुई चुभाकर दर्द से राहत दिलाई जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको एक्यूपंक्चर पद्धति, एक्यूपंक्चर बिंदुओं, एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट, एक्यूपंक्चर के फायदे, और एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
एक्यूपंक्चर क्या है? - एक्यूपंक्चर एक चिकित्सीय क्रिया  है जिसमें शरीर के कुछ विशेष प्वाइंट में सूई चुभाकर उन्हें उत्तेजित किया जाता है। सूई आमतौर पर त्वचा में डाली जाती है जो दर्द को कम करने एवं स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि एक्यूपंक्चर व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा को संतुलित रखने का कार्य करता है और सिर दर्द, ब्लड प्रेशर, सर्दी जुकाम, खांसी और अन्य बीमारियों से व्यक्ति को दूर रखने में सहायक होता है। हजारों वर्ष पहले एक्यूपंक्चर का उपयोग सबसे पहले चीन में शुरू हुआ था लेकिन धीरे-धीरे बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग सभी देशों में किया जाने लगा।
एक्यूपंक्चर कैसे काम करता है? - एक्यूपंक्चर शरीर की क्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है और शारीरिक संरचना में स्थित विभिन्न प्वाइंट्स को उत्तेजित कर शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। एक्यूपंचर प्वाइंट्स को उत्तेजित करने के लिए आमतौर पर त्वचा में सूई चुभाई जाती है। इसके बाद प्रेशर देकर, तापमान बढ़ाकर उत्तेजना को प्रभावी बनाया जाता है। इसके अलावा हाथ से मसाज करके मोक्जीबश्चन  हीट थेरेपी  कपिंग और हर्बल मेडिसिन देकर भी  एक्यूप्वाइंट को उत्तेजित किया जाता है।
यह पारंपरिक चीनी चिकित्सा एक प्राचीन दर्शन पर आधारित है जो दो विरोधी शक्तियों यिन और यांग  के संदर्भ में ब्रह्मांड और शरीर का वर्णन करती है। जब ये दो शक्तियां या बल संतुलन में होते हैं तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है। इस चिकित्सा पद्धति में ऊर्जा जिसे चीनी भाषा में ची  कहा जाता है, मेरिडियन नामक विशेष मार्ग से होकर पूरे शरीर में बहती है। ऊर्जा का यह निरंतर प्रवाह यिन और यांग नामक बलों या शक्तियों को संतुलित रखता है। हालांकि जब ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति को दर्द, शारीरिक क्रियाओं में गड़बड़ी और बीमारियां पकड़ने लगती हैं।
एक्यूपंक्चर थेरेपी अवरुद्ध ची को दोबारा से स्रावित करता है और शारीरिक प्रणालियों के माध्यम से  शरीर के अंदर की बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। आधुनिक रिसर्च यह दर्शाता है कि  एक्यूपंक्चर तंत्रिका तंत्र, एंडोक्राइन, प्रतिरक्षा प्रणाली, कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है। शरीर की विभिन्न प्रणालियों को उत्तेजित करने, पीड़ा को दूर करने, पाचन क्रिया को ठीक रखने और संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्यूप्वाइंट को उत्तेजित करने में मदद करता है।
शरीर के मुख्य एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स 
व्यक्ति के पूरे शरीर में जगह-जगह एक्यूपंक्चर प्वाइंट मौजूद होते हैं जिनकी सहायता से बीमारियों का इलाज किया जाता है। ब्लैडर, पित्ताशय, हृदय, फेफड़ा, किडनी, बड़ी आंत, लिवर, छोटी आंत, पेट, प्लीहा,  पेरीकार्डियम  सहित अन्य कई एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स व्यक्ति के शरीर में पाये जाते हैं।
किन बीमारियों के इलाज में एक्यूपंक्चर उपयोगी है - आमतौर पर यह सभी को पता है कि अलग-अलग बीमारियों को दूर करने के लिए अलग-अलग एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स का उपयोग किया जाता है। एक्यूपंक्चर शरीर से बीमारियों को दूर करने और एक अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक्यूपंक्चर का उपयोग पित्त संबंधी विकार, पेट के दर्द, अवसाद, सिरदर्द, हाइपरटेंशन, घुटनों के दर्द, ल्यूकोपेनिया  कमर दर्द, चेहरे के दर्द, गर्दन दर्द, मॉर्निंग सिकनेस, गर्भाशय में भ्रूण की स्थिति को ठीक करने, कंधे के दर्द, साइटिका, स्ट्रोक, दंत चिकित्सा, गुर्दे का रोग, मोच, कैंसर का दर्द, शराब की लत, डायबिटीज, अस्थमा, मोटापा, ऑस्टियोआर्थराइटिस, पुरुषों में यौन उत्तेजना की कमी, महिलाओं के स्तन में दूध न आना, अनिद्रा, मांसपेशियों में दर्द सहित सैकड़ों बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
चिंता दूर करने में एक्यूपंक्चर के फायदे - स्टडी में पाया गया है कि एक्यूपंक्चर का प्रभाव चिंता को दूर करने में मदद करता है। विशेषज्ञों ने एक्यूपंक्चर और  चिंता के बीच एक सकारात्मक संबंध होने का दावा किया है और कहा है कि  एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से जो लोग चिंता, तनाव और डिप्रेशन की दवाएं खाते हैं उन दवाओं की खुराक कम हो सकती है। पुराने डिप्रेशन से निजात दिलाने के साथ ही एक्यूपंक्चर माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।
एक्यूपंक्चर के फायदे नींद की समस्या में - अध्ययनों से पता चला है कि एक्यूपंक्चर रात में  मेलाटोनिन नामक हार्मोन के स्राव को बढ़ाने में मदद करता है जिसके कारण अनिद्रा की समस्या से निजात मिलती है। पांच हफ्तों से भी कम समय तक प्रतिदिन एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से  व्यक्ति को नींद न आने की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए यदि आप नींद के लिए दवा खाते हों तो आपको एक्यूपंक्चर का अभ्यास जल्द शुरू कर देना चाहिए।
उल्टी और मितली से बचाने में एक्यूपंक्चर के फायदे - हर व्यक्ति की कलाई के पास एक विशेष एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंड होता है  जिसे दबाने पर यह उत्तेजित होता है और उल्टी एवं जी मिचलाने की समस्या को दूर करने में मदद करता है। सर्जरी के बाद मरीज जब एनेस्थीसिया के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश करता है तो उस दौरान उसे सबसे ज्यादा उल्टी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में एक्यूपंक्चर एंटीमेटिक दवाओं के रूप में कार्य करता है और व्यक्ति के उल्टी और जी मिचलाने की समस्या से बचाने में मदद करता है।
अर्थराइटिस के इलाज में एक्यूपंक्चर के फायदे - यह साबित हो चुका है कि एक्यूपंक्चर गंभीर पीठ दर्द और कमर के दर्द की समस्या को दूर करने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। एक स्टडी में पाया गया है कि आठ हफ्ते तक लगातार एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने से  गर्दन का दर्द, अर्थराइटिस, कंधे का दर्द और सिरदर्द से काफी राहत मिलता है। इसके अलावा सही तरीके और सही एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंट से इसका अभ्यास करने से ऑस्टियोअर्थराइटिस और मांसपेशियों में दर्द की समस्या से भी निजात मिल जाता है।
एक्यूपंक्चर के फायदे यादाश्त सुधारने में -कुछ शुरूआती शोधों से पता चलता है कि एक्यूपंक्चर पर्किंसन की बीमारी को दूर करने में बहुत प्रभावी तरीके से कार्य करता है। बढ़ती उम्र के कारण व्यक्ति के मस्तिष्क तंत्रिकाएं जैसे पुटामेन  और थैलमस भी प्रभावित होता है जिसके कारण उसकी यादाश्त कमजोर हो जाती है और उसे भूलने की बीमारी लग जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि पर्किंसन के रोगियों के इलाज में एक्यूपंक्चर बहुत सहायक होता है।
गर्भावस्था में दर्द से राहत दिलाने में एक्यूपंक्चर के फायदे - गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में स्ट्रेस को कम करने और हार्मोन को संतुलित रखने में एक्यूपंक्चर बहुत लाभदायक होता है। इसके अलावा यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद करता है। यह प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के होने वाली सामान्य समस्याओं के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है और बच्चे की सेहत को भी ठीक रखता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने की सलाह देते हैं। हालांकि इस अवस्था में डॉक्टर की देखरेख में ही गर्भवती महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करना चाहिए।
एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट (नुकसान)- हालांकि एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने से एनर्जी बढ़ती है लेकिन कभी-कभी थोड़ी ही देर बाद व्यक्ति को अधिक थकान महसूस होने लगती है। एक्यूपंक्चर के बाद थकान होना कोई चिंता की बात नहीं होती है लेकिन  व्यक्ति को काफी अधिक थकान का अनुभव हो सकता है।
शरीर के जिस भाग में एक्यूपंक्चर सूई  डाली जाती है, सूई निकालने के बाद व्यक्ति को वहां दर्द हो सकता है। यह आमतौर पर  हाथ, पैर, बड़ी आंत और अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच पाये जाने वाले एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंट पर अधिक होता है। इसके अलावा जिस हिस्से में सूई डाली जाती है, उस हिस्से के आसपास की मांसपेशियों में भी दर्द हो सकता है।
ज्यादातर व्यक्तियों के शरीर के जिस भाग के एक्यूपंक्चर प्वाइंट में सूई डाली जाती है वहां चोट या घाव का निशान पड़ जाता है। यह निशान लंबे समय तक बना रहता है। इसलिए एक्यूपंक्चर का यह एक नुकसान हो सकता है।
एक्यूपंक्चर के बाद व्यक्ति के सिर में हल्का दर्द हो सकता है और कभी-कभी मरीज बेहोश भी हो सकता है। इसके अलावा एक्यूपंक्चर इलाज के बाद वह खुद को शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस कर सकता है।
एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट के बाद व्यक्ति के शरीर के एक्यूपंक्चर प्वाइंट पर खुजली और दर्द हो सकता है। कभी-कभी यह खुजली काफी अधिक बढ़ जाती है जिसके लिए व्यक्ति को अलग से इलाज कराने की जरूरत पड़ती है।


 


नैनो फाइबर से बना फ्लोटिंग ब्रिक्स व हेयर कलर पढ़ें कैसे

अब बिहारी का एक और नया आविष्कार अब पानी में तैरेगी ईंट



बिहार । क्या आपने कभी सोचा कि  केले के थंब(तना) और उसके पत्ते से नेचुरल हेयर कलर बनाया जा सकता है. ऐसी  ईंट जो कभी पानी में डूबेगी नहीं. अगर नहीं तो मिलिए नवगछिया, ध्रुवगंज, भागलपुर के गोपाल से जिन्होंने ऐसा कमाल कर दिखाया है. महज 19 साल के गोपाल को 14 साल की उम्र में यंगेस्ट साइंटिस्ट ऑफ इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है. इनका सपना भारत को अपने आविष्कारों से नोबल प्राइज दिलाना है. उन्हें अपने द्वारा बनाये गये गोपनिम एलॉय के लिए नासा(नेशनल एरोनाॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) की ओर से दो बार चिट्ठी भी भेजी गयी. नासा ने 23 मई को भी गोपाल के साथ काम करने के लिए चिट्ठी भेजी लेकिन उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें सिर्फ अपने देश के लिए काम करना है. गोपाल बताते हैं कि उन्होंने कुल दस आ‌विष्कार किये हैं, जिसमें चार पेटेंट के लिए भेजे गये हैं. इनमें पेपर बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी(पेटेंट), बनाना बायो सेल(पेटेंट), गोपनियम एलॉय, जी-स्टार पाउडर, हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायो सेल, सोलर माइल, गोपा-अलासका, सूडो प्लास्टिक, लीची वाइन  आदि हैं.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके आविष्कार को न सिर्फ सराहा बल्कि गोपाल को 2017 में अहमदाबाद स्थित नेशनल इनोवेटिव फाउंडेशन में भेजा, जहां पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे युवा रिसर्च स्कॉलर के तौर पर काम किया.
नैनो फाइबर से बनाया फ्लोटिंग ब्रिक्स व हेयर कलर: फिलहाल गोपाल बनाना(केला) नैनो क्रिस्टल और फाइबर पर काम कर रहे हैं. केले के तने से नैनो फाइबर और फाइबर पहले बनाया गया. ये नैनो फाइबर तरल पदार्थ को सोखने का काम करते हैं. यही वजह है कि इससे ईंट तैयार की जा रही है. ईंट कभी पानी में डूबेगी नहीं, जिसे फ्लोटिंग ब्रिक्स का नाम दिया गया है. इन ईंटों से बनने वाले घर आम घरों से ज्यादा ठंडे होंगे. इसके अलावा नैनो फाइबर का इस्तेमाल बच्चों के डायपर, सेनेटरी नैपकिन, बैंडएड आदि बनाने के प्रयोग में लाया जायेगा. वहीं नैनो फाइबर के इस्तेमाल के बाद जो फाइबर रह जाता उससे बुलेट शीट बनाया जा रहा है. केले के पत्तों से फाइबर शीट बनाया जा रहा है जिसकी मदद से फाइल कवर, टिशू पेपर  और बुक कवर आदि बनेगा. वहीं केले से पत्तों से निकलने वाले रस को फरमेंटेशन कर इथनॉल बनाया जा रहा है. जिसे वेपेराइज कर हेयर कलर बनाया जाया रहा है. इन सभी का लैब में काम किया जा चुका है। गोपाल की झोली में ढेरों इनाम हैं. विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के द्वारा नेशनल इंस्पायर अवार्ड, बिहार सरकार द्वारा स्टेट लेवल पर इंस्पायर अवार्ड, प्राइड ऑफ भागलपुर अवार्ड, कैरियर टुडे संस्था की ओर से ब्रेन ऑफ बिहार अवार्ड मिले. इसके अलावा अक्तूबर में दिल्ली में इन्हें नेशनल यूथ आइकॉन अवार्ड दिया जायेगा.


गोपाल के पिता किसान हैं और वह केले की खेती करते थे. गोपाल अपने पिता के साथ खेत जाते थे. 2008 में बाढ़ में केले की खेती को काफी नुकसान हुआ. नुकसान की वजह से गोपाल के घर की आर्थिक स्थिति काफी तंग हो गयी. जिसके बाद गोपाल ने ठान लिया  कि केले के सभी बर्बाद होने वाले थंब(तना) से वह जरूर कुछ बनायेंगे, जिससे  बाढ़ के कारण होने वाले नुकसान को पूरा किया जा सके. उन्होंने देखा कि केले के थंब से रस लग जाने से दाग लग जाता है. उसने सोचा कि केले के थंब में भी एसिड का गुण है. इसी दौरान उन्होंने पढ़ा कि एसिड का एलेक्ट्रोलाइसिस कर चार्ज पैदा किया जाता है. वह स्कूल से वोल्ट मीटर और इलेक्ट्रोड लाये और केले के थंब पर यह प्रयोग किया तो उससे चार्ज बना जो बिजली पैदा कर सकती थी. उनके इस प्रयोग को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता पर पुरस्कृत किया गया. उन्हें 2014 में इंस्पायर अवार्ड भी मिला. 


 


भारतीय दण्ड संहिता की महत्वपूर्ण धाराओं के नाम, अपराध और मिलने वाली सजा

भारतीय दण्ड संहिता की महत्वपूर्ण धाराओं के नाम, अपराध और मिलने वाली सजा- भारतीय समाज को कानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी। इस संहिता में भारतीय संविधान की विभिन्न आपराधिक धाराओं और उनकी सजा का उल्लेख किया गया है।
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर ;जम्मू एवं कश्मीर को छोडकरद्ध भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता लागू होती है।इस में कुल मिला कर 511 धाराएं हैं। यहाँ कानून की विभिन्न धाराएं और उनकी सजा का वर्णन किया है-
अपराध की विभिन्न धाराओं के नाम और उनकी सजा की सूची-
धाराओं के नामअपराध सजा 13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना। 34सामान आशयदृ99 से 106 व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकारदृ110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है -तीन वर्ष120 षडयंत्र रचना दृ141विधिविद्ध जमाव दृ147बलवा करना 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों। 161 रिश्वत लेना/देना3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों171चुनाव में घूस लेना/देना। 1 वर्ष की सजा 500 रुपये जुर्माना। 177 सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना 6 माह की सजा 1000 रूपये जुर्माना।186सरकारी काम में बाधा पहुँचाना 3 माह की सजा 500 रूपये जुर्माना। 191 झूठी गवाही देनादृ193 न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही 3/7 वर्ष की सजा और जुर्माना। 201सबूत मिटानादृ216लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंडदृ224/25विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना-2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों। 231/32जाली सिक्के बनाना-7 वर्ष की सजा और जुर्माना 255सरकारी स्टाम्प का कूटकरण-10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा। 264गलत तौल के बांटों का प्रयोग-1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों 267औषधि में मिलावट करना।दृ272 खाने/पीने की चीजों में मिलावट-6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना274 /75मिलावट की हुई औषधियां बेचनादृ279सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना 6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना। 292अश्लील पुस्तकों का बेचना 2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना। 294 किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान 2 वर्ष की सजा। 302हत्या/कत्लआजीवन कारावास/मौत की सजा 306आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण10 वर्ष की सजा और जुर्माना। 309 आत्महत्या करने की चेष्टा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों। 310 ठगी करना आजीवन कारावास और जुर्माना। 312गर्भपात करनादृ। 323जानबूझ कर चोट पहुँचाना। 351हमला करना। 354किसी स्त्री का शील भंग करना 2 वर्ष का कारावास/जुर्माना दोनों 362अपहरण दृ363 किसी स्त्री को ले भागना 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना। 366नाबालिग लड़की को ले भागनादृ376 बलात्कार करना 10 वर्ष/आजीवन कारावास। 377अप्राकृतिक अपराध वर्ष की सजा और जुर्माना। 379 चोरी ;सम्पत्तिद्ध करना 3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों। 392 लूट 10 वर्ष की सजा 395 डकैती 10 वर्ष या आजीवन कारावास। 396 डकैती के दौरान हत्या दृ415 छल करना।दृ417 छल/दंगा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों। 420 छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना 7 वर्ष की सजा और जुर्माना। 445 गृहभेदंनदृ446 रात में नकबजनी करनादृ426किसी से शरारत करना 3 माह की सजा/ जुर्माना/दोनों। 463कूट-रचना/जालसाजीदृ477;कद्ध झूठा हिसाब करना।दृ489 जाली नोट  बनाना /चलाना10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास। 493 पर स्त्री से व्यभिचार करना10 वर्षों की सजा। 494पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना। 7 वर्ष की सजा और जुर्माना। 498;अद्ध अपनी स्त्री पर अत्याचार 3 वर्ष तक की कठोर सजा। 497 जार कर्म करना  5 वर्ष की सजा और जुर्माना। 499 मानहानिदृ500 मान हानि 2 वर्ष की सजा और जुर्माना। 509 स्त्री को अपशब्द कहना। अंगविक्षेप करना, सादा कारावास या जुर्माना। 511 आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड।