Wednesday, January 29, 2020

भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी में व्‍यापक बदलाव के लिए गठित समिति की रिपोर्ट में इंजीनियरों का ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता बढ़ाने की सिफारिश की गई है

     भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी (आईएएचई) को राजमार्ग क्षेत्र के एक विश्‍व स्‍तरीय प्रमुख संस्‍थान में तब्‍दील करने के लिए गठित समिति का यह मानना है कि इंजीनियरों का ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता बढ़ाना अपरिहार्य है, ताकि भारत के व्‍यापक सड़क नेटवर्क को अपेक्षाकृत कम लागत पर निरंतर बेहतरीन, पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित रखा जा सके। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट कल (28 जनवरी, 2020) रात पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशिक्षण से जुड़ी मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं एवं प्रशिक्षण कार्य प्रणाली में सुधार लाने, विश्‍व स्‍तर पर प्रख्‍यात अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों से जुड़ाव सुनिश्चित करने और व्‍यावहारिक अनुसंधान एवं संबंधित कार्य करने की जरूरत है। 

  • आईएएचई के कार्य क्षेत्र का विस्‍तार कर इसमें तीन विशिष्‍ट कार्यों अर्थात (i) प्रशिक्षण (ii) राजमार्ग एवं सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में प्रायोगिक अनुसंधान व विकास कार्य (iii) सड़क सुरक्षा एवं नियमन को शामिल किया जाए।

  • मंत्रालय के एईई और एनएचएआई के उप प्रबंधकों के लिए एक वर्षीय फाउंडेशन प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें विदेश में 15 दिनों का प्रशिक्षण भी शामिल है। सेवा में निरंतरता के लिए फाउंडेशन प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अत्‍यंत जरूरी है।

  • अगले उच्‍च स्‍तर पर पदोन्‍नति के लिए करियर के मध्‍य में प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अनिवार्य किया जाए।

  • ठेकेदारों एवं सलाहकारों के साथ कार्य करने वाले इंजीनियरों के लिए विशिष्‍ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाए।

  • राज्‍यों के राजमार्गों, एमडीआर और ग्रामीण सड़कों हेतु राज्‍यों के पीडब्‍ल्‍यूडी अधिकारियों के लिए आईएएचई को विशिष्‍ट प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पेशकश करनी चाहिए।

  • सामग्री परीक्षण प्रक्रियाओं से जुड़े सलाहकारों एवं ठेकेदारों के गुणवत्‍ता नियंत्रण एवं सहायक गुणवत्‍ता नियंत्रण इंजीनियरों के लिए आईएएचई को प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए और समुचित दिशा-निर्देशों के जरिए इस तरह की प्रशिक्षण आवश्‍यकताओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

  • विशिष्‍ट क्षेत्रों जैसे कि सुरंग बनाने, बहुस्‍तरीय क्रॉसिंग की व्‍यवस्‍था करने, इत्‍यादि के लिए आईएएचई को अग्रणी विदेशी संस्‍थानों/उद्योग जगत के साथ सहयोग करना चाहिए।

  • आईएएचई को मंत्रालय के थिंक-टैक के रूप में काम करना चाहिए और विशिष्‍ट संदर्भों में परामर्श देना चाहिए।

  • यातायात के सुचारू संचालन एवं अनुकरण के लिए आईएएचई में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र बनाना चाहिए।

  • राजमार्गों के निर्माण में व्‍यावहारिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें बेकार सामग्री, वस्‍त्र एवं प्‍लास्टिक के उपयोग, नई सामग्री, रिसाइक्‍लिंग को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परीक्षण करना भी शामिल हैं।

  • आईएएचई की मौजूदा प्रयोगशाला का उन्‍नयन किया जाए और इसके साथ ही एनएबीएल से प्रमाण-पत्र लिया जाना चाहिए, ताकि राष्‍ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर इस्‍तेमाल होने वाली सामग्री का परीक्षण किसी अन्‍य पक्ष के जरिए कराया जा सके।

  • सड़क से संबंधित सभी तरह के आंकड़ों जैसे कि यातायात, तैयार सामग्री और सड़कों एवं पुलों की स्थिति से जुड़े डेटा का संग्रहण आईएएचई में किया जाए।

  • दुघर्टनाओं से बचाव के लिए आईएएचई को एसओपी तैयार करना चाहिए और यातायात इंजीनियरिंग, डेटा प्रभाग एवं दुर्घटनाओं के विश्‍लेषण के लिए एक केन्‍द्र स्‍थापित करना चाहिए, ताकि भावी अध्‍ययन कराए जा सकें और इसके साथ ही सड़क सुरक्षा को बेहतर किया जा सके।

  • आईएएचई को सड़क सुरक्षा ऑडिटरों के प्रशिक्षण एवं प्रमाणन से संबंधित समस्‍त गति‍विधियों की जिम्‍मेदारी सौंपनी चाहिए।

  • आईएएचई के व्‍यापक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समुचित योजना बनाई जाए।

  • संगठनात्‍मक ढांचे में समुचित बदलाव किए जाएं, ताकि उपर्युक्‍त उद्देश्‍यों की प्राप्ति हो सके।


    सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें श्री वाई.एस. मलिक, पूर्व सचिव,  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (चेयरमैन), श्री बी.एन. सिंह, पूर्व डीजी (आरडी) एवं एसएस, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य), श्री एम.पी. शर्मा, पूर्व एडीजी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य) और श्री एस.पी. सिंह, संयुक्‍त सचिव, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य सचिव) शामिल थे। इस समिति के गठन का उद्देश्‍य विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण मुद्दों की पहचान करना और भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी (आईएएचई) को राजमार्ग क्षेत्र के एक ऐसे विश्‍व स्‍तरीय प्रमुख संस्‍थान में तब्‍दील करने के तरीकों के बारे में सिफारिशें पेश करना था, जिसके पास राजमार्ग क्षेत्र से जुड़ी पूर्ण/व्‍यापक विशेषज्ञता हो।


     आईएएचई का गठन मंत्रालय ने वर्ष 1983 में एक सोसाएटी के रूप में किया था, ताकि केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकारों, स्‍थानीय निकायों इत्‍यादि के राजमार्ग इंजीनियरों को प्रवेश स्‍तर के साथ-साथ करियर के मध्‍य में विभिन्‍न स्‍तरों पर भी प्रशिक्षण दिया जा सके। यह राजमार्गों के नियोजन, डिजाइनिंग, निर्माण, परिचालन, रख-रखाव एवं प्रबंधन सहित विभिन्‍न विषयों पर प्राप्‍त अनुभवों को संयोजित करने एवं इनसे जुड़े ज्ञान को साझा करने का प्रमुख संस्‍थान है।


    आईएएचई 1 अक्‍टूबर, 2001 से ही नोएडा (उत्‍तर प्रदेश) के संस्‍थागत क्षेत्र के सेक्‍टर 12 के ए-5 में अवस्थित 10 एकड़ की भूमि पर बनाए गए विशाल परिसर में कार्यरत है। इस अकादमी में प्रशिक्षण से संबंधित आवश्‍यक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं हैं, जिनमें व्‍याख्‍यान हॉल, कम्‍प्‍यूटर लैबोरेटरी, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, पुस्‍तकालय एवं डिस्‍प्‍ले सेंटर, प्रशिक्षुओं के लिए छात्रावास इत्‍यादि शामिल हैं।


     आईएएचई ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक 1494 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और भारत के साथ-साथ 59 अफ्रीकी-एशियाई देशों के 35,988 प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। वर्ष 2019-20 के दौरान आईएएचई ने 85 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और 2577 राजमार्ग प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। आईएएचई के पास 100 सड़क सुरक्षा अभियंता एवं ऑडिटर हैं।   



दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020- एग्जिट पोल पर प्रतिबंध

निर्वाचन आयोग ने जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126ए की उपधारा (1) के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 के लिए तय मतदान के दिन 8 फरवरी, 2020 (शनिवार) को सुबह 8 बजे से शाम 6:30 बजे तक किसी तरह का एग्जिट पोल करने और एग्जिट पोल के नतीजे को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी अन्य माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।


इसके साथ ही, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126(1) (ब) के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न होने के लिए तय समय से पहले के 48 घंटे के दौरान ओपिनयन पोल के नतीजे या कोई अन्य चुनाव सर्वेक्षण जैसे चुनाव से संबंधित किसी भी सामग्री का किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 


24 जनवरी, 2020 को इससे संबंधित जारी अधिसूचना सभी संबंधित पक्षों की जानकारी के लिए यहां संलग्न कर दिया गया है।


अधिसूचना के लिए कृप्या यहां क्लिक करें


 


(निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी, 2020 को प्रेस नोट संख्या ईसीआई/पीएन/15/2020 के तहत पहले ही जारी कर दिया है।)



भारतीय नौसेना ने मेडागास्कर में मानवीय सहायता और आपदा राहत उपलब्‍ध कराने के लिए 'ऑपरेशन वनीला' शुरू किया

भारतीय नौसेना जहाज ऐरावत को दक्षिणी हिंद महासागर में तैनाती मिशन के दौरान मेडागास्कर के अनुरोध के आधार पर अंतसिरनाना की ओर मोड़ दिया गया है। यह जहाज ऑपरेशन वनीला के हिस्से के रूप में मानवीय सहायता और आपदा राहत मिशन को शुरू करेगा। ‘ऑपरेशन वनीला’ को चक्रवात डायने द्वारा मचाई गई तबाही के बाद मेडागास्कर के प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है।


पोर्ट कॉल के दौरान भारतीय दूतावास और मेडागास्कर के साथ समन्वय में इस जहाज की बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए राहत अभियान चलाने की योजना है। भारतीय नौसेना जहाज चिकित्सा शिविर स्थापित करने और भोजन, पानी तथा अन्य आवश्यक राहत सामग्री उपलब्‍ध कराने के लिए तैयार है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है और भारतीय नौसेना मेडागास्कर के  स्थानीय लोगों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।



रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी शिप एचएमएएस टुवूम्बा मुम्‍बई की यात्रा पर

रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (आरएएन) शिप एचएमएएस टुवूम्बा मुम्बई की यात्रा पर है। कमांडर  रे लेग्गट, कमांडर कंबाइंड टास्क फोर्स (सीटीएफ) - 150 और कमांडर मिशेल लिविंगस्टोन, कमांडिंग ऑफिसर, एचएमएएस टुवूम्बा ने चीफ ऑफ स्टाफ, वाइस एडमिरल आर.बी. पंडित के साथ पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय में मुलाकात की।


एचएमएएस टुवूम्बा सीटीएफ-150 के परिचालन नियंत्रण के तहत इस क्षेत्र में एक विदेशी तैनाती पर है।


आरएएन  जहाज की यह यात्रा और आरएएन क्रू के साथ भारतीय नौसेना के कर्मियों की पेशेवर बातचीत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अच्छे संबंधों को और मजबूत बनाने तथा समुद्री क्षेत्र में साझा हितों को बढ़ावा देने में मदद करेगी।



श्री नितिन गडकरी ने राजमार्ग क्षेत्र के इंजीनियरों के लिए विशिष्‍ट प्रशिक्षण कार्यक्रम पर विशेष जोर दिया; भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी में व्‍यापक बदलाव लाने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पेश की

     केन्‍द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने राजमार्ग क्षेत्र में ठेकेदारों एवं सलाहकारों के साथ काम करने वाले इंजीनियरों के लिए विशिष्‍ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत पर विशेष बल दिया है। उन्‍होंने कहा कि अगले स्‍तर पर पदोन्‍नति के लिए करियर के मध्‍य में प्रशिक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। श्री गडकरी ने देश के राजमार्ग क्षेत्र में व्‍यापक विकास की रूपरेखा पेश करते हुए यह राय व्‍यक्‍त की कि देश में विशाल सड़क नेटवर्क को कम लागत पर बेहतरीन, पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित बनाए रखने के लिए इंजीनियरों का ज्ञान, कौशल और विशेषज्ञता बढ़ाना अत्‍यंत जरूरी है।


      भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी (आईएएचई) को राजमार्ग क्षेत्र के एक विश्‍व स्‍तरीय प्रमुख संस्‍थान में तब्‍दील करने के बारे में सिफारिशें देने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट आज नई दिल्‍ली में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री को पेश की गई।


      आईएएचई दरअसल राजमार्गों के प्रबंधन से जुड़े समस्‍त विषयों से संबंधित अनुभवों को संयोजित करने एवं संबंधित ज्ञान को साझा करने वाला प्रमुख संस्‍थान है। इस संस्‍थान का सृजन अस्‍सी के दशक में किया गया था और इसका उद्देश्‍य केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकारों और स्‍थानीय निकायों के राजमार्ग इंजीनियरों को प्रशिक्षण देना रहा है। तीन विशिष्‍ट कार्यों यथा – प्रशिक्षण, राजमार्ग एवं सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में प्रायोगिक अनुसंधान व विकास कार्य और सड़क सुरक्षा व नियमन को शामिल करने के लिए आईएएचई के कार्य क्षेत्र का विस्‍तार किया जा रहा है।



राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) रैली में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री राजनाथ सिंह जी, श्रीपद येशो नाइक जी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत जी, तीनों सेनाओं के उच्च पदाधिकारीगण, रक्षा सचिव, नेशनस केडेट कॉर्प्स के डायरेक्टर जनरल, मित्र देशों से आए हमारे मेहमान और देश के कोने-कोने यहां उपस्थित NCC के मेरे युवा साथियों,


सबसे पहले तो मैं आप सभी को, यहां हुए कार्यक्रम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


गणतंत्र दिवस की परेड में और आज की इस बेहतरीन परफॉर्मेंस के साथ ही, आपने देश के लिए जो काम किए, चाहे वो सोशल सर्विस हो या फिर स्पोर्ट्स, आपने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वो भी प्रशंसनीय हैं।


आज यहां जिन साथियों को पुरस्कार मिले हैं, उनको मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हमारे पड़ोसी देशों, हमारे मित्र देशों के भी अनेक केडेट्स यहां मौजूद हैं। मैं उनका भी अभिवादन करता हूं।


साथियों,


NCC, देश की युवाशक्ति में Discipline, Determination और देश के प्रति Devotion की भावना को मजबूत करने का बहुत सशक्त मंच है। ये भावनाएं देश के Development के साथ सीधी-सीधी जुड़ी हैं।


जिस देश के युवा में अनुशासन हो, दृढ़ इच्छाशक्ति हो, निष्ठा हो, लगन हो, उस देश का तेज गति से विकास कोई नहीं रोक सकता।


साथियों,


आज विश्व में हमारे देश की पहचान, युवा देश के रूप में है। देश के 65 परसेंट से ज्यादा लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं।


देश युवा है, इसका हमें गर्व है लेकिन देश की सोच युवा हो, ये हमारा दायित्व होना चाहिए।


और युवा सोच का मतलब क्या होता है?


जो थके-हारे लोग होते हैं वे न सोचने का समर्थ्य रखते हैं और न ही देश के लिए कुछ करने का इरादा रखते हैं। वो किस तरह की बातें करते हैं, ध्यान दिया है आपने?


चलो भई, जैसा है, एडजस्ट कर लो!!!


चलो अभी किसी तरह समय निकाल लो !!!


चलो आगे देखा जाएगा !!!


इतनी जल्दी क्या है, टाल दो ना, कल देखेंगे!!!


साथियों,


जो लोग इस प्रवृत्ति के होते हैं, उनके लिए कल कभी नहीं आता।


ऐसे लोगों को दिखता है सिर्फ स्वार्थ। अपना स्वार्थ।


आपको ज्यादातर जगह ऐसी सोच वाले लोग मिल जाएंगे।


इस स्थिति को मेरे आज का युवा भारत, मेरे भारत का युवा, स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। वो छटपटा रहा है कि स्वतंत्रता के इतने साल हो गए, चीजें कब तक ऐसे ही चलती रहेंगी? कब तक हम पुरानी कमजोरियां को पकड़कर बैठे रहेंगे?


वो बाहर जाता है, दुनिया देखता है और फिर उसे भारत में दशकों पुरानी समस्याएं नजर आती हैं।


वो इन समस्याओं का शिकार होने के लिए तैयार नहीं है।


वो देश बदलना चाहता है, स्थितियां बदलना चाहता है।


और इसलिए उसने तय किया है कि Boss, अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा।


यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत।


यही युवा भारत कह रहा है कि देश को अतीत की बीमारियों से मुक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए,


यही युवा भारत कह रहा है कि देश के वर्तमान को सुधारते हुए, उसकी नींव मजबूत करते हुए तेज गति से विकास होना चाहिए और यही युवा भारत कह रहा है कि देश का हर निर्णय, आने वाली पीढ़ियों को उज्जवल भविष्य की गारंटी देने वाला होना चाहिए।


अतीत की चुनौतियों, वर्तमान की जरूरतों और भविष्य की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तीनों ही स्तरों पर हमें एक साथ काम करना होगा।


साथियों,


आप NCC से जुड़ने के बाद इतनी मेहनत करते हैं, जब बुलाया तब आते हैं, पढ़ाई के साथ-साथ घंटों तक ड्रिल-प्रैक्टिस, सब एक साथ चलता रहता है। आपके भीतर ये जज्बा है कि पढ़ेंगे भी और देश के लिए कुछ करेंगे भी।


और बाहर क्या स्थिति मिलती रही है?


कभी यहां आतंकवादी हमला हुआ, इतने निर्दोष लोग मारे गए। कभी वहां नक्सली-माओवादियों ने बारूदी सुरंग उड़ा दी, इतने जवान मारे गए। कभी अलगाववादियों ने ये भाषण दिया, कभी भारत के खिलाफ जहर उगला, कभी तिरंगे का अपमान किया।


इस स्थिति को स्वीकार करने के लिए हम तैयार नहीं हैं, युवा भारत तैयार नहीं है, न्यू इंडिया तैयार नहीं है।


साथियों,


कभी-कभी कोई बीमारी लंबे समय तक ठीक न हो तो वो शरीर का हिस्सा बन जाती है। हमारे राष्ट्र जीवन में भी ऐसा ही हुआ है। ऐसी अनेक बीमारियों ने देश को इतना कमजोर कर दिया कि उसकी अधिकतर ऊर्जा इनसे लड़ने-निपटने में ही लग जाती है। आखिर ऐसा कब तक चलता? और कितने साल तक हम इन बीमारियों का बोझ ढोते रहते? और कितने साल तक टालते रहते?


आप सोचिए,


जब से देश आजाद हुआ, तब से कश्मीर में समस्या बनी हुई है। वहां की समस्या के समाधान के लिए क्या किया गया? तीन चार परिवार और तीन-चार दल और सभी का जोर समस्या को समाप्त करने में नहीं बल्कि समस्या को पालने-पोसने, उसे जिंदा रखने में लगा रहा।


नतीजा क्या हुआ? कश्मीर को आतंक ने तबाह कर दिया, आतंकवादियों के हाथों हजारों निर्दोष लोग मारे गए।


आप सोच सकते हैं कहीं पर वहीं के रहने वालों को, लाखों लोगों को, एक रात में घर छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए निकल जाने को कहा जाए और सरकार कुछ कर नहीं सके।


आतंकियों की हिम्मत बढ़ाने वाले यही सोच थी। सरकार को, प्रशासन को कमजोर करने वाले यही सोच थी।


क्या कश्मीर को ऐसे ही चलने देते, जैसे वो चल रहा था?


साथियों,


जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 ये कहकर लागू हुआ था कि ये अस्थाई है। संविधान में भी यही लिखा गया कि ये अस्थाई है।लेकिन दशकों बीत गए, संविधान में जो अस्थाई था, उसे हटाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई।


वजह वही थी, सोच वही थी। अपना हित, अपने राजनीतिक दल का हित, अपना वोटबैंक।


क्या हम अपने देश के नौजवानों को ऐसा भारत देते जिसमें कश्मीर में आतंकवाद पनपता रहता, जिसमें निर्दोष लोग मारे जाते रहते, जिसमें तिरंगे का अपमान होता रहता और सरकार तमाशा देखती रहती।


नहीं।


कश्मीर, भारत की मुकुट मणि है।कश्मीर और वहां के लोगों दशकों पुरानी समस्याओं से निकालना, हमारा दायित्व था और हमने ये करके दिखाया है।


साथियों,


हम जानते हैं कि हमारा पड़ोसी देश हमसे तीन-तीन युद्ध हार चुका है। हमारी सेनाओं को उसे धूल चटाने में हफ्ते दस दिन से ज्यादा का समय नहीं लगता। ऐसे में वो दशकों से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध- proxy War लड़ रहा है। इस प्रॉक्सी वॉर में भारत के हजारों नागरिक मारे गए हैं।


लेकिन पहले इसे लेकर क्या सोच थी? वो लोग सोचते थे कि ये आतंकवाद, ये आतंकी हमले, बम धमाके ये तो Law and Order Problem हैं !!!


इसी सोच की वजह से बम धमाके होते गए, आतंकी हमलों में लोग मरते गए, भारत मां लहू-लुहान होती गई।


बातें बहुत हुईं, भाषण बहुत हुए, लेकिन जब हमारी सेनाएं Action के लिए कहतीं तो उन्हें मना कर दिया जाता, टाल दिया जाता।


आज युवा सोच है, युवा मन के साथ देश आगे बढ़ रहा है इसलिए वो सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एयर स्ट्राइक करता है और आतंक के सरपरस्तों को उनके घर में जाकर सबक सिखाता है।


इसका परिणाम क्या हुआ है, वो आप भी देख रहे हैं।


आज सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी शांति कायम हुई है, अलगाववाद-आतंकवाद को बहुत सीमित कर दिया गया है।


साथियों,


पहले नॉर्थ ईस्ट के साथ जिस तरह की नीति अपनाई गई, जिस तरह का व्यवहार किया गया, उसे भी आप भली-भांति जानते हैं।


दशकों तक वहां के लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया गया।


वहां के लोगों को ही नहीं, वहां की समस्याओं को, वहां की चुनौतियों को अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया था।


पाँच-पाँच, छह-छह दशक से वहां के अनेक क्षेत्र उग्रवाद से परेशान थे। अपनी-अपनी मांगों की वजह से नॉर्थ ईस्ट में कई उग्रवादी संगठन पैदा हो गए थे। इन संगठनों का लोकतंत्र में विश्वास नहीं था। वो ये सोचते थे कि हिंसा से ही रास्ता निकलेगा।


इस हिंसा में हजारों निर्दोष लोग, हजारों सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई।


क्या नॉर्थ ईस्ट को हम अपने हाल पर ही छोड़ देते? क्या अपने उन भाई-बहनों की परेशानियों से, उनकी दिक्कतों से ऐसे ही मुंह फेर कर बैठ जाते?


ये हमारे संस्कार नहीं हैं, ये हमारी कार्यसंस्कृति नहीं है।


नॉर्थ ईस्ट को लेकर आज अखबारों में एक बड़ी खबर है। आपने मीडिया में भी देखा होगा। बोडो समस्या को लेकर एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक समझौता हुआ है।


मैं आपसे आग्रह करूंगा कि पिछले पाँच-छह दशकों में देश के ऐसे क्षेत्र और विशेषकर असम किस स्थिति से गुजरा है, उसे पढ़िए, उस पर रिसर्च करिए, तो आपको पता चलेगा कि वहां के लोगों ने, नॉर्थ ईस्ट के लोगोंने किस स्थिति का सामना किया है। लेकिन इस स्थिति को भी बदलने के लिए कोई ठोस पहल पहले नहीं की गई।


क्या हम इस स्थिति को ऐसे ही चलने देते?


नहीं। कतई नहीं।


हमने एक तरफ नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए अभूतपूर्व योजनाओं की शुरुआत की और दूसरी तरफ बहुत ही खुले मन और खुले दिल के साथ सभी Stakeholders के साथ बातचीत शुरू की। बोडो समझौता आज इसी का परिणाम है।


कुछ दिन पहले मिजोरम और त्रिपुरा के बीच ब्रू जनजाति को लेकर हुआ समझौता इसी का परिणाम है। इस समझौते के बाद, ब्रू जनजातियों से जुड़ी 23 साल पुरानी समस्या का समाधान हुआ है।


यही तो युवा भारत की सोच है। सबका साथ लेकर, सबका विकास करते हुए, सबका विश्वास हासिल करते हुए देश को हम आगे बढ़ा रहे हैं।


साथियों,


इस देश का कौन सा नागरिक ऐसा होगा जो ये नहीं चाहेगा कि हमारी सेना आधुनिक हो, सामर्थ्यवान हो। कौन नहीं चाहेगा कि उसके पास युद्ध की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों।


हर देशप्रेमी यही चाहेगा, हर राष्ट्रभक्त यही चाहेगा।


लेकिन आप कल्पना कर सकते हैं कि 30 साल से ज्यादा समय से हमारे देश की वायु सेना में एक भी Next Generation Fighter Plane नहीं आया था।


पुराने होते हमारे विमान, हादसों का शिकार होते रहे, हमारे फाइटर पायलट्स शहीद होते रहे लेकिन जिन लोगों पर नए विमान खरीदने की जिम्मेदारी थी, उन्हें जैसे कोई चिंता ही नहीं थी।


क्या हम ऐसा ही चलते रहने देते? क्या ऐसे ही वायुसेना को कमजोर होने देते?


नहीं।


तीन दशक से जो काम लटका हुआ था, वो हमने शुरू करवाया। आज मुझे संतोष है कि देश को तीन दशक के इंतजार के बाद, Next Generation Fighter Plane- ऱफाएल मिल गया है। बहुत जल्द वो भारत के आसमान में उड़ेगा।


साथियों,


आप तो यूनीफॉर्म में बैठे हैं। आप इस बात से और ज्यादा relate करेंगे कि ये यूनीफॉर्म अपने साथ कितने कर्तव्य लेकर आती है। इसी कर्तव्य की खातिर हमारा जवान, सीमा पर, देश के भीतर, कभी आतंकवादियों से, कभी नक्सलवादियों से मोर्चा लेता है।


सोचिए, उसके पास अगर बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं होगी तो क्या होगा?


लेकिन हमारे यहां ऐसी भी सरकारें रही हैं, ऐसे भी लोग रहे हैं जिन्हें जवानों को बुलेटप्रूफ जैकेट देने तक में तकलीफ थी। वर्ष 2009 से हमारे जवान बुलेटप्रूफ जैकेट मांगते रहे, लेकिन तब के हुक्मरानों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।


क्या मेरा जवान, ऐसे ही आतंकियों की, नक्सलियों की गोलियों का शिकार होता रहता?


उसने देश के लिए मरने की कसम खाई है लेकिन उसकी जान, हमारे जैसों से कहीं ज्यादा कीमती है।


और इसलिए हमारी सरकार ने न सिर्फ जवानों के लिए पर्याप्त बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने का आदेश दिया बल्कि अब तो भारत दूसरे देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट के निर्यात की ओर बढ़ रहा है।


साथियों,


आप में से कई कैडेट्स ऐसे होंगे जिनके परिवार में कोई न कोई फौज में होगा। आप किसी से मिलते हैं, तो गर्व से यही कहते हैं कि मेरे पापा या मेरे चाचा या भईया या दीदी आर्मी में हैं।


सेना के जवानों के प्रति हमारे मन में स्वाभाविक गौरव की भावना होती है। वो देश के लिए इतना कुछ करते हैं कि उन्हें देखते ही भीतर से सम्मान की भावना उमड़ पड़ती है। लेकिन वन रैंक वन पेंशन की उनकी 40 साल, फिर से कह रहा हूं, ध्यान से सुनिएगा- वन रैंक वन पेंशन की उनकी 40 साल पुरानी मांग को पहले की सरकारें पूरा नहीं कर पाईं।


ये हमारी ही सरकार है जिसने 40 साल पुरानी इस मांग को पूरा किया, वन रैंक वन पेंशन लागू किया।


साथियों,


सीमा पर हमारे जो जवान होते हैं, वो देश की सीमा की ही नहीं, देश के लोगों की ही नहीं, देश के स्वाभिमान की भी रक्षा करते हैं। किसी भी आजाद देश की पहली पहचान होती है- स्वाभिमान। देश के स्वाभिमान की रक्षा करने वाले हमारे वीर सैनिकों के लिए आजादी के बाद से ही नेशनल वॉर मेमोरियल की मांग होती रही है। इसी तरह देश की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए अपनी जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के लिए पुलिस मेमोरियल की मांग भी दशकों से की जाती रही ।


क्या कोई कल्पना कर सकता है कि इस एक काम के लिए 50-50 साल, 60-60 साल तक का इंतजार करना पड़े।


ये कैसा तरीका था, कैसी सोच थी, किस रास्ते पर देश को ले जा रहे थे वो लोग?


कुछ लोगों द्वारा, भारत के शहीदों को भुला देने का पाप करने की कोशिश की गई।


देश की सेना, सुरक्षाबलों का स्वाभिमान, उनका आत्मगौरव बढ़ाने के बजाय, उनके स्वाभिमान पर चोट की गई।


क्या NCC का यहां बैठा केडेट इस बात से सहमत होगा?


आपकी युवा सोच, आपका युवा मन जो चाहता है, वही हमारी सरकार ने किया। आज दिल्ली मेंनेशनल वॉर मेमोरियल भी है और नेशनल पुलिस मेमोरियल भी।


साथियों,


आज पूरे विश्व में अलग-अलग स्तर पर सैन्य व्यवस्थाओं में परिवर्तन हो रहा है। हम सभी जानते हैं कि अब हाथी-घोड़ों पर बैठकर लड़ाई नहीं जीती जाती। आधुनिक युद्ध में जल-थल-नभ यानी हमारी आर्मी, हमारी नेवी और एयरफोर्स को कॉर्डिनेटेड तरीके से ही आगे बढ़ना होता है।


वर्षों से देश में इस बात पर चर्चा हो रही थी कि तीनों सेनाओं में सिनर्जी बढ़ाने के लिए, कॉर्डिनेशन बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ-CDS की नियुक्ति की जाए।


लेकिन दुर्भाग्य से इस पर चर्चा ही होती रही, फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूमती रही, किसी ने निर्णय नहीं लिया।


सोच वही थी- क्या फायदा, चल ही रहा है न !!!


साथियों,


डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री अफेयर्स का गठन, CDS के पद का गठन, CDS के पद पर नियुक्ति, ये काम भी हमारी ही सरकार ने किया है।


उसी युवा सोच के साथ जो कहती है कि अब टालो मत, अब फैसला लो।


और ये भी ध्यान रखिए, onePlus one Plus oneअगर तीन होता है CDS की नियुक्ति के बाद अब onePlus one Plus one, एक सौ ग्यारह यानि 111 हो जाता है।


साथियों,


आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या कोई देश, अपने हक का पानी भी ऐसे ही बह जाने दे। लेकिन भारत में ये भी हो रहा था। भारत का किसान पानी की कमी से परेशान था और देश का पानी बहकर पाकिस्तान जा रहा था। किसी ने इस पानी को भारत के किसान तक पहुंचाने की हिम्मत ही नहीं दिखाई। हमने पाकिस्तान जा रहा पानी रोकने का फैसला किया और अब इस पर तेजी से काम हो रहा है। भारत के हक का पानी अब भारत में ही रहेगा।


साथियों,


जब देश आजाद हुआ, तो बंटवारा किसकी सलाह से हुआ, किसके स्वार्थ की वजह से हुआ, क्यों जिन लोगों ने स्वतंत्र भारत की कमान संभाली वो बंटवारे के लिए तैयार हुए, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।


आप अच्छी किताबें पढ़ेंगे, पूर्वाग्रह से रहित इतिहासकारों की रचनाएं पढ़ेंगे, तो आपको सच्चाई पता चलेगी। लेकिन आज इस समय सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर जो इतना भ्रम फैलाया जा रहा है, जो विरोध किया जा रहा है, उसकीसच्चाई देश के युवाओं को जानना आवश्यक है।


साथियों,


स्वतंत्रता के बाद से ही स्वतंत्र भारत ने पाकिस्तान में, बांग्लादेश में, अफगानिस्तान में रह गए हिंदुओं-सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से ये वादा किया था कि अगर उन्हें जरूरत होगी, तो वो भारत आ सकते हैं, भारत उनके साथ खड़ा रहेगा।


यही इच्छा गांधी जी की भी थी, यही1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते की भी भावना थी। इन देशों में जिन लोगों पर उनकी आस्था की वजह से अत्याचार हुआ, भारत का दायित्व था कि उन्हें शरण दे, उन्हें भारत की नागरिकता दे। लेकिन इस विषय से और ऐसे हजारों लोगों से मुंह फेर लिया गया।


ऐसे लोगों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को रोकने के लिए, भारत के पुराने वायदे को पूरा करने के लिए आज जब हमारी सरकार सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट लेकर आई है, ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दे रही है, तो कुछ राजनीतिक दलअपने वोटबैंक पर कब्जा करने की स्पर्धा में लगे हैं।


आखिर किसके हितों के लिए काम कर रहे हैं ये लोग?


क्यों इन लोगों को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार दिखाई नहीं देते?


सिर्फ आस्था की वजह से पाकिस्तान में इन बेटियों पर जो जुल्म होते हैं, उनके साथ बलात्कार होते हैं, उनका अपहरण होता है, इन सबको क्यों झुठलाने पर तुले हुए हैं ये लोग?


साथियों, इनमें से कुछ लोग शोषितो की आवाज बनने का ढोंग कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन लोगों को पाकिस्तान में शोषितो पर अत्याचार दिखाई नहीं देता। ये लोग भूल जाते हैं कि पाकिस्तान से जो लोग धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भागकर भारत आए हैं, उनमें से ज्यादातर शोषित ही हैं।


साथियों,


कुछ समय पहले पाकिस्तान में वहां की सेना ने एक विज्ञापन छपवाया था। सेना में सफाई-कर्मचारियों की भर्ती के लिए। उन विज्ञापनों में क्या लिखा था पता है आपको?


उनमें लिखा था- सफाई कर्मचारी के लिए वही अप्लाई कर सकते हैं जो मुसलिम नहीं हैं। यानि ये विज्ञापन किसके लिए था? हमारे इन्हीं शोषित भाई-बहनों के लिए। उनको इसी नजर से देखा जाता है पाकिस्तान में। ये स्थिति है वहां की।


साथियों,


बंटवारे के समय बहुत से लोग भारत छोड़कर चले गए। लेकिन यहां से जाने के बाद ये लोग यहां की संपत्तियों पर अपना हक जताते थे।


हमारे शहरों के बीचो-बीच खड़ी, लाखों करोड़ की इन संपत्तियों पर भारत का हक होते हुए भी ये देश के काम नहीं आ रही थीं। दशकों तक Enemy Property बिलको लटकाकर रखा गया। जब हम इसे लागू करवाने के लिए संसद में लेकर आए, तो कानून को पास करवाने में हमें नाको चने चबाने पड़ गए।


मैं फिर पूछूंगा- किसके हित के लिए ऐसा किया गया?


जो लोग सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट का विरोध करने निकले हैं, वही लोग Enemy Property कानून का विरोध कर रहे थे।


साथियों,


बंटवारे के बाद भारत और तब के पूर्वी पाकिस्तान, आज के बांग्लादेश के बीच भी कुछ क्षेत्रों में सीमा विवाद चलता रहा है। इस विवाद को सुलझाने के लिए भी कोई ठोस पहल नहीं हुई।


अगर सीमा ही विवादित रहेगी तो फिर घुसपैठ कैसे रुकेगी?


अपने निजी हित के लिए विवाद को लटकाए रखो, घुसपैठियों को आने का खुला रास्ता दो, अपनी राजनीति चलाते रहो, यही चल रहा था हमारे देश में।


ये हमारी सरकार है जिसने बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद को सुलझाया। हमने दो मित्र देशों के साथ आमने-सामने बैठकर बात की, एक दूसरे को सुना, एक दूसरे को समझा और एक ऐसा समाधान निकाला जिसमें दोनों देश सहमत हों। मुझे संतोष है कि आज न सिर्फ सीमा विवाद सुलझ चुका है बल्कि भारत और बांग्लादेश के संबंध भी आज ऐतिहासिक स्तर पर हैं। हम दोनों आपस में मिलकर गरीबी से लड़ रहे हैं।


साथियों,


भारत के बंटवारे के समय कागज पर एक लकीर खींच दी गई थी। देश का विभाजन कर दिया गया था। कागज पर खींची गई इसी लकीर ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को हमसे दूर कर दिया था, उसे पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया था।


करतारपुर, गुरुनानक की भूमि थी। करोड़ों देशवासियों की आस्था उस पवित्र स्थान से जुड़ी थी। उसे क्यों छोड़ दिया गया? जब पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को बंदी बनाया गया था, तभी कह दिया गया होता कि कम से कम करतारपुर साहिब तो हमें वापस दे दो।


लेकिन ये भी नहीं किया गया। दशकों से सिख श्रद्धालु इस इंतजार में थे कि उन्हें आसानी से करतारपुर पहुंचने का अवसर मिले, वो गुरूभूमि के दर्शन कर पाएं। करतारपुर कॉरिडोर बनाकर ये काम भी हमारी ही सरकार ने किया।


साथियों,


श्रीराम जन्मभूमि का केस अदालत में दशकों तक लटका रहा, तो उसके पीछे भी इन लोगों की यही सोच है- अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए अहम विषयों को लटकाओ, देश के लोगों को भटकाओ। ये लोग अदालतों के चक्कर काटते रहते थे कि किसी भी तरह सुनवाई टल जाए, अदालत फैसला न सुना पाए। क्या-क्या तरीके अपनाए गए, ये देश ने देखा है। इनकी सारी चालों को हमारी सरकार ने Expose किया, जो रोड़े ये लगा रहे थे, उन्हें हटाया और आज इतने महत्वपूर्ण और संवेदनशील केस का भी फैसला हो चुका है।


साथियों,


दशकों पुरानी समस्याओं की सुलझा रही हमारी सरकार के फैसले पर जो लोग सांप्रदायिकता का रंग चढ़ा रहे हैं, उनका असली चेहरा भी देश देख चुका है और देख रहा है।


मैं फिर कहूंगा- देश देख रहा है, समझ रहा है। चुप है, लेकिन सब समझ रहा है। वोटबैंक के लिए कैसे दशकों तक इन लोगों ने मनगढ़ंत झूठ फैलाए हैं, इसे भी देश जान गया है।


समाज के भिन्न-भिन्न स्तरों पर बैठे हुए ये लोग अब पूरी तरह Expose हो चुके हैं। हर रोज इनके बयान, इन्हें और इनकी सोच को Expose कर रहे हैं।


ये वो लोग हैं जिन्होंने स्वहित को हमेशा देशहित से ऊपर रखा। ऐसे लोगों ने वोटबैंक की पॉलिटिक्स करके समस्याओं को दशकों तक सुलझने नहीं दिया।


साथियों,


आप केडेट्स के जन्म से भी बहुत साल पहले, ये 1985-86 की बात थी जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने, हमारे सुप्रीम कोर्ट ने मुसलिम महिलाओं को, देश की अन्य बहनों-बेटियों की तरह ही अधिकार देते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। लेकिन इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया। इतने वर्षों में जिन हजारों-लाखों मुसलिम बहनों-बेटियों को ट्रिपल तलाक की वजह से जिंदगी नर्क हुई, क्या उसके गुनहगार ये लोग नहीं हैं? हैं, बिल्कुल हैं।


इन लोगों की तुष्टिकरण की इसी राजनीति की वजह से मुसलिम बहनों-बेटियों को दशकों तक ट्रिपिल तलाक के भय से मुक्ति नहीं मिल पाई। जबकि दुनिया के अनेक मुसलिम देश, अपने यहां ट्रिपल तलाक बैन कर चुके थे। लेकिन भारत में इन लोगों ने ऐसा करने नहीं दिया।


सोच वही थी- न बदलेंगे, न बदलने देंगे।


इसलिए देश ने इन लोगों को ही बदल दिया। ये हमारी सरकार है जिसने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाया है, मुसलिम महिलाओं को नए अधिकार दिए हैं।


साथियों,


जिस दिल्ली में ये आयोजन हो रहा है, उसी दिल्ली में, देश की राजधानी में, आजादी के बाद लाखों विस्थापितों को बसाया गया। समय के साथ और भी लाखों लोग दिल्ली आए और बसे। दिल्ली में ऐसी 1700 से ज्यादा कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दशकों तक, उनके घर का मालिकाना हक नहीं मिला था। कहने को घर अपना था, लेकिन कानून की नजर में नहीं। ऐसे 40 लाख से ज्यादा लोगों की मांग थी कि उन्हें अपने घर का मालिकाना हक तो दिया जाए।


लेकिन दशकों तक उनकी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। जब हमारी सरकार ने कोशिश की, तो उसमें भी रोड़े अटकाने का काम किया गया।


ये युवा भारत की सोच है, न्यू इंडिया की सोच है जिसने दिल्ली के 40 लाख लोगों के जीवन से, उनकी सबसे बड़ी चिंता को दूर कर दिया है। हमारी सरकार के फैसले का लाभ हिंदुओं को होगा और मुस्लिमों को भी, सिखों को होगा और ईसाइयों को भी।


साथियों,


हमारे लिए प्रत्येक देशवासी का महत्व है और इसी सोच के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। असम में जिस ब्रू-रियांग जनजाति का जिक्र मैंने पहले भी किया, उसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया था, अब उन्हें भी उनके जीवन की सबसे बड़ी चिंता से हमारी ही सरकार ने मुक्त किया है। इन लोगों को मिजोरम से भागकर त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी। बरसों से ये लोग विस्थापित का जीवन जी रहे थे। न रहने का ठिकाना, न बच्चों का कोई भविष्य।


पहले की सरकारें इनकी समस्याओं को टाल रहीं थीं। हमने सबको साथ लिया और एक समाधान खोजा। आने वाले वर्षों में सरकार ब्रू-रियांग जनजाति का जीवन आसान बनाने के लिए 600 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।


साथियों,


यहाँ बैठा हर नौजवान चाहता है कि देश में भ्रष्टाचार खत्म हो। भ्रष्टाचार हमारे देश के साधनों-संसाधनों को दीमक की तरह चाटता रहा। इसने अमीर को और अमीर बनाया, गरीब को और गरीब। यहां तक की देश के प्रधानमंत्री तक ने एक बार कहा था कि केंद्र सरकार गरीब के लिए अगर एक रुपया भेजती है तो सिर्फ 15 पैसा ही पहुंचता है। यही स्थिति थी। लेकिन इसे बदलने के लिए क्या किया गया? सिर्फ खानापूरी-सिर्फ दिखावा। ईमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश ही नहीं की गई।


हमारी सरकार ने जनधन आधार और मोबाइल की शक्ति से, आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से, इस तरह के भ्रष्टाचार को काफी हद तक काबू में कर लिया है। हमारी सरकार ने ऐसा करके, 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचाए हैं।


साथियों,


1988 में देश में एक कानून बना था बेनामी संपत्ति के खिलाफ। देश की संसद ने इसे पास किया था। लेकिन 28 साल तक इस कानून को लागू ही नहीं किया गया। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून को इन लोगों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया था।


ये हमारी ही सरकार है जिसने न सिर्फ बेनामी संपत्ति कानून लागू किया बल्कि हजारों करोड़ की अवैध संपत्ति इस कानून के तहत जब्त की जा चुकी है।


मैं आपसे एक और सवाल करता हूं। क्योंकि इसका जवाब सुनकर आप और भी चौंक जाएंगे।


आपके घर में जितनी बड़ी रसोई होती है, क्या उतनी जगह में 400-500 लोग आ सकते हैं?


नहीं न !!!


अच्छा ये बताइए, क्या रसोई जितनी जगह में 2 हजार, 3 हजार लोग आ सकते हैं?


नहीं न !!!


मुझे भी पता है। लेकिन पहले देश में कागजों पर ऐसा ही हो रहा था। रसोई जितनी जगह से देश में चार-चार सौ, पाँच-पाँच सौ कंपनियां चल रही थीं। कागज परइन कंपनियों के कई-कई कर्मचारी भी होते थे।


ये कंपनियां किस काम में आती थीं? इधर का काला धन उधर। उधर का काला धन इधर। यही इनका काम था।


हमारी सरकार ने ऐसी साढ़े तीन लाख से ज्यादा संदिग्ध शेल कंपनियों को बंद कर दिया है।


ये काम भी पहले हो सकता था। लेकिन नीयत नहीं थी, युवा भारत वाली सोच नहीं थी।


हम समस्याओं का समाधान चाहते हैं, उन्हें लटकाए रखना नहीं चाहते।


GST हो, गरीबों को आरक्षण का फैसला हो, रेप के जघन्य अपराधों में फांसी का कानून, हमारी सरकार इसी युवा सोच के साथ लोगों की बरसों पुरानी मांगों को पूरा करने का काम कर रही है।


साथियों,


20वीं सदी के 50 साल और 21वीं सदी के 15-20 साल, हमें दशकों पुरानी समस्याओं के साथ जीने की जैसे आदत हो रही थी।


किसी भी देश के लिए ये स्थिति ठीक नहीं। हम भारत के लोग, ऐसा नहीं होने दे सकते। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने जीते जी इन समस्याओं से देश को मुक्त करें।


हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को, ऐसी समस्याओंमें उलझाकर जाएंगे, तो देश के भविष्य के साथ अन्याय करेंगे। हम ऐसा नहीं होने दे सकते।


और इसलिए, मैं आने वाली पीढ़ियों के लिए, देश के युवाओं के भले के लिए, सारे राजनीतिक प्रपंचों का सामना कर रहा हूं।


मैं इन लोगों की सारी साजिशों को नाकामयाब कर रहा हूं, ताकि देश कामयाब हो सके। मैं सारी आलोचना, सारी गालियां सामने आकरखा रहा हूं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस स्थिति से नहीं गुजरना पड़े।


मैं हर गाली के लिए, हर आलोचना के लिए, हर जुल्म सहने के लिए तैयार हूं लेकिन देश को इन परिस्थितियों में अटकाए रखने के लिए तैयार नहीं।


आजकल ये लोग प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं, विदेशी मीडिया के अपने जैसे लोगों द्वारा ये फैला रहे हैं कि हमारी सरकार ने जो फैसले लिए, उसने मोदी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।मोदी इन बातों के लिए पैदा ही नहीं हुआ है। ये लोग बदलते हुए भारत को, समझ ही नहीं पाए हैं।


इनके दबावों का सामना करते हुए मुझे बरसों बीत गए हैं। जितना ये लोग खुद को नहीं जानते, उससे ज्यादा मैं इनकी रग-रग से औऱ हर तिकड़म से वाकिफ हूं। इसलिए ये लोग किसी भी भ्रम में न रहें।


साथियों,


अनेकों समस्याओं की बेड़ियों में जकड़ा हुआ देश, आगे कैसे बढ़ेगा?


हम समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं और बेड़ियों को भी तोड़ रहे हैं।


ये देश हमें ही मजबूत बनाना है, हमें ही इसे विकास की नई ऊँचाई पर पहुंचाना है।


साल 2022 में, जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएंगे, तब ऐसी अनेक समस्याओं से हमें देश को हमेशा-हमेशा के लिए मुक्त कर देना है।


स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही समस्याओं से ये मुक्ति ही इस दशक में नए भारत को सशक्त करेगी।


जब देश पुरानी समस्याओं को समाप्त करके आगे बढ़ेगा, तो उसका सामर्थ्य भी खिल उठेगा।


भारत की ऊर्जा वहां लगेगी, जहां लगनी चाहिए।


चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत को, युवा भारत को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। हमें अपनी अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाई पर ले जाना है।


हमें मिलकर एक आत्मनिर्भर, सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित भारत बनाना है।


साथियों,


वर्ष 2022, इतना बड़ा अवसर है, ये दशक इतना बड़ा अवसर है। इसकी सबसे बड़ी ताकत हमारी युवा ऊर्जा है। इसी ऊर्जा ने हमेशा देश सँभाला है और यही ऊर्जा इस दशक को भी संभालेगी।


आइए, कर्तव्य पथ पर बढ़ चलें।


समस्याओं के समाधान के आगे, अब राष्ट्र निर्माण की नई मंजिलें हमारा इंतजार कर रही हैं।


इन मंजिलों पर हम मिलकर पहुंचेंगे, जरूर पहुंचेंगे, इसी विश्वास के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।


आपका बहुत लंबा समय मैंने लिया।


एक बार फिर बहुत-बहुत धन्यवाद।


भारत माता की जय !!!


जय हिंद !!!



संभावित कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में श्वास नली के लक्षणों से बचाव की सलाह

29-01-2020 को जारी किए गए निवारक उपायों के साथ-साथ कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण कोरोना वायरस मामलों में श्‍वास नली के लक्षणों से बचाव की सलाह नीचे दी गई है:


आयुष प्रणाली पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों पर आधारित है। देश की पारंपरिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल प्रणाली शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उचित जीवनशैली की तरफदारी करती है। प्रतिरक्षा विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद करती है। हाल ही में, कोरोना वायरस का प्रकोप देखा गया है, जो मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। आयुष मंत्रालय निवारक उपाय के रूप में परामर्श जारी कर रहा है। आयुष मंत्रालय के तहत अनुसंधान परिषदें विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों में शामिल हैं और आम जनता के लिए समय-समय पर जीवनशैली की तरफदारी उपलब्‍ध कराती हैं।


आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन उपाय  सुझाए गए हैं-



  • शदांग पानिया (मस्‍टा, परपट, उशीर, चंदन, उडीच्‍या और नागर) संसाधित पानी (1 लीटर पानी में 10 ग्राम पाउडर डालकर तब तक उबालें जब तक  यह आधा हो जाए) पीएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और प्यास लगने पर पी लें।

  • आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार रोगनिरोधी उपाय/इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाइयां।

  • स्वस्थ आहार और जीवनशैली पद्धतियों के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपाय किए जाएं।

  • अगस्त्य हरितकी 5 ग्राम, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।

  • समशामणि वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार लें।

  • त्रिकटु (पिप्पली, मारीच और शुंठी) पाउडर 5 ग्राम और तुलसी 3 से 5 पत्तियॉं एक लीटर पानी में तब तक उबाले,  जब तक पानी आधा लीटर न रह जाएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे पीएं।

  • प्रतिमर्षा नस्य: अनुतैल/तिल तेल की दो-दो बूंद प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह लगाएं।


होम्योपैथी पद्धतियों के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन कदम उठाने का सुझाव हैं-


     विशेषज्ञों के समूह ने परस्‍पर यह सिफारिश की है कि होम्योपैथी दवा आर्सेनिकम एल्बम 30 संभावित कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोगनिरोधी दवा के रूप में ली जा सकती है। इसे आईएलआई की      रोकथाम में भी लेने की सलाह दी गई है। आर्सेनिकम एल्बम 30 की एक खुराक तीन दिनों तक रोजाना खाली पेट लेने की भी सलाह दी गई है। अगर समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण मौजूद हो, तो यह खुराक एक महीने के बाद दोहरायी जानी चाहिए।


यूनानी प्रथाओं के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन कदम सुझाए गए हैं।


· बेहिदाना  (सिदोनिया ओबलोंगा) 3 ग्राम, उनाब ज़िज़िफ़स (जुज्यूब लिन) 5 नग, सैपिस्तां (कॉर्डिया माइक्‍सा लिन) 7 नग को 1 लीटर पानी में आधा होने तक उबालकर काढ़ा तैयार करें। इसे बोतल में भरकर आवश्यकता पड़ने पर धीरे-धीरे पीएं।


· रोगनिरोधी उपायों के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को इस उद्देश्य के लिए मजबूत बनाने की जरूरत है। खमीरा मार्वेरीड 3 से 5 ग्राम रोजाना लें।


यह परामर्श केवल जानकारी के लिए है। इसे पंजीकृत आयुर्वेदहोम्‍योपैथी और यूनानी चिकित्‍सकों के परामर्श से अमल में लाया जाए।