Wednesday, February 26, 2020

भारतीय रेलवे का सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा रिकॉर्ड

भारतीय रेलवे ने वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा रिकॉर्ड दर्ज किया है। इस वर्ष में अब तक (01-04-2019 से 24-02-2020) किसी रेल दुर्घटना में किसी भी रेल यात्री की मौत नहीं हुई है। 166 वर्ष पूर्व 1853 में भारत में रेलवे प्रणाली की शुरुआत के बाद से वर्ष 2019-20 में यह अद्भुत सफलता पहली बार हासिल की गई है। पिछले 11 महीने में किसी भी रेल यात्री की मौत नहीं होना भारतीय रेलवे द्वारा सुरक्षा में चौतरफा सुधार करने के निरंतर जारी प्रयासों का परिणाम है। रेलवे के लिए सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, सुरक्षा में सुधार के लिए किए गए उपायों में रेल पटरियों को बड़े पैमाने पर बदलना, प्रभावी तरीके से पटरियों का रख-रखाव, सुरक्षा पहलुओं की कड़ी निगरानी, रेल कर्मचारियों के प्रशिक्षण में सुधार, सिगनल प्रणाली में सुधार, सुरक्षा कार्यों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, परंपरागत आईसीएफ कोचों के स्थान पर विभिन्न चरणों में आधुनिक और सुरक्षित एलएचबी कोचों को लगाना शामिल है। साथ ही बड़ी लाइनों पर मानवरहित लेवल क्रॉसिंग गेटों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं खत्म हुई हैं और ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन को गति मिली है।


राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) के रूप में वर्ष 2017-18 में शुरू की गई निविष्टियों के साथ यह संभव हुआ है। एक लाख करोड़ रुपये की यह राशि अगले पांच वर्ष में खर्च की जाएगी, जिसका वार्षिक व्यय 20 हजार करोड़ रुपये है। इस राशि के साथ आवश्यक प्रकृति के अत्यंत महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्यों को शुरू करना संभव हुआ और उसके नतीजे स्पष्ट हैं।    



मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रे ने आईआईटी दिल्ली में स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों के बारे में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रे ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी रोपड, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया है। आईआईटी दिल्ली ने अपने यहां शुरू किए गए एरोग्राम और क्रिया लैब्स नामक स्टार्ट-अप्स के माध्यम से स्वच्छ हवा के क्षेत्र में किए गए कार्य का प्रदर्शन किया।


इस अवसर पर श्री संजय धोत्रे ने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरणीय चिंताओं के इस युग में स्वच्छ पर्यावरण के संबंध में नागरिक जागरूकता को सबसे अधिक प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार देश में वायु प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तरों से लड़ने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार स्वच्छ वायु के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सभी संभव उपाए कर रही है और देश में स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकी के विकास और प्रोत्साहन के लिए सभी संभव सहायता उपलब्ध करा रही है।


उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि भारत सरकार देश में सतत आधार पर प्रदूषण के स्तरों को कम करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के हर नागरिक और हर संगठन के लिए देश में बढ़ते हुए वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए राष्ट्रीय प्रयास में जुड़ कर सम्मिलित योगदान देना बहुत महत्वपूर्ण है। उपलब्ध कानूनों के सहयोग, नीतिगत उपायों को लागू करके, प्रदूषण कानूनों को अमल में लाकर, जागरूकता अभियानों या हमारे आईआईटी जैसे अनुसंधानों द्वारा विकसित कम लागत वाली स्वदेशी स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर आशाजनक परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। भारत सरकार तकनीकी विकास, प्रौद्योगिकी औद्योगिकीकरण, वैश्विक सहयोग और अनुसंधान तथा विकास में निवेश के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में निवारक कदम उठाए जाने की जरूरत है।


श्री धोत्रे ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां वायु प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों द्वारा किए जा रहे उच्च स्तर के अनुसंधान का प्रदर्शन करने का अवसर उपलब्ध कराती है। इसके अलावा इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग के लिए एक उत्कृष्ट मंच उपलब्ध कराती है ताकि पूरे राष्ट्र द्वारा इसके लाभ उठाए जा सकें।



श्री प्रह्लाद जोशी ने ओडिशा स्थित नाल्‍को के परिसर में क्रशर और कन्वेयर सिस्टम की आधा‍रशिला रखी

केन्‍द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने आज ओडिशा के दमनजोड़ी स्थित नाल्‍को के खनन एवं रिफाइनरी (एमएंडआर) परिसर में क्रशर और कन्वेयर सिस्टम की आधारशिला रखी। यह सिस्‍टम इस कंपनी की अल्‍युमिना रिफाइनरी की पांचवीं स्‍ट्रीम के लिए बॉक्‍साइट की जरूरतों को पूरा करेगा। यह परियोजना अप्रैल, 2022 तक पूरी हो जाने की आशा है और इस पर लगभग 483 करोड़ रुपये की लागत आएगी।


केन्‍द्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने उपर्युक्‍त सिस्‍टम की आधारशिला रखने के बाद दमनजोड़ी स्थित एमएंडआर परिसर में नाल्‍को के कर्मचारियों से बातचीत करते हुए कहा, ‘एक देश के रूप में हमारा लक्ष्‍य वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनना है और मुझे पूरा भरोसा है कि नाल्‍को इस विकास यात्रा में सफलता की एक गाथा होगी।’


उन्‍होंने इस बात का उल्‍लेख किया कि 96 प्रतिशत क्रोमाइट और 44 प्रतिशत मैंगनीज संसाधनों के अलावा देश के लगभग 51 प्रतिशत बॉक्‍साइट, 25 प्रतिशत कोयला और 34 प्रतिशत लौह अयस्‍क संसाधन ओडिशा में ही हैं। श्री जोशी ने कहा, ‘हमारी सरकार ने खनिज की दृष्टि से समृद्ध राज्‍यों में अंतर्निहित खनन संबंधी क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, ताकि देश के साथ-साथ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी लाभान्वित हो सकें।’ उन्‍होंने इस क्षेत्र में खनन संबंधी कार्यकलापों में सहयोग देने के लिए राज्‍य सरकार की सराहना की। इसके साथ ही उन्‍होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इससे राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था के विकास की गति को तेज करने में मदद मिलेगी।


इससे पहले श्री जोशी ने सोमवार को विशाखापत्तनम में नाल्‍को की समीक्षा बैठक की अध्‍यक्षता की। इस दौरान उन्‍होंने कंपनी के वरिष्‍ठ अधिकारियों को सुरक्षा पर विशेष ध्‍यान देते हुए उत्‍पादन स्‍तर बढ़ाने का निर्देश दिया, ताकि वार्षिक लक्ष्‍य की प्राप्ति की जा सके। उन्‍होंने लगातार चौथे वर्ष नाल्‍को के पूरे विश्‍व में बॉक्‍साइट और अल्‍युमि‍ना की सबसे सस्‍ती उत्‍पादक कंपनी बनने पर खुशी जताई। उन्‍होंने एक सुदूरवर्ती क्षेत्र में परिचालन किए जाने से उत्‍पन्‍न चुनौतियों के बीच क्षमता उपयोग के लिए भी नाल्‍को की सराहना की।


केन्‍द्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने कोरापुट जिले में स्थित पंचपटमाली बॉक्साइट खदान का भी दौरा किया। एशिया की सबसे बड़ी बॉक्‍साइट खदान यही है जिसमें लगभग 310 मिलियन टन बॉक्‍साइट का भंडार है।


नेशनल अल्‍युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्‍को) भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन एक नवरत्‍न सीपीएसई (केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) है, जिसका मुख्‍यालय ओडिशा के भुवनेश्‍वर में है। यह कंपनी एशिया के सबसे बड़े एकीकृत बॉक्‍साइट – अल्‍युमिना – अल्‍युमिनियम – पावर काम्‍प्‍लेक्‍सो में से एक है।



टैरिफ अधिसूचना संख्‍या 17/2020 सीमा शुल्‍क (एन.टी.)

सीमा शुल्‍क अधिनियम, 1962 (1962 की 52) की धारा 14 की उप-धारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्‍द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीआईसी) ने आवश्‍यक समझते हुए वित्‍त मंत्रालय (राजस्‍व विभाग) में भारत सरकार की अधिसूचना संख्‍या 36/2001-सीमा शुल्‍क (एन.टी.), दिनांक 3 अगस्त 2001, जिसे भारत के राजपत्र में विशेष रूप से संख्‍या एस.ओ. 748 (ई) के नाम से भाग-।।, अनुभाग-3, उप-अनुभाग (ii) में दिनांक 3 अगस्‍त, 2001 को प्रकाशित किया गया है, में निम्‍नलिखित संशोधन किये हैं।


उपर्युक्‍त अधिसूचना में, तालिका-1, तालिका-2 और तालिका-3 के लिए निम्‍नलिखित तालिकाओं को प्रतिस्थापित किया जाएगा : -


तालिका – 1








































































क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



1511 10 00



कच्चा पाम तेल



770 (यानी कोई बदलाव नहीं)



2



1511 90 10



आरबीडी पाम तेल



796 (यानी कोई बदलाव नहीं)



3



1511 90 90



अन्य - पाम तेल



783 (यानी कोई बदलाव नहीं)



4



1511 10 00



कच्चा पामोलिन



800 (यानी कोई बदलाव नहीं)



5



1511 90 20



आरबीडी पामोलिन



803 (यानी कोई बदलाव नहीं)



6



1511 90 90



अन्य - पामोलिन



802 (यानी कोई बदलाव नहीं)



7



1507 10 00



कच्चा सोयाबीन तेल



795 (यानी कोई बदलाव नहीं)



8



7404 00 22



पीतल कतरन


(सभी श्रेणियां)



3328 (यानी कोई बदलाव नहीं)



9



1207 91 00



पोस्ता दाना



3623 (यानी कोई बदलाव नहीं)



 


तालिका-2


 










































क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



71 या 98



किसी भी रूप में सोना, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 356 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



538 प्रति 10 ग्राम



2



71 या 98



किसी भी रूप में चांदी, जिसके संदर्भ में अधिसूचना संख्‍या 50/2017- सीमा शुल्‍क दिनांक 30.06.2017 की क्रम संख्‍या 357 में दर्ज प्रवि‍ष्टियों का लाभ उठाया जाता है



569 प्रति किलो (यानी कोई बदलाव नहीं)



3



71



(i) पदकों एवं चांदी के सिक्‍कों को छोड़ किसी भी रूप में चांदी, जिसमें चांदी सामग्री 99.9 प्रतिशत से कम न हो, अथवा चांदी के ऐसे अर्द्ध-निर्मित स्‍वरूप जो उप-शीर्षक 7106 92 के अंतर्गत आते हों


(ii) पदक एवं चांदी के सिक्‍के, जिनमें चांदी सामग्री 99.9 प्रतिशत से कम न हो, अथवा चांदी के ऐसे अर्द्ध-निर्मित स्‍वरूप जो 7106 92 के अंतर्गत आते हों, डाक या कुरियर अथवा यात्री सामान के जरिए इस तरह की वस्‍तुओं के आयात के अतिरिक्‍त


व्‍याख्‍या – इस प्रविष्टि के प्रयोजन के लिए किसी भी रूप में चांदी में विदेशी मुद्रा वाले सिक्‍के, चांदी के बने जेवरात अथवा चांदी की बनी सामग्री शामिल नहीं होगी।



569 प्रति किलो (यानी कोई बदलाव नहीं)



4



71



(i) तोला बार को छोड़ सोने की छड़ (गोल्‍ड बार) जिनमें निर्माता अथवा परिष्‍कृत करने वाले की अंकित क्रम संख्‍या और मीट्रिक यूनिट में दर्शाया गया वजन दर्ज हो


(ii) सोने के सिक्‍के जिनमें स्‍वर्ण सामग्री 99.5 प्रतिशत से कम न हो और गोल्‍ड फाइंडिंग्‍स, डाक या कुरियर अथवा यात्री सामान के जरिए इस तरह की वस्‍तुओं के आयात के अतिरिक्‍त


व्‍याख्‍या – इस प्रविष्टि के प्रयोजन के लिए ‘गोल्‍ड फाइंडिंग्‍स’ से आशय एक ऐसे छोटे उपकरण जैसे हुक, बकल, क्लैंप, पिन, कैच, स्क्रू बैक से है जिसका उपयोग पूरे गहने अथवा उसके एक हिस्‍से को आपस में जोड़े रखने के लिए किया जाता है।



538 प्रति 10 ग्राम



 


तालिका-3
























क्र.सं.



अध्याय / शीर्षक / उप-शीर्षक / टैरिफ आइटम



वस्‍तुओं का विवरण



टैरिफ मूल्य


(अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन)



(1)



(2)



(3)



(4)



1



080280



सुपारी



3782 (यानी कोई बदलाव नहीं)



 


नोट : मुख्‍य अधिसूचना भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग- II, खंड -3, उप-खंड (ii) में प्रकाशित की गई थी, जिसके लिए अधिसूचना संख्या 36/2001-सीमा शुल्क (एन.टी.), दिनांक 3 अगस्त, 2001 देखें और क्रमांक एस.ओ. 748 (ई), दिनांक 3 अगस्त, 2001 देखें। इसे पिछली बार जो संशोधित किया गया था उसके लिए अधिसूचना संख्‍या 13/2020 – सीमा शुल्‍क (एन.टी.), दिनांक 14 फरवरी, 2020 देखें। इसका ई-प्रकाशन भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग- II, खंड -3, उप-खंड (ii) में किया गया था, जिसके लिए क्रमांक एस.ओ. 719 (ई), दिनांक 14 फरवरी, 2020 देखें।



भारत और ब्रिटेन के बीच संयुक्‍त सैन्‍य प्रशिक्षण अभ्‍यास ‘अजेय वारियर–2020’ का समापन समारोह

भारत और ब्रिटेन के बीच संयुक्‍त सैन्‍य प्रशिक्षण अभ्‍यास ‘अजेय वारियर–2020’ का समापन ब्रिटेन के सैलिसबरी प्लेन्स ट्रेनिंग एरिया के वेस्ट डाउन कैंप में हुआ। ब्रिगेडियर टॉम बेविक, कमांडर, 7 इन्फैंट्री ब्रिगेड, ब्रिटेन और ब्रिगेडियर गैविन, भारत में ब्रिटेन के दूतावास में रक्षा विशेषज्ञ (अटैची) ने इस समापन समारोह में भाग लिया।


इस संयुक्‍त अभ्‍यास के पांचवें संस्‍करण में शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में संयुक्‍त प्रशिक्षण शामिल थे। इस अभ्‍यास के तहत महत्‍वपूर्ण व्‍याख्‍यानों के साथ-साथ उग्रवाद एवं आतंकवाद से निपटने के अनूठे तरीकों से जुड़े प्रदर्शन का संयुक्‍त रूप से पूर्वाभ्यास किया गया। इस अभ्‍यास की मुख्‍य बात यह थी कि इस दौरान सैनिकों ने मिलनसार और सौहार्द से जुड़ी उत्‍कृष्‍ट भावना का प्रदर्शन किया जिससे सभी स्‍तरों पर आपसी परिचालनों का एकीकरण सुनिश्चित हो पाया। इस संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास को नि:संदेह अभूतपूर्व कामयाबी मिली। इसके अलावा, इस संयुक्‍त अभ्‍यास से दोनों देशों की सेनाओं के बीच पारस्‍परिक समझ के साथ-साथ आपसी सहयोग से परिचालन करने को प्रोत्‍साहन मिला। यही नहीं, इस संयुक्‍त अभ्‍यास से भारत एवं ब्रिटेन के बीच आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ करने में भी मदद मिली।



ईईएसएल ने भारत को ऊर्जा दक्षता हासिल करने में मदद के एक दशक पूरे किए

      केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार)  श्री आर.के. सिंह ने भारत सरकार के स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम के तहत पूरे भारत में 10 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की घोषणा की। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और बिहार में पहले से ही काम कर रहे इन स्मार्ट मीटरों का उद्देश्य बिजली वितरण प्रणाली में दक्षता लाना है, जिससे सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके। इस कार्यक्रम को ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।


      ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उपक्रमों का एक संयुक्त उद्यम है, जिसे सरकार द्वारा ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं की सुविधा और ऊर्जा सेवा कंपनी के रूप में काम करने के लिए स्थापित किया गया है।


      ईईएसएल के 10 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में श्री सिंह ने कृषि फीडरों से जुड़े 100 मेगावाट क्षमता वाले विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों को चालू करने की घोषणा की। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की क्षमता प्रत्येक सबस्टेशन में 0.5 मेगावाट से लेकर 10 मेगावाट तक होती है।


      विद्युत मंत्री ने इस अवसर पर स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम, नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रोग्राम और सौर पहल कार्यक्रमों के डैशबोर्ड का भी शुभारंभ किया। इसके माध्‍यम से कार्यक्रमों की प्रगति और इसके प्रभाव की पारदर्शी तरीके से निगरानी की जा सकती है। श्री सिंह ने इसके साथ ही एक एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन - ईके ईईएसएल- का भी शुभारंभ किया। इस पर ईईएसएल के सभी कार्यक्रमों के सभी डैशबोर्ड सुलभ होंगे। राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कार्यक्रम के संदर्भ में, उन्‍होंने कहा कि ईईएसएल द्वारा शुरू किए गए इलेक्ट्रिक वाहन अब तक 2 करोड़ किलोमीटर चल चुके हैं।


      उन्‍होंने ईईएसएल को परिवर्तन का अग्रदूत बताते हुए कहा कि इसने लगभग 12 महीनों में 10.6 मिलियन स्ट्रीट लाइटों को बदल दिया है। इसके माध्‍यम से 36 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए और 80 करोड़ विभिन्‍न व्यापार माध्यमों से बेचे गए जिससे 80 मीट्रिक टन कार्बनडाईऑक्‍साइड के बराबर उत्सर्जन में कमी आई है। श्री सिंह ने कहा कि ईईएसएल ने सभी के लिए किफायती एलईडी बल्ब और स्ट्रीट लाइटों की उपलब्‍धता के जरिए सरकार के उजाला ओर उन्‍नत ज्‍योति कार्यक्रम का कुशल नेतृत्‍व किया है।


इस अवसर पर ईईएसएल और थाईलैंड सरकार के प्रोविंशियल एनर्जी अर्थोरिटी के बीच थाइलैंड के छोटे और मध्‍यम दर्जे के उद्योगों में ऊर्जा दक्षता उपायों के कार्यान्वयन के लिए दीर्घकालिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए।


      ऊर्जा दक्षता की संभावनाओं के दोहन के लिए 2009 में स्थापित,  ईईएसएल की ऊर्जा दक्षता पहल ने 58 बिलियन किलोवॉट से अधिक की ऊर्जा बचत की है और दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 46 मिलियन टन से अधिक की कमी की है।


      पिछले एक दशक से ईईएसएल अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी एजेंसियों, विनिर्माताओं, नवप्रवर्तकों, बहुपक्षीय एजेंसियों, शिक्षाविदों, अनुसंधान एवं विकास संगठनों, सेवा एजेंसियों आदि जैसे विभिन्न हितधारकों और भागीदारों के साथ बड़े पैमाने पर सहयोग कर रही हैं।


      कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संजीव नंदन सहाय, विभिन्‍न मंत्रालयों और राज्‍य सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारी, उद्योग जगत के प्रतिनिधि तथा कई गणमान्‍य लोग उपस्थित थे।   



रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली में मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की। इस रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्‍पादन विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों को अपनी वर्तमान परियोजनाओं एवं भावी योजनाओं से अवगत कराया।



श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा विनिर्माण के स्‍वदेशीकरण में मिधानी के उल्‍लेखनीय योगदान की सराहना की। इसके साथ ही श्री सिंह ने अन्‍य सेक्‍टरों जैसे कि अंतरिक्ष, ऊर्जा एवं रेलवे में अपने व्‍यवसाय के विविधीकरण के लिए भी मिश्र धातु निगम लिमिटेड की काफी प्रशंसा की। श्री सिंह ने इस बात पर विशेष बल दिया कि विशेष मिश्र धातुओं (एलॉय) एवं सामग्री के क्षेत्र में भारत को आत्‍मनिर्भर बनाने में मिश्र धातु निगम लिमिटेड महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। श्री सिंह ने इन अधिकारियों से नवाचार तथा अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) पर और भी अधिक फोकस करने को कहा। उन्‍होंने कहा कि अपने विशिष्‍ट उत्‍पादों एवं ग्राहकों तथा निर्यात की व्‍यापक संभावनाओं की बदौलत मिश्र धातु निगम लिमिटेड ने रक्षा कंपनियों के बीच अपनी अनूठी पहचान बना ली है।


मिश्र धातु निगम लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में उल्‍लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस कंपनी के विभिन्‍न उत्‍पादों का कुल मूल्‍य वित्त वर्ष 2014-15 के 640 करोड़ रुपये से लगभग 27 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 815 करोड़ रुपये के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया है। मिश्र धातु निगम लिमिटेड का बाजार पूंजीकरण 4,637 करोड़ रुपये के शिखर पर पहुंच गया है। यही नहीं, मिश्र धातु निगम लिमिटेड का शेयर भाव 20 फरवरी, 2020 को 248.45 रुपये के अब तक सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर को छू गया। ‘मिधानी’ के शेयरों की ट्रेडिंग अब भी प्रति शेयर 90 रुपये के निर्गम मूल्‍य से ज्‍यादा के भाव पर हो रही है।


जगुआर लड़ाकू विमान के लिए एडॉर एमके 811 इंजनों के कंप्रेसर हेतु उच्च-दाब वाली डिस्क के आयात के विकल्‍प का विनिर्माण करना और नौसेना में इस्‍तेमाल के लिए 74 किलो की टाइटेनियम कास्टिंग बनाना इस कंपनी की कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं।




श्री अर्जुन मुंडा ने ‘अखिल भारतीय जनजातीय कामगार सम्मेलन’ का उद्घाटन किया

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज भारतीय आदिम जाति सेवक संघ (बीएजेएसएस) द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय जनजातीय कामगार सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। उन्होंने ठक्कर बापा के चित्र पर माल्यर्पण किया। इस अवसर पर जनजातीय बाल छात्रावास और कात्यायनी बालिका आश्रम की निराश्रित लड़कियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।  


अपने उद्घाटन संबोधन में श्री मुंडा ने कहा कि भारतीय आदिम जाति सेवक संघ विशेष रूप से देश के जनजातीय, घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और विमुक्त जाति समुदायों तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम करता है और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करता है। बीएजेएसएस इन वर्गों के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। ऐसा एक समान नागरिक के रूप में देश के राष्ट्रीय जीवन में उनकी वैध हिस्सेदारी में उन्हें सक्षम बनाने की दृष्टि से किया जा रहा है। भारतीय आदिम जाति सेवक संघ एक व्यापक राष्ट्रीय स्तर का जनजातीय संग्रहालय का भी रखरखाव कर रहा है। ठक्कर बापा स्मारक सदन, निकट झंडेवालान, नई दिल्ली में स्थित इस संग्रहालय में जनजातीय वस्तुओं और जनजातीय संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है। इस संग्रहालय को देखने के लिए नियमित रूप से देशभर के छात्र, पर्यटक, विद्वान और मानवविज्ञानी यहां आते हैं।


भारतीय आदिम जाति सेवक संघ का 24 अक्टूबर 1948 को पूज्य ठक्कर बापा द्वारा गठन किया गया था। यह राष्ट्रीय स्तर का स्वैच्छिक संगठन है। ठक्कर बापा सर्वेंट्स ऑफ इंडियन सोसायटी के समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थे। एक निकट सहयोगी होने के नाते महात्मा गांधी ने उन्हें अछूतों की सेवा करते हुए जनजातीय लोगों की गरीबी की गहरी जड़ों को हटाने के लिए काम करने हेतु प्रोत्साहित किया। संघ के निर्माण में उन्हें अन्य प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं की सक्रिय भागीदारी भी प्राप्त हुई। संघ के पहले अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे, जो देश के पहले राष्ट्रपति बने और जब तक जीवित रहे वे राष्ट्रपति पद पर बने रहे।



अप्रैल, 2020 में राज्‍य सभा से सेवानिवृत्‍त होने वाले 55 सांसदों की रिक्‍त सीटों को भरने के लिए द्विवार्षिक चुनाव

17 राज्‍यों से निर्वाचित राज्‍य सभा के 55 सदस्‍यों या सांसदों का कार्यकाल अप्रैल 2020 में सेवानिवृत्‍त होने पर समाप्‍त हो जाएगा जिनका विवरण नीचे दिया गया है:  




































































































क्र. सं.



राज्‍य



सीटों की संख्‍या



सेवानिवृत्ति की तिथि




  1.  



महाराष्‍ट्र



7



02.04.2020


 




  1.  



ओडिशा



4




  1.  



तमिलनाडु



6




  1.  



पश्चिम बंगाल



5




  1.  



आंध्र प्रदेश



4



09.04.2020


 




  1.  



तेलंगाना



2




  1.  



असम



3




  1.  



बिहार



5




  1.  



छत्तीसगढ़



2




  1.  



गुजरात



4




  1.  



हरियाणा



2




  1.  



हिमाचल प्रदेश



1




  1.  



झारखंड



2




  1.  



मध्‍य प्रदेश



3




  1.  



मणिपुर



1




  1.  



राजस्‍थान



3




  1.  



मेघालय



1



12.04.2020



 


उपर्युक्‍त रिक्तियों का विवरण अंग्रेजी में ‘अनुलग्‍नक-ए’ (हाइपरलिंक) में दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि राज्‍य सभा के लिए उपर्युक्‍त द्विवार्षिक चुनाव निम्‍नलिखित कार्यक्रम के अनुसार होंगे:



















































क्रसं.



कार्यक्रम



तिथियां



 



अधिसूचना जारी करना



06 मार्च, 2020 (शुक्रवार)



 



नामांकन दाखिल करने  की अंतिम तिथि



13 मार्च, 2020 (शुक्रवार)



 



नामांकनों की जांच



16 मार्च, 2020 (सोमवार)



 



उम्‍मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि



18  मार्च, 2020 (बुधवार)



 



मतदान की तिथि



26 मार्च, 2020  (बृहस्‍पतिवार)



 



मतदान का समय



प्रात: 09:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक



 



मतगणना



26 मार्च, 2020 (बृहस्‍पतिवार) को सायं 05:00 बजे से



 



जिस तिथि से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी



30 मार्च, 2020 (सोमवार)



 


निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश दिया है कि मतपत्र पर वरीयता अंकित करने के लिए निर्वाचन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) द्वारा उपलब्‍ध कराए गए पूर्व-निर्धारित विनिर्देश वाले केवल एकीकृत वायलेट कलर स्केच पेन का ही इस्तेमाल किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में उपर्युक्‍त चुनावों में किसी भी अन्‍य पेन का इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा।


स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। निर्वाचन प्रक्रिया पर करीबी नजर रखने के लिए पर्यवेक्षकों द्वारा पर्याप्‍त उपाय किए जाएंगे।


 उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों में एच1एन1 संक्रमण के संबंध में किए गए उपाय 

उच्चतम न्यायालय के 5 न्यायाधीश स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं, जो एच1एन1 वायरस के कारण होता है। उच्चतम न्यायालय में स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तत्काल निम्नलिखित एहतियाती उपाय किए गए हैं:-



·         उच्चतम न्यायालय परिसर में सीजीएचएस की फर्स्ट ऐड पोस्ट (एफएपी) को मजबूत बनाया गया है।


·         प्रोटोकॉल के अनुसार सभी न्यायाधीशों के लिए उपचार की व्यवस्था की गई है। न्यायाधीशों के संपर्क में आने वाले उनके परिवार के सदस्यों सहित सभी का रोगनिरोधी उपचार किया गया।


·         सभी 5 न्यायाधीशों को घर में अलग रखा गया है। इनमें से 3 न्यायाधीशों ने अपना काम शुरू कर दिया है और 2 घर में निगरानी में हैं तथा स्वस्थ हो रहे हैं।


·         अदालत कक्षों और रिहाइशी स्थानों की सफाई की गई है।


·         सभी संबद्ध लोगों के बीच एहतियाती उपायों के संबंध में जागरूकता का प्रचार किया गया है।


स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय कल 26 फरवरी, 2020 को बार काउंसिल के कार्यालय में वकीलों और अन्य कर्मचारियों के लिए एच1एन1 स्वच्छता कार्यशाला करेगा।


हालांकि एच1एन1 एक मौसमी संक्रमण है, जो आमतौर से हर वर्ष दो बार (एक बार जनवरी से मार्च और दूसरी बार जुलाई से सितम्बर) होता है। सभी से अनुरोध किया जाता है कि वह एहतियाती उपाय करें, जैसे खांसते समय अपनी नाक और मुंह को टिश्यू/रूमाल से ढंक कर रखे;  अक्सर अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं; भीड़भाड़ से बचें; आंखों, नाक अथवा मुंह को छूने से परहेज करें; यदि आपको कफ/खांसी-जुकाम है तो भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें; काफी पानी पीएं; अच्छी नींद सोएं। कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तत्काल नजीदीकी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा से संपर्क किया जा सकता है।




अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड जे. ट्रंप की राजकीय यात्रा के दौरान सहमति पत्र

 






























क्रसं.



शीर्षक



भारत की ओर से प्रमुख निकाय



अमेरिका की ओर से प्रमुख निकाय



1



मानसिक स्वास्थ्य पर सहमति पत्र 



भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग



अमेरिकी सरकार का स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग



2



चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा पर सहमति पत्र



भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन



अमेरिकी सरकार के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग का खाद्य और औषधि प्रशासन



3



सहयोग पत्र



इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड और एक्‍सॉनमोबिल इंडिया एलएनजी लिमिटेड



चार्ट इंडस्‍ट्रीज इंक.



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केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज नई दिल्ली में विजेताओं को विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 प्रदान किए। पुरस्कार समारोह का आयोजन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में किया गया। विभिन्न उप-श्रेणियों के तहत कुल 23 टीमों को छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार (सीवीए) प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री निशंक ने  उत्कृष्ट संस्थान विश्वकर्मा पुरस्कार (यूएसवीए) के तहत छह संस्थानों को सम्मानित किया।  



श्री निशंक ने पुरस्कार समारोह के अवसर पर सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि यह क्षण सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि 6 हजार 6 सौ 76 टीमों में से 117 टीमों को फाइनल के लिए चुना जाना और उनमें से 23 टीमों का विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत होना यह बताता है कि भारत में बहुत प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि सभी टीमों में काफी सामर्थ्य हैं और वे बहुत ही खास हैं। उन्होंने विजेता छात्रों को देश के लिए संपत्ति बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमों के छात्रों ने दूसरों के लिए नए मापदंड निर्धारित किए हैं।


श्री निशंक ने कहा कि एआईसीटीई उद्योग आधारित शिक्षा देकर लगातार अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमों के छात्रों की बनाई परियोजनाएं आम आदमी की समस्या का समाधान कर रही हैं। उन्होंने एआईसीटीई से अपील करते हुए कहा कि वह ऐसे छात्रों को अधिक मौका दें क्योंकि वे भारत के भविष्य हैं। उन्होंने छात्रों के नए विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद के लिए नीति अयोग और आईआईटी दिल्ली की सराहना की।


एआईसीटीई वर्ष 2017 से विश्वकर्मा पुरस्कारों का आयोजन कर रहा है। एआईसीटीई ने इस पुरस्कार का गठन अपने मातहत संस्थानों के हितधारकों के जरिए समाज के समग्र विकास के लिए अभिनव और वैज्ञानिक मिजाज को बढ़ावा देने के लिए किया है। इस पुरस्कार का उद्देश्य राष्ट्र के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अपने क्षेत्र विशेष में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए युवाओं, मार्गदर्शकों और संस्थानों / संगठनों को प्रेरित करना है। वर्ष 2019 के विश्वकर्मा पुरस्कार के तीसरे संस्करण के लिए प्रविष्टियों के लिए प्रतियोगिता / कॉल की घोषणा एचआरडी मंत्री 11 सितंबर, 2019 को की थी जो "गांव की आय कैसे बढ़ाएं" विषय पर आधारित थे। विश्वकर्मा पुरस्कार 2019 के लिए एआईसीटीई के साथ सहयोग करने पर इंडियन सोसाइटी ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (आईएसटीई) और नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन ने भी सहमति जताई थी।


 आवेदन दो श्रेणियों में मंगाए गए थे:


1.      श्रेणी- I: छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार (सीवीए) उत्कृष्ट नवाचार टीम के लिए (छात्रों और परामर्शदाता के लिए)।


2.      श्रेणी- II: उत्कर्ष संस्थान विश्वकर्मा पुरस्कार (यूएसवीए) आदर्श संस्थागत हस्तक्षेप के लिए।


सीवीए के तहत देशभर के विभिन्न संस्थानों की 2372 टीमों ने अपने समाधान प्रस्तुत किए थे। मूल्यांकन के तीन चरणों के बाद 117 टीमों को 24 फरवरी, 2020 को एआईसीटीई मुख्यालय, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी में अपने प्रोटोटाइप का प्रदर्शन करने के लिए चुना गया। आखिर में निर्णायक मंडल ने 8 अलग-अलग उप-श्रेणियों के तहत पुरस्कार के लिए 23 टीमों को चुना। केन्द्रीय मंत्री ने प्रत्येक उप-श्रेणी में शीर्ष तीन टीमों को प्रशंसा प्रमाणपत्र और नकद राशि (51,000 रुपये, 31,000 रुपये और 21,000 रुपये) प्रदान किये।


 संस्थागत हस्तक्षेप को बढ़ावा देने के लिए एआईसीटीई ने यूएसएवीए के तहत नामांकन आमंत्रित किया था। इसका उद्देश्य उन संस्थानों की पहचान करना है जिन्होंने गांव के विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है। कुल 188 नामांकन प्राप्त हुए थे। विस्तृत जांच और क्षेत्र का दौरा करने के बाद चुने गए छह संस्थानों को मानव संसाधन विकास मंत्री ने सम्मानित किया। तीन संस्थानों को गाँव के विकास में उनके सराहनीय कार्य के लिए प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया जबकि तीन अन्य को सर्वोत्तम काम के लिए मान्यता दी गई।


नीति आयोग चुने गए छात्रों को अपने अटल सामुदायिक नवाचार केन्द्रों (एसीआईसी) के पूर्व-ऊष्मायन केंद्रों के जरिए उनके विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद करने पर सहमति व्यक्त की है। एआईसीटीई और एएचआरडी के नवाचार प्रकोष्ठ ने मूल्यांकन की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार की कुछ सर्वश्रेष्ठ टीमों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की भी घोषणा की है। इसके अलावा आईआईटी दिल्ली ने अपने उन्नत भारत अभियान (यूबीए) कार्यक्रम के तहत विश्वकर्मा पुरस्कारों के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी हस्तक्षेप को मदद करने का फैसला लिया है। इसके तहत गाँव में अपने विचारों को लागू करने के लिए संस्थानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।   


 आयोजन के दौरान माननीय मंत्री की उपस्थिति में एआईसीटीई और आईआईटी कानपुर, आईआईटी रोपड़, आईआईटी भुवनेश्वर एवं आईआईएसईआर पुणे के बीच चार समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया। इन समझौते पत्रों का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य ऐसे छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक संस्कृति से अवगत कराना और उन्हें उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। श्री निंशक ने एआईसीटीई गतिविधि पुस्तक के डिजिटल संस्करण को लॉन्च किया जो एआईसीटीई के वेबपोर्टल पर उपलब्ध है। इस गतिविधि पुस्तक में एआईसीटीई के हितधारकों द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण पहलों और योजनाओं का व्यापक संकलन है। इसमें एक सक्रिय डैशबोर्ड भी है जो विभिन्न योजनाओं / पहलों के लाभार्थियों (तथ्यों और आंकड़ों) पर लगातार अपडेट प्रदान करेगा।




रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और 4 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों यथा हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल), भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड (बीईएल), भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की। ओएफबी, एचएएल, बीईएल, बीईएमएल और बीडीएल के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्‍पादन विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों के समक्ष अपनी वर्तमान एवं भावी परियोजनाओं के बारे में प्रस्‍तुतियां दीं।


श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और इन डीपीएसयू की समग्र उपलब्धियों पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए उनसे वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करने का अनुरोध किया। श्री सिंह ने स्‍वदेशीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए संबंधित अधिकारियों से ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़े और अधिक अवसरों की तलाश करने तथा भारत को रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर बनाने में मदद करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कारोबारी मॉडल के ऐसे नए स्‍वरूपों की तलाश करने का भी अनुरोध किया जिनमें रक्षा निर्यात बढ़ाने पर फोकस किया जाता हो। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि डीपीएसयू भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केन्‍द्र (हब) के साथ-साथ विशुद्ध रूप से एक निर्यातक बनाने में मुख्‍य भूमिका निभाएंगे।


ओएफबी का मुख्‍यालय कोलकाता में है और यह रक्षा बलों के लिए युद्ध क्षेत्र से जुड़े अत्‍याधुनिक उपकरणों, गोला-बारूद एवं अन्य सैन्य हार्डवेयर का निर्माण करता है और इसके साथ ही यह संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षण देने के अलावा उत्‍पादन यूनिटों (इकाइयों) का आधुनिकीकरण करने में भी जुटा हुआ है। ओएफबी ने स्‍वदेशीकरण पर फोकस करते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित 246 आवेदन किए हैं। आईडेक्‍स प्‍लेटफॉर्म के जरिए भारत के निजी उद्योगों के साथ मिलकर भावी प्रौद्योगिकियों का विकास करने पर भी ओएफबी फोकस कर रहा है।


हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में परिचालन एवं वित्त सहित कई मोर्चों पर निरंतर उल्‍लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस कंपनी ने सात प्‍लेटफॉर्मों पर परिचालन संबंधी स्‍वीकृति प्राप्‍त की है जिनमें हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए), हल्का लड़ाकू हेलि‍कॉप्टर (एलसीएच), लाइट यूटिलिटी हेलि‍कॉप्टर (एलयूएच), उन्नत हल्का हेलि‍कॉप्टर-हथियार प्रणाली एकीकृत ‘रुद्र’, 19 सीटों वाला डीओ-228 असैन्‍य विमान, जगुआर डैरिन III और मिराज का उन्‍नत संस्‍करण शामिल हैं।


भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड ने रणनीतिक महत्‍व वाली कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है जिनमें भारतीय सेना के लिए हथियार का पता लगाने वाला रडार, आकाश मिसाइल प्रणाली, तटरक्षक बल के लिए तटीय निगरानी प्रणाली, इत्‍यादि शामिल हैं। कंपनी ने वर्ष 2018-19 में 21.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात कारोबार किया। इस कंपनी ने जिन प्रमुख देशों को निर्यात किया उनमें स्विट्जरलैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, स्वीडन, फिनलैंड, सेशेल्स, मॉरीशस और वियतनाम शामिल हैं।


भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) ने अब स्‍वयं को विभिन्‍न उत्‍पादों, विभिन्‍न उपभोक्‍ताओं और विभिन्‍न स्‍थानों (लोकेशन) वाले एक ऐसे उद्यम के रूप में विकसित कर लिया है जो अंतर्राष्‍ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने वाले रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन करती है। यह कंपनी आकाश हथियार प्रणाली (एडब्‍ल्‍यूएस) की एक प्रमुख समाकलक (इंटीग्रेटर) है। इस कंपनी ने भारतीय नौसेना को वरुणअस्‍त्र अथवा भारी वजन वाले टारपीडो की आपूर्ति के लिए 1,188 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए हैं। डीआरडीओ ने वरुणअस्‍त्र की डिजाइनिंग कर इसे विकसित किया है और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) इसका निर्माण करती है।


 भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए पहली बार 180 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े पर्यावरण अनुकूल विद्युतीय उत्‍खनक (इलेक्‍ट्रि‍कल एक्‍सकवैटर), 150 टन एवं 190 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े इलेक्‍ट्रि‍क ड्राइव डंप ट्रकों की डिजाइनिंग की है और इसे विकसित किया है, जो आयात का विकल्‍प हैं एवं जो हरित खनन को बढ़ावा देने में मददगार हैं और इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की व्‍यापक बचत भी करते हैं।


इस कंपनी ने आत्‍मनिर्भरता पर विशेष बल दिया है और प्रमुख खनन एवं निर्माण उत्‍पादों तथा रेल के डिब्‍बों (कोच) एवं ईएमयू में 90 प्रतिशत से भी अधिक, हाई मोबिलिटी व्‍हीकल (एचएमवी) में 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा और मेट्रो कारों में 65 प्रतिशत से भी अधिक स्‍वदेशीकरण स्‍तर हासिल कर लिया है। यह कंपनी इसके साथ ही स्‍वदेशीकरण के और भी अधिक उच्‍च स्‍तर को हासिल करने के लिए सरकार की ‘शून्‍य आयात’ नीति की दिशा में काम कर रही है।