Thursday, February 27, 2020

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और 4 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों यथा हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल), भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड (बीईएल), भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) के कार्य-प्रदर्शन की समीक्षा की। ओएफबी, एचएएल, बीईएल, बीईएमएल और बीडीएल के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्‍पादन विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों के समक्ष अपनी वर्तमान एवं भावी परियोजनाओं के बारे में प्रस्‍तुतियां दीं।


श्री राजनाथ सिंह ने ओएफबी और इन डीपीएसयू की समग्र उपलब्धियों पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए उनसे वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करने का अनुरोध किया। श्री सिंह ने स्‍वदेशीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए संबंधित अधिकारियों से ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़े और अधिक अवसरों की तलाश करने तथा भारत को रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर बनाने में मदद करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने अधिकारियों से कारोबारी मॉडल के ऐसे नए स्‍वरूपों की तलाश करने का भी अनुरोध किया जिनमें रक्षा निर्यात बढ़ाने पर फोकस किया जाता हो। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि डीपीएसयू भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केन्‍द्र (हब) के साथ-साथ विशुद्ध रूप से एक निर्यातक बनाने में मुख्‍य भूमिका निभाएंगे।


ओएफबी का मुख्‍यालय कोलकाता में है और यह रक्षा बलों के लिए युद्ध क्षेत्र से जुड़े अत्‍याधुनिक उपकरणों, गोला-बारूद एवं अन्य सैन्य हार्डवेयर का निर्माण करता है और इसके साथ ही यह संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षण देने के अलावा उत्‍पादन यूनिटों (इकाइयों) का आधुनिकीकरण करने में भी जुटा हुआ है। ओएफबी ने स्‍वदेशीकरण पर फोकस करते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित 246 आवेदन किए हैं। आईडेक्‍स प्‍लेटफॉर्म के जरिए भारत के निजी उद्योगों के साथ मिलकर भावी प्रौद्योगिकियों का विकास करने पर भी ओएफबी फोकस कर रहा है।


हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में परिचालन एवं वित्त सहित कई मोर्चों पर निरंतर उल्‍लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस कंपनी ने सात प्‍लेटफॉर्मों पर परिचालन संबंधी स्‍वीकृति प्राप्‍त की है जिनमें हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए), हल्का लड़ाकू हेलि‍कॉप्टर (एलसीएच), लाइट यूटिलिटी हेलि‍कॉप्टर (एलयूएच), उन्नत हल्का हेलि‍कॉप्टर-हथियार प्रणाली एकीकृत ‘रुद्र’, 19 सीटों वाला डीओ-228 असैन्‍य विमान, जगुआर डैरिन III और मिराज का उन्‍नत संस्‍करण शामिल हैं।


भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड ने रणनीतिक महत्‍व वाली कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है जिनमें भारतीय सेना के लिए हथियार का पता लगाने वाला रडार, आकाश मिसाइल प्रणाली, तटरक्षक बल के लिए तटीय निगरानी प्रणाली, इत्‍यादि शामिल हैं। कंपनी ने वर्ष 2018-19 में 21.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात कारोबार किया। इस कंपनी ने जिन प्रमुख देशों को निर्यात किया उनमें स्विट्जरलैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, स्वीडन, फिनलैंड, सेशेल्स, मॉरीशस और वियतनाम शामिल हैं।


भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) ने अब स्‍वयं को विभिन्‍न उत्‍पादों, विभिन्‍न उपभोक्‍ताओं और विभिन्‍न स्‍थानों (लोकेशन) वाले एक ऐसे उद्यम के रूप में विकसित कर लिया है जो अंतर्राष्‍ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने वाले रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन करती है। यह कंपनी आकाश हथियार प्रणाली (एडब्‍ल्‍यूएस) की एक प्रमुख समाकलक (इंटीग्रेटर) है। इस कंपनी ने भारतीय नौसेना को वरुणअस्‍त्र अथवा भारी वजन वाले टारपीडो की आपूर्ति के लिए 1,188 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए हैं। डीआरडीओ ने वरुणअस्‍त्र की डिजाइनिंग कर इसे विकसित किया है और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड (बीडीएल) इसका निर्माण करती है।


 भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए पहली बार 180 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े पर्यावरण अनुकूल विद्युतीय उत्‍खनक (इलेक्‍ट्रि‍कल एक्‍सकवैटर), 150 टन एवं 190 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े इलेक्‍ट्रि‍क ड्राइव डंप ट्रकों की डिजाइनिंग की है और इसे विकसित किया है, जो आयात का विकल्‍प हैं एवं जो हरित खनन को बढ़ावा देने में मददगार हैं और इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की व्‍यापक बचत भी करते हैं।


इस कंपनी ने आत्‍मनिर्भरता पर विशेष बल दिया है और प्रमुख खनन एवं निर्माण उत्‍पादों तथा रेल के डिब्‍बों (कोच) एवं ईएमयू में 90 प्रतिशत से भी अधिक, हाई मोबिलिटी व्‍हीकल (एचएमवी) में 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा और मेट्रो कारों में 65 प्रतिशत से भी अधिक स्‍वदेशीकरण स्‍तर हासिल कर लिया है। यह कंपनी इसके साथ ही स्‍वदेशीकरण के और भी अधिक उच्‍च स्‍तर को हासिल करने के लिए सरकार की ‘शून्‍य आयात’ नीति की दिशा में काम कर रही है।



पूर्वोत्‍तर सतत विकास लक्ष्‍य सम्‍मेलन गुवाहाटी में शुरू

      पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की प्रक्रिया को गति देने तथा इनके समाधान तलाशने के उद्देश्‍य से पूर्वोत्‍तर सतत विकास लक्ष्‍य सम्‍मेलन सोमवार से  गुवाहाटी में शुरु हुआ।


      सम्‍मेलन का आयोजन पूर्वोत्‍तर विकास परिषद्, असम सरकार और टाटा ट्रस्‍ट के साथ मिलकर नीति आयोग कर रहा है। यूएनडीपी तथा आरआईएस सम्‍मेलन में सहयोग कर रहे हैं। सम्‍मेलन का उद्धाटन नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के संबोधन के साथ हुआ । बाद में नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार तथा असम के वित्‍त,शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हेमंत बिस्‍वा सरमा तथा भारत में संयुक्‍त राष्‍ट्र की रेजिडेंट संयोजक सुश्री रेनाटा लोक डेसालियन ने भी सम्‍मेलन को संबोधित किया।


      पूर्वोत्‍तर राज्‍यों की भागीदारी, सहयोग और विकास पर आधारित यह तीन दिवसीय सम्‍मेलन 26 फरवरी तक चलेगा जिसमें पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, केन्‍द्रीय मंत्रालयों, शिक्षण संस्‍थानों, सामाजिक संगठनों और अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।


      श्री अ‍मिताभ कांत ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और विशेषकर पूर्वोत्‍तर क्षेत्र अपार चुनौतियों और संभावनाओं से भरा हुआ है। इसके लिए ऐसे समाधान तलाशने की आवश्‍यकता है जो व्‍यापक बदलाव लाने वाले हों और प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास का मार्ग प्रशस्‍त करते हों।


      डा. राजीव कुमार ने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र को राष्‍ट्रीय विकास एजेंडे के साथ जोड़ने पर जोर दिया और कहा कि सतत विकास लक्ष्‍यों के स्‍थानीयकरण के लिए राज्‍यों और क्षेत्र विशेष की प्राथमिकताओं की पहचान करना जरूरी होगा।


      सुश्री रेनाटा ने कहा कि नीति आयोग के सत‍त विकास लक्ष्‍य सूचकांक में पूर्वोत्‍तर के कई राज्‍य शीर्ष राज्‍यों की श्रेणी में हैं। यह क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार है। यहां व्‍यापार और वाणिज्‍य की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।


सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र को कई राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने भी संबोधित किया।


       अरूणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू ने कहा “आने वाले दिनों में हम सतत विकास लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के प्रति अपने संकल्‍प को और मजबूत बनाने के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर काम करेंगे। हमने मुख्‍यमंत्री डैशबोर्ड में ऐसे 145 संकेतकों को शामिल किया है जिनके आधार पर पिछले दो वर्षों से राज्‍य में हो रही प्रगति की निगरानी की जा रही है।  


       मिजोरम के मुख्‍यमंत्री जोरमथांग ने कहा “मेरा मानना है कि केंद्र सरकार से वित्तीय मदद के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही प्रगति की निगरानी से सतत विकास लक्ष्‍यों को निश्चित रूप से हासिल किया जा सकता है।‘’


      सिक्किम के मुख्‍यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा “ इस सम्‍मेलन से हमें एक ऐसा क्षेत्रीय मंच मिल गया है जिसके माध्‍यम से हम एक दूसरे के साथ ही देश के अन्‍य हिस्‍सों  से भी काफी कुछ सीख सकते हैं। सिक्किम जैसे राज्‍य के लिए तथा अपने प्राकृतिक संसाधनों को कैसे सहेजा जाए इस नजरिए से सतत विकास काफी मायने रखता है।


       त्रिपुरा के मुख्‍यमंत्री बिप्‍लब कुमार देव ने सम्‍मेलन में सतत विकास लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के लिए शुरु की गई मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्‍यम से अपने राज्‍य की प्रगति का विश्‍लेषण प्रस्‍तुत किया।


      असम के मुख्‍यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा “देश के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में गुवाहाटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।नीति आयोग की मदद से हम इस क्षेत्र और यहां के लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। 


          पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश पांच हजार अरब डालर की अर्थव्‍यव्‍था बन जाएगा तब पूर्वोत्‍तर इसका एक महत्‍वपूर्ण घटक होगा।


       सम्‍मेलन में पूर्वोत्‍तर में सतत विकास लक्ष्‍य पर चार महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट जारी की गई। उद्घाटन सत्र के बाद सम्‍मेलन में आगे सतत विकास लक्ष्‍यों का स्‍थानीयकरण, आर्थिक समृद्धि और सतत आजीविका, जलवायु के अनुकूल कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण आदि विषयों पर तकनीकी सत्र होंगे।



आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्ट्री य तकनीकी कपड़ा मिशन के निर्माण को स्वीीकृति दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1480 करोड़ रुपये के कुल परिव्‍यय के साथ देश को तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी राष्‍ट्र के रूप में स्‍थापित करने की दृष्टि से राष्‍ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है। इस मिशन की चार वर्षीय कार्यान्‍वयन अवधि वित्‍तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक होगी।


तकनीकी टेक्‍सटाइल्‍स का भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है और इन्‍हें टेक्‍सटाइल के विभिन्‍न क्षेत्रों जैसे कृषि, सड़क, रेलवे ट्रेक, खेल परिधान, स्‍वास्‍थ्‍य से बुलेट प्रूफ जैकेट, फायर प्रूफ जैकेट, ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के साथ-साथ अनेक अन्‍य क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।


इस मिशन के चार घटक होंगे :-


1     घटक- I (अनुसंधाननवाचार और विकास) 1000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ यह दोनों (i) कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्‍पोजिट में    शानदार तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान और (ii)      भू-टेक्‍सटाइल, कृषि- टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल-टेक्‍सटाइल और खेल- टेक्‍सटाइल एवं जैवनिम्‍नीकरण त‍कनीकी टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित    अनुसंधान अनुप्रयोग दोनों को प्रोत्‍सा‍हन देगा।


मौलिक अनुसंधान गतिविधियां सामूहिक संसाधन प्रणाली पर आधारित होगी और इन्‍हें विभिन्‍न वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला केन्‍द्र (सीएसआईआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) और अन्‍य प्रतिष्‍ठित वैज्ञानिक/औद्योगिक, शैक्षिक प्रयोगशालाओं में संचालित किया जाएगा। अनुप्रयोग आधारित अनुसंधान को सीएसआईआर, आईआईटी, रिसर्च डिजाइन एंड स्‍टैण्‍डर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ऑफ इंडियन रेलवे, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), नेशनल एरोनॉटिकल लेबोरेट्री (एनएएल), भारतीय सड़क अनुसंधान संस्‍थान (आईआरआरआई) और अन्‍य ऐसी प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में कराया जाएगा।


      2     घटक-II (संवर्द्धन और विपणन विकास)  


भारतीय तकनीकी कपड़ा श्रेणी का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है। भारत में तकनीकी कपड़ा की पहुंच काफी कम है जो 5 से 10 प्रतिशत के दायरे में है। जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 से 70 प्रतिशत है। इस मिशन का उद्देश्‍य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से सालाना 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाजार के आकार 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है।


3     घटक- III (निर्यात संवर्धन)


इसका उद्देश्‍य तकनीकी कपड़ा के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करना है जो वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपये है। साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करना है। इस श्रेणी में प्रभावी बेहतर तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिए एक तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।


4     घटक- IV (शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास)


      देश में शिक्षा, कौशल विकास और मानव संसाधन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और तेजी से उभरते तकनीकी कपड़ा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्‍तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा। कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूरी की जा सके।



  • यह मिशन रणनीतिक क्षेत्रों सहित देश के विभिन्‍न मिशनों, कार्यक्रमों आदि में तकनीकी कपड़ों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। कृषि, जलीय कृषि, डेयरी, मुर्गीपालन आदि में तकनीकी कपड़ों का उपयोग। जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत से अर्थव्‍यवस्‍था में लागत, विनिर्माण और निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा, प्रति एकड़ भूमि जोतने वाले किसानों कर बेहता आय, जल एवं मृदा संरक्षण, बेहतर कृषि उत्पादकता और उच्च आय में समग्र सुधार आएगा। राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों में जियो-टेक्‍सटाइल्‍स के उपयोग से बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, रखरखाव लागत में कमी आएगी और बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों का जीवन चक्र बेहतर होगा।

  • इस मिशन के तहत स्‍टार्टअप एवं वेंचर को प्रोत्‍साहन और नवाचार एवं इनक्‍यूबेशन केंद्रों की स्‍थापना के साथ-साथ युवा इंजीनियरिंग/ प्रौद्योगिकी/ विज्ञान मानकों एवं स्नातकों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना है। अनुसंधान आउटपुट को सरकार के एक ट्रस्‍ट में रखा जाएगा ताकि अनुसंधान नवाचार एवं विकास गतिविधियों से प्राप्‍त ज्ञान तक आसान पहुंच सुनिश्चित हो सके और उसका प्रसार हो।

  • अनुसंधान का एक उप-घटक जैव अपघटनीय तकनीकी वस्त्र सामग्री, खासकर कृषि-टेक्‍सटाइल, जियो-टेक्‍सटाइल और चिकित्सा वस्त्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह चिकित्सा और स्वच्छता कचरे के सुरक्षित निपटान पर जोर देने के साथ, प्रयुक्त तकनीकी वस्त्रों के पर्यावरणीय स्थायी निपटान के लिए उपयुक्त उपकरण भी विकसित करेगा।

  •  अनुसंधान गतिविधि का एक अन्‍य उप-घटक है जिसका उद्देश्‍य तकनीकी वस्‍त्रों के लिए स्‍वदेशी मशीनरी और प्रक्रिया उपकरणों का विकास करना है ताकि ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और कम पूंजीगत लागत के माध्यम से उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।  

  •  संबंधित क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ की अध्यक्षता में कपड़ा मंत्रालय में एक मिशन निदेशालय चालू किया जाएगा। मिशन निदेशालय के पास कोई स्थायी रोजगार नहीं होगा और इसके लिए किसी भवन का निर्माण भी नहीं होगा। चार साल की अवधि के बाद मिशन को समाप्‍त कर दिया जाएगा।


तकनीकी वस्त्रों की पृष्ठभूमि:



  • तकनीकी वस्त्र ऐसे कपड़ा सामग्री और उत्पाद हैं जो सौंदर्य विशेषताओं की बजाय मुख्‍य रूप से तकनीकी प्रदर्शन और कार्यात्मक गुणों के लिए निर्मित होते हैं। तकनीकी कपड़ा उत्पादों को उनके इस्‍तेमाल क्षेत्रों के आधार पर 12 विभिन्‍न श्रेणियों (एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लोथेक, जियोटेक, होमटेक, इंडिटेक, मोबिलटेक, मेडिक, प्रोटेक, स्पोर्ट्सटेक, ओएकोटेक, पैकटेक) में बांटा गया है।

  • 250 अरब अमरीकी डॉलर के विश्व बाजार में भारत की हिस्‍सेदारी लगभग 6 फीसदी  है। हालांकि, 4 फीसदी वैश्विक औसत वृद्धि की तुलना में भारत की वार्षिक औसत वृद्धि 12 फीसदी है।

  • उन्नत देशों में 30-70 फीसदी के मुकाबले भारत में तकनीकी वस्त्रों का पैठ स्‍तर महज 5-10 फीसदी है। मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्‍त्र की पैठ के स्तर में सुधार करना है।


 



ईएसआईसी स्थापना दिवस के अवसर पर 24.02.2020 से 10.03.2020 तक विशेष सेवा पखवाड़ा शुरू

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने 24.02.2020 को देर शाम यहां आयोजित एक समारोह में ईएसआईसी दिवस के रूप में अपना स्थापना दिवस मनाया। श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार और ईएसआईसी के अध्यक्ष ने इस अवसर पर बताया कि ईएसआईसी ने 24.02.2020 से 10.03.2020 तक विशेष सेवा पखवाड़ा शुरू किया है।


इस अवसर पर श्रम एवं रोजगार सचिव श्री हीरालाल सामरिया, रक्षा मंत्रालय में उत्पादन विभाग सचिव श्री राज कुमार, ईएसआईसी की महानिदेशक श्रीमती अनुराधा प्रसाद, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती सिबानी स्वैन, ईएसआईसी की वित्तीय आयुक्त श्रीमती संध्या शुक्ला, ईएसआईसी के सदस्य, ईएसआई के लाभार्थी और मंत्रालय एवं ईएसआईसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


श्री संतोष कुमार गंगवार ने घोषणा की है कि ईएसआईसी अस्पताल, बसैदरपुर, नई दिल्ली का नाम बदलकर साहिब सिंह वर्मा ईएसआईसी अस्पताल, बसैदरपुर, नई दिल्ली और ईएसआईसी आयुष अस्पताल, नरेला  का नाम बदलकर पद्म विभूषण बृहस्पति देव त्रिगुणा ईएसआईसी आयुष अस्पताल, नरेला, नई दिल्ली किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए नए अस्पतालों की स्थापना और मौजूदा अस्पतालों का अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं के साथ नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया गया है।


      श्री संतोष गंगवार ने ईएसआई लाभार्थियों के लिए जल्‍द ही ‘संतुष्ट’ मोबाइल ऐप लाने की भी जानकारी दी। उन्होंने ईएसआईसी के सभी कर्मचारियों से इसे सही मायने में एक सेवा प्रदाता संगठन बनाने की अपील की ताकि ईएसआई के लाभार्थियों के जीवन में गुणवत्तापूर्ण बदलाव जल्द हासिल किया जा सके। उन्‍होंने पूरे ईएसआईसी बिरादरी का अपने  बीमित व्यक्तियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्‍ध कराने और अपने कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने बीमित व्यक्तियों की आवश्यकताओं के प्रति पूरी तरह संवेदनशील होने की आवश्यकता पर जोर दिया।


      श्री गंगवार ने वर्ष 2019 के दौरान ईएसआई योजना के तहत बीमित व्यक्तियों और लाभार्थियों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सा और गैर-चिकित्सा सेवा श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ ईएसआईसी/ईएसआईएस औषधालयों/अस्पतालों/चिकित्सा संस्थानों/कार्यालयों को पुरस्‍कृत किया। इसके अलावा, इस अवसर पर ईएसआई योजना के तहत दिल्ली एनसीआर के 08 बीमित व्यक्ति/लाभार्थियों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं और ईएसआई लाभार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।


      श्रम एवं रोजगार सचिव श्री हीरालाल सामरिया ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 5 वर्षों के दौरान ईएसआईसी ने कई नई पहल शुरू की हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ईएसआई योजना के लाभ का विस्तार करने के लिए नियोक्ताओं के मासिक योगदान को 4.75% से घटाकर 3.25% और कर्मचारियों के योगदान को 1.75% से घटाकर 0.75% कर दिया गया है।