Saturday, February 29, 2020

जापान की साझेदारी से हम ओडिशा को इस्पात क्षेत्र में पूर्वोदय का मुख्य केंद्र बनाएंगे : श्री धर्मेंद्र प्रधान

केन्द्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान आज भुवनेश्वर में ‘अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए इस्पात का उपयोग बढ़ाने की प्रक्रियाओं को सक्षम करना’ विषय पर एक कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन इस्पात मंत्रालय ने जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की साझेदारी से किया था।


कार्यशाला में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जापान की साझेदारी से वह ओडिशा को इस्पात क्षेत्र में पूर्वोदय का केंद्र बनाने के लिए तत्पर हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन पूर्वोदय का आह्वान किया है जिससे पूर्वी भारत राष्ट्रीय विकास को गति दे रहा है और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर कर रहा है।


इस पहल के बारे में बताते हुए श्री प्रधान ने कहा कि हम भारत में इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने जापान को अपने साझेदार देश के रूप में चुना है जो हमें भारतीय स्टील तंत्र को गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों मोर्चे पर बड़ा बनाने के लिए मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि जापान और ओडिशा का काफी पुराना संबंध रहा है। जापान की मदद से निर्मित प्रसिद्ध धौली स्तूप दो सभ्यताओं के बीच की एक कड़ी है। श्री प्रधान ने कहा कि आज कुछ दशकों के बाद हम फिर से नया इतिहास और ओडिशा में जापान के सहयोग से इस्पात क्षेत्र में वृद्धि का नया अध्याय लिखने में जुट गए हैं।


पूर्वी भारत के बारे में बताते हुए श्री प्रधान ने कहा कि पूर्वी भारत का समाज काफी आकांक्षी समाज है जहां लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं और खर्च करने की उनकी क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गति देने और देश को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


श्री प्रधान ने बताया कि ओडिशा में रेलवे, सड़क, हवाईअड्डे, पाइपलाइन, पुल आदि विकसित करने में 5 अरब डॉलर खर्च किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में अत्यधिक गरीबों को 8 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास उत्कृष्ट ढांचागत विकास और आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना है।


श्री प्रधान ने ओडिशा में इस्पात क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ओडिशा आज देश का सर्वोच्च इस्पात उत्पादक राज्य है। हमलोग ओडिशा में इस्पात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2030 तक ओडिशा का इस्पात उत्पादन 100 एमटीपीए को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा कि ओडिशा इस्पात क्षेत्र में मिशन पूर्वोदय का मुख्य केन्द्र बनने जा रहा है।


इस अवसर पर भारत में जापान के राजदूत श्री सतोशी सुजुकी ने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और यह भारत के साथ अपने अनुभव को साझा करने का सही समय है। उन्होंने बताया कि जापानी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ तेजी से सहयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि  मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत और जापान इस्पात क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत-जापान इस्पात शुरू की है। भारत में इस्पात की मांग बढ़ने वाली है। जापान की अर्थव्यवस्था में भारतीय लौह अयस्क के योगदान के बारे में बताते हुए  उन्होंने कहा कि भारत, खासकर ओडिशा से लौह अयस्क के निर्यात ने जापान को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने में मदद की।


इस कार्यशाला में ओडिशा के इस्पात और खनन मंत्री, श्री प्रफुल्ल कुमार मल्लिक,  इस्पात मंत्रालय के अपर सचिव सुश्री रसिका चौबे, ओडिशा के प्रधान सचिव (उद्योग) श्री हेमंत कुमार, सेल के अध्यक्ष श्री अनिल चौधरी, टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक श्री टी. वी. नरेंद्रन और सरकार और उद्योग से जुड़े कई अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।



प्रधानमंत्री 29 फरवरी, 2020 को 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को लॉन्च करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 29 फरवरी, 2020 को चित्रकूट में देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों को लॉन्च करेंगे।


छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत हैं, जिनके पास देश में 1.1 हेक्टेयर से कम औसत खेती है। इन छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रौद्योगिकी, बेहतर बीज, उर्वरक, कीटनाशक और समुचित वित्त की समस्याएं शामिल हैं। इन किसानों को अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण अपने उत्पादों के विपणन की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है।


      एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहीकरण में सहायता होगी, ताकि इन मुद्दों से निपटने में किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ सकें। एफपीओ के सदस्य संगठन के तहत अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे, ताकि प्रौद्योगिकी, निवेश, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच हो सके और उनकी आजीविका तेजी से बढ़ सके।


      पीएम-किसान के एक साल पूरे


      इस अवसर पर पीएम-किसान योजना के लॉन्च होने का एक वर्ष पूरा हो जाने के मद्देनजर आयोजन भी किया जाएगा।


मोदी सरकार ने किसानों के आय समर्थन के रूप में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना को लॉन्च किया था, ताकि किसानों को कृषि, संबंधित गतिविधियों और घरेलू आवश्यकताओं के खर्च वहन करने में सहायता हो सके।


योजना के तहत हर योग्य लाभार्थी को प्रति वर्ष 6000 रुपये की धनराशि दी जाती है। यह धनराशि दो-दो हजार रुपये के रूप में तीन बार चार माह की किस्तों में दी जाती है। यह भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के तहत योग्य लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे ऑनलाइन भेजी जाती है।


योजना 24 फरवरी, 2019 को लॉन्च की गई थी और उसने 24 फरवरी, 2020 को सफलतापूर्वक अपना एक साल पूरा कर लिया है।


अपनी पहली कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत मोदी 2.0 सरकार ने सभी किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ देने का निर्णय किया था।


पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करने का विशेष अभियान


प्रधानमंत्री 29 फरवरी, 2020 को पीएम-किसान योजना के तहत सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के वितरण का अभियान लॉन्च करेंगे।


पीएम-किसान योजना के तहत लगभग 8.5 करोड़ लाभार्थियों मे से 6.5 करोड़ से अधिक किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हैं।


इस अभियान से यह सुनिश्चित होगा कि लगभग दो करोड़ पीएम-किसान लाभार्थियों को भी किसान क्रेडिट कार्ड वितरित कर दिए जाए।


सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को रियायती संस्थागत ऋण तक पहुंच प्रदान करने के लिए 12 फरवरी से 26 फरवरी तक 15 दिवसीय विशेष अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत एक पन्ने के साधारण फॉर्म को भरा जाता है, जिसमें बैंक खाता नंबर, खेत रिकॉर्ड का विवरण जैसी बुनियादी जानकारी शामिल हैं। इसमें किसानों को यह घोषणा करनी है कि मौजूदा समय में वह किसी भी अन्य बैंक खाते से केसीसी का लाभार्थी नहीं है।


जिन पीएम-किसान लाभार्थियों के आवेदन 26 फरवरी तक प्राप्त हो गए है, उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए 29 फरवरी को बैंक शाखाओं में बुलाया जाएगा।



राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में 21 विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने देश के वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे विज्ञान को लोगों के विकास और भलाई के लिए काम करना चाहिए। आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने शिक्षा तथा अनुसंधान संस्थानों में लैंगिक विकास और समानता के लिए तीन प्रमुख कार्यक्रमों की घोषणा की।


इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय है  “विज्ञान में महिलाएं”


विज्ञान ज्योति कार्यक्रम हाईस्कूल में पढ़ने वाली मेधावी लड़कियों को उच्च शिक्षा में विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग तथा गणित (एसटीईएम) की पढ़ाई जारी रखने में बराबरी का अवसर प्रदान करेगा। संस्थानों को बदलने के लिए लैंगिक विकास (जीएटीआई) से विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग तथा गणित (एसटीईएम) में लैंगिक समानता के मूल्यांकन के लिए विस्तृत चार्टर और रूपरेखा विकसित करेगा। महिलाओं के लिए विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी समाधानों का ऑनलाइन पोर्टल महिला विशेष सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों, फेलोशिप तथा केरियर काउंसलिंग से संबंधित ई-संसाधन उपलब्ध कराएगा। इसमें साइंस टेक्नोलॉजी में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों का विवरण होगा।


राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य विज्ञान के महत्व के संदेश को फैलाना है। उन्होंने कहा कि इसके दो पहलू हैं। पहला, शुद्ध ज्ञान की चाह के रूप में स्वयं में विज्ञान तथा जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उपाय के रूप में समाज में विज्ञान। उन्होंने कहा कि दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।


राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने विज्ञान संचार और लोकप्रियता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। इन पुरस्कारों में मेधावी महिला वैज्ञानिकों के लिए महिला उत्कृष्टता पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कारों में राष्ट्रीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पुरस्कार, स्पष्ट अनुसंधान के लिए लेखन कौशल को सशक्त बनाने (एडब्ल्यूएसएआर) का पुरस्कार, केसीआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार और सामाजिक लाभ के लिए टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन के माध्यम से उत्कृष्टता प्रदर्शन के लिए महिला पुरस्कार शामिल हैं।


विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विज्ञान दिवस के विषय  “विज्ञान में महिलाएं” की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान में लैंगिक समानता की संस्कृति बनाने के लिए हमें सांकेतिक प्रयासों से संपूर्णता की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेशनल साइंस फाउंडेशन (अमेरिका) की हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रकाशनों में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।


ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) फरीदाबाद के कार्यकारी निदेशक प्रो. गगनदीप कांग ने विशेष व्याख्यान दिया। प्रो. कांग भारत की प्रथम महिला एफआरएस हैं।


इस अवसर पर सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन, डीबीटी की सचिव डॉ. रेणू स्वरूप, सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर मान्दे उपस्थित थे।



रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बालाकोट हवाई हमला एक संदेश था कि सीमा पार आतंकवाद शत्रु के लिए एक सस्‍ता विकल्प नहीं होगा

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमले केवल सैन्य हमले ही नहीं थे बल्कि शत्रु के लिए एक मजबूत संदेश थे कि सीमा पार से आतंकवादी बुनियादी ढांचे का भारत के खिलाफ सस्‍ती जंग छेड़ने के लिए एक सुरक्षित शरण स्‍थल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज बालाकोट हवाई हमले की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ द्वारा आयोजित ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्‍य में वायु शक्ति’ नामक एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।


      देश की सेवा में सशस्‍त्र बलों के बलिदान का स्‍मरण करते हुए और पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्‍होंने कहा कि देश शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।


      उन्‍होंने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों में भारत द्वारा दर्शायी गई जबरदस्‍त प्रतिक्रिया में नियंत्रण रेखा के पार अनेक सिद्धांतों को दोबारा लिखने के लिए मजबूर किया और यह बताया कि शत्रु को भविष्‍य में ऐसा दुस्‍साहस करने के लिए सौ बार सोचना होगा। उन्‍होंने कहा कि इन हमलों में भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने के अधिकार की पुष्टि हुई है।


      श्री राजनाथ सिंह ने बालाकोट हवाई हमले को सैन्‍य सटीकता और प्रभाव की एक विलक्षण घटना के रूप में वर्णन करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरूद्ध हमारा दृष्टिकोण नैदानिक सैन्‍य कार्रवाई और परिपक्‍व तथा जिम्‍मेदार राजनयिक पहुंच का न्‍यायोचित संयोजन था। उन्‍ह‍ोंने राष्‍ट्र को आश्‍वासन दिया कि सरकार भविष्‍य में भी राष्‍ट्र सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का माकूल जवाब देगी। सरकार ने भविष्‍य में किसी भी खतरे से निपटने के लिए बड़े संरचनात्‍मक बदलाव शुरू किए हैं। उन्‍होंने सभी हितधारकों से इन बदलावों को प्रभावी और कुशल बनाने में योगदान देने का अनुरोध किया।


      श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ी है। सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए सामूहिक राजनयिक और वित्‍तीय दबाव के महत्‍व पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि हमने अभी हाल में पाकिस्‍तान पर सामूहिक, राजनयिक और वित्‍तीय दबाव के प्रभाव को देखा है। वीआईपी और नायकों की तरह सम्‍मान पाने वाले हाफिज़ सईद जैसे आतंकियों को जेल में डाला गया। हमने महसूस किया है कि जब तक पाकिस्‍तान को जवाबदेह नहीं माना जाता है, यह कदम पर्याप्‍त नहीं हैं, क्‍योंकि पाकिस्‍तान नकल और छल की पुरानी नीति जारी रखेगा। इस दिशा में काम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।


      श्री राजनाथ सिंह ने संकर युद्ध को एक वास्‍तविकता की संज्ञा देते हुए इस युद्ध द्वारा उत्‍पन्‍न चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों के प्रशिक्षण को पुनर्गठित करने की जरूरत पर जोर दिया। शंकर युद्ध के विभिन्‍न पहलुओं का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि ऐसे परिदृश्‍य में कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता, उच्‍च गति वाले हथियार, अंतरिक्ष आधारित सेंसर्स उपकरण महत्‍वपूर्ण प्रभाव डालेंगे। उन्‍होंने नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और मौजूदा क्षमताओं का नवाचारी तरीकों से उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया।


      इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल विपिन रावत ने कहा कि विश्‍व में भू-राजनीति बदल रही है और भारत इस क्षेत्र में अनेक झड़पों का गवाह है। उन्‍होंने हर समय भूमि, वायु और समुद्र में विश्‍वसनीय निष्‍ठा बनाए रखने का आह्वान किया। उन्‍होंने क‍हा कि तीनों सेनाओं का किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए मिलकर साथ-साथ काम करना चाहिए। विश्‍वसनीय निष्‍ठा, कठिन निर्णय लेते समय सैन्‍य नेतृत्‍व और राजनीति वर्ग की इच्‍छा से आती है। कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों में यह निष्‍ठा तेजी से देखने को मिली।


      वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल श्री आर के एस भदोरिया ने कहा कि 2019 में पाकिस्‍तान के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला करने का साहसिक निर्णय लिया था। उन्‍होंने कहा कि उप-पारंपरिक परिदृश्‍य में वायुसेना का उपयोग एक प्रमुख बदलाव था। उन्‍होंने उत्‍पन्‍न स्थिति से शीघ्रतापूर्वक निपटने के लिए किए गए राजनयिक और राजनीतिक प्रयासों की सराहना की। सफल हवाई हमलों के कार्य में लगे विभिन्‍न संगठनों में तालमेल की प्रशंसा करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस तरह के ठोस प्रयास किए गए कि इन हमलों में किसी नागरिक की मौत न हो। उन्‍होंने हाल के दिनों में भारतीय वायु सेना को नवीनतम प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए राजनीतिक नेतृत्‍व की सराहना की। बेहतर क्षमताओं को हासिल करने के संघर्ष में डेढ़ दशक से भी अधिक का समय लग गया। उन्‍होंने स्‍वदेशी क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया।


      इस सेमिनार में ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्‍य में’ शत्रु के खिलाफ राष्‍ट्रीय इच्‍छा शक्ति के प्रयोग के कारण आवश्‍यक हुई परिस्थितियों में वायु शक्ति के उपयोग के बारे में


ध्‍यान केंद्रित किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव  डॉ जी सतीश रेड्डी, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ के निदेशक एयर मार्शल के के. नोहवार (सेवानिवृत्त), पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, विद्वान, सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।  



एसिम्‍प्‍टोमैटिक मलेरिया के लिए निदान

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के भुवनेश्वर स्थित संस्‍थान इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) और बेंगलूरु के जिग्‍सॉ बायो सॉल्यूशंस के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त टीम के कारण मलेरिया के खिलाफ लड़ाई आसान हो सकती है।यह टीम एक ऐसी पद्धति तैयार कर रही है जो इस रोग स्‍पर्शोन्‍मुख (एसिम्‍प्‍टोमैटिक) वाहककी पहचान न होने की समस्या को दूर करने का भरोसा देती है।


इस रोग की जांच के लिए सामूहिक जांच एवं उपचार कार्यक्रमों में और मलेरिया नियंत्रण के उपायों की निगरानी में माइक्रोस्कोपी और प्रोटीन प्रतिरक्षा आधारित रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) का उपयोग किया जाता है। हालांकि इसके तहत करीब 30 से 50 प्रतिशत कम घनत्‍व वाले संक्रमण छूट जाते हैं जिसमें आमतौर पर दो परजीवी/ माइक्रोलीटर होते हैं। इन्‍हें अक्सर स्पर्शोन्मुख वाहक में देखे जाते हैं जो संक्रमण के मूक भंडार के रूप में कार्य करते हैं और वे मच्छरों के माध्यम से रोग को संक्रमित करने में समर्थ होते हैं। स्थानिक क्षेत्रों में स्पर्शोन्मुख वाहक की पहचान मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रमों की एक प्रमुख बाधा मानी जाती है। इसके लिए अधिक संवेदनशीलता के साथ नए नैदानिक ​​तरीकों की आवश्यकता है।


इस नए अध्‍ययन में इंस्टीच्‍यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के डॉ. वी. अरुण नागराज और जिग्‍सॉ बायो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के श्रीनिवास राजू के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम शामिल है। इस टीम ने जीनोम खनन की एक नई अवधारणा का इस्तेमाल कियाजो पूरे मलेरिया परजीवी जीनोम में मौजूद मल्टी-रिपीट सीक्वेंस (आईएमआरएस) की पहचान कर उसे विकसित होने से रोकने के लिए लक्षित करती है। इसे मलेरिया निदान के लिए ‘अति संवेदनशील’क्‍यूपीसीआर परीक्षण कहा गया है।


भारत के मलेरिया प्रभवित क्षेत्रों से एकत्र किए गए क्‍लीनिकल नमूनों के सत्यापन से पता चलता है कि यह जांच पारंपरिक तरीकों से लगभग 20 से 100 गुना अधिक संवेदनशील थी। इसके जरिये सबमाइक्रोस्‍कोपिक नमूनों का भी पता लगाया जा सकता है। अत्‍यधिक संवेदनशील अन्‍य तरीकों की तुलना में यह चार से आठ गुना बेहतर दिखी। साथ ही यह प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के लिए बेहद खास दिखी जो मलेरिया परजीवी की सबसे घातक प्रजाति है। जबकि  प्लास्मोडियम विवैक्स प्रजाति के साथ क्रॉस-रिएक्शन नहीं किया जो अपेक्षाकृत कम घातक मलेरिया की पुनरावृत्ति का सबसे प्रुखख कारण है।


इंडिया साइंस वायर से बातचीत करते हुएडॉ. नागराज ने कहा कि विभिन्न प्रजातियों की एक साथ पहचान के लिए बहुविकल्‍पी जांच प्रक्रिया विकसित करने की गुंजाइश है। उन्‍होंने कहा, ‘हमारे अध्ययन से अति संवेदनशील, पॉइंट-ऑफ-केयर मौलिक्‍यूलर  निदान का विकास हो सकता है जिसे लघु, आइसोथर्मल, माइक्रोफ्लूडिक प्लेटफॉर्म और लैब-ऑन-ए-चिप उपकरणों के जरिये खोजा जा सकता है। आईएमआरएसदृष्टिकोण अन्य संक्रामक रोगों के निदान के लिए एक प्रौद्योगिकीमंच के रूप में भी काम कर सकता है।’


भारत ने 2030 तक मलेरिया का उन्‍मूलन करने और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा विकसित किया हैजो प्रभावित क्षेत्रों में स्पर्शोन्मुख वाहक की पहचान करता है और उसेके संक्रमण को साफ करता है। नई खोज इसमें मदद कर सकती है। डीबीटी के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद ने इस परियोजना का वित्त पोषित किया। (विज्ञान समाचार)


(प्रमुख शब्‍द : प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लास्मोडियम विवैक्स, वायरलेंट, उन्‍मूलन, संवेदनशीलता, परजीवी, क्‍यूपीसीआर, जांच, पॉइंट-ऑफ-केयर, मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स, मिनिएट्राइज्ड, आइसोथर्मल, माइक्रोफ्लूडिक प्लेटफॉर्म, लैब-ऑन-ए-चिप)



सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज और भारतीय वायुसेना की अनुरक्षण कमान ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली के वायुसेना स्टेशन तुगलकाबाद में ‘भारत के समक्ष उभरती खतरनाक चुनौतियां’ पर गोष्ठी का आयोजन किया

 सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज (सीएपीएस) और भारतीय वायुसेना की अनुरक्षण कमान (एमसी-आईएएफ) ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली के वायुसेना स्टेशन तुगलकाबाद में 25 फरवरी, 2020 को ‘चैलेंजेस ऑफ द इवॉल्विंग थ्रेट्स फेसिंग इंडिया’ (भारत के समक्ष उभरती खतरनाक चुनौतियां) पर गोष्ठी का आयोजन किया। इस गोष्ठी में वायुसेना के अनुरक्षण कमान की इकाईयों के अधिकारियों तथा सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज के विशिष्ट वरिष्ठ शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया। एयर मार्शल शशिकर चौधरी एवीएसएम वीएसएम एमसी-आईएएफ के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ने आयोजन का उद्घाटन किया।


      गोष्ठी में तीन सत्र हुए। उद्घाटन सत्र की शुरूआत सीएपीएस के महानिदेशक एयर मार्शल के.के. नोहवार पीवीएसएम, वीएम (सेवानिवृत्त) के संबोधन से हुई। इस सत्र में ‘पोलिटीको-मिलिट्री एनवायर्मेंट विथ रेस्पेक्ट ऑफ इंडिया-चाइना रिलेसन्स पोस्ट वुहान एंड महाबलीपुरम’ पर चर्चा की गई। इस विषय पर श्री जयदेव रानाडे ने प्रकाश डाला। सीएपीएस की विशिष्ट फेलो डॉ. शालिनी चावला ने ‘इंडिया-पाकिस्तान रिलेसन्स पोस्ट-बालाकोट एंड एब्रोगेशन ऑफ आर्टिकल-370’ पर व्याख्यान दिया। दूसरे सत्र में ‘न्यू चैलेंजेस विथ रेस्पेक्ट टू ट्रेजेक्ट्री ऑफ चाइनाज न्यूक्लियर वैपन्स प्रोग्राम एंड सेफगार्डिंग इंडियाज क्रिटिकल इन्फोर्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर’ पर चर्चा की गई। इस सत्र की अध्यक्षता सीएपीएस की विशिष्ट फेलो डॉ. शालिनी चावला ने की। गोष्ठी के अंतिम सत्र में ‘केपेबिलिटी बिल्डिंग एट बेस रिपेयर डीपोज एंड एक्विपमेंट डीपोज ऑफ द आईएएफ’ पर चर्चा की गई। इस सत्र की अध्यक्षता एयर वाइस मार्शल वी.सी. वानखेडे एओईएस एमसी-आईएएफ ने की।



सूक्ष्मजीवों से जैव ईंधन

इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्‍नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्तासिनेकोकोकस विशेष नाम पीसीसी 7002 नामक एक समुद्री सूक्ष्मजीव की वृद्धि दर और उसमें शर्करा की मात्रा में सुधार के लिए एक विधि तैयार कर रहे हैं। इससे जैव ईंधन क्षेत्र को बढ़ावा मिल सकता है।


जैव-ईंधन उत्पादन सहित अधिकतर जैव-प्रौद्योगिकीय प्रक्रियाएंकम लागत और शर्करा एवं नाइट्रोजन स्रोत से निर्वाध आपूर्ति की उपलब्धता पर निर्भर हैं। शर्कराआमतौर पर पौधों से आती है। पौधे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के माध्यम से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा, प्रोटीन और लिपिड जैसे जैविक घटकों में परिवर्तित करने के लिए प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करते हैं।


हालांकिकुछ बैक्टीरिया, जैसे साइनोबैक्टीरिया (जिसे नीले-हरे शैवाल के रूप में भी जाना जाता है), भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को ठीक करके शर्कराका उत्पादन कर सकते हैं। साइनोबैक्टीरिया से शर्करा की उपज संभावित रूप से भूमि आधारित फसलों की तुलना में बहुत अधिक हो सकती है। इसके अलावा, पौधे-आधारित शर्करा के विपरीतसाइनोबैक्टीरियल बायोमास प्रोटीन के रूप में एक नाइट्रोजन स्रोत प्रदान करता है।


साइनोबैक्टीरिया ताजा और समुद्री पानी दोनों में पाए जाते हैं। समुद्री साइनोबैक्टीरिया का उपयोग करना बेहतर हो सकता है क्योंकि ताजे पानी में तेजी से कमी हो रही है। हालांकि, समुद्री साइनोबैक्टीरिया आधारित शर्करा उत्पादन की आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार के लिए उनकी विकास दर और शर्करा सामग्री में उल्लेखनीय सुधार करने की आवश्यकता है।


इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी की एक टीम ने इसे हासिल किया है। इस केंद्र के जैव-ईंधन समूह के लिए सिस्टम बायोलॉजी के ग्रुप लीडर और डीबीटी-आईसीजीईबी सेंटर फॉर एडवांस्ड बायोएनर्जी रिसर्च के अण्‍वेषक डॉ. शिरीष श्रीवास्तव और आईसीजीईबी के एक पीएचडी छात्र जय कुमार गुप्ताने इस टीम का नेतृत्व किया।


उन्होंने एक समुद्री साइनोबैक्टीरियम सिनेकोकोकस विशेष नाम पीसीसी 7002 को सफलतापूर्वक तैयार किया। पीसीसी 7002 में उच्च विकास दर और शर्करा (ग्लाइकोजेन) की मात्रा दिखी। इसे जब हवा में उगाया गया तो उसका विकास दोगुना हो गया और कोशिकाओं के ग्लाइकोजेन मात्रा में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई।


इस अध्‍ययन टीम का नेतृत्‍व करने वाले डॉ. श्रीवास्‍तव ने इंडिया साइंस वायर से बातचीत करते हुएकहा कि सिनेकोकोकस विशेष नाम पीसीसी 7002 समुद्री साइनोबैक्टीरियम का एक मॉडल है और वहां अन्य सिनेकोकोकस प्रजातियां अथवा संबंधित जीव थेजिस पर इस काम को सही तरीके सेआगे बढ़ाया जा सकता है।


उन्‍होंने कहा, ‘हम इस कार्य से संबंधित कई अनुवर्ती अध्ययन कर रहे हैंजिसमें बड़े पैमाने पर इसकी खेती,मानव एवं पशु मूत्र वाली यूरिया पर कोशिका वृद्धि,साइनोबैक्टीरियल बायोमास से शर्करा एवं प्रोटीन के निष्कर्षण का अनुकूलनऔर प्रसंस्‍कृत बायोमास से बायोइथेनॉल जैसे जैवप्रौद्योगिकी उत्‍पाद की प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट यानी सटीक अवधारणा शामिल हैं। 


जैवप्रौद्योगिकी विभाग ने इस शोध को प्रायोजित किया है। वैज्ञानिकों नेअपने काम पर एक रिपोर्ट‘बायोटेक्‍नोलॉजी फॉर बायोफ़्यूल्‍स’ पत्रिका में प्रकाशित की है। (विज्ञान समचार)


(प्रमुख शब्‍द : यूरिया, शर्करा, प्रोटीन, बायोमास, प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट, बायो-इथेनॉल, समुद्री जल, ताजा जल)



पिगमेंटरी डिसऑर्डर पर शोध को बढ़ावा देने के लिए 3.6 करोड़ रुपये का अनुदान

पिगमेंटरी डिसऑर्डर यानी वर्णक विकारों की समस्या को समझने के लिए किए जा रहे अध्ययन को वेलकम ट्रस्ट/ डीबीटी इंडिया गठबंधन के जरिये जबरदस्‍त शॉट मिलने की उम्मीद है। यह गठबंधन जैव प्रौद्योगिकी के लिए फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय केंद्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र के. मोतीयानी पर एक इंटरमीडिएट फेलोशिप पुरस्कार प्रदान करता है। इस पुरस्कार में पांच वर्षों की अवधि के लिए 3.60 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है।


शारीरिक वर्णकता एक महत्वपूर्ण रक्षा तंत्र है जिसके द्वारा त्वचा को हानिकारक यूवी विकिरणों से बचाया जाता है। अकुशल वर्णकता त्वचा के कैंसर का कारण बनता हैजो दुनिया भर में कैंसर से जुड़ी मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा, वर्णक विकार (हाइपो और हाइपर पिगमेंटरी दोनों) एक सामाजिक कलंक माना जाता है और इसलिए वह लंबी अवधि के लिए मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचाता है और रोगियों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है। वर्तमान चिकित्सीय रणनीतियां वर्णक विकारों को दूर करने में कुशल नहीं हैं।


इस पुरस्कार के तहत शुरू की जाने वाली यह अनुसंधान परियोजना का उद्देश्‍यलक्ष्य करने योग्य उन नोवल मॉलिक्‍यूलर पदार्थों की पहचान करना होगा जो वर्णक प्रक्रिया को संचालित करने के लिए महत्‍वपूर्ण हैं। इसके अलावा, शोधकर्ता वर्णक विकारों के उपचार के लिए वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध दवाओं का नए सिरे से उपयोग करने की कोशिश भी करेंगे। आगे चलकर इस परियोजना से समाज को दोतरफा लाभ- यूवी-प्रेरित त्वचा के कैंसर से सुरक्षा और वर्णक विकारों के लिए संभावित उपचार का विकल्प- होने की उम्मीद है।


वर्णकता जीवविज्ञान क्षेत्र में अब तक मुख्‍य तौर पर मेलेनिन संश्लेषण को विनियमित करने वाले एंजाइमों को समझने और उनके बायोजेनेसिसएवं परिपक्वता में शामिल मेलेनोसोम प्रोटीन पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है। हालांकि, मेलेनोसोम बायोजेनेसिस और मेलेनिन संश्लेषण जटिल प्रक्रिया है और संभवत: अन्य कोशिकीय अंगइस प्रक्रिया को संचालित करते हैं।


डॉ. मोतियानी और उनकी टीम द्वारा अलग-अलग वर्णक मीलेनोसाइट पर इससे पहले किए गए अध्ययन से पता चला था कि एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ईआर) और माइटोकॉन्ड्रियावर्णकता के महत्वपूर्ण संचालक हैं। इस नई परियोजना का उद्देश्य वर्णकता में एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम और माइटोकॉन्ड्रिया सिग्‍नलिंग पाथवे की भूमिका को चित्रित करना और प्रमुख एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम और माइटोकॉड्रियल प्रोटीन की पहचान करना है जो वर्णकता को नियंत्रित करते हैं। बाद में वे इन सिग्नलिंग कैस्केड को एफडीए द्वारा मंजूर दवाओं से लक्ष्‍य करेंगे ताकि यह पता चल सके कि किसी ज्ञात दवा का इस्‍तेमाल वर्णक विकारों को कम करने के लिए किया जा सकता है। (विज्ञान समाचार)


(प्रमुख शब्‍द : माइटोकॉन्ड्रिया, यूवी विकिरण, त्वचा कैंसर, वर्णक विकार, कलंक, मनोवैज्ञानिक आघात, चिकित्सीय रणनीति)



राष्‍ट्रपति ने कहा कि आइए हम अपने वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्‍ता और प्रासंगिकता बढ़ाने का संकल्‍प लें

राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अपने वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि हमारे विज्ञान को देश के लोगों के विकास और भलाई में योगदान देकर जनता के लिए काम करना चाहिए। श्री कोविंद विज्ञान और प्रौ‍द्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आज नई दिल्‍ली में आयोजित राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।  


राष्‍ट्रप‍ति ने कहा कि हमें अपने विश्‍वविद्यालय और प्रयोगशाला  में सभी उपकरणों, ज्ञान, मानव शक्ति और बुनियादी ढांचे के साथ विज्ञान और वास्‍तव में समाज के सभी हितधारकों तक पहुंचने का लक्ष्‍य निर्धारित करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि कॉरपोरेट सामाजिक जिम्‍मेदारी की तर्ज पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भी वैज्ञानिक सामाजिक जिम्‍मेदारी की अवधारणा को विकसित कर रहा है और इसे नीति में शामिल कर रहा है। इस नीति में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचा साझा करने कॉलेज के संकाय को परामर्श देना, अनुसंधान संस्‍कृति को बढ़ावा देना और शीर्ष प्रयोगशालाओं में युवा छात्रों की यात्राओं का आयोजन करना शामिल हैं।


राष्‍ट्रपति ने कहा कि राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्‍य विज्ञान के महत्‍व के संदेश का प्रचार करना है। इसके दो पहलू हैं – अपने आप में विज्ञान, शुद्ध ज्ञान की खोज के रूप में और समाज में विज्ञान, जीवन की गुणवत्‍ता बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में। वास्‍तव में दोनों ही पहलू आपस में जुड़े हुए हैं, क्‍योंकि इन दोनों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एक ही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से ही हम पर्यावरण, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, उचित आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा, भोजन एवं जल सुरक्षा तथा संचार आदि की चुनौतियों का प्रभावी रूप से समाधान कर सकते हैं। आज हमारे सामने अनेक प्रकार की जटिल समस्‍याएं हैं। विभिन्‍न संसाधनों की मांग और आपूर्ति के बढ़ते हुए असंतुलन से भविष्‍य में टकराव की संभावना है। हम सभी को इन चुनौतियों के स्‍थायी समाधान की अपनी तलाश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहना होगा। 



उपराष्ट्रपति ने वास्तुकारों से कहा कि अपनी योजनाओं में संरक्षण और निरंतरता का ध्यान रखें

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी वास्तुकारों और शहरी योजनाकारों से आग्रह किया कि वे अपनी योजनाओं के लिए संरक्षण और निरंतरता पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने कहा कि निर्माण वातावरण में सुधार लाने के लिए परम्परा तथा प्रौद्योगिकी का समायोजन करें तथा दीर्घकालीन विकास की दिशा में काम करें।


तमिलनाडु के मामल्लपुरम में वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज के छात्रों से बातचीत करते हुए श्री नायडू ने उनसे आग्रह किया कि वे देश की मूल्यवान संस्कृति और विरासत को प्रोत्साहन देने और उसकी सुरक्षा करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि छात्रों को पारम्परिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।


      मामल्लपुरम के विश्व धरोहर स्थल का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह स्थान भारत की महान परम्परा का परिचायक है तथा मामल्लपुरम की पल्लव मूर्तिकारी और तटीय मंदिर, रथ मंदिर, गुफा मंदिर तथा अर्जुन का प्रायश्चित या गंगा अवतरण शैल वास्तुकला का शानदार नमूना होने के साथ-साथ दुर्लभ गरिमा को भी प्रदर्शित करते हैं।


      उपराष्ट्रपति ने कहा कि वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज इससे बेहतर स्थान पर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहां के वास्तुशिल्प से महान विविधता के साथ-साथ इन स्मारकों का कर्मिक विकास भी नजर आता है।


      पर्यावरण अनुकूल हरित भवनों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री नायडू ने कहा कि इन इमारतों में पानी का कम उपयोग होता है और ऊर्जा का आदर्श इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि नई इमारतों का डिजाइन तैयार करते समय डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरा फायदा उठाया जाए, ताकि ‘स्मार्ट बिल्डिंग’ का निर्माण हो सके।


      श्री नायडू ने वास्तुशिल्प के छात्रों से आग्रह किया कि वे तेज शहरीकरण के समाधान के लिए नवाचारों का उपयोग करें तथा शहरी क्षेत्रों के सामान ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुविधाएं प्रदान करने के तरीके खोजें। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अधिक से अधिक साहित्य और कला रूपों का अध्ययन करें तथा अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करें। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे मूर्तिकला सहित सभी भारतीय कला रूपों के प्रति अपनी समक्ष में इजाफा करें।


      उपराष्ट्रपति ने वास्तुशिल्प कॉलेज जैसे संस्थानों से आग्रह किया कि वे शोध और नवाचार को प्रोत्साहन दे, ताकि हमारे शहर सुरक्षित और सुविधाजनक बन सकें तथा हमारी इमारतें सस्ती और पर्यावरण अनुकूल निर्मित हो सकें। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तमिलनाडु सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार छात्रों को इस दिशा में बहुत प्रोत्साहन दे रही है।


      इसके पूर्व उपराष्ट्रपति ने परिसर में सुधाई, प्रस्तर, धातु और काष्ठ मूर्तिकला स्टूडियो, वास्तुशिल्प स्टूडियो तथा पारम्परिक चित्रकारी स्टूडियो का दौरा किया। उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति का भी अवलोकन किया।


      श्री नायडू ने कहा कि मूर्तिकला भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करने का बेहतरीन कला रूप है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं में निहित कौशल को पहचान कर प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इसके लिए उपराष्ट्रपति ने मशवरा दिया कि शिक्षा प्रणाली में शिक्षण और कौशल निर्माण का समायोजन किया जाना चाहिए।


      उपराष्ट्रपति ने नक्काशी के लिए छेनी और हथोड़ी वाली तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए मामल्लपुरम के मूर्तिकारों की सराहना की। उन्होंने पल्लव युग की जटिल कला की प्रतिकृति तैयार करने के लिए मूर्तिकारों की क्षमता और उनके कौशल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘मुझे वास्तुशिल्प और मूर्तिकला कॉलेज के छात्रों द्वारा किए गए काम को देखकर अति प्रसन्नता हो रही है। कला और वास्तुशिल्प के इस उत्कृष्ट केन्द्र का दौरा करके मैं ऊर्जावान हो गया हूं।’


      अपने आगमन के दौरान उपराष्ट्रपति ने संस्थान के परिसर में संत कवि और दार्शानिक थिरुवल्लुवर की प्रतिमा का अनावरण भी किया।


      छात्रों के साथ उपराष्ट्रपति की बातचीत के दौरान तमिल आधिकारिक भाषा, तमिल संस्कृति और वास्तुशास्त्र मंत्री श्री के.के. पांडियाराजन, तमिलनाडु सरकार के अवर मुख्य सचिव श्री अशोक डोंगरे और महाबलीपुरम के गर्वमेंट कॉलेज ऑफ आर्कीटेक्चर एंड स्कल्पचर के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्रन और अन्य अध्यापक उपस्थित थे।



Friday, February 28, 2020

आपस में मिल-जुलकर रहें 

1947 के बंटवारे का दर्द वो ही समझ सकते हैं, जिन्होंने उस दर्द को स्वयं सहा है | अगर हम समझ पाते तो आज हम सब भारतीय होते न कि गुजराती, मराठी, पंजाबी, बिहारी, दक्षिणी-पश्चिमी, उत्तरी... | आजादी के बाद भी हमने आजाद भारत में तमाम दंगे किये हैं | कभी राजनीति के शिकार होकर तो कभी धर्म में अंधे होकर | राम-रहीम की लड़ाई में मानवता कब दफन हो गई पता भी नहीं चला |

क्या भारत की नई पीढ़ी जानती है कि 1947 के दंगे कितने भीभत्स, भयानक थे | कत्ल, मारकाट, बलात्कार जैसे घिनौने कुकर्म किये गये वो भी सौ - दो सौ की संख्या में नहीं हजारों हजार की संख्या में, अपहरण, लूट, विश्वासघात, धर्मांतरण की ऐसी आँधी आई थी उस दौर में, जिन लेखकों ने उस बंटवारे की घटना का जिक्र किया है वे रो-रोकर ही लिख पाये | 

बंटवारे की हैवानियत का सबसे बड़ा शिकार पंजाब हुआ था | उस दंगे में इंसान ही इंसान के खून का प्यासा हो गया था | दहशत भरे उस काल में करीब 10 लाख से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था | क्या हम बीते खूनी इतिहास से कुछ सीख लेंगे | आपको बतादें कि बंटवारे के जिम्मेदार हमारे देश के ही कुछ स्वार्थी नेता थे | और आज भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी स्वार्थ भरी रोटियां सेकने के लिए दंगों को भड़काने का कार्य करते हैं |  साथियों भारत में अलग-अलग भाषायें, रीति-रिवाज, धर्म, पहनावा है, लेकिन हम सब भारतीय हैं | हम किसी एक प्रांत तक सीमित न रहें | हम जैसे भी हैं, हैं तो भारतवासी  

हमारा संबिधान, हमारे धर्म हमें एक रहने की शिक्षा देते हैं | मानव मात्र ही नहीं सम्पूर्ण जीवजन्तुओं से प्रेम करने की शिक्षा देते हैं हमारे महापुरुष | साथियों! किसी के बहकावे में न आयें, हमेशा अपनी मातृभूमि - जन्मभूमि की सेवा में तत्पर रहें | आपस में मिल-जुलकर रहें | क्योंकि आज हमें जरूरत है इंसानियत की, आदमी आदमी की सहायता करे...  एक-दूसरे की खुशियों में शामिल हों, एक-दूसरे के दुख दर्द बांटें | हम नफरत कब तक करते रहेंगे ,कब तक एक-दूसरे का अपमान करते रहेंगे | यह सारी प्रथ्वी प्यार स्नेह की भूखी है | माफ कीजिये दोस्तों... धर्म से बढ़कर इंसानियत है | इंसानियत हमारे साथ पैदा होती है और हमारे जाने के बाद भी जिंदा रहती है | धर्म बाद में पैदा होता है और हमारे साथ ही मिट जाता है | हमें अपनी आत्मा विषैली नहीं, अमृतमयी बनानी है | खून-खराबे से दूर मानवी सज्जनता में जीना है | यही हमारे धर्म हमें शिक्षा देते हैं | तो आइये मित्रों आपस में मिलजुलकर रहें |

नेताओं के बहकावे में कतई नहीं आयें | क्या आपने कभी किसी नेता या उसके परिवारी जन को दंगों की भेंट चढते देखा है | और तो और उस धर्म गुरू और उसके परिवारी जन को दंगों में मरते-कटते देखा है जो कहते हैं हमारा धर्म संकट में है, नहीं न तो भले मानुषों आपस में लड़ो मत सवाल करो सरकार से भूख पर, गरीबी पर, बेरोजगारी पर, शिक्षा पर न कि धर्म पर... 

तुम भूखें नंगों ने कभी सोचा है कि जिस धर्म गुरू, नेता, पार्टी का झंड़ा उठाये फिरते हो उसकी सम्पत्ति कितनी है | सच्चाई सुनोगे तो शायद बेहोश हो जाओगे | अरे भुल्लकड़ भारतीय जनता अपने इतिहास से कुछ सीखो और धर्म-वर्म को भूलकर अपने परिवार, अपने राष्ट्र की सोचो | ये हिंदू - मुस्लिम, सिख - ईसाई वाला खेल बहुत खेल लिया, अब बंद करो | जब राष्ट्र का जन-धन जलकर खाक हो जाता है तब इस देश की पुलिस - अन्य सुरक्षा बल हरकत में आते हैं और जब मजदूर, आदिवासी, किसान अपने हक की थोड़ी सी आवाज उठायें तो बड़ी बेदर्दी से उनकी आवाज दबा दी जाती है | पता है क्यों? क्योंकि यह सब स्क्रिप्ट द्वारा किया जाता है | सारी पटकथा नेताओं द्वारा लिखी जाती है | पुलिस - सेना तो बस नेताओं के हाथों की कठपुतली बनकर रह जाते हैं | उनके इसारे पर ही अपना खेल दिखाते रहते हैं | 

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली में कानून और व्यवस्था की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया

केंद्रीय गृह मंत्री, श्री अमित शाह ने दिल्ली के उत्‍तर-पूर्वी जिले में हाल में हुए दंगों के मद्देनजर कानून और व्यवस्था की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए एक समीक्षा बैठक की। बैठक में अन्‍य लोगों के अलावा केन्‍द्रीय गृह सचिव, दिल्ली के पुलिस आयुक्‍त और विशेष पुलिस आयुक्‍त, कानून और व्यवस्था शामिल हुए।


श्री शाह ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर विश्वास न करें और और न ही साम्प्रदायिक तनाव फैलाने में दिलचस्पी लेने वाले उपद्रवी तत्वों और समूहों के नापाक इरादों का शिकार बनें। दिल्ली के 203 पुलिस थानों (भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 4.2%) में से केवल 12 पुलिस थाने इन दंगों से प्रभावित हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में अन्‍य स्‍थानों पर सामान्य स्थिति और सांप्रदायिक सद्भाव बना हुआ है। दिल्ली पुलिस को समाज के सभी वर्गों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश है और वह इसके लिए बाध्य है।


समीक्षा बैठक की प्रमुख बातें:



  • उत्‍तर-पूर्वी जिले के किसी भी प्रभावित पुलिस स्टेशन में पिछले 36 घंटों में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।

  • जमीनी स्थिति में सुधार को देखते हुए धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा में कल कुल 10 घंटों की ढील दी जाएगी।

  • संघर्षों, जानमाल को नुकसान आदि से जुड़ी घटनाओं के संबंध में अब तक 48 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और उपयुक्‍त समय पर और एफआईआर दर्ज की जाएंगी।

  • पुलिस ने अब तक पूछताछ के लिए 514 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। जांच के क्रम में और गिरफ्तारियां की जाएंगी।

  • दिल्ली पुलिस ने गंभीर अपराधों की जांच के लिए अलग से दो एसआईटी का गठन किया है।

  • उत्‍तर-पूर्वी जिले के प्रभावित इलाकों में 24 फरवरी से अब तक केन्‍द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों के करीब 7,000 जवान तैनात किए गए है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने भी पुलिस आयुक्‍त की सम्‍पूर्ण देखरेख में तीन विशेष पुलिस आयुक्‍त, छह संयुक्त पुलिस आयुक्‍त, एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्‍त, 22 पुलिस उपायुक्‍त, 20 सहायक पुलिस आयुक्‍त, 60 इंस्पेक्टर, 1,200 अन्य रैंक और 200 महिला पुलिस को तैनात किया है ताकि वे प्रभावी प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन कर सकें और स्थिति पर काबू पाने और उस पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस की प्रतिक्रिया का निरीक्षण कर सकें।

  • 24 फरवरी से इन दुखद घटनाओं में 35 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।

  • नागरिकों से अनुरोध है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्‍यान न दें। दिल्ली पुलिस ने चौबीस घंटे सहायता के लिए हेल्‍पलाइन- 22829334 और 22829335 स्थापित की है। इन नंबरों का प्रचार किया जा रहा है ताकि उपद्रवियों और किसी भी उभरती हुई स्थिति के बारे में पुलिस को जानकारी दी जा सके।

  • कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए अपने कर्तव्‍य का पालन करते हुए दो सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। इसके अलावा, इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में लगभग 70 पुलिसकर्मी और वरिष्ठ अधिकारी घायल हुए हैं। घायलों को चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं।

  • समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विश्वास-निर्माण के उपाय के रूप में, दिल्ली पुलिस ने स्थिति को सामान्य बनाने और समुदायों के बीच आपस में सौहार्द बढ़ाने के लिए दिल्ली भर में शांति समिति की बैठकें शुरू कर दी हैं। शांति समिति की यह बैठकें स्थिति सामान्य होने तक जारी रहेंगी। पिछले दो दिनों में दिल्ली के विभिन्न जिलों में शांति समिति की अब तक लगभग 330 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इसके अलावा, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्‍ल्‍यूए) और मार्केट वेलफेयर एसोसिएशंस (एमडब्‍ल्‍यूए) के साथ भी कई इलाकों में मीटिंग बुलाई गई है। शांति समिति / आरडब्ल्यूए / एमडब्ल्यूए की इस तरह की बैठक में नागरिक समाज समूह, विभिन्न राजनीतिक दलों कांग्रेस, एएपी, बीजेपी आदि के प्रतिनिधियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने हिस्‍सा लिया।

  • पूर्वी दिल्ली नगर निगम दंगा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों की सफाई और क्षतिग्रस्त सार्वजनिक संपत्तियों की मरम्मत के लिए पहले ही कदम उठा चुका है।  अन्य नागरिक एजेंसियां भी ​​नागरिक सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल करने में लगी हुई हैं। राजमार्ग और उससे जुड़ी सड़कों पर यातायात की आवाजाही सामान्य हो रही है।



प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है।


प्रधानमंत्री ने अपने बधाई संदेश में कहा, ‘‘राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और दृढ़ता का अभिवादन करने का अवसर है। अविष्‍कार करने के उनके जोश और पथप्रदर्शक अनुसंधान ने भारत और दुनिया की सहायता की है। मेरी कामना है कि भारतीय वैज्ञानिक लगातार कामयाब होते रहें और हमारे युवा मस्तिष्‍क विज्ञान के प्रति अधिक जिज्ञासा रखें।  


भारत में अनुसंधान और नई खोजों के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए हमारी तरफ से, सरकार अनेक प्रयास कर रही है। इस वर्ष के शुरू में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान मैंने विज्ञान से जुड़े पहलुओं की चर्चा की थी। उन्‍हें मैं फिर साझा कर रहा हूं।’’