Saturday, February 29, 2020

श्री अर्जुन मुंडा ने भुवनेश्वर में स्थानीय स्वशासन में अनुसूचित जनजाति के जन प्रतिनिधियों के लिए क्षमता सृजन कार्यक्रम तथा 1000 जल स्रोत कार्यक्रमों को लॉन्च किया

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम में स्थानीय स्वशासन में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए कार्यक्रम लॉन्च किया। उन्होंने 1000 जल स्रोत कार्यक्रम तथा जल स्रोतों के जलविज्ञान तथा रासायनिक गुणों के साथ जीआईएस आधारित जलस्रोत (स्प्रिंग) एटलस पर ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च किया। इस अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक तथा जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता उपस्थित थीं।


ओडिशा में एफआरए (एफआरए में ओडिशा की यात्रा) पर लघु वृत्तचित्र और ओडिशा का एफआरए एटलस को जारी किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र में जनजातीय विकास परिप्रेक्ष्य, जनजातीय भूमि का अलगाव, वन धन विकास केन्द्र तथा जनजातीय विकास अन्वेषण पर चर्चा की गई।


श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 1000 जल स्रोत कार्यक्रम का उद्देश्य देश के कठिन और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय सुमदाय के लिए सुरक्षित और पर्याप्त जल तक पहुंच में सुधार करना है। यह प्राकृतिक जल स्रोतों के इर्द-गिर्द एकीकृत समाधान है। इसमें पाइप पेय जल सप्लाई के लिए अवसंरचना का प्रावधान, सिंचाई जल का प्रावधान, सामुदायिक नेतृत्व वाले संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम तथा घर के पीछे बागानों के लिए जल का प्रावधान और जनजातीय लोगों के लिए सतत आजीविका अवसर का सृजन शामिल हैं।  उन्होंने आशा व्यक्त की कि विचार-विमर्श से आए सुझावों का उपयोग परियोजना विस्तार के लिए किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि जीआईएस आधारित जल स्रोत एटलस पर ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है ताकि ऑनलाइन प्लेटफार्म से सहज रूप में इन आंकड़ों को प्राप्त किया जा सके। स्प्रिंग एटलस पर 170 जल स्रोत अपलोड किए गए हैं।


श्री मुंडा ने कहा कि क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।


जल स्रोत भूजल के प्राकृतिक स्रोत हैं और भारत सहित पूरे विश्व के पर्वतीय क्षेत्रों में इनका इस्तेमाल किया गया है। लेकिन मध्य और पूर्वी भारत के 75 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र में जल स्रोतों को मान्यता नहीं दी गई है और उनका उपयोग कम किया गया है। इस कार्यक्रम से जनजातीय क्षेत्रों में जल की प्राकृतिक कमी की समस्या से निपटने में बारहमासी जल स्रोत की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस पहल के अंतर्गत ओडिशा के तीन जिलों- कालाहांडी, कंधमाल तथा गजपति- के ग्रामीण क्षेत्र से 70 जनजातीय युवाओं  को बिना जूते के जलविज्ञानी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इन युवाओं को जल स्रोतों की पहचान और मैपिंग के लिए पारंपरिक और वैज्ञानिक ज्ञान तथा अपनी आबादी वाले क्षेत्रों में पुनर्जीवन तथा संरक्षण कार्यक्रम को सम्मिलित करके प्रशिक्षित किया गया है।


जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्थानीय प्रशासन में निर्वाचित जनजातीय प्रतिनिधियों के लिए क्षमता सृजन कार्यक्रम लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।


स्थानीय स्तर पर विकास कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करने वाले जनप्रतिनिधियों के क्षमता सृजन से समुदायों तथा क्षेत्रों के बीच विकास के अंतर को पाटने में काफी मदद मिलेगी। इससे विभिन्न विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों को कारगर तथा बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी और परिणामों में सुधार होगा।


इस कार्यक्रम को लॉन्च करने से पहले मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श किया। जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए मॉड्यूल विकास पर पिछले वर्ष 23 दिसम्बर को नई दिल्ली में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें राज्य जनजातीय अनुसंधान और विकास संस्थानों, राज्य ग्रामीण विकास संस्थानों, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों, स्थानीय स्वशासन संस्थान, केरल तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


क्षमता सृजन कार्यक्रम की उचित रूप रेखा बनाने के बारे में जनजातीय जन प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी संगठनों तथा वन विभाग के अधिकारियों सहित विभिन्न हितधाकरों के बीच संवाद हुआ।


क्षमता सृजन कार्यक्रम के लिए मॉड्यूल इस उद्देश्य के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुरूप विकसित किया गया है। प्रशिक्षण के लिए इस मॉड्यूल का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। जनजातीय समुदायों के बीच के सहायक क्षमता सृजन प्रक्रिया में शामिल किए जाएंगे ताकि स्थानीय भाषा में बेहतर तरीके से सूचना दी जा सके। क्षमता सृजन के तौर तरीकों में ऑडियो विजुअल उपकरण, रोल प्ले और कार्यशाला को शामिल किया जाएगा। क्षमता सृजन कार्यक्रम, बेहतर कवरेज तथा तेजी से क्रियान्वयन  के लिए सोपान रूप मे लागू किया जाएगा। कार्यक्रम मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण से प्रारंभ होगा और उसके बाद सहायकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यक्रम को जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए विषयों को प्राथमिकता देकर विषय संबंधी तरीके से लागू किया जाएगा। कार्यक्रम राज्य सरकारों द्वारा एसआईआरडी और पीआर तथा टीआरआई के माध्यम से लागू किया जाएगा।



श्री अमित शाह ने भुवनेश्वर में आयोजित पूर्वी आंचलिक परिषद की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने आज भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित पूर्वी आंचलिक परिषद की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भाग लेने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में उपाध्यक्ष और मेजबान के रूप में ओडिशा के मुख्‍यमंत्री श्री नवीन पटनायक, बिहार के मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार,  पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जीझारखंड के वित्तमंत्री श्री रमेश उरांव और केंद्र तथा राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और चक्रवाती आपदाओं के दौरान तुरंत सहायता करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कोयले पर रॉयल्टी में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने जीएसटी से आय के भुगतान में देरी और धन के हस्‍तांतरण का मुद्दा उठाया। बिहार के मुख्यमंत्री  ने गंगा नदी में बाढ़ की देखरेख के लिए राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति तैयार करने के लिए कहा।


बैठक को संबोधित करते हुए श्री शाह ने 24वीं बैठक में परिषद के सभी सदस्यों का स्वागत किया और उम्मीद ज़ाहिर की कि केन्द्र/राज्य और अंतर-राज्य संबंधी मुद्दों का सहमति से समाधान निकालने में यह सार्थक बैठक होगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, विचार-विमर्श के बाद, देश के संघीय ढांचे को और मज़बूत करने के लिए सर्वसम्मति से लिए गए फैसलों को लागू किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने क्षेत्रीय परिषद प्रणाली की उपयोगिता के प्रति संतोष व्यक्त किया और सूचित किया है कि 70 प्रतिशत से अधिक मुद्दों का समाधान क्षेत्रीय परिषदों की हाल की बैठकों में हुआ है तथा शेष मुद्दों पर भी सहमति बन जाएगी।


परिषद में अपर महानंदा जल योजना पर 1978 में बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच हस्ताक्षर होने वाले फुलवारी बांध संबंधी विषय, ओडिशा के उत्तरी जिलों में नौपाड़ा-गुनुपुर-थेरुबली रेल लिंक परियोजना के विस्तार, बिहार और झारखंड के बीच पेंशन दायित्व के निर्धारण, भारत सरकार की कोयला कम्पनियों द्वारा राज्य सरकार की ज़मीन के इस्तेमाल, प्रधानमंत्री आवास योजना- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरमों द्वारा भूमि स्थानांतरण, बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न/दुष्कर्म के मामलों में तत्काल आधार पर जांच संबंधी मुद्दे, भारत-बंग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी/मवेशियों की गैर-कानूनी आवाजाही, ओडिशा में दूरसंचार तथा बैंक कनेक्टिविटी की कमी, ओडिशा में गांजा/भांग की गैर-कानूनी खेती और व्यापार, कोयला रॉयल्टी की समीक्षा, अपर्याप्त धन और विलम्ब, पेट्रोलियम परियोजनाओं की भूमि संबंधी समस्याएं आदि मुद्दों पर भी चर्चा की गई । आज कुल 48 विषयों पर विचार किया गया जिन में से 40 (83 प्रतिशत से अधिक) का समाधान बैठक में निकाल लिया गया।


गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूर्वी क्षेत्र के त्वरित विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज की बैठक कार्यसूची में शामिल विषयों के समाधान में निर्णायक और उपयोगी होगी। उन्होंने कहा कि कार्यसूची में दिए गए विषयों के अतिरिक्त वह चाहेंगे कि कानून और व्यवस्था तथा प्रशासनिक सुधारों से संबंधित विषयों को शामिल किया जाए और उन पर चर्चा की जाए ताकि परिषद की बैठक देश के विकास को गति देने में सहायक हो।


गृह मंत्री ने केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों को केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ लंबित विषयों में निर्णय लेने में तेजी लाने को कहा। उन्होंने बैंकिंग सेवाओं के विस्तार पर बल दिया ताकि दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी लाभ मिले।


उन्होंने संबोधन के समापन में कहा कि लंबित विषयों का समाधान नियमित चर्चा से करने की आवश्यकता है, न कि केवल क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में। उन्होंने राज्यों से नियमित आधार पर डाटा साझा करने के काम को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। बैठक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप सहकारी संघवाद की भावना के साथ संपन्न हुई।



जापान की साझेदारी से हम ओडिशा को इस्पात क्षेत्र में पूर्वोदय का मुख्य केंद्र बनाएंगे : श्री धर्मेंद्र प्रधान

केन्द्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान आज भुवनेश्वर में ‘अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए इस्पात का उपयोग बढ़ाने की प्रक्रियाओं को सक्षम करना’ विषय पर एक कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन इस्पात मंत्रालय ने जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की साझेदारी से किया था।


कार्यशाला में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जापान की साझेदारी से वह ओडिशा को इस्पात क्षेत्र में पूर्वोदय का केंद्र बनाने के लिए तत्पर हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन पूर्वोदय का आह्वान किया है जिससे पूर्वी भारत राष्ट्रीय विकास को गति दे रहा है और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर कर रहा है।


इस पहल के बारे में बताते हुए श्री प्रधान ने कहा कि हम भारत में इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने जापान को अपने साझेदार देश के रूप में चुना है जो हमें भारतीय स्टील तंत्र को गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों मोर्चे पर बड़ा बनाने के लिए मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि जापान और ओडिशा का काफी पुराना संबंध रहा है। जापान की मदद से निर्मित प्रसिद्ध धौली स्तूप दो सभ्यताओं के बीच की एक कड़ी है। श्री प्रधान ने कहा कि आज कुछ दशकों के बाद हम फिर से नया इतिहास और ओडिशा में जापान के सहयोग से इस्पात क्षेत्र में वृद्धि का नया अध्याय लिखने में जुट गए हैं।


पूर्वी भारत के बारे में बताते हुए श्री प्रधान ने कहा कि पूर्वी भारत का समाज काफी आकांक्षी समाज है जहां लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं और खर्च करने की उनकी क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गति देने और देश को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


श्री प्रधान ने बताया कि ओडिशा में रेलवे, सड़क, हवाईअड्डे, पाइपलाइन, पुल आदि विकसित करने में 5 अरब डॉलर खर्च किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में अत्यधिक गरीबों को 8 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास उत्कृष्ट ढांचागत विकास और आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना है।


श्री प्रधान ने ओडिशा में इस्पात क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ओडिशा आज देश का सर्वोच्च इस्पात उत्पादक राज्य है। हमलोग ओडिशा में इस्पात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2030 तक ओडिशा का इस्पात उत्पादन 100 एमटीपीए को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा कि ओडिशा इस्पात क्षेत्र में मिशन पूर्वोदय का मुख्य केन्द्र बनने जा रहा है।


इस अवसर पर भारत में जापान के राजदूत श्री सतोशी सुजुकी ने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और यह भारत के साथ अपने अनुभव को साझा करने का सही समय है। उन्होंने बताया कि जापानी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ तेजी से सहयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि  मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत और जापान इस्पात क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत-जापान इस्पात शुरू की है। भारत में इस्पात की मांग बढ़ने वाली है। जापान की अर्थव्यवस्था में भारतीय लौह अयस्क के योगदान के बारे में बताते हुए  उन्होंने कहा कि भारत, खासकर ओडिशा से लौह अयस्क के निर्यात ने जापान को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने में मदद की।


इस कार्यशाला में ओडिशा के इस्पात और खनन मंत्री, श्री प्रफुल्ल कुमार मल्लिक,  इस्पात मंत्रालय के अपर सचिव सुश्री रसिका चौबे, ओडिशा के प्रधान सचिव (उद्योग) श्री हेमंत कुमार, सेल के अध्यक्ष श्री अनिल चौधरी, टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक श्री टी. वी. नरेंद्रन और सरकार और उद्योग से जुड़े कई अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।



प्रधानमंत्री 29 फरवरी, 2020 को 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को लॉन्च करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 29 फरवरी, 2020 को चित्रकूट में देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों को लॉन्च करेंगे।


छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत हैं, जिनके पास देश में 1.1 हेक्टेयर से कम औसत खेती है। इन छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रौद्योगिकी, बेहतर बीज, उर्वरक, कीटनाशक और समुचित वित्त की समस्याएं शामिल हैं। इन किसानों को अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण अपने उत्पादों के विपणन की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है।


      एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहीकरण में सहायता होगी, ताकि इन मुद्दों से निपटने में किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ सकें। एफपीओ के सदस्य संगठन के तहत अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे, ताकि प्रौद्योगिकी, निवेश, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच हो सके और उनकी आजीविका तेजी से बढ़ सके।


      पीएम-किसान के एक साल पूरे


      इस अवसर पर पीएम-किसान योजना के लॉन्च होने का एक वर्ष पूरा हो जाने के मद्देनजर आयोजन भी किया जाएगा।


मोदी सरकार ने किसानों के आय समर्थन के रूप में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना को लॉन्च किया था, ताकि किसानों को कृषि, संबंधित गतिविधियों और घरेलू आवश्यकताओं के खर्च वहन करने में सहायता हो सके।


योजना के तहत हर योग्य लाभार्थी को प्रति वर्ष 6000 रुपये की धनराशि दी जाती है। यह धनराशि दो-दो हजार रुपये के रूप में तीन बार चार माह की किस्तों में दी जाती है। यह भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के तहत योग्य लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे ऑनलाइन भेजी जाती है।


योजना 24 फरवरी, 2019 को लॉन्च की गई थी और उसने 24 फरवरी, 2020 को सफलतापूर्वक अपना एक साल पूरा कर लिया है।


अपनी पहली कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत मोदी 2.0 सरकार ने सभी किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ देने का निर्णय किया था।


पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करने का विशेष अभियान


प्रधानमंत्री 29 फरवरी, 2020 को पीएम-किसान योजना के तहत सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के वितरण का अभियान लॉन्च करेंगे।


पीएम-किसान योजना के तहत लगभग 8.5 करोड़ लाभार्थियों मे से 6.5 करोड़ से अधिक किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हैं।


इस अभियान से यह सुनिश्चित होगा कि लगभग दो करोड़ पीएम-किसान लाभार्थियों को भी किसान क्रेडिट कार्ड वितरित कर दिए जाए।


सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को रियायती संस्थागत ऋण तक पहुंच प्रदान करने के लिए 12 फरवरी से 26 फरवरी तक 15 दिवसीय विशेष अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत एक पन्ने के साधारण फॉर्म को भरा जाता है, जिसमें बैंक खाता नंबर, खेत रिकॉर्ड का विवरण जैसी बुनियादी जानकारी शामिल हैं। इसमें किसानों को यह घोषणा करनी है कि मौजूदा समय में वह किसी भी अन्य बैंक खाते से केसीसी का लाभार्थी नहीं है।


जिन पीएम-किसान लाभार्थियों के आवेदन 26 फरवरी तक प्राप्त हो गए है, उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए 29 फरवरी को बैंक शाखाओं में बुलाया जाएगा।