Friday, May 1, 2020

एफसीआई ने अप्रैल 2020 के दौरान 60 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की ढुलाई की, जो मासिक औसत 30 एलएमटी से दोगुनी है

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अप्रैल 2020 के महीने में 60 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न की आपूर्ति की, जबकि अब तक एक महीने में सबसे ज्यादा आपूर्ति करने का रिकॉर्ड मार्च 2014 में 38 एलएमटी था, जिससे यह 57% ज्यादा है। यह सामान्य मासिक औसत लगभग 30 एलएमटी से दो गुना ज्यादा है। इसकी मात्रा में, सड़कों द्वारा कश्मीर घाटी और लेह/ लद्दाख के लिए 1 एलएमटी और साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के लिए लगभग 0.81 एलएमटी की आपूर्ति भी शामिल है। समुद्र के रास्ते अंडमान और लक्षद्वीप के द्वीपों पर लगभग 0.1 एलएमटी स्टॉक भी ले जाया गया।


कोविड-19 के प्रसार से उत्पन्न हुई दिक्कतों के बीच, भारतीय खाद्य निगम ने अप्रैल 2020 के दौरान विभिन्न उपभोक्ता राज्यों में लगभग 58 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न भंडार उतारा। बिहार को लगभग 7.7 एलएमटी का अधिकतम स्टॉक प्राप्त हुआ और इसके बाद कर्नाटक को लगभग 7 एलएमटी की प्राप्ति हुई। कोविड-19 की स्थिति लगातार गतिशील बनी हुई है और इसमें हॉटस्पॉट्स और संरोधन क्षेत्रों का जुड़ना जारी है, यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कई अनलोडिंग केंद्र ऐसे क्षेत्रों में अवस्थित हैं। हालांकि, राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से एफसीआई प्रभावित क्षेत्रों में भी खाद्यान्न की आपूर्ति करने में भी सक्षम है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत आपूर्ति करने के लिए राज्यों को इसका समान रूप से वितरण करने के लिए भी।


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के अंतर्गत, भारतीय खाद्य निगम द्वारा खाद्यान्न का कुल उठाव लगभग 60 एलएमटी पर पहुंच गया है, कुल आवंटन 120 लाख मीट्रिक टन का 50 प्रतिशत, जिसके अंतर्गत लगभग 80 करोड़ लोगों को 5 किलो/ व्यक्ति की दर से निःशुल्क खाद्यान्न की आपूर्ति की जाती है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा देश भर में पर्याप्त खाद्यान्न भंडार सुनिश्चित कर दिया गया है, जिससे कि कोविड-19 के कारण प्रभावित लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारों द्वारा की गई किसी भी मांग को पूरा किया जा सके।


इस बीच, केंद्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद 130 लाख मीट्रिक टन के पार पहुंच गई है, जिसमें 68 लाख मीट्रिक टन के साथ पंजाब अग्रणी स्थान पर है, जिसके बाद हरियाणा (30 एलएमटी) और मध्य प्रदेश (25 एलएमटी) के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है। खरीद के माध्यम से खाद्यान्न की निरंतर अंतर्वाह के साथ, एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई सहित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लगभग 122 लाख मीट्रिक टन स्टॉक जारी किए जाने के बावजूद भी समग्र केंद्रीय पूल में स्टॉक की स्थिति मजबूत बनी हुई है।



पिंपरी चिंचवड कोविड-19 वार रूम में तकनीक का हो रहा व्यापक उपयोग

शहर में कोविड-19 की स्थिति पर नजर रखने और निगरानी के लिए पीसीएमसी में एक कोविड-19 वार रूम की स्थापना की गई है। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत आने वाले इस शहर में बने इस वार रूम में डाटा संग्रह, मिलान और विश्लेषण के लिए तकनीक समाधानों का उपयोग किया गया है, जिससे कदम उठाना आसान होगा और तुरंत फैसले लिए जा सकेंगे। वार रूम में निम्नलिखित डैशबोर्ड परिचालन में हैं


स्वास्थ्य देखभाल और मरीज निगरानी डैशबोर्ड : पीसीएमसी ने एक डैशबोर्ड विकसित किया है, जो कोविड संबंधी मामलों, परीक्षण और स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्थाओं पर रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराता है। ऑनलाइन माध्यम से सभी अस्पतालों को डैशबोर्ड तक पहुंच उपलब्ध कराई गई है, जहां हर अस्पताल द्वारा जानकारियां भरी जाती हैं और आईसीसीसी स्थित डैशबोर्ड रियल टाइम आधार पर अपडेट होता है। यह डैशबोर्ड कोविड उपचार उपलब्ध कराने वाले 10 अस्पतालों से मिले डाटा पर नजर रखता है, जिसमें बिस्तर क्षमता, नमूना जांच, पॉजिटिव और क्वारंटाइन मामले शामिल हैं।


कोविड-19 जीआईएस डैशबोर्ड : लोकेशन आधारित सूचना प्रणाली को घरों में क्वारंटाइन लोगों (नक्शे पर बैंगनी रंग से चिह्नित हैं), कोविड-19 पॉजिटिव लोगों (लाल रंग से चिह्नित) की पिछली लोकेशन, क्षेत्र की घेराबंदी (काली रेखाएं), गली बंद आदि की जिओ टैगिंग की जाती है। एक बार मरीज कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता है तो उसकी पिछली लोकेशन को डैशबोर्ड पर चिह्नित कर दिया जाता है। इसी प्रकार घरों में क्वारंटाइन सभी लोगों को नक्शे पर चिह्नित किया जाता है। इस जानकारी को एक हीट मैप तैयार करने में उपयोग किया जाता है, जिससे कम जोखिम से ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों के वर्गीकरण में सहायता मिलती है। इस डैशबोर्ड को कोविड-19 के इपिसेंटर चिह्नित करने में उपयोग किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य विभाग को कीटाणुनाशकों छिड़काव के लिए स्थानों की पहचान में सहायता मिलती है। चिकित्सा विभाग कार्यबल भेजकर घर-घर अभियान चलाने और अतिरिक्त मामलों की पहचान करने के लिए इसी जानकारी का उपयोग करता है। इस भौगोलिक जानकारी से क्षेत्रों की पहचान में सहायता और आगे प्रसार रोकने में सहायता मिलती है। जीआईएस डैशबोर्ड और सिटी सर्विलांस डैशबोर्ड की पहुंच पूरे शहर में है।


सिटी सर्विलांस डैशबोर्ड : गतिविधियों की निगरानी के लिए पीसीएमसी के क्षेत्र में आने वाले 85 स्थानों पर कुल 298 ‘प्वाइंट-टिल्ट-जूम’ सर्विलांस कैमरे लगाए गए हैं। इस सर्विलांस प्रणाली को आईसीसीसी में स्थापित किया गया है और पीसीएमसी तथा पिंपरी छिंछवाड पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से इसकी निगरानी की जा रही है। पीसीएमसी वीडियो एनालिटिक्स भी कर रहा है, जिससे सर्विलांस कैमरों से किसी भी स्थान पर 3 या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने के मामले की जानकारी मिलने पर अलर्ट जारी किए जाएंगे। ऐसे ही अन्य कदमों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं और क्रमबद्ध तरीके से उन्हें लागू किया जाएगा।


सारथी हैल्पलाइन डैशबोर्ड : पीसीएमसी में सारथी (हैल्पलाइन जानकारी के माध्यम से नागरिकों और पर्यटकों की सहायता की प्रणाली) नाम से एक समर्पित हैल्पलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां नागरिक सेवाओं की आपूर्ति के संबंध में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए अनुरोध कर सकते हैं। हैल्पलाइन के माध्यम से मिलने वाली सभी कॉल ऑडियो फाइल के रूप में सुरक्षित हो जाती है और तारीख, अनुरोध की प्रकृति, जिम्मेदार विभाग तथा क्षेत्र, अनुरोध को बंद करने की स्थिति के आधार पर दस्तावेज भी तैयार किए जाते हैं। आईसीसीसी में बना सारथी का डैशबोर्ड मुख्य अनुरोध/ नागरिकों की शिकायतों, अनुरोध/ शिकायत समाधान की स्थिति, क्षेत्रवार अनुरोध/ शिकायतकर्ताओं आदि पर विश्लेषण उपलब्ध कराता है। सिर्फ 2 सप्ताह में पीसीएमसी स्मार्ट सारथी ऐप के अभी तक 30,000 डाउनलोड हो चुके हैं; ट्विटर फॉलोवर तीन गुने और फेसबुक फॉलोवर लगभग दोगुने हैं। वार रूम से कोविड-19 के मरीजों और क्वारंटाइन किए गए लोगों की निगरानी की जा रही है।



नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने विभिन्न परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने कीतिथि बढ़ाई

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कोविड-19महामारी के कारण अभिभावकों और छात्रों को हुई कठिनाइयों के मद्देनजरनेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को विभिन्न परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की तिथि को बढ़ाने/संशोधित करने की सलाह दी थी. तदनुसार, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने विभिन्न परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की तिथि बढ़ाई/ संशोधित की है।


विस्तारित / संशोधित तिथियां निम्नानुसार होंगी-


























































क्रम संख्या



परीक्षा



मौजूदा तिथि



संशोधित/बढ़ी तिथि*



से



तक



से



तक



 


01



नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेटमेंट (एनसीएचएम) जीईई-2020



01.01.2020



30.04.2020



01.03.2020



15.05.2020



 


02



इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) एडमिशन टेस्ट -2020


पीएचडी और ओपन मैट (एमबीए)



28.02.2020



30.04.2020



01.03.2020



15.05.2020



 


03



भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-2020



01.03.2020



30.04.2020



01.03.2020



15.05.2020



 


 


04



जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा(जेएनयूईई)-2020



02.03.2020



30.04.2020



02.03.2020



15.05.2020



 


05



 


ऑल इंडिया आयुष पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (एआईएपीजीईटी)-2020



01.05.2020



31.05.2020



06.05.2020



05.06.2020



‘*’ऑनलाइन आवेदन फॉर्म अपराह्न 04.00 बजे तक जमा होंगे और रात 11.50 बजे तक शुल्क स्वीकार किया जाएगा।


अपेक्षित शुल्क का भुगतान क्रेडिट/डेबिट कार्ड/ नेट बैंकिंग/UPI और PAYTMके माध्यम से किया जा सकता है।


केवल 15.05.2020 के बाद स्थिति का आकलन करने के बादप्रवेश पत्रको डाउनलोड किया जा सकेगा और साथ ही परीक्षा की संशोधित तिथियोंभी संबंधित वेबसाइट और www.nta.ac.inपर अलग से प्रदर्शित की जाएंगी।


एनटीए शैक्षणिक कैलेंडर और तिथियों में बदलाव के महत्व को समझती है, लेकिन यह छात्रों सहित हरनागरिक की भलाई कोलेकर भी समान रूप से चिंतित होने वाली बात है।


नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को उम्मीद है कि छात्र और अभिभावक परीक्षा को लेकर चिंतित नहीं होंगे। इसके अलावा, माता-पिता से अनुरोध है कि वे युवा छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए इस समय का उपयोग करने में मदद करें और यदि मुमकिन हो तो सीखने के लिए महत्वपूर्ण अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित करें।एनटीए छात्रों को नवीनतम घटनाओं के बारे में अद्यतन रखेगी और उचित समय पर परिवर्तनों के बारे में सूचित करेगी।


उम्मीदवारों और उनके माता-पिता को नवीनतम अपडेट के लिए संबंधित परीक्षा वेबसाइट औरwww.nta.ac.in पर जाने की सलाह दी जाती है।


किसी अन्य सूचना के लिए उम्मीदवार 8287471852, 8178359845, 9650173668, 9599676953, 8882356803 इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।



डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा के लिए राज्योंl/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए  राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा मंत्रियों और वरिष्‍ठ अधि‍कारियों के साथ देश में कोविड-19 से निपटने की तैयारियों और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य उपायों की समीक्षा के दौरान कहा, “कोविड-19 के खिलाफ जंग में अपने-अपने राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों में आपके द्वारा उठाए जा रहे कदमों और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मैं आपको बधाई देता हूं।” इस बैठक के दौरान केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार राज्‍य कल्‍याण मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी मौजूद थे।


इस वीडियो कॉन्‍फ्रेंस में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और उत्तराखंड की ओर से भागीदारी की गई।


डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, "महामारी के खिलाफ जंग अब साढ़े तीन महीने से अधिक पुरानी हो चुकी है और राज्यों के सहयोग से देश में कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है।" उन्होंने कहा कि देश में मृत्यु दर 3 प्रतिशत है और स्‍वस्‍थ होने की दर 20 प्रतिशत से अधिक है। सरकार द्वारा किए जा रहे निगरानी के प्रयासों का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्‍मन का ठौर-ठिकाना जानते हैं और उचित, श्रेणीबद्ध एवं निर्देशित जवाबी कार्रवाई के साथ हम उस पर काबू पाने की स्थिति में हैं।"


उन्होंने बताया, "हमने राज्यों की सहायता करने, स्थिति की समीक्षा करने और कोविड-19 के खिलाफ दिन-प्रतिदिन की लड़ाई में मदद करने के लिए तकनीकी अधिकारियों के दल भेजे हैं।" एंटी-बॉडी टेस्ट के मामले पर उन्होंने कहा, "अलग-अलग जगहों पर इन परीक्षणों के भिन्‍न-भिन्‍न परिणाम आ रहे हैं और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने भी इनकी सटीकता पर कोई टिप्पणी नहीं की है। आईसीएमआर अपनी प्रयोगशालाओं में इस टेस्‍ट और किट्स की दक्षता की समीक्षा कर रहा है और वह जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी करेगा।”


महामारी के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा से स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा लागू अध्यादेश से राज्यों को अवगत कराते हुए उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के साथ किसी भी तरह की हिंसा और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों की संपत्ति को हानि पहुंचाए जाने को कतई बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। संशोधन ऐसी हिंसक गतिविधियों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है। हिंसा के ऐसे कृ‍त्‍यों को करने या उनके लिए उकसाने पर तीन महीने से लेकर पांच साल तक की कैद की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये से  2,00,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, जिसे गंभीर चोट लगने पर छह महीने से लेकर सात साल तक की कैद की सजा तक बढ़ाया जा सकता है और 1,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।” उन्होंने बताया, “भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप के प्रबंधन में शामिल फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों जिनमें सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, नर्स और यहां तक ​​कि निजी डॉक्टर भी शामिल हैं, के निधन पर 50 लाख रुपये के बीमे की घोषणा की है।”


उन्‍होंने प्रत्‍येक राज्‍य के पास मौजूद पीपीई, एन-95 मास्‍क, टेस्टिंग किट्स, दवाइयों और वेंटिलेटर्स की जरूरत और पर्याप्‍तता की स्थिति की भी समीक्षा की और भरोसा दिलाया कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इन आवश्‍यक वस्‍तुओं की आपूर्ति में कोई कमी न होने पाए। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “पीपीई और एन-95 मास्‍क देश में आयात करने पड़ते थे लेकिन अब इनकी लगभग 100 विनिर्माण इकाइयां हैं, जो इनका भारत में ही निर्माण करने में सम‍र्थ हैं।” राज्‍यों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि वे एक-दूसरे की अच्‍छी पद्धतियों का भी अनुसरण कर सकते हैं।


डॉ. हर्षवर्धन ने देश में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्‍होंने कहा, “जितनी जल्‍दी संभव हो सके देश के हर एक जिले में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्‍थापना किए जाने और उन्‍हें अधिसूचित किए जाने की जरूरत है, ताकि लोगों को उनकी जानकारी मिल सके।”


डॉ. हर्षवर्धन ने सभी मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि किसी भी गैर-कोविड मरीज की अनदेखी न होने पाए। उन्‍होंने कहा, “जहां एक ओर हम कोविड-19 मरीजों को उपचार और देख-रेख उपलब्‍ध करा रहे हैं, वहीं हमें गैर-कोविड मरीजों, जो श्‍वसन रोग या हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, जिन्‍हें डायलिसिज की जरूरत है, जिन्‍हें खून चढ़ाने की जरूरत है और जो गर्भवर्ती माताएं हैं- का उपचार सुनिश्चित करने की भी आवश्‍यकता है। हम कोई भी छिछला बहाना बनाकर उन्‍हें लौटा नहीं सकते, क्‍योंकि ये गंभीर प्रक्रियाएं इंतजार नहीं कर सकतीं।” उन्‍होंने राज्‍यों/ संघशासित प्रदेशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देने को कहा। साथ ही उनसे अन्य वेक्‍टर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू तथा टीबी, के लिए खुद को तैयार रखने का भी आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इन बीमारियों को वर्तमान परिस्थितियों में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


उन्होंने सभी से आरोग्यसेतु ऐप को डाउनलोड करने और उसका उपयोग करने का आग्रह किया क्योंकि यह लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के उनके जोखिम का आकलन करने में सक्षम करेगा। उन्होंने कहा, “एक बार स्मार्ट फोन में इंस्टॉल होने के बाद, ऐप अत्‍याधुनिक मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकता है।” 


अंत में, डॉ. हर्षवर्धन ने सभी से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया। उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने को कहा। उन्होंने सलाह दी “हमें लॉकडाउन 2.0 का अक्षरश: पालन करना चाहिए जैसा कि पहले किया गया था। उन्होंने राज्यों को लॉकडाउन के दौरान अपने दृष्टिकोण में ज्‍यादा ढील न देने और मानकों को बनाए रखने की चेतावनी दी। उन्होंने कुशलतापूर्वक लॉकडाउन को लागू कर रहे उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया और अन्य राज्यों को उसका अनुकरण करने की सलाह दी।


डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों/संघशासित प्रदेशों से अपना जोश बरकरार बनाए रखने का आह्वान किया ताकि देश इस महामारी से निपटने के दौरान महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बनकर उभरे। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है और राज्यों/संघशासित प्रदेशों की सहायता से हम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को उसके वांछित अंजाम तक ले जाएंगे।


समीक्षा बैठक के दौरान सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), डॉ. बलराम भार्गव, सचिव डीएचआर एंड डीजी, आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और आईसीएमआर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।