Sunday, May 31, 2020

चुनौतियों को स्वीकार करो क्योकि इससे या तो  सफलता  मिलेगी या शिक्षा सनी साहू




पुष्पेंद्र सिंह सवांददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ

 लखनऊ :- श्री सीताराम परिवार संस्था द्वारा कोविड-19 लॉक डाउन से निरंतर 69 दिनों से जरूरमंदों को अपनी भोजन सेवा प्रदान कर रहे है और प्रतिदिन लगभग 200 से 300 परिवारों को विश्व मे फैली महामारी के चलते जरूरत सामग्री राशन व भोजन सेवा घर घर पहुंचा रहे थे वही जब श्रमिक मजदूरों का देश के विभिन्न राज्यों से पलायन आरम्भ हुआ तो जिसको जैसे सुविधा उपलब्ध हुई उसी तरह चल दिया और लखनऊ के आगरा एक्सप्रेस-वे पर यात्रा कर आरहे श्रमिक मजदूरों को परिवार संस्था के संस्थापक सनी साहू के नेतृत्व व सहयोगी   बने अभिषेक गुप्ता सआदतगंज वार्ड के युवा नेता  समस्त सदस्यों द्वारा भोजन पानी की व्यवस्था आरंभ करी गई जिसमें श्रमिक मजदूरों को भूखे पेट पैदल यात्रा करते देख श्री सीताराम परिवार संस्था द्वारा उनको भोजन पानी की व्यवस्था लखनऊ से आगरा एक्सप्रेस वे पर कराई जा रही है जिससे वह आगे का सफर खाली पेट व प्यासे  ना तये करना पड़े इसी उद्देश्य के साथ में श्री सीताराम परिवार संस्था निरंतर अपनी सेवा ऐसे जरूरतमंदों तक उपलब्ध कराती रहेगी वह अपनी सेवाओं को सुचारू रूप से आरंभ करें रहेगी क्योंकि देश जीतेगा और कोरोना हारेगा।


 

 



 

मज़बूर मानव

कैसी विपदा आन पड़ी है


अपने हुए परायें हैं

कल तक जो अपना कहते थे

सब तो हमको विसराये है।

      इतने वर्षों से जो कमाया था

      वो रिश्ते भी काम मे न आये हैं

     जो कहते थे उनका ख़ास हूँ मैं

     सब वादे उनके झूठे झुठाये हैं।

महामारी कैसे आ गयी है अब

शहर से पैदल चलना है

नंगे पांव में पड़े है छाले

भूखे प्यासे रहना है। 

        प्रकृति के खेल के आगे देखो

        मानव कितना मजबूर है

        कितनी तेजी कर ले विज्ञान अभी

        कुदरत के राज़ों से बहुत दूर है।


 "कलयुग के रिश्ते"

आधुनिक युग में सबसे चिंतनीय विषय है,तो वो है खराब होते रिश्ते,इसके पीछे कहीं न कहीं ऐसे मनुष्यों का हाथ है जिनकी सोच का स्तर अत्यन्त निकृष्ट है व दूसरों को बहकाकर रिश्तों में दरार पैदा करना इनका पेशा है। अगर देखा जाय तो हर तरफ रिश्ते तार-तार हो रहे हैं।पारिवारिक रिश्तों की बात की जाए तो इस समय इन रिश्तों का सबसे बुरा हाल है।लोग दूसरे के बहकावे में आकर अपनो से रिश्ते तोड़ देते हैं।और जो लोग बहकाने वाले होते हैं,वो समझते हैं कि उनके कारनामे छिप जाएँगे।ऐसा नही है,मनुष्य से गलती हो सकती है,कि वो गलत ना पकड़ पाए,परन्तु उसके(ईश्वर) बारे में सोचिए जो बहुत बड़ा सी०सी०टी०वी० कैमरा रखे हुए है और उसके कैमरे की क्वालिटी इतनी बढ़िया है,की उससे कोई नही बच सकता।

                                          अक्सर दूसरों के द्वारा कानों में जहर भर देने के कारण हम अच्छे से अच्छे रिश्ते तोड़ देते हैं,पर एक बार भी हम विचार नही करते कि जो दूसरा कोई हमे बहका रहा है वो सच भी कह रहा है या नही।बस इसी गलती के कारण अच्छे से अच्छे रिश्ते हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं।इस कलयुग में होशियार होने की जरूरत है क्योंकि जो आपका बहुत करीबी है वही आपको गर्त में धकेल देगा,अतः सतर्क रहिये और अपने आंख से देखी व कान से सुनी बात पर ही विश्वास कीजिये।ऐसा कर के उनके मुंह पर तमाचा जड़ दीजिये जिनकी सोच निम्न कोटि की है।

 

 

""क्या भारत के ग्रामीण अब कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन रहे हैं

क्या  भारत के ग्रामीण इलाके अब कोरोना वायरस का नया हॉटस्पॉट बन रहे हैं? दोस्तों पहले ज्यादातर नए मामले देश के शहरों से ही सामने आ रहे थे l लेकिन अब ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी भी बढ़ने लगी है ,जो कि बहुत ही चिंता का विषय है l दोस्तों लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर ग्रामीण इलाकों की तरफ लौट रहे हैं l जिस कारण से इन ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है l दोस्तों अगर प्रत्येक राज्य सरकार शुरुआती समय में पहल किया होता और जो प्रवासी मजदूर है या जो भी व्यक्ति वंचित है परेशान है उसके रहने खाने और उसके सुरक्षा की गारंटी लिया होता तो शायद हमारे देश का यह तबका अपने घरों के तरफ हजारों किलोमीटर भूखे ,प्यासे पैदल जाने को मजबूर नहीं होता और यह शहरों की बीमारी शायद गांव तक नहीं पहुंच पाती जिस प्रवासी मजदूरों ने उस शहर को बनाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दिया कई पीढ़ियां उस शहर को बसाने में अपना जीवन खपा दिया l लेकिन उस शहर ने इस वैश्विक महामारी से उपजी इन वंचित लोगों की परेशानी के लिए आगे बढ़कर मदद नहीं किया बल्कि हजारों किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर किया और बहुत से प्रवासी मजदूर गरीब तबके के लोग अपने मंजिल तक पहुंचने से पहले ही मौत के मुंह में समा गए l कोई प्रवासी मजदूर अपने गांव की तरफ जाने के लिए हजारों किलोमीटर परिवार के साथ पैदल चला रास्ते में भूखे प्यासे मारा गया तो कोई ट्रक के नीचे कुचल गया तो कोई ट्रेन के नीचे आकर मारा गया और अगर में कोई किसी तरह  से बच भी गया तो भेड़ -बकरियों की तरह क्वॉरेंटाइन में रख दिया गया जहां उचित व्यवस्था ही नहीं है l जैसा कि हम देख रहे हैं कि अब ग्रामीण भारत में भी कोरोना  वायरस का केस  दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ,जो कि बहुत ही चिंता का विषय इसलिए हमें अब ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत है अगर नहीं किया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे l दोस्तों भारत में जितने हॉस्पिटल , बेड्स है उनमें अगर देखा जाए तो ग्रामीण इलाकों के हिस्से सिर्फ 33% बेड्स आते हैं और डॉक्टरों की भारी कमी है l अगर आंकड़ों के मुताबिक देखें  तो भारत में सरकारी अस्पतालों के पास इस समय करीब 7 लाख बेड्स है पूरे भारत में और इनमें से ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली का हालात बहुत बुरा है l इसीलिए दोस्तों पलायन के साथ बढ़ता संक्रमण का खतरा राज्य सरकारों के लिए भी चिंता का विषय है l दोस्तों प्रवासी मजदूरों की घर वापसी ने अब ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना वायरस से खतरे को बढ़ा दिया है l लेकिन मेरा सवाल यह है आपसे कि क्या इसके लिए सिर्फ प्रवासी मजदूर ही जिम्मेदार हैं? दोस्तों हम जानते हैं कि जो प्रवासी मजदूर उस शहर को बनाने के लिए अपना कई पीढ़ियों से जीवन दांव पर लगाकर शहर को सवार थे रहें वह शहर राज्य उनको अपना या नहीं इस वैश्विक महामारी में इन प्रवासी मजदूरों के पास लॉक डाउन के दौरान अपना सब कुछ गंवाने के बाद, घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था l और इसके लिए मैं अपने देश के सिस्टम को जिम्मेदार मानता हूं l क्या जो  प्रवासी मजदूरों ने उस शहर राज्य को बनाने के लिए अपना पूरा जीवन दाव पर लगाया l क्या उनके रहने -खाने का जिम्मेदारी नहीं ले सकती थी सरकार उनको आश्वासन नहीं दे सकती थी कि हम हैं आपके साथ हर प्रकार का मदद किया जाएगा? लेकिन ऐसा नहीं हुआ अगर हुआ होता तो यह वंचित प्रवासी गरीब मजदूर कभी भी हजारों किलोमीटर पैदल चलकर इस मुश्किल दौर में नहीं जाते l लेकिन कहते हैं ना मरता क्या ना  करता? दोस्तों जो भी हो आदिकाल से मानव जीवन संघर्षों से घिरा रहा है l जीवन के साथ संघर्ष था, हैं और रहेगा l देश- काल और परिस्थितियों के अनुसार इस संघर्ष की प्रबलता में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता हैl दोस्तों हमें जीवन जीने के तौर-तरीकों में बदलाव लाना होगा l और इन वंचित प्रवासी मजदूरों के लिए हम जितना कर सकते हैं अपनी सामर्थ्य अनुसार हमें उनकी मदद के लिए कदम बढ़ाने की जरूरत है l दोस्तों हर बदलाव बेहतरी के लिए होता है l जीवन के इस संघर्ष में इंसान ही विजयी होगाl और देखना फिर सब कुछ पहले जैसा होगा l इसलिए हमें इंसानियत छोड़नी नहीं चाहिए l इस वैश्विक महामारी में हमारा साहस और सावधानी ही खत्म करेगा इस परेशानी को इसलिए हमें सावधान रहना है सुरक्षित रहना है और आस-पड़ोस के वंचित तबकों के लिए दिल- खोलकर मदद करने की जरूरत हैl

दहेज़

दहेज़ के नाते जब उसे दी जाती थी यातनाएं

वो अपने परिवार के लिए ख़ामोशी से सब सहती

अक्सर उसके पैरों को जलाया जाता गर्म चिमटों से

भूखी प्यासी वो तड़पती रहती कई कई दिन रात

मगर कभी नहीं मांग करती अपने मायके से कुछ

वो लड़की है वो जानती है मायके की परिस्थिति

पता है बैंकों से लोन लेकर की गई है उसकी शादी

दर्द,प्रताड़ना को रोज़ सहती लेकिन ख़ामोश रहती

एक दिन ससुराल वालों ने मिट्टी का तेल डाल 

जला दिया उस बहू को जिसके हृदय में लक्ष्मी बसती थी

तड़प और प्यास से वो चिल्लाती रही पापा भैया मां

मगर दहेज के लोभी उसे जलता देख हंसते रहे

 बेटी को मुखाग्नि देते वक़्त पिता ने बस यहीं कहा

"बेटी नहीं होती पराया धन,बेटी तुझे न्याय दिलाऊंगा"

न्याय के देवी ने आंखों में फ़िर बांध लिया काली पट्टी

स्वतंत्र हो कर घूमने लगे उसके ससुराल वाले 

मगर पिता ने वादा पूरा किया उन्हें सजा दिलवाया

मुकदमें के लिए मां ने बेच दी मंगलसूत्र भाई ने छोड़ दी पढ़ाई

आख़िर में पिता की ये बात सच निकली

"बेटी नहीं होती पराया धन,बेटी तुझे न्याय दिलाऊंगा"

 

 

बिहार में पांचवी लाकडाउन का प्रभाव और उम्मीद 

पिछले दो महीने से पूर्ण लाॅकडाउन को 1 जून 2020 से सोशल डिस्टेसिंग के कुछ शर्तो के साथ होटल,  रेस्टूरेन्ट,  परिवहन धार्मिक स्थल तथा माॅल को खोलने के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमति देने की घोषणा की गयी है।यह पुरी तरह से बंद पड़ी आर्थिक गलियारो को गति देने के लिए लिया गया कदम माना जा रहा है।जबकि कोरोना संक्रमित लोगो की तादाद निरंतर बढ़ रही जो देश  में अभी तक एक लाख तीस हजार पार कर चुकी है जबकि मौत का आँकड़ा पाँच हजार के करीब पहुँच चुका है ।ऐसे में आर्थिक गलियारे का खुलना एक जोखिम तो है ही पर उससे भी कहीं ज्यादा जरूरत भी है।

आर्थिक मंदी 

बिहार पहले से ही आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है जब अचानक शराबबंदी कर एक बड़े रिवेन्यू को अचानक बंद कर दी गयी।एक तरफ बाढ़ और सूखा से तंग बिहार का सबकुछ कृषि पर आश्रित है।इसमें बाजार का बंद होना निश्चित ही आर्थिक समस्या उत्पन्न कर रहा था।

पलायन

बिहार की बड़ी आबादी दूसरे प्रदेशों में काम करती है जो इस समय बिहार में है।उनकी स्थिति को देखा जया तो सबसे ज्यादा खराब हैं ।परदेश की आमदनी शून्य हो चुकी है और यहाँ सारे काम बंद फिर उनकी जीविका के आगे गहरा संकट हैं । ऐसे में बाजार का खुलना उन लोगों को बड़ी राहत देगी। विशेषकर रिक्शा चालक, आटो चालक, रेरी वाले, फुटपाथ दुकानदार, ट्रेनो में स्टेशनो पर सामान बेचने वाले, फेरी करने वाले,  खेतिहर मजदूर,  निर्माण कार्य के मजदूर,  ईट भट्ठे के मजदूर,  सड़क के मजदूर और विभिन्न प्रकार के मैकेनिक के लिए यह एक अच्छी खबर मानी जाएगी।

कोरोना का  भय 

वही दूसरी ओर देखा जाए तो बिहार में कोरोना का ग्राफ अब तेजी से बढ़ने लगा है। ऐसे में और अधिक सावधानियाँ बरतने की जरूरत है।बिहार की चिकित्सा व्यवस्था और राज्यों के अपेक्षा लचर मानी जाती है।यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की कमी है।ऐसे में यदि ग्रामीण क्षेत्रों में इसने पांव फैलाये तो हालात बिगड़ सकती है।वैसे अभी भी सबकुछ राज्य सरकार पर डिपेन्ड करता है कि वह किस प्रकार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराती है ।प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़नेवाली है । क्योंकि यह दौर चुनौतीपूर्ण है ।

व्यवसायी की समस्या

 टूट चुकी आर्थिक चेन को पुनः पटरी पर लाना भी सरल कार्य न होगा।दो महीने के बाद पड़े बाजार और उत्पादन को काफी प्रभावित किया एक चेन जो बनी हुई थी कंपनी से डिस्ट्रीब्यूटर,  रिटेलर फिर कस्टमर वो प्रायः पुनः स्थापित कर गति लाना किसी चुनौती से कम नहीं।यह स्थिति सभी के साथ है।जिससे व्यापारी वर्ग चिन्तित है। 

वेरोगारी की समस्या बिहार में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। विकट रूप ले चुका वेरोजगारी और भी परेशानी का सबब बना जब सारे परदेशी भी यही आकर बैठे हैं ।सरकार को भी इनकी संख्या देखकर हाथ पाँव फूलने लगे है।

बेरोजगारों का इतिहास

आज जिसे देखो वेरोजगारी पर भाषण दे सकता है लेकिन यह वेरोजगारी की शूरूआत कहाँ से हुई क्या बिहार नब्बे के दशक में वेरोजगार था या नब्बे के बाद हुआ ? 1990से 2005 के बीच सभी चीनी उद्योग बंद हुए। जुट मीले बंद हुए। वस्त्र उद्योग बंद हुए। बुनकर का पलायन आरंभ हुआ। मिथिला पेंटिग्स पर प्रभाव पडा।छोटे मझोले उद्योग बरौनी उद्योग बंद हुए।औद्योगिक वित्त निगम का हाल खस्ता हुआ। सब उन दिनों हुए जब बिहार की सत्ता समाजवादियो के हाथो में थी और तो और 1990से लेकर 2005 तक सभी तरह की बहाली बंद कर दी गयी जिससे सरकारी संस्थानो और शिक्षण संस्थानो पर बुरा प्रभाव पड़ा जो आज तक ठीक नही हो सका।

वेरोजगारी की मार सह रहा बिहार 1900 से 2020 तक इस स्थिति में  पहुँच चुकी है जिसका मंजर हमने लाक डाउन में  देखा है। आखिर इसकी जिम्मेदारी तो दोनो ही कार्यकाल के सरोकारों को ही लेनी होगी।आखिर 30 वर्षो से ऐसा क्या कारण रहे की इतने बड़े पैमाने पर पलायन होता रहा और सरकारें सिर्फ विज्ञापन देकर सोती रही।यह अगर विकास की परिभाषा है तो बहुत चिन्ताजनक है।इन 30 वर्षो के दौरान बिहारी नेताओं की वेतहाशा दौलत में वृद्धि हुई है जबकि यहाँ की जनता दिन प्रतिदिन नीचे जा रहे।प्रति व्यक्ति आय आज बिहार की देश की औसत आय से भी कम है । वेरोजगार युवक को रोजगार देने का विजन क्या होगा उसका अभी तक किसी मंच से व्याख्या नही की गयी कैसे रोजगार सृजन करेंगे।बिहार बाढ से प्रवाहित होती है उसके लिए क्या योजनायें है।

समाधान की उम्मीद सरकार से

बिहार की बेहतरी के लिए सरकार को उन उपायो पर जल्द गौर करना होगा जिससे रोजगार मिल सके बंद उद्योगो के लिए सोचना होगा क्योंकि उद्योग के बिना रोजगार की कल्पना करना तथ्य से परे है ।अब पानी सर से ऊपर जा चुका है तो सरकारों की कार्यप्रणाली दुरूस्त करने की आवश्यकता है। यही जमीनी हकीकत है जिस पर कोई समीकरण लागू नही होता सिर्फ उद्योग के समीकरण से ही पलायन रूक सकता है । बिहारवासी बहुत उम्मीद के साथ सरकार की ओर देख रही है अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि वह कितने की आशा को बरकरार रख पाती है।

                                   आशुतोष 

                                  पटना बिहार     

 

 

बच्चों की सुरक्षा में कहीं हो ना जाएं चुक

बाल रक्षा दिवस एक जून को बनाया जाने वाला कोई त्यौहार या आम विश्व दिवस नहीं है। जिसकी हम एक दूसरे को शुभकामनाएं दे कर खुशी बनाएं। बाल रक्षा दिवस विचार करने का दिन है‌। क्या हम अपने देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को सुरक्षा दे पा रहे हैं। हमारे द्वारा हमारे बच्चों को वह जीवन प्रदान किया जा रहा है जिसकी उन्हें आवश्यकता है। 

भारत देश एक बहुत ही बड़ी आबादी वाला देश है। यहां पर गरीबी और बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्याएं हैं।  ऐसे में सभी को समान सुविधाएं प्राप्त होगी ऐसा सोचना गलत है। अमीर और गरीब का भेदभाव आपको प्राप्त होने वाली सुविधाओं को प्रभावित अवश्य ही करेगा। प्रत्येक बच्चे को विकास के समान अवसर या फिर वह सभी वस्तुएं प्राप्त होगी। जिन्हें कोई अमीर परिवार में पलने वाला बच्चा प्राप्त कर पा रहा है। ऐसा विचार मन में लाना गलत है। किंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि हम किसी बच्चे को वहां आवश्यक वस्तु भी उपलब्ध ना करवाएं जो किसी बच्चे के विकास के लिए जरूरी है। 

गरीब होना एक समस्या हो सकती है। अभिशाप नहीं हम किसी भी बच्चे को उसके हाल पर यह का कर नहीं छोड़ सकते, कि उसका जन्म गरीब परिवार में हुआ है। हमारा सविधान सभी को समानता का अधिकार प्रदान करता है। इस उम्मीद के साथ की सभी को अपने विकास के लिए समान अवसर मिल सकेंगे। फिर हम कैसे किसी बच्चे के साथ अमीरी और गरीबी के आधार पर भेदभाव कर सकते हैं। शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाएं और वह सभी आवश्यक वस्तु किसी बच्चे के लिए जरूरी है। प्रत्येक बच्चे को उपलब्ध होनी चाहिए। चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, अमीर गरीब, जाति धर्म, किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सरकार को कार्य करने चाहिए और हमें सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह ऐसा करें। साथ ही हमें अपनी ओर से सहायता भी देनी चाहिए। अपने घर में काम करने वालों को खोने के डर से सच पर पर्दा डालकर चुप नहीं रहना चाहिए। ऐसा यदि हम करेंगे तो वह आज हमें लाभ दे सकता है। किंतु आने वाले समय में हमारे लिए ही गलत निर्णय साबित होगा।

किसी देश के बच्चों के विकास के लिए अवसरों के साथ ही सुरक्षा भी जरूरी है। बिना सुरक्षा कितनी भी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाए वह किसी काम की नहीं है। भारत देश में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का आंकड़ा बहुत अधिक है।  हमारे लिए शर्म के साथ दुख की बात है, कि यह आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता चला जा रहा है। हमारे देश में प्रत्येक दिन 350 बच्चे विभिन्न अपराधों के शिकार हो रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 से 2016 के मध्य बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में 11 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। भारत देश में सबसे अधिक बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में बलात्कार यौन शोषण जैसी घटनाएं शामिल होती हैं। बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण बलात्कार खरीद-फरोख्त ऐसे अपराधों में 99% लड़कियों को शिकार बनाया जाता है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि हम अपने यहां बच्चों को कितनी सुरक्षा प्रदान कर पा रहे हैं।

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉक डाउन में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में और अधिक बढ़त आई है। हर एक मिनट में छह बच्चों का शोषण हो रहा है। यह खबर हम सभी के लिए बहुत ही निराशाजनक हैं। किंतु हमारे देश का एक कड़वा सच है जिससे हम खुद को छुपा नहीं सकते हैं।  

यदि आप यह सोच रहे हैं कि यह अपराध केवल गरीब परिवारों में होते हैं और अमीर परिवार इन से अछूते हैं तो यह विचार गलत है। चाहे गरीब हो या अमीर हर परिवार में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का आंकड़ा बराबर ही हैं। यह जरूर हो सकता है कि कुछ अपराध गरीब तबके में ज्यादा होते हो और कुछ अमीर तबके में‌। किंतु हमारे देश में ना गरीब परिवार के बच्चे सुरक्षित हैं और ना ही अमीर परिवार के बच्चे सुरक्षित हैं। 

दुख की बात यह है कि जितने हमारे सामने आंकड़े हैं। बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या उससे कई अधिक है।  हमारे देश मैं बच्चों के साथ बड़ी संख्या में अपराध हो रहे हैं। किंतु ना ही हम और ना ही हमारी सरकार इन अपराधों को कम करने के लिए कोई सख्त कदम उठा रही है। हम सभी बस खानापूर्ति में लगे हुए हैं। हम इस तरह से व्यक्त करते हैं। जैसे यह अपराध हमारे समाज में नहीं बल्कि किसी अन्य समाज में हो रहे हैं। हमारे सामने यदि किसी छोटी बच्ची के साथ बलात्कार की खबर आती है। हम उस खबर को सुनकर आक्रोशित होकर गुस्सा व्यक्त करते हैं। सरकार को सख्त कानून लाने के लिए बोलते हैं।  फिर शांत होकर बैठ जाते हैं। कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाते, कि इस प्रकार का अपराध दोबारा से किसी बच्चे के साथ ना हो। 

बच्चों के साथ होने वाले अपराध बहुत से हैं। किंतु सवाल एक ही है। क्यों हम आने वाले भविष्य को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं‌। हमें जरूरत है शर्म और लाज के पर्दों से बाहर आकर बच्चों से बात करने की। उन्हें सही और गलत समझाने के साथ परिवार में होने वाले अपराधों पर चुप्पी तोड़ने की। मानसिक रूप से बीमार लोगों को इलाज दिलवाने के लिए तैयार करने की। ताकि आपका बच्चा उनकी मानसिक परेशानी का शिकार ना बने। बच्चे मासूम होते हैं। उनके बचपन पर हैवानियत को अपना खौफ फैलाने से रोकने के लिए हर जगह पर बदलाव की जरूरत है। लालच और स्वार्थ की सोच से बाहर आकर बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर खुले तौर पर बात होनी चाहिए। ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सके ओर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास कर सकें। भविष्य को सवारने के लिए हमें आज से ही प्रयास करने होंगे, तभी भविष्य सुंदर बनेगा। बाल सुरक्षा दिवस को बस तारीख ना समझे। इसे एक उम्मीद बनाकर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के प्रयास करें।

       धन्यवाद 

    राखी सरोज

 

 अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस बनाम वैश्विक महामारी : कोविड-19

जैसा कि हम जानते हैं कि १ जून अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस के रूप में लगभग पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिवस को पहली बार १ जून १९५० में ५१ देशों के द्वारा मनाया गया था। तब से लेकर आज तक यह दिवस बच्चों के प्रोत्साहन हेतु खासकर करके अनाथ, गरीब और दिव्यांग बालकों की प्रोन्नति हेतु एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि बच्चे किसी भी देश के भविष्य होते हैं इनकी सुरक्षा करना हर देश का मुख्य कर्म है। अगर हमारे बच्चे सुरक्षित होंगे तो हमारे देश का भविष्य भी उज्ज्वल होगा। बच्चों की सुरक्षा और उनके मूल अधिकारों को बचाने के लिए इस दिवस की शुरुआत हुई थी।
बाल सुरक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने वाले कार्यक्रमों को लागू करना और बाल मजदूरी से बच्चों को बचाना है। आज के दिन बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजन के माध्यम से बच्चों की समस्याओं का निराकरण करते हुए और उनको उपहार व सम्मान भेंट किया जाता है। गरीब, अनाथ और दिव्यांग बालकों की मदद हेतु आश्वासन दिया जाता है। नृत्य संगीत कार्यक्रम के साथ विभिन्न प्रकार की शिक्षाप्रद प्रदर्शनियां आयोजित की जाती है।
पर आज की यह विपरीत परिस्थितियां जो कोविड-19 की वजह से उभरी हैं यह इस बाल सुरक्षा दिवस को फीका कर सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी २०२० के अंत तक ८.६ करोड़ बच्चों को गरीबी में धकेल सकती है जिससे इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस के उद्देश्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने की पूरी संभावना है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण २०२० के अंत तक कम और मध्यम आय वाले देशों के गरीब घरों में रहने वाले बच्चों की संख्या में ८.६ करोड़ तक बढ़ सकती है। आज कोविड-19 वायरस के कारण अब तक लगभग पूरी दुनिया में ५६९५२९० लोग संक्रमित और ३५५६९२ लोगों की मौत हो चुकी है। इन आंकड़ों में बच्चों की भी अधिकता है जिसमें डब्ल्यू एच ओ के रिपोर्टों में साफ तौर पर कहा गया है कि यह कोविड-19 वायरस बुजुर्गों और बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है और यह बात साबित भी हुई है अब तक करोड़ों बच्चों की जान जा चुकी है इस वैश्विक महामारी में, ऐसे में बच्चों का यह त्यौहार कैसा रहेगा हम सब समझ सकते हैं।
आज की इस वैश्विक महामारी का पूरा असर इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस पर देखा जा सकता है। इस महामारी के चलते जब कम व मध्यम आय वर्गीय परिवार आज रास्ते पर आ चुका है ऐसे में उन परिवारों का हिस्सा बना बच्चा अपने तमाम अधिकारों से वंचित हो चुका है। आखिर ऐसे में देश के भविष्य का निर्माण करने वाले इन गरीब, बेसहारा और दिव्यांग बच्चों का क्या होगा? इस वर्ष इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस को एक अलग तरीके से मनाने की बारी है। घर से बेघर हुए इन बच्चों को सहारे के अहम जरूरत है उनकी शिक्षा जो इस वैश्विक महामारी के चलते पूर्णतः प्रभावित हो चुकी है फिर से पटरी पर लाना होगा। उनके भरण-पोषण का उचित प्रबंधन करना जरूरी है तभी एक सुंदरतम भविष्य का निर्माण संभव है। यदि ऐसा करने में कोई भी देश चूक गया तो वहाँ बाल मजदूरों में इजाफा जरूर देखा जाएगा। भूख-प्यास से मरने वाले बच्चों का ग्राफ ऊपर उठेगा जो किसी भी देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जरूरत है इस अंतरराष्ट्रीय बाल सुरक्षा दिवस को कुछ अलग करने की ताकि देश के भविष्य निर्माणक इन बेसहारा, गरीब और दिव्यांग बालकों के मूल अधिकारों की रक्षा की जा सके तभी एक सुदृढ़ समाज की कल्पना संभव है और इससे हमारा आगे आने वाला कल भी सशक्त होगा।


रचनाकार :- मिथलेश सिंह 'मिलिंद'


केसरिया हिन्दू वाहिनी युवा मोर्चा जनपद बाराबंकी कमेटी हुई पूर्ण




*उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता:-जितेंद्र सिंह अन्नू*

उत्तर प्रदेश लखनऊ केसरिया हिन्दू वाहिनी राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी वैभव मिश्र व संस्थापक हिन्दूरत्न माननीय श्रीमान अतुल मिश्र लकी जी के मार्गदर्शन पर केसरिया परिवार लगातार हो रहा मजबूत जैसा कि आप सभी को पता है कि, प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी के नेतृत्व प्रदेश के सभी पदाधिकारी निरंतर कार्यरत हैं जिनकी जितनी सराहना की जाये कम हैं |

प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश से हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी ने आज प्रदेश उपाध्यक्ष युवा दिल की धड़कन जितेंद्र सिंह अन्नू जी के अनुमोदन से बाराबंकी जनपद से सम्पूर्ण युवा मोर्चा कमेटी को मनोनित किया गया

प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश हिन्दू सम्राट विशाल मिश्रा जी ने सभी को निर्देशित करते हुए कहा कि, आप सम्पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी के साथ सभी क़ानूनी नियम का पालन करते हुए एवं तन, मन व् धन से केसरिया हिन्दू वाहिनी परिवार की सेवा करते रहेंगे और हिदुत्व के लिए महिला सम्मान, गऊ सेवा के लिए तत्पर तैयार रहेंगे और केसरिया परिवार को आगे बढ़ाने में सहयोग करते रहेंगे| सभी नव नियुक्त पदाधिकारियों ने हिन्दू सम्राट युवा दिल की धड़कन विशाल मिश्रा जी प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश को विश्वास दिलाया और सपथ ली कि आज से निरंतर पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते रहेंगे और ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे केसरिया हिन्दू वाहिनी परिवार का अहित हो | 

प्रदेश उपाध्यक्ष युवा दिल धड़कन जितेन्द्र सिंह अन्नू जी ने बताया कि, जनपद बाराबंकी से जनपद कमेटी पूर्ण की जा चुकी हैं जनपद में आज उत्तम सिंह, हिमांशु वर्मा, दिग्विजय सिंह, गौरव मिश्रा, सुरजीत कुमार, अखिलेश सिंह चौहान, अमित वर्मा, अभिषेक तिवारी, पवन कुमार, सौरभ कुमार, वीरेंद्र शुक्ला, अतुल दीक्षित  को मनोनित किया गया हैं एवं जनपद बाराबंकी से तहसील रामसनेहीघाट से गुरुमीत पाल, आनन्द यादव, दीपक वर्मा, मुकेश यादव व् राहुल तिवारी को मनोनित किया गया हैं 

समस्त केसरिया परिवार ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनायें दी एवं सभी के उज्जवल भविष्य कामना की ||


 

 



 

सीएम योगी आदित्यनाथ का अभियान, सभी निराश्रितों को आर्थिक सहायता

*संदीप दूबे दैनिक अयोध्या टाइम्स न्यूज सुलतानपुर*-कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण काल में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर नियंत्रण लगाने के लिए अपना मोर्चा खोल रखा है। उनका प्रयास है कि लॉकडाउन में सभी प्रवासी तथा उत्तर प्रदेश में निवास कर रहे दूसरे राज्यों के लोग अपने-अपने घर पहुंचे। इसके साथ ही कहीं पर भी कोई भी भूखा न रहे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को टीम-11 के साथ बैठक में प्रदेश के सभी निराश्रित लोगों को आर्थिक  सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिस निराश्रित व्यक्ति के पास राशन कार्ड न हो, उसे खाद्यान्न के लिए एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही ऐसे लोगों के राशन कार्ड भी बनाए जाएं, जिससे उन्हेंं नियमित तौर पर खाद्यान्न मिलता रहे। हर हाल में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश में कोई भूखा न रहे।मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पर लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी निराश्रित व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार होने की दशा में, यदि उसके पास आयुष्मान भारत योजना अथवा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का कार्ड नहीं है, तो उसे तात्कालिक मदद के तौर पर दो हजार रुपये दिए जाएं। ऐसे निराश्रितों के समुचित उपचार की व्यवस्था भी की जाए। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने निर्देश दिए कि किसी निराश्रित व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवार को अन्तिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाए।

लखनऊ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने   देश के रक्षा मंत्री और लखनऊ पश्चिम के विधायक लापता के लगाये पोस्टर 




पुष्पेंद्र सिंह सवांददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ

लखनऊ :- विपक्ष हमेशा मौके पे चौका मारने की तलाश में रहता है कुछ ऐसी ही एक घटना राजधानी लखनऊ से आई है जहां लखनऊ पश्चिम के विधायक सुरेश श्रीवास्तव को लापता घोषित कर दिया गया है इतना ही नही इनके साथ साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह को भी इनके साथ लापता बताया गया है जिसका बकायदा पोस्टर भी जगह जगह चस्पा कर दिया गया है।पोस्टर का रंग रूप और छपवाने वालों के नाम से ये साफ जाहिर है कि दोनों समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं लिहाजा ये कहना गलत नही होगा कि लाकडाउन में सपा की ये एक अनोखी चाल है जो खुद को समाचार पत्रों में लाने के लिए की गई है।इस मामले में सुरेश श्रीवास्तव का कहना है कि वो कहीं लापता नही हैं बल्कि लाकडाउन का पालन कर रहे हैं और ये कुचक्र समाजवादी पार्टी का है जिनके खिलाफ हमारे कार्यकर्ताओ ने एफआईआर दर्ज करा दी है।वही पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा भी किया है।


 

 



 

राजधानी लखनऊ के बालागंज क्षेत्र में जरूरतमंदों के लिए समाज सेवक नीरज गंभीर आए सामने




*प्रदुम दीक्षित जिला संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ*

लखनऊ में लॉक डाउन के दौरान समाजसेवी नीरज गंभीर के द्वारा किया गया सराहनीय कार्य नीरज गंभीर ने पूरे लॉक डाउन के दौरान गरीब व असहाय लोगों को राशन वितरण किया  व प्रवासी मजदूरों को भी उनके अपने निवास तक पहुंचने में सहायता किया जो भी मजदूर पैदल चल कर के  बालागंज चौराहे तक पहुंच पाएं उनके लिए साधन की व्यवस्था व जलपान करा कर उनके लिए समाज सेवा के रूप में नीरज गंभीर आए सामने उनका कहना है कि जब तक लॉक डाउन चल रहा है और आगे भी जो भी हो सकेगा हम मजदूरों के लिए व जरूरतमंद लोगों के लिए कार्य करते रहेंगे और करते आए हैं।


 

 






ईओ प्रभात रंजन यादव ने निगरानी समितियों के कार्य का किया निरीक्षण

पत्रकार:-प्रशान्त यादव
करहल : नगर पंचायत  के ईओ प्रभात रंजन यादव ने विभिन्न वार्डों  में भ्रमण कर निगरानी समितियों द्वारा किए गए कार्य का निरीक्षण किया इस दौरान उन्होंने होम क्वॉरेंटाइन टाइम किए गए लोगों से हाल-चाल भी जाना । इस दौरान उन्होंने वार्ड के लोगों को मास्क लगाने , सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने की भी सलाह दी इस दौरान वरिष्ठ लिपिक अजमत राहत ,अवनींद्र , दयानंद , राजा अशोक , सुमेर सिह समेत विभिन्न वार्डों के सभासद भी मौजूद रहे ।