Monday, May 17, 2021

शादी करने की नियत से एक 15 वर्षीय लड़की का अपहरण, नामजद प्राथमिकी दर्ज

राजापाकर( वैशाली) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स

राजापाकर  थाना क्षेत्र के भाथादासी गांव की एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के अपहरण के संबंध में लड़की की मां ने थाने में सोमवार को  प्राथमिकी कराई  है। दर्ज प्राथमिकी में  लड़की की मां नीलम देवी पति देव लाल राम  ने बताई है कि मेरी 15 वर्षीय नाबालिग पुत्री  करिश्मा कुमारी को ग्रामीण अंकेश कुमार  पिता स्वर्गीय युधिष्ठिर सिंह वो  भाई मनीष कुमार व सहयोगी मुकेश कुमार पिता भूलन सिंह सहित पांच नामजद  ने मिलकर  एक साजिश के तहत शादी करने तथा अनैतिक कार्य की नियत से अपहरण कर किसी चार पहिया वाहन से  लेकर भागा है। काफी खोजबीन की  लेकिन मेरी पुत्री का अभी तक कोई  पता नहीं चला । मैं गरीब महादलित वर्ग  से आती हूं ।आवेदन में थानाध्यक्ष महोदय से जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है। मामले  के अनुसंधानक पंकज कुमार शर्मा बनाए गए हैं। घटना 13 मई की सुबह 5 बजे की बतायी गई है।

दैनिक अयोध्या टाईम्स के खबर का दिखा असर नरकटियागंज अनुमंडल प्रशासन ने कि कार्यावाही

नरकटियागंज संवाददाता दैनिक अयोध्या टाईम्स : -नरकटियागंज थाना क्षेत्र के मथुरा चौक पर सरकार और प्रशासन के जारी गाईडलाईन के निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा था । सभी दुकानदार निर्धारित समय के बाद भी दुकान खोलकर लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे थे किसी में ना तो  संक्रमण फैलने का डर था और ना ही प्रशासन का भय जब नरकटियागंज अनुमंडल प्रशासन को दैनिक अयोध्या संवाददाता द्वारा छापी खबर की जानकारी हुई तो अनुमंडल पदाधिकारी व पुलिस अधिकारियों द्वारा मथुरा चौक पर सख्त कार्यावाही कि गई सभी दुकानदारो को हिदायत दी की जो दुकानदार लॉकडाउन का उल्लंघन करते पकड़ा गया या निर्धारित समय के बाद दुकान खोला पाया गया तो उसके उपर कड़ी कार्यवाही करते हुऐ दुकान को सील और दुकानदार पर FIR दर्ज कर जेल भेज दिया जायेगा। अनुमंडल पदाधिकारीयों ने सभी लोगों से अपील किया कि बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुऐ सभी व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारीयों को समझे सरकार द्वारा जारी दिशा- निर्देशों का शत - प्रतिशत अनुपालन सख्ती के साथ करें लापरवाही करने से बचे अपने और दूसरो को संक्रमित होने से बचायें ।

दिमाग ठंडा, दिल में रहम, जुबा नरम हो, आंखों में शर्म हो, तो सब कुछ तुम्हारा है

भारत माता की मिट्टी में मानवीय संस्कारों का भंडार - आपातकाल में इन संस्कारों का तात्कालिक उपयोग जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - विश्व में अगर माननीय संस्कारों, मानवीय मूल्यों, परोपकार, धार्मिक आस्था, करुणा  दया, दिल में रहम, जुबान नरम इत्यादि अनेक शब्दों से हम मानवीय संस्कारों की व्याख्या कर सकते हैं जो भारत की मिट्टी में कूट-कूट कर भरी है। साथियों, मेरा ऐसा मानना है कि भारत में जन्में व्यक्ति के अंदर दया दृष्टि, परोपकार, धार्मिक आस्था, सामाजिक सहयोग, इत्यादि अनेक गुण जरूर भरे होंगे। हालांकि इसके विपरीत बहुत कम प्रतिशत ऐसे लोग मिलेंगे। परंतु मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उनमें भी बेसिक गुण आंतरिक रुप में रग रग में समाए हैं। बस जरूरत है उनका उपयोग करने की।भारत में जन्मे मानव की अंतरात्मा कहीं ना कहीं, कभी ना कभी, भारतीय संस्कारों के मूल्यों को लेकरजागृत जरूर है या एहसास जरूर दिलाती है। उन विपरीत लोगों के दिल में कहीं ना कहीं कभी ना कभी जरूर आएगा कि हम गलत थे। बस यही प्रमाण मिल जाता है कि भारतीय मिट्टी में ही मानवीय संस्कारों की जड़ कूट-कूट कर भरी है। इसका जीता जागता उदाहरण वर्तमान भारतीय संकटकालीन स्थिति कोरोना महामारी की दूसरी लहर की पीक स्थिति में हमें देखने को भी मिल रहा है कि किस तरह अनेक सामाजिक संस्थाएं, पड़ोसी, अनजान शख्स, इस संकटकालीन स्थिति में एक दूसरे का साथ देकर मानवता का परिचय दे रहे हैं। इस आपातकाल के समय में हर भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य हो गया है कि दिमाग ठंडा, दिल में रहम, जुबा नरम, आंखों में शर्म, जैसे मानवीय मूल्यों को सजगता, संयमता, सुदृढ़ता, सक्रियता, संकल्प के रूप में, सकारात्मकता के साथ, एक अनिवार्य कड़ी के रूप में अपनाएं। हमारे पास इस आपातकाल में भी अवसर है कि इन अनमोल मानवीय मूल्यों को अपने ऊपर हावी करें ताकि हमें भविष्य में इन मानवीय मूल्यों का लाभ मिले। हालांकि आज पूरे भारत पर यह संकटकालीन, आपातकाल आया है कोरोना महामारी के रूप में, लेकिन भविष्य में अगर किसी के ऊपर कोई निजी रूप से भी इस तरह के संकट की घड़ी आती है तो इन उपरोक्त मानवीय मूल्यों, संस्कारों, मंत्रों, के बल पर अपने निजी या व्यक्तिगत विपरीत परिस्थिति से जंग भी जीत सकते हैं।... बात अगर हम दिमाग ठंडा, रखने की करें तो सारी विपरीत परिस्थितियों विपत्तियों, आपातकाल, परेशानियों  से जंग जीतने का यह कारगर और सटीक मंत्र है। दूसरे शब्दों में गुस्सा विपरीत परिस्थितियों का यह, खाद, पानी है। स्वाभाविक रूप से ऐसी मुश्किलों में मानव को गुस्सा आता ही है और अपना आपा खो बैठता है जो उसके इस मंत्र से हारने का कारण बनता है। मेरा मानना है कि हर अपराध का बेसिक कारण गुस्सा है जिसमें मनुष्य अपने आपे से बाहर होकर कुछ कर बैठता है फिर पछतावा होता है।... बात अगर हम दिल में रहम, की करें तो यह मंत्र भारतीय मिट्टी ने ही हमको दिया है। दूसरों की विपत्तियां, परेशानियां देख कर हमारे मन में मानवता जगती है, जिसमें उन विपत्तियों में घिरे लोगों की सहायता करने का भाव उत्पन्न होता है, जो हम अभी कोरोना काल में देख रहे हैं कि आज हर भारतीय एक दूसरे की सहायता करने उमड़ पड़े हैं कोई औपचारिक रूप से, तो कोई अनऔपचारिक रूप से याने छिपे रूप से सहायता कर रहे हैं। अतः हर मानव के दिल में रहम काभाव पालना नितांत आवश्यक व जरूरी है।....बात अगर हम जुबा नरम, होने की करें तो यह मंत्र भी भारतीय मिट्टी से ही उत्पन्न संस्कारों से मिलता है मुंह से अल्फाज हमेशा मीठे निकालें, कटु अल्फाज हमेशा कटुता और दुश्मनी को बढ़ाने का काम करते हैं। जो कम से कम भारतीय तो कभी नहीं चाहेंगे। हमेशा मुंह से शब्द नापतोल के और सकारात्मक औचित्य में निकलना चाहिए। यह संबंधों को प्रगाढ़य और मधुर करने में अहम रोल अदा करता है। यह संस्कारों रूपी अस्त्र विश्व प्रसिद्ध है कि भारत  की वार्ता, संबोधन शैली, संप्रेषण शैली, हमेशा सकारात्मक और अर्थपूर्ण होती है। अतः हर भारतीय नागरिक को इस मंत्र को आपातकालीन अवस्था में अपनाना अनिवार्य है। जिसमें भविष्य की सुरक्षा का बोध है।....बात अगर हम आंखों में शर्म की करें तो हम बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि गलत आदमी कभी भी आंख मिला कर बात नहीं कर सकता। सच्चाई पर चलने वाले ही सच्चे देशभक्त और पारदर्शिता पूर्ण व्यक्ति होते हैं। आज हम कोरोना आपातकाल में देख रहे हैं कि मानव के प्राणों की रक्षा करने वाले महत्वपूर्ण मेडिकल संसाधनों, ऑक्सीजन, रेमीडेसिविर इंजेक्शन, दवाइयां, वेंटीलेटर, कंसंट्रेटर इत्यादि संसाधनों की कालाबाजारी गैंग, महामारी के खलनायक, काम कर रहे हैं क्या वे किसी से आंखों में आंखें डाल कर बात कर सकते हैं ? जो दूसरे मनुष्य के प्राण की कीमत पर नाजायज धन उगाने का काम कर रहे हैं। उनकी आंखों में भी शर्म कभी नहीं हो सकता। अतः यह जरूरी है कि हम ऐसा कोई अस्वस्थ, गैरमानवतापूर्ण और दूसरों को दुख पहुंचाने वाला कार्य कभी नहीं करें, पर हमें अपनी आंखों में सच्चाई, ईमानदारी,नैतिकता, के गुणों और शर्म को के मंत्र को भी अनिवार्य रुप से अपनाना है। अतः उपरोक्त सभी चारों मंत्रों की चर्चा का अगर हम विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि वर्तमान दूसरी लहर की पीक स्तर पर महामारी, ब्लैक फंगस, ताऊट चक्रवर्ती तूफान का हमला, लॉकडाउन, वैक्सीन पर टकराव, रेमदेसीविर, ऑक्सीजन पर टकराव, इत्यादि अनेक समस्याओं से हमारा भारत और हम नागरिक जूझ रहे हैं। हालांकि यह समस्या अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है परंतु इस आपातकाल की घड़ी में हम सब भारतीय नागरिकों का कर्तव्य है कि उपरोक्त चारों मंत्रों का स्वतः संज्ञान लेकर पालन करें। क्योंकि यह चारों मंत्र हमारे ऊपर ही निर्भर हैं कि हम उसका पालन करें या नहीं और इनका पालन करने में हम सब का भला होगा। 
मन के हारे हार है मन के जीते जीत। 
मुश्किलें तुम्हारे दिन हैं तुम इतरा लो।। 
हम भी भारतीय हैं यह सोच लो। 
जंग हम ही जीतेंगे परिणाम तुम देख लो।।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

फिर भारत मुस्कायेगा

खुशहाली आएगी वापस,फिर भारत मुस्काएगा।

वक्त  बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।

कठिन समय है देखो प्रियवर,
धीरज  सब   को  रखना  है।
विजय  हमारी  निश्चित होगी,
नहीं  किसी   को थकना  है।
थोड़ी   दूरी   पर  है  मंजिल, 
शिखर  हमें  अब  चढ़ना है।
आयेगी    जो   भी  बाधाएं,
मिलकर   सबसे  लड़ना है।
विपदा को जो समझे अवसर,दर -२ ठोकर खाएगा।
वक्त बुरा  है  जो  भी देखो,जल्दी  ही  कट  जाएगा।

कभी अँधेरे से   डर कर क्या,
दिनकर   नहीं  निकलता  है।
और शूल से   डर  कर बोलो,
फूल   नहीं  क्या खिलता है।
संकट   का आना  जाना ही,
जीना    हमें    सिखाता   है।
लड़ते  कैसे हैं   मुश्किल  से,
संकट    ही   समझाता   है।
कट जाएगी रातें काली,भोर  सुखों का आएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।

रिश्तों  को  तुम जोड़े रखना,
प्रेम   भरे    इन   धागों   से।  
अंधियारा कब जीत सका है,
जलते     हुए   चिरागों   से।
वीर  पुरुष के  वंशज हैं हम,
हार    हमें   स्वीकार   नहीं।
युद्धभूमि   से   पीछे   हटना,
है  अपना    किरदार   नहीं।
कौन खड़ा है  संग हमारे,संकट  ही समझाएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।

नितिन त्रिगुणायत 'वरी'
शाहजहॉपुर उत्तर प्रदेश