Wednesday, December 22, 2021

उठो वीर जवानों

उठो वीर जवानों भारत के भारत माता की यही पुकार 

साधो अपने लक्ष्य को साधना की बस यही पुकार ।। 

 यह धरती है वीरों का जिनके कर्मो का गवाह इतिहास 
उस इतिहास के पन्ने में दर्ज कराना अपना इतिहास।। 

 परशुराम की कर्म भूमि है जहाँ परसु उठता अन्याय 
पर एक एक कर अधर्मी और अन्यायी का परशु हिसाब करता न्याय पर।। 

 तुम वंशज हो राम के जिनके आदर्श का गाथा है 
धर्म पथ और कर्म पथ के सामंजस का गाथा है।। 

 हरिश्चंद्र हो जिसके पूर्वज वो बोलो कैसे असत्य पर धरे मौन 
राजपाट को तुच्छ ही जाना सत्य पथ पर चलकर मौन।। 

 भीष्म जहाँ की अटल प्रतीज्ञा अर्पण किये जीवन का सुख 
राष्ट्र रक्षा का विडा मन में अर्पण किये जीवन का सूख।। 

 इतिहास पुरूष हैं अर्जुन तेरे जिनके वाणों की टंकार 
बड़े बड़े और वीर योद्धा भी करते थे उन्हें नमस्कार।।

 देश तुम्हारे ही जन्मे थे लीला धर लेकर अवतार
 मुरली गैया और सुदर्शन जिनके थे प्रिय हथियार।। 

 कितने वीरों का नाम कहूँ यह भारत माता स्वतः गवाह
 क्या एक एक कर नाम गिनाऊं जिनके कृत्यों का है भंडार।। 

 चन्द्रगुप्त उस मलेच्छ पर भारी जिसने जीत पूरा विश्व
 विश्व विजेता को घुटनों बैठकर चंद्रगुप्त ने जीता दिल।। 

 चौहान चलाए सब्दबेधी चित किया उस जालिम को 
भारत माता के रक्षा में आहुति दे दिया अपने आप को।। 

 चंद्रशेखर ,भगत और वीर सुभाष जन्म लिए जिस मिट्टी पर 
आजादी का लहर उठाकर स्वाहा हो गए उस  मिट्टी पर ।। 

लाखों लाख सपूत हुए आर्यावर्त की पुण्य धरा 
अब उनके किये कृत्य पर पानी जैसे है फिर रहा।। 

 अब भी अगर जग गए तो मिट जाएगा अंधियारा
 धवल किरण लेकर आएंगे रश्मि रथी का उजियारा।।।।
श्री कमलेश झा भागलपुर

प्रत्यक्षे किम् प्रमाणम् - जो प्रत्यक्ष है, जो सामने है, उसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण की ज़रूरत नहीं पड़ती।

प्रौद्योगिक और डिजिटल क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते भारत में कार्यक्रमों के संबोधनों में नेताओं द्वारा बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, महाकाव्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों का उदाहरण देना सराहनीय - एड किशन भावनानी


गोंदिया - भारत आज तेजी से प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र में अपेक्षा से अधिक लक्ष्यों को हासिल कर रहा है जो हर भारतीय के लिए फक्र की बात है कि हम शीघ्र ही एक वैश्विक रीडर की स्थिति में होंगे!!! साथियों इस प्रौद्योगिकी युग में भी हम अभी बीते कुछ दिनों, महीनों से एक बात बारीकी से महसूस कर रहे हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं, बुद्धिजीवियों विशेष रूप से वैश्विक लीडर सूची में प्रथम क्रमांक पर आए व्यक्तित्व द्वारा अपने करीब क़रीब हर संबोधन में चाहे वह राजनीति हो या गैर राजनीतिक, धार्मिक हो या सामाजिक उसमें बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, साहित्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों, महाकाव्य के वचनों का उल्लेख कर उसका मतलब समझाया जाता है और उसपर वैचारिक सहमति दर्शाते हुए जनता से या सुनने वालों को उस राहपर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है!!! आज हम इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया पर संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तित्व का अगर हम संबोधन सुने तो उपरोक्त गुण उनके संबोधनों में पाए जाते हैं जो वर्तमान प्रौद्योगिकी और डिजिटल भारत में तारीफ़ ए काबिल है!!! साथियों बात अगर हम बीते कुछ महीनों सालों में नेताओं द्वारा संबोधनों में आध्यात्मिक,धार्मिक सांस्कृतिक, पौराणिक ग्रंथों, महाकाव्यों के वचनों, भारतीय पौराणिक संस्कृति इत्यादि के बारे में उपयोग में लाए गए कथनों की करो करें तो वह दिल को छू जाते हैं और हमें अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस होता है!!! कुछ संबोधनों के अंश में शामिल निम्नलिखित वचन हैं। 1)- प्रत्यक्षे किम् प्रमाणम् - याने, जो प्रत्यक्ष है, जो सामने है, उसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती। 2) वसुधैव कुटुंबकम की बात कही। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एवं कुटुम्बकम्) यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है। इसका पूरा श्लोक कुछ इस प्रकार है। अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् ।उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्‍लोक ७१) अर्थ यह है - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है। 3) विश्वस्य कृते यस्य कर्मव्यापारः सः विश्वकर्मा।अर्थात, जो सृष्टि और निर्माण से जुड़े सभी कर्म करता है वह विश्वकर्मा है। हमारे शास्त्रों की नजर में हमारे आस-पास निर्माण और सृजन में जुटे जितने भी, हुनरमंद लोग हैं, वो भगवान विश्वकर्मा की विरासत हैं। इनके बिना हमअपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। 4) सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। 5)या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ यानी जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है. 'या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥' अर्थात जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है. 'या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इसका अर्थ है कि जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको बारंबार नमस्कार है। 6) वयं राष्ट्रे जागृयाम -यानी  युजुर्वेद में ये सुक्ति है इसका अर्थ है हम राष्ट्र को जीवंत और जागृत बनाए रखेंगे। 7)हजारों साल पहले हमारे मनीषियों ने इसी विचार को आत्‍मसात कर विश्‍व को राह दिखाने का काम किया और आज हम भी उसी विचार मानने वाले हैं। प्रकृति से प्‍यार करने की सीख हमारे ग्रंथों में, हमारी जीवन शैली में शामिल है।पूरे विश्‍व कोपरिवार मानने की सीख हमारे मनीषियों ने दी। 8) अमृतम् संस्कृतम् मित्र, सरसम् सरलम् वचः।एकता मूलकम् राष्ट्रे, ज्ञान विज्ञान पोषकम्। अर्थात, हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी हर संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसीको भी आकर्षित कर सकता है। 9) कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग। 10) हजारों साल पहले हमारेमनीषियों ने इसी विचार को आत्‍मसात कर विश्‍व को राह दिखाने का काम किया और आज हम भी उसी विचार मानने वाले हैं। प्रकृति से प्‍यार करने की सीख हमारे ग्रंथों में, हमारी जीवन शैली में शामिल है। पूरे विश्‍व को परिवार मानने की सीख हमारे मनीषियों ने दी। 11) महा-योग-पीठेतटेभीम-रथ्याम् वरम् पुण्डरी-काय,दातुम् मुनीन्द्रैः। समागत्य तिष्ठन्तम् आनन्द-कन्दं,परब्रह्मलिंगम्,भजे पाण्डु-रंगम्॥ अर्थात्, शंकराचार्य जी ने कहा है- पंढरपुर की इस महायोग भूमि में विट्ठल भगवान साक्षात् आनन्द स्वरूप हैं।इसलिए पंढरपुर तो आनंद का ही प्रत्यक्ष स्वरूप है। 12) अध्यात्म और सेवा अलग नहीं हैं और वे अनिवार्य रूप से समाज का कल्याण चाहते हैं। 13) जिस तरह से देश के स्वाधीनता संग्राम में भक्ति आंदोलन ने भूमिका निभाई थी,उसी तरह आजआत्मनिर्भरता भारत के लिए देश के संतों महात्माओं, महंतों और आचार्यों की मदद की आवश्यकता है। 14) हमारा देश इतना हजरत है कि यहां जब भी समय विपरीत होता है तो कोई ना कोई संत विभूति समय की धारा को जोड़ने के लिए अवतरित हो जातेहैं यह भारत ही है जिसकी आजादी के सबसे बड़े नायक को दुनिया महात्मा बुलाती है। 15) हमारे पुराणों ने कहा है जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। साथियों बात अगर हम ऐसे कई संबोधनों की करें तो यह अनेक नेताओं के हजारों की संख्या में संबोधन हैं!! साथियों यही भारतीय संस्कृति की पहचान है कि हमारे लीडरशिप में चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष हो, भारत माता की मिट्टी में पैदा हुआ है और उन्हें यह संस्कृति गॉड गिफ्टेड है कि इतने बड़े पदों पर बैठे हुए भी आज अपने हर संबोधन में अपने धार्मिक ग्रंथों आध्यात्मिक संस्कृति के श्लोक पढ़े जाते हैं, उनका अर्थ समझाया जाता है जो काबिले तारीफ है!!! हालांकि राजनीति, हार जीत, पक्ष विपक्ष अपनी जगह है हर पक्ष विपक्ष द्वारा आपसी शाब्दिक हमले जनसभाओं में हम देखते रहते हैं परंतु यह आध्यात्मिक सांस्कृतिक और धार्मिक ग्रंथों का अर्थ समझा कर जनता में अपनी पैठ बढ़ाने की एक सफल कोशिश है!!! क्योंकि यह आस्था का प्रतीक होने में मील का पत्थर साबित होगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्रत्यक्षण किम् प्रमाणम -जो प्रत्यक्ष है वह सामने है उसे साबित करने के लिए किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं पड़ती, तथा प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते भारत में कार्यक्रमों के संबोधन में बड़े बुजुर्गों, की कहावतों, संस्कृति, साहित्य, पौराणिक ग्रंथों महाकाव्य के वचनों का उदाहरण देकर शिक्षित करना सराहनीय है। 

Tuesday, December 21, 2021

राजस्व संग्रह अमीन संघ ने गरीब भिखारियों को फल वितरण कर मनाया स्थापना दिवस

 रेलवे स्टेशन गांधी डिग्री पास किया कार्यक्रम

दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो


उरई (जालौन)। उ. प्र. राजस्व अमीन संघ का स्थापना दिवस संघ के जिलाध्यक्ष उमेशचंद्र की अध्यक्षता में मनाया गया। इस दौरान गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संघ के जिलाध्यक्ष उमेशचंद्र ने कहा कि उ. प्र.  राजस्व संग्रह अमीन संघ की स्थापना 21 दिसंबर 1959 को हमारे महान साथियों एवं पूर्वजों द्वारा सभी साथियों को एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य संघ की स्थापना की गयी थी। हर वर्ष की तरह संघ के स्थापना दिवस को समारोह पूर्वक मनाते हुए संस्थान के उद्देश्यों एवं पूर्वजों के त्याग और समर्पण भाव को याद करते हुए संघ के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एकजुट होने का प्रयास करें। इस मौके पर तहसील शाखा उरई द्वारा सभी संग्रह अमीनों ने अपने-अपने विचार रखे तथा 62वें स्थापना दिवस को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया। इसके उपरांत 

राजस्व संग्रह अमीन संघ के स्थापना दिवस पर आज मंगलवार को गरीब असहाय साधु संतों को शहर के स्टेशन रोड़ पर पहुंच कर राजस्व संग्रह अमीन संघ के जिलाध्यक्ष उमेशचंद्र के नेतृत्व में अधवबिहारी उपाध्यक्ष, अशोक कुमार मंत्री,  अरविंद सिंह उपमंत्री, अनुरुद्ध प्रताप सिंह कोषाध्यक्ष, हीरालाल यादव संगठन मंत्री के अलावा राजस्व संग्रह अमीन संघ के वरिष्ठ साथी सुरेश सिंह, पवन कुमार जैन, वरुण गुप्ता, मनीष श्रीवास्तव, प्रहलाद नारायण, ओमकार सिंह, रामशरण सिंह, संजय, बलवान, सौरव अवस्थी आदि ने फल वितरण किये।

दयानंद वेदिक कॉलेज में युवा संसद का कार्यक्रम हुआ संपन्न

दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो

उरई, जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन तथा मुख्यालय ने


हरू युवा केंद्र संगठन के निर्देशानुसार नेहरू युवा केंद्र द्वारा दयानंद वैदिक कॉलेज के पुस्तकालय सभागार में जिला स्तरीय पड़ोस युवा संसद का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा तथा हरि मोहन पुरवार जी रहे कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य राजेश चंद्र पांडे जी रहे इसके अतिरिक्त रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ माधुरी रावत डॉ नमो नारायण डॉक्टर सौम्या बघेल इत्यादि रहे इस कार्यक्रम के अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न योजनाओं के बारे में पक्ष तथा विपक्ष बनकर सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में चर्चा की इस अवसर पर माननीय विधायक गौरी शंकर वर्मा द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बारे में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज लड़कियां शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में बहुत प्रगति कर रही हैं इस अवसर पर हरि मोहन पुरवार जी द्वारा नेहरू युवा केंद्र जालौन के कार्यक्रम को सराहा गया कार्यक्रम तथा तथा भविष्य में भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया अवसर पर प्राचार्य राजेश चंद्र पांडे द्वारा प्रतिभागियों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु प्रेरित किया गया इस अवसर पर जिला युवा अधिकारी रवि दत्त शर्मा द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में इस तरह के कार्यक्रम 17 दिसंबर से 26 दिसंबर तक आयोजित किए जा रहे हैं तथा युवा सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं कार्यक्रम का संयोजन कुमारी सुरक्षा मिश्रा द्वारा किया गया तथा मंच संचालन अनादि पांडे तथा  कु आराध्या द्वारा किया गया इस अवसर पर पर नेहरू युवा केंद्र के लेखा एवं कार्यक्रम पर्यवेक्षक अरविंद संज्ञा तथा विभिन्न ब्लॉकों से वॉलिंटियर  रमाकांत सोनी रमाकांत सोनी  सत्यम  सौम्या  शिवानी  नेहा शिवप्रताप सिंह विपिन पालीवाल विमल सिंह शिवम रिछारिया इत्यादि रहे