Monday, December 27, 2021

कॉस्मोप्रॉफ इंडिया ने भारत की कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री में बिखेरा जलवा

-अनिल बेदाग़-



मुंबई :  भारत में तेजी से बढ़ते हुए ब्यूटी मार्केट के लिए मुंबई के होटल सहारा स्टार में 2 दिन की बिजनेस टु बिजनेस इवेंट, कॉस्मोप्रॉफ इंडिया, का आयोजन किया गया। बोलोग्नाफियर और इंफॉर्मा  की ओर से आयोजत की गई कॉस्मोप्रॉफ इंडिया दुनिया भर में प्रतिष्ठित कॉस्मोप्रॉफ ब्रैंड की ओर से भारत के भौगोलिक क्षेत्र के अनुकूल लगाई  गई प्रदर्शनी है। इसका अपना एक अलग पैमाना और पहचान है। इसमें सभी क्षेत्रों के प्रोफेशनल ब्यूटी बिजनेस का प्रतिनिधित्व है। इसके तहत कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री से संबंधित हर पहलू, सामान, कच्चा माल, मशीनरी, ओईएम,  कान्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चिंरग और प्राइवेट लेबल, प्राइमरी और सेकेंडरी पैकेजिंग, सर्विस प्रोवाइडर्स और तैयार माल का प्रदर्शन किया जाता है। यह परफ्यूमरी और कॉस्मेटिक्स, खूबसूरती और स्पा, बाल, नाखून, नैचुरल और ऑर्गेनिक में बंटा है।
इस दो दिन के शो का उद्घाटन इंडस्ट्री के तमाम दिग्गज लोगों की मौजूदगी में लैक्मे लीवर के सीईओ और कार्यकारी निदेशक श्री पुष्कराज शेनाई,  इंडल्ज द सैलून की संस्थापक मिस सुर्कीति पटनायक,  इंडल्ज द सैलून के संस्थापक श्री जयंत पटनायक, दक्षिण एशिया में टोनी एंड गाइ के सीईओ मिस्टर ब्लेसिंग ए मानिकनंदन, जीन- क्लॉड बिगुइन सैलून एंड स्पा के सीईओ श्री समीर श्रीवास्तव,  श्री सचिन कामत निदेशक, श्री भूपेश डिंगर. निदेशक इनरिच ब्यूटी, जेसीकेआरसी की संस्थापक  मिस रेखा चौधरी, बीब्लंट की सीईओ मिस स्फूर्ति शेट्टी, सेवियो जॉन परेरा सैलूंस  के संस्थापक श्री सेवियो जॉन परेरा, सिंपलीनाम की संस्थापक मिस नम्रता सोनी, वर्ल्ड पैकेजिंग ऑर्गनाइजेशन  के ग्लोबल एंबेसेडर श्री एवीपीएस चक्रवर्ती, गैटेफॉरस के एमडी डा. सुनील बांबरकर, भारत में इंफॉर्मा इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक श्री योगेश मुद्रास, इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के ग्रुप डायरेक्टर श्री राहुल देशपांडे ने किया।  
कॉस्मोप्रॉफ इंडिया भारत में अत्याधुनिक रूप से उभरने वाले नए-नए ट्रेंड्स और प्रस्तावों की ऑब्जर्वेटरी रहा है। 2000  वर्गमीटर के प्रदर्शनी स्थल में प्रतिष्ठित ब्रैंड्स आई-ब्यूटी का नवीनतम झलक पेश करते है। यब प्रॉडक्ट और तकनीक हाल ही में स्थानीय मार्केट के उभरने के नतीजे के रूप में सामने आई है। यह 2500 से ज्यादा संभावित ऑपरेटरों को हाई क्वॉलिटी के कारोबारी अनुभव की गारंटी देते हैं। इस साल कॉस्मोप्रॉफ इंडिया ने अमेज़न, मिंत्रा, पर्पल, मैरिको, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लैक्मे लीवर , कामा आयुर्वेद, एमकैफीन, मामा अर्थ समेत कई अन्य खरीदारों ने स्वागत किया। 

महिला सशक्तिकरण

 महिला सशक्तिकरण तब है जब महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो। उनके लिए क्या सही है और उनके लिए क्या गलत है, यह तय करने में उन्हें पूरा अधिकार हो।  महिलाओं को दशकों से पीड़ित होना पड़ा है क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं थे और अब भी बहुत सी जगह, गांव, यहां तक की बहुत से शहर और देश में भी नहीं है!

 महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया और अब भी किया जा रहा है । अपने अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सिखाया गया कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में आत्मनिर्भर कैसे हों।  उन्हें सिखाया गया कि उनके लिए एक स्थान कैसे बनाया जाए जहां वे बढ़ सकें और वह बन सकें जो वे बनना चाहती हैं।
 पुरुषों के पास हमेशा सभी अधिकार होते थे।  हालाँकि, महिलाओं को इनमें से कोई भी अधिकार नहीं था, यहाँ तक कि मतदान जैसा छोटा अधिकार भी।  चीजें बदल गईं जब महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें भी समान अधिकारों की आवश्यकता है।  यह अपने अधिकारों की मांग करने वाली महिलाओं द्वारा क्रांति के साथ लाया गया।   दुनिया भर के देशों ने खुद को "प्रगतिशील देश" कहा, लेकिन उनमें से हर एक के पास महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करने का इतिहास है।  इन देशों में महिलाओं को आजादी और दर्जा हासिल करने के लिए उन प्रणालियों के खिलाफ लड़ना पड़ा, जो उन्होंने आज हासिल की हैं।  हालाँकि, भारत में, महिला सशक्तिकरण अभी भी पिछड़ रहा है। अब भी जागरूकता फैलाने की बहुत अधिक आवश्यकता है। भारत उन देशों में से एक है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है और इसके कई कारण हैं।  उनकी सुरक्षा में कमी का एक कारण ऑनर किलिंग का खतरा भी है।  परिवारों को लगता है कि अगर वे परिवार और परिवार की प्रतिष्ठा के लिए शर्म की बात है, तो उन्हें उनकी हत्या करने का अधिकार है।  महिलाओं के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि शिक्षा की कमी है। देश में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए महिलाओं को हतोत्साहित किया जाता है।  इसके साथ ही उनकी शादी जल्दी हो जाती है।  महिलाओं पर हावी पुरुषों को लगता है कि महिलाओं की भूमिका उनके लिए काम करने तक सीमित है। वे इन महिलाओं को कहीं जाने नहीं देते हैं, नौकरी नहीं करने देते हैं, और इन महिलाओं को कोई स्वतंत्रता नहीं है। महिला सशक्तीकरण लैंगिक समानता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।  इसमें एक महिला के आत्म-मूल्य, उसकी निर्णय लेने की शक्ति, अवसरों और संसाधनों तक उसकी पहुंच, उसकी शक्ति और घर के अंदर और बाहर अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण और परिवर्तन को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को बढ़ाना शामिल है।   फिर भी लैंगिक मुद्दे केवल महिलाओं पर केंद्रित नहीं हैं, बल्कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंधों पर हैं। पुरुषों और लड़कों के कार्य और दृष्टिकोण लैंगिक समानता प्राप्त करने में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं।
 यदि महिलाएं घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार से गुजर रही हैं, तो वे इसकी सूचना किसी को नहीं देती हैं। उसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि वे जिस समाज में रहती हैं, उसके बारे में टिप्पणी करेंगे। भारत एक ऐसा देश है जिसमें महिला सशक्तिकरण का अभाव है।देश में बाल विवाह का प्रचलन है।  माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि अगर वे अपमानजनक रिश्ते में हैं, तो उन्हें घर आना चाहिए।  इससे, महिलाओं को ऐसा लगेगा कि उन्हें अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त है और वे घरेलू हिंसा से बाहर निकल सकती हैं। 
महिलाओं को उन चीजों मै आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए की वे अपने सभी लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त कर सके जो वो करना चाहती है। आज भी विश्व स्तर पर, महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में आर्थिक भागीदारी के लिए कम अवसर हैं, बुनियादी और उच्च शिक्षा तक कम पहुंच, अधिक स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम, और कम राजनीतिक प्रतिनिधित्व।
 महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के अवसर प्रदान करना न केवल लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।  सशक्त महिलाएं और लड़कियां अपने परिवार, समुदायों और देशों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान करती हैं, जिससे सभी को लाभ होता है।
 लिंग शब्द सामाजिक रूप से निर्मित भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है जो समाज पुरुषों और महिलाओं के लिए उपयुक्त मानते हैं।  लिंग समानता का अर्थ है कि पुरुषों और महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता, शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए समान शक्ति और समान अवसर प्राप्त हैं। अब भी बहुत से विकासशील देशों में लगभग एक चौथाई लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं।  आमतौर पर, सीमित साधनों वाले परिवार जो अपने सभी बच्चों के लिए स्कूल की फीस, वर्दी और आपूर्ति जैसे खर्च नहीं कर सकते, वे अपने बेटों के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देंगे।एक शिक्षित लड़की की शादी को स्थगित करने, छोटे परिवार को बढ़ाने, स्वस्थ बच्चे पैदा करने और अपने बच्चों को स्कूल भेजने की अधिक संभावना है।  उसके पास आय अर्जित करने और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने के अधिक अवसर हैं, और एचआईवी, करोना अन्य बीमारियों से संक्रमित होने की संभावना कम है।
 महिलाओं का स्वास्थ्य और सुरक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है।  एचआईवी / एड्स महिलाओं के लिए एक तेजी से प्रभावी मुद्दा बनता जा रहा है।मातृ स्वास्थ्य भी विशिष्ट चिंता का एक मुद्दा है।  कई देशों में, महिलाओं की प्रसव पूर्व और शिशु देखभाल तक सीमित पहुंच है, और गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का अनुभव होने की अधिक संभावना है।  यह उन देशों में एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है जहाँ लड़कियाँ शादी करती हैं और उनके तैयार होने से पहले बच्चे होते हैं;  18 वर्ष की आयु से पहले। शिक्षा मातृ स्वास्थ्य देखभाल सूचना और सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु प्रदान कर सकती है जो माताओं को अपने स्वयं के स्वास्थ्य और अपने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में सूचित निर्णय लेने वालों के रूप में सशक्त बनाती है।  हमें एक ऐसी संस्कृति में रहने की जरूरत है जो सम्मान के साथ देखती है और महिलाओं को पुरुषों के जितना ही आदर्श बनाती है।
 लैंगिक समानता प्राप्त करने में ध्यान केंद्रित करने का एक अंतिम क्षेत्र महिलाओं का आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण है।  हालांकि महिलाओं में दुनिया की 50% से अधिक आबादी शामिल है, लेकिन उनके पास दुनिया की संपत्ति का केवल 1% ही है।  दुनिया भर में, महिलाएं और लड़कियां लंबे समय तक अवैतनिक घरेलू काम करती हैं।  कुछ स्थानों पर, महिलाओं को अभी भी खुद की जमीन या संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने, ऋण प्राप्त करने, आय प्राप्त करने या नौकरी के भेदभाव से मुक्त अपने कार्यस्थल में स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है। घर और सार्वजनिक क्षेत्र में सभी स्तरों पर, महिलाओं को निर्णय निर्माताओं के रूप में व्यापक रूप से रेखांकित किया जाता है।  दुनिया भर की विधानसभाओं में, महिलाओं को 4 से 1 तक पछाड़ दिया जाता है, फिर भी लैंगिक समानता और वास्तविक लोकतंत्र प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए राजनीतिक भागीदारी महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।
जिन पुरुषों के पास सभी अधिकार थे, उनकी तुलना में महिलाओं के पास सबसे लंबे समय तक मतदान करने जैसे आवश्यक अधिकार नहीं थे।  महिलाओं का सशक्तीकरण आवश्यक है क्योंकि महिलाओं के पास दशकों से अधिकार और स्वतंत्रता नहीं थी।  महिलाएं लगभग न के बराबर थीं।  महिलाएं भी मनुष्य हैं, और उन्हें अपने साथी मनुष्यों के समान अधिकार और स्वतंत्रता की आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण की जरूरत, समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है।  ऐसे कई तरीके हैं जिनसे महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। महिला सशक्तिकरण को वास्तविकता बनाने के लिए लोगों को एकजुट होना चाहिए।  महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम महिलाओं को शिक्षित करना होगा।  शिक्षा प्रदान और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि अधिक महिलाएं साक्षर हो सकें।  वे जो शिक्षा प्राप्त करती हैं, उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की जानी चाहिए ।  महिलाओं के पास वह जीवन हो सकता है जो वे चाहती हैं और इसमें खुश रह सकती है!  महिला सशक्तिकरण का एक और तरीका है कि हर क्षेत्र में सम्मान और समान अवसर दिए जाएं। महिलाओं को वही मौका दिया जाना चाहिए जो उनके समकक्षों को मिलता है। 
वेतन एक और क्षेत्र है जो महिलाओं और पुरुषों के लिए समान होना चाहिए।  महिलाओं को उस काम के लिए समान रूप से भुगतान किया जाना चाहिए जो वे करते हैं।
 महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण चीज है जिसे पूरा करने की जरूरत है।  आज महिलाओं के पास जो अधिकार और स्वतंत्रता है, वह उन झगड़ों का परिणाम है, जिनके खिलाफ सशक्त महिलाओं ने लड़ाई लड़ी।  इन सशक्त महिलाओं के कृत्यों से पता चलता है कि यह समय है कि महिलाएं भी सभी स्वतंत्रता और अधिकारों का आनंद ले सकती हैं।
*महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज़ खोजने की ज़रूरत नहीं है, उनके पास एक आवाज़ है, आत्मविश्वास है, और उन्हें इसका उपयोग करने के लिए सशक्त महसूस करने की आवश्यकता है, और लोगों को सुनने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है!*

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)

मिशन-कर्मयोगी - अब शासन नहीं भूमिका!!!

हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं - शासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी 

डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता, रचनात्मकता से करना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - समय का चक्र हमेशा घूमते रहता है, किसी की ताकत नहीं कि इस चक्र को रोक सके। आज वैश्विक रूप से प्रौद्योगिकी, विज्ञान, नवाचार, नवोन्मेष तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं परंतु ऐसा कोई नवाचार प्रौद्योगिकी न आई है, और ना ही कभी आएगी जो समय के चक्र को रोक सके!!! साथियों समय था उनका! जब बड़े-बड़े राजाओं महाराजाओं ने भारत पर राज़ किया समय था!! समय था उनका! जब अंग्रेजों नें भारत पर राज़ किया!! स्वतंत्रता के बाद समय था उनका! जिसने इतने वर्षों तक राज़ किया!! समय का चक्र घूमते गया किसी का लिहाज नहीं किया!! किसी को आसमान से जमीन पर गिराया! तो किसी को ज़मीन से आसमान तक पहुंचाया!! वाह समय साहिबान जी!! तुम्हारी गत तुम ही जानों!! साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन की करें तो समय था उनका! जब मानवीय हसते कार्य होता था!! आज अगर हम अंदाज लगाएं तो सोच सकते हैं कि क्या कुछ नहीं हो सकता होगा उस समय परंतु इसमें किसी का दोष नहीं है क्योंकि वह भी एक समय था उनका!! आज डिजिटल भारत स्पेशलाइजेशन युग में डिजिटलाइजेशन हो रहा है तो यह भी समय का चक्र है कि पूरा काम डिजिटल हो गया है, उसमें अनेकों लीकेजस के रास्ते बंद हो गए हैं!! बाकी बचे लेकेजेस भी बंद होने के कगार पर हैं और देश सुशासन की ओर बढ़ रहा है। हालांकि यह भी एक कहावत है कि कितने भी कानून बना लो पर भ्रष्टाचार वालों के भी रास्ते गुपचुप निकल ही आते हैं!!! साथियों बात सच है परंतु आज इस दिशा में भी तीव्रता से उपाय ढूंढ कर लीकेजेज को पूर्णतः बंद करना ज़रूरी होगा साथियों बात अगर हम शासन प्रशासन के सेवकों की करें तो आज के डिजिटल इंडिया में अब उनको अपनी शासन प्रशासन की स्थिति को अब शासन नहीं, भूमिका में बदलना होगा!! उन्हें अपनी प्रक्रिया, कार्यवाही का निर्वहन, सहिष्णुता विनम्रता और रचनात्मक लहजे में करना होगा ताकि शिकायतकर्ताओं के समाधान की ओर बढ़ा जाए। प्रक्रिया में या सख्त लहजे में, नियमों में, ना उलझा जाए इस तरह की नियमावली बनाने का संज्ञान शासन ने तीव्रता से लेना होगा तथा नागरिकों को अपनी वास्तविक भूमिका मालक के रूप में मिले इसलिए उन्हें पावरफुल बनाना होगा ताकि भ्रष्टाचार रूपी दानव को दफनाने में 135 करोड़ जनसंख्या के 270 करोड़ हाथ एक साथ उठ जाएं ताकि यह दानव कभी सर नहीं उठा सके और हम फिर सतयुग की ओर भारत को लेजाकर सोने की चिड़िया का दर्जा वापस दिलाने में सामर्थ बने। साथियों बात अगर हम दिनांक 23 दिसंबर 2021 को माननीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा, पीएम के नए लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन की वर्तमान में जारी व्यस्था को शासन से भूमिका में बदलने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है ताकि भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यवस्था का युग समाप्त हो गया है और यह प्रशासन के लिए कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि हम सुपर स्पेशलाइजेशन के युग में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा को अपनी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं पर केंद्रित होना चाहिए और मिशन कर्मयोगी का मुख्य लक्ष्य यही है कि नागरिक शासन को भविष्य के लिए उपयुक्त और उद्देश्य के लिए उपयुक्त की योग्यता वाला बनाया जा सके। सिविल सेवकों को रचनात्मक, कल्पनाशील और अभिनव प्रयोगवादी सक्रिय और विनम्र होना, पेशेवर और प्रगतिशील होना, ऊर्जावान और सक्षम होना, कुशल और प्रभावी होना, पारदर्शी और नई तकनीक के उपयोग हेतु सक्षम होने के पीएम के आह्वान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सिविल के लिए अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, यह जरूरी है कि देश भर के सिविल सेवकों के पास दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान का सही सेट हो। उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के शुभारंभ सहित कई पहल की हैं। कार्यक्रम से सरकार में मानव संसाधन प्रबंधन के विभिन्न आयामों को एकीकृत करने की उम्मीद है, जैसे कि सावधानीपूर्वक क्यूरेटेड और सत्यापित डिजिटल ई-लर्निंग सामग्री के माध्यम से क्षमता निर्माण, योग्यता मानचित्रण के माध्यम से सही व्यक्ति को सही भूमिका में तैनात करना, उत्तराधिकार योजना, आदि। सुशासन सप्ताह के आयोजन के हिस्से के रूप में मिशन कर्मयोगी – भविष्य का ख़ाका विषय पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य नागरिक सेवाओं के लिए भविष्य की महत्वपूर्ण दूरदर्शिता है जिससे अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप प्रभावी ढंग से निर्धारित हो सकेगा और 2047 तक भारत की शताब्दी को आकार दे सकेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से पीएम द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, इस मिशन की स्थापन इस मान्यता में निहित है कि एक नागरिक-केंद्रित सिविल सेवा की सही भूमिका, कार्यात्मक विशेषज्ञता और अपने क्षेत्र के बारे में अपेक्षित ज्ञान के साथ सशक्त होती है, के परिणामस्वरूप जीवनयापन को बेहतर बनाने और व्यवसाय करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि लगातार बदलती जनसांख्यिकी, डिजिटल क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता की पृष्ठभूमि में, सिविल सेवकों को अधिक गतिशील और पेशेवर बनने के लिए सशक्त करने की आवश्यकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिशन कर्मयोगी अब शासन नहीं भूमिका है। हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं प्रशासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी हैं। डिजिटलाइजेशन और स्पेशलाइजेशन युग में अब शासकीय कर्मचारियों को शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन सहिष्णुता, विनम्रता रचनात्मकता से करना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Sunday, December 26, 2021

क्या आप बोल्ड हैं

वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक सवाल है कि आप कितना बोल्ड है? यह तो बहुत बोल्ड महिला है या यह तो बहुत बोल्ड पुरुष है... ? आप पर लगा यह लेबल आप को अच्छा लगता है? आप के परिवार वालों को अच्छा लगता है? क्या आप एक बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में पसंद करेंगें? क्या आप को लगता है कि बोल्ड महिला को पत्नी के रूप में स्वीकार करने के बाद वह सामान्य महिला के रूप में संबंध निभाएगी?
एक महिला के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? किसी पुरूष मित्र के कंधे पर हाथ रख कर सिगरेट पीना? बिंदास गालियां देना? स्पेगेटी ब्लाउज, आफ शोल्डर टीशर्ट या पैंटी दिखाई दे इस तरह की स्कर्ट्स पहनना? दोस्ती से बिस्तर तक पहुंचने वाले संबंधों को खुलेआम स्वीकार करना? सास-ससुर की बातों को न मानना?
एक पुरुष के लिए बोल्डनेस क्या हो सकती है? छाती ठोक कर अपने मन की बात कहना? अपनी अनपढ़ पत्नी के साथ न पटने की बात स्वीकार करना? अपने एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप का बखान करना? बगल से गुजरने वाली लड़की को देख कर शरीर में होने वाली सनसनाहट को सब के सामने स्वीकार करना?
बोल्ड होना क्या है? बहादुरी? समूह से अलग होने की टेक्निक? स्वभाव? प्रमाणिकता?
बोल्ड होने का मतलब अपनी गलतियों को स्वीकार करना। बोल्ड होने का मतलब यानी अपनी गलतियों को स्वीकार कर नई शुरुआत करना। बोल्ड होने का मतलब अपनी इच्छाओं को न दबाना। एकदम अंजान सुनसान रास्ते पर अंधेरी रात में अकेली जाना यह बोल्डनेस नहीं है, पर ऐसे अंजान रास्ते पर अकेली जाने में डर लगता है, यह स्वीकार करना बोल्डनेस है। जिस तरह जी रही हो, वह सब स्वीकार कर लेना बोल्डनेस नहीं है। पर जिस तरह जी रही हो, उसमें से थोड़ा भी किसी को पता न चले, इस तरह उसे कहीं आड़े हाथों छुपा रखो, यह बोल्डनेस है। कपड़े के अंदर हर आदमी नंगा होता है। पर कपड़ा पहन कर घूम रहे समूह के बीच एकदम नग्न हो निकल पड़ना भी बोल्डनेस नहीं है।
बोल्डनेस गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं की जा सकती। सोशल मीडिया पर जम कर लिखने, फलानाफलाना का खुलासा करने से आप बोल्ड नहीं हो जातीं। 'बोल्ड' होने के लिए जिस तरह शार्पनर में पेंसिल छीली जाती है, उस तरह छिलना पड़ता है। मुट्ठियां जलानी पड़ती हैं। जली मुट्ठियों का पसीना पीना पड़ता है।
आप की बोल्डनेस का आप के कपड़े से कोई लेनादेना नहीं है। आप की बड़ी सी लाल बिंदी या आप के बढ़े बालों से आप की बोल्डनेस को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। बोल्डनेस किसी भी तरह के प्रतीकों से नहीं आती। गांव की पूरी तरह शरीर ढ़ंकने वाली महिला खुद अपने लिए कोई निर्णय लेती है तो उसे बोल्ड कहा जा सकता है। 'जाओ, तुम शहर जा कर अपना कैरियर बनाओ, मैं यहां रह कर संघर्ष करूंगी।' पति के कंधे पर हाथ रख कर यह कहने वाली महिला भी बोल्ड है और गड्ढ़े में गिरे बेटे को निकलने की राह देखने वाली महिला भी बोल्ड है। पूरे दिन आफिस में काम कर के घर आने वाले पति को दूध या दही लेने के लिए चौराहे पर भेजने वाली महिला बोल्ड नहीं है। पर पूरे दिन काम करने वाले पति की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले लेने वाली पत्नी जरूर बोल्ड है। 
अगर बोल्ड होने का दिखावा करने के लिए आप कार्पोरेट मीटिंग में शराब पीती हैं, खुद को बुद्धिशाली साबित करने के लिए सामने वाले व्यक्ति को नीचा दिखाती हैं, उसका अपमान करती हैं, अपने पूर्व के संबंधों के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करती हैं, जैसा रह लही हैं, वैसा सचसच कह जाती हैं, एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेती हैं, पोर्न फिल्मों या सेक्स की बातें करती हैं तो आप बोल्ड नहीं, मूर्ख हैं। रांग साइड में बाइक चलाना या शहर की सड़कों पर 120 की स्पीड में कार चलाना बोल्डनेस नहीं है। अगर आप के अंदर शिष्टता है तो आप बोल्ड हो सकती हैं। जब आप अपना सुरक्षा कवच तोड़ कर उसमें से बाहर कदम रखती हैं तो आप बोल्डनेस की ओर पहला कदम बढ़ाती हैं। सब कुछ जानते हुए भी आप चुप रहना पसंद करती हैं तो आप बोल्डनेस की अंगुली पकड़ रही होती हैं। जब आप किसी के ऊपर आर्थिक रूप से डिपेंड नहीं रहना चाहतीं, तब आस बोल्डनेस को गले लगा रही होती हैं। जिंदगी में, नौकरी में या धंधे में, संबंधों में आने वाले हर संघर्ष के लिए तैयार रहती हैं तो आप बोल्डनेस को अपने अंदर उतारती हैं।
बोल्ड मनुष्य वह है जो खूब शक्तीशाली होने के बावजूद अपनी शक्तियों को काबू में रख सके। बोल्ड मनुष्य वह है, जो अपने संबंधों का प्रचार करने के बजाय संबंधों में की गई अपनी गलती को बेझिझक कबूल कर सके। बोल्ड मनुष्य वह है जो संबंधों-धंधे में खुद की गलती को अपने कंधे पर ले सके। बोल्ड रहने के लिए खुद के साथ कमिटेड रहना पड़ता है। झूठ को समझना पड़ता है और सत्य को खुला रखना पड़ता है। बोल्डनेस हर किसी को रास नहीं आती, बोल्ड होने के लिए जलते अंगारे पर बिना चीखे नंगे पैर चलने का साहस करना पड़ता है।  
कृत्रिम बोल्डनेस को ओढ़ कर चलने वाला मनुष्य किसी भी समय नंगा हो सकता है। बोल्डनेस दिखाने के लिए सिगरेट के कश लेना, शराब पीना या शिष्टता भंग करने की कतई जरूरत नहीं है। बोल्डनेस दिखाने की पहली सोढ़ी है स्वीकार। किसी भी परिस्थिति, संयोग को स्वीकार करना। सार्वजनिक रूप से या आईने के सामने खड़े हो कर या खुद के सामने। आप की बोल्डनेस दुनिया नहीं देखेगी तो चलेगा, पर आप को जरूर पता होनी चाहिए।

वीरेंद्र बहादुर सिंह 
जेड-436ए, सेक्टर-12,