Tuesday, December 28, 2021
नहीं चाहिए ऐसे दोस्त!
स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। डॉ. विक्रम चौरसिया
समाज में पुरुष व महिला को संविधान द्वारा समान तौर पर समस्त अधिकार तो दिए गए हैं, लेकिन फिर भी देखे तो किसी न किसी रुप में सामाजिक रूढ़िवादी मान्यताओं व विषमताओं के कारण ही कुछ महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है, इसी तरह देखें तो आज बहुत से पुरूष भी पीड़ित है।स्त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक दूसरे के पूरक हैं, सहयोगी हैं, विरोधी नहीं ,प्रकृति ने दोनों को एक खास मकसद से सृष्टि की निरंतरता हेतु बनाया है, दोनों एक दूसरे के लिए आवश्यक हैं, अनुपयोगी नहीं , दोनो एक दूसरे के मित्र हैं, शत्रु नहीं है। इस सृष्टि की सभी नारी किसी ना किसी की मां होती है चाहे उनसे हमारा कोई भी रिश्ता क्यों ना हो,कभी मां,कभी बहन,कभी पत्नी,कभी दादी, नानी मां और भी बहुत से रिश्ते में हमें समेटकर प्यार , स्नेह देकर सींचती है,लेकिन आज के इस वैश्वीकरण के दौर में हम देख रहे हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों से अक्सर ही इस तरह की खबर मिल रही है कि किसी लड़की ने थोड़ी सी ही कहासुनी हो जाने पर ही अपने लोगों पर ही बलात्कार का आरोप लगा दी ,ऐसे में कैसे ये सृष्टि चलेगी ? देखे तो हाल ही में जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में दो गुने से भी ज्यादा है, इसके पीछे तमाम कारणों में पुरुषों का घरेलू हिंसा का शिकार होना भी बताया जाता है, जिसकी शिकायत वो किसी फोरम पर कर भी नहीं पाते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि पुरुषों के खिलाफ हिंसा की किसी को जानकारी नहीं है या फिर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठती है लेकिन यह आवाज एक तो उठती ही बहुत धीमी है और उसके बाद खामोश भी बहुत जल्दी हो जाती है, वही 498A को कानूनविदों द्वारा लागू किया गया ,महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए इसे कानून का रूप दिया गया है , लेकिन वर्तमान तथ्यों और आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ महिलाओं द्वारा अपने लाभ के लिए इसका व्यापक रूप से दुरुपयोग भी किया जा रहा है और इस कारण इंसानों के लिए ये उपद्रव पैदा हो रहा है, यही कारण भी है कि यह खंड आईपीसी का सबसे अधिक विवादित खंड बना हुआ है। बलात्कार या किसी भी तरह का शोषण किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक है, ऐसे में चाहे पुरुष हो या महिला अगर कोई भी किसी का शोषण करता है तो उस पर महिला व पुरुष में भेदभाव ना करते हुए, दोनों को बराबर की सजा होनी चाहिए। यह सच्चाई ही है कि देश को शर्मसार करने वाली दिसंबर 2012 की निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की घटना के बाद बलात्कार से संबंधित कानूनी प्रावधानों को कठोर बनाए जाने के बावजूद भी महिलाओं किशोरियों और अबोध बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाओं में अपेक्षित कमी नहीं आई है, इसके बावजूद भी इस तथ्य से कैसे इंकार किया जाए कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों में निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाए जाने की घटनाएं भी बढ़ रही है, अब सवाल यह उठता है कि क्या बलात्कार जैसे संगीन अपराध से संबंधित कठोर कानूनी प्रावधान का इस्तेमाल झूठे मामले में पुरुषों को फसाने के लिए हथियार के रूप में तो नहीं किया जा रहा है। क्या झूठे मामले की वजह से समाज और परिवार में कलंकित होने वाले व्यक्ति को ऐसी महिला के खिलाफ हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने की छूट नहीं मिलनी चाहिए?
ओमिक्रान वेरिएंट- चुनाव 2022- सुशासन- चुनौतियां!!!
ओमिक्रान वेरिएंट - प्रस्तावित चुनाव 2022 स्वरूपी रैलियों की भीड़ पर संज्ञानः लेना समय की मांग
Monday, December 27, 2021
जागो हिन्दू जागो
चर्चों से चिठ्ठी निकल पड़ी,
कॉस्मोप्रॉफ इंडिया ने भारत की कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री में बिखेरा जलवा
-अनिल बेदाग़-
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण तब है जब महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो। उनके लिए क्या सही है और उनके लिए क्या गलत है, यह तय करने में उन्हें पूरा अधिकार हो। महिलाओं को दशकों से पीड़ित होना पड़ा है क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं थे और अब भी बहुत सी जगह, गांव, यहां तक की बहुत से शहर और देश में भी नहीं है!
मिशन-कर्मयोगी - अब शासन नहीं भूमिका!!!
हम सुपर स्पेशलाइजेशन युग में प्रवेश कर रहे हैं - शासकों को अब शासन नहीं भूमिकाओं का निर्वहन करने का संज्ञान लेना ज़रूरी
Sunday, December 26, 2021
क्या आप बोल्ड हैं
वीरेंद्र बहादुर सिंह
डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत
वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत - स्वसत्यापन, स्वप्रमाणन, स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत
आज जन्मदिन विशेष है
उस महान आत्मा का ,
वफ़ा के नाम पे धोका (ग़ज़ल)
जिसने चराग़ दिल में वफ़ा का जला दिया
अटल हमारे अटल तुम्हारे
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
नहीं रहे अब बीच हमारे।जन जन के थे राज दुलारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
बेबाक रहे बोल चाल में।
मस्ती दिखती चालढाल में।
अश्क बहाते घर चौबारे।
अटल हमारे अटल तुुम्हारे।
अगर कहीं कुछ सही न पाया।
राजधर्म तब जा सिखलाया।
इसीलिये थे सब के प्यारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
सजे मंच पर जब आते थे।
झूम झूम कर फिर गाते थे।
नहीं बिसरते आज बिसारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
चला गया जनता का नायक।
छोड़ सभी कुछ यार यकायक।
जन जन उनको आज पुकारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
किया देश हित जीवन अर्पण।
बिरला देखा गूढ़ समर्पण।
रोते हैं यूँ चाँद सितारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
कम से कम की दिल आज़ारी।
खेली जम कर अपनी पारी।
लगा रहे सब मिल जय कारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
राजनीति थी खेल खिलौना।
खेला करके सब को बौना।
शब्द चढ़ाये शब्द उतारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
हमीद कानपुरी
(अब्दुल हमीद इदरीसी)
एहसास
सर्दी बहुत है
गर्मी का एहसास करवाइए ।
नफरत बहुत है
मोहब्बत का एहसास करवाइए ।
गम बहुत है
खुशियों का एहसास करवाइए।
बेगानापन बहुत है
अपनेपन का एहसास करवाइए।
अंधेरा बहुत है
रोशनी का एहसास करवाइए।
शोर बहुत है
शांति का अहसास करवाइए।
अस्थिरता बहुत है
स्थिरता का एहसास करवाइए।
मिथ्या बहुत हौ
सत्यता का एहसास करवाइए।
दोगलापन बहुत है
एकसारता का एहसास करवाइए।
राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
पता-गांव जनयानकड़