Friday, December 30, 2022

थर्मामीटर बुढ़ापा नापने का

😄😂🤣
1. दोस्त बुलाये पर, जानें का दिल न करे,
समझ लो बूढ़े हो गए।
2. पड़ोसन की जगह,पत्नी पर ज़्यादा प्यार आनें लगे,
समझ लो बूढ़े हो चले।
3. नए कपड़े खरीदनें की,इच्छा कम हो रही हो,
तो समझना बूढ़े हो चले।
4. रेस्टोरेंट में खाना खाते वक़्त,घर के खाने की याद आने लगे,
समझना बूढ़े हो चले।
5. बारिश हो रही हो और,पकौड़े की जगह छाता याद आये,
समझो बूढ़े हो चले।
6. हर बात पर युवाओं के,फैशन पर टिप्पणी करनें लगे हो,
समझना बूढ़े हो चले।
7. मौज-मस्ती वाली फिल्मों की,आलोचना करनें लगे हो तो,
समझना बूढ़े हो चले।
8. मस्त-महफ़िल सजी हो और,उस दौरान मशवरा देने लग जाओ,
तो समझना बूढ़े हो चले।
9. फूल पर गुनगुनाते भंवरे को देख,रोमांटिक गाना न याद आये,
समझना बूढ़े हो चले।
10. बेफिक्री छोड़ सर पर चिंता, की टोकरी उठा ली हो,
समझना बूढ़े हो चले।
12. घर से बाहर नहीं निकलने के बहाने बढ़ गए,
तो समझो बूढ़े हो गए।
13. इस पोस्ट को पढ़ने के बाद वाह वाह करने की इच्छा नहीं है,
तो समझो बूढ़े हो गए।

Monday, December 26, 2022

44 दरवाजों के महल में रहेंगे भगवान राम

 2024 में एक चमत्कार होगा...

पूरी दुनिया का भारत को नमस्कार होगा...
अयोध्या में 2024 में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। इस मंदिर के बारे में अब तक जो जानकारियां सामने आई हैं वह निम्नलिखित हैं...
भगवान राम का मंदिर अष्टकोणीय होगा।
मंदिर में 44 दरवाजे होंगे। सभी दरवाजे सागौन की लकड़ी से बनेंगे। सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र सरकार प्रदान करेगी...
44 दरवाजों के लिए 2000 घन फुट सागवान की लकड़ी मंगवाई गई है। दरवाजे तराशने के लिए कुशल कारीगरों की तलाश शुरू हो चुकी है...


इस मंदिर से चौरासी कोस की पूरी परिक्रमा तक जितनी भी इमारतें होंगी सारे भवन भगवा रंग के होंगे। इस पूरे चौरासी कोस के इलाके में एक कॉमन बिल्डिंग कोड लागू किया जाएगा। सभी मंदिरों के भवनों के रंग उसी रंग के होंगे जिस रंग का भगवान राम का मंदिर होगा...
सीता रसोई को एक बहुत बड़ी पाकशाला के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां पर हजारों लोगों को निःशुल्क प्रसाद का वितरण किया जाएगा। इसके लिए अनाज और सब्जी के भंडारण हेतु भवन बनाया जाएगा। खाना बनाने के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी...
108 की संख्या हिंदू धर्म में विशेष रूप से पवित्र संख्या मानी जाती है इसीलिए पूरा मंदिर परिसर 108 एकड़ का होगा...
श्री राम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण विशेष संगमरमर के पत्थरों से किया जाएगा। यह संगमरमर के पत्थर मकराना से लाए जाएंगे। मकराना के संगमरमर के पत्थरों से ही तेजो महालय का भी निर्माण हुआ है...
रामनवमी के विशेष मौके पर सिर्फ एक दिन भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक होगा। सूर्य तिलक का अर्थ यह है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें गर्भगृह में आकर रिफलेक्टर द्वारा सीधे भगवान राम के ललाट पर आज्ञा चक्र पर जाकर स्पर्श करेंगी। इसे ही सूर्य तिलक कहा जाएगा। इसके लिए आईआईटी और विशेष वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है...
तीर्थ ट्रस्ट का अनुमान है कि मंदिर बन जाने के बाद दर्शन के लिए हर दिन 50,000 से अधिक भक्त दर्शन करने आएंगे। इस तरह हर महीने करीब 15 लाख और साल में करीब दो करोड़ भक्तों के दर्शन हेतु आने की संभावना है। ऐसी स्थिति में भक्तों को आवागमन में कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे...
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि 2024 में जब दुनिया का इतना बड़ा तीर्थ भक्तों के लिए खुलेगा, तब दुनिया भर के 200 से ज्यादा देशों के तमाम सारे लोग भारत की इस महान विरासत को, इस महान चमत्कार को देख कर न सिर्फ चमत्कृत रह जाएंगे बल्कि भारत की महान संस्कृति के पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम का बंदन कर सकेंगेI
जय जय श्री राम

जाबाज घोड़े

 कुतुबुद्दीन घोड़े से गिर कर मरा, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे?

यह आज हम आपको बताएंगे..
वो वीर महाराणा प्रताप जी का 'चेतक' सबको याद है,
लेकिन 'शुभ्रक' नहीं!
तो मित्रो आज सुनिए कहानी 'शुभ्रक' की......
सूअर कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया, और उदयपुर के 'राजकुंवर कर्णसिंह' को बंदी बनाकर लाहौर ले गया।
कुंवर का 'शुभ्रक' नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था,
जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया।
एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई.. और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया। यह तय हुआ कि राजकुंवर का सिर काटकर उससे 'पोलो' (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा..
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कुतुबुद्दीन ख़ुद कुँवर सा के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया।
'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर सा की जंजीरों को खोला गया, तो 'शुभ्रक' से रहा नहीं गया.. उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए, जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए! इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए..
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मौके का फायदा उठाकर कुंवर सा सैनिकों से छूटे और 'शुभ्रक' पर सवार हो गए। 'शुभ्रक' ने हवा से बाजी लगा दी.. लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौडा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही रुका!
राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था.. उसमें प्राण नहीं बचे थे।
सिर पर हाथ रखते ही 'शुभ्रक' का निष्प्राण शरीर लुढक गया.

Sunday, December 25, 2022

2023 सम्पूर्ण कैलेंडर व्रत और त्यौहार

 ’जनवरी 2023  कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 जनवरी, 2023

2 जनवरी, सोमवार वैकुण्ठ एकादशी

2 जनवरी, सोमवार पौष पुत्रदा एकादशी

3 जनवरी, मंगलवार कूर्म द्वादशी व्रत

4 जनवरी, बुधवार प्रदोष व्रत, रोहिणी व्रत

6 जनवरी, शुक्रवार पौष पूर्णिमा, पूर्णिमा

6 जनवरी, शुक्रवार पूर्णिमा व्रत, सत्य व्रत

6 जनवरी, शुक्रवार माघ स्नान प्रारंभ

10 जनवरी, मंगलवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

12 जनवरी, गुरुवार राष्ट्रीय युवा दिवस


13 जनवरी, शुक्रवार लोहड़ी ( लोहरी )

14 जनवरी , मकर सक्रांति एवं स्वामी विवेकानंद जयंती .

15 जनवरी, रविवार कालाष्टमी, मकर संक्रांति

18 जनवरी, बुधवार षटतिला एकादशी

19 जनवरी, गुरुवार प्रदोष व्रत

20 जनवरी, शुक्रवार मासिक शिवरात्रि

21 जनवरी, शनिवार मौनी अमावस्या

22 जनवरी, रविवार माघ गुप्त नवरात्री, चंद्र दर्शन

23 जनवरी, सोमवार सोमवार व्रत

24 जनवरी, मंगलवार गणेश जयंती

25 जनवरी, बुधवार वरद चतुर्थी

26 जनवरी, गुरुवार सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी, षष्ठी

26 जनवरी, गुरुवार गणतंत्र दिवस

28 जनवरी, शुक्रवार भीष्माष्टमी, रथ सप्तमी

29 जनवरी, शनिवार दुर्गाष्टमी व्रत, महानन्दा नवमी

30 जनवरी, रविवार गाँधी जयंती

31 जनवरी, सोमवार रोहिणी व्रत


’फरवरी 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 फरवरी, बुधवार जाया एकादशी

2 फरवरी, गुरुवार प्रदोष व्रत ( शुक्ल )

5 फरवरी, रविवार सत्य व्रत, पूर्णिमा व्रत

5 फरवरी, रविवार माघस्नान समाप्त

5 फरवरी, रविवार रविदास जयंती, पूर्णिमा

9 फरवरी, गुरुवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

13 फरवरी, सोमवार  कालाष्टमी, कुम्भ संक्रांति

14 फरवरी, मंगलवार वैलेंटाइन डे

14 फरवरी, मंगलवार श्री रामदास नवमी

16 फरवरी, गुरुवार विजया एकादशी

18 फरवरी, शनिवार  मास शिवरात्रि, प्रदोष व्रत ( कृष्ण )

18 फरवरी, शनिवार  महाशिवरात्रि

19 फरवरी, रविवार शिवजी जयंती

20 फरवरी, सोमवार  फाल्गुन अमावस्या, सोमवार व्रत

21 फरवरी, मंगलवार रामकृष्ण जयंती, चंद्र दर्शन

23 फरवरी, गुरुवार वरद चतुर्थी

25 फरवरी, शनिवार षष्ठी

27 फरवरी, सोमवार  दुर्गाष्टमी व्रत, होलाष्ठक

28 फरवरी, मंगलवार रोहिणी व्रत

28 फरवरी, मंगलवार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस


’मार्च 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


3 मार्च, शुक्रवार गोविंद द्वादशी, आमलकी एकादशी

4 मार्च, शनिवार प्रदोष व्रत

7 मार्च, मंगलवार होली, होलाष्ठक समाप्त

7 मार्च, मंगलवार पूर्णिमा व्रत, पुर्णिमा

7 मार्च, मंगलवार होलिका दहन

8 मार्च, बुधवार अंतररास्ट्रीय महिला दिवस

8 मार्च, बुधवार गणगौर व्रत प्रारम्भ

10 मार्च, शुक्रवार शिवजी जयंती

11 मार्च, शनिवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

12 मार्च, रविवार रंग पंचमी

14 मार्च, मंगलवार शीतला सप्तमी

15 मार्च, बुधवार अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

15 मार्च, बुधवार कालाष्टमी, शीतला अष्टमी

15 मार्च, बुधवार बुधाष्टमी, मीन संक्रांति

18 मार्च, शनिवार पापमोचिनी एकादशी

19 मार्च, रविवार रंग तेरस

20 मार्च, सोमवार मास शिवरात्रि

21 मार्च, मंगलवार अमावस्या, भौमवती अमावस्या

22 मार्च, बुधवार गुड़ी पड़वा, हिन्दू नव वर्ष

22 मार्च, बुधवार वसंत ऋतू, चैत्र नवरात्री

23 मार्च, गुरुवार  रमजान उपवास शुरू

23 मार्च, गुरुवार झूलेलाल जयंती

24 मार्च, शुक्रवार मत्स्य जयंती

25 मार्च, शनिवार वरद चतुर्थी

27 मार्च, सोमवार षष्ठी, रोहिणी व्रत

27 मार्च, सोमवार यमुना छठ, सोमवार व्रत

29 मार्च, बुधवार दुर्गाष्टमी व्रत, बुधाष्टमी व्रत

29 मार्च, बुधवार अशोक अष्टमी

30 मार्च, गुरुवार स्वामीनारायण जयंती

30 मार्च, गुरुवार राम नवमी


’अप्रैल 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 अप्रैल, शनिवार वैष्णव कामदा एकादशी, फूल दिवस

1 अप्रैल, शनिवार कामदा एकादशी, वित्तीय वर्ष प्रारम्भ

3 अप्रैल, सोमवार सोम प्रदोष व्रत, प्रदोष व्रत

3 अप्रैल, सोमवार महावीर जयंती

5 अप्रैल, बुधवार पूर्णिमा व्रत

6 अप्रैल, गुरुवार पूर्णिमा, हनुमान जयंती

7 अप्रैल, शुक्रवार विश्व स्वास्थ्य दिवस

7 अप्रैल, शुक्रवार गुड फ्राइडे

9 अप्रैल, रविवार संकष्टी गणेश चतुर्थी, ईस्टर

13 अप्रैल, गुरुवार कालाष्टमी

14 अप्रैल, शुक्रवार बंगाली नव वर्ष, बैशाखी

14 अप्रैल, शुक्रवार मेष संक्रांति, आंबेडकर जयंती

16 अप्रैल, रविवार वरुथिनी एकादशी

17 अप्रैल, सोमवार सोम प्रदोष व्रत, प्रदोष व्रत

18 अप्रैल, मंगलवार मास शिवरात्रि

20 अप्रैल, गुरुवार अमावस्या

22 अप्रैल, शनिवार अक्षय तृतीया, पृथ्वी दिवस

22 अप्रैल, शनिवार परशुराम जयंती, रमजान

23 अप्रैल, रविवार मातंगी जयंती, वरद चतुर्थी

23 अप्रैल, रविवार रोहिणी व्रत

24 अप्रैल, सोमवार सोमवार व्रत

25 अप्रैल, मंगलवार सूरदास जयंती

26 अप्रैल, बुधवार षष्ठी

27 अप्रैल, गुरुवार गंगा सप्तमी

28 अप्रैल, शुक्रवार दुर्गाष्टमी व्रत, बंगलामुखी जयंती

29 अप्रैल, शनिवार सीता नवमी


’मई 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 मई, सोमवार मोहिनी एकादशी

1 मई, सोमवार महाराष्ट्र दिवस, मई दिवस

2 मई, मंगलावर परशुराम द्वादशी

3 मई, बुधवार प्रदोष व्रत

4 मई, गुरुवार नृसिंह जयंती

5 मई, शुक्रवार पूर्णिमा, कूर्म जयंती

5 मई, शुक्रवार बुद्ध पूर्णिमा ( बुद्ध जयंती )

5 मई, शुक्रवार चैत्र पूर्णिमा

6 मई, शनिवार नारद जयंती

7 मई, रविवार रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती

8 मई, सोमवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

12 मई, शुक्रवार कालाष्टमी

14 मई, रविवार मातृ दिवस

15 मई, सोमवार वृषभ संक्रांति

15 मई, सोमवार अपरा एकादशी

15 मई, सोमवार भद्रकाली जयंती

17 मई, बुधवार मास शिवरात्रि, प्रदोष व्रत

19 मई, शुक्रवार वट सावित्री व्रत, अमावस्या

20 मई, शनिवार ग्रीष्म ऋतू

21 मई, रविवार रोहिणी एकादशी

22 मई, सोमवार महाराणा प्रताप जयंती

22 मई, सोमवार सोमवार व्रत

23 मई, मंगलवार वरद चतुर्थी

25 मई, गुरुवार षष्ठी

26 मई, शुक्रवार शीतला षष्ठी

28 मई, रविवार वृषभ व्रत

28 मई, रविवार धुर्मावती जयंती, दुर्गाष्टमी व्रत

29 मई, सोमवार महेश नवमी

30 मई, मंगलवार गंगा दशहरा

31 मई, बुधवार निर्जला एकादशी


’जून 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 जून, गुरुवार प्रदोष व्रत

3 जून, शनिवार वैठ सावित्री पूर्णिमा, पूर्णिमा व्रत

4 जून, रविवार कबीर जयंती

4 जून, रविवार देव स्नान पूर्णिमा

5 जून, सोमवार विश्व पर्यावरण दिवस

7 जून, बुधवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

10 जून, शनिवार कालाष्टमी

14 जून, बुधवार योगिनी एकादशी

15 जून, गुरुवार प्रदोष व्रत, मिथुन संक्रांति

16 जून, शुक्रवार मास शिवरात्रि

17 जून, शनिवार रोहिणी व्रत

18 जून, रविवार अमावस्या, पितृ दिवस

19 जून, सोमवार सोमवार व्रत, चंद्र दर्शन

19 जून, सोमवार गुप्त नवरात्र प्रारंभ

20 जून, मंगलवार पूरी जगगरनाथ रथ यात्रा

22 जून, गुरुवार वरद चतुर्थी

26 जून, सोमवार दुर्गाष्टमी व्रत

29 जून, गुरुवार आषाढ़ी एकादशी

29 जून, गुरुवार बकरीद ( ईद-उल-अजहा )


’जुलाई 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 जुलाई, शनिवार जाया पार्वती व्रत प्रारंभ

3 जुलाई, सोमवार पूर्णिमा व्रत, संत थॉमस डे

3 जुलाई, सोमवार व्यास पूजा, गुरु पूर्णिमा

4 जुलाई, मंगलवार कांवड़ यात्रा

5 जुलाई, बुधवार जाया पार्वती व्रत जागरण

6 जुलाई, गुरुवार जाया पार्वती व्रत समाप्त

6 जुलाई, गुरुवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

9 जुलाई, रविवार कालाष्टमी

11 जुलाई, मंगलावर जनसंख्या दिवस

13 जुलाई, गुरुवार कामिका एकादशी

14 जुलाई, शुक्रवार रोहिणी व्रत

15 जुलाई, शनिवार प्रदोष व्रत, मास शिवरात्रि

16 जुलाई, रविवार कर्क संक्रांति

17 जुलाई, सोमवार हरियाली अमावस्या

17 जुलाई, सोमवार अमावस्या, सोमवार व्रत

19 जुलाई, बुधवार चंद्र दर्शन, इस्लामी नव वर्ष

21 जुलाई, शुक्रवार वरद चतुर्थी

24 जुलाई, सोमवार षष्ठी

26 जुलाई, बुधवार दुर्गाष्टमी व्रत

28 जुलाई, शुक्रवार आशूरा के दिन

29 जुलाई, शनिवार पद्मिनी एकादशी

30 जुलाई, रविवार प्रदोष व्रत


’अगस्त 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 अगस्त, मंगलवार पूर्णिमा व्रत

4 अगस्त, शुक्रवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

6 अगस्त, रविवार हिरोशिमा दिवस

6 अगस्त, रविवार मित्रता दिवस

8 अगस्त, मंगलवार कालाष्टमी

10 अगस्त, गुरुवार रोहिणी एकादशी

12 अगस्त, शनिवार परमा एकादशी

13 अगस्त, रविवार प्रदोष व्रत

14 अगस्त, सोमवार मास शिवरात्रि

15 अगस्त, मंगलवार स्वतंत्रता दिवस

16 अगस्त, बुधवार अमावस्या

17 अगस्त, गुरुवार सिंह संक्रांति

17 अगस्त, गुरुवार मुहर्रम समाप्त

19 अगस्त, शनिवार हरियाली तीज

20 अगस्त, रविवार वरद चतुर्थी

21 अगस्त, सोमवार सोमवार व्रत, नाग पंचमी

22 अगस्त, मंगलवार षष्ठी

23 अगस्त, बुधवार तुलसीदास जयंती

24 अगस्त, गुरुवार दुर्गाष्टमी व्रत

25 अगस्त, शुक्रवार वर लक्ष्मी व्रत

27 अगस्त, रविवार श्रावण पुत्रदा एकादशी

28 अगस्त, सोमवार प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

29 अगस्त, मंगलवार ओणम

30 अगस्त, बुधवार रक्षा बंधन

31 अगस्त, गुरुवार नराली पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा व्रत


’सितंबर 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


2 सितंबर, शनिवार कजरी तीज

3 सितंबर, रविवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

4 सितंबर, सोमवार रक्षा पंचमी

5 सितंबर, मंगलवार हल षष्ठी, शिक्षक दिवस

6 सितंबर, बुधवार श्री कृष्ण जन्माष्टमी

7 सितंबर, गुरुवार रोहिणी व्रत

8 सितंबर, शुक्रवार गोगा नवमी

10 सितंबर, रविवार वैष्णव अजा एकादशी

10 सितंबर, रविवार अजा एकादशी

12 सितंबर, मंगलवार भौम प्रदोष व्रत, प्रदोष व्रत

13 सितंबर, बुधवार मास शिवरात्रि

14 सितंबर, गुरुवार राष्ट्रीय भाषा दिवस

14 सितंबर, गुरुवार पिठौरी अमावस्या, अमावस्या

17 सितंबर, रविवार कन्या संक्रांति, विश्वकर्मा जयंती


17 सितंबर, रविवार वाराह जयंती

18 सितंबर, सोमवार हरतालिका तीज, सोमवार व्रत

19 सितंबर, मंगलवार गणेशोत्सव, वरद चतुर्थी

20 सितंबर, बुधवार ऋषि पंचमी

21 सितंबर, गुरुवार षष्ठी

22 सितंबर, शुक्रवार महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ

22 सितंबर, शुक्रवार दूर्वा अष्टमी

23 सितंबर, शनिवार दुर्गाष्टमी व्रत, राधाष्टमी

25 सितंबर, सोमवार पाशर्व एकादशी

26 सितंबर, मंगलवार वैष्णव पाशर्व एकादशी

27 सितंबर, बुधवार मिलाद-उन-नबी

27 सितंबर, बुधवार विश्व पर्यटन दिवस, प्रदोष व्रत

28 सितंबर, गुरुवार गणेश विसर्जन

29 सितंबर, शुक्रवार पूर्णिमा व्रत, पूर्णिमा

29 सितंबर, शुक्रवार प्रतिपदा श्राद्ध, भाद्रपद पूर्णिमा

29 सितंबर, शुक्रवार महालय श्राद्ध पक्ष


’अक्टूबर 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


2 अक्टूबर, सोमवार भरणी श्रद्धा

2 अक्टूबर, सोमवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

2 अक्टूबर, सोमवार गाँधी जयंती

4 अक्टूबर, बुधवार विश्व पशु दिवस, रोहिणी व्रत

6 अक्टूबर, शुक्रवार श्री माँ लक्ष्मी व्रत समाप्त

6 अक्टूबर, शुक्रवार मध्य अष्टमी

7 अक्टूबर, शनिवार अविधवा नवमी

10 अक्टूबर, मंगलवार माघ श्राद्ध

10 अक्टूबर, मंगलवार इंदिरा एकादशी

11 अक्टूबर, बुधवार प्रदोष व्रत

12 अक्टूबर, गुरुवार मास शिवरात्रि

14 अक्टूबर, शनिवार अमावस्या

14 अक्टूबर, शनिवार महालय श्राद्ध पक्ष पूर्ण

15 अक्टूबर, रविवार अग्रसेन जयंती

15 अक्टूबर, रविवार शरद ऋतू, नवरात्री

16 अक्टूबर, सोमवार सोमवार व्रत, सिंधारा दूज

18 अक्टूबर, बुधवार वरद चतुर्थी, तुला संक्रांति

19 अक्टूबर, गुरुवार ललित पंचमी

20 अक्टूबर, शुक्रवार षष्ठी, सरस्वती आवाहन

21 अक्टूबर, शनिवार दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा

22 अक्टूबर, रविवार सरस्वती विसर्जन

22 अक्टूबर, रविवार दुर्गाष्टमी, दुर्गाष्टमी व्रत

23 अक्टूबर, सोमवार महानवमी

24 अक्टूबर, मंगलवार विजय दशमी

25 अक्टूबर, बुधवार भारत मिलाप, पापांकुशा एकादशी

26 अक्टूबर, गुरुवार प्रदोष व्रत

28 अक्टूबर, शनिवार शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती

28 अक्टूबर, शनिवार कार्तिक स्नान

28 अक्टूबर, शनिवार अश्विन पूर्णिमा व्रत

31 अक्टूबर, मंगलवार रोहिणी व्रत


’नवंबर 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 नवंबर, बुधवार करवा चैथ

1 नवंबर, बुधवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

5 नवंबर, रविवार अहोई अष्टमी

5 नवंबर, रविवार कालाष्टमी

9 नवंबर, गुरुवार गोवत्स द्वादशी

9 नवंबर, गुरुवार वैष्णव रमा एकादशी

9 नवंबर, गुरुवार रमा एकादशी

10 नवंबर, शुक्रवार प्रदोष व्रत, धनतेरस

11 नवंबर, शनिवार मास शिवरात्रि

12 नवंबर, रविवार  दिवाली, नरक चतुर्दशी

13 नवंबर, सोमवार अमावस्या, सोमवार व्रत

14 नवंबर, मंगलवार अन्नकूट, गोवर्धन पूजा

15 नवंबर, बुधवार भाई दूज

16 नवंबर, गुरुवार वरद चतुर्थी

17 नवंबर, शुक्रवार वृच्छिक संक्रांति

18 नवंबर, शनिवार लाभ पंचमी, षष्ठी

19 नवंबर, रविवार छठ पूजा

20 नवंबर, सोमवार गोपाष्टमी, दुर्गाष्टमी व्रत

21 नवंबर, मंगलवार अक्षय नवमी

22 नवंबर, बुधवार कंश वध

23 नवंबर, गुरुवार प्रबोधिनी एकादशी

24 नवंबर, शुक्रवार तुलसी विवाह

25 नवंबर, शनिवार प्रदोष व्रत

26 नवंबर, रविवार मणिकर्णिका स्नान

26 नवंबर, रविवार देव दिवाली

27 नवंबर, सोमवार कार्तिक स्नान समाप्त

27 नवंबर, सोमवार पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा

28 नवंबर, मंगलवार रोहिणी व्रत

30 नवंबर, गुरुवार सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत

30 नवंबर, गुरुवार संकष्टी गणेश चतुर्थी

30 नवंबर, गुरुवार झंडा दिवस


’दिसंबर 2023 कैलेंडर व्रत एवं त्यौहार’


1 दिसंबर, शुक्रवार विश्व एड्स दिवस

4 दिसंबर, सोमवार भारतीय नौसेना दिवस

5 दिसंबर, मंगलवार कालभैरव जयंती, कालाष्टमी

8 दिसंबर, शुक्रवार उतपन्न एकादशी

10 दिसंबर, रविवार प्रदोष व्रत

11 दिसंबर, सोमवार मास शिवरात्रि

12 दिसंबर, मंगलवार भौमवती अमावस्या

12 दिसंबर, मंगलवार गौरी तपो व्रत

12 दिसंबर, मंगलवार अमावस्या

13 दिसंबर, बुधवार हेमंत ऋतू

16 दिसंबर, शनिवार वरद चतुर्थी

16 दिसंबर, शनिवार धनु संक्रांति

17 दिसंबर, रविवार विवाह पंचमी

18 दिसंबर, सोमवार षष्ठी, सोमवार व्रत

20 दिसंबर, बुधवार दुर्गाष्टमी व्रत

22 दिसंबर, शुक्रवार मोक्षदा एकादशी

22 दिसंबर, शुक्रवार गीता जयंती

23 दिसंबर, शनिवार वैकुण्ड़ एकादशी

24 दिसंबर, रविवार अनंग त्रयोदशी व्रत

24 दिसंबर, रविवार प्रदोष व्रत

24 दिसंबर, रविवार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

25 दिसंबर, सोमवार रोहिणी व्रत, क्रिसमस

26 दिसंबर, मंगलवार अन्नपूर्णा जयंती, पूर्णिमा व्रत

26 दिसंबर, मंगलवार मार्गशीर्ष पूर्णिमा

30 दिसंबर, शनिवार संकष्टी गणेश चतुर्थी  .


Saturday, December 24, 2022

अंतिम समय में व्यक्ति के मुंह में क्यों दिया जाता है तुलसी और गंगाजल

हिन्दू धर्म में गंगाजल और तुलसी का मिलन बहुत ही पवित्र माना जाता है।। गंगा जहां शिव से संबंध रखती है वहीं तुलसी श्रीहिर विष्णु से।। दुनिया के सभी जलों में सबसे पवित्र जल गंगा के जल को माना जाता है और तुसली को सबसे पवित्र पौधा माना जाता है।। मरते वक्त या मरने के बाद या किसी के प्राण तन से नहीं निकल रहे हैं तो उसके मुंह में तुसली के साथ गंगा जल डाला जाता है।। ऐसा क्यूं करते हैं? आइये इस रहस्य को जानते हैं।।
1. मान्यता अनुसार कहते हैं कि मुंह में गंगाजल और तुलसी रखने से यम के दूत यानी यमदूत मृतक की आत्मा को सताते नहीं है।।
2. मान्यता अनुसार गंगाजल और तुसली रखने से तन से प्राणा आसानी से निकल जाते हैं और किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है।।
3. यह भी कहते हैं कि मरने वाला व्यक्ति भूखा और प्यासा नहीं मरे इसलिए उसके मुंह में तुलसी के साथ गंगाजल रखा जाता है।। भूखा प्यासा व्यक्ति अतृप्त होकर भटकता रहता है।।
4. तुलसी हमेशा भगवान व‌िष्णु के स‌िर पर शोभित होती हैं, मृत्यु के समय तुलसी पत्ता मुंह में डालने से व्यक्त‌ि को यमदंड का सामना नहीं करना पड़ता है।।
5. गंगा को मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।। इसीलिए ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।। गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी।।
6. गंगाजल का पानी बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु के कारण कभी सड़ता नहीं है।। यदि किसी को गंगा जल पिला दिया जाए तो यह जीवाणु उसके शरीर में चला जाएगा और शरीर के भीतर गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को यह नष्ट कर देगा।। इसीलिए गंगाजल मुंह में डाला जाता है।। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।। ऐसा भी मान्यता है कि कभी इसे पीने से कोई मरता हुआ व्यक्ति पुन: जीने की राह पर निकल पड़े।। तुलसी का पत्ता भी व्यक्ति में जिवेषणा का संचार करता है।।
7. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है।। इस कारण मरते हुए व्यक्ति को गंगाजल पिलाया जाता है।। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है।।
8. तुलसी और गंगाजल के साथ मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने का टुकड़ा रखने का भी प्रचलन है।। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।।
9. दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।। मरने वालों को तुलसी खिलाने से उसके शरीर का शुद्धीकरण हो जाता है और वह अच्छा महसूस करता है।।
10. तुलसी एक औषधि भी है।। मरते समय तुलसी का पत्ता मुंह में रखने से प्राण त्यागने में कष्ट नहीं होता है क्योंकि इससे सात्विक भाव और निर्भिकता का भाव जन्मता है।।

Friday, December 23, 2022

एक मरती हुई नस्ल- हिन्दू

 साल 1914 में यूएन मुखर्जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी

नाम था... 
 हिन्दू - एक मरती हुई नस्ल

** सोचिए 108 साल पहले,
उन्हें पता था!!

** 1911 की जनगणना को देखकर ही 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी।

** उस समय संघ नहीं था, 
सावरकर नहीं थे,हिन्दू महासभा नहीं थी।

** तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी राजनैतिक विचारधारा  वाले सेक्युलर हिन्दू नहीं देख पा रहे।

** इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे।
अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ। 
आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो.....
   एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।

** 1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना। 

** लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी 1915 में ही देख लिया था। 

** गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।
 

** जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी और मुसलमानों के लिए..... 
  शरीयत की छूट, 
  धर्मांतरण की छूट, 
  चार शादी की छूट, 
  अलग पर्सनल लॉ की छूट, 
  हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट,
सब कुछ स्टैंड बाय में है। 

** हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं, 
वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।

** जो लोग इसे केवल राजनीति समझते हैं उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है? 

** आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं,
हम अपना नुकसान।

** हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है। 

** आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें, लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।

** मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

** अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा भविष्य देना चाहते हैं।
मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।

** अपने समय का एक समय,
अपनी कमाई का एक हिस्सा,
बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये, 
अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए। 

** नहीं तो.... आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम, चौथी बीवी या  फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे। 

#Hindu dying race नहीं है,
हम सनातन हैं।

** और ये आखिरी सदी है,
जब हम लड़ सकते हैं।
इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।

** बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए.....

* एक हिन्दू महिला ( नुपुर शर्मा ) के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 25% है *

** गम्भीरता से सोचिए...... 
आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, पोस्टर चिपका रहे हैं, जहां आप बाहुल्य समाज हैं.

* उनका दुस्साहस देखिए आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया। *

** ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे हैं।

** यहां मसला केवल एक महिला का नही बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है, जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है।

** समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है, वरना देश जंगलराज हो जाएगा।

* इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए। *

** मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए....

** आप घिर चुके हैं......

** ठीक उसी प्रकार जैसे....
   शतरंज मे राजा को प्यादे,
   जंगल मे शेर को भेड़िए,
   और चक्रव्यूह में अभिमन्यु.......

** शरजील इमाम ने "चिकेन नेक" की बात की, आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है, और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है।

** आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए अपना लैपटाप बनवाने मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप "बिजनेस जिहाद" कितना हावी हो चुका है।

** गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग "चेक मेट" हो चुके हैं, 
अब हर जगह इनका कब्जा हो चुका है!

** उतने जमीन पर आप के मंदिर नही हैं जितनी जमीनें उनके पास "कब्रिस्तान" के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं! 

  एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हम-मजहब है, चैन से लगायत बटन तक के सप्लायर नमाजी हैं! ढाबे उनके, होटल उनके, ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का ड्राइवर सब जुमा वाले हैं।

** आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए नहीं पाएंगे, वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है।

** घिर चुके हैं आप !

** उपाय इसका इतना आसान नही है, गहराई से काम करना होगा, अपनी दुकानें बनानी होंगी, अपना भाई हर जगह बैठाना होगा।

** वरना #गजवा_ए_हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है।

** शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं।

** आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए हर जगह आप को नारा ए तकबील "अल्लाहु अकबर"!! सुनाई देगा......

** और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।

** बस एक जवाब लिख दीजिए... और बता दीजिए कि "कब जागेंगे आप"??
कब तक सेकुलर का चोला ओढ़े रहेंगे..?

कोरोनावायरस का नया संस्करण COVID-Omicron XBB

   आइए निम्नलिखित सूचनाओं पर ध्यान दें:


  सभी को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि COVID-Omicron XBB कोरोनावायरस का नया संस्करण अलग, घातक और सही तरीके से पता लगाना आसान नहीं है।

  नए वायरस COVID-Omicron XBB के लक्षण निम्नलिखित हैं:


      1. खांसी नहीं होती है।
      2. बुखार नहीं है।

    इनमें से कुछ सीमित संख्या में ही होंगे:

      3. जोड़ों का दर्द।
      4. सिरदर्द।
      5. गर्दन में दर्द।
      6. ऊपरी कमर दर्द।
      7. निमोनिया।
      8. आमतौर पर भूख नहीं लगती है।


  COVID-Omicron XBB डेल्टा संस्करण की तुलना में 5 गुना अधिक विषैला है और इसकी तुलना में मृत्यु दर अधिक है।

  स्थिति को चरम गंभीरता तक पहुंचने में कम समय लगता है और कभी-कभी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।

  आइए अधिक सावधान रहें!

  वायरस का यह तनाव नासॉफिरिन्जियल क्षेत्र में नहीं पाया जाता है और अपेक्षाकृत कम समय के लिए सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है।

  कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी के निदान वाले कई रोगियों को ज्वरनाशक और दर्द रहित के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन एक्स-रे में हल्का छाती निमोनिया दिखा।

  कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी के लिए नेज़ल स्वैब परीक्षण अक्सर नकारात्मक होते हैं, और झूठे नकारात्मक नासॉफिरिन्जियल परीक्षणों के मामले बढ़ रहे हैं।

  इसका मतलब है कि वायरस समुदाय में फैल सकता है और सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है, जिससे वायरल निमोनिया हो सकता है, जो बदले में तीव्र श्वसन संकट का कारण बनता है।

  यह बताता है कि क्यों कोविड-ओमिक्रॉन एक्सबीबी बहुत संक्रामक, अत्यधिक विषैला और घातक बन गया है।

  सावधानी, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, खुले स्थानों में भी 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखें, डबल-लेयर मास्क पहनें, उपयुक्त मास्क पहनें, हाथों को बार-बार धोएं, भले ही हर कोई स्पर्शोन्मुख (खांसने या छींकने वाला) न हो।

  Covid-Omicron XBB की यह लहर Covid-19 की पहली लहर से भी घातक है।  इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा और कोरोनावायरस के खिलाफ कई प्रबलित सावधानियां बरतनी होंगी।

  अपने मित्रों और परिवार के साथ सतर्क संचार बनाए रखें।


जिंदगी बचाने के अचूक तरीके

1. *गले में कुछ फँस जाए- तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं*
एक बच्चे की 56 वर्षीय दादी घर पर टेलीविज़न देखते हुए फल खा रही थी। जब वो अपना सर हिला रही थी तब अचानक एक फल का टुकड़ा उसके गले में फँस गया। उसने अपने सीने को बहुत दबाया पर कुछ भी फायदा नहीं हुआ।
जब बच्चे ने दादी को परेशान देखा तो उसने पूछा कि "दादी माँ क्या आपके गले में कुछ फँस गया है?" वो कुछ भी उत्तर नहीं दे पाई।
"मुझे लगता है कि आपके गले में कुछ फँस गया है। अपने हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो" |
दादी माँ ने तुरंत अपने हाथ ऊपर कर दिए और वो जल्द ही फँसे हुए फल के टुकड़े को गले से बाहर थूकने में कामयाब हो गयी।
उसके पोते ने बताया कि ये बात उसने अपने विद्यालय में सीखी थी।
2. *सुबह उठते वक्त होने वाले शरीर के दर्द*
क्या आपको सुबह उठते वक्त शरीर में दर्द होता है? क्या आपको सुबह उठते वक्त गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस होती है? यदि आपको ये सब होता है तो आप क्या करें?
तब आप अपने पांव ऊपर उठाएं। अपने पांव के अंगूठे को बाहर की तरफ खेंचे और धीरे धीरे उसकी मालिश करें और घड़ी की दिशा में एवं घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएँ ।
3. *पांव में आने वाले बॉयटा या ऐठन*
यदि आपके बाएँ पांव में बॉयटा आया है तो अपने दाएँ हाथ को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठायें |
यदि ये बॉयटा आपके दाएँ पांव में आया है तो आप अपने बाएँ हाथ को जितना ऊपर ले जा सकते हैं ले जायें। इससे आपको तुरंत आराम आएगा।
4. *पांव का सुन्न होना*
यदि आपका बायां पांव सुन्न होता है तो अपने दाएं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटके दें। यदि आपका दायां पांव सुन्न है तो अपने बाऐं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटका दें।
5. *आधे शरीर में लकवा*
एक सिलाई की सुई लेकर तुरन्त ही कानों की लोलिका के सबसे नीचे वाले भाग में सुई चुभा कर एक एक बूंद खून निकालें | इससे रोगी को तुरंत आराम आ जायेगा। उस पर से सब पक्षाघात के लक्षण भी मिट जायेंगे।
6. *ह्रदय आघात की वजह से हृदय का रुकना*
ऐसे व्यक्ति के पांव से जुराबें उतार कर (यदि पहनी है तो) सुई से उसकी दसों पांव की उंगलियों में सुई चुभो कर एक एक बूंद रक्त की निकालें | इससे रोगी तुरन्त उठ जाएगा।
7. *यदि रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो*
चाहे ये दमा से हो या ध्वनि तंत्र की सूजन की वजह या और कोई कारण हो, जब तक कि रोगी का चेहरा सांस न ले पाने की वजह से लाल हो उसके नासिका के अग्रभाग पर सुई से छिद्र कर दो बून्द काला रक्त निकाल दें |
उपरोक्त सभी तरीकों से कोई खतरा नहीं है और ये केवल 10 सेकेंड में ही किये जा सकते हैं |
साभार भारतीय संस्कृती संस्थान


प्रकृति और ईश्वर का न्याय


जंगल में एक गर्भवती हिरनी शावक को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।

वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली भी कड़कने लगी।
उसने दायी ओर देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह बायीं ओर मुड़ी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड़ चुकी थी और पीछे मुड़ी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। प्रकृति और ईश्वर का चमत्कार देखिये। बिजली चमकी और तीर छोड़ते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम पूर्ण पुरुषार्थ के पश्चात भी चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश-अपयश, जय-पराजय, जीवन-मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।

सूर्य के 12 प्रकार

12:00 बजने के स्थान पर आदित्य लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं।
1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है ।एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।


2:00 बजने की स्थान पर अश्विन और लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं।
3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणः लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं ---- सतोगुण रजोगुण तमोगुण।
4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेद लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं -- ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद।
5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं ।
6:00 बजने के स्थान पर षड्र्स लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं ।
7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षि लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं ।
8:00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियां लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है ।
9:00 बजने के स्थान पर नव द्रव्यणि अभियान लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं।
10:00 बजने के स्थान पर दश दिशः लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है।
11:00 बजने के स्थान पर रुद्रा लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं। साभार



Thursday, December 22, 2022

गंगा जल


अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है ? सर्दी के मौसम में कई बार खांसी हो जाती है। जब डॉक्टर से खांसी ठीक नही हुई तो किसी ने बताया कि डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है ; तो डॉक्टर साहिब बोले- नहीं ! कई रोगों का इलाज भी है। दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिया और तीन दिन में खांसी ठीक हो गई। यह अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करता ही था, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाता था। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।


करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया। दिलचस्प ये है कि इस समय वैज्ञानिक भी पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की गजब की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई-कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है।
गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता है- जिसे हम अभी तक नहीं समझ पाए हैं। डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?
दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।
गंगा *माता* इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, जब तक अंग्रेज किसी बात को प्रमाणित नहीं करते तब तक भारतीय लोग सत्य नहीं मानते। भारतीय लोग हमारे सनातन ग्रन्थों में लिखी किसी भी बात को तब तक सत्य नहीं मानेंगे जब तक कि कोई विदेशी वैज्ञानिक या विदेशी संस्था उस बात की सत्यता की पुष्टि नहीं कर दे। इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिये गये हैं...
*हर हर गंगे...

Wednesday, December 21, 2022

पुराने लोगों की समझदारी टाइम मिले तो पढ़ लीजियेगा,,,,

 टाइम मिले तो पढ़ लीजियेगा,,,,

बचपन में हम देखते थे कि हल चलाते में अगर बैल गोबर मूत्र आदि करे तो किसान कुछ देर के लिए हल रोक देते थे ताकि बैल आराम से नित्यकर्म कर सके।
जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं!
यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा!


उस जमाने का देसी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है ! उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था!
टिटहरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है...हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टिटहरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था! उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी!
सब आस्तिक थे! दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था...यह एक सामान्य नियम था !
बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था!
बूढाबैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था...मरने तक उसकी सेवा होती थी!
उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है...अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें ? कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ?
जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था! माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे!
पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ?
वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवनरस खोज लेता था । वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था !
वह अतुल्य भारत था

गाय व भैंस के दूध में अंतर

 गाय व भैंस के दूध में अंतर

जो बहुत कम लोग जानते हैं
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भैंस अपने बच्चे से पीठ फेर कर बैठती है चाहे उसके बच्चे को कुत्ते खा जायें वह नहीं बचायेगी,
जबकि गाय के बच्चे के पास अनजान आदमी तो क्या शेर भी आ जाये तो जान दे देगी, परन्तु जीते जी बच्चे पर आँच नही आने देगी।
इसीलिए उसके दूध में स्नेह का गुण भरपूर होता है।
भैंस को गन्दगी पसन्द है, कीचड़ में लथपथ रहेगी,,
पर गाय अपने गोबर पर भी नहीं बैठेगी उसे स्वच्छता प्रिय है।
भैंस को घर से 2 किमी दूर तालाब में छोड़कर आ जाओ वह घर नहीं आ सकती उसकी याददास्त जीरो है।


गाय को घर से 5 किमी दूर छोड़ दो।
वह घर का रास्ता जानती है,आ जायेगी।
गाय के दूध में स्मृति तेज है।
दस भैंसों को बाँधकर 20 फुट दूर से उनके बच्चों को छोड़ दो, एक भी बच्चा अपनी माँ को नहीं पहचान सकता,
जबकि गौशालाओं में दिन भर गाय व बछड़े अलग-अलग शैड में रखते हैं, सायंकाल जब सबका माता से मिलन होता है तो सभी बच्चे (हजारों की स॔ख्या में) अपनी अपनी माँ को पहचान कर दूध पीते हैं, ये है गाय दूध की याददास्त।
जब भैंस का दूध निकालते हैं तो भैंस सारा दूध दे देती है,
परन्तु गाय थोड़ा-सा दूध ऊपर चढ़ा लेती है, और जब उसके बच्चे को छोड़ेंगे तो उस चढ़ाये दूध को उतार देती है।
ये गुण माँ के हैं जो भैंस मे नहीं हैं।
गली में बच्चे खेल रहे हों और भैंस भागती आ जाये तो बच्चों पर पैर अवश्य रखेगी…
लेकिन गाय आ जाये तो कभी भी बच्चों पर पैर नही रखेगी।
भैंस धूप और गर्मी सहन नहीं कर सकती…
जबकि गाय मई जून में भी धूप में बैठ सकती है।
भैंस का दूध तामसिक होता है….
जबकि गाय का सात्विक।
भैंस का दूध आलस्य भरा होता है, उसका बच्चा दिन भर ऐसे पड़ा रहेगा जैसेे भाँग खाकर पड़ा हो।
जब दूध निकालने का समय होगा तो मालिक उसे उठायेगा…
परन्तु गाय का बछड़ा इतना उछलेगा कि आप रस्सा खोल नहीं पायेंगे।
फिर भी लोग भैंस खरीदने में लाखों रुपए खर्च करते हैं….
जबकि गौमाता का दूध अमृत समान होता है।।
जय गौमाता