Thursday, January 19, 2023

कंघी

 एक युवा रोमन महिला की कंघी - उसे कब्र तक ले जाया गया।



यह कंघी एंटलर से बनी है, और 4 वीं या 5 वीं शताब्दी ईस्वी के अंत में दिनांकित है। यह विस्तृत रूप से सजाया गया कंघी विंचेस्टर के उत्तरी रोमन कब्रिस्तान में दफनाया गया एक युवा महिला की कब्र में पाया गया था। कंघी के मुख्य शरीर में रिंग-एंड-डॉट सजावट है, और अंतिम प्लेटें, अधिक रिंग-एंड-डॉट के साथ कट-आउट आकार हैं। पुरातत्वविदों का मानना है कि इस तरह के कॉम्बो को पहले सादा बनाया गया था, और फिर ऑर्डर के लिए सजाया गया था। लोकप्रिय रूपांकनों में उल्लू, डॉल्फिन और घोड़े थे। विश्वास की आंख से, यह देखा जा सकता है कि यह एक घोड़े की कंघी है- अंतिम प्लेट की सजावट घोड़ों के सिर के विरोधी जोड़े की तरह दिखती है।

Monday, January 16, 2023

मकर संक्रांति का महत्व

58 दिन बाणों की शैया पर बिताने के बाद मकर संक्राति को भीष्म पितामह ने त्यागे थे प्राण, इच्छा मृत्यु का वरदान था प्राप्त
18 दिनों तक चले महाभारत के युद्ध में 10 दिन तक लगातार भीष्म पितामह लड़े थे।
महर्षि वेदव्यास की महान रचना महाभारत ग्रंथ के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे एकमात्र ऐसे पात्र है जो महाभारत में शुरूआत से अंत तक बने रहे। 18 दिनों तक चले महाभारत के युद्ध में 10 दिन तक लगातार भीष्म पितामह लड़े थे। पितामह भीष्म के युद्ध कौशल से व्याकुल पाण्डवों को स्वयं पितामह ने अपनी मृत्यु का उपाय बताया। भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहे लेकिन अपना शरीर नहीं त्यागा क्योंकि वे चाहते थे कि जिस दिन सूर्य उत्तरायण होगा तभी वे अपने प्राणों का त्याग करेंगे।
1.भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था इसलिए उन्होने स्वंय ही अपने प्राणों का सूर्य उत्तरायण यानी कि मकर संक्राति के दिन त्याग किया।
2.जिस समय महाभारत का युद्ध चला कहते हैं उस समय अर्जुन की उम्र 55 वर्ष, भगवान कृष्ण की उम्र 83 वर्ष और भीष्म पितामह की उम्र 150 वर्ष के लगभग थी।
3.भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान स्वयं उनके पिता राजा शांतनु द्वारा दिया गया था क्योंकि अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए भीष्म पितामह ने अखंड ब्रह्मचार्य की प्रतिज्ञा ली थी।
4.कहते हैं कि भीष्म पितामह के पिता राजा शांतनु एक कन्या से विवाह करना चाहते थे जिसका नाम सत्यवती था। लेकिन सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु से अपनी पुत्री का विवाह तभी करने की शर्त रखी जब सत्यवती के गर्भ से उत्पन्न शिशु को ही वे अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित करेंगे।
5.राजा शांतनु इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उन्होने तो पहले ही भीष्म पितामह को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
6.सत्यवती के पिता की बात को अस्वीकार करने के बाद राजा शांतनु सत्यवती के वियोग में रहने लगे। भीष्म पितामह को अपने पिता की चिंता की जानकारी हुई तो उन्होने तुरंत अजीवन अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा ली।
7.भीष्म पितामह ने सत्यवती के पिता से उनका हाथ राजा शांतनु को देने को कहा और स्वयं के अाजीवन अविवहित रहने का बात कही जिससे उनकी कोई संतान राज्य पर अपना हक ना जता सके।
8.इसके बाद भीष्म पितामह ने सत्यवती को अपने पिता राजा शांतनु को सौंपा। राजा शांतनु अपने पुत्र की पितृभक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हे इच्छा मृत्यु का वरदान दिया।
9.धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से कहा जाता है कि भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण यानी कि मकर संक्राति के दिन 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद अपने वरदान स्वरूप इच्छा मृत्यु प्राप्त की ।
10.सूर्य उत्तरायण के दिन मृत्यु को प्राप्त होने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस दिन भगवान की पूजा का विशेष महत्व है।
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है , भीष्म पितामह भी गंगा पुत्र थे ।

Saturday, January 14, 2023

कर्म भोग

Ⓜ पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नि, प्रेमी-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं, सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।
Ⓜ *सन्तान के रुप में कौन आता है ?*
Ⓜ वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का 'सम्बन्धी' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है --
Ⓜ *ऋणानुबन्ध 😘 पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा, जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये ।
Ⓜ *शत्रु पुत्र 😘 पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा ।
Ⓜ *उदासीन पुत्र 😘 इस प्रकार की सन्तान ना तो माता-पिता की सेवा करती है और ना ही कोई सुख देती है । बस, उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । विवाह होने पर यह माता-पिता से अलग हो जाते हैं ।
Ⓜ *सेवक पुत्र 😘 पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिए आपका पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपकी सेवा करता है । जो बोया है, वही तो काटोगे । अपने माँ-बाप की सेवा की है तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी, वर्ना कोई पानी पिलाने वाला भी पास नहीं होगा ।
Ⓜ आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती हैं । इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है । जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है । यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी । यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा और आपसे बदला लेगा ।
Ⓜ इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा ना करें । क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे, उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी । यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं । यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये ।
Ⓜ ज़रा सोचिये, "आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ? जो चले गये, वो कितना सोना-चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना-चाँदी, धन-दौलत बैंक में पड़ा रह गया, समझो वो व्यर्थ ही कमाया । औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है, खुद ही खा-कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ, वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।"
Ⓜ मैं, मेरा, तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा, कुछ भी साथ नहीं जायेगा । साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ *नेकियाँ* ही साथ जायेंगी । इसलिए जितना हो सके *नेकी* कर, *सतकर्म* कर ।

Wednesday, January 11, 2023

महर्षि दयानन्द कौन थे?

* एक ऐसे ब्रह्मास्त्र थे जिन्हें कोई भी पोप, पादरी, मौलवी, अघोरी, ओझा, तान्त्रिक हरा नहीं पाया और न ही उन पर अपना कोई मंत्र, तंत्र या किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव छोड़ पाया।


* एक ऐसा वेद का ज्ञाता जिसने सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया में वेद का डंका बजाया था।

* एक ऐसा ईश्वर भक्त, जिसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अपना घर ही त्याग दिया था।

* एक ऐसा महान् व्यक्ति जिसने लाखों की संपत्ति को ठोकर मार दी, पर सत्य की राह से विचलित नहीं हुआ।

* एक ऐसा दानी जिसने अपनी गुरु दक्षिणा में अपना सम्पूर्ण जीवन ही दान दे दिया!!

* एक ऐसा क्रान्तिकारी विचारक जिसने न जाने कितने लोगों के अन्दर क्रान्ति की भावना को पोषित किया।

* एक ऐसा स्वदेशभक्त जिसने सबसे पहले स्वदेशीय राज्य को सर्वोपरि कहा और अंग्रेजों के सामने ही उनका राज्य समस्त विश्व से नष्ट होने की बात कही।
 
* एक ऐसा गौरक्षक व गौ प्रेमी जिसने सबसे पहले गौ रक्षा हेतु "गोरक्षिणी सभा" बनाई व इसके नियमों का प्रतिपादन किया।

* एक ऐसा निडर व्यक्ति जिसने निर्भीक होकर समाज की कुप्रथाओं, कुरीतियों पर प्रहार किया।

* एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी भी सत्य से समझौता नहीं किया।

* एक ऐसा धर्म धुरन्धर जो केवल वेद का ही नहीं, अपितु कुरान, पुराण, बाइबल, त्रिपिटक व अन्य मज़हबों व मत-मतान्तरों के ग्रन्थों का ज्ञान रखता था।

* एक ऐसा सत्य का पुजारी जो अपनी हर बात डंके की चोट पर कहता था।

* एक ऐसा धर्म धुरन्धर जिसने सभी पाखण्डों का खण्डन कर सत्य की राह दिखाई।

* एक ऐसा धर्म धुरन्धर जिसने इस देश का धर्मान्तरण (ईसाइयत व इस्लामीकरण) होने से केवल रोका ही नहीं, वरन् शुद्धि व घर वापसी द्वारा देश का उद्धार किया।

* एक ऐसा सत्यनिष्ठ जिसे किसी प्रकार के लोभ व लालच विचलित नहीं कर पाये।

* एक ऐसा ऋषि जिसने यज्ञ, योग व पुरातन ऋषि महर्षियों के ज्ञान को पुनः स्थापित कराया।

* एक ऐसा ज्ञानी जिसने पाणिनि, जैमिनी, ब्रह्मा, चरक, सुश्रुत आदि ऋषिकृत ग्रन्थों का उद्धार किया।

* एक ऐसा ऋषि जिसने ऋषियों के नाम से बनाए गए सभी असत्य ग्रन्थों का भण्डा फोड़ा व हमारे ऋषियों के नाम पर लगे दाग को मिटाया।

* एक ऐसा समाज सुधारक जिसने सबसे पहले सती प्रथा, बाल-विवाह जैसीे कुप्रथाओं पर प्रहार कर समस्त भारत में नारी की प्रतिष्ठा को समाज मे पुनः स्थापित कराया।

* एक ऐसा समाज सुधारक जिसने माँसाहार व शाकाहार में भेद स्पष्ट कर समाज को पुनः शाकाहार के रास्ते पर चलाया।

* एक ऐसा साहसी व्यक्ति जिसका साहस अपमान, तिरस्कार से कम नहीं हुआ, बल्कि और भी दृढ़ हुआ।

* एक ऐसा समाज सुधारक जिसने केवल भारत के लिए ही नहीं, अपितु विश्व के कल्याण की भावना से निस्वार्थ काम किया।

* धन्य है ऋषिवर दयानन्द! आपके उपकार न जाने कितने हैं!! लाठी पत्थर खा कर के भी लोगों द्वारा कई बार दिए गए ज़हर के बावजूद भी आप एक बार भी अपने पथ से नहीं डगमगाये!

* हे आर्यो, मेरी लेखनी में इतने शब्द नहीं जो मैं महर्षि के उपकारों को लिख सकूँ, गागर में सागर नहीं भरा जा सकता।

* हे ऋषिवर, आपको कोटि कोटि नमन। 

स्वदेशी "कपड़ा मिल"

 एक जमाना था .. कानपुर की "कपड़ा मिल" विश्व प्रसिद्ध थीं कानपुर को "ईस्ट का मैन्चेस्टर" बोला जाता था।

लाल इमली जैसी फ़ैक्टरी के कपड़े प्रेस्टीज सिम्बल होते थे. वह सब कुछ था जो एक औद्योगिक शहर में होना चाहिए।
मिल का साइरन बजते ही हजारों मज़दूर साइकिल पर सवार टिफ़िन लेकर फ़ैक्टरी की ड्रेस में मिल जाते थे। बच्चे स्कूल जाते थे। पत्नियाँ घरेलू कार्य करतीं । और इन लाखों मज़दूरों के साथ ही लाखों सेल्समैन, मैनेजर, क्लर्क सबकी रोज़ी रोटी चल रही थी।


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फ़िर "कम्युनिस्टो" की निगाहें कानपुर पर पड़ीं.. तभी से....बेड़ा गर्क हो गया।
"आठ घंटे मेहनत मज़दूर करे और गाड़ी से चले मालिक।"
ढेरों हिंसक घटनाएँ हुईं,
मिल मालिक तक को मारा पीटा भी गया।
नारा दिया गया
"काम के घंटे चार करो, बेकारी को दूर करो"
अलाली किसे नहीं अच्छी लगती है. ढेरों मिडल क्लास भी कॉम्युनिस्ट समर्थक हो गया। "मज़दूरों को आराम मिलना चाहिए, ये उद्योग खून चूसते हैं।"
कानपुर में "कम्युनिस्ट सांसद" बनी सुभाषिनी अली । बस यही टारगेट था, कम्युनिस्ट को अपना सांसद बनाने के लिए यह सब पॉलिटिक्स कर ली थी ।
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अंततः वह दिन आ ही गया जब कानपुर के मिल मज़दूरों को मेहनत करने से छुट्टी मिल गई। मिलों पर ताला डाल दिया गया।
मिल मालिक आज पहले से शानदार गाड़ियों में घूमते हैं (उन्होंने अहमदाबाद में कारख़ाने खोल दिए।) कानपुर की मिल बंद होकर भी ज़मीन के रूप में उन्हें (मिल मालिकों को) अरबों देगी। उनको फर्क नहीं पड़ा ..( क्योंकि मिल मालिकों कभी कम्युनिस्ट के झांसे में नही आए !)
कानपुर के वो 8 घंटे यूनिफॉर्म में काम करने वाला मज़दूर 12 घंटे रिक्शा चलाने पर विवश हुआ .. !! (जब खुद को समझ नही थी तो कम्युनिस्ट के झांसे में क्यों आ जाते हो ??)
स्कूल जाने वाले बच्चे कबाड़ बीनने लगे...
और वो मध्यम वर्ग जिसकी आँखों में मज़दूर को काम करता देख खून उतरता था, अधिसंख्य को जीवन में दुबारा कोई नौकरी ना मिली। एक बड़ी जनसंख्या ने अपना जीवन "बेरोज़गार" रहते हुए "डिप्रेशन" में काटा।
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"कॉम्युनिस्ट अफ़ीम" बहुत "घातक" होती है, उन्हें ही सबसे पहले मारती है, जो इसके चक्कर में पड़ते हैं..!
कॉम्युनिज़म का बेसिक प्रिन्सिपल यह है :
"दो क्लास के बीच पहले अंतर दिखाना, फ़िर इस अंतर की वजह से झगड़ा करवाना और फ़िर दोनों ही क्लास को ख़त्म कर देना"!

अख़बार बेचने वाला

 अख़बार बेचने वाला 10 वर्षीय बालक एक मकान का गेट बजा रहा है।

मालकिन - बाहर आकर पूछी क्या है ?
बालक - आंटी जी क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं ?
मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना है, और आज अखबार नही लाया ।
बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में.. "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा,आज अखबार नही छपा,कल छुट्टी थी दशहरे की ।"
मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा ?"
बालक - पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना।"
मालकिन- ओह !! आ जाओ अच्छे से काम करना ।
(लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ..मालकिन बुदबुदायी।)
मालकिन- ऐ लड़के..पहले खाना खा ले, फिर काम करना ।
बालक -नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना।
मालकिन - ठीक है, कहकर अपने काम में लग गयी।
बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं।
मालकिन -अरे वाह! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए। यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ।
जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया, बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना रखने लगा।
मालकिन - भूखे काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठकर खा ले। जरूरत होगी तो और दे दूंगी।
बालक - नहीं आंटी, मेरी बीमार माँ घर पर है,सरकारी अस्पताल से दवा तो मिल गयी है,पर डाॅ साहब ने कहा है दवा खाली पेट नहीं खाना है।
मालकिन की पलके गीली हो गई..और अपने हाथों से मासूम को उसकी दूसरी माँ बनकर खाना खिलाया फिर उसकी माँ के लिए रोटियां बनाई और साथ उसके घर जाकर उसकी माँ को रोटियां दे आयी । और आते आते कह कर आयी "बहन आप बहुत अमीर हो जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है वो हम अपने बच्चों को नहीं दे पाते हैं" ।
माँ बेटे की तरफ डबडबाई आंखों से देखे जा रही थी...बेटा बीमार मां से लिपट गया

Tuesday, January 10, 2023

कौन सा पति खरीदूँ?

 *कौन सा पति खरीदूँ...?*

शहर के बाज़ार में एक बड़ी दुकान खुली जिस पर लिखा था - *“यहाँ आप पतियों को ख़रीद सकती है |”*
देखते ही देखते औरतों का एक हुजूम वहां जमा होने लगा. सभी दुकान में दाख़िल होने के लिए बेचैन थी, लंबी क़तारें लग गयी.दुकान के मैन गेट पर लिखा था -
*“पति ख़रीदने के लिए निम्न शर्ते लागू”* 👇👇👇
✡ *इस दुकान में कोई भी औरत सिर्फ एक बार ही दाख़िल हो सकती है, आधार कार्ड लाना आवश्यक है ...*
✡ *दुकान की 6 मंज़िले है, और प्रत्येक मंजिल पर पतियों के प्रकार के बारे में लिखा है....*
✡ *ख़रीदार औरत किसी भी मंजिल से अपना पति चुन सकती है....*
✡ *लेकिन एक बार ऊपर जाने के बाद दोबारा नीचे नहीं आ सकती, सिवाय बाहर जाने के...*
एक खुबसूरत लड़की को दूकान में दाख़िल होने का मौक़ा मिला...*पहली मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है और नेक है."*लड़की आगे बढ़ी ..दूसरी मंजिल*
पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और बच्चों को पसंद करते है.”*लड़की फिर आगे बढ़ी ...*तीसरी मंजिल* के दरवाजे पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और खुबसूरत भी है.”*यह पढ़कर लड़की कुछ देर के लिए रुक गयी मगर यह सोचकर कि चलो ऊपर की मंजिल पर भी जाकर देखते है, वह आगे बढ़ी...*चौथी मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है, खुबसूरत भी है और घर के कामों में मदद भी करते है.”*
यह पढ़कर लड़की को चक्कर आने लगे और सोचने लगी *“क्या ऐसे पति अब भी इस दुनिया में होते है ?*
यहीं से एक पति ख़रीद लेती हूँ...लेकिन दिल ना माना तो एक और मंजिल ऊपर चली गयी...
*पांचवीं मंजिल* पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है , नेक है और खुबसूरत है , घर के कामों में मदद करते है और अपनी बीबियों से प्यार करते है.”*
अब इसकी अक़ल जवाब देने लगी वो सोचने लगी *इससे बेहतर और भला क्या हो सकता है ?* मगर फिर भी उसका दिल नहीं माना और आखरी मंजिल की तरफ क़दम बढाने लगी...
*आखरी मंजिल*
के दरवाज़े पर लिखा था - *“आप इस मंजिल पर आने वाली 3339 वीं औरत है , इस मंजिल पर कोई भी पति नहीं है , ये मंजिल सिर्फ इसलिए बनाई गयी है ताकि इस बात का सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिया जा सके कि महिलाओं को पूर्णत संतुष्ट करना नामुमकिन है.*
हमारे स्टोर पर आने का धन्यवाद ! बांयी ओर 8सीढियाँ है जो बाहर की तरफ जाती है !!
🙏🙏 *सांराश - आज समाज की सभी कन्याओं और वर पक्ष के माता पिता यह सब कर रहे है एवं 'अच्छा' और "अच्छा" ... के चक्कर में शादी की सही उम्र तो खत्म ही हो रही है.

Sunday, January 8, 2023

कदम्ब का वह वृक्ष जहां मां यशोदा को भगवान कृष्ण नें ब्रह्मांड के दर्शन कराये

 मान्यता है कि मथुरा के गोकुल में आज भी यमुना के तट पर कदम्ब का वह वृक्ष उपस्थित है जिसके नीचे माँ #यशोदा ने भगवान श्री #कृष्ण के मुख में पूरे ब्रह्माण्ड के दर्शन किए थे।

यह पवित्र स्थान आज भी #कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। ग्रंथों में, कदम्ब के इस पेड़ को बाल #कृष्ण की अठखेलियों से भी जोड़ा गया है। अध्यात्म की दृष्टि से यह पेड़ अत्यधिक पूजनीय है जहां भक्त, यमुना में डुबकी लगाने के बाद दर्शन करते हैं।



Saturday, January 7, 2023

शास्त्रानुसार पूजा अर्चना में वर्जित क्रियाएं

१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं।

२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं।
३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं।
४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं।
५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें।
६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें।
७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।
८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें।
९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं।
१०) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए।
११) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए।
१२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है।
१३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
१४) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।
१५) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो।
१६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है।
१७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है।
१८) रजस्वला स्त्री का पांच दिनों तक मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
१९) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें।
२०) शिवजी की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है।
२१) शिवलिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए।
२२) एक हाथ से प्रणाम न करें।
२३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए।
२४.१)चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे। 
२४.२) चरणामृत पीकर हाथों को सिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें।
२५) देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें।
२६) स्त्री द्वारा हनुमानजी शनिदेव को स्पर्श वर्जित है।
२७) कंवारी कन्याओं से पैर पडवाना पाप है।
२८) मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें।
२९) मंदिर में भीड़ होने पर  लाईन पर लगे हुए भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही अग्रसर होते रहें।
३0) शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है।
३१) मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए।
३२)घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो।
३४)हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें।
३५) मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए।
३६) मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों,दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें।
३७) आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें ।।  

सर्दी के मौसम में खाएं ये 9 चीजे, जो आपको अंदर से गर्म रखेगी

ठंड के मौसम में सर्दी के असर से बचने के लिए लोग गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन शरीर को चाहे कितने ही गर्म कपड़ों से ढक लिया जाए ठंड से लड़ने के लिए बॉडी में अंदरूनी गर्मी होनी चाहिए। शरीर में यदि अंदर से खुद को मौसम के हिसाब से ढालने की क्षमता हो तो ठंड कम लगेगी और कई बीमारियां भी नहीं होंगी। यही कारण है कि ठंड में खानपान पर विशेष रूप से ध्यान देने को आयुर्वेद में बहुत महत्व दिया गया है। सर्दियों में यदि खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाए तो शरीर संतुलित रहता है और सर्दी कम लगती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जानिए कुछ ऐसे ही खाने की चीजों के बारे में


*1- बाजरा* – कुछ अनाज शरीर को सबसे ज्यादा गर्मी देते है। बाजरा एक ऐसा ही अनाज है। सर्दी के दिनों में बाजरे की रोटी बनाकर खाएं। छोटे बच्चों को बाजरा की रोटी जरूर खाना चाहिए। इसमें कई स्वास्थ्यवर्धक गुण भी होते है। दूसरे अनाजों की अपेक्षा बाजरा में सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है। इसमें वह सभी गुण होते हैं, जिससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। ग्रामीण इलाकों में बाजरा से बनी रोटी व टिक्की को सबसे ज्यादा जाड़ो में पसंद किया जाता है। बाजरा में शरीर के लिए आवश्यक तत्व जैसे *मैग्नीशियम,कैल्शियम,मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन, फाइबर, विटामिन- बी, एंटीऑक्सीडेंट आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।*

*2. बादाम* – बादाम कई गुणों से भरपूर होते हैं। इसका नियमित सेवन अनेक बीमारियों से बचाव में मददगार है।अक्सर माना जाता है कि बादाम खाने से याददाश्त बढ़ती है, लेकिन यह ड्राय फ्रूट अन्य कई रोगों से हमारी रक्षा भी करता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है, जो सर्दियों में सबसे बड़ी दिक्कत होती है। बादाम में डायबिटीज को निंयत्रित करने का गुण होता है। *इसमें विटामिन – ई भरपूर मात्रा में होता है।*

*3. अदरक* – क्या आप जानते हैं कि रोजाना के खाने में अदरक शामिल कर बहुत सी छोटी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। सर्दियों में इसका किसी भी तरह से सेवन करने पर बहुत लाभ मिलता हैै। इससे शरीर को गर्मी मिलती है और डाइजेशन भी सही रहता है।

*4. शहद* – शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद को आयुर्वेद में अमृत भी कहा गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का उपयोग विशेष लाभकारी होता है। इन दिनों में अपने भोजन में शहद को जरूर शामिल करें। इससे पाचन क्रिया में सुधार होगा और इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ेगा।

*5. ओमेगा 3 फैटी एसिड –* सर्दियों में ओमेगा3 फैटी एसिड सबसे अच्छा फूड होता है। अखरोट का सेवन करें, इससे शरीर को गर्मी मिलती है। इसमें जिंक भरपूर मात्रा में होता है है। इसलिए यह शरीर का इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है व बीमारियों को दूर रखता है।

*6. रसीले फल न खाएं –* सर्दियों के दिनों में रसीले फलों का सेवन न करें। संतरा, रसभरी या मौसमी आपके शरीर को ठंडक देते है। जिससे आपको सर्दी या जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

*7. मूंगफली* – 100 ग्राम मूंगफली के भीतर ये तत्व मौजूद होते हैं: प्रोटीन- 25.3 ग्राम, नमी- 3 ग्राम, फैट्स- 40.1 ग्राम, मिनरल्स- 2.4 ग्राम, फाइबर- 3.1 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट- 26.1 ग्राम, ऊर्जा- 567 कैलोरी, कैल्शियम – 90 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 350 मिलीग्राम, आयरन-2.5 मिलीग्राम, कैरोटीन- 37 मिलीग्राम, थाइमिन- 0.90 मिलीग्राम, फोलिक एसिड- 20मिलीग्राम। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, मिनिरल्स आदि तत्व इसे बेहद फायदेमंद बनाते हैं। यकीनन इसके गुणों को जानने के बाद आप कम से कम इस सर्दियों में मूंगफली से टाइमपास करने का टाइम तो निकाल ही लेंगे।

*8. सब्जियां* – अपनी खुराक में हरी सब्जियों का सेवन करें। सब्जियां, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और गर्मी प्रदान करती है। सर्दियों के दिनों में मेथी, गाजर, चुकंदर, पालक, लहसुन बथुआ आदि का सेवन करें। इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

*9. तिल* – सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। तिल के तेल की मालिश करने से ठंड से बचाव होता है। तिल और मिश्री का काढ़ा बनाकर खांसी में पीने से जमा हुआ कफ निकल जाता है। तिल में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे, प्रोटीन, कैल्शियम, बी कॉम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि। प्राचीन समय से खूबसूरती बनाए रखने के लिए तिल का उपयोग किया जाता रहा ह !

लाल इमली

 एक जमाना था .. कानपुर की "कपड़ा मिल" विश्व प्रसिद्ध थीं कानपुर को "ईस्ट का मैन्चेस्टर" बोला जाता था।

लाल इमली जैसी फ़ैक्टरी के कपड़े प्रेस्टीज सिम्बल होते थे. वह सब कुछ था जो एक औद्योगिक शहर में होना चाहिए।
मिल का साइरन बजते ही हजारों मज़दूर साइकिल पर सवार टिफ़िन लेकर फ़ैक्टरी की ड्रेस में मिल जाते थे। बच्चे स्कूल जाते थे। पत्नियाँ घरेलू कार्य करतीं । और इन लाखों मज़दूरों के साथ ही लाखों सेल्समैन, मैनेजर, क्लर्क सबकी रोज़ी रोटी चल रही थी।
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फ़िर "कम्युनिस्टो" की निगाहें कानपुर पर पड़ीं.. तभी से....बेड़ा गर्क हो गया।
"आठ घंटे मेहनत मज़दूर करे और गाड़ी से चले मालिक।"
ढेरों हिंसक घटनाएँ हुईं,
मिल मालिक तक को मारा पीटा भी गया।
नारा दिया गया
"काम के घंटे चार करो, बेकारी को दूर करो"
अलाली किसे नहीं अच्छी लगती है. ढेरों मिडल क्लास भी कॉम्युनिस्ट समर्थक हो गया। "मज़दूरों को आराम मिलना चाहिए, ये उद्योग खून चूसते हैं।"
कानपुर में "कम्युनिस्ट सांसद" बनी सुभाषिनी अली । बस यही टारगेट था, कम्युनिस्ट को अपना सांसद बनाने के लिए यह सब पॉलिटिक्स कर ली थी ।
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अंततः वह दिन आ ही गया जब कानपुर के मिल मज़दूरों को मेहनत करने से छुट्टी मिल गई। मिलों पर ताला डाल दिया गया।
मिल मालिक आज पहले से शानदार गाड़ियों में घूमते हैं (उन्होंने अहमदाबाद में कारख़ाने खोल दिए।) कानपुर की मिल बंद होकर भी ज़मीन के रूप में उन्हें (मिल मालिकों को) अरबों देगी। उनको फर्क नहीं पड़ा ..( क्योंकि मिल मालिकों कभी कम्युनिस्ट के झांसे में नही आए !)
कानपुर के वो 8 घंटे यूनिफॉर्म में काम करने वाला मज़दूर 12 घंटे रिक्शा चलाने पर विवश हुआ .. !! (जब खुद को समझ नही थी तो कम्युनिस्ट के झांसे में क्यों आ जाते हो ??)
स्कूल जाने वाले बच्चे कबाड़ बीनने लगे...
और वो मध्यम वर्ग जिसकी आँखों में मज़दूर को काम करता देख खून उतरता था, अधिसंख्य को जीवन में दुबारा कोई नौकरी ना मिली। एक बड़ी जनसंख्या ने अपना जीवन "बेरोज़गार" रहते हुए "डिप्रेशन" में काटा।


 
"कॉम्युनिस्ट अफ़ीम" बहुत "घातक" होती है, उन्हें ही सबसे पहले मारती है, जो इसके चक्कर में पड़ते हैं..!
कॉम्युनिज़म का बेसिक प्रिन्सिपल यह है :
"दो क्लास के बीच पहले अंतर दिखाना, फ़िर इस अंतर की वजह से झगड़ा करवाना और फ़िर दोनों ही क्लास को ख़त्म कर देना"

Friday, January 6, 2023

माँ का सम्मान

*एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।*

  
*पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..!*

*माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली, "..मुझे भी बताइये, देखती हूँ...!*

*इसी बीच लड़का फटाक से बोला..."बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!"*

*अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लु से पोंछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।*

*ये बात  पिता ने तुरंत सुनी ...!  फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...!*

*जब तू गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था,  उसने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ....क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!*

*तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी.....क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!*

*जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब बस्ते में भरकर, फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़नी से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी.....क्योकि अनपढ़ थी ना ...!*

*बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे... तब वो रात- रात भर जागकर सुबह जल्दी उठती थी और काम पर लग जाती थी......क्योंकि वो अनपढ़ थी ना...!*
 
*तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये मेरे पीछे पड़ती थी, और खुद सालों तक एक ही साड़ी में रहती थी । क्योंकि वो अनपढ़ थी ना....!*

*बेटा .... पढ़े-लिखे लोग पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन तेरी माँ ने आज तक कभी नहीं देखा।*
*क्योंकि अनपढ़ है  ना वो...!*

*वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी...इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि तुम्हारी माँ अनपढ़ है...'*

*यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, और लिपटकर अपनी माँ से बोलता है.."माँ, मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं। लेकिन आप मेरे जीवन को 100% बनाने वाली पहली शिक्षक हैं।*

 *माँ, मुझे आज 90% अंक मिले हैं, फिर भी मैं अशिक्षित हूँ और आपके पास पीएचडी के ऊपर की उच्च डिग्री है।  क्योंकि आज मैंने अपनी माँ के अंदर छुपे रूप में, डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, इन सभी के दर्शन कर लिये !*

*प्रत्येक लड़का-लड़की जो अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, छोटे- मोटे कारणों के लिए क्रोधित होते हैं। उन्हें सोचना चाहिए, उनके लिए क्या-क्या कष्ट सहा है, उनके माता पिता ने ...*

Wednesday, January 4, 2023

गांधी बनना आसान नहीं

जो लोग रोज बखेड़ा करते,

    उल्टा सीधा कहते फिरते।
मैं उनको आज बताना चाहूं
   गांधी बनना आसान नहीं ।

जो लोगों को हैं समझाते ,
     गांधी को समकक्ष बताते। 
उनको मैं आज बताना चाहूं,
      गांधी शक्ति का उनको भान नहीं।

जो नींवों की अनदेखी करते,
    दीवारों की बम बम करते।
उनको मैं आज बताना चाहूं
   ‌नींव बनना आसान नहीं ।

पर तंत्र में विरुद्ध खड़ा होना,
   ग़लत नीतियों पर उसको धोना ।
 उनको मैं आज बताना चाहूं, 
   इतना छोटा भी काम नहीं।

आधी धोती पहनकर चलना,
    पद पैसे की चाह न रखना।
उनको मैं आज बताना चाहूं,
    यह और किसी के नाम नहीं।

निज हित से हो सराबोर,
     जो गांधी निंदा करते मुंहजोर ।
उनको मैं आज बताना चाहूं,
    गांधी जैसा किसी का काम नहीं।

     - हरी राम यादव
       स्वतंत्र लेखक एवं कवि