Wednesday, April 29, 2020

पवित्र रमजान : प्रशिक्षण का महीना "

रमजान वह पवित्र माह है जिसमें ईश्वर ने समस्त मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए पवित्र कुरआन अवतरित किया।इस्लाम की बुनियाद पाँच स्तम्भ पर है।उनमें रोजा भी एक अनिवार्य और मुख्य स्तंभ है जो इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक रमजान के महीने में होता है। सुबह से शाम तक खाना पीना से रूक जाना रोजा (उपवास) है।कैसा ही रूचिकर भोजन हो,कितनी ही भूख प्यास हो, इंसान खाने पीने से रूक जाता है।यहाँ तक कि कोई देखने वाला भी न हो तब भी एक बूँद पानी पीना भी मना है।इसके पीछे ईशपरायणता और परलोक का भय रहता है।ईश्वर के सर्वव्यापी और सर्वज्ञाता होने का विश्वास है।आखिरत के जीवन और अल्लाह की अदालत पर ईमान है।पवित्र कुरआन और जगत गुरु हजरत मुहम्मद (सल्ल०) के संदेशों का पूर्ण आज्ञापालन है। कर्तव्यपालन की प्रबल अनुभूति, धैर्य और संकटों के मुकाबले का अभ्यास है।ईश्वर की प्रसन्नता के बदले अपने मन की ईच्छाओं को रोकने और दबाने की शक्ति है।रोजा प्रत्येक वर्ष हमें प्रशिक्षित कर समस्त मानवीय गुणों का विकास करता है।हमदर्दी, प्रेम, नैतिक पवित्रता और आचरण सौंदर्य का विकास करता है।निर्धनों और अनाथों की सहायता की जाती है।रमजान के महीने में संपन्न, धनवान और खुशहाल लोगों को उपवास रखकर उस अवस्था का व्यवहारिक अनुभव होता है कि निर्धन दरिद्र अनाथ और जीविका सामग्री से वंचित लोगों को भूख किस तरह सताती होगी ? इस अनुभूति से संपन्न वर्ग के हृदय वंचित वर्ग के प्रति कोमल दयापूर्ण और कृपाशील बनते हैं।

                  जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है और सफल होने के लिए अच्छे कर्म की आवश्यकता है।रोजा केवल भूखे रहने का नाम नहीं अपितु बुराईयों को दूर करने और अच्छाइयों को फैलाने का नाम है।उपासना, जनसेवा और मानव कल्याण का नाम है।इसलिए आईए इस पवित्र कर्म के मूल उद्देश्यों को हम अपने जीवन में उतारें।

               ऐसे समय जबकि हमारा देश कोविड-19जैसे वैश्विक महामारी के चपेट में है, हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।हम अपनी ईशभक्ति और उपासना के माध्यम से जहाँ ईश्वर से यह प्रार्थना करें कि हमसबों को इस संकट से शीध्र मुक्ति दिलाए वहीं जरूरतमंदों की सेवा कर ज्यादा से ज्यादा पुण्य समेट सकें।आज हमारे सेवा की अहमियत और जरूरत ज्यादा बढ़ गई है। कोविड-19 से बचाव के मद्देनजर लाकडाउन का अनुपालन करते हुए अपनी सारी इबादतें घर पर ही करें और शारीरीक दूरी बनाए रखें।सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाए। मानवता की सेवा में तत्पर संगठनों को दान देकर उनके माध्यम से जनकल्याण के कार्य करें तथा पूरे विश्व को इस महामारी के संकटकाल से शीघ्र अति शीघ्र मुक्ति हेतु ईश्वर से दुआ करें।





 

 





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