Thursday, May 28, 2020

""कोरोना संकट के दौर मे कई प्राकृतिक बदलाव""

पिछले कुछ हफ्तों से देश के अलग -अलग क्षेत्रों से आग लगने की घटनाएं सामने आई साथ ही कहीं भूकंप के झटके लगे तो कहीं चक्रवात के चलते भारी जानमाल का नुकसान हुआ है l अब देखो दोस्त बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी के चलते उत्तराखंड के जंगलों में लगातार आग लगती जा रही है, पिछले 1 हफ्ते में आग लगने की करीब 45 घटनाएं सामने आई हैं , जिसके कारण 71 हेकटेयर से भी ज्यादा जमीन पूरी तरह से बर्बाद हो गई l दोस्तों कुछ लोगों की जानें भी गई ऐसी घटनाओं से प्राकृत के साथ असंतुलन होना लाजमी है, जो की चिंता का विषय है l

अगर हम सकारात्मक पहलू को देखें तो इस महामारी के कारण बहुत से सकारात्मक नजारा भी हमें देखने को मिल रहा है l जिस यमुना नदी को स्वच्छ करने के लिए ना जाने कितने बजट लाया गया कितनी योजनाएं बनी फिर भी स्वच्छ नहीं हो पाई वह इस लॉकडाउन के कारण बिल्कुल स्वच्छ हो चुकी ऐसे ही गंगा नदी और अन्य नदियों में देखने को मिल रहा हैं l देखा जाए तो दोस्त इस कोविड -19 जहां एक ओर दुनिया भर में कई बिकट चुनौतियां पैदा की है, वहीं दूसरी और प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत व जीवंत नजारे भी देखने को मिल रहे हैंl दोस्त इतिहास गवाह है की अतीत में जब-जब इस प्रकार की भयानक महामारी आई है तब - तब पर्यावरण ने सकारात्मक करवट भी लिया है l दोस्तों महामारियो का गहरा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है, इसलिए वर्तमान स्थिति को प्रकृति की ओर से  दी हुई ,चेतावनी समझनी होगी हमें जो मनुष्य की जीवन शैली और विकास प्रक्रिया के तौर-तरीकों को बदलने का अवसर प्रदान करता हैl वैसे भी दोस्तों यह वायरस मनुष्य और प्रकृति के बीच पैदा हुए प्राकृतिक असंतुलन का ही दुष्परिणाम है l ध्यान से देखें तो बढ़ती जनसंख्या ने शहरीकरण एवं औद्योगीकरण का विस्तार किया जिससे व्यापक स्तर पर खनिज संपदा घटी है ,और वनोपाज का दायरा सिमटता  जा रहा हैl इससे जैविक और प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति पैदा हुई है l पर्यावरणीय विसंगतियों का खुलासा करती विश्व मौसम  विज्ञान संगठन की रिपोर्ट ""द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट"" बताती है कि हाल के वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में बढ़ोतरी के कई रिकॉर्ड टूटे हैं l दोस्तों वर्ष 2019 सबसे गर्म वर्ष रहा है, वहीं वर्ष 2010 -2019 के दशक को सबसे गर्म दशक के रूप में रिकॉर्ड किया गया था ,और जिस प्रकार से इस वर्ष शुरुआत में ही तापमान बढ़ती जा रही है l  हम कह सकते हैं कि इस वर्ष भी सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया जाएगा l कहीं ना कहीं प्राकृत के साथ हम तालमेल नहीं बैठा पाए l  इसी का यह सब नतीजा है l दोस्तों हमें अपने जैव- विविधता को नुकसान अब नहीं पहुंचाना है , दोस्तो  हमारे चोट पहुंचाने के कारण ही  इतना खतरनाक असंतुलन पैदा हो रहा है l संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि भी कर चुका है कि मनुष्यों में हर 4 महीने में एक नई संक्रामक बीमारी सामने आ रही है l देखा जाए तो इन बीमारियों में से करीब 75 फीसदी बीमारी जानवरों से आती है l इसके बावजूद हम इंसान यह भूलते जा रहे हैं कि जैव -विविधता को चोट पहुंचाना कितना खतरनाक है l दोस्त ध्यान से देखो आज आधुनिकता व वैज्ञानिकता का दंभ भरने वाली तमाम आर्थिक शक्तियां इस बीमारी के आगे विवश हैं दोस्तों इस बीमारी का दवा खोज लेंगे फिर भी तब तक बहुत कुछ तबाह हो चुका होगा l इसलिए अगर हम वाकई में आर्थिक विकास और संवहनीयता के बीच अस्तित्व की भावना हमें बनाए रखनी होगी और हमें उपभोग और जीवनशैली को इस तरह बनाना होगा जिससे प्रकृति पर नकारात्मक असर नहीं पड़े, हमें अपने प्रकृति के साथ न्याय करना होगा l आप देख रहे हो दोस्तों देश की राजधानी दिल्ली कभी प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर आया करता था , लेकिन इस लॉकडाउन के कारण आज बिल्कुल प्रदूषण मुक्त दिल्ली है l इसलिए आगे भी हमें अपने प्रकृति के साथ न्याय करना है l तभी हमारी और हमारे आने वाले भविष्य का जीवन सुरक्षित रह पाएगा l मेरे प्रिय मित्रों जितना संभव हो सके पेड़ को लगाने का प्रयास करें और दूसरों को भी प्रेरित करें, और साथ में इस वैश्विक महामारी मे जो भी वंचित तबका आपकी नजरों से दिखे अगर आप सामर्थ हैं ,उसकी मदद के लिए तो जरूर करने का प्रयास करें जिस प्रकार से आप कर सकते हैं ,करें आप सब से मेरा यह अनुरोध है l 

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