Wednesday, February 5, 2020

बोर्ड परीक्षा सकुशल संपन्न कराने हेतु तैनात किये गये मजिस्ट्रेट

बलरामपुर। आगामी 18 फरवरी, 2020 से प्रांरभ हो रहे हाईस्कूल एवं इण्टरमीडियट की बोर्ड परीक्षा को निष्पक्ष, निर्विघ्न, शांतिपूर्ण एवं नकलविहीन संपन्न कराये जाने हेतु जिला मजिस्ट्रेट कृष्णा करुणेश द्वारा 03 जोनल, 13 सेक्टर मजिस्ट्रेट व 04 स्टेटिक मजिस्ट्रेट नियुक्त किये गये है। जनपद में कुल 53 परीक्षा केन्द्र बनाये गये है, संबन्धित मजिस्ट्रेट परीक्षा केन्द्रों पर शांतिपूर्ण एवं नकलविहीन परीक्षा कराया जाना सुनिश्चित करेंगें। जनपद के तीनों तहसीलों को जोनल में बांटा गया है व संबन्धित तहसील के उप जिलाधिकारी को जोनल मजिस्ट्रेट बनाया गया है, जो कि अपने-अपने तहसील क्षेत्रों में समस्त परीक्षा केन्द्रों का पर्यवेक्षण करेंगें तथा शांति व्यवस्था सुनिश्चित करेंगें। परीक्षा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने हेतु कट्रोलरूम बनाया गया है जिसका दूरभाष नम्बर-232212 है। जनपद में 04 संवेदनशील केन्द्र बनाये गये है व अतिसंवेदनशील केन्द्र बनाये गये है। जिसमें परीक्षा को शांतिपूर्ण एवं नकलविहीन से संपन्न कराने हेतु स्टेटिक मजिस्ट्रेट नियुक्त किये गये है।  परीक्षा केन्द्र पर किसी प्रकार की अव्यवस्था, समस्या हेतु कट्रोलरूम के दूरभाष नम्बर पर काल कर जानकारी ली जा सकती है। 

 

जनपद में बोर्ड परीक्षा को नकलविहीन एवं शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने हेतु अपर जिला मजिस्ट्रेट अरुण कुमार शुक्ल को ओवरआल इन्चार्ज बनाया गया है। प्रत्येक सेक्टर व जोनल व स्टेटिक मजिस्ट्रेट परीक्षा के दौरान परीक्षा केन्द्रों का नियमित भ्रमण करेंगें व शांतिपूर्ण एवं नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराना सुनिश्चित करेंगें।

 

 कलेक्ट्रेट सभागार में सभी स्टेक होल्डर्स को निवेश व्यवस्था का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

बलरमपुर। शासन एवं जिलाधिकारी, बलरामपुर के निर्देश के अनुपालन में दिनांक 04 फरवरी, 2020 को कलेक्ट्रेट सभागार में उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र हर्ष प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सिंगल विण्डो पोर्टल-निवेश मित्र हेतु दिये जाने वाले जिला स्तरीय तकनीकी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें सभी स्टेक होल्डर्स को निवेश व्यवस्था का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्योग बन्धु की टीम  अमित राय व मयंक मृणाल सलाहकार द्वारा प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण में जनपद के अधिकारियों एवं जनपद स्तर पर उद्यमियों एवं उद्यमी एसोसियेशन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग गया। सलाहकार उद्योग बन्धु द्वारा बताया गिया कि निवेश मित्र के माध्यम से आॅनलाइन आवेदन एवं उसमें दी जाने वाली 20 विभागों की 119 सेवाएं हेतु काॅमन एप्लीकेशन फार्म के माध्यम से आॅनलाइन आवेदन कर, लाइसेन्स, अनापत्ति, अनुमति व अनुमोदन प्राप्त किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ईज आॅफ बिजनेस के लिये सिंगल विण्डों-निवेश मित्र पोर्टल प्रारंभ किया गया है।

इस प्रशिक्षण में पर्यावरण विभाग ऊर्जा, अग्निशमन, आवास, नगर विकास, श्रम, स्टाॅम्प एवं रजिस्ट्रेशन, राजस्व, वन रजिस्टर फर्म एण्ड सोसाइटीज, बाॅट-माप, लोक निर्माण, विद्युत विभाग, आबकारी विभाग, खाद्य एवं औषधि विभाग तथा निदेशक एवं आयुक्त उद्योग के जनपद स्तरीय नोडल/तकनीकी अधिकारियों एवं जनपद स्तर पर उद्यमियों एवं उद्यमी एसोसियेशन के प्रतिनिधियों ने भी प्रतिभाग किया।

केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के मिले बेहतर परिणाम

नई दिल्ली: उर्वरकों के उपयोग से मृदा में मौजूद पोषक तत्‍वों में होने वाली कमी दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना' के बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। योजना के दूसरे चरण में बीते दो साल में कृषि मंत्रालय द्वारा किसानों को 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं।



प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के निर्देशन में मंत्रालय द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा रहे हैं। इन कार्डों की सहायता से देश के किसान अपने खेत की मिट्टी के बेहतर स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों को उचित मात्रा में उपयोग करने के साथ ही मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी हासिल कर रहे हैं।


राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एन.पी.सी) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर सिफारिशों के तहत रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 8 से 10 प्रतिशत तक की कमी आई है,साथ ही उपज में 5-6 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।


केंद्र सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण चक्रI (वर्ष 2015 से 2017) में 10.74 करोड़ कार्ड, चक्रII (वर्ष 2017-2019) में 11.69 करोड़ कार्ड दिए गए हैं।


चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आदर्श गांवों का विकास नामक पायलेट प्रोजेक्ट के अंतर्गत किसानों की सहभागिता से कृषि जोत आधारित मिट्टी के नमूनों के संग्रहण और परीक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन हेतु प्रत्येक कृषि जोत पर मिट्टी के नमूनों के एकत्रीकरण एवं विश्लेषण हेतु हरेक ब्लॉक में एक-एक आदर्श गांव का चयन किया गया है। इसके अंतर्गत किसानों को 2019-20 में अब तक 13.53 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।


मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु, योजना के तहत राज्यों को अब तक 429 नई स्टेटिक लेब, 102 नई मोबाइल लेब, 8752 मिनी लेब, 1562 ग्रामस्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना और 800 मौजूदा लेब के सुदृढ़ीकरण की मंजूरी दी गई हैं।


योजना के तहत मृदा की स्थिति का आकलन नियमित रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 साल में किया जाता है, ताकि पोषक तत्वों की कमी की पहचान के साथ ही सुधार लागू हो सकें। योजना की वेबसाइट www.soilhealth.dac.gov.in पर farmer's corner में दिए लिंक द्वारा किसान अपने खेत की मिट्टी के नमूने को ट्रेक करने के साथ-साथ अपने सॉयल हेल्थ कार्ड की प्रति भी प्राप्त कर सकते हैं।


मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन योजना जहां एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीँ ग्रामीण युवाओं के लिए यह रोजगार का माध्यम भी बनी है। योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी उम्र 40 वर्ष तक है, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नमूना परीक्षण कर सकते हैं। प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 लाख रूपए तक का खर्च आता हैं, जिसका 75 प्रतिशत केंद्र एवं राज्य सरकार वहन करती है। स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियां, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठनों के लिए भी यहीं प्रावधान है।


इच्छुक युवा किसान या संगठन अपने जिले के उपनिदेशक, (कृषि), संयुक्त निदेशक कृषि को अथवा उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं। वेबसाइट agricoop.nic.in या soilhealth.dac.gov.in पर या किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर सम्पर्क कर भी अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।




श्री अमित शाह ने आज संसद में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाने की घोषणा करने पर उन्हें धन्यवाद दिया

केन्द्रीय गृह मंत्री, श्री अमित शाह ने आज संसद में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाने की घोषणा करने के बाद उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि आज का यह दिन समग्र भारत के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का दिन है। उन्होने कहा कि “भारत की आस्था और अटूट श्रद्धा के प्रतीक भगवान श्री राम के मंदिर के प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता के लिए मैं उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन करता हूँ”।



श्री राम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार आज भारत सरकार ने अयोध्या में प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण की दिशा में अपनी कटिबद्धता दिखाते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से ट्रस्ट बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। श्री शाह ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे, जिसमें से एक ट्रस्टी हमेशा दलित समाज से रहेगा। उन्होने कहा, “सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने वाले ऐसे अभूतपूर्व निर्णय के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री जी को अनेक अनेक बधाई देता हूँ”।


गृह मंत्री ने बताया कि यह ट्रस्ट मंदिर से सम्बंधित हर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा और 67 एकड़ भूमि ट्रस्ट को हस्तांतरित की जायेगी। “मुझे पूर्ण विश्वास है कि करोड़ों लोगों का सदियों का इंतजार शीघ्र ही समाप्त होगा और वे प्रभु श्री राम की जन्मभूमि पर उनके भव्य मंदिर में दर्शन कर पाएँगे”, उन्होने कहा।




कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में कृषि निर्यात के लिए पहला जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उद्योग निदेशालय के साथ पोर्टब्लेयर में 31 जनवरी, 2020 को कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन तथा कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किया।


एपीईडीए ने राज्य कृषि निर्यात कार्य योजना का मसौदा तैयार करने में सहायता की थी, जिसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। कृषि निर्यात नीति को विशेष रूप से लागू करने के लिए केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने कृषि विभाग को राज्य नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक को नोडल अधिकारी बनाया गया है।


पिछले सप्ताह पोर्ट ब्लेयर में आयोजित कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें संबंधित सरकारी एजेंसियां ​​और अन्य राज्यों के कुछ निर्यातक शामिल हुए थे। कार्यशाला में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की उद्योग सचिव डॉ. पूजा जोशी, एपीईडीए के वरिष्ठ अधिकारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उद्योग निदेशक, नाबार्ड, केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान और स्पाइसेस बोर्ड भारत के प्रतिनिधि भी शामिल थे। कार्यशाला में शामिल होने वाले संगठनों ने अपनी गतिविधियों पर विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया।


एपीईडीए द्वारा दिए गए प्रस्तुतिकरण में द्वीप समूह से निर्यात की संभावनाओं, निर्यात आवश्यकताओं, वित्तीय सहायता योजनाओं और कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन के लिए की जाने वाली गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया गया।


चेन्नई और झारखंड के निर्यातकों ने फलों, सब्जियों और सूखे फूलों जैसे क्षेत्र से उत्पादों की निर्यात आवश्यकताओं पर चर्चा की गई। निर्यातकों ने अपने अनुभव साझा किए और प्रतिभागियों को आश्वासन दिया कि निर्यात के लिए संपर्क प्रदान किया जाएगा। मसालों, नारियल उत्पादों और मत्स्य पालन की निर्यात संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।


अंडमान और निकोबार द्वीपों को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए समुद्री मार्ग पर होने का फायदा है और ये सीधे द्वीपों से कृषि उत्पादों को इन देशों में निर्यात कर सकते हैं। जागरूकता कार्यक्रम में स्थानीय प्रशासन द्वारा बताया गया कि द्वीपों से सीधे निर्यात को बढ़ावा देने के लिए द्वीपों में ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाहों को स्थापित करने की योजना तैयार की गई है।



रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को एक गंभीर चुनौती बताया, लेकिन साथ ही कहा कि भारत आतंकवादी समूहों और उनके संरक्षकों के इरादे नाकाम करने के साथ उन्‍हें रोक सकता है

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आतंक और इससे जुड़ी हिंसा ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल के लिए गंभीर चुनौती खड़ी की है और सरकार समर्थित और गैर-सरकारी आतंकवाद के जरिये परोक्ष रूप से हिंसा फैलाने वालों ने खतरे को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचों की लगातार उपस्थिति और सरकार समर्थित आतंकवाद ने भारत के धैर्य की परीक्षा ली है। हालांकि, एक जिम्मेदार और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में, भारत ने दिखा दिया है कि वह आतंकवादी समूहों और उन्‍हें संरक्षण देने वालों के इरादों को नाकाम करने और उन्‍हें रोकने में सक्षम है। नई दिल्‍ली में आज तीसरे रक्षा अताशे सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया कि भारत ऐसा करना जारी रखेगा।


हिंद महासागर और भारत-प्रशांत क्षेत्र में खतरों की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “हमें अपने हितों को सुरक्षित रखने पर और अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय उपाय अपनाने के साथ-साथ हिन्‍द महासागर रिम देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया ताकि एक स्थिर समुद्री माहौल बनाया जा सके।”


डेफएक्सपो 2020 और इसके द्वारा प्रदान किए गए अवसरों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में दो औद्योगिक गलियारों की स्थापना के साथ, उम्मीद है कि इससे रक्षा विनिर्माण और निर्यात में वृद्धि होगी। इन गलियारों में डीए के काम करने और एफडीआई को आकर्षित करने की बहुत गुंजाइश है। भारत ने मैत्रीपूर्ण देशों को भारतीय रक्षा निर्यात की अनुमति देने और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अनेक रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) की भी पेशकश की है।


डेफएक्सपो 2020 और इसके द्वारा प्रदान किए गए अवसरों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में दो औद्योगिक गलियारों की स्थापना के साथ, उम्मीद है कि इससे रक्षा विनिर्माण और निर्यात में वृद्धि होगी। इन गलियारों में डीए के काम करने और एफडीआई को आकर्षित करने की बहुत गुंजाइश है। भारत ने मैत्रीपूर्ण देशों को भारतीय रक्षा निर्यात की अनुमति देने और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अनेक रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) की भी पेशकश की है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत जैसा बड़ा देश अपने रक्षा सहयोग को कुछ देशों तक सीमित नहीं कर सकता। इसे लगातार विस्तारित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इस दिशा में, श्री राजनाथ सिंह ने 10 नए रक्षा विंग बनाने की घोषणा की ताकि 10 और रक्षा अताशे (डीए) नियुक्त किए जा सकें। उन्होंने कहा कि इससे भारत की रक्षा कूटनीति को और मजबूती मिलेगी।


सरकार ने सम्‍बद्ध देशों को डीए के माध्यम से रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, 34 देशों को निर्यात प्रोत्साहन के लिए धन आवंटित किया गया है। श्री राजनाथ सिंह ने उम्मीद जताई कि रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए डीए इस फंड का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करेंगे।


रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) ने विभिन्न देशों जैसे वियतनाम, सिंगापुर, म्यांमार, ओमान आदि में अपने संपर्क अधिकारियों के लिए कार्यालय खोले हैं। निर्यात के लिए भारतीय कंपनियों के प्रयासों को सरल बनाने के लिए रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत एक निर्यात प्रोत्साहन और निवेशक सेल की स्थापना की गई है। सामान्‍य खुले निर्यात लाइसेंस (ओजीईएल) की अधिसूचना भी इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम है।  


श्री राजनाथ सिंह ने डीए द्वारा लखनऊ में आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो 2020 में विभिन्न रक्षा आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों और उद्योग की भागीदारी बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की, जो अब तक का सबसे बड़ा डेफएक्सपो है।


रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने भी डीए को संबोधित किया। नौसेना अध्‍यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, थल सेनाध्यक्ष जनरल एम. एम. नरवाना और विभिन्न देशों के डीए सम्मेलन में शामिल हुए।



अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर का आर्थिक विकास

जम्मू और कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों की पूर्ण आर्थिक क्षमता का उपयोग पिछले 70 वर्षों से नहीं हो पा रहा था, क्योंकि जम्मू और कश्मीर के लोग पिछले कई दशकों से सीमा पार से प्रायोजित आतंकवादी हिंसा और अलगाववाद से पीड़ित रहे हैं। अनुच्छेद 35A और कुछ अन्य संवैधानिक अस्पष्टताओं के कारण इस क्षेत्र के लोग भारत के संविधान में उल्लेखित अधिकारों से वंचित रहे हैं और उन्हें देश के अन्य हिस्सों में नागरिकों को मिलने वाले विभिन्न केन्द्रीय कानूनों का लाभ नहीं मिल पा रहा था।



जम्मू और कश्मीर सरकार की सूचना के अनुसार घाटी में कृषि कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) के दौरान 18.34 लाख मीट्रिक टन ताजे फल (सेब) घाटी से बाहर भेजे गए हैं। सितंबर 2019 में भारत सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली बाजार योजनाओं के तहत बागवानी क्षेत्र में पहली बार 70.45 करोड़ रुपये की कीमत के 15769.38 मीट्रिक टन सेबों की खरीद की गई। यह खरीद 28 जनवरी, 2020 तक की है, जिसे नाफेड के जरिए कश्मीर घाटी में सीधे सेब उत्पादकों से खरीदा गया है। इस योजना को 31 मार्च, 2020 तक विस्तार दिया गया है। वर्ष 2019 में मधुमक्खी पालन क्षेत्र में 813 मीट्रिक टन कच्चे रेशम के कोवे का उत्पादन दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान 688.26 करोड़ रुपये की हस्तशिल्प सामग्री का निर्यात किया गया। पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए कई अभियान भी शुरू किए गए हैं।


जम्मू और कश्मीर सरकार ने सूचित किया है कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार 15 वर्ष और उससे अधिक आयु समूह के लोगों के संबंध में श्रमिक आबादी औसत 51 प्रतिशत है।


भारत सरकार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के समग्र विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। 80,068 करोड़ रुपये वाले प्रधानमंत्री विकास पैकेज -2015 के तहत सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि, बागवानी, कौशल विकास क्षेत्र आदि में प्रमुख विकास परियोजनाएं पहले से ही कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। भारत सरकार द्वारा वैयक्तिक लाभार्थी केंद्रित योजनाओं सहित कई प्रमुख योजनाएं जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही हैं।




केवीआईसी ने अरुणाचल प्रदेश में मधुमक्‍खी पालन के लिए 1,000 बक्‍सों का वितरण किया ‍

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों को सशक्‍त बनाने का निरंतर काम कर रहा है ताकि वहां के किसान एमएसएमई की विभिन्‍न योजनाओं के माध्‍यम से अतिरिक्‍त आय की प्राप्ति कर सकें। केवीआईसी के अध्‍यक्ष श्री वी. के. सक्‍सेना ने 100 किसानों को मधुमक्‍खी पालन के 1,000 बक्‍से वितरित किए। इस अवसर पर अरुणाचल खादी बोर्ड के अध्‍यक्ष श्री तागे ताकी तथा अन्‍य गणमान्‍य अतिथि उपस्थित थे।


शहद मिशन कार्यक्रम के महत्‍व की चर्चा करते हुए श्री वी. के. सक्‍सेना ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में फूल पौधों की प्रचूरता है और यहां शहद उत्‍पादक राज्‍य बनने की क्षमता है लेकिन इसका पूरा दोहन नहीं किया गया है। उन्‍होंने कहा कि ऊंचाई से निकाल गया शहद एंटीऑक्‍सीडेंट्स में संपन्‍न हैं और इसे ऊंची कीमत पर बेचा जा सकता है।


उन्‍होंने कहा कि पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली तथा बी वेनम जैसे उत्‍पाद बेचने योग्‍य हैं और मजदूरी के लिए शहरों में जाने वाले किसानों को इन उत्‍पादों की बिक्री से सहायता मिलेगी। उन्‍होंने बताया कि हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 200 मिलियन मधुमक्‍खी के छत्ते की क्षमता है जबकि आज देश में 3.4 मिलियन मधुमक्‍खी के छत्ते हैं। उन्‍होंने कहा कि मधुमक्‍खी के छत्तों की संख्‍या बढ़ाने से न केवल मधुमक्‍खी से जुड़े उत्‍पादों में वृद्धि होगी बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि तथा बागवानी उत्‍पादों को समग्र रूप से प्रोत्‍साहन मिलेगा।


केवीआईसी ने 2017 से केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र में मधुमक्‍खी पालन के 30,000 बक्‍सों का वितरण किया है। इससे लगभग 3,000 शिक्षित बेरोजगार किसानों के लिए मधुमक्‍खी उत्‍पादन में अतिरिक्‍त रोजगार मिल रहा है। इस वर्ष केवीआईसी की योजना अरुणाचल प्रदेश में मधुमक्‍खी पालन के 2,500 बक्‍से वितरण करने की है जबकि लक्ष्‍य अगले वर्ष मधुमक्‍खी पालन के 10,000 बक्‍सों को वितरित किया जाना है।


1960 के बाद पहली बार केवीआईसी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में खादी कारीगरों को प्रोत्‍साहित करने के लिए दो नए खादी संस्‍थानों – यूथ फॉर सोशल वेलफेयर, तवांग तथा रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, पपुम पारे- को पंजीकृत किया है।



सीसीआई ने यम रेस्‍टोरेंटों और देवयानी इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रस्‍तावित संयोजन को मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग (सीसीआई) ने यम रेस्टोरेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (वाईआरआईपीएल) और देवयानी इंटरनेशनल लिमिटेड (डीआईएल) के प्रस्तावित संयोजन को मंजूरी दी है जो कुछ इक्विटी शेयर होल्डिंग के अधिग्रहण और कुछ केएफसी रेस्‍टोरेंटों की बिक्री से संबंधित है। 


वाईआरआईपीएल भारत में पंजीकृत एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है और अमेरिका की कंपनी यम ब्रांड्स इंक का हिस्‍सा है। यह कहा गया है कि भारत में वाईआरआईपीएल तीन ब्रांडों – केएफसी, पीजा हट और टेको बेल के तहत रेस्‍टोरेंटों का संचालन करती है।


डीआईएल भारत में पंजीकृत एक सार्वजनिक कंपनी है। यह भारत के क्‍यूएसआर सेगमेंट में कारोबार करती है और वाईआरआईपीएल की फ्रेंचाइजी कंपनी है। यह भारत के कुछ हिस्‍सों में केएफसी और पीजा हट/पीजा हट डिलीवरी रेस्‍टोरेंट को संचालित, रख-रखाव और परिचालित करती है।


     सीसीआई ने अधिनियम धारा 31 (1) के तहत प्रस्‍तावित संयोजन को मंजूरी दी है।


     सीसीआई का विस्‍तृत आदेश जल्‍द ही जारी किया जाएगा।



प्रधानमंत्री 7 फरवरी, 2020 को कोकराझार, असम जाएंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 7 फरवरी, 2020 को बोडो समझौते पर हस्‍ताक्षर होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए कोकराझार, असम जाएंगे। कार्यक्रम में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीएडी) जिलों के 4 लाख से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्‍मीद है। असम सरकार, राज्‍य की विभिन्‍नता पर आधारित सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेगी। स्‍थानीय समुदाय इस कार्यक्रम में प्रस्‍तुतियां देंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जनवरी में हुए ऐतिहासिक बोडो समझौते के बारे में जनसमुदाय को संबोधित करेंगे। प्रमुख हितधारकों को कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। समझौते पर 27 जनवरी, 2020 को नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए थे। श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ट्वीट में इस दिन को भारत के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण दिवस कहा था। ट्वीट में आगे कहा गया था कि यह समझौता बोडो लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा और शांति, सदभावना और मिलजुलकर रहने के एक नई सुबह की शुरूआत होगी।



यह समझौता प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास विजन और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इससे 5 दशक पुरानी बोडो समस्‍या का समाधान हुआ है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘बोडो समझौता कई कारणों से अलग है। जो लोग पहले हथियार के साथ प्रतिरोधी समूहों से जुड़े हुए थे वे अब मुख्‍य धारा में प्रवेश करेंगे और हमारे राष्‍ट्र की प्रगति में योगदान देंगे। एनडीएफबी के विभिन्‍न गुटों के 1615 कैडरों ने आत्‍मसमर्पण किया है और ये लोग समझौते पर हस्‍ताक्षर होने के दो दिनों के अंदर मुख्‍यधारा में शामिल हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा कि बोडो समूहों के साथ समझौता बोडो लोगों की अनूठी संस्‍कृति को संरक्षित करेगा और लोकप्रिय बनाएगा। लोगों को विकास आधारित कार्यक्रमों त‍क पहुंच प्राप्‍त होगी। हम उन सभी चीजों को करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे बोडो लोगों को अपनी आकांक्षा पूरी करने में मदद मिलती हो। क्षेत्र के विकास के लिए 1500 करोड़ रूपये के विशेष पैकेज को अंतिम रूप दिया गया है। हाल ही में भारत सरकार और मिजोरम एवं त्रिपुरा सरकारों के बीच ब्रू-रियांग समझौता हुआ था। इससे 35,000 ब्रू-रियांग शरणार्थियों को राहत मिली। त्रिपुरा में एनएलएफटी के 85 कैडरों ने आत्‍मसमर्पण किया। यह पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विकास और शांति के प्र‍ति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गणतंत्र दिवस पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने हिंसा के मार्ग पर चलने वाले सभी लोगों को आत्‍मसमर्पण करने और मुख्‍यधारा में शामिल होने का आह्वान किया था। उन्‍होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर मैं देश के किसी भी हिस्‍से के उन लोगों से अपील करता हूं कि वे मुख्‍यधारा में वापस आ जाएं जो हिंसा और हथियारों के माध्‍यम से समस्‍या का समाधान चाहते हैं। उन्‍हें अपनी क्षमताओं के साथ-साथ देश की क्षमता पर भी भरोसा होना चाहिए कि शांतिपूर्ण माहौल में समस्‍याओं का समाधान किया जा सकता है।               




राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन के वार्षिक ‘उद्यानोत्सव’ का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज राष्ट्रपति भवन में ‘उद्यानोत्सव’ का उद्घाटन किया।


मुगल गार्डेन आम जनता के लिए 5 फरवरी, 2020 से 8 मार्च, 2020 (सोमवार को छोड़कर, उस दिन बाग की देखभाल की जाती है) तक 10 बजे से लेकर 4 बजे शाम तक खुला रहेगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुगल गार्डेन 8 फरवरी, 2020 (शनिवार) को बंद रहेगा।


गत वर्षों की तरह आगंतुकों को सीधे प्रवेश मिलेगा, लेकिन इस बार ऑनलाइन बुकिंग सुविधा के जरिए वे पहले भी यहां आने की योजना बना सकते हैं। ऑनलाइन बुकिंग https://rashtrapatisachivalaya.gov.in पर ‘एक्सप्लोर एंड टूर’ लिंक पर जाकर की जा सकती है। ऑनलाइन बुकिंग लिंक https://rb.nic.in/rbvisit/visit_plan.aspx पर भी उपलब्ध है। सीधी प्रविष्टि और ऑनलाइन बुकिंग, दोनों निशुल्क हैं।


ऑनलाइन बुकिंग सुविधा सात दिन पहले अग्रिम रूप से उपलब्ध होगी। इसे सात-सात घंटे की अवधि में बांटा गया है, जिसकी शुरूआत मंगलवार से शुक्रवार तक 10 बजे से 4 बजे तक और तीन घंटे की अवधि शनिवार और रविवार को 10 बजे, 11 बजे और 12 बजे उपलब्ध होगी। अवकाश के दिनों में भी यह सुविधा जारी रहेगी। मंगलवार से शुक्रवार तक होने वाली एक बुकिंग में अधिकतम 10 आगंतुक आ सकते हैं। सप्ताहांत और अवकाश के दिनों में एक बुकिंग पर अधिकतम 5 आगंतुक आ सकते हैं। ऑनलाइन बुकिंग के लिए मोबाइल नम्बर अनिवार्य होगा और एक मोबाइल नम्बर पर केवल एक बुकिंग की अनुमति है। जो आगंतुक ऑनलाइन बुकिंग कराएंगे, उन्हें अपने साथ प्रवेश पास (पेपर प्रिंट या मोबाइल पास) और अपना पहचान पत्र लाना होगा।


सीधी प्रविष्टि और ऑनलाइन द्वारा की जाने वाली प्रविष्टि राष्ट्रपति संपदा के गेट नम्बर 35 से होगी और उसी स्थान से वापसी भी होगी। गेट नम्बर 5 नॉर्थ एवेन्यू से राष्ट्रपति भवन की तरफ जाने वाले रास्ते के नजदीक है। ऑनलाइन आगंतुकों के प्रवेश के लिए अलग व्यवस्था की गई है। उनके लिए जरूरी है कि वे अपने निर्धारित समय पर वहां पहुंचें। यदि कोई आगंतुक बुकिंग समय के बाद आता है तो उसे सीधी प्रविष्टि वाले आगंतुकों की पंक्ति में शामिल होना होगा।


आगंतुकों से आग्रह है कि वे अपने साथ पानी की बोतल, ब्रीफकेस, हैंडबैग/लेडीज पर्स, कैमरा, रेडियो/ट्रांजिस्टर, बॉक्स, छाता, खाने-पीने की सामग्री इत्यादि न लाएं। यदि इन चीजों को लाया गया, तो उन्हें प्रवेश फाटक पर जमा करना होगा। पीने का पानी, शौचालय, फर्स्ट ऐड/ चिकित्सा सुविधा, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और बच्चों के लिए विश्राम स्थल पूरे मार्ग में विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध रहेंगे।



कोरोना वायरस के संदर्भ में आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाए गए एहतियाती उपायों पर स्‍पष्‍टीकरण

यह स्‍पष्‍टीकरण कोरोना जैसी उभरती हुई वायरल बीमारियों के संबंध में आयुष मंत्रालय द्वारा जारी सामान्‍य सुरक्षात्‍मक और रोग निरोधी उपायों के संदर्भ में है। 29 जनवरी, 2020 को दो परामर्श (एडवायजरी) जारी किए गए थे, जो ऐसे वायरल बीमारियों के संदर्भ में सामान्‍य सुरक्षात्‍मक उपायों पर आधारित थे। ये उपाय चिकित्‍सा पद्धति के उन सिद्धातों पर आधारित हैं जिसमें वायरल बीमारियों के तहत श्‍वसन संबंधी समस्‍या स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई पड़ती है। ये परामर्श कोरोना वायरस के प्रभावी इलाज का न तो दावा करते हैं और न ही कोरोना वायरस से लड़ने के लिए किसी विशिष्‍ट दवा का सुझाव देते हैं। व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता उपाय और कुछ हर्बल दवाएं स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं, जैसा कि परामर्श में बताया गया है। यह भी सलाह दी जाती है कि इन दवाओं का उपयोग संबंधित चिकित्‍सा प्रणाली के पंजीकृत चिकित्‍सकों के परामर्श से ही किया जाना चाहिए।


     इस संबंध में यह तथ्‍य संज्ञान में आया है कि मीडिया तथा चिकित्‍सा संगठनों में कुछ ऐसी रिपोर्टें आई हैं जो स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की आयुष प्रणालियों की छवि को धूमिल करती है और इन चिकित्‍सा प्रणालियों के प्रति लोगों में अविश्‍वास फैलाती हैं। अभी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। ऐसी स्थिति में कही से भी कोई सहायता मिलती हैं तो इसका स्‍वागत किया जाना चाहिए। आयुष परामर्श के प्रयास को सही दृष्टिकोण में देखा जाना चाहिए।  



रत्‍न और आभूषण क्षेत्र के लिए कोलकाता में अप्रैल 2020 तक सार्वजनिक सुविधा केन्‍द्र, एक लाख कारीगर लाभान्वित होंगे

कोलकाता के बऊ बाजार के इलाके में सार्वजनिक सुविधा केन्‍द्र (सीएफसी) बनाने के लिए 30.01.2020 को आयोजित एक अभूतपूर्व समारोह में वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार रूप दत्‍ता, रत्‍न और आभूषण निर्यात सवंर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्‍यक्ष प्रमोद अग्रवाल और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (जीजेईपीसी) और स्वर्ण शिल्पी बचाओ समिति (एसएसबीसी) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


सीएफसी के बनने से कोलकाता के प्रमुख आभूषण केंद्र बऊ बाजार और उसके आसपास हस्तनिर्मित आभूषणों के निर्माण में लगे एक लाख कारीगरों को लाभ मिलेगा। सीएफसी से विशेष रूप से कोलकाता रत्न और आभूषण क्लस्टर में उद्योग के कारीगरों के बीच आभूषण निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक की शुरुआत करके बऊ बाजार और उसके आसपास के इलाकों में छोटे रत्‍न और आभूषण इकाइयों में उत्पादों की उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि होगी।


वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग की एमएसएमई की दक्षता बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए जमीनी स्तर पर पहल की है। क्षेत्र के लिए व्यापार-अनुकूल नीतियों को शुरू करने के अलावा, मंत्रालय सीएफसी के रूप में बुनियादी ढांचे के निर्माण के माध्यम से उद्योग को भी सुविधा प्रदान कर रहा है।


संबंधित विनिर्माण केन्‍द्रों के स्थानीय व्यापार संघ (एलटीए) की मदद से देश भर में सीएफसी की स्थापना सीमांत श्रमिकों के उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पादन को उन्नत बनाने में मदद करने के लिए रत्‍न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के माध्यम से की गई है। परिषद पहले ही गुजरात के प्रमुख हीरा समूहों जैसे अमरेली, पालनपुर, विसनगर और जूनागढ़ में सीएफसी स्थापित कर चुकी है। ये सीएफसी चालू हैं और एमएसएमई इकाइयों को निर्यात के योग्य बना दिया गया है। कोयम्‍बटूर में एक आभूषण सीएफसी भी स्थापित किया जा रहा है और इसके मार्च 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है।


सीएफसी की स्थापना का उद्देश्य छोटी और मध्यम आभूषण निर्माण इकाइयों की सबसे महंगे उत्‍पादों को निर्दिष्‍ट करने और आधुनिक मशीनरी/उपकरण में बड़ी मात्रा में निवेश तक पहुंच प्रदान करना है जो अन्यथा व्यक्तिगत छोटे और मध्यम आभूषण निर्माताओं की पहुंच से बाहर है।


वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार रूपा दत्ता ने कहा कि देश भर में पचास लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले रत्‍न और आभूषणों का हर वर्ष 40 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात होता है। उन्‍होंने कहा कि इस उद्योग के बढ़ने की बहुत बड़ी संभावना है और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का उद्देश्य इस क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाकर 2025 तक 75 बिलियन अमरीकी डालर तक ले जाना है।


उन्होंने कहा कि सीएफसी उन पहलों में से एक है जहां एमएसएमई इकाइयों के उत्पादों की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है और उन्हें निर्यात में योगदान देने योग्‍य बनाया जा रहा है।


वर्तमान में, छोटे शहरों जैसे कोयंबटूर, हैदराबाद, जयपुर, राजकोट और अंदरूनी गांवों में स्थित एसएमई इकाइयां अभी भी पुरानी तकनीक के साथ काम कर रही हैं और इससे तैयार माल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। इन स्थानों पर कारीगर / सुनार थोक आभूषण निर्माता / खुदरा ज्वैलर्स काम करते हैं। वे आभूषण बनाने के लिए पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। कुछ इकाइयों में ही कास्टिंग तकनीक, फिनिशिंग तकनीक जैसे टम्बलिंग और मैग्नेटिक पॉलिशर जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। पुरानी तकनीकों का इस्‍तेमाल करके बेंच वर्क भी किया जाता है।


सीएफसी इस क्षेत्र में व्यापार को मजबूत करेगा और समग्र उत्पादकता, मुनाफा और समय पर वितरण बढ़ाएगा। यह एक ही स्‍थान पर अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी प्रकार की सेवाओं की पेशकश करके व्यापार को निरंतर जारी रखने योग्‍य बनाएगा। सीएफसी एसएमई के लिए अधिक राजस्व उत्पन्न करने में सहायक होगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का साधन होगा।


सीएफसी का प्रदर्शन










































सीएफसी



वर्ग फुट क्षेत्र



लाभान्वित



परिष्‍कृत हीरा



विसनगर



2398



50+



25 लाख



पालनपुर



2600



166+



23 लाख



अमरेली



1967



18+



6 लाख



जूनागढ़



1795



102+



4 लाख



कोयम्‍बटूर



मार्च, 2020 तक पूरा होने की संभावना



 



 



 


कोलकाता में आभूषण सार्वजनिक सुविधा केन्‍द्र के एक बार स्थापित हो जाने के बाद स्थानीय हस्तनिर्मित आभूषण क्षेत्र का मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी और आभूषण निर्माता सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। कोलकाता में सीएफसी के इस वर्ष अप्रैल तक चालू होने की उम्मीद है।