Tuesday, March 3, 2020

एक से सात मार्च तक जन औषधि सप्‍ताह

देश भर में एक से सात मार्च 2020 तक जन औषधि सप्‍ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्‍वास्‍थ्‍य जांच शिविर,  जन औषधि परिचर्चा और “जन औषधि का साथ” जैसी विभिन्‍न गतिविधियां चलाई जा रही हैं।


सप्‍ताह के दौरान जन औषधि केन्‍द्रों के माध्‍यम से देश भर में रक्‍त चाप,  मधुमेह की जांच, डाक्‍टरों द्वारा निशुल्‍क चिकित्‍सा जांच  और दवाओं का मुफ्त वितरण किया जा रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य शिविरों में आने वाले लोगों को जन औषधि केन्‍द्रों में बेची जा रही रही दवाओं की गुणवत्‍ता और उनकी कीमतों के फायदे के बारे में जानकारी दी जा रही है।


जन औषधि सप्‍ताह के दूसरे दिन कल आईएमए चैप्‍टर के प्रमुख सिटी डाक्‍टरों के साथ राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक कंटीन्‍यूएस मेडिकल एजुकेशन- सीएमई कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जन औषधि केन्‍द्रों से मिलने वाली दवाओं के बारे में विस्‍तार से चर्चा की गई। डाक्‍टरों से कहा गया कि वे अन्‍य डाक्‍टरों को भी जन औषधि केन्‍द्रों की दवाओं के महत्‍व के बारे में समझाएं और मरीजों के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा ऐसी दवाएं लिखें।  


‘ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना’  भारत सरकार के औषध निर्माण विभाग की एक महती परियोजना है जो सस्‍ती दरों पर गुणवत्‍ता वाली दवाएं उपलब्‍ध कराने के अपने प्रयासों से बड़े स्‍तर पर आम जनता को लाभ पहुंचा रही है। इस समय देश में ऐसे औषधि केन्‍द्रों की संख्‍या बढ़कर 6200 से ज्‍यादा हो चुकी है और 700 जिलों को इस योजना के दायरे में लाया जा चुका है। वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान (फरवरी 2020) तक इन केन्‍द्रों से 383 करोड़ रूपए से ज्‍यादा की दवाएं बेची गईं । इनके औसत बाजार कीमतों में बेची जाने वाली दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्‍ता होने के कारण इससे आम जनता को करीब 2200 करोड़ रूपए से ज्‍यादा की बचत हुई।


 यह योजना लगातार नियमित आय के माध्‍यम से स्‍वरोजगार का भी एक अच्‍छा अवसर प्रदान कर रही है।



आयकर विभाग ने रायपुर में व्यक्तियों के एक समूह, हवाला डीलरों और व्यापारियों की जांच की आयकर विभाग ने रायपुर में 27 फरवरी, 2020 को व्यक्तियों के एक समूह, हवाला डीलरों और व्यापारियों की जांच की। शराब और खनन व्यवसाय से बड़ी बेहिसाब नकदी के साक्ष्य और लोक सेवकों के लिए उसका हस्तांतरण, नोटबंदी की अवधि के दौरान भारी नकदी जमा, शेल कंपनियों से प्रविष्टियों, संपत्तियों आदि में अघोषित निवेश के बारे में विश्वसनीय विवरण एवं खुफिया जानकारी के आधार पर जांच की कार्रवाई की गई थी। बाद में, जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर कुछ अन्य परिसरों को भी जांच में शामिल किया गया। जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज़ों और इलेक्ट्रॉनिक डेटा से पता चला कि हर महीने लोक सेवकों और अन्य लोगों को पर्याप्त मात्रा में अवैध भुगतान किया जा रहा था। इसके अलावा, बेहिसाब बिक्री के दैनिक विवरण, करोड़ों के लेन-देन वाले कर्मचारियों के नाम से खोले गए बैंक खाते और एक बेहिसाब बैंक खाते पाए गए। बेनामी वाहनों, हवाला हस्तांतरण, कोलकाता स्थित कंपनियों को हस्तांतरण और विशाल लैंड बैंक के साथ शेल कंपनियों का विवरण भी पाया गया और उन्‍हें जब्त किया गया। जांच से अत्‍याधिक मात्रा में नकदी की जब्ती भी की गई। तलाशी के दौरान अब तक 150 करोड़ रूपये से अधिक के बेहिसाब लेनदेन का पता चला तथा सबूतों और सुरागों के बाद और यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने की संभावना है। तलाशी एवं जांच का काम जारी है और कई बैंक लॉकरों की जब्‍ती सहित कई निषेधात्‍मक आदेश दिए गए हैं।

आयकर विभाग ने रायपुर में व्यक्तियों के एक समूह, हवाला डीलरों और व्यापारियों की जांच की


आयकर विभाग ने रायपुर में 27 फरवरी, 2020 को व्यक्तियों के एक समूह, हवाला डीलरों और व्यापारियों की जांच की। शराब और खनन व्यवसाय से बड़ी बेहिसाब नकदी के साक्ष्य और लोक सेवकों के लिए उसका हस्तांतरण, नोटबंदी की अवधि के दौरान भारी नकदी जमा, शेल कंपनियों से प्रविष्टियों, संपत्तियों आदि में अघोषित निवेश के बारे में विश्वसनीय विवरण एवं खुफिया जानकारी के आधार पर जांच की कार्रवाई की गई थी। बाद में, जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर कुछ अन्य परिसरों को भी जांच में शामिल किया गया।


जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज़ों और इलेक्ट्रॉनिक डेटा से पता चला कि हर महीने लोक सेवकों और अन्य लोगों को पर्याप्त मात्रा में अवैध भुगतान किया जा रहा था। इसके अलावा, बेहिसाब बिक्री के दैनिक विवरण, करोड़ों के लेन-देन वाले कर्मचारियों के नाम से खोले गए बैंक खाते और एक बेहिसाब बैंक खाते पाए गए। बेनामी वाहनों, हवाला हस्तांतरण, कोलकाता स्थित कंपनियों को हस्तांतरण और विशाल लैंड बैंक के साथ शेल कंपनियों का विवरण भी पाया गया और उन्‍हें जब्त किया गया। जांच से अत्‍याधिक मात्रा में नकदी की जब्ती भी की गई। तलाशी के दौरान अब तक 150 करोड़ रूपये से अधिक के बेहिसाब लेनदेन का पता चला तथा सबूतों और सुरागों के बाद और यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने की संभावना है। तलाशी एवं जांच का काम जारी है और कई बैंक लॉकरों की जब्‍ती सहित कई निषेधात्‍मक आदेश दिए गए हैं।



23 शेल कंपनियों के नेटवर्क सहित 7896 करोड़ रुपये के नकली चालान की बड़ी धोखाधड़ी का पता चला

      केंद्रीय कर के वंचन रोधी स्‍कंध,  दिल्ली पश्चिम आयुक्‍तालय के अधिकारियों ने 23 शेल कंपनियों के नेटवर्क के इस्‍तेमाल द्वारा 1709 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी)  सहित 7896 करोड़ रुपये के नकली चालान के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें खरीद और माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना चालान तैयार किया जाता था। इस मामले में 29 फरवरी,  2020 को दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।


      आरोपी व्यक्ति फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी को पारित करने के उद्देश्य से कई फर्जी कंपनी बनाकर कर की चोरी कर रहे थे। आईटीसी को वास्तविक बनाने के लिए उन्होंने बैंकिंग लेनदेन का भी इस्तेमाल किया। इन फर्मों ने खरीदारों को फर्जी चालान जारी किया, जिन्होंने वास्तव में किसी भी सामान को प्राप्त किए बिना धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया और जीएसटी देयता के लिए अयोग्य आईटीसी का लाभ उठाकर  सरकारी खजाने को धोखा दिया। वे कई मोबाइल फोन, कंप्यूटर और गलत दस्तावेजों के साथ अपने ठिकाने में पकड़े गए।


आरोपियों ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (1) (बी) और धारा 132 (1) (सी) के तहत अपराध किए हैं, जो धारा 132 (5) के प्रावधानों के अनुसार संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध हैं तथा सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 की उपधारा (1) के खंड (i) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा के अनुसार दंडनीय हैं। तदनुसार, अभियुक्तों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत 29 फरवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया और मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।



Sunday, March 1, 2020

सुशासन और वेदाग छवि से लोकप्रिय हैं -नीतीश कुमार 

अपने 69वें जन्मदिन के अवसर पर बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री को जब पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में संबोधित करने का अवसर जद यू कार्य सम्मेलन में मिला तो उन्होंने अपनी शैली के अनुरूप जोरदार भाषण दिया अपनी सुशासन और वेदाग छवि पर उनका यह संवोधन वाकई में काविले तारीफ है।

उन्होने उन तमाम मुद्दों को रखा जो उनके कार्यकाल में बिहार को एक नई दिशा दी है।न्याय के साथ विकास के अन्तर्गत सुशासन की एक अलग छवि जनमानस पटल पर रखने में वे अभी तक सफल रहे हैं।आज तक उनकी बोलने की छवि भी एक सटीक वक्ता के तौर पर मेच्योर रही है। 

पर्यावरण विकास, सात निश्चय,और कुरीतियों के खिलाफ उनकी सार्थक पहल अब जमीं पर दिखने लगा है।जिसमें शराब बंदी प्रमुख है।शराब बंदी से समाज में एक शकून का माहौल बना है।कोई चोरी छिपे अगर पीता भी है तो वह प्रदर्शन नहीं करता जिससे रोड पर छींटाकशी और आपराधिक मामलो में ह्रास हुआ है।यह उनकी ही देन है।

बाल विवाह दहेज प्रथा जैसे मामलो में भी सुधार की ओर बिहार बढ़ रहा है।

बिहार कृषि उत्पादन के लिए जानी जाती है बिहार के किसानो की हालत 2005 के मुकाबले आज समृद्ध होती दिख रही। यहाँ के किसान फल सब्जी मक्का गेहूँ और धान के साथ मत्स्य दूध का उत्पादन करते हैं जो देश के सभी हिस्सो में अब पहुँचने लगी है।अभी भी काफी कार्य इस दिशा में करने होगे जिसका जिक्र करना लाजिमी है ।कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था के साथ वृहत बाजार और फसल बीमा के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यहाँ कही बाढ़ तो कहीं सुखाड़ की स्थिति लगातार बनी रहती है।

उद्योग जगत के लिए भी निवेशको के लिए उचित माहौल तैयार करना यहाँ एक चुनौती से भरा रहा है जिसका प्रयास सुशासन के जरिये ही हो सकता है सरकार इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है रोड पुलिया पुल बडे शहरो मे बडे बडे फ्लाईओवर ब्रीज आज इस बात की गवाही बने है कि सरकार अपनी तय सीमा के अन्तर्गत कार्य कर रही है।साधन सीमित हो और आसमान फटा हो तो एक बार में दूरूस्त होना संभव नही है। इसके लिए लगातार और सभी सरकारो को मिलकर काम करना होगा।बिहार की बुनियादी ढ़ाँचा काफी बिगड़ा हुआ था जिसे पटरी पर लाना आसान नही था पर अपने कुशल अनुभव और नेतृत्व की वजह से वे एक पाक साफ छवि के साथ विगत पंन्द्रह साल बिहार के लोगो को समर्पित कर दिया यह इतिहास सदा उनके कार्यो का ऋणी रहेगा।

शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके द्वारा लायी गयी साइकिल योजना मध्यान्न भोजन योजना पोशाक राशि से साक्षरता दर बढी और स्कूलो में उपस्थिति भी।यह चिंता का विषय जरूर रहा है कि आज भी शिक्षा की हालत अच्छी नही मानी जाती।लेकिन सरकार के स्तर पर प्रयास किए गये हैं जब आप परीक्षा देते है तो एक बार में सफल हो जाये ये जरूरी नही इसलिए बार बार देते है सरकार भी प्रयास करती रही है देखना होगा कब तक सफलता हाथ लगती है।

भूमि विवाद भी यहा की एक अहम और झंझट पैदा करने वाली समस्या रही है जिसके निदान के लिए सरकार के स्तर पर समय समय पर भू हथबन्दी कानून में बदलाव होते रहे है यह प्रक्रिया आज भी जारी है ।

बिहार की फिजाओं में चुनावी विगुल बज चुका है आने वाले दिनो में कई पार्टीयों की रैली का गवाह पुनः पटना का ऐतिहासिक गाँधी मैदान होगा और सभी के अपने अपने तर्क भी देंगे लेकिन एक छवि जो आज गाँधी मैदान में अपनी पहचान छोड गये वह जन मानस को आने वाले समय में तय करने का अवसर जरूर देते रहेंगे कि इस राज्य का सिंहासन किसे सौंपा जाय ।तर्क विर्तक के इस सभा में उन तमाम पहलुओ पर मतदाता अपने आप को कहाँ और किसके साथ खड़ा करते है यह आने वाला वक्त तय करेगा लेकिन जहाँ साफ छवि की बात होगी सुशासन की बात होगी नीतीश कुमार सबसे पहले आएँगे।

 

श्री अमित शाह ने कोलकाता में एनएसजी रीजनल हब का उद्घाटन किया

कोलकाता में आज राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के रीजनल हब के परिसर के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने इसे एनएसजी के बहादुर जवानों को उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम करार दिया। इन जवानों को निर्बाध रूप से राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी कार्यों को करने की दृष्टि से ये सुविधाएं महत्वपूर्ण हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने रीजनल हब के परिसर के उद्घाटन समारोह और एनएसजी के लिए कोलकाता, मानेसर, चेन्नई और मुम्बई में 245 करोड़ रुपये मूल्य की विविध कल्याणकारी परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि आज जिन विविध सुविधाओं और योजनाओं का उद्घाटन किया जा रहा है, वे इस बल की क्षमताओं को बढ़ावा देने और जवानों के मनोबल को ऊंचा उठाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

कोलकाता में 162 करोड़ रुपये मूल्य के इस अत्याधुनिक रीजनल हब में 460 कर्मियों और उनके परिवारों के लिए रिहायशी और गैर-रिहायशी परिसर, कार्यालय स्थल होंगे और बैफल फायरिंग रेंज, इनडोर शूटिंग रेंज, बाधाएं, तरणताल, खेल परिसर तथा कृत्रिम रॉक क्राफ्ट वाल आदि जैसी आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं होंगी। यह नया परिसर एनएसजी का मॉडल रीजनल हब बनेगा, जो एनएसजी कमांडो की सूझबूझ को और पैना बनाने में मददगार साबित होगा तथा उनके प्रथम रिस्पॉन्डर्स, राज्य के पुलिस बलों की क्षमता निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस हब के उत्तरदायित्व वाले क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र होगा। अब तक कोलकाता हवाई अड्डे से संचालित हो रहे कोलकाता हब के पास मुम्बई, चेन्नई और हैदराबाद के बाद चौथी स्थाअयी अवसंरचना होगी।

रीजनल हब कोलकाता का उद्घाटन करने के अलावा गृह मंत्री ने प्रशिक्षण केन्द्र, मानेसर में 120 परिवारों के आवास, एनएसजी हैदराबाद केन्द्र में एक्लोेन्    सिव मैगजीन बिल्टो का भी उद्घाटन किया और क्षेत्रीय केन्द्र चेन्नई और मुम्बई में परिवारों के लिए आवासीय इकाइयों की आधाशिला रखी। इस नव-निर्मित अवसंरचना से आवासीय संतुष्टि में सुधार होगा और ऑपरेशनल के साथ-साथ प्रशिक्षण संबंधी क्षमताओं में भी वृद्धि होगी।  

अपने संबोधन में श्री शाह ने बल को आश्वासन दिया कि केन्द्र सरकार से एनएसजी की सभी अपेक्षाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगले पांच वर्षों में पूरी कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस बल की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए एक कारगर व्यवस्था बनाएगी, भले ही वे  आवश्यकताएं अधिकारियों को वैश्विक स्तर पर उपलब्ध नवीनतम प्रौद्योगिकी और आतंकवादी संगठनों की कार्यप्रणाली, आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रावधानों, हथियारों एवं उपकरणों से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल्स से संबंधित हो या परिवार कल्याण से संबंधित हों।  उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत सरकार एनएसजी को दो कदम आगे रखना चाहती है और इस विजन को निकट भविष्य में प्राप्त कर लिया जाएगा।

श्री शाह ने कहा कि अपनी शुरुआत से ही एनएसजी जवानों ने सभी आतंकी खतरों से देश को सुरक्षित करने के लिए सर्वोच्चए बलिदान दिए हैं और लोगों में विश्वा स भरने में सफल रहे हैं। एनएसजी कमांडो देश की सुरक्षा के लिए अपने बहुमूल्यै जीवन के प्रत्येवक क्षण को समर्पित करने के द्वारा भारत के नागरिकों के लिए ‘सुरक्षा की भावना’ के पर्यायवाची बन गए हैं। श्री शाह ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त  न करने और न्यूानतम समानांतर नुकसान के साथ उनका खात्मा  करने के प्रधानमंत्री के विजन को बनाए रखने में एनएसजी की तैयारी के स्तकर की सराहना की। उन्हों ने बल को बदलते जोखिम परिदृश्ये के साथ खुद को बदलने, अपने कौशलों और क्षमताओं का नियमित रूप से अद्यतन करने के लिए भी प्रोत्साेहित किया, जिससे कि किसी भी चुनौती की दिशा में प्रतिक्रिया समय को कम किया जा सके। किसी खतरे को समाप्त  करने की अवधि में कमी लाने के महत्वम पर जोर देते हुए उन्हों ने कहा कि प्रशिक्षण नीति, बुनियादी ढांचे, अनुक्रिया कार्य नीति, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण में जवानों की प्राथमिकता में सकारात्ममक बदलाव लाने की आवश्य्कता है। श्री शाह ने कहा कि एनएसजी की उपस्थिति मात्र उन लोगों के लिए बाधक साबित होगी, जो आतंकवाद को फैलाने और राष्ट्रि की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की बात सोचते हैं।
श्री शाह ने कहा कि ‘ऐतिहासिक रूप से भारत कभी भी आक्रांता नहीं रहा है; हम वैश्विक शांति चाहते हैं, फिर भी हम किसी को भी भारत की शांति, एकता और अखंडता में विघ्नि डालने की अनुमति नहीं देंगे।’ उन्होंाने उल्लेैख किया कि बालाकोट हवाई हमले के बाद विश्वि ने इस बात की सराहना की कि भारत के पास एक निडर नेतृत्वन है, जो अपने जवानों के रक्त  की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देगा। श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व  में भारतीय सुरक्षा बलों ने देश के खिलाफ आतंक की किसी भी कार्रवाई का बदला लेने के लिए शत्रु के क्षेत्र में काफी अंदर तक जाकर हमला करने की अपनी क्षमता का परिचय दिया है, जिसका प्रदर्शन अब तक केवल अमेरिका और इ्जराइल द्वारा ही किया गया था। इस सरकार ने देश को एक चिरप्रतीक्षित और सुपरिभाषित सक्रिय सुरक्षा नीति दी है, जो इसकी विदेश नीति से अलग है।


गृह मंत्री ने बलों को फिर से आश्व स्ति किया कि जवानों और उसके परिवार का कल्यादण सुनिश्चित करना मोदी सरकार की प्राथमिक वरीयता है। उन्होंकने यह भी उल्लेंख किया कि जब से मोदी सरकार सत्ताी में आई है, उसने सुरक्षा बलों के कल्याउण के लिए एक रैंक एक पेंशन जैसी विभिन्नत नीतियां आरंभ की हैं, जिससे सुरक्षा जवानों के संतोष अनुपात में सुधार हुआ है। सरकार एक सुविचारित नीति बना रही है जो यह सुनिश्चित करेगी कि जवान वर्ष में कम से कम 100 दिन अपने परिवार के साथ व्यनतीत कर सकें। जवानों की नियुक्ति के स्था न पर सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए एक समय निर्धारित कार्यक्रम का कार्यान्वसयन किया जाएगा। उन्हों ने वादा किया कि राष्ट्रा को सुरक्षित करने में जवानों के संकल्प् का प्रतिदान मोदी सरकार द्वारा उनके परिवार का भविष्य् सुनिश्चित करने के माध्यपम से दिया जाएगा। अपने संबोधन का समापन करते हुए गृहमंत्री ने देश के लिए उनके जीवन को समर्पित करने के लिए प्रत्येबक जवान और उनके परिवारों को सैल्यूनट किया।


अपने स्वा गत संबोधन में एनएसजी के महानिदेशक श्री अनुप कुमार सिंह ने मुख्यै अतिथि का स्वावगत किया और सूचित किया कि एनएसजी ने अपने क्षमता निर्माण प्रयासों के एक हिस्सेा के रूप में अमेरिका एवं फ्रांस के साथ संयुक्तम अभ्याेस किया है। बल ने 115 आतंकियों का मुकाबला किया है और उसे तीन अशोक चक्र, दो कीर्ति चक्र, चार शौर्य चक्र, 115 पुलिस मेडल प्रदान किए गए हैं, जो एनएसजी की क्षमता का एक बड़ा साक्ष्य् है। एनएसजी एक विश्वे स्त रीय ‘शून्यए त्रुटि’ बल है और यह न्यूषनतम अनुक्रिया समय में किसी भी हमले का मुकाबला कर सकता है। एनएसजी भारतीय सेना और सीएपीएफ से निर्मित है और इसके समक्ष आतंकी हमलों/विमान अपहरण प्रयासों का मुकाबला करने की बहुआयामी जिम्मेेदारी है और यह समीपस्थ  सुरक्षा भी प्रदान करता है। उन्हों ने कहा कि एनएसजी हब के पास राज्यम पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने के लिए अत्यााधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं हैं, जिसके द्वारा यह उनकी पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता करता है।



केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने 11 अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) राष्ट्र को समर्पित किए

विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर. के. सिंह ने 28 फरवरी 2020 को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उत्तरी क्षेत्र अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (एनआर-आरईएमसी) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने 11 आरईएमसी देश को समर्पित किए, जिनके बाद भारत उन चंद मुल्कों की लीग में आ गया है जिनके पास अक्षय ऊर्जा एकीकरण के लिए अत्याधुनिक प्रबंधन केंद्र हैं।


इस आयोजन में बोलते हुए श्री सिंह ने ग्रीन कॉरिडोर और आरईएमसी की योजना बनाने वाले सभी लोगों को बधाई दी और कहा कि यूरोप और अमेरिका ने अक्षय ऊर्जा प्रबंधन शुरू करने के वक्त जो सपना दिखाया था, वे लोग उससे भी ज्यादा बड़ा विजन दिखा रहे हैं।


भारत सरकार का 2022 तक 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता पाने का लक्ष्य है, जो त्वरित अक्षय ऊर्जा की पहुंच को उत्प्रेरित कर रहा है जिसके कारण ग्रिड प्रबंधन को लेकर चुनौतियां खड़ी हुई हैं क्योंकि अक्षय ऊर्जा उत्पादन की प्रकृति आंतरायिक और परिवर्तनशील है। अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित आरई पूर्वानुमान और शेड्यूलिंग उपकरणों से लैस हैं और ग्रिड ऑपरेटरों को अधिक से अधिक विज़ुअलाइज़ेशन और संवर्धित स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करते हैं। ये अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में राज्य भार प्रेषण केंद्रों (एसएलडीसी) के साथ और बेंगलुरु, मुंबई और नई दिल्ली में एनएलडीसी के साथ स्थित हैं। वर्तमान में इन 11 आरईएमसी के माध्यम से 55 गीगावाट अक्षय ऊर्जा (सौर और पवन) की निगरानी की जा रही है।


भारत सरकार ने आरईएमसी केंद्रों को केंद्रीय योजना के रूप में लागू करने की मंजूरी दे दी थी और विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक सीपीएसई महारत्न 'पावरग्रिड' को कार्यान्वयन एजेंसी का जिम्मा दिया। इन आरईएमसी को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (पोस्को - पीओएसओसीओ) द्वारा और राज्य स्तर पर राज्य भार प्रेषण केंद्रों (एसएलडीसी) द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है।


इस आयोजन के दौरान मंत्री महोदय ने "भारतीय विद्युत प्रणाली पर 26 दिसंबर 2019 के सूर्यग्रहण के प्रभाव का विश्लेषण" पर पोस्को की एक रिपोर्ट भी जारी की। इस रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों का दायरा तय किया गया जैसे - सौर उत्पादन का पूर्वानुमान, रैंप अनुमान, सूर्यग्रहण के दौरान पीवी पौधों का व्यवहार आदि। इस रिपोर्ट में गोल और आंशिक ग्रहण क्षेत्र में आने वाले पौधों के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान वैश्विक क्षैतिज प्रकाश विकिरण में भिन्नता का विश्लेषण भी किया गया है।



श्री मनसुख मांडविया ने भारतीय तटरक्षक बल के अपतटीय गश्ती पोत आईसीजीएस वरद का शुभारंभ किया

नौवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने भारतीय तटरक्षक बल के अपतटीय गश्ती पोत आईसीजीएस वरद का आज चेन्नई में शुभारंभ किया। इस अवसर पर भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारी, जहाजरानी मंत्रालय के अधिकारी और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।


आईसीजीएस वरद के कमीशनिंग समारोह में श्री मनसुख मांडविया को 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया। उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल की कोशिशों और उद्यमों की सराहना की, उन्हें बधाई दी और उनकी प्रगति की कामना की।


इस अवसर पर बोलते हुए श्री मांडविया ने कहा, “जहाजरानी मंत्रालय भारतीय तटरक्षक बल के साथ करीबी समन्वय में काम कर रहा है ताकि राष्ट्र के समुद्री हितों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सहयोगी प्रयास किए जा सकें। भारत के तटरक्षक जहाजों को लंगर डालने की जगह देने को और ढांचागत ज़रूरतों को सभी भारतीय बंदरगाहों पर प्राथमिकता दी जाएगी।”


आईसीजीएस वरद का शुभारंभ जहाजों के आईसीजीएस बेड़े में बढ़ोतरी करेगा, जो भारतीय समुद्री सीमाओं की तटीय सुरक्षा के लिए निगरानी और निरंतर सतर्कता में योगदान देगा।


2100 टन के सकल भार के साथ कमीशन हुआ नया आईसीजीएस वरद 98 मीटर लंबा है और 15 मीटर चौड़ा है। इस पोत की सहनशक्ति 5000 समुद्री मील है और इसकी अधिकतम गति 26 समुद्री मील है। इस जहाज को 9000 किलोवाट के 2 डीजल चालित इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें निम्न स्तर की ईंधन खपत होती है, ऊंचा टीबीओ होता है और ये आईएमओ टियर-2 मानदंडों का अनुपालन करता है। इस जहाज को एक सीआरएन-91 और दो 12.7 मिमी की बंदूकों से लैस किया जाएगा और ये एक इंटीग्रल ट्विन इंजन हेलीकाप्टर को ले जाने में सक्षम होगा जो इसकी परिचालन, निगरानी, खोज और बचाव क्षमता को बढ़ाएगा।


इसे जहाज निर्माण उद्योग में एक तेज़ वृद्धि माना जा रहा है क्योंकि आईसीजीएस वरद को एलएंडटी द्वारा स्वदेशी रूप से बनाया गया है जो 'मेक इन इंडिया' के विजन में काफी योगदान देगा।



श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हरमू ग्राउंड, रांची (झारखंड) में केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘हुनर हाट’ का उद्घाटन किया

केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज रांची (झारखंड) में कहा कि मोदी सरकार भारत की शानदार मौलिक  हस्तकला/शिल्प को अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है। 


केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और श्री नकवी ने रांची (झारखंड) के हरमू ग्राउंड, हरमू चौक में ‘हुनर हाट’ का उद्घाटन किया। इस ‘हुनर हाट’ का आयोजन केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा 29 फरवरी से 08 मार्च, 2020 तक किया जाएगा। झारखंड में ‘हुनर हाट’ का पहली बार आयोजन किया जा रहा है। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय का यह 21 वां ‘हुनर हाट’ है।


श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत की परम्परागत हस्तकला/शिल्प को अंतर्राष्ट्रीय बाजार, अवसर उपलब्ध कराने और पहचान दिलाने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय आपसी तालमेल के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘हुनर हाट’ आर्थिक विकास की मुख्य धारा में आम लोगों की साझेदारी सुनिश्चित करने का एक प्रभावी मिशन है।


श्री अर्जुन मुंडा ने कहा, ‘हुनर हाट’ भारत की हस्तकला/शिल्प की स्वदेशी विरासत को बाजार और अवसर उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘हुनर हाट’ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक छत के नीचे समझने का शानदार मंच साबित हुआ है।


श्री नकवी ने कहा कि जहां एक ओर ‘हुनर हाट’ ने ‘कौशल को काम’ सुनिश्चित किया है, वहीं दूसरी ओर इसने भारत की हस्तकला/शिल्प की विरासत को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी है।


श्री नकवी ने कहा कि 13-23 फरवरी 2020 को इंडिया गेट लॉन, राजपथ नई दिल्ली में आयोजित ‘हुनर हाट’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दौरे से देशभर के कारीगरों, शिल्पियों विशेषकर महिला शिल्पियों को बेहद प्रोत्साहन और बढ़ावा मिला है।


23 फरवरी को प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में ‘हुनर हाट’ और कारीगरों, शिल्पियों और उनके खूबसूरत हस्त शिल्प उत्पादों की सराहना की। ‘मन की बात’ में ‘हुनर हाट’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने हमारी मौलिक हस्तकला/शिल्प की शानदार विरासत को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने की हमारी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के घंटे भर के ‘हुनर हाट’ के दौरे ने ‘हुनर हाट’ को अपार प्रोत्साहन प्रदान किया और ‘हुनर हाट’ को मिले प्रचार से वहां आने वाले लोगों की संख्या में 60 प्रतिशत वृद्धि हुई। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही तरह के 17 लाख से अधिक आगंतुकों ने इंडिया गेट लॉन, राजपथ नई दिल्ली में आयोजित ‘हुनर हाट’ का दौरा किया। आगंतुकों ने कारीगरों और शिल्पियों का हौसला बढ़ाया तथा ‘हुनर हाट’ के ‘बावर्चीखाना’ खंड में विभिन्न राज्यों के परम्परागत व्यंजनों का लुत्फ उठाया।


श्री नकवी ने कहा कि रांची में ‘हुनर हाट’ में 125 मंडप बनाए गए हैं, जहां महिला कारीगरों सहित देशभर के 250 से ज्यादा कारीगर और शिल्पी भाग ले रहे हैं। कारीगर अपने साथ देश के कोने-कोने से दुर्लभ हस्तनिर्मित स्वदेशी उत्पाद लाए हैं। आगंतुक यहां रोजाना विभिन्न राज्यों के परम्परागत व्यंजनों का लुत्फ उठाएंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखेंगे।


अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि पिछले 3 साल में  बड़ी संख्या में महिला कारीगरों सहित 3 लाख से ज्यादा कारीगरों, हस्तशिल्पियों, पाक कला विशेषज्ञों और उनसे संबंधित लोगों को  ‘हुनर हाट’ के माध्यम से रोजगार और रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए हैं।


उन्होंने कहा कि केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इन कारीगरों और इनके मौलिक उत्पादों का ‘जीईएम’ (गवर्मेंट ई-मार्केटप्लेस) पर पंजीकरण करने की प्रक्रिया आरम्भ की है। अनेक निर्यात संवर्धन परिषदों ने इन कारीगरों और हस्तशिल्पियों के हस्तनिर्मित उत्पादों को बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने में दिलचस्पी दिखाई है। भारतीय पैकेजिंग संस्थान इन कारीगरों को पैकेजिंग के अपने तरीकों में सुधार लाने और उन्हें ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।


अगला ‘हुनर हाट’ 13 से 22 मार्च, 2020 को चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा। आने वाले दिनों में "हुनर हाट" गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, देहरादून, पटना, भोपाल, नागपुर, रायपुर, पुद्दुचेरी, अमृतसर, जम्मू, शिमला, गोवा, कोच्चि, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, अजमेर और अन्य स्थानों में आयोजित किए जाएंगे। अब तक, ‘हुनर हाट’ का आयोजन देश के विभिन्न स्थानों जैसे दिल्ली, मुंबई, प्रयागराज, लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुद्दुचेरी और इंदौर में किया जा चुका है।


इस अवसर पर ‘हुनर हाट’ में भाग लेने के लिए देशभर से रांची आई महिला कारीगरों का अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मंत्री श्री सुरेश खन्ना, रांची से सांसद श्री संजय सेठ, झारखंड के पूर्व मंत्री एवं रांची से विधायक श्री सी.पी. सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।



‘चिंतन बैठक’- भारत के सभी प्रमुख बंदगाहों के अध्‍यक्षों के साथ बंदरगाह समीक्षा बैठक संपन्‍न

केंद्रीय जहाजरानी राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने तमिलनाडु के ममलापुरम में तीन दिवसीय बंदरगाह समीक्षा बैठक – ‘चिंतन बैठक’ की अध्‍यक्षता की, जो आज संपन्‍न हुई। भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों के अध्‍यक्ष, जहाजरानी मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों और प्रमुख बंदरगाहों के अन्‍य अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।

‘चिंतन बैठक’ में प्रमुख बंदरगाहों के प्रदर्शन में सुधार लाने, निजी या गैर प्रमुख बंदरगाहों के साथ प्रत्‍यक्ष रूप से प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए प्रमुख बंदरगाहों के सुदृढ़ीकरण, बंदरगाह आधुनिकीकरण, बंदरगाहों को फेसलेस और पेपर लेस बनाने के लिए ई-गर्वनेंस का कार्यान्‍वयन, ‘ट्रांस-शिपमेंट हब’ के रूप में भारत का विकास और सामुद्रिक क्षेत्र के लिए विजन-2030 जैसे विभिन्‍न विषयों पर व्‍यापक रूप से विचार किया गया।


चिंतन बैठक के दूसरे दिन, उपराष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने अधिकारियों के साथ परस्‍पर बातचीत की और उन्‍हें प्रोत्‍साहित किया। उन्‍होंने कहा कि भारत को अन्‍य वैश्विक बंदरगाहों के समतुल्‍य बंदरगाहों का विकास करने की आवश्‍यकता है। 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने की यात्रा में भारत के लिए बंदरगाहों पर एक विश्‍व स्‍तरीय अवसरंचना महत्‍वपूर्ण है। श्री नायडू ने कहा कि तटीय समुदाय विकास बंदरगाह आधारित विकास का एक अनिवार्य घटक है। स्‍थानीय युवकों को कौशल उपलब्‍ध कराने के द्वारा स्‍थानीय समुदायों पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है, जिससे कि वे रोजगार के अवसर प्राप्‍त कर सकें।


  चिंतन बैठक के दौरान श्री मनसुख मंडाविया ने अध्‍यक्षों, अधिकारियों के साथ सक्रियतापूर्वक परस्‍पर बातचीत की और ‘भारत के स्‍मार्ट, टिकाऊ और सुरक्षित बंदरगाहों’ का विजन प्रस्‍तुत किया। सभी प्रमुख बंदरगाहों के अध्‍यक्षों ने बंदरगाहों के विकास के लिए नवोन्‍मेषी उपायों, उल्‍लेखनीय उपलब्धियों, समग्र वित्‍तीय स्थिति, भविष्‍य की योजना के साथ संबंधित बंदरगाह निष्‍पादन प्रस्‍तुत किया। बंदरगाह समीक्षा बैठक के दौरान अध्‍यक्षों ने भी जहाजरानी मंत्री को उन मुद्दों के बारे में जानकारी दी, जिनमें मंत्रालय स्‍तरीय अंत:क्षेपों की आवश्‍यकता है। श्री मंडाविया ने बैठकों में बंदरगाहों के समक्ष आने वाली विभिन्‍न चुनौतियों का समाधान किया और बंदरगाहों के विकास के लिए सभी आवश्‍यक सहायता का आश्‍वासन दिया। श्री मंडाविया ने बंदरगाहों को विश्‍वभर में सामुद्रिक क्षेत्र में अनुसरण की जाने वाली सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों को कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्‍साहित किया।  



दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों की शिल्पकारिता और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सप्ताह भर चलने वाले "एकम उत्सव" का उद्घाटन कल

 केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तत्वावधान में स्टेट एम्पोरिया कॉम्पलेक्स, बाबा खडक सिंह मार्ग, नई दिल्ली में कल शाम नेशनल हैन्डीकैप्ड फाइनैंस एंड डेवलपमेंट कोर्पोरेशन (एनएचएफडीसी) द्वारा आयोजित होने वाले प्रदर्शनी-सह-मेले ‘एकम फेस्ट’ का उद्घाटन करेंगे। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म लघु एवं मझोले  उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी और महिला एवं बाल विकास तथा केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी भी    सप्ताह भर चलने वाले इस आयोजन के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, श्री रतनलाल कटारिया और श्री रामदास अठावले भी उपस्थित रहेंगे।


      यह एकम फेस्ट दिव्यांगजनों के बीच उद्यमिता और ज्ञान को बढ़ावा देने, दिव्यांगजनों के सामर्थ्य के बारे में समाज में जागरूकता उत्पन्न करने, दिव्यांग उद्यमियों को विपणन का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में एक प्रयास है। एनएचएफडीसी फाउंडेशन की ओर से इन कृत संकल्प उद्यमियों के उत्पादों के विपणन के लिए ब्रांड और मंच तैयार करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। तदनुसार, ब्रांड का नाम एकम (आन्ट्रप्रनर्शिप, नॉलेज, अवेयरनेस, मार्केटिंग) तय किया गया है। एकम शब्द समावेशिता, एकात्मकता और एकता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो दिव्यांगजनों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने, जागरूकता उत्पन्न करने और विपणन संबंधी पहलों के माध्यम से  विपणन मंच तैयार करने और उत्पादों को एकत्र करने के लिए एनएचएफडीसी के प्रयासों को सटीक रूप से वर्णन करने के लिए उपयुक्त है।


      सप्ताह भर तक चलने वाले एकम फेस्ट में दिव्यांग कलाकारों और विख्यात पेशेवर व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शन सहित अनेक सांस्‍कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। आयोजन के अन्य आकर्षणों में ज्योतिष संबंधी परामर्श और दिव्यांग पेशेवरों द्वारा पैरो की मालिश शामिल हैं।


      प्रथम एकम फेस्ट में जम्मू कश्मीर से पुद्दुचेरी और नगालैंड से गुजरात तक के देशभर के दिव्यांग उद्यमियों और कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस आयोजन में हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई का काम और सूखे मेवे सहित जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के प्रमुख उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। मेले के दौरान 18 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लगभग 80 दिव्यांग उद्यमी/कारीगर अपने सुंदर उत्पादों, सेवाओं और कौशल का प्रदर्शन करेंगे। यह असाधारण कृतसंकल्प दिव्यांग शिल्पकारों और उद्यमियों द्वारा निर्मित उत्पादों को प्रोत्साहित करने का अवसर होगा।


      एनएचएफडीसी की इन उत्‍पादों की ऑन लाइन बिक्री को बढ़ावा देने के लिए ऑन लाइन विपणन मंच को शुरु करने और बड़े कारोबारी घरानों को भी साथ जोड़ने की भी योजना है। एकम फेस्‍ट के मंडपों में मोटे तौर पर निम्‍नलिखित श्रेणी के उत्‍पाद होंगे :


1. गृह सज्‍जा और जीवनशैली


2. कपड़ा


3. स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद


4. डिब्‍बाबंद खाद्य और जैविक उत्पाद


5. खिलौने और उपहार


6. निजी वस्तुए -आभूषण, क्लच बैग


इस फेस्‍ट में एनएचएफडीसी की नई पहलें भी प्रदर्शित की जाएंगी। कुछ प्रमुख का वर्णन नीचे किया गया है :



  1. एनएचएफडीसी स्वावलंबन केन्द्र (एनएसके) एनएचएफडीसी ने दिव्यांगजनों को प्रशिक्षण देने के लिए देशभर में दिव्यांगजनों के स्वामित्व वाले कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करने की दिशा में पहल की है। इन एनएसके में प्रतिवर्ष लगभग 120 दिव्यांगजनों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने की क्षमता है। एनएसके के दिव्यांगजन स्वामी द्वारा प्रतिमाह लगभग 20,000 रुपये अर्जित किए जाने की संभावना है।

  2. दिल्ली और इंदौर में सुरक्षित टैक्सियाः एनएचएफडीसी ने सखा कैब्स के साथ मिलकर व्यवस्था की है, जिसके तहत  महिला, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित टैक्सी का विकल्प प्रदान करने के लिए दिव्यांगजनों के स्वामित्व वाले वाणिज्यिक वाहनों को महिला ड्राइवरों द्वारा चलाया जाएगा। नई दिल्ली और इंदौर एयरपोर्ट पर पहले से ही इस तरह की टैक्सियां चलाई जा रही हैं। इन वाहनों के लिए एनएचएफडीसी द्वारा वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाती है।

  3. सुरक्षित पेयजल ई कार्ट्स : एनएचएफडीसी ने हाल ही में आरओ वॉटर डिस्‍पेंसिंग वेंडिंग मशीनों से युक्‍त ई-कार्ट्स के लिए वित्तीय सहायता देने पर सहमति प्रकट की है। ये कार्ट्स स्वच्छता बनाए रखते हुए कागज के गिलास में पानी बेचेगी। इन कार्ट्स के परिचालन में भारत जल द्वारा सहायता दी जाएगी। दिव्यांगजन स्‍वामी को  इन कार्ट्स गाड़ियों के परिचालन से 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति माह अर्जित होने की संभावना है।


 


एनएचएफडीसी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्‍तीकरण विभाग के तत्वावधान में एक सर्वोच्च निगम है और यह 1997 से काम कर रहा है। यह अलाभकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत है और दिव्यांगजनों के आर्थिक पुनर्वास के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करती है और उन्हें अपने उद्यमों को विकसित करने और बनाए रखने के लिए अनेक कौशल विकास कार्यक्रमों चलाती है। दिव्यांगजनों और समाज के हाशिए पर मौजूद समूहों को सशक्त बनाने के लिए एनएचएफडीसी ने इस वर्ष एक कदम और आगे बढ़ाते हुए एनएचएफडीसी फाउंडेशन की स्थापना की है। इस बात की पहचान करते हुए कि  असंगठित छोटे दिव्यांग उद्यमियों का बाजार के साथ सम्‍पर्क न होने के कारण उचित मूल्‍यों और उत्‍पादों की बिक्री में बाधा आती है, एनएचएफडीसी फाउंडेशन इन कृतसंकल्‍प उद्यमियों के उत्‍पादों के लिए ब्रांड विकसित करने और उनके विपणन का मंच तैयार करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। 



सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली ने भारत को जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी होने में चुपचाप सक्षम बना दिया है: श्रीमती निर्मला सीतारमण

सरकार ने सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) प्रेरित प्रौद्योगिकी में क्रांति ला दी है, जिसने भारत को जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी बनाने के लिए चुपचाप अधिकार संपन्‍न बना दिया है। श्रीमती सीतारमण ने आज यहां 44वें सिविल लेखा दिवस समारोह में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पीएफएमएस ने देश के लिए 1 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं। वित्त मंत्री ने रेखांकित किया कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) अब विभिन्न बहुपक्षीय और वैश्विक मंचों पर सार्वजनिक वित्त प्रबंधन के क्षेत्र में एक विशिष्ट ब्रांड के रूप में पहचानी जाने लगी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये उपलब्धियाँ प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि इनका सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली पर वास्तविक और स्थायी प्रभाव पड़ा है।


श्रीमती सीतारमण ने लेखा महानियंत्रक की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि न केवल यह देश को अधिक दक्ष और प्रभावी बना रहा है, बल्कि सार्वजनिक वित्त का उपयोग करने में अधिक प्रभावपूर्ण भी बना रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सीजीए का काम अस्पृहणीय है, क्योंकि अपने दृष्टिकोण में कुशल और प्रगतिशील होने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी को बनाए रखना एक निरंतर चुनौती है।


इस अवसर पर सचिव (व्यय) डॉ. टी. वी. सोमनाथन ने जोर देकर कहा कि भारतीय सिविल लेखा सेवा संगठन ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए 8.46 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सीधे अपने बैंक खातों में पीएम-किसान भुगतान को सक्षम करने के द्वारा अपनी आईटी ताकत साबित की है। उन्होंने वैश्विक मानकों के अनुरूप, सभी हितधारकों के लिए सार्वजनिक डोमेन में व्‍यय और खाता आंकड़ों को रचाने में प्रदर्शित की गई दक्षता और सटीकता के लिए सेवा की सराहना की।


लेखा महानियंत्रक श्रीमती सोमा रॉय बर्मन ने कहा कि पीएफएमएस सरकार के लिए एक उपयोगी वित्तीय प्रबंधन उपकरण के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सेवा लगातार डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रभावी उपयोग द्वारा भुगतान, प्राप्तियां, लेखा और आंतरिक लेखा परीक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने का प्रयास करेगी और अधिक प्रभावी वित्तीय प्रबंधन के लिए सरकार एकीकृत राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली (जीआईएफएमआईएस) के हिस्से के रूप में राजकीय रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल में सुधार करेगी।


इस अवसर पर वित्त मंत्री ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रमुख लेखा कार्यालयों और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पीएओ/जेडएओ (सीबीडीटी) इकाई को सिविल लेखा सम्‍मान पुरस्कार भी प्रदान किए। इस समारोह में 15वें वित्त आयोग के सदस्‍य डॉ. अशोक लाहिड़ी और सेवानिवृत्त नियंत्रक महालेखाकारों और भारतीय सिविल सेवा लेखा अधिकारियों ने भाग लिया।


भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) के बारे में:


केंद्र सरकार ने 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में एक बड़ा सुधार आरंभ किया। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के खाते तैयार करने की जिम्मेदारी देकर लेखा परीक्षा और लेखा कार्यों को अलग कर दिया गया। लेखांकन कार्य को सीधे कार्यकारी के नियंत्रण में ले आया गया। इसके बाद भारतीय नागरिक लेखा सेवा (आईसीएएस) की स्थापना हुई। आईसीएएस को प्रारंभ में सी एण्‍ड एजी (कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्तों) संशोधन अधिनियम, 1976 में संशोधन के अध्यादेश के प्रख्‍यापन के माध्यम से भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईए एवं एएस) से लिया गया था। इसके बाद विभागीयकरण केंद्रीय लेखा (कार्मिक स्थानांतरण) अधिनियम, 1976 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और 8 अप्रैल, 1976 को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा इसे स्‍वीकृति प्रदान की गई। इस अधिनियम को 1 मार्च, 1976 से प्रभावी माना गया था। आईसीएएस हर साल 1 मार्च को "सिविल लेखा दिवस" ​​के रूप में मनाता है।


अपनी स्थापना के बाद से भारतीय सिविल लेखा संगठन का प्रभाव लगातार बढ़ा है और अब वह केंद्र सरकार के सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन में उत्कृष्टता के माध्यम से शासन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगठन का मिशन बजट, भुगतान, लेखांकन और पेंशन संवितरण के लिए एक प्रभावी, विश्वसनीय और उत्तरदायी प्रणाली का प्रबंधन करना है। इसका उद्देश्य विश्वस्तरीय और मजबूत सरकारी-एकीकृत वित्तीय सूचना प्रणाली प्रदान करना है। इसके अलावा, संगठन ने बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए आंतरिक लेखापरीक्षा का एक नया प्रतिमान विकसित करने का प्रयास किया है। संगठन ने एक समर्पित और प्रेरित कार्य बल के माध्यम से व्यावसायिक सत्‍यनिष्‍ठा और क्षमता को बढ़ावा देने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।


भारतीय सिविल लेखा संगठन भारत सरकार के भुगतान, लेखा, आंतरिक लेखा परीक्षा और वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणालियों की दक्षता बढ़ाने के लिए आईटी का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। 2009 में आरंभ की गई सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) इस पहलू को प्रदर्शित करने वाली संगठन की प्रमुख परियोजना है।


सरकार ने पीएफएमएस को एक महत्वपूर्ण निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में स्‍थापित  किया है, जो न केवल अंतिम लाभार्थी या कार्यान्वयन स्तर पर धन के प्रवाह पर नज़र रखती है, बल्कि फंड के प्रवाह के एक प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से धन राशि को समयबद्ध तरीके से जारी किया जाना भी सुनिश्चित करती है। सरकार सरकारी धन के अवरोधन की जांच करने के लिए बिना खर्च की गई राशि के प्रभावी निगरानी और निधियों के संतुलन के लिए पीएफएमएस को एक बेहतर सुविधा के रूप में देख रही है। वास्तव में, पीएफएमएस का अब सीजीए की नियमित गतिविधियों जैसे कि भुगतान, प्राप्तियां, लेखांकन, व्यय नियंत्रण, भविष्य निधि का प्रबंधन और पेंशन आदि के लिए कोर आईटी प्लेटफॉर्म के रूप में उपयोग किया जा रहा है।


भुगतान के डिजिटलीकरण, प्राप्ति लेखांकन, स्कीम निधियों की ट्रैकिंग के लिए एक मंच के रूप में पीएफएमएस की उपलब्धि निम्नानुसार हैं:



  • एकीकृत बैंकों की संख्या: 362

  • पीएओ – ऑन बोर्ड: 556/563

  • सीडीडीओ-  ऑनबोर्ड: 1392/1417

  • भुगतान एवं लेखांकन के लिए एकीकृत सभी केंद्रीय मंत्रालय (रेलवे और रक्षा को छोड़कर); 1800 से अधिक सीएस/सीएसएस योजना ऑन-बोर्डेड

  • सभी 31 राज्य कोषागार एकीकृत

  • 53 बाहरी डोमेन सिस्टम एकीकृत

  • 27 लाख से अधिक कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियां ​​पंजीकृत हैं

  • वित्त वर्ष 2019-20: पीएफएमएस के जरिए 19.64 लाख करोड़ रुपए के बराबर के 64 करोड़ लेनदेन किए गए

  • डीबीटी के लिए अब तक वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1.53 लाख करोड़ रुपये के बराबर की राशि का भुगतान।


पीएफएमएस के लिए और अच्छी बात केंद्रीय क्षेत्र योजना, पीएम-किसान योजना का कार्यान्वयन है, जिसे फरवरी 2019 में संसद में प्रस्‍तुत अंतरिम बजट में घोषित किया गया था। अभी तक कुल 8.12 करोड़ किसानों से संबंधित 24.63 करोड़ लेनदेन के माध्यम से कुल 49,250.77 करोड़ रुपये के लाभ की कुल राशि का भुगतान किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री ने 2 जनवरी, 2020 को तुमकुरु में 6 करोड़ कृषक परिवारों से संबंधित 12 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त किश्त जारी करने की घोषणा की।


इसके मुख्य कार्य के हिस्से के रूप में लेखा महानियंत्रक कार्यालय केंद्र सरकार के लेखों के मासिक समेकन के लिए उत्‍तरदायी है। केंद्रीय वित्त मंत्री को हर महीने प्राप्तियों, भुगतानों, घाटे और वित्तपोषण के इसके स्रोतों के मासिक रुझानों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। वेबसाइट http://www.cga.nic.in पर डेटा एक्सेस किया जा सकता है।


इसके अलावा, सीजीए कार्यालय त्वरित प्रबंधन निर्णय लेने के लिए वित्त मंत्रालय को प्राप्तियों, भुगतानों और घाटों के फ्लैश आंकड़े प्रदान करने के लिए एक उपकरण के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है। विभिन्न वित्तीय मानदंडों और लक्ष्यों की निगरानी में सक्षम करने के लिए मार्च के महीने में दैनिक फ्लैश के आंकड़े प्रदान किए जाते हैं। सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों के विकास के अनुरूप सीजीए कार्यालय वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दो महीने के भीतर भारत सरकार के अनंतिम खाते भी तैयार करता है। इस वर्ष अनंतिम खातों के प्रकाशन की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।



मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगा - श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि शिक्षा के माध्यम से छात्राओं और महिलाओं के सशक्तीकरण की गति को आगे बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (आईडबल्यूडी) मनाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 1 से 7 मार्च तक एक थीम आधारित विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत 1 मार्च का थीम शिक्षा है। श्री पोखरियाल ने कहा कि महिलाओं को श्रद्धांजलि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उत्सव पूरे वर्ष जारी रहेगा।


मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा है कि सरकार ने छात्राओं की शिक्षा के लिए वर्ष 2014 से कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। यह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की योजना की सफलता की कई वजहों में से एक है जिससे शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों का कुल नामांकन अनुपात अब लड़कों की तुलना में अधिक है। प्राथमिक स्तर पर लड़कों के 89.28 प्रतिशत के मुकाबले लड़कियों का नामांकन अनुपात 94.32 प्रतिशत है। माध्यमिक स्तर पर लड़कों के 78 प्रतिशत की तुलना में लड़कियों का नामंकन 81.32 प्रतिशत है।


श्री निशंक ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्राओं को अपने जीवन में उत्कृष्टता लाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न गतिविधियां शुरू करने का फैसला लिया है ताकि छात्राएं यह साबित कर सकें कि लैंगिक भिन्नता उत्कृष्टता हासिल करने में बाधक नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग गोलमेज वार्ता का आयोजन करेगा और कई अन्य गतिविधियों के बीच देश भर के लगभग 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों पर महिला सशक्तीकरण के कई अन्य कार्यक्रम शुरू करेगा।  


उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को कक्षा निर्देश के दौरान तेज छात्राओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित किया है। श्री निशंक ने बताया कि छात्राओं में नेतृत्व के गुणों और आत्मविश्वास का पोषण करने के लिए मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 और उसके बाद के शैक्षणिक सत्रों की कम से कम आधी अवधि के लिए कक्षा मॉनिटर "मैं हूं मॉनिटर" के रूप में छात्रा को नामित करने का निर्णय लिया है।


उन्होंने यह भी बताया कि योग ओलंपियाड की तर्ज पर स्कूल स्तर पर लड़कियों के लिए एक सेल्फ डिफेंस ओलंपियाड का आयोजन किया जाएगा। लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्कूलों की छठी से बारहवीं कक्षा की लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है।


कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में संस्कृति और थिएटर क्लबों को महिलाओं के मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक, माइम शो आदि आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। श्री निशंक ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने-अपने परिसरों में विभिन्न स्थानों पर महिला हेल्पलाइन नंबरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करेंगे।


श्री निशंक ने कहा कि छात्राओं को प्रेरित करने के लिए स्कूलों में पूरे वर्ष सप्ताह में एक बार सुबह विशेष सभाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन सभाओं में विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल कर चुकी महिलाओं पर वार्ता, रोल प्ले, दिन के सद्विचार और महिला सशक्तिकरण पर समूह गायन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा, खेल, नृत्य, संगीत, कला, सामाजिक सेवा और ऐसे ही कुछ नए क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा।


श्री निशंक ने बताया कि स्कूलों से यह भी अनुरोध किया जा रहा है कि वे महिला संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को संगठन की विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित करें। शैक्षिक संस्थान उस जिले की प्रमुख/प्रेरणादायी महिलाओं पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करेंगे जहां वे स्थित हैं।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन के तहत लड़कियों की शिक्षा के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए लगातार काम कर रहा है। स्कूलों में छात्राओं के नामंकन को प्रोत्साहित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वच्छ विद्यालय पहल के तहत 15.08.2014 से 15.08.2015 की एक साल की अवधि के अंदर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अलग-अलग शौचालयों का निर्माण कराया है। अब सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।


वर्ष 2018-19 से प्रभावी स्कूली शिक्षा की नई एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा के तहत मौजूदा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) को उच्च प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक स्तर तक के उन्नयन में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। केजीबीवी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के वंचित समूहों की लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय हैं। 30 सितंबर, 2014 को 3593 की तुलना में दिसंबर 2019 तक 4881 केजीबीवी चल रहे हैं। केजीबीवी में वर्तमान में 6.18 लाख लड़कियों का नामांकन है, जबकि 30 सितंबर, 2014 को 3.52 लाख लड़कियों का नामांकन था।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में प्रख्यात महिला व्यक्तित्वों के नाम पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दस (10) चेयर स्थापित करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में समाज में सबसे अधिक वंचित महिलाओं पर विशेष ध्यान देने वाले महिला अध्ययन केंद्रों की स्थापना की जा रही है।


उच्च शिक्षा में एकलौती बेटी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 में सामाजिक विज्ञान में स्वामी विवेकानंद सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप फॉर रिसर्च शुरू की गई थी।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आठ विशेष महिला विश्वविद्यालयों के लिए सहायता प्रदान की है।


अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की सहायता के लिए प्रगति छात्रवृत्ति योजना को लागू कर रही है।


सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों के बी.टेक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर महिला नामांकन को मौजूदा 8 प्रतिशत से वर्ष 2018-19 में बढ़ाकर 14 प्रतिशत, 2019-20 में 17 प्रतिशत और 2020-21 में 20 प्रतिशत करने का फैसला लिया है।


सरकार ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर के स्नातक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर अगले 2 से 4 वर्ष की अवधि में महिला नामांकन को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।


तदनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों में वर्ष 2018-19 में 835 सीटें और 2019-20 में 1122 सीटें बढ़ाई गई हैं। शैक्षणिक वर्ष 2018-2019 में एनआईटी और आईआईईएसटी में अतिरिक्त 673 सीटें बढ़ाई गई।



प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में आयोजित अब तक के सबसे बड़े आरवीवाई एंड एडीआईपी शिविर में वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए

वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के लिए उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर प्रयागराज में अब तक के सबसे बड़े सामाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ,  केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर,श्री रामदास अठावले, श्री रतन लाल कटारिया, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, यूपी सरकार के अन्य मंत्रीगण एवं स्थानीय सांसद व विधायक शामिल थे। इसके अलावा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती शकुंतला डी. गामलिन, केंद्रीय मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।


इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान 26,874 लाभार्थियों को 56,905 सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए। दिव्यांगजनों को एडीआईपी और वरिष्ठ नागरिकों को राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत यह लाभ दिया गया। इन उपकरणों को पाने वालों में 10,416 दिव्यांगजन और 16,458 वरिष्ठ नागरिक थे। इस दौरान लगभग 19,37,76,980/- रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संस्कृत की एक प्राचीन सूक्ति - 'स्वस्ति: प्रजाभ्यः परिपालयंतां, न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः' को उद्धृत किया। इसका अर्थ है कि सरकार का कर्तव्य है कि वह सभी को समान न्याय दे।  उन्होंने कहा, ‘यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सिद्धांत पर आधारित है। इसी भावना के साथ हमारी सरकार समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण एवं विकास के लिए काम कर रही है। 130 करोड़ भारतीय चाहे वह वरिष्ठ नागरिक हों, दिव्यांग हों, आदिवासी हों या समाज के निचले तबके से हों, उनके हितों की रक्षा करना मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता है।’


सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के इस मेगा शिविर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरकार के सभी को एक समान जीवन उपलब्ध कराने के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारों के समय में ऐसे शिविर बामुश्किल आयोजित किए जाते थे और इस तरह के बड़े कैंपों को आयोजन बहुत दुर्लभ बात थी। पिछले पांच साल के दौरान हमारी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में 900 शिविरों का आयोजन किया है।’ पिछले पांच साल के दौरान सरकार ने दिव्यांगजनों को 900 करोड़ रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण बांटे हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नए भारत के विकास के लिए यह जरूरी है कि इसमें दिव्यांग युवाओं एवं बच्चों की बराबर की भागीदारी हो। सरकार उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहित कर रही है, चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र हो या सेवा क्षेत्र हो अथवा खेल का मैदान।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी पहली सरकार है जिसने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम को लागू किया। इसके माध्यम से हमने दिव्यांगजनों की श्रेणी को 7 से बढ़ाकर 21 किया है। हमने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिव्यांगजनों का कोटा 3% से बढ़ाकर 5% किया है।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान देश में कई इमारतों, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया गया है। शेष को भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़कर दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया जाएगा।


इस अवसर पर डॉ. थावरचंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन डीईपीडब्ल्यूडी दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में डीईपीडब्ल्यूडी पहले ही सात बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दिव्यांगजन को यूडीआईडी कार्ड जारी करने के उद्देश्य से उनका मंत्रालय यूडीआईडी कार्ड प्रोजेक्ट को लागू कर रहा है, इसे पूरे देश में चलाया जाएगा।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार ने दिव्यांगजनों की पेंशन को 300 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है। उन्होंने जिलों और उप जिलों समेत देशभर में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की व्यापक पहल करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार भी दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने प्रयागराज के दिव्यांगजनों को मोटरयुक्त ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराने के लिए अपने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से सब्सिडी उपलब्ध कराने वाले प्रयागराज, भदोही और फूलपुर के सांसदों, विधायकों एवं एमएलसी की सहायता की भी सराहना की।


प्रयागराज जिले में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजन को अधिकतम लाभ पहुंचाने की दृष्टि से केंद्रीय सरकारी कंपनी एएलआईएमसीओको केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने शिविर संचालित करने का निर्देश दिया गया था। इसके अनुसार जिला प्रशासन के पूरे सहयोग से शिविर आयोजित किए गए। 9 से 21 दिसंबर 2019, 6 से 10 जनवरी 2020, 7 फरवरी 2020 और 22 फरवरी 2020 को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आंकलन शिविर ब्लॉक स्तर पर 20 जगहों पर, प्रयागराज के नगर निगम क्षेत्र में 5 और जिले में एक ग्राम पंचायत में लगाए गए। इस दौरान कुल 26874 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया।


 


मेगा वितरण शिविर में लाभार्थियों को फ्री में बांटी गई मदद का विवरण-

































क्रमांक



योजना



लाभार्थियों की संख्या



उपकरणों की संख्या



वैल्यू


(रुपये में)



1



ADIP



10406



18455



10,54,07,928.00



2



RVY



16468



38450



8,83,69,052.00



कुल



26874



56905



19,37,76,980.00



उपरोक्त से इतर, प्रयागराज जिला प्रशासन के सहयोग से मंत्रालय ने 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए। 'हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड' नाम से 28 फरवरी 2020 को रिकॉर्ड बना और 2 प्रयास 29 फरवरी 2020 को किए गए।


3 टाइटलों का स्टेटस इस प्रकार से है-


क- हाथ से चलने वाली ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड ( 300 संख्या):


यह विश्व रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने 28 फरवरी 2020 को सफलतापूर्वक बनाया और 1.8 किमी कवर करते हुए पिछला यूएई के 1.6 किमी के 250 ट्राइसाइकिल की परेड के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।


ख- एक घंटे में सबसे ज्यादा हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल दान करना (626 संख्या):


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


 


ग- व्हील चेयर्स की सबसे बड़ी चलती लाइन (400 संख्या) :


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड आज डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


शिविर में बांटे गए बड़े उपकरणों का विवरण इस प्रकार से है: -


































































































































एडीआईपी स्कीम



आरवीवाई स्कीम



उपकरण



संख्या



उपकरण



संख्या



मोटर वाली ट्राइसाइकिल



847



वॉकिंग स्टिक



13292



पारंपरिक ट्राइसाइकिल



3949



व्हील चेयर



2181



व्हील चेयर



1544



बैसाखी



118



बैसाखी



5088



ट्राइपोड और टेट्रापोड



1735



वॉकिंग स्टिक्स



1811



वॉकर फोल्डेबल



850



ब्रेल केन



145



चश्मा



5816



स्मार्ट केन



659



कृत्रिम दांतों की पंक्ति



4950



स्मार्टफोन



29



हियरिंग ऐड



8858



हियरिंग ऐड



2525



व्हीलचेयर कमोड



55



ब्रेल किट



73



चेयर कमोड



35



रोलेटर



229



सिलिकॉन फोम कुशन



10



टैबलेट



1



नी ब्रेस



326



डेजी प्लेयर



12



स्पाइनल सपोर्ट



40



एमएसआईईडी किट



403



एलएस बेल्ट



94



सेलफोन



54



सीट के साथ वॉकिंग स्टिक



05



एडीएल किट



50



फुट केयर किट



85



ब्रेल स्लेट



13



---



 



सीपी चेयर



99



---



 



कृत्रिम अंग


और कैलिपर



924



---


 

शिविर में बैट्री से चलने वाली 847 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं। ऐसी एक मोटर वाली ट्राइसाइकिल की कीमत 37,000 रुपये है जबकि 25 हजार रुपये की सब्सिडी एडीआईपी स्कीम के तहत दी गई और 12 हजार रुपये की संतुलित राशि एमपीएलएडी फंड, एमएलए फंड, सीएसआर, एनजीओ या लाभार्थी के द्वारा दी गई। प्रयागराज, फूलपुर और भदोही के सांसदों और 9 एमएलए व 2 एमएलसी के एमपीएलएडी फंडों के सहयोग से वितरण कैंप में 166 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं।


इसके अतिरिक्त तमाम कॉरपोरेशनों की सीएसआर पहल के तहत 243 मोटर वाली साइकिलें वितरित की गईं, जिनकी जानकारी इस प्रकार से है:


क- मेजा, ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी) की ओर से 118


ख- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी बारा के द्वारा 83


ग- इफको प्रयागराज के द्वारा 41 और


घ- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी, बारा और इफको प्रयागराज द्वारा 1