Saturday, March 7, 2020

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर कार्यशाला का उद्घाटन किया

 केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा है कि नरेन्‍द्र मोदी सरकार में महिलाओं के लिए नये अवसर खुल रहे हैं। सरकार महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दे रही है। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह नई दिल्‍ली में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन कर रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि काफी लंबे समय बाद भारत में पहली पीढ़ी की महिला प्रोफेशनल हैं। महिलाएं उद्यमिता के क्षेत्र में भी नई ऊचाइयों की ओर जा रही हैं। यह न केवल अतीत से अलग बात है, बल्कि यह महिलाओं का सम्‍मान है।

   कार्यशाला में बड़ी संख्‍या में महिला अधिकारियों की उपस्थिति पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि सुधार के लिए महिला प्रतिभा का होना केवल प्रशासनिक विभाग का हिस्‍सा नहीं है, बल्कि महिलाओं से संबंधित सुधार की जरूरत है। उन्‍होंने बताया कि पेंशन विभाग में हाल में तलाकशुदा बेटियों के संबंध में आदेश में संशोधन किया गया और अब तलाक का मामला लंबित होने पर भी महिला फेमली पेंशन की हकदार है। उन्‍होंने कहा कि भारत में महिलाएं न केवल प्रशासनिक कार्यों में अवसर और उत्‍कृष्‍टता चाहती हैं बल्कि सुरक्षाबलों, रक्षा तथा अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी उत्‍कृष्‍ट कार्य कर रही हैं। पहले इन क्षेत्रों में महिलाओं के प्रवेश को अच्‍छा नहीं समझा जाता था। पहले महिलाओं का उपायेग शिक्षण और समाज कल्‍याण के कार्यों में किया जाता था।


     डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने इस अवसर पर आयोजित स्‍पर्धी आयोजनों में श्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वालों को पुरस्‍कार प्रदान किए।     



महिलाओं को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाने से समाज शक्ति सम्‍पन्‍न बनता है – स्‍मृति जुबिन ईरानी

महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा विश्‍व बैंक ने आज नई दिल्‍ली में ‘’काम का भविष्‍य : भारत के श्रम-बल में महिलाएं’’ विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया। महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने विश्‍व बैंक के कंट्री डॉयरेक्‍टर डॉ. जुनैद कमल अहमद के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महिला उद्यमियों और अन्‍य साझेदारों के साथ खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग में सचिव सुश्री पुष्‍पा सुब्रमह्यम, कौशल विकास और उद्यमिता सचिव प्रवीण कुमार, वित्‍तीय संयुक्‍त सेवाओं के अपर सचिव संजीव कौशिक तथा मंत्रालय में विशेष सचिव श्री अजय तिरके उपस्थित थे।


यह कार्यक्रम व्‍यवसाय में शामिल महिलाओं, समर्थवान महिलाओं और सार्वजनिक, निजी और नागरिक समाज संगठनों की उपलब्धियों का जश्‍न बनाने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस-2020 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्‍सा है।


स्मृति जुबिन ईरानी ने अपने समापन भाषण में कहा कि महिलाओं का अपने जीवन के शुरूआती दिनों में अपने पोषण पर जल्दी निवेश करना एक सामाजिक निवेश है क्योंकि यह एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि लैंगिक भेदभाव एक वैश्विक चुनौती है और भारत ने लैंगिक मुद्दों पर आगे बढ़कर नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि अब निराशा को छोड़ने का वक्‍त आ गया है। उन्होंने बताया कि अब से सरकार की कोई भी नीति या एजेंडा निराशा और भय पर आधारित नहीं होगा।  


महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पहली बार एक आहार योजना, तैयार की गई है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ इसे साझा किया है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष घरेलू हिंसा के एक लाख मामले दर्ज होते हैं और लिंग-तटस्थ समाज बनाने के लिए न केवल लड़कियों को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाना जरूरी है बल्कि उन लड़कों को भी उठाना जरूरी है जो लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं। इसके लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय निमहंस के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि देश के सभी जिलों में काउंसलिंग सुनिश्चित हो सके और काउंसलर की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।


भारत की विकास गाथा में महिलाओं की केन्‍द्रीय भूमिका, महिलाओं को विकास सम्‍पन्‍न बनाने और महिला उद्यमियों की गाथा पर चर्चा के तीन सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा उनके कौशल और प्रशिक्षण तथा जो महिलाएं अपना व्‍यवसाय स्‍थापित करना चाहती है, बैंक ऋण लेना चाहती है और कार्यबल में शामिल होना चा‍हती है उनके सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए महिला उद्यमियों के लिए विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बारे में चर्चा की गई। भारत में महिलाओं को मिलाकर केवल 23 प्रतिशत श्रम-बल और पाँच लड़कियों में से एक लड़की का विवाह 20 वर्ष की आयु से पहले हो जाता है, बीच में ही स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़कियों की दर अधिक है। बच्‍चों की देखभाल, घरेलू कार्य और कार्यबल में महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल की कमी के कारण भारत में श्रम-बल काफी कम है। हालाँकि इस समस्या का कोई त्वरित समाधान नहीं है, लेकिन सरकार विभिन्‍न नीतियों और योजनाओं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मु्द्रा, कौशल विकास, स्टैंड-अप इंडिया और पोषण जैसी विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से श्रम-बल में महिलाओं को बढ़ाने उन्‍हें सशक्त बनाने और रोजगार के लिए सभी प्रयास कर रही है।



भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिस्‍पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने आज इंडिया हेबिटेट सेंटर, नई दिल्‍ली में प्रतिस्‍पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। प्रधानमंत्री की आर्थिक परामर्शदात्री परिषद के अध्‍यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय इस सम्‍मेलन के मुख्‍य वक्‍ता थे।


अपने मुख्य भाषण में डॉ देबरॉय ने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा के मुद्दे प्रतिस्पर्धा कानून के दायरे से बाहर हो गए हैं। बाजारों की कार्यप्रणाली और प्रतिस्पर्धा की सीमा परंपरागत संरचना और कानून की प्रणाली पर आधारित है जो बाजारों की मदद करती है। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसे अनेक प्रकार के तत्‍व हैं जो प्रतिस्पर्धा आर्थिक सुधार को रोकते हैं। उन्होंने बाजारों और बढ़ती हुई प्रतिस्‍पर्धा पर जोर देते हुए कहा कि आर्थिक उदारीकरण के अनुरूप विनिर्माण में प्रवेश को आसान बनाया गया है फिर भी सेवाओं और कृषि क्षेत्र में अभी भी बाधाएं मौजूद हैं।


संरचना आयोजित कार्य प्रदर्शन ढांचे का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि बाजार संरचना और बाजार हिस्‍सा प्रतिस्‍पर्धा की पूरी तस्वीर उपलब्‍ध नहीं कराते हैं। उन्होंने बाजार के गतिशील स्‍वरूप की ओर संकेत किया और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों की तुलना में भारत में बाजारों के विकास के स्तर पर ध्यान दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा सिद्धांतों के अमल के लिए इन विभेदों की पहचान करना बहुत जरूरी है। अंत में उन्होंने बाज़ारों पर नजर रखने के विरूद्ध सलाह देते हुए सही प्रतिस्पर्धा और एकाधिकार के दो महत्‍वपूर्ण  परिणामों के आयोजन की सलाह दी। अल्‍पाधिकार बाजारों में विभिन्न रणनीतिक बाजार क्रियाओं की अनुमति से उपभोक्ता कल्याण के लिए नवाचार में मदद मिलेगी। उद्योग द्वारा स्व-नियमन से नियामक हस्तक्षेपों की आवश्यकता को समाप्त किया जा सकता है। सरकार या सीसीआई को उद्योग द्वारा अपेक्षित कार्रवाई नहीं किए जाने पर आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है। इस संदर्भ में, उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख किया जिसके दौरान बाजार सरकार के हस्तक्षेप के बजाय स्‍व-अनुपालन द्वारा कार्य करते थे।


अपने विशेष संबोधन में सीसीआई के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार गुप्ता ने समय की आर्थिक विशेषताओं के अनुरूप ही अंतर्विरोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल बाजारों में, नवाचार के प्रोत्साहन को संरक्षित करते हुए गैर-प्रतिस्‍पर्धा आचरण के अधिकतम निवारण का सृजन किया जाना चाहिए। आयोग की मौजूदा हिमायती पहलों का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा पर बेपरवाह नीतिगत प्रतिबंधों की पहचान करने के लिए प्रतिस्‍पर्धा पहलू पर 17 विधानों/कानूनों/विनियमों का आकलन‍ किया जा रहा है। संयोजन समीक्षा के रूप में सीसीआई को इस वर्ष अधिसूचित लगभग 30% मामले अभी हाल में शुरू किए गए ग्रीन चैनल की अनुमोदित प्रणाली के तहत हैं। आयोग को यह उम्‍मीद है कि यह चैनल संयोजन के अनुमोदन में तेज और पारदर्शी प्रक्रिया को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्‍व-अनुपालन की संस्‍कृति का भी सृजन करेगा।


सीसीआई की सदस्य डॉ. संगीता वर्मा ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक अनुशासन वैश्विक प्रतिस्पर्धी अधिकारियों को एक सामान्य प्रवर्तन ढांचा उपलब्‍ध कराता है लेकिन यह आर्थिक ढांचे का अनुप्रयोग राष्ट्रीय संदर्भों, आर्थिक विकास के स्तर और बाजार की वास्तविकताओं से विवश है। आयोग द्वारा आयोजित ई-कॉमर्स बाजार अध्ययन का उल्लेख करते हुए उन्‍होंने अंतर्विरोध नीति के लिए साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण की सुविधा के लिए बाजार अध्ययन के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुसार बेहतर बाजार परिणामों को प्राप्त करने और अंतर्विरोध की आवश्यकता के बिना संभावित प्रतिस्पर्धी चिंताओं को कम करने के लिए बाजार अध्‍ययन लंबा रास्ता तय करेगा।


इस सम्मेलन में उद्घाटन सत्र के अलावा दो तकनीकी सत्र शामिल थे जिनमें शोधकर्ताओं ने डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धी प्रवर्तन और प्रतिस्पर्धी मुद्दों में आर्थिक मुद्दों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। ‘बाजार के लिए प्रतिस्पर्धा’ विषय पर एक पूर्ण सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सीसीआई के अध्‍यक्ष ने की और ‘समकालीन अंतर्विरोध मुद्दों के अर्थशास्त्र’ पर भी एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।



कोरोना वायरस के लिए 30 भारतीय हवाई अड्डों पर 6.5 लाख यात्रियों की हुई जांच

नागर विमानन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत सरकार ने विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 30 जनवरी 2020 को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी (पीएचईआईसी) के तहत कोरोना वायरस को महामारी करार दिए जाने से काफी पहले ही जांच सहित कई उपाय करने शुरू कर दिये थे। केंद्रीय मंत्री ने आज यहां कोरोना वायरस से संबंधित मुद्दों पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में 30 भारतीय हवाई अड्डों पर दुनिया के सभी हिस्सों से आने वाले यात्रियों की जांच की जा रही है और अभी तक 6,49,452 यात्रियों की जांच की जा चुकी है। इस मौके पर नागर विमानन सचिव, एयर इंडिया के सीएमडी, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष और डीजीसीए के महानिदेशक भी उपस्थित थे।


श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दुनिया के सभी हिस्सों से आने वाले यात्रियों की व्यापक जांच भारतीय हवाई अड्डों पर शुरू हो गई है। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद जिन यात्रियों में बुखार के शुरुआती लक्षण दिखते हैं, उनके विस्तृत परीक्षण के लिए आगे की प्रक्रिया की जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भारतीय हवाई अड्डों पर रोजाना आने वाले लगभग 70,000 यात्रियों की जांच की जा रही है। मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया के द्वारा वुहान से अभी तक 654 लोगों को वापस लाया जा चुका है। इसके अलावा एयर इंडिया द्वारा जापान के योकोहोमा में खड़े कोविड-19 से प्रभावित क्रूज शिप डायमंड प्रिंसेस से पांच विदेशी नागरिकों सहित 124 लोगों को भी वापस लाया गया है। भारतीय वायु सेना ने वुहान से 112 लोगों को निकाला, जिसमें म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव, चीन, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और मेडागास्कर के 35 नागरिक शामिल हैं।


श्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 12 से 15 मार्च 2020 तक होने जा रहे नागरिक उड्डयन क्षेत्र के एक प्रमुख कार्यक्रम विंग्स इंडिया 2020, का आयोजन अब संक्षिप्त रूप में किया जाएगा। भारी जनसमूह की भागीदारी से बचा जाएगा। इस कार्यक्रम में स्थानीय प्रतिनिधि शामिल होंगे। भारत के बाहर के प्रतिनिधियों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की योजना बनाई जा रही है।


मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय और ईरान सरकार के साथ मिलकर ईरान से  भारतीयों को निकालने की योजना बनाई जा रही है।


उन्होंने कहा कि नियमित अंतराल पर मंत्रियों के समूह की बैठकों का आयोजन किया जा रहा है और इस तरह की चार बैठकें हो चुकी हैं। कैबिनेट सचिव भी नियमित रूप से  स्वास्थ्य, रक्षा, विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, गृह, कपड़ा, वाणिज्य, आयुष सहित सभी संबंधित मंत्रालयों और राज्यों के मुख्य सचिवों सहित अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि भारत सरकार नियमित रूप से डब्ल्यूएचओ मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और भारतीय कार्यालय के साथ संपर्क में हैं। साथ ही बदलते वैश्विक परिदृश्य पर नजर बनाए हुए है। मंत्री ने कहा कि सरकार, उद्योग, पर्यटन क्षेत्र सभी इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियां ​​24 घंटे एक-दूसरे के संपर्क में हैं।


कोरोना वायरस रोग के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपाय



  • नागर विमानन मंत्रालय एन-कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उपाय करने में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सहायता कर रहा है।

  • वायरस के प्रसार को रोकने के लिए नागर विमानन मंत्रालय द्वारा किए गए उपाय निम्नलिखित हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय परिचालन वाले 30 हवाई अड्डों पर कोरोना वायरस की लिए व्यापक जांच की जा रही है। अभी तक (5 मार्च 2020, 10:00 बजे) 6550 उड़ानों से आने वाले कुल 6,49,452 यात्रियों की जांच की जा चुकी है।

  • सभी हवाई अड्डों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले सभी यात्रियों की विशेष चिह्नित एयरोब्रिज से बाहर आने पर एचपीएचओ से जांच कराई जाए। एचपीएचओ से मंजूरी के बाद सभी यात्रियों को आव्रजन की ओर जाने के लिए स्वीकृति दी जाएगी।

  • सभी हवाई अड्डा परिचालकों को जांच के उद्देश्य के लिए एयरोब्रिज की पहचान करनी होगी और इसके लिए जरूरी ढांचा उपलब्ध कराना होगा।

  • सभी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हवाईअड्डे वार नोडल अधिकारियों की नियुक्त कर दी गयी है और बिना किसी देरी के नोडल अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश जारी करने के वास्ते स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को इनकी सूची भी उपलब्ध करा दी गई है।

  • संकेतक: अंतर्राष्ट्रीय परिचालन वाले सभी हवाई अड्डों पर निर्दिष्ट स्थानों पर संकेतक प्रदर्शित किए गए हैं।

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत सभी विमानन कंपनियों को उड़ान के दौरान घोषणाएं करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों से एक डुप्लिकेट 'सेल्फ रिपोर्टिंग फॉर्म' भरने के लिए कहा जा रहा है।

  • डीजीसीए द्वारा सभी विमानन कंपनियों को परीक्षण के लिए नामित आईसीएमआर-एनआईवी पुणे लैब से एनसीओवी नमूने लेने के निर्देश दे दिए गए हैं।    



Thursday, March 5, 2020

शिक्षको के गुणवत्ता पर विचार कब

आज नियोजित शिक्षको की माँग पर राज्य सरकार विचार करना चाहती है। शायद यह जरूरी भी है लेकिन उन मासूम विद्यार्थीयों पर भी सरकार को विचार करना चाहिए जो अयोग्य शिक्षको से शिक्षा ले रहे हैं।आजकल कई ऐसे प्रकरण हाल के दिनो में उजागर हो रहे हैं जिसमें शिक्षको के गिरते निम्न स्तरीय शिक्षा को दर्शाता है।सरकार को स्तरीय परीक्षाओं के जरिये ही शिक्षको की नियुक्ति करनी चाहिए।नियोजित शिक्षको को भी स्तरीय परीक्षा दिलवाकर वेतन बढ़ाया जाना ज्यादा कारगर होगा।इससे वैसे लोग जो इस गिरती शिक्षा प्रणाली के दीमक है खुद छट जाएँगे और योग्यता को आगे आने के रास्ते खुलेंगे।शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते है उनमें भी अगर कुछ अयोग्य शामिल है तो यह राज्य सरकार की जिम्मेवारी है कि वैसे लोगो के निष्कासन के विकल्प पर विचार किया जाय तथा योग्य और स्तरीय शिक्षको की तालाश की जाय जो सिर्फ प्रतियोगिता परीक्षा से ही संभव है।जहाँ तक नियोजित शिक्षको की बात है उनकी बहाली प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नही हुई थी जबकि उनकी माँग प्रतियोगिता शिक्षक जैसी है इसलिए सरकार को प्रतियोगिता का आयोजन कर पुनः सेलेक्शन करनी चाहिए कि वे जिसका माँग कर रहे उतने के लायक हैं या नही?

  ऐसा करने से उनकी माँग खुद वखुद समाप्त हो जाएँगे और सरकार के लिए विकल्प भी खुलेंगे।आये दिन हड़ताल और रोज रोज का झंझट से छुटकारे के लिए कुछ तो कठोर कदम की जरूरत है।जिससे योग्यता का विकास हो और छात्र की शिक्षा में सुधार।मौलिक अधिकार की शिक्षा अगर शूरू से ही स्तरीय न हो तो ऐसे में विकास की कल्पना संभव नहीं।योग्यता परख की सिस्टम विकसित करने के विकल्प पर काम करने की आवश्यकता है जो जात पात से उपर जाकर सिर्फ योग्यता पर विचार करे और शिक्षक सिर्फ योग्यताधारी को ही बनाया जाय तभी स्तरीय और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव है वरना एक स्वप्न?

इसकी सीख हमें महाभारत और रामायण के कथाओ में भी मिलती है।बाल्मिकी  के वगैर भगवानराम मर्यादा पुरूपोत्तम नही बनते और द्रोणाचार्य के वगैर अर्जुन सरूवश्रेष्ठ धर्नुधर नही होते।ठीक उसी प्रकार योग्य शिक्षक के वगैर छात्र सफल नही हो सकते समाज जागरूक नही हो सकता अतः इस विषय पर गहन सोच और स्तरीय प्रतियोगिता के विकल्प पर विचार करना लाजिमी प्रतीत होता है ।

आयकर विभाग की टीडीएस से जुड़ी तलाशी में कर कटौती और जमा कराने में भारी डिफॉल्‍ट का खुलासा

आयकर विभाग के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) प्रकोष्‍ठ ने अपनी एक बड़ी कामयाबी के तहत दिल्‍ली में एक प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर के मामले में 324 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट (चूक) का खुलासा किया है। इस टेलीकॉम कंपनी ने 4,000 करोड़ रुपये के तकनीकी अनुबंधों पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194जे के तहत आवश्‍यक 10 प्रतिशत की स्रोत पर कर कटौती (टीडीसी) नहीं की थी। जांच पूरी हो जाने पर इस डिफॉल्‍ट राशि के और बढ़ जाने की संभावना है।


यह पाया गया कि शहर के अनेक अस्‍पताल टीडीएस और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) मानकों का खुलेआम उल्‍लंघन कर रहे थे तथा आयकर विभाग को अपेक्षा से कम टैक्‍स अदा कर रहे थे। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले प्रमुख अस्‍पताल के साथ-साथ 700 बिस्‍तरों वाले अस्‍पताल के यहां भी तलाशी ली गई। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले अस्‍पताल में तलाशी के दौरान यह पाया गया कि यह अस्‍पताल निर्माण अनुबंधों पर किसी भी तरह का टीडीसी नहीं काट रहा था, जबकि वैधानिक दृष्टि से यह आवश्‍यक है। वहीं, 700 बिस्‍तरों के बेड वाला अस्‍पताल अपने यहां डॉक्‍टरों को दिए गए वेतन पर 30 प्रतिशत की लागू वर्तमान टीडीएस दर के बजाय केवल 10 प्रतिशत की दर से ही टैक्‍स की कटौती कर रहा था।


मार्च, 2020 के प्रथम सप्‍ताह में दिल्‍ली स्थित एक प्रमुख रियल एस्‍टेट कंपनी ग्रुप के यहां की गई टीडीएस तलाशी के दौरान विगत वर्षों के विश्‍वसनीय आंकड़ों का विश्‍लेषण करने के साथ-साथ समूह की विभिन्‍न कंपनियों के टीडीएस अनुपालन, उनके आईटीआर रिटर्न, टैक्‍स ऑडिटरों की रिपोर्टों एवं सीपीसी-टीडीएस द्वारा वास्‍तविक समय पर सृजित डेटा का भी विश्‍लेषण करने के बाद यह पाया गया कि टैक्‍स की कटौती करने वाले ने पूर्ववर्ती वर्षों में टैक्‍स तो पहले ही काट लिया था, लेकिन उसे सरकारी खाते में जमा नहीं किया था।


तलाशी के दौरान सत्‍यापन एवं विश्‍लेषण से बकाया टीडीएस देनदारी और उस पर देय ब्‍याज के बारे में पता चला, जो 214 करोड़ रुपये आंका गया है। टीडीएस डिफॉल्‍ट मुख्‍यत: बकाया ऋणों पर देय ब्‍याज की अदायगी से संबंधित है। इस रियल एस्‍टेट कंपनी ने भारी-भरकम कर्ज ले रखे थे जिस पर ब्‍याज अदायगी समय-समय पर होती रही। विभिन्‍न वित्त वर्षों के दौरान टीडीएस काटा तो गया, लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया।


आयकर विभाग के टीडीएस प्रकोष्‍ठ द्वारा की गई एक अन्‍य तलाशी के दौरान एक प्रमुख तेल कंपनी के मामले में लगभग 3,200 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट का पता लगा। इस डिफॉल्‍ट में क्रमश: अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना और टैक्‍स बिल्‍कुल भी न काटना शामिल है। हाई-टेक तेल रिफाइनरियों की स्‍थापना एवं रखरखाव से जुड़ी तकनीकी सेवाओं के लिए शुल्‍क के भुगतान और पुनर्गैसीकरण की रासायनिक प्रक्रिया के साथ-साथ एलएनजी की ढुलाई के लिए भुगतान पर कई वर्षों तक अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना अधिनियम की धारा 194जे से संबंधित थे।  



सरकार का जम्‍मू और कश्‍मीर के लोगों के लिए कश्‍मीर को जन्‍नत बनाने का प्रयास

जम्मू और कश्मीर से आए 22 स्कूली बच्चों के एक दल ने आज नई दिल्‍ली में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से भेंट की। इस दल में जम्‍मू और कश्‍मीर भारत स्‍काउट गाइड्स के 14 से 17 वर्ष की आयु के छात्र और दो अध्‍यापक शामिल थे। ये छात्र भारत को जानो कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ द्वारा आयोजित भारत दर्शन दौरे पर निकले हैं। ये छात्र चेन्‍नई की यात्रा कर चुके हैं और इस समय नई दिल्‍ली के विभिन्‍न स्‍थानों की यात्रा कर रहे हैं।


इस अवसर पर गृह राज्‍य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में सरकार जम्‍मू और कश्‍मीर के सुदूरवर्ती इलाकों सहित देश के सभी क्षेत्रों में विकास करने का प्रयास कर रही है। उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू और कश्‍मीर में शांति और विकास लाने की दिशा में केन्‍द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा किए गए अभूतपूर्व प्रयासों ने देश के अन्‍य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ नजदीकी बढ़ा दी है। सरकार का उद्देश्‍य कश्‍मीर का विकास करके और क्षेत्र के युवाओं को समान अवसर प्रदान करके कश्‍मीर को जन्‍नत बनाना है।


छात्रों के साथ बातचीत करते हुए श्री नित्‍यानंद राय ने कहा कि उन्‍हें जम्‍मू और कश्‍मीर के बच्‍चों से मिलकर प्रसन्‍नता हुई है और इस यात्रा से उन्‍हें भारत की विविधता और सौंदर्य को समझने में मदद मिलेगी। यात्रा के दौरान छात्रों को हुए अनुभवों को सुनने के बाद गृह राज्‍य मंत्री ने कहा कि किसी को भी अफवाहों पर यकीन नहीं करना चाहिए और स्‍वयं सच्‍चाई का पता लगाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ऐसी यात्राएं कश्‍मीरी लोगों को देश के अन्‍य भागों में रह रहे लोगों के नजदीक लाएंगी। उन्‍होंने कहा कि यह एक अच्‍छा संकेत है और लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि कश्‍मीर भारत का भविष्‍य है।


श्री राय ने कहा कि इस अध्‍ययन दौरे से ऐतिहासिक स्‍थलों, सामाजिक मूल्‍यों, संस्‍कृति और परंपराओं के बारे में उनका ज्ञान और सामान्‍य जागरूकता बढ़ेगी। उन्‍होंने भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को देखने के लिए बच्‍चों को एक अवसर प्रदान करते हुए भारत दर्शन यात्रा का प्रबंध करने के लिए सीआरपीएफ की सराहना की। यह दौरा उन्‍हें देश की ऐतिहासिक सांस्‍कृतिक और सामाजिक जनता से रूबरू कराने और औद्योगिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में हुए विकास और साथ ही देश के लिए गौरव की भावना लाने के उद्देश्‍य से आयोजित किया गया है।  



मंत्रिमंडल ने नागरिक उड्डयन में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश नीति को मंजूरी दी

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के मामले में उन एनआरआई को स्‍वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए मौजूदा एफडीआई नीति में संशोधन को मंजूरी दी है जो भारत के नागरिक हैं।


      मौजूदा एफडीआई के अनुसार, अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है (49 प्रतिशत तक स्वचालित और 49 प्रतिशत से अधिक सरकार के जरिये)। हालांकि एनआरआई के लिए अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। लेकिन शर्त यह है कि विमान नियम 1937 के अनुसार पर्याप्‍त स्‍वामित्‍व एवं प्रभावी नियंत्रण (एसओईसी) भारतीय नागरिकों में निहित होगा।


      हालांकि मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के लिए मौजूदा नीति के अनुसार, मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष तौर पर 49 प्रतिशत से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है और वह इस शर्त पर आधारित है कि मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में पर्याप्‍त स्‍वामित्‍व एवं प्रभावी नियंत्रण भारतीय नागरिकों में निहित हो। इसलिए अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में एनआरआई के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होने के बावजूद मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के मामले में यह केवल 49 प्रतिशत तक सीमित है।


लाभ:


      भारत सरकार द्वारा मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के 100 प्रतिशत प्रस्तावित रणनीतिक विनिवेश के संदर्भ में मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में सरकार की कोई शेष हिस्‍सेदारी नहीं होगी और वह पूरी तरह निजी स्वामित्व में होगी। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि एम/एस एयर इंडिया लिमिटेड में विदेशी निवेश के जरिये उसे अन्य अनुसूचित विमानन कंपनियों की श्रेणी में लाया जाना चाहिए।


      एफडीआई नीति में इस संशोधन से मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में अन्य अनुसूचित एयरलाइन ऑपरेटरों के अनुरूप विदेशी निवेश की अनुमति मिल जाएगी यानी मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में उन एनआरआई को 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति होगी  जो भारतीय नागरिक हैं। एफडीआई नीति में प्रस्तावित संशोधन एनआरआईएस को स्वचालित मार्ग से मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश करने में समर्थ बनाएगा।


      एफडीआई नीति में उपरोक्‍त संशोधन का उद्देश्‍य देश में कारोबारी सुगमता उपलब्‍ध कराने के लिए एफडीआई नीति को उदार और सरल बनाना है। इसके जरिये सबसे बड़े एफडीआई का मार्ग प्रशस्‍त होगा जिससे निवेश, आय और रोजगार में वृद्धि को बल मिलेगा।


पृष्ठभूमि:


      एफडीआई आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है और यह देश के आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत है। देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्‍य से एफडीआई नीति की लगातार समीक्षा की जाती है। सरकार ने निवेशकों के अनुकूल एफडीआई नीति तैयार की है जिसके तहत अधिकतर क्षेत्रों/ गतिविधियों में स्वचालित मार्ग पर 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।


      भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए हाल के दिनों में विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति के प्रावधानों को लगातार उदार बनाया गया है। इन क्षेत्रों में रक्षा, निर्माण एवं विकास, व्यापार, औषधि, बिजली विनिमय, बीमा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाएं, परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां, प्रसारण, एकल ब्रांड खुदरा व्‍यापार, कोयला खनन, डिजिटल मीडिया आदि शामिल हैं।


      इन सुधारों ने हाल के दिनों में भारत में हुए एफडीआई निवेशक में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है। वर्ष 2014-15 में भारत में एफडीआई प्रवाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से इसमें लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में एफडीआई प्रवाह 55.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि वर्ष 2016-17 में 60.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2017-18 में 60.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई निवेश हुआ। पिछले वित्‍त वर्ष यानी 2018-19 में देश में एफडीआई प्रवाह 62.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़ा) दर्ज किया गया जो अब तक का सर्वाधिक है। पिछले पिछले साढ़े उन्‍नीस वर्षों (अप्रैल 2000 से सितंबर 2019) के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह 642 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि पिछले साढ़े पांच वर्षों (अप्रैल 2014 से सितंबर 2019) के दौरान देश में कुल 319 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ जो पिछले साढ़े उन्‍नीस वर्षों में हुए कुल एफडीआई निवेश का लगभग 50 प्रतिशत है।


      पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक एफडीआई के अंतरप्रवाह में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूएनसीटीएडी की वर्ल्ड इनवेस्टमेंट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, वर्ष 2018 में वैश्विक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 13 प्रतिशत घटकर 1.3 ट्रिलियन रह गया जो इसकी लगातार तीसरी वार्षिक गिरावट है। वैश्विक तस्वीर साफ न होने के बावजूद भारत वैश्विक एफडीआई प्रवाह के लिए एक पसंदीदा और आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। हालांकि देश में विदेशी निवेश आकर्षित करने की क्षमता मौजूद है। लेकिन ऐसा महसूस किया गया है कि एफडीआई नीति के नियमों को अधिक उदार एवं सरल बनाकर कहीं अधिक एफडीआई निवेश आकर्षित किया जा सकता है।



केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 01 अप्रैल, 2020 से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में व्‍यापक विलय को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के 4 बैंकों में विलय के व्‍यापक एकीकरण को मंजूरी दे दी है, इस विलय में शामिल हैं :-



1.   ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय


2.   सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय


3.   आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय


4.   इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय


यह विलय 01 अप्रैल, 2020 से प्रभावित होगा और इसके परिणामस्‍वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के 7 बड़े बैंकों का व्‍यापक स्‍तर पर सृजन होने के अलावा प्रत्‍येक व्‍यापक एकीकरण में 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के साथ-सा‍थ इसकी राष्‍ट्रीय स्‍तर तक पहुंच होगी। व्‍यापक स्‍तर पर हुए इस एकीकरण से बैंकों को न सिर्फ वैश्विक बैंकों के साथ तुलनात्‍मक क्षेत्र में अपितु भारत और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी प्रभावी रूप से प्रतिस्‍पर्धा करने में सक्षम बनाने में मदद मिलेगी। इस एकीकरण के माध्‍यम से बड़े पैमाने पर लागत लाभ को सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अपनी प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता और सकारात्‍मक प्रभाव का विस्‍तार करने में सक्षम बनेंगे।


      इसके अतिरिक्‍त, इस एकीकरण से इन बैंकों में बड़े स्‍तर के ऋणों में सहायता के साथ-साथ व्‍यापक वित्‍तीय क्षमता के द्वारा प्रतिस्‍पर्धात्‍मक कार्य संचालनों को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा। सभी एकीकृत बैंकों में सर्वोत्‍तम कार्य प्रणालियों को अपनाने से बैंकों में उनकी लागत कुशलता और जोखिम प्रबंधन में सुधार होगा एवं व्‍यापक पहुंच के माध्‍यम से वित्‍तीय समावेशन के लक्ष्‍य में भी वृद्धि होगी।


      सभी एकीकृत बैंकों में उन्‍नत तकनीकियों को अपनाने से न सिर्फ व्‍यापक योग्‍य समूह और एक बड़े डाटा बेस तक पहुंच होगी, अपितु सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तेजी से डिजिटल होते बैंकिंग परिदृश्‍य में विश्‍लेषणात्‍मक कार्य क्षमता के द्वारा प्रतिस्‍पर्धा का लाभ लेने की स्थिति में होंगे।




कोरोना वायरस-19 पर अब तक की मौजूदा स्थिति - नए मामलों की पुष्टि हुई

जयपुर में, पहले से ही पुष्टि किए गए इतालवी रोगी की पत्नी में भी कोरोना वायरस-19 से प्रभावित होने की पुष्टि की गई है। यह यहां कोरोना वायरस का तीसरा मामला है।


जयपुर में कोरोना वायरस-19 की पुष्टि वाले समूह का हिस्‍सा रहे 14 इतालवी और एक भारतीय के लिए भी प्रारंभिक तौर पर कोरोना वायरस-19 की पुष्टि की गई है।


आगरा में एक परिवार के छह (6) सदस्यों की, जो दिल्ली से कोरोना वायरस-19 की पुष्टि वाले परिवार के सदस्य हैं, कोरोना वायरस-19 की पुष्टि की गई है।


इसके अलावा, तेलंगाना में वायरल से अत्‍यधिक संक्रमित दो मामलों का पता चला है।



डॉ. हर्षवर्धन ने बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर बहु-हितधारक परामर्श बैठक की अध्‍यक्षता की

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर बहु-हितधारक परामर्श बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमें सामंजस्यपूर्ण ढंग से कार्य  करते हुए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कोई भी बालक श्रवण हृास से संबंधित जांच और उपचार से छूट न पाए, क्‍योंकि यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के 2022 तक एक नवीन और स्‍वस्‍थ भारत बनाने की परिकल्‍पना के प्रमुख घटकों में से एक है। आज के दिन को “विश्व श्रवण दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है।



डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि श्रवण हानि से संबंधित प्रा‍रभिंक पहचान और उपचार के लिए जागरूकता जगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रवण हानि दिव्‍यांगता के साथ वर्षों तक जीवनयापन करने का चौथा प्रमुख कारण है। भारत सरकार ने श्रवण क्षमता की प्रारंभिक पहचान, निदान और उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) का शुभारंभ किया है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम 558 जिलों में लागू किया जा रहा है और वर्ष 2019-20 के 9 महीनों में श्रवण हानि सहित कुल 3,27,172 मामलों की जांच की गई। कुल 18,745 ईएनटी सर्जरी की गई। केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुल 13,411 श्रवण यंत्र लगाए गए हैं और वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक 45,953 व्यक्तियों को पुनर्वास के लिए संदर्भित किया गया है।


डॉ. हर्षवर्धन ने सलाह दी कि इस कार्यक्रम को मिशन मोड में लागू करने के लिए अधिक केंद्रित रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य और वांछित परिणामों को प्राप्त करने हेतु वर्तमान कार्यक्रम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए बौद्धिक सत्रों, जागरूकता शिविरों, निगरानी तंत्रों आदि को प्रारंभ करने की आवश्यकता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने माँ और बच्चे की देखभाल से संबंधित अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों/ योजनाओं के साथ एनपीबीसीडी को जोड़ने की संभावनाओं का पता लगाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उपयुक्त और प्रभावी सूचना, शिक्षा और संचार (आईइसी) रणनीतियों के माध्यम से जन जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे क्षमता निर्माण और विकास के साथ-साथ बधिरता की प्रारंभिक पहचान और रोकथाम से संबंधित मामलों के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जा सके। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेज स्तर के विशेषज्ञों (ईएनटी और ऑडियोलॉजी) के द्वारा जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।


बैठक के दौरान, संयुक्त सचिव डॉ मनोहर अगनानी, एमएएमसी के पूर्व डीन डॉ. अरुण अग्रवाल, आरएमएल ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कंवर सेन, एलएचएमसी के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार, एम्स (दिल्ली) के प्रो. राकेश कुमार, सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ शांतनु मंडल, आईएसएचए, मैसूर के ऑडियोलॉजिस्ट डॉ. शिव प्रसाद रेड्डी के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।




एलएलपी निपटारा योजना, 2020 शुरू की गई ; पंजीयक के पास वैधानिक रूप से आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने में देरी की छूट एक बार ही होगी

यह देखा गया है कि देर से दाखिल करने पर अतिरिक्त शुल्क लागू होने के कारण, जो कि देरी के मामले में वास्तव में वित्तीय बोझ बन सकता है, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) की एक बड़ी संख्या इसका अनुपालन नहीं कर रही है। देरी की कुल अवधि के लिए विलंब शुल्‍क का भुगतान करने में उनकी अक्षमता इसका मुख्‍य कारण है।



कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों के तहत, लंबित दस्तावेजों को दाखिल करने तथा भविष्य में एक योग्य एलएलपी के रूप में सेवा करने के लिए डिफ़ॉल्ट एलएलपी को अतिरिक्त शुल्क में एक बार की छूट देने का निर्णय लिया गया है।


तदनुसार, केंद्र सरकार ने पंजीयक के पास वैधानिक रूप से आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने में पंजीयक एक बार देरी की अनुमति देकर "एलएलपी सेटलमेंट स्कीम, 2020" नामक एक योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।


ऐसे एलएलपी, जो स्वयं योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, लंबित दस्तावेजों/प्रपत्रों को दाखिल कर सकते हैं और इस तरह के चूक के लिए मुकदमा चलाने से बचने के लिए एक बार ही ऐसी चूक कर सकते हैं।


यह योजना 16 मार्च, 2020 को लागू होगी और यह 13 जून, 2020 तक प्रभावी रहेगी। यह अतिदेय दस्तावेज दाखिल करने के लिए "डिफ़ॉल्ट एलएलपी" पर लागू होगा, जो 31 अक्टूबर, 2019 तक दाखिल करने के लिए था।  इस तरह के दस्तावेज़ या रिटर्न दाखिल करने के लिए देय किसी भी शुल्क के अलावा, विलंब शुल्क की अवधि से प्रतिदिन 10 रुपये के एक मामूली अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके लिए प्रति दस्तावेज अधिकतम राशि 5,000 रुपये होगी।


योजना निम्नलिखित दस्तावेजों के दाखिल करने के लिए लागू होगी:


प्रपत्र 3- सीमित देयता भागीदारी समझौते और परिवर्तनों के संबंध में जानकारी, यदि कोई हो


प्रपत्र-4- नामित साझेदार अथवा साझेदार की नियुक्ति, समाप्ति की सूचना, नाम/पता/पदनाम में परिवर्तन तथा साझेदार /नामित साझेदार बनने के लिए सहमति/नामित भागीदार बनने के लिए सहमति की सूचना;


प्रपत्र-8- खाता और सॉल्वेंसी का विवरण (वार्षिक या अंतरिम); तथा


प्रपत्र-11- सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) का वार्षिक रिटर्न।


इस योजना को देश के नागरिकों के रहन-सहन में अधिक से अधिक आसानी प्रदान करने के सरकार के लक्ष्‍य के अनुसरण में शुरू किया जा रहा है और एलएलपी के लिए एक महत्वपूर्ण राहत और अवसर प्रदान करने की उम्मीद है, जो कानून का पालन करें और तदनुसार व्यापार करें।




केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह की श्रृंखला में  चिपको कार्यकर्ता गौरा देवी की स्‍मृति में एक पौधा लगाया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंत्रालय की वरिष्ठ महिला अधिकारियों के साथ आज नई दिल्ली में चिपको कार्यकर्ता गौरा देवी की स्मृति में पौधारोपण किया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के हिस्से के रूप में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

गौरा देवी को याद करते हुए, श्री पोखरियाल ने कहा कि वह पहाड़ी ग्रामीण परिवेश की एक साधारण महिला थीं, जो निडर होकर पेड़ों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार रहती थीं। उन्होंने कहा कि गौरा देवी ने पर्यावरण, पेड़, चारा, पशुधन और ग्रामीण जीवन के बीच के अदृश्य संबंधों से पूरी दुनिया को अवगत कराया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी दृष्टि और प्रतिबद्धता हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। वास्तव में, उनके पदचिह्नों पर चलते हुए, कई अन्य महिलाएं वैश्विक स्तर पर पर्यावरण क्रांति को बढ़ावा देने में सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए खतरे की चुनौती का सामना कर रहे हैं तो हमें उनके जैसे पर्यावरण कार्यकर्ताओं और संरक्षकों की आवश्यकता है। 


मानव संसाधन विकास मंत्रालय 01 से 08 मार्च, 2020 तक महिला सप्ताह मना रहा है। इस क्रम में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज उन ऐतिहासिक महिलाओं को याद किया, जिन्होंने अतीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।