Monday, March 9, 2020

डीजीजीआई (मुख्यालय) ने वस्तुओं के निर्यात पर धोखाधड़ीपूर्वक आईजीएसटी रिफंड दावा करने का मामला दर्ज किया

डीजीजीआई (मुख्यालय) ने मेसर्स आस्था अपेरल्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ 06.03.2020 को मामला दर्ज किया। उपरोक्त कंपनियों ने 61 करोड़ से अधिक की वस्तुओं के निर्यात पर धोखाधड़ीपूर्वक आईजीएसटी रिफंड का दावा किया


यह पता चला है कि मेसर्स आस्था अपेरल्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य द्वारा गैर-मौजूद / गैर-कार्यात्मक / कंपनियों / उन कंपनियों से, जो सर्कुलर में लिप्त हैं, धोखाधड़ीपूर्वक आईटीसी का लाभ उठाया गया है। यह भी पता चला है कि इन निर्यातक कंपनियों को आपूर्तिकर्ता कंपनियां केवल कुछ व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जाती हैं और वे भी संदिग्ध रिफंड का दावा करने में संलग्न हैं। इन कंपनियों ने बिना अनुपातिक भुगतानों या वस्तुओं की वास्तविक आपूर्तियों के निर्यातकों को अपात्र आईटीसी हस्तांतरित करने के लिए अपने बीच एक जटिल जाल बुन रखा है।


उपरोक्त निर्यातक कंपनियों के दो निदेशकों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 (धारा 1) (1) (बी) और 132 (1) (सी) के प्रावधानों के तहत अपराधों के लिए 07.03.2020 को गिरफ्तार किया गया है। इन निर्यातकों के साथ आपूर्तिकर्ताओं और अन्य व्यक्तियों की भूमिका की जांच की जा रही है।


इस मामले में आगे की जांच प्रगति पर है।



महिला दिवस की पूर्व संध्‍या पर महिला एवं बाल विकास मंत्री ने दक्षिण एशिया में महिलाओं की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की

महिला एवं बाल विकास और वस्‍त्र मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन इरानी ने आज नई दिल्‍ली में कहा कि महिलाओं में निवेश मात्र सामाजिक खर्च भर नहीं है, बल्कि अर्थव्‍यवस्‍था में निवेश है। वह 8 मार्च को दुनिया भर में मनाए जाने वाले महिला दिवस की पूर्व संध्‍या पर पत्र सूचना कार्यालय और भारतीय जन संचार संस्‍थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर अपने उद्गार प्रकट कर रही थीं।


इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री ने दक्षिण एशिया में मीडिया में महिलाओं की स्थिति पर आईआईएमसी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट जारी की। उन्‍होंने आईआईएमसी को यह रिपोर्ट लाने के लिए बधाई दी। साथ ही उन्‍होंने समाचार कक्षों में व्याप्त महिला-पुरुष भेद और असमानता की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट करने के लिए इस रिपोर्ट को मीडिया समूहों के प्रमुखों और मालिकों के साथ साझा किए जाने का अनुरोध किया।


श्रीमती स्‍मृति जुबिन इरानी ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को मीडिया में महिलाओं पर उभरती प्रौद्योगिकी के प्रभाव का अध्‍ययन कराने के लिए आईआईएमसी के साथ सहयोग करके प्रसन्‍नता होगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय मीडिया की महिलाओं तथा उनके कार्य के दौरान आवश्‍यक सहायता तंत्र पर शोध किया जाना चाहिए।


साउथ एशिया वूमंस नेटवर्क (एसडब्‍ल्‍यूएएन) की संस्‍थापक न्‍यासी और समन्‍वयक प्रोफेसर वीना सीकरी ने रिपोर्ट के निष्‍कर्षों पर रोशनी डाली। यूनेस्‍को द्वारा प्रायोजित इस रिपोर्ट के लिए साउथ एशिया वूमंस नेटवर्क और इंस्‍टीट्यूट फॉर स्‍टडीज इन इंडस्‍ट्रीयल डेवलपमेंट की ओर से संयुक्‍त रूप से शोध किया गया था। इस शोध के तहत दक्षिण एशिया के नौ देशों के मीडिया में महिलाओं की कामकाज की स्थितियों का अध्‍ययन किया गया और इसे दो संस्‍करणों में जारी किया गया है।


पूरी रिपोर्ट http://www.swaninterface.net/report-on-the-status-of-women-in-media-in-south-asia-march-2020/ पर उपलब्‍ध है।


इस कार्यक्रम में पत्र सूचना कार्यालय, नयी दिल्‍ली के प्रधान महानिदेशक श्री कुलदीप सिंह धतवालिया, आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग की प्रधान महानिदेशक सुश्री ईरा जोशी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में अपर सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की विभिन्‍न मीडिया इकाइयों के वरिष्‍ठ अधिकारी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सेवा निवृत्‍त मीडिया प्रमुखों और पत्रकारों ने भाग लिया।


 



प्रधानमंत्री ने अपना ट्वीटर हैंडल महिलाओं के सुपुर्द किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाएं (वीमन अचीवर्स) अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने जीवन की यात्रा उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से सुनाएंगी। देश भर की महिलाएं प्रधानमंत्री के ट्वीटर हैंडल पर अपने जीवन की कहानियां साझा कर रही हैं। जीवन के हर तबके की महिलाओं द्वारा साझा की जा रही कहानियां अनुकरणीय और प्रेरणादायी हैं।  

राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज (8 मार्च, 2020) राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में आयोजित एक समारोह में नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये। (नारी शक्ति पुरस्कार के पुरस्कृतों का संक्षिप्त विवरण संलग्न है)


     महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रीय पुरस्कार हैं, जिन्हें प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण योगदान और विशिष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। इसके साथ-साथ यह उन महिला शक्ति को सम्मान और पहचान देने का भी प्रतीक है जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशिष्ट भूमिका निभाई है। 


     पुरस्कार समारोह से पूर्व, आरबीसीसी में दर्शकों के लिए 'स्वच्छ भारत- भारत की स्वच्छता कहानी' पर एक विशेष प्रस्तुति का भी आयोजन किया गया। यह लघु फिल्म स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण भारत में हुए व्यापक व्यवहार परिवर्तन और 55 करोड़ से अधिक लोगों को खुले में शौच की पुरानी प्रथा से दूर करने में महिलाओं की अहम भूमिका को दिखाती है।



अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने डीडी किसान के लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान स्व-सहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के साथ बातचीत की

      केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना भारत राष्ट्रों की समिति (यानी कमिटी ऑफ नेशंस) में विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं उभर सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज यहां डीडी किसान पर महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित एक लाइव टीवी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नये भारत का मिशन केवल महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही साकार हो सकता है, जो हमारी जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आधा भाग हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब न केवल अकादमिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल स्थान पा रही हैं, बल्कि उद्योग जगत से लेकर वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु कार्यक्रमों, पुलिस तथा सशस्त्र बलों और नौकरशाही तक विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पद भी संभाल रही हैं।

      श्री तोमर ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की रीढ़ हैं और कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभागों का पूरा ध्यान महिलाओं की मुक्ति की दिशा में ही अभिविन्यस्त है। उन्होंने कहा, “समुदाय व्यक्तियों से ज्यादा प्रभावशाली हो सकते हैं, ऐसे में समूचे ग्रामीण परिदृश्य में विकास की प्रक्रिया में परिवर्तनकारियों के रूप में एसएचजी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ”


      श्री तोमर ने कहा कि देशभर में 60.8 लाख एसएचजी छह करोड़ 73 लाख से ज्यादा महिलाओं को संघटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “और ज्यादा महिलाओं को आजीविका पाने में समर्थ बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की वर्ष 2022 तक कुल 75 लाख एसएचजी का सृजन करने की योजना है।”


      श्री तोमर ने कहा कि सरकार सरल ऋण प्रवाह के लिए बैंकों को जोड़ने के द्वारा निधि उपलब्ध करा रही है और स्वयं सहायता समूह को आजीविका मिशन हेतु प्रशिक्षण दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कारों का गठन किया है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए पिछले 6 वर्षो के दौरान स्वयं सहायता समूहों को 2.75 लाख करोड़ से अधिक ऋण प्रदान किया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वार्षिक रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है और मनरेगा के तहत कार्य बल में महिलाओं की 55 प्रतिशत की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत भी 4.66 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इस योजना के तहत और अधिक महिलाओं की भागीदारी हो रही है।


श्री तोमर ने कहा कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) का पुनर्गठन किया गया और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना (डीएवाई)- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में शामिल कर दिया गया। इस मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य लगभग 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने महिलाओं को गौरव प्रदान किया है और देशभर में 9.5 करोड़ शौचालयों के निर्माण के साथ उनकी सुरक्षा बढ़ाई है।


श्री तोमर ने कहा कि सरकार न केवल महिलाओं और ग्रामीण आबादी की सहायता कर रही है बल्कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) प्लेस जैसे मंच भी उन्हें उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा ‘सरकार ने अपने कार्यालयों के लिए अनिवार्य बना दिया है कि पहले वह जीईएम से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करें और अगर वहां उपलब्ध न हो तो ही अन्य स्रोतों से खरीद करें।’


कार्यक्रम के दौरान, दिल्ली के अतिरिक्त, भोपाल, भुवनेश्वर, हैदराबाद, जयपुर, पटना एवं रांची में दूरदर्शन स्टूडियो में बैठी ग्रामीण महिला प्रतिभागियों ने मंत्री के साथ परस्पर बातचीत की। उन्होंने अपनी सफलता गाथाओं को साझा किया और बताया कि किस प्रकार स्वयं सहायता समूहों ने उन्हें आत्म निर्भर बनाने और परिवार की आय बढ़ाने में योगदान देने में सहायता की है। महिला प्रतिभागियों में पशु सखी, कृषि सखी, बैंक सखी और पोषण सखी सहित कई सामुदयिक स्रोत व्यक्ति (सीआरपी) शामिल थे।



बाल्‍यावस्‍था की दृष्टिबाधिता का उन्‍मूलन करने को संकल्‍पबद्ध हस्‍ती

वर्ष 2018 में चंडीगढ़ की डॉ. स्‍वलीन कौर पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में नेत्र विज्ञान की एक तृतीयक स्वास्थ्य सेवा इकाई में कार्यरत थीं। उन्हें न तो वेतन मिलता था और न ही यह उनकी पूर्णकालिक नौकरी थी। लेकिन उनके पास केवल शोध कार्य करने की अदम्य इच्छा थी। उन्होंने पृष्ठभूमि से संबंधित सारा कार्य निपटा लिया था, लेकिन उन्हें कोई अवसर मिलने के दूर-दूर तक कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे थे।


2020: यह युवती पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, (पीजीआईएमईआर) चंडीगढ़ के एडवांस्ड आइ सेंटर में नेत्र विज्ञान की सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रही थीं।


01 मार्च, 2019 की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की डब्ल्यूओएस-ए योजना उनके जीवन में एक वरदान की तरह आई, जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।


डब्ल्यूओएस-ए योजना बेसिक या एप्लाइड साइंसेस में शोध करने के लिए महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को मंच उपलब्ध कराती है और उन्हें बेंच-लेवल वैज्ञानिकों के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करती है। यह योजना महिलाओं को मुख्य धारा में लाने  और प्रशिक्षण प्रदान करने व महिलाओं को व्यवस्था से जोड़े रखने तथा प्रतिभाशाली लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी तंत्र से बाहर जाने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभाती है। डब्ल्यूओएस-ए योजना के अंतर्गत पांच विषयों में सहायता उपलब्ध है यथा – भौतिक एवं गणित विज्ञान (पीएमएस), रसायन विज्ञान (सीएस), जीव विज्ञान (एलएस), पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान (ईएएस) और अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी (ईटी)।


डॉ. सवलीन ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से नेत्र विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की थी। विवाह के बाद वह चंडीगढ़ चली गईं। साल भर इंतजार करने के बाद वह  पीजीआई के साथ सीनियर रेजीडेंट के रूप में जुड़ गईं और उसके बाद पीजीआई के साथ रिसर्च असोसिएट के रूप में जुड़ी रहीं। एक समय ऐसा आया, जब वह घर पर बेरोजगार बैठी थीं और सोच रही थीं कि क्या वह कभी अपने क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगी। डीएसटी ने उन्‍हें न केवल अपने शोध को प्रस्तुत करने के लिए मंच दिया, बल्कि उन्‍हें अपने पसंदीदा मेंटर के मार्गदर्शन में देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक में काम करने का अवसर भी दिया।


डॉ. कौर कहती हैं, '' मैं अपने लिए खड़े होने की जगह तलाश रही थी। मुझे अपने काम के बारे में दुनिया को बताने के लिए एक मौके की तलाश थी और जब यह मौका मिला, तो मुझे बेहद खुशी हुई। मैं देश के उन सात लोगों में से थी,  जिन्होंने जीव विज्ञान में इसे प्राप्त किया  और इसके साथ ही सारी परेशानियां सार्थक हो गईं। मैंने अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी के कारण काम से लंबा विराम लिया था। इस योजना ने मुझे पूरी ताकत के साथ वापस ला खड़ा किया।”


“मैंने अपने विषय का गहन ज्ञान प्राप्‍त करने के लिए कड़ी मेहनत की। मुझे भरोसा था और मैं अपने कार्य को सही साबित कर सकती थी। पीजीआईएमईआर में नेत्र रोग विभाग के पूर्व एचओडी, मेरे मेंटर डॉ. आमोद गुप्ता और डॉ. मंगत डोगरा, वर्तमान निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. जगत राम और उसी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जसप्रीत सुखीजा के मार्गदर्शन को मैं भूल नहीं सकती, जिन्‍होंने मुझे कड़ी मेहनत करने और लक्ष्‍य ऊंचा रखने की सीख दी। मेरे पति और ससुराल वालों का समर्थन भी अनमोल रहा।


उन्होंने कहा कि करियर में विराम के बाद मुख्यधारा के विज्ञान में लौटने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “दृढ़ता और अटलता का फल जरूर मिलता है। हमें भगवान और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि परिवार हमें पीछे धकेल रहा है। यह आपको मजबूत बना रहा होता है। इस तरह की योजनाओं के लिए सजग रहना चाहिए।‘’


अब वह स्थायी नौकरी में है, डॉ. कौर अपने शोध कार्य का विस्तार करने की उत्सुक हैं। देश में केवल मुट्ठी भर समर्पित बाल नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं और वह इस अंतर को भरना चाहती हैं और इस शोध को भारत में बच्‍चों में दृष्टिबाधिता को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती हैं।


डॉ. कौर ने बताया, “डब्ल्यूओएस-ए योजना ने मुझे बाल नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा, ज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाने का अवसर दिया। मैं इस उप-विशेषज्ञता में अनुसंधान का विस्तार करना चाहती हूं और इस क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूसरों को भी शिक्षित और प्रेरित करना चाहती हूं।”


उन्‍होंने जोर देकर कहा, “वैज्ञानिक करियर में महिलाएं दुश्मन के इलाके में मौजूद सैनिकों की तरह होती हैं। जहां से आप आईं हैं, वहां लौट नहीं सकतीं और आपको विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। अपना ध्यान और अपना विश्वास बनाए रखें। खुद पर और अपने प्रशिक्षण पर विश्वास करें। किस्मत उन लोगों का साथ देती है, जो उसके लिए तत्‍पर होते हैं!”



डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला

डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला है। मुख्य पोस्टमास्टर जनरल सुश्री एंद्री अनुराग ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तहत पोस्टमास्टर जनरल (परिचालन), दिल्ली सर्कल श्री अखिलेश कुमार पांडेय और एसएसपीओ सुश्री अनु पॉल की मौजूदगी में 6 मार्च को नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल के अंतर्गत तीसरे महिला उप-डाकघर, नानक पुरा, नई दिल्ली-110021 का उद्घाटन किया।

इस डाकघर में एक डाक सहायक, एक एमटीएस और एक जीडीएस के साथ सुश्री निशा रानी एसपीएम का प्रभार संभाल रही हैं।


      वर्ष 2019 के लिए नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल की विभिन्न श्रेणियों की सर्वश्रेष्ठ महिला कर्मियों के लिए अभिनंदन समारोह भी आयोजित किया गया। सीपीएमजी और पीएमजी (ओ) ने पुरस्कार पाने वाली महिलाओं को बधाई दी और सभी कर्मियों को मंडल की बेहतरी के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया।


      तीनों महिला डाकघरों दिल्ली सर्कल-1-नानक पुरा 2- दिल्ली विश्वविद्यालय और 3-शास्त्री भवन उप-डाकघरों के कर्मचारियों ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए 7 मार्च को केक काटा।



महिला वैज्ञानिकों को डब्ल्यूआईएसटीईएमएम के लिए भारत-अमेरिका फेलोशिप के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्राप्त हुआ

भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) के सहयोग से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित एवं चिकित्सा (डब्ल्यूआईएसटीईएमएम) में महिलाओं के लिए भारत अमेरिका फेलोशिप में कई महिला वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्रदान किया है। लगभग 20 महिला वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने और अपने अनुसंधान से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित होने के लिए अमेरिका के 20 अग्रणी संस्थानों का दौरा किया है।


डब्ल्यूआईएसटीईएमएम का उद्देश्य अपनी अनुसंधान क्षमताओं एवं योग्यताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका में उत्कृष्ट संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान आरम्भ करने के लिए भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करते है।


यह कार्यक्रम दो प्रकार की महिला वैज्ञानिकों के लिए संचालित किया जाता है, वैसी महिला छात्राओं, जो पीएचडी कर रही है, के लिए वीमेन ओवरसीज़ स्टूडेंट इंटर्नशिप (मॉड्यूल i) और पीएचडी डिग्रीधारी और भारत में किसी मान्यता प्राप्त संस्था/ प्रयोगशाला में किसी नियमित पद पर आसीन महिलाओं के लिए वीमेन ओवरसीज़ फेलोशिप (मॉड्यूल ii)।


महिला वैज्ञानिकों की पहली खेप, जिसमें 25 महिलाएं शामिल हैं, पूरे अमेरिका के 20 अग्रणी संस्थानों का अपना दौरा संपन्न कर चुकी हैं। महिला वैज्ञानिक समुदाय से प्राप्त आवेदनों से चयनित 20 महिलाओं की दूसरी खेप इस वर्ष  अमेरिका के शीर्ष संस्थानों का दौरा करने की तैयारी कर रही है।


फेलोशिप 21 से 45 वर्ष की आयु की सीमा के भीतर प्रखर भारतीय महिला नागरिकों के लिए है। उम्र का ऐसा व्यापक मापदंड न केवल उनके के लिए सहायक है जो वर्तमान में अनुसंधान कर रही है बल्कि उन असाधारण महिला शोधकर्ताओं के लिए भी है जो अपने अनुसंधान से थोड़ा विराम लेकर वापस लेकर लौटना चाहेंगी। इस कार्यक्रम में दी गई निधियन सहायता में वृत्तिका, हवाई जहाज का किराया, स्वास्थ्य बीमा, आकस्मिकता एवं सम्मेलन भत्ता शामिल हैं।


डीएसटी विज्ञान में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल शुरू किये हैं। 2014 में डीएसटी ने सभी महिला विशिष्ट कार्यक्रमों को एक कार्यक्रम ‘पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी’ (किरण) के तहत पुनर्गठित किया जिसमें महिला विशिष्ट योजनाएं शामिल है तथा जो न केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अनुसंधान आरम्भ करने के द्वारा उनके करियर को संवारने के लिए प्रोत्साहित बल्कि सामाजिक लाभों के लिए जमीनी स्तर पर मुद्दों और चुनौतियों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समाधानों पर भी फोकस करता है। किरण कार्यक्रम का अधिदेश महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के जरिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में जेंडर समानता लाना है। महिला वैज्ञानिक स्कीम (डब्ल्यूओएस) मुख्य रूप से सामाजिक जिम्मेदारियों के कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करती है। इसके दो घटकों डब्ल्यूओएस-ए और डब्ल्यूओएस-बी का किरण प्रभाग द्वारा प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वयन किया जाता है तथा तीसरे घटक डब्ल्यूओएस-सी या किरण- आईपीआर का कार्यान्वयन डीएसटी से अनुदान सहायता के साथ टीआईएफएसी द्वारा किया जाता है।


वैश्विक स्तर पर क्षमता निर्माण, ज्ञान एवं कौशल संवर्धन के लिए महिला वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करना‘इंटर नेशनल फेलोशिप फॉर वीमेन इन सांइस’नामक इसके अंतर्राष्ट्रीय घटक के जरिये अर्जित किया जाने वाला एक और उद्देश्य है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य सहयोगात्मक अनुसंधान आरम्भ करने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट अनुसंधान सुविधाओं का अनुभव प्राप्त करने में भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को अवसर उपलब्ध कराना है।



राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार 2019 प्रदान किए

 राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में वर्ष 2019 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। यह पुरस्कार 15 प्रतिष्ठित महिलाओं को विशेष रूप से असहाय और वंचित महिलाओं के उत्‍थान की दिशा में किए गए उत्‍कृष्‍ट प्रयासों के लिए प्रदान किये गये। नारी शक्ति पुरस्‍कार के लिए नामित केरल के कोल्लम के अलाप्पुझा की भागीरथी अम्मा पुरस्कार प्राप्त करने के लिए दिल्ली नहीं आ सकीं।


     नारी शक्ति पुरस्कार महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक पहल है जो व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा समाज में महत्‍वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव की दिशा में किए गए असाधारण योगदान को स्‍वीकारोक्ति देने के रूप में मनाया जाता है। इन उत्कृष्ट महिलाओं ने सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने के साथ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में भी महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। ये पुरस्कार समाज की उन्नति में महिलाओं को समान भागीदारी के रूप में मान्यता देने का एक प्रयास है।


     पुरस्‍कार प्राप्तकर्ताओं ने अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आयु, क्षेत्रीय बाधाओं अथवा संसाधनों परवाह नहीं की। उनकी यह अदम्य भावना समाज में व्‍यापक स्‍तर पर युवा भारतीयों की सोच, विशेष रूप से न सिर्फ लैंगिक रूढ़िवादियों को तोड़ने अपितु लैंगिक असमानता और भेदभाव को समाप्‍त करने के लिए प्रेरित करेगी।


     वर्ष 2019 के नारी शक्ति पुरस्‍कार विजेता कृषि, खेल, हस्तशिल्प, वनीकरण और वन्यजीव संरक्षण, सशस्त्र बलों और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्रों से हैं।


     पुरस्कार प्राप्‍तकर्ताओं की सूची इस प्रकार है:




















































































क्र. सं.



नाम



श्रेणी



राज्‍य



1



पदाला भूदेवी



व्यक्तिगत



श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश



2



बीना देवी



व्यक्तिगत



मुंगेर, बिहार



3



आरिफा जान



व्यक्तिगत



श्रीनगर, जम्‍मू और कश्‍मीर



4



चामी मुर्मू



व्यक्तिगत



राजनगर, सरायकेला खरसावां, झारखंड



5



निलजा बांगमो



व्यक्तिगत



लेह, लद्दाख



6



रश्मि उर्धावरेश



व्यक्तिगत



पुणे, महाराष्‍ट्र



7



सरदारनी मान कौर



व्यक्तिगत



पटियाला, पंजाब



8



कलावती देवी



व्यक्तिगत



कानपुर, उत्‍तर प्रदेश



9



ताशी और नुंगशी मलिक



व्यक्तिगत



देहरादून, उत्‍तराखंड



10



कुशिकी चक्रवर्ती



व्यक्तिगत



कोलकाता, पश्चिम बंगाल



11



भगीरथी अम्मा और कारथायिनी अम्मा



व्यक्तिगत



कोल्‍लम, अलाप्‍पुझा, केरल



12



अवनी चतुर्वेदी


भावना कांत


 


मोहना सिंह



व्यक्तिगत



रीवा, मध्‍य प्रदेश,


दरभंगा, बिहार


आगरा, उत्‍तर प्रदेश


भारतीय वायु सेना




Sunday, March 8, 2020

राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज (8 मार्च, 2020) राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में आयोजित एक समारोह में नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये। (नारी शक्ति पुरस्कार के पुरस्कृतों का संक्षिप्त विवरण संलग्न है)


     महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रीय पुरस्कार हैं, जिन्हें प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण योगदान और विशिष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। इसके साथ-साथ यह उन महिला शक्ति को सम्मान और पहचान देने का भी प्रतीक है जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशिष्ट भूमिका निभाई है। 


     पुरस्कार समारोह से पूर्व, आरबीसीसी में दर्शकों के लिए 'स्वच्छ भारत- भारत की स्वच्छता कहानी' पर एक विशेष प्रस्तुति का भी आयोजन किया गया। यह लघु फिल्म स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण भारत में हुए व्यापक व्यवहार परिवर्तन और 55 करोड़ से अधिक लोगों को खुले में शौच की पुरानी प्रथा से दूर करने में महिलाओं की अहम भूमिका को दिखाती है।



प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति को सलाम किया

 प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 'नारी शक्ति' की भावना को सलाम किया है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई। हम अपनी नारी शक्ति की भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं। जैसा कि मैंने कुछ दिनों पहले कहा था कि मैं अब सोशल मीडिया अकाउंट छोड़ रहा हूं। आज पूरे दिन 7 महिलाएं अपने जीवन के बारे में आपसे बातें साझा करेंगी और संभवत: वह मेरे सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए आपसे बातचीत भी करेंगी।’’







 







राष्ट्रपति का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर संदेश

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने प्रत्‍येक वर्ष 8 मार्च को मनाए जाने वाले  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा है: -


 “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।


यह दिन महिलाओं को समाज, राष्ट्र और विश्‍व निर्माण की दिशा में किए जाने वाले अथक प्रयासों में उनकी बेहतर और महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मान देने का अवसर है। इसके साथ-साथ ही यह महिलाओं की उन असाधारण उपलब्धियों को चिन्‍हांकित करने का एक अवसर है जिनके माध्यम से महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई  तथा अपनी कर्मठता, समर्पण और दृढ़ संकल्‍प का परिचय दिया।


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, हम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिज्ञा को दोहराएं ताकि वे अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में अपनी इच्छा के अनुसार निर्बाध रूप से आगे बढ़ सकें।”



श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने नई दिल्ली में पुलिस और सीएपीएफ में महिलाओं पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने और अधिक महिला फोरेंसिक जांचकर्ताओं और साइबर अपराध विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने की जरूरत पर जोर दिया। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) द्वारा आयोजित पुलिस और सीएपीएफ में महिलाओं पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद श्रीमती ईरानी ने ‘वन स्टॉप सेंटर फॉर वुमेन’ के लिए एक एसओपी बनाने की सलाह दी।

श्रीमती ईरानी ने सुझाव दिया कि सुरक्षा बलों में महिलाओं की भर्ती के समय उन्‍हें परामर्श दिया जाए ताकि वे अपने कैरियर के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। उन्‍होंने खेद जताते हुए कहा कि समाज आज भी कामकाजी महिलाओं को पूर्वग्रह से देखता है और सफलता के लिए पुरुषों के प्रदर्शन को एकमात्र मानदंड मानता है।


श्रीमती ईरानी ने बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों को प्रशिक्षण देने का भी प्रस्ताव रखा। उन्‍होंने एमएचए, सीडब्‍ल्‍यूसी, एनजीओ और आपराधिक न्यायिक प्रणाली के अन्य हितधारकों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि एक बार यदि किसी को सजा हो जाए तो वह सजा के निष्‍पादन में देरी के लिए कानून के प्रावधानों का लाभ न उठा सकें।


राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित 2 (दो) विषयों पर चर्चा और विचार-विमर्श करना था :



  • साइबर स्टाकिंग और महिलाओं को धमकाना: सुरक्षा के लिए कदम

  • परिचालन क्षेत्रों में सीएपीएफ महिलाओं द्वारा चुनौतियों का सामना


इस सम्‍मेलन के गुणगान में श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने एक हैंड-आउट - "बीपीआर एंड डी मिरर - जेंडर बेंडर" जारी किया।


इस अवसर पर बीपीआरएंडडी के महानिदेशक श्री वी. एस. के. कौमुदी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और पुलिस में शामिल महिलाओं से जुड़े साइबर अपराध के अलावा कार्यस्‍थल पर उत्‍पीड़न जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उन्‍होंने कहा कि ऐसी अनोखी चुनौतियां भी हैं जिनसे संचालन स्‍तर पर महिला अधिकारियों का सामना होता है। बीपीआरएंडडी के डीआईजी (आरईएस) श्री एस के ध्‍यानी ने बीपीआरएंडडी की ओर से धन्‍यवाद प्रस्‍ताव रखा।