Friday, March 13, 2020

कंपनी अधिनियम और निधि संशोधन नियम 2019 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार निधि कंपनी के तौर पर फॉर्म एनडीएच-4 में निधि कंपनियां अपनी स्थिति/घोषणा को अपडेट करने के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन करेंगी

निधि कंपनियों के लिए नियामक व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी और देश के कारपोरेट वातावरण में पारदर्शिता और निवेशक अनुकूल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल में कंपनीज एक्ट और नियम के तहत एनआईडीएचआई से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। (15 अगस्त 2019 से प्रभावी)



कंपनीज एक्ट (धारा 406) और निधि रूल्स (जैसा 15 अगस्त 2019 को संशोधित किया गया) के संशोधित प्रावधानों के तहत निधि कंपनियों को अपनी स्थिति/घोषणा के अपडेशन के लिए केंद्र सरकार के पास फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना जरूरी है।


फॉर्म एनडीएच-4 में केंद्र सरकार के पास आवेदन करने के लिए समय सीमा कुछ इस प्रकार से है:-


1- निधि संशोधन रूल्स 2019 से पहले (यानी 15 अगस्त 2019) निधि के तौर पर शामिल कंपनियों को उसके निगमन की तारीख से एक साल की अवधि के भीतर या निधि संशोधन नियम यानी 15 अगस्त 2019 से 9 महीने के भीतर, जो बाद में हो, आवेदन करना होगा।


2- निधि संशोधन नियम 2019 यानी 15 अगस्त 2019 को या बाद में निधि के तौर पर निगमित कंपनियों को निगमन की तारीख या बढ़ी हुई अवधि (संबंधित क्षेत्रीय निदेशक द्वारा मिली) से एक साल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा।


अगर कोई कंपनी उपरोक्त आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करती है तो उसे फॉर्म नंबर एसएच-7 (शेयर कैपिटल के किसी भी परिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को नोटिस) और फॉर्म पीएएस-3 (आवंटन वापस) दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


ऐसी कंपनियों के लिए संशोधित निधि रूल्स 2014 और कंपनीज एक्ट 1956/2013 के प्रावधान का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में कंपनी और उसके प्रत्येक अधिकारी, जो डिफॉल्ट में हैं, को जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा जो 5 हजार रुपये तक हो सकता है और लगातार उल्लंघन पर और भी जुर्माना लग सकता है।


आगे, निवेशकों को किसी निवेश या जमा से पहले आधिकारिक राजपत्र में केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से निधि कंपनी की स्थिति को सत्यापित करने की सलाह दी जाती है।


निधि नियम 2014 के तहत, निधि एक कंपनी है जिसे अपने सदस्यों के बीच बचत की आदत डालने, जमा राशि प्राप्त करने और पारस्परिक लाभ के लिए केवल अपने सदस्यों को ऋण देने के उद्देश्य से निधि के तौर पर निगमित किया गया है।


 




उप राष्ट्रपति ने कॉलेजों में प्रवेश और रोजगार में खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया

उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और रोजगार देने के लिए खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया क्योंकि यह युवाओं को खेल संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित हुए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में जीत दर्ज करने वाले पंजाब विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि भारत अपने आकार और आबादी के बावजूद ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पिछड़ रहा था क्योंकि पहले खेलों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता था।


देश के सभी शिक्षण संस्थानों से बहुत कम उम्र से ही बच्चों में खेल की संस्कृति का विकास करने का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में खेल को अनिवार्य विषय बनाना खेल संस्कृति को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है।


खेलों में भाग लेने के तमाम फायदे समझाते हुए श्री नायडू ने कहा कि किसी भी प्रकार का शारीरिक व्यायाम न केवल युवाओं को तंदुरुस्त रखता है बल्कि उनके एकाग्रता के स्तर को भी सुधारता है।


खेल युवाओं में सामाजिक लगाव, टीम भावना और आत्म-विश्वास की भावना पैदा करते हैं। उप राष्ट्रपति ने पंजाब विश्वविद्यालय के युवा एथलीटों से कहा, 'यह आपको शिष्टाचारपूर्वक हार को स्वीकार करना सिखाते हैं। अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, तो आप मानसिक रूप से सजग रहेंगे।'


बच्चों के खेलकूद को नियमित पेशे के रूप में लेने के लिए उन्होंने सरकार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों के समन्वित प्रयासों का आह्वान किया।


खेलो इंडिया, फिट इंडिया, योग जैसे कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए सरकार की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने भारत को स्वस्थ बनाने के लिए इन्हें व्यापक अभियानों में परिवर्तित करने के लिए प्रत्येक नागरिक खासतौर से युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी की मांग की। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम जन आंदोलन बनने चाहिए।


इस बात पर कायम रहते हुए कि देश के आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए उसकी आबादी शारीरिक रूप से फिट होनी चाहिए, उप राष्ट्रपति ने हर नागरिक से राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने और उसके विकास का भागीदार बनने का आह्वान किया।


जीवन शैली संबंधी बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए योग या किसी भी प्रकार की नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए श्री नायडू ने मानव जाति के प्रकृति की ओर लौटने की जरूरत पर बल दिया। लोगों के प्रकृति की गोद में ज्यादा समय बिताने की उन्होंने इच्छा व्यक्त की।


 


कार्यक्रम में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों के साथ-साथ उप राष्ट्रपति के सचिव श्री IV सुब्बाराव, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राज कुमार और संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।


पूरा भाषण निम्नलिखित है-


'पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय के एथलेटिक दल के सदस्य, शिक्षक वृंद, प्रिय युवा मित्रों। आप सभी का उप राष्ट्रपति निवास पर स्वागत करने का सुयोग पाकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। मेधावी छात्रों और विद्वान शिक्षकों की उपस्थिति सदैव ही शुभता प्रदान करती है।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित पहले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली युवा छात्रों ने 17 स्वर्ण, 18 रजत और 10 कांस्य पदक जीत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। दल के सभी सदस्यों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आपके विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रूप में, आपकी हर उपलब्धि से स्वयं को निकट से जुड़ा हुआ पाता हूं।


आपके प्रयास, आपको, आपके शिक्षकों, परिजनों और आपके विश्वविद्यालय के लिए यश अर्जित करते हैं। आपकी सफलता, आपकी निजी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि आपके संस्थान और समुदाय को भी यशस्वी बनाती है इसलिए आपकी उपलब्धि और भी अभिनंदनीय है। पंजाब विश्वविद्यालय तथा इस क्षेत्र के अन्य शिक्षा संस्थानों ने युवाओं में खेल की संस्कृति विकसित करने में अभिनंदनीय योगदान दिया है। पंजाब विश्वविद्यालय को खेलकूद में उल्लेखनीय उपलब्धियां के लिए 14वीं बार भारत सरकार की एमएकेए ट्रॉफी (मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी) से पुरस्कृत किया गया है।


मुझे जानकर हर्ष है कि सरकार ने खेलो इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत देश में खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें प्रशिक्षित और प्रोत्साहित करने का एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है। प्रति खिलाड़ी को आठ वर्षों तक प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है।


2018 से खेलो इंडिया युवा खेलकूद आयोजित किए जा रहे हैं। इस वर्ष भी जनवरी में, गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया युवा खेलों में, विभिन्न प्रदेशों के लगभग 9000 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया। मुझे हर्ष है कि इन खेलों में हरियाणा ने दूसरा और पंजाब ने दसवां स्थान प्राप्त किया। देश को अनेक युवा खेल प्रतिभाएं मिलीं।


मुझे विशेष संतोष है कि गत सप्ताह ही देश के पहले खेलो इंडिया विंटर गेम्स उत्तर कश्मीर के गुलमर्ग में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए जिसमें 20 राज्यों के लगभग 900 प्रतिभागियों ने 30 खेलों में भाग लिया। आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि जो क्षेत्र वर्षों तक आतंकवाद के विष को झेल रहा था, वहां पर ऐसे खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन स्थानीय समुदाय, वहां के खिलाड़ियों, युवाओं और प्रशासन के लिए, आशा का कितना सकारात्मक संदेश देता है।


इन खेलों को आयोजित करने के लिए मैं केंद्र और प्रदेश सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सबसे अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतियोगियों का अभिनन्दन करता हूं जिनके प्रयासों से लगभग 2000 से अधिक युवा खेल प्रतिभाओं को खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत चिन्हित किया जा सका है। ये 2000 युवा देश में स्पोर्टिंग टैलंट पूल बनाएंगे जिन्हें वैश्विक स्पर्धाओं के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जा सके।


इन प्रयासों के परिणाम दिखने भी लगे हैं। हाल के वर्षों में एथेलेटिक्स, कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, जिम्नास्टिक जैसे खेलों में अंतरराष्ट्रीय, वैश्विक या क्षेत्रीय टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां विशेषकर महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियां नई संभावनाओं के द्वार खोलती हैं।


पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खेल के क्षेत्र में लगातार प्रगति की है और कई वैश्विक मंचों पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया है। अब समय है कि हम खेल भावना के फलने-फूलने के लिए आवश्यक माहौल तैयार कर भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने का उद्देश्य तय करें। मैं देश के सभी कोनों से खेल प्रतिभाओं को पहचानने, प्रोत्साहित करने और उन्हें शीर्ष स्तर के बुनियादी ढांचे और उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण देकर सहयोग करने के लिए कुछ साल पहले शुरू किए गए खेलो इंडिया कैंपेन के लिए भारत सरकार की प्रशंसा करता हूं।


मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल 'फिट इंडिया कैंपेन' लोगों को फिट और स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।


खेलकूद, शारीरिक अभ्यास और सौष्ठव हर परंपरा का भाग रहा है। आवश्यकता है तो उस परंपरा को जीवित करने की, उससे जुड़ने की, ऐसी प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित करने की। इसी उद्देश्य से सरकार योग, फिट इंडिया, खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों को जन अभियान के रूप में प्रचारित और प्रसारित कर रही है। इन जन अभियानों में हर नागरिक, हर संस्था विशेषकर युवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। तभी खेलकूद को समाज में व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी, लोग व्यायाम और अभ्यास को जीवन शैली में अपनाएंगे। खेलकूद के लिए एक सामाजिक संस्कृति विकसित हो सकेगी।


स्पोर्ट्स और गेम्स हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे हमारी शारीरिक फिटनेस को सुधारते हैं, हमराी संज्ञानात्मक क्षमता में सुधार करते हैं और टीम गेम्स के मामले में हमारे सामाजिक कौशल में वृद्धि करते हैं। हम टीमों में कैसे काम करें, कैसे ध्यान केंद्रित करें और अपनी क्षमता में सुधार करना सीखते हैं और खेल का आनंद कैसे लें और कभी-कभी जीतने के लिए खेलते हैं।


तमाम खेलों और गेम्स में भाग लेने से व्यक्ति की एकाग्रता के स्तर में सुधार, टीम के साथ मिलकर काम करने की अवधारणा को बढ़ावा और आत्मसंयम का सलीका विकसित करने में मदद मिलेगी, जो किसी भी तरह की कड़वाहट, दुर्भावना या द्वेष की भावना के बिना हार को स्वीकार करने के लिए जरूरी है।


यह जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है। यह आज्ञाकारिता, अनुशासन की आदत बनाने, जीतने का दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति में बढोतरी में सहायता करता है। गेम्स और स्पोर्ट्स में नियमित भागीदारी भी व्यक्ति को दृढ़ संकल्प की भावना विकसित करने में सक्षम बनाएगी। आखिरकार, स्पोर्ट्स का एक अच्छा व्यक्ति एक अच्छा नेता बन सकता है क्योंकि खेल नेतृत्व गुणों को भी विकसित करता है।


अभिभावक और शिक्षकों द्वारा प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इसी विचार से हमारी नई शिक्षा नीति में खेलकूद को शिक्षा का महत्वपूर्ण अभिन्न अंग माना गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। जैसे-जैसे हमारे खिलाड़ियों की उपलब्धियां बढ़ेंगी, समाज का खेलकूद के प्रति नजरिया भी बदलेगा। अतः आप सब की उपलब्धियां, समाज में खेलकूद के प्रति जागृति बढ़ाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम है।


भारत को एक महान खेल राष्ट्र बनाने के लिए इसे जमीनी स्तर पर ले जाने और देश में सभी प्रकार के खेलों के लिए मजबूत ढांचा तैयार करने की तत्काल जरूरत है। खेल संस्कृति को स्कूल के समय से ही पोषित और पुनर्जीवित करने की जरूरत है। गेम्स और स्पोर्ट्स या योग या कोई भी शारीरिक गतिविधि लोगों की दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग बनना चाहिए। यह न केवल स्वस्थ रखता है बल्कि दिमाग को तनाव मुक्त रखने में भी मदद करता है और दिमाग व शरीर को आराम प्रदान करता है। खेल क्षमता में सुधार करता है, टीम भावना को बढ़ाता है, समय की कीमत को समझाता है और साथ ही साथ किसी स्पोर्ट या किसी गेम को खेलना और देखना मनोरंजन का भी एक अच्छा स्रोत हो सकता है।


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग रहता है और यह एक से ज्यादा तरीकों से मदद करता है। फिट रहने और स्वस्थ रहने से व्यक्ति, परिवार और बड़े पैमाने पर समाज की भलाई पर असर पड़ेगा। 30 से कम उम्र की 65 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले हमारे जैसे किसी युवा देश को बच्चों, युवाओं और बड़ों को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि करके फिट रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


मेरी अपेक्षा होगी कि इसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जाएं। सामुदायिक और स्कूली स्तर पर प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाएं।


युवा मित्रों,


देश का विकास एक आयामी नहीं होता, देश की प्रगति को सिर्फ जीडीपी के द्वारा ही नहीं मापा जा सकता, उससे देश में आर्थिक प्रगति का अनुमान तो लग सकता है परन्तु देश में अंतर्निहित मेधा, प्रतिभा का नहीं, समाज के युवाओं में निहित भावी संभावनाओं का नहीं। राष्ट्र सिर्फ आर्थिक रूप से ही प्रगति नहीं करता, वह समाज के संस्कारों, युवाओं के ऊंचे लक्ष्यों, उसके लिए अभीष्ट प्रयासों से, उनकी उद्यमशीलता से विकसित होता है। अतः आपके लक्ष्य, आपके प्रयास ही इस देश की प्रगति को दिशा और गति देंगे।


एक बार पुनः मैं आप सभी को आपकी भावी सफलताओं और उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आपकी उपलब्धियों से प्रोत्साहित होकर विश्वविद्यालय शीघ्र ही सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक, साइकिलिंग वेलोड्रोम तथा स्क्वैश कोर्ट जैसी सुविधाओं का निर्माण कर सकेगा।


उप राष्ट्रपति आवास पर स्वागत करने का सुयोग प्रदान किया, आप सभी को धन्यवाद देता हूं।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कल शाम इज़राइल के प्रधानमंत्री श्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।



दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में हुई उत्कृष्ट प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कोविड-19 महामारी के संदर्भ में वैश्विक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।




केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब दिया

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज यहाँ राज्यसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा पर बोलते हुए कहा कि इस हिंसा में जिन लोगों की जान गई है उन सब के लिए हृदय की गहराइयों से दुख व्यक्त करता हूं । श्री शाह ने दंगों में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।


श्री शाह ने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, 2647 लोग हिरासत में लिए गए हैं । श्री शाह ने यह भी बताया कि दिल्ली के आम नागरिकों से भी दंगे में हुई हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं। सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है । फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 330 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं ।


श्री शाह ने कहा कि शांति समिति की 650 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं । 40 से अधिक टीम द्वारा दंगों में शामिल लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं। इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है । श्री शाह ने बताया कि 5 लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है। श्री शाह ने कहा कि जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे ।


दिल्ली के 4% क्षेत्र और 13% आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है और यह 12 थानों तक ही हिंसा रुकी रहे यह एक अच्छा प्रयास रहा । दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है । श्री शाह ने कहा कि दंगा करने वाले किसी भी धर्म के हों, किसी भी जाति के हों, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा । वैज्ञानिक जांच के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी, यह इसलिए भी जरूरी है कि दंगा करने और कराने वालों के मन में कानून का भय बना रहे। श्री शाह ने यह भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11:00 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई और दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है।


केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि फेस आईडेंटिफिकेशन के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जा रहा है और किसी की निजता भंग नहीं की जा रही। बड़ी संख्या में लोगों को पहचान लिया गया है जो दंगा करते हुए, दंगों में लोगों का नुकसान करते हुए दिखाई दे रहे हैं।


सभी 50 मामलों में 3 एस आई टी बनाकर डिटेल इन्वेस्टिगेशन किया जा रहा है । बगैर लाइसेंस के निजी हथियार चलने की सूचना भी प्राप्त हुई है जिसमें 49 मामले दर्ज किए गए हैं जिसमें 52 लोगों की गिरफ्तारी हुई है । दंगों की फंडिंग करने वालों को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे और उन्हें सजा मिलेगी । आईएसआईएस के संलिप्त होने के भी प्रमाण मिले हैं और पुलिस जांच की जा रही है।


अंकित शर्मा और रतन लाल की हत्या करने वाले दोषियों को गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है। भविष्य में दंगा न हो इसके लिए दिल्ली में दंगाइयों से जुर्माना वसूलने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है और क्लेम कमिश्नर की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है । लोगों के मन में विश्वास होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी सरकार तेज गति से निष्पक्ष जांच करेगी। श्री शाह ने कहा कि जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।


22 तारीख से 26 फरवरी तक जितनी भी फोर्स की आवश्यकता थी तैनाती की गई ।श्री अमित शाह ने कहा कि सी ए ए पर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है उनके मन में भय पैदा किया गया है। सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता दी जायेगी ।


श्री अमित शाह ने सदन को बताया कि 2 तारीख को जब सदन शुरू हुआ तब तक दंगा समाप्त हो चुका था और पुलिस जांच की कार्यवाही कर रही थी, वहां की व्यवस्था को ठीक करने में लगे थे और साथ ही होली का त्यौहार भी था । होली का त्यौहार सद्भावना का त्योहार है । यह आवश्यक था कि त्योहार के मौके पर लोगों की भावनाओं को शांत रखा जाए इसलिए होली के तुरंत बाद 11 और 12 तारीख को दोनों सदनों में चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा गया ।


श्री शाह ने सदस्यों द्वारा न्यायाधीश के स्थानांतरण संबंधी प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि इस संबन्ध में निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के कोलोजियम द्वारा लिया जाता है, इसमें सरकार की दखलंदाजी नहीं होती है।


श्री शाह ने कहा कि सभी पार्टियों को एक होकर कहना होगा कि सी ए ए से किसी की भी नागरिकता नहीं जा रही। उनका यह भी कहना था कि एनपीआर के अंदर कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा । सूचना देने के लिए विकल्प मौजूद हैं और उसके आधार पर सूचना दी जा सकती है और किसी को भी संदेह की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा । श्री शाह ने कहा कि देश के अंदर किसी को भी एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से कहा कि यदि किसी को भी कोई संशय है तो मेरे साथ चर्चा कर सकते हैं। श्री शाह ने विपक्ष के सांसदों से कहा कि अब सीएए तथा एनपीआर पर भ्रांति खत्म होनी चाहिए।


श्री अमित शाह ने कहा कि देश की कुछ बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद ही शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ । श्री शाह ने बताया कि इस तरह भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए।


श्री शाह का कहना था कि दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है, सोशल मीडिया में भड़काया गया है इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा ।



प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 लोकसभा में पेश

केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 पेश किया। यह विधेयक भारत में प्रमुख बंदरगाहों के नियमन, संचालन और नियोजन के लिए और ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों को मुख्य बंदरगाह प्रशासन के बोर्ड को देने से संबंधित है।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत  परिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे निर्णय लेने की पूर्ण स्वायत्तता और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने का अधिकार मिलेगा।


इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। साक्ष्य लेने और व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।


बंदरगाह की आधारभूत संरचना के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार व वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 का उद्देश्य प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवराना अंदाज को बढ़ावा देना और निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण है। यह हितधारकों और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभ पहुंचाते हुए तेज और पारदर्शी निर्णय देने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय बंदरगाहों में सुशासन मॉडल को वैश्विक अभ्यास के अनुरूप जमींदार बंदरगाह मॉडल के रूप में फिर से प्रस्तुत करना है। इससे प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।


यह विधेयक सभी हितधारकों और मंत्रालयों/विभागों के साथ व्यापक परामर्श और पीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-


क- यह बिल प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि अतिच्छादित और अप्रचलित अनुभागों को समाप्त करके अनुभागों की संख्या घटाकर 134 से 76 कर दी गई है।


ख- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने और रणनीतिक योजना को मजबूत करेगा। राज्य सरकार, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है, रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि को बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने के अलावा सरकार की तरफ से नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्रशासन के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।


ग- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्रशासन को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जो पीपीपी परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित अन्य बंदरगाह सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का दायरा तय करने के अधिकार सौंप दिए गए हैं।


घ- एक सहायक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी रियायत पाने वालों के बीच विवादों को देखने, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए और तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए उपाय सुझाने और इस तरह की परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय देने और बंदरगाहों/निजी ऑपरेटरों (बंदरगाहों के भीतर काम करने वाले) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।


ड.- बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते आपातकालीन स्थिति की पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक था।


च- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, बंदरगाह की सीमा और भूमि के दायरे में किसी भी विकास या अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करना का हकदार होगा और इस तरह का मास्टर प्लान किसी भी प्राधिकरण के स्थानीय या राज्य सरकार के नियमों से स्वतंत्र होगा।


छ- सीएसआर और बंदरगाह प्राधिकरण के द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान पेश किए गए हैं।


ज- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।




Thursday, March 12, 2020

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब दिया

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज यहाँ लोकसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा पर बोलते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दिल्ली दंगे एक सोची-समझी साजिश के तहत किए गए थे। उन्होने कहा कि दिल्ली पुलिस इतनी कठोर कार्यवाही करेगी कि दंगा करने वालों के लिए यह एक सबक होगा। श्री शाह का कहना था कि इस हिंसा में जिन लोगों की जान गई है उन सब के लिए हृदय की गहराइयों से दुख व्यक्त करता हूं । श्री शाह ने दंगों में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।


श्री शाह ने कहा कि पूरे घटनाक्रम को जिस तरह से रखने का प्रयास किया जा रहा है वह ठीक नहीं है उन्होंने बताया कि 25 तारीख रात 11:00 बजे के बाद एक भी घटना घटित नहीं हुई । विपक्ष द्वारा होली के बाद चर्चा कराने के प्रश्न का जवाब देते हुए श्री शाह ने कहा कि होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें अलग-अलग प्रांतों में दंगों का इतिहास रहा है इसलिये ऐसे समय में माहौल खराब न हो और होली शांतिपूर्ण ढंग से मनाई जा सके इसलिए सदन में होली के बाद चर्चा का समय रखा गया था । उन्होने कहा कि पुलिस को जांच की तह में जाने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है जिनके आधार पर सदन में वह कारण रखे जा सकें । श्री शाह ने कहा कि हमारा इतना ही मकसद था कि शांति बनी रहे और होली के तुरंत बाद सदन में चर्चा हो किंतु सदन नहीं चलने दिया गया ।


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कई सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी इसके जवाब में श्री शाह ने कहा कि विपक्ष का यह दायित्व है कि सत्ता पक्ष और सत्ता पक्ष के अधीन विभागों की कड़ी आलोचना करे, उनके इस अधिकार से कोई आपत्ति नहीं है किंतु जब दंगों के बाद पुलिस मैदान में झूझ रही थी और पुलिस को जब तथ्यों की जांच कर कोर्ट के सामने रखना था ऐसे समय में दिल्ली पुलिस दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है । दिल्ली के 4% क्षेत्र और 13% आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है और यह 12 थानों तक ही हिंसा रुकी रहे यह एक अच्छा प्रयास रहा । श्री शाह ने यह भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11:00 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई और दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है।


श्री अमित शाह ने कहा कि कहा कि दूसरे दिन लगातार दिल्ली पुलिस के साथ चर्चा की गई कि यह दंगे आगे न फैलें | श्री शाह ने उन 2 दिनों की अलग-अलग बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के दंगों पर पूरी नजर थी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल को पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए वहां भेजा गया था । श्री शाह ने यह भी बताया कि तुरंत ही स्पेशल सीपी अपॉइंट किए गए और शीघ्रता के आधार पर इस को काबू करने का प्रयास किया गया ।


श्री शाह ने सदन को बताया कि दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है जिसके लिए यहां की भौगोलिक व्यवस्था को भी समझना पड़ेगा । उनका कहना था कि भारत की घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण और सकरी गलियों के होने के कारण पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था का पहुंचना मुश्किल है । इसका क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र से भी लगा हुआ है ।


श्री अमित शाह ने बताया कि वर्तमान में 80 से ज्यादा कंपनियां वहां तैनात हैं और गुनहगारों को पकड़ने की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है । श्री शाह ने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, 26 सौ से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए हैं । सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है । श्री शाह ने यह भी बताया कि आमजन से भी हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं। फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 300 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं ।


केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि सदन के माध्यम से देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार दंगों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बक्शेगी। श्री शाह ने कहा कि शांति समिति की साढ़े 600 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं । इतने कम समय में दंगे इतने बड़े स्तर पर फैलना यह जाहिर करता है कि कोई पूर्व नियोजित साजिश रही है । इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है । श्री शाह ने बताया कि 3 लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है। श्री शाह ने कहा कि जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे । श्री शाह ने बताया कि जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।


श्री अमित शाह ने कहा कि सी ए ए पर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है । सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता देने का काम किया जा रहा है । श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में सीएए के समर्थन में रैलियां निकली हैं और बड़ी संख्या में लोग उनमें शामिल हुए हैं । उन्होंने कहा कि देश की बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ । श्री शाह ने बताया कि इस तरह भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए।


श्री अमित शाह का कहना था कि दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है, सोशल मीडिया में भड़काया गया है इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा । श्री शाह ने बताया कि सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट को क्लेम सबमिशन समिति के गठन से संबंधित पत्र लिखा जा चुका है । श्री अमित शाह ने बताया कि दंगों के दौरान 52 भारतीयों की मृत्यु हुई है 526 भारतीय घायल हुए हैं 371 दुकाने जली हैं, 142 घर जलाये गये।



केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब दिया

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज यहाँ लोकसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा पर बोलते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दिल्ली दंगे एक सोची-समझी साजिश के तहत किए गए थे। उन्होने कहा कि दिल्ली पुलिस इतनी कठोर कार्यवाही करेगी कि दंगा करने वालों के लिए यह एक सबक होगा। श्री शाह का कहना था कि इस हिंसा में जिन लोगों की जान गई है उन सब के लिए हृदय की गहराइयों से दुख व्यक्त करता हूं । श्री शाह ने दंगों में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।


श्री शाह ने कहा कि पूरे घटनाक्रम को जिस तरह से रखने का प्रयास किया जा रहा है वह ठीक नहीं है उन्होंने बताया कि 25 तारीख रात 11:00 बजे के बाद एक भी घटना घटित नहीं हुई । विपक्ष द्वारा होली के बाद चर्चा कराने के प्रश्न का जवाब देते हुए श्री शाह ने कहा कि होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें अलग-अलग प्रांतों में दंगों का इतिहास रहा है इसलिये ऐसे समय में माहौल खराब न हो और होली शांतिपूर्ण ढंग से मनाई जा सके इसलिए सदन में होली के बाद चर्चा का समय रखा गया था । उन्होने कहा कि पुलिस को जांच की तह में जाने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है जिनके आधार पर सदन में वह कारण रखे जा सकें । श्री शाह ने कहा कि हमारा इतना ही मकसद था कि शांति बनी रहे और होली के तुरंत बाद सदन में चर्चा हो किंतु सदन नहीं चलने दिया गया ।


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कई सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी इसके जवाब में श्री शाह ने कहा कि विपक्ष का यह दायित्व है कि सत्ता पक्ष और सत्ता पक्ष के अधीन विभागों की कड़ी आलोचना करे, उनके इस अधिकार से कोई आपत्ति नहीं है किंतु जब दंगों के बाद पुलिस मैदान में झूझ रही थी और पुलिस को जब तथ्यों की जांच कर कोर्ट के सामने रखना था ऐसे समय में दिल्ली पुलिस दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है । दिल्ली के 4% क्षेत्र और 13% आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है और यह 12 थानों तक ही हिंसा रुकी रहे यह एक अच्छा प्रयास रहा । श्री शाह ने यह भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11:00 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई और दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है।


श्री अमित शाह ने कहा कि कहा कि दूसरे दिन लगातार दिल्ली पुलिस के साथ चर्चा की गई कि यह दंगे आगे न फैलें | श्री शाह ने उन 2 दिनों की अलग-अलग बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के दंगों पर पूरी नजर थी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल को पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए वहां भेजा गया था । श्री शाह ने यह भी बताया कि तुरंत ही स्पेशल सीपी अपॉइंट किए गए और शीघ्रता के आधार पर इस को काबू करने का प्रयास किया गया ।


श्री शाह ने सदन को बताया कि दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है जिसके लिए यहां की भौगोलिक व्यवस्था को भी समझना पड़ेगा । उनका कहना था कि भारत की घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण और सकरी गलियों के होने के कारण पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था का पहुंचना मुश्किल है । इसका क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र से भी लगा हुआ है ।


श्री अमित शाह ने बताया कि वर्तमान में 80 से ज्यादा कंपनियां वहां तैनात हैं और गुनहगारों को पकड़ने की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है । श्री शाह ने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, 26 सौ से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए हैं । सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है । श्री शाह ने यह भी बताया कि आमजन से भी हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं। फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 300 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं ।


केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि सदन के माध्यम से देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार दंगों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बक्शेगी। श्री शाह ने कहा कि शांति समिति की साढ़े 600 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं । इतने कम समय में दंगे इतने बड़े स्तर पर फैलना यह जाहिर करता है कि कोई पूर्व नियोजित साजिश रही है । इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है । श्री शाह ने बताया कि 3 लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है। श्री शाह ने कहा कि जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे । श्री शाह ने बताया कि जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।


श्री अमित शाह ने कहा कि सी ए ए पर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है । सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता देने का काम किया जा रहा है । श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में सीएए के समर्थन में रैलियां निकली हैं और बड़ी संख्या में लोग उनमें शामिल हुए हैं । उन्होंने कहा कि देश की बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ । श्री शाह ने बताया कि इस तरह भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए।


श्री अमित शाह का कहना था कि दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है, सोशल मीडिया में भड़काया गया है इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा । श्री शाह ने बताया कि सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट को क्लेम सबमिशन समिति के गठन से संबंधित पत्र लिखा जा चुका है । श्री अमित शाह ने बताया कि दंगों के दौरान 52 भारतीयों की मृत्यु हुई है 526 भारतीय घायल हुए हैं 371 दुकाने जली हैं, 142 घर जलाये गये।



प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 का मुख्य समारोह लेह में आयोजित किया जाएगाः श्रीपद येसो नाईक

छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्य समारोह 21 जून, 2020 को लद्दाख की राजधानी लेह में होगा और इसका नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। यह जानकारी आज संवाददाताओं से बातचीत में आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येसो नाईक ने की। इस अवसर पर आयुष मंत्री ने आयुष आईटी पुरस्कार, 2019 की घोषणा की।


प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मुख्य समारोह का प्रत्येक वर्ष लोगों के साथ योग अभ्यास करके नेतृत्व करते है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2020 विशिष्ट होगा, क्योंकि पहली बार लेह जैसे ऊंचे स्थान पर लोग योगाभ्यास करेंगे।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सामान्य योग प्रोटोकॉल आधारित 45 मिनट का योगाभ्यास किया जाएगा। प्रधानमंत्री लेह में 15 से 20 हजार लोगों के साथ योगासन करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2020 के लिए सीआईआई तथा फिक्की जैसी औद्योगिक संस्था, सीबीएसई, यूजीसी तथा एनसीईआरटी जैसी शैक्षणिक संस्थान और अन्य हितधारकों ने कार्यक्रम तैयार किए हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी सामान्य रूप से 3-4 महीने पहले शुरू हो जाती है। तैयारी के दौरान पूरे देश में सामान्य योग प्रोटोकॉल आधारित हजारों प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए लाखों लोग सामूहिक रूप से योगाभ्यास में शामिल होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एक वैश्विक गतिविधि है और पिछले वर्षों की तरह इसमें लगभग 200 देश अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं।


आयुष क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए 47 प्रविष्टियां प्राप्त हुई। जांच समिति ने 8 प्रविष्टियों का चयन किया। 8 चयनित प्रविष्टियों के संस्थानों ने निर्णायक मंडल के समक्ष प्रेजेंटेशन दिए। निर्णायक मंडल ने अपनी सिफारिश भेजने से पहले इन प्रेजेंटेशनों और अन्य प्रासंगिक पहलुओं पर विचार किया। इन पुरस्कारों का उद्देश्य सक्षमता, प्रक्रिया की प्रभावशीलता, लागत, गुणवत्ता, सर्विस डिलीवरी बढ़ाने में आईटी का अभिनव उपयोग करते हुए उत्पादों और परियोजनाओं को मान्यता देना है।


पुरस्कार का उद्देश्य समस्या समाधान, जोखिम समाप्ति और आयुष क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी विकास के लिए नियोजन को प्रोत्साहित करना और अनुभवों का आदान-प्रदान करना है।


 



सीसीआई ने ग्रीनको मॉरीशस द्वारा तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड के अधिग्रहण को मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ग्रीनको मॉरीशस (अधिग्रहणकर्ता/ग्रीनको) द्वारा तीस्ता उर्जा लिमिटेड (लक्ष्य/टीयूएल) के अधिग्रहण को स्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 31 (1) के तहत मंजूरी दे दी है।


प्रस्तावित संयोजन टीयूएल (प्रस्तावित संयोजन) की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी में लगभग 35% इक्विटी हिस्सेदारी के ग्रीनको द्वारा अधिग्रहण से संबंधित है।


अधिग्रहणकर्ता, ग्रीनको एनर्जी होल्डिंग्स की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह एक निवेश होल्डिंग कंपनी है, जो भारत में बिजली उत्पादन क्षेत्र में लगी कंपनियों के पोर्टफोलियो में अपना निवेश करती है।


उत्तर सिक्किम में 1200 मेगावाट (प्रत्येक 200 मेगावाट की 6 इकाइयां) पनबिजली परियोजना के कार्यान्वयन के उद्देश्य से लक्षित एक स्पेशल पर्पस व्हिकल है।



शिक्षाविदों और कंपनियों ने 11वें बैंगलुरू इंडिया नैनो 2020 में नैनो-टेक और इसके उत्पादों का प्रदर्शन किया

11वें बेंगलुरू इंडिया नैनो सम्मेलन और प्रदर्शनी में नैनो टेक्नोलॉजी में शिक्षाविदों और कंपनियों की विकसित प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, कर्नाटक सरकार और जवाहरलाल नेहरू उन्‍नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्‍द्र (जेएनसीएएसआर) ने अन्य सरकारी संस्थानों और कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर किया। जेएनसीएएसआर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।


11वें बेंगलुरू इंडिया नैनो सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन कर्नाटक के उप-मुख्‍यमंत्री डॉ. सी. एन. अश्‍वथ नारायण ने प्रोफेसर सी. एन. राव के साथ किया। इसमें जेएनसीएएसआर ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से संबंधित संक्रमण से निपटने के लिए अभिनव रूख से संबंधित अनुसंधान कार्य, पर्यावरण के अनुकूल बैटरी और कृषि क्षेत्र के लिए विकसित नैनो तकनीक उपकरण का प्रदर्शन किया गया।


प्रदर्शित की गई तकनीकों में राइनो ल्यूर और राइनचो ल्यूर, वातावरण के अनुकूल, किफायती और अवशिष्ट मुक्त नियंत्रण रणनीति उपकरण शामिल हैं जो राइनोसेरस बीटल और रेड प्लाम वेविल कीटों की निगरानी और प्रबंधन करते हैं और नारियल, खजूर, पाम ऑयल जैसी फसलों की रक्षा करते हैं। इन प्रौद्योगिकियों को जेसीएएसआर के प्रोफेसर एम. ईश्‍वरमूर्ति के नेतृत्व में एक दल ने आईसीएआर-राष्‍ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्‍यूरो, बैंगलुरू के डॉ. केश्वनसुबहरण और आईसीएआर-राष्‍ट्रीय डेयरी अनुसंधान, करनाल के डॉ. गौतम कौल एम के सहयोग से विकसित किया।


इस प्रदर्शनी में पर्यावरण के अनुकूल बैटरी का एक सेट भी प्रदर्शित किया गया। इसे जेएनसीएएसआर में सामग्री इकाई के रसायन विज्ञान और भौतिकी के प्रोफेसर तपस के. माजी के नेतृत्व में विकसित किया गया। इस जेडएन-एयर बैट्री में कैथोड के रूप में मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क का इस्‍तेमाल किया गया जो प्रकृति में ट्राइफंक्शनल है जिसका अर्थ है ओआरआर (ऑक्सीजन कमी प्रतिक्रिया), ओईआर (ऑक्सीजन विकास प्रतिक्रिया) के साथ-साथ एचईआर (हाइड्रोजन उत्‍पादन प्रतिक्रिया) उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए सक्रिय रहना। यह निर्मित जेडएन-एयर बैट्री सुरक्षित और हल्की है। इसे विद्युत के साथ-साथ मशीनी रूप से भी रिचार्ज किया जाता है। इसके साथ ही एचईआर गतिविधि का दोहन करने के लिए उसी सामग्री का उपयोग जल इलेक्ट्रोलाइजर में एनोड और कैथोड के रूप में किया गया जो निर्मित जेडएन-एयर बैटरी द्वारा संचालित है और इस प्रकार यह स्व-संचालित समग्र जल विभाजन प्रक्रिया को दर्शाता है।



एआरआईईएस में स्‍टेलर वेरीएबिलिटी एवं स्‍टार फॉर्मेशन पर भारत-थाई कार्यशाला से सहयोग बढ़ाने में मदद मिली

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एआरआईईएस), नैनीताल ने भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए ‘स्‍टेलर वेरीएबिलिटी एवं स्‍टार फॉर्मेशन का परीक्षण’ विषय पर एकदिवसीय भारत-थाई कार्यशाला का आयोजन किया। दोनों देशों के बीच स्‍टेलर स्रोतों से लेकर खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी इसका उद्देश्‍य है।


इस कार्यशाला में दोनों देशों के वैज्ञानिकों एवं छात्रों द्वारा स्टेलर वेरीएबिलिटी, स्टार फॉर्मेशन, स्‍टेलर एबन्डेंस, अस्‍थायी कार्यक्रमों एवं इंस्ट्रूमेंटेशन जैसे विभिन्‍न विषयों पर 14 वार्ता सत्र आयोजित किये गये। थाईलैंड के राष्‍ट्रीय खगोल विज्ञान अनुसंधान संस्‍थान, नांजिंग विश्‍वविद्यालय चीन, भारतीय खगोल भौतिकी संस्‍थान (आईआईए), कुमाऊं विश्‍वविद्यालय, नैनीताल एवं एआरआईईएस के लगभग 60 प्रतिभागियों ने इस अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया।


कार्यशाला के संयोजक डॉ. संतोष जोशी ने अपने स्‍वागत भाषण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग के महत्‍व पर जोर दिया तथा अंतरिक्ष विज्ञान एवं इंस्‍ट्रूमेंटेशन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत तथा थाईलैंड के खगोल शास्‍त्रियों को आमंत्रित किया। डॉ. जोशी ने भारत-थाई सहयोग के तहत मौजूदा एवं योजनाबद्ध क्रियाकलापों पर आधारित एक प्रस्‍तुति भी की।


एआरआईईएस के पूर्व निदेशक एवं मुख्‍य वक्‍ता प्रो. राम सागर ने दोनों देशों की वित्‍त-पोषण एजेंसियों की सहायता से जारी द्विपक्षीय कार्यक्रम के महत्‍व पर संक्षिप्‍त चर्चा की। कुमाऊं विश्‍वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के विभागाध्‍यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि प्रो. एच.सी. चंदोला ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और एआरआईईएस तथा एनएआरआईटी, थाईलैंड के इतिहास के बारे में चर्चा की। श्री चंदोला ने भारतीय एवं थाई संस्‍कृतियों के बारे में भी चर्चा की, जो दोनों देशों के अनुसंधानकर्ताओं को निकट लाती हैं। एनएआरआईटी, थाईलैंड के वरिष्‍ठ अनुसंधानकर्ता डॉ. डेविड मकर्तीचियान ने कार्यशाला का सार-संक्षेप प्रस्‍तुत किया तथा समापन भाषण दिया।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग स्‍थापित करने के लिए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा थाईलैंड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में संयुक्‍त अनुसंधान के लिए दो संयुक्‍त द्विपक्षीय कार्यक्रमों को मंजूरी दी।



डॉ हर्षवर्धन ने कोरोनो वायरस से ग्रस्त राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से आईसोलेशन वार्ड और क्वारंटिन केंद्रों में मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने को कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज दिल्ली, हरियाणा, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ-साथ लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपालों को फोन कर अस्पतालों में आइसोलेशन केंद्रों में रखे गए कोविड-19 के रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने को कहा।


स्वास्थ्य मंत्रालय में अपने कार्यालय से कोविड​​-19 की स्थिति पर नजर रखते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कॉल के माध्यम से अस्पताल में भर्ती कुछ रोगियों से बातचीत की और उनके स्वास्थ्य तथा आइसोलेशन वार्डों में दिए जा रहे उपचार से संतुष्टि के बारे में पूछताछ की। मरीजों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वे व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलना चाहते थे लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इस यात्रा के लिए मना कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि इससे मरीजों के लिए नियमित उपचार की व्यवस्था में बाधा आ सकती है। रोगियों ने अस्पताल में उपचार पर संतुष्टि और जल्द ठीक होने को लेकर अपनी उत्तेजना व्यक्त की। उन्होंने समय पर मिल रही सहायता और दिन में तीन बार अपनी स्थिति की नियमित समीक्षा के लिए सरकार की भूमिका की सराहना की। डॉ हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और खुद की ओर से उन्हें होली की शुभकामनाएं भी दीं।


डॉ. हर्षवर्धन ने खुद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येन्द्र जैन, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज, केरल की स्वास्थ्य मंत्री सुश्री के के शैलजा, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री एटेला राजेन्द्र, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री श्री बी. श्रीरामुलु, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री श्री रघु शर्मा, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेश टोपे, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री श्री बी.एस. सिधू, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह, लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर के माथुर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री जी सी मुर्मु को रोगियों की स्थिति एवं राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), मास्क इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति में किसी तरह की बाधा का सामना करने और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण को लेकर फीडबैक लेने के लिए फोन किया। स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्यपालों ने उपचार की स्थिति का विवरण देते हुए कहा कि रोगी ठीक हो रहे हैं और उनकी हालत स्थिर है। अस्पतालों में इलाज या क्वारंटिन केंद्रों में रहने के दौरान रोगियों को कोई परेशानी नहीं होती है।


केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि केंद्र सरकार और राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के निरंतर और समन्वित प्रयासों से न केवल भारतीयों बल्कि भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के मूल्यवान जीवन का भी बेहतर ख्याल रखा गया है। डॉ हर्षवर्धन ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्यपालों को रोगियों की स्थिति के साथ-साथ उभरते हालात पर नजर रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आम जनता के बीच कोविड-19 के बारे में जागरूकता फैलाने और उन्हें भीड़भाड़ से बचने के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वच्छता और रोकथाम के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने के लिए कहा जैसा कि विभिन्न माध्यमों से सरकार द्वारा व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्ययपाल को इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की किसी भी तत्काल आवश्यकता को पूरा करने का आश्वासन दिया।



पुणे के आघारकर अनुसंधान संस्‍थान ने विकसित की रस से भरपूर अंगूर की उत्‍कृष्‍ट किस्‍म- एआरआई- 516

      देश में गर्मियों के मौसम की शुरुआत के बीच पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्‍थान ने रस से भरपूर अंगूर की नयी किस्‍म विकसित की है। पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्‍वायत्‍त संस्‍थान आघारकर अनुसंधान संस्‍थान की ओर से विकसित अंगूर की यह किस्‍म फंफूद रोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार वाली और रस से भरपूर है। यह जूस, जैम और रेड वाइन बनाने में बेहद उपयोगी है। ऐसे में किसान इसे लेकर बेहद उत्‍साहित हैं।


अंगूर की यह संकर प्रजाति एआरआई -516 दो विभिन्‍न किस्‍मों अमरीकी काटावाबा तथा विटिस विनिफेरा को मिलाकर विकसित की गई है। यह बीज रहित होने के साथ ही फंफूद के रोग से सुरक्षित है।


अंगूर की रस से भरपूर और अच्‍छी पैदावार देने वाली यह किस्‍म  महाराष्‍ट्र  एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन साइंस(एमएसी)–एआरआई की कृषि वैज्ञानिक डॉ.सुजाता तेताली की ओर से विकसित की गई है। यह किस्‍म 110 -120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और घने गुच्‍छेदार होती है। महाराष्‍ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल की जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल है।


 एमएसीएस-एआरआई फलों पर अनुसंधान के अखिल भारतीय कार्यक्रम के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्‍थान के साथ जुड़ा है। इस कार्यक्रम के तहत उसने अंगूर की कई संकर किस्‍में विकसित की हैं। ये किस्‍में रोग रोधी होने के साथ ही बीज रहित और बीज वाली दोनों तरह की हैं।   


 अंगूर उत्‍पाद के मामले भारत का दुनिया में 12 वां स्‍थान है। देश में अंगूर के कुल उत्‍पादन का 78 प्रतिशत सीधे खाने में इस्‍तेमाल हो जाता है जबकि 17-20 प्रतिशत का किशमिश बनाने में, डेढ़ प्रतिशत का शराब बनाने में तथा 0.5 प्रतिशत का इस्‍तेमाल जूस बनाने में होता है।      


देश में अंगूर की 81.22 प्रतिशत खेती अकेले महाराष्‍ट्र में होती है। यहां अंगूर की जो किस्‍में उगाई जाती हैं वे ज्‍यादातर रोग रोधी और गुणवत्‍ता के लिहाज से भी उत्‍तम हैं।


अंगूर की नयी किस्‍म एआरआई-516 अपने लाजवाब जायके के लिए बहुत पंसद की जाती है। उत्‍पादन लागत कम होने और ज्‍यादा पैदावार होने के कारण किसान इसकी खेती को लेकर बेहद उत्‍साहित हैं और इसलिए इसका रकबा लगातार बढ़ते हुए 100 एकड़ तक हो चुका है।