Thursday, April 2, 2020

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और कुवैत के प्रधानमंत्री के बीच टेलीफोन पर बातचीत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कुवैत के प्रधानमंत्री, महामहिम शेख सबाह अल-खालिद अल-हमद अल-सबाह के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।


प्रधानमंत्री ने कुवैत के अमीर, शाही परिवार और कुवैत की जनता के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारत के विस्तारित पड़ोस के बहुमूल्‍य सदस्य कुवैत के साथ अपने संबंधों के महत्व पर जोर किया।


दोनों नेताओं ने वर्तमान कोविड-19 महामारी के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पहलुओं के बारे में चर्चा की। वे इस बात पर सहमत हुए कि उनके अधिकारी स्वास्थ्य संकट के दौरान नियमित रूप से संपर्क बनाए रखेंगे, ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सके और सहयोग और पारस्परिक सहायता के अवसरों का पता लगाया जा सके।


महामहिम कुवैती प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कुवैत विशाल भारतीय समुदाय के योगदान को बहुत महत्व देता है, और वर्तमान स्थिति में उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना जारी रखेगा। प्रधानमंत्री ने इस तरह के आश्वासन के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया और कुवैत की सराहना की।



अस्सी प्रतिशत आबादी मास्क पहने तो महामारी पर लग सकती है लगाम

 अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी को ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। पर, 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जा सकती है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा ये तथ्य सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस से जुड़ी एक नियमावली में पेश किए गए हैं।



सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार डॉ शैलजा वैद्य गुप्ता कहती हैं “मास्क की कमी को देखते हुए इस नियमावली में घर पर मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। यह पहल मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है, जो मास्क पहनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास इन मास्कों तक पहुँच नहीं है। ऐसे में घर पर बनाए हुए मास्क उपयोगी हो सकते हैं। इनकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर दोबारा उपयोग कर सकते हैं।”


कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने घर में बने मास्क पर केंद्रित एक विस्तृत नियमावली “सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क” जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए इस नियमावली में कहा गया है कि “मास्क उन्हीं लोगों पर प्रभावी हैं जो अल्कोहल युक्त हैंडवॉश या साबुन और पानी से हाथ साफ करते हैं। यदि आप मास्क पहनते हैं, तो आपको इसके इस्तेमाल और इसके उचित निस्तारण के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।”


मास्क को क्यों पहना जाए? इस पर नियमावली कहती है कि एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति से संपर्क में आने पर कोविड-19 वायरस आसानी से फैलता है। वायरस को ले जाने वाली बूंदें इसे तेजी से फैलाती हैं और हवा में जीवित रहते हुए यह आखिरकार विभिन्न सतहों के संपर्क में आ जाता है। कोविड-19 को फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 किसी ठोस या तरल सतह (एयरोसोल) पर तीन घंटे तक और प्लास्टिक व स्टेनलेस स्टील पर तीन दिन तक जीवित रहता है।


इस नियमावली में कहा गया है कि मास्क के उपयोग से संक्रमित व्यक्ति से निकले द्रव कणों में मौजूद वायरस के किसी दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश की आशंका कम हो जाती है। सुरक्षित मास्क पहनकर वायरस के सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश की संभावनाएं कम हो जाती हैं, जो इसके प्रसार को रोकने के लिहाज से अहम हो सकता है। हालाँकि, ,मास्क को ऊष्मा, यूवी लाइट, पानी, साबुन और अल्कोहल के एक संयोजन के उपयोग से स्वच्छ किया जाना जरूरी है।


इस नियमावली को जारी करने का उद्देश्य मास्क, इनके उपयोग और मास्क के दोबारा उपयोग की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया की सरल रूपरेखा उपलब्ध कराना है, जिससे एनजीओ और व्यक्तिगत रूप से लोग खुद ऐसे मास्क तैयार कर सकें और देश भर में तेजी से ऐसे मास्क अपनाए जा सकें। प्रस्तावित डिजाइन के मुख्य उद्देश्यों में सामग्रियों तक आसान पहुंच, घरों में निर्माण आसान करना, उपयोग और पुनः उपयोग को आसान बनाना शामिल है।




राष्ट्रपति ने राम नवमी की शुभकामनाएं दी भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने राम नवमी की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहाः “राम नवमी के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली रामनवमी, हमारे मेहनतकश किसानों के लिए नव-धान्य का भी अवसर होती है। श्रीराम का आदर्श जीवन हमें सदाचार, सहनशीलता, सहृदयता और मैत्री-भाव का संदेश देता है। अपने-अपने कर्तव्य पथ पर हमें इन शाश्वत जीवन-मूल्यों के प्रति सच्ची निष्ठा दर्शानी चाहिए। आइए, राम नवमी के इस उल्लास-पूर्ण पर्व पर हम, अपने जीवन में श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करने और गौरवमयी भारत के निर्माण का संकल्प लें। साथ ही, त्योहार मनाते समय सोशल डिस्टेंसिंग सहित सभी सरकारी निर्देशों का पालन कर विश्वव्यापी आपदा कोविड-19 वायरस का मुकाबला करके इसे परास्त करना है।”

राष्ट्रपति ने राम नवमी की शुभकामनाएं दी


भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने राम नवमी की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहाः


 “राम नवमी के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।


मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली रामनवमी, हमारे मेहनतकश किसानों के लिए नव-धान्य का भी अवसर होती है। श्रीराम का आदर्श जीवन हमें सदाचार, सहनशीलता, सहृदयता और मैत्री-भाव का संदेश देता है। अपने-अपने कर्तव्य पथ पर हमें इन शाश्वत जीवन-मूल्यों के प्रति सच्ची निष्ठा दर्शानी चाहिए।


आइए, राम नवमी के इस उल्लास-पूर्ण पर्व पर हम, अपने जीवन में श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करने और गौरवमयी भारत के निर्माण का संकल्प लें। साथ ही, त्योहार मनाते समय सोशल डिस्टेंसिंग सहित सभी सरकारी निर्देशों का पालन कर विश्वव्यापी आपदा कोविड-19 वायरस का मुकाबला करके इसे परास्त करना है।”



पीएफआरडीए ने कोविड-19 के प्रकोप से लड़ाई में सहायता प्रदान करने के लिए पीएम-केयर फंड में योगदान करने का संकल्प लिया

पेंशन क्षेत्र का नियामक, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने 'आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष' (पीएम केयर्स फंड) में कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा योगदान करने का संकल्प लिया है, जिसका प्रारंभ हाल ही में प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कोरोनोवायरस (कोविड-19) के वैश्विक प्रकोप को देखते हुए देश के नागरिकों को सहायता और राहत प्रदान करने के लिए किया गया है।


अन्य सरकारी संस्थानों, उद्योगपतियों, जानी-मानी हस्तियों और व्यक्तियों के समान ही, पीएफआरडीए के कर्मचारियों ने अपने वेतन का एक हिस्सा योगदान करने का फैसला किया है और पीएफआरडीए, भारत में इस महामारी के खिलाफ सरकार द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।


पीएफआरडीए के चेयरमैन, श्री सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने कहा, “यह सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक है जिसका सामना आज हमारा देश कर रहा है। इस समय जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, वह कोरोनावायरस (कोविड-19) के खिलाफ लड़ाई में जिम्मेदारी को हर संभव तरीके से साझा करना है। पीएफआरडीए इस महामारी की स्थिति के प्रति संवेदनशील है और इस संकट से निपटने में योगदान करना चाहता है।”


पीएफआरडीए के संदर्भ में


पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), संसद की एक अधिनियम द्वारा स्थापित, वैधानिक प्राधिकरण है, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और पेंशन योजनाओं को विनियमित करने, बढ़ावा देने और उसके क्रमिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए है, जिन पर यह अधिनियम लागू होता है। शुरूआत में एनपीएस को 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अधिसूचित किया गया था और बाद में उसे लगभग सभी राज्य सरकारों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए अपनाया गया। एनपीएस को स्वैच्छिक आधार पर सभी भारतीय नागरिकों (निवासी/अनिवासी/विदेशी) और कारपोरेट जगत के कर्मचारियों के लिए बढ़ाया गया।


31 मार्च 2020 तक, एनपीएस और अटल पेंशन योजना के अतर्गत ग्राहकों की कुल संख्या 3.45 करोड़ के पार हो गई है और एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 4,17,478 करोड़ रुपये हो गया है। 68 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस के अंतर्गत नामांकित किया गया है और 22 लाख ग्राहकों ने निजी क्षेत्र में एनपीएस की सदस्यता प्राप्त की है, जिसमें 7,568 संस्थाएं कॉरपोरेट के रूप में पंजीकृत हैं। वर्तमान समय में, 2.11 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता सरकार की गारंटी पेंशन योजना - अटल पेंशन योजना के अंतर्गत आते हैं।



 ‘एक्सरसाइज एनसीसी योगदान’ के तहत एनसीसी के कैडेट कोविड-19 से निबटने के राष्ट्रव्यापी अभियान में होंगे शामिल

नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) ने  ‘एक्सरसाइज एनसीसी योगदान’के तहत कोडिट-19 से निबटने के राष्ट्रव्यापी अभियान में नागरिक प्रशासन को मदद की पेशकश की है।एनसीसी ने इसके लिए स्वैच्छिक सेवा देन के इच्छुक अपने कैडेटों के वास्ते अस्थायी रोजगार के दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि महामारी से निपटने के कार्यो में शामिल विभिन्न एजेंसियों की ओर से चलाए जा रहे राहत प्रयासों और काम काज के तरीकों को और मजबूत बनाया जा सके।



    योगदान के तहत एनसीसी कैडेटों के लिए निर्धारित कार्यों में , हेल्पलाइन / कॉल सेंटर का प्रबंधन; राहत सामग्री / दवाओं / खाद्य / आवश्यक वस्तुओं का वितरण; सामुदायिक सहायता; डेटा प्रबंधन और सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिए कतार में खडे होने की व्यवस्था करना तथा यातायात प्रबंधन शामिल है। दिशानिर्देशों के अनुसार, कैडेटों को कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने, सक्रिय सैन्य ड्यूटियों तथा कोरोना के हॉट स्पाट बन चुके स्थानों पर तैनात नहीं किया जा सकता है।


    दिशानिर्देशों के अनुसार अस्थायी रोजगार की व्यवस्था के तहत केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ मंडल कैडट ही नियुक्त किए जा सकते हैं। उन्हें स्थायी प्रशिक्षक स्टाफ या एक एसोसिएट एनसीसी अधिकारी की देखरेख में आठ से 20  छोटे समूहों में नियोजित किया जाना चाहिए।


      स्वैच्छिक सेवा देने के इच्छुक ऐसे कैडेटों की नियुक्ति के लिए, राज्य सरकारों / जिला प्रशासन को राज्य एनसीसी निदेशालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकताऐं प्रेषित करनी होंगी। इसका विवरण एनसीसी निदेशालय / समूह मुख्यालय / इकाई स्तर पर राज्य सरकार / स्थानीय नागरिक प्राधिकरण के साथ समन्वित किया जाएगा।  कैडेटों को ड्यूटी पर तैनात करने से पहले , जमीनी हालात और निर्धारित आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।


      रक्षा मंत्रालय के अ​धीन कार्यरत एनसीसी देश का सबसे बड़ा वर्दीवाला युवा संगठन है जो  विभिन्न तरत की सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास की गतिविधियां संचालित करता है।  एनसीसी के कैडेट अपने संगठन की स्थापना के समय से ही  बाढ़ और चक्रवात आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राष्ट्र सेव में योगदान देते रहे हैं।




केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की सलाह पर सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों को अगली कक्षा/ग्रेड में प्रमोट करने का निर्देश दिया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सीबीएसई को कक्षा 1 से 8 तक के सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा/ग्रेड में प्रमोट करने की सलाह दी है। कोविड-19 के कारण बने मौजूदा हालात को देखते हुए उन्होंने बोर्ड से यह भी कहा है कि प्रोजेक्ट्स, पीरियडिक टेस्ट्स, टर्म एग्जाम्स आदि समेत स्कूल आधारित मूल्यांकन पर कक्षा 9 और 11 में पढ़ रहे बोर्ड विद्यार्थियों को अगली कक्षा/ग्रेड में प्रमोट किया जाए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया है कि 29 प्रमुख विषयों जो प्रमोशन और एचईआई (उच्च शिक्षण संस्थानों) में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, के लिए ही बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएं और बाकी के विषयों के लिए बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं करेगा। ऐसे सभी मामलों में अंकन/मूल्यांकन के लिए निर्देश बोर्ड की तरफ से अलग से जारी किए जाएंगे।


एहतियाती उपाय के तौर पर और 18 मार्च 2020 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार से प्राप्त निर्देशों के अनुपालन में, सीबीएसई ने 19 मार्च 2020 से 31 मार्च 2020 के बीच होने वाली सभी बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था। 18 मार्च 2020 को बोर्ड की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि हालात की फिर से समीक्षा करने के बाद प्रेस विज्ञप्ति और अपनी वेबसाइट के माध्यम से दोबारा से निर्धारित की गई बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों के बारे में जानकारी दी जाएगी।


बोर्ड अपने विद्यार्थियों के शैक्षणिक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए बोर्ड लगातार स्थिति का आकलन कर रहा है और विद्यार्थियों, अभिभावकों और स्कूलों की चिंता को कम करना चाहता है। कोविड-19 के दुनियाभर में फैलने से बनी असाधारण परिस्थितियों और देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर और छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को लेकर अपने हितधारकों द्वारा उठाए गए सवालों को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सुझाव के अनुसार, बोर्ड अपने से संबद्ध सभी स्कूलों को एक बार के उपाय के तौर पर निम्नलिखित सलाह/सूचना देता है:


1- कक्षा 1 से 8 के लिए: कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा/ग्रेड में प्रमोट किया जा सकता है। यह एडवाइजरी एनसीईआरटी से परामर्श के बाद जारी की जा रही है।


2- कक्षा 9 और 11 के लिए: हमारे संज्ञान में आया है कि वैसे तो सीबीएसई से संबद्ध कई स्कूलों ने 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में ग्रेड 9 और 11 में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की परीक्षाएं, मूल्यांकन और प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं जो अब तक ऐसा नहीं कर पाए हैं। इनमें अन्य के साथ केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, राज्यों/केंद्रशासित सरकारों के स्कूल, निजी स्कूल, भारत और विदेश में स्थित स्कूल आदि शामिल हैं। ऐसे सभी स्कूलों को सलाह दी जाती है कि वे अब तक किए गए प्रोजेक्ट वर्क, पीरियडिक टेस्ट्स, टर्म एग्जाम आदि समेत स्कूल आधारित मूल्यांकन के आधार पर 9वीं और 11वीं ग्रेड के विद्यार्थियों को अगली ग्रेड में प्रमोट करें। कोई भी बच्चा, जो इस आंतरिक प्रक्रिया (किसी भी विषय में) को पास करने में असमर्थ है तो स्कूल इस अवधि का इस्तेमाल इसका उपाय निकालने में कर सकता है और स्कूल ऐसे छात्रों के लिए स्कूल आधारित टेस्ट, ऑनलाइन या ऑफलाइन का एक मौका दे सकता है। ऐसे टेस्ट के आधार पर इस तरह के बच्चों का प्रमोशन तय किया जा सकता है।


3- कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा का शेड्यूल: कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाएं फिर से निर्धारित करने के संबंध में सूचित किया जाता है कि इस परिस्थिति में बोर्ड के लिए परीक्षाओं का नया शेड्यूल तय कर उसकी घोषणा करना मुश्किल है। हालांकि यह सूचित किया जाता है कि परीक्षाओं के संबंध में बोर्ड का कोई भी फैसला उच्च शिक्षा अधिकारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर और प्रवेश परीक्षा, प्रवेश तिथि आदि संबंधित सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। इस संदर्भ में यह भी सूचित किया जाता है कि बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने से पहले बोर्ड सभी हितधारकों को करीब 10 दिनों का नोटिस देगा।


4. बोर्ड परीक्षाओं के लिए विषय: यह सूचित किया जाता है कि कोविड-19 महामारी से बने हालात के कारण बोर्ड 8 परीक्षा दिवसों पर परीक्षा नहीं करा सका। इसके अलावा उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण बोर्ड 4 परीक्षा दिवसों पर परीक्षा आयोजित नहीं करा सका था। वहीं, इस जिले और आसपास के काफी कम छात्र 6 परीक्षा तिथियों पर परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए थे।


असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड इस संबंध में अपनी नीति की समीक्षा करने के लिए मजबूर हुआ है। सामान्य परिस्थितियों में बोर्ड को 18 मार्च 2020 के बाद न होने वाली या किसी अन्य कारणों से स्थगित सभी परीक्षाओं को आयोजित करने में कोई हिचकिचाहट न होती। लेकिन वर्तमान स्थिति में बोर्ड ने निम्नानुसार निर्णय लिया है:



  • बोर्ड केवल उन मुख्य विषयों के लिए परीक्षाएं आयोजित करेगा जो अगली कक्षा में पास करने के लिए आवश्यक होंगे और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

  • बोर्ड बाकी विषयों के लिए परीक्षाएं आयोजित नहीं करेगा; ऐसे सभी मामलों में अंकन/मूल्यांकन के लिए बोर्ड की ओर से अलग से निर्देश जारी किए जाएंगे।

  • इस प्रकार से बोर्ड जब कभी परीक्षाएं आयोजित करने की स्थिति में होगा तो वह निम्नलिखित केवल 29 विषयों के लिए ही परीक्षाएं आयोजित करेगा:




























कक्षा 10 के विषय, जिनकी परीक्षाएं आयोजित होंगी



12वीं के विषय, जिनकी परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी



पूरे देश में आयोजित करने के लिए



उत्तर पूर्व दिल्ली में आयोजित करने के लिए



पूरे देश में आयोजित होंगी



उत्तर पूर्वी दिल्ली के लिए



 


कुछ नहीं



1.हिंदी कोर्स ए


2.हिंदी कोर्स बी


3.इंग्लिश कम्युनिकेशन


4.अंग्रेजी भाषा और साहित्य


5. विज्ञान


6.सामाजिक विज्ञान



1.बिजनस अध्ययन


2. भूगोल


3. हिंदी (वैकल्पिक)


4. हिंदी (कोर)


5. गृह विज्ञान


6. समाज शास्त्र


7. कंप्यूटर साइंस (ओल्ड)


8. कंप्यूटर साइंस (न्यू)


9. इन्फॉर्मेशन प्रैक्टिस (ओल्ड)


10.इन्फॉर्मेशन प्रैक्टिस (न्यू)


11. इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी 12. बायो-टेक्नोलॉजी



1.अंग्रजी वैकल्पिक- एन


2. अंग्रेजी वैकल्पिक- सी


3. अंग्रेजी कोर


4. गणित


5. अर्थशास्त्र


6. जीव विज्ञान


7. राजनीति विज्ञान


8. इतिहास


9. भौतिकी


10. लेखाशास्त्र


11. रसायनशास्त्र



कुछ नहीं



06


 



12


 



11



 


 


 


5- विदेशों में सीबीएसई स्कूल: 25 देशों में सीबीएसई के स्कूल हैं। इनमें से हर किसी देश में लॉकडाउन चल रहा है और/या अलग-अलग समयावधि के लिए स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया गया है। ऐसी परिस्थितियों में यह महसूस होता है कि बोर्ड इनमें से हर एक देश के लिए अलग परीक्षा आयोजित करने की स्थिति में नहीं होगा। इसके साथ ही मौजूदा हालात में उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए भारत लाना मुश्किल होगा। ऐसे में बोर्ड ने भारत के बाहर स्थित स्कूलों के 10वीं और 12वीं की कक्षा के विद्यार्थियों के लिए कोई और परीक्षा आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया है। परिणाम घोषित करने के उद्देश्य से अंकन/मूल्यांकन की प्रणाली जल्द ही बोर्ड तय करेगा और इन स्कूलों को सूचना दे दी जाएगी।


6- मूल्यांकन कार्य: वर्तमान स्थिति के कारण बोर्ड अपना मूल्यांकन कार्य जारी रखने की स्थिति में नहीं है। बदली हुई परिस्थितियों में मूल्यांकन को लेकर बोर्ड आगे निर्देश लेकर आएगा। ये निर्देश और देश के विभिन्न मूल्यांकन केंद्रों में काम फिर से शुरू करने की तारीखों की घोषणा इस स्तर पर नहीं हो सकती है। हालांकि बोर्ड मूल्यांकन कार्य को फिर से शुरू करने के लिए सभी मूल्यांकन केंद्रों से संबंधित मुख्य नोडल पर्यवेक्षकों, मुख्य परीक्षकों, मूल्यांकनकर्ताओं, समन्वयकों आदि को 3-4 दिनों का नोटिस देगा।


7- अफवाहों से बचें: अफवाहों से गुमराह होने से बचने के लिए सभी हितधारकों को सूचित किया जाता है कि वे केवल बोर्ड की वेबसाइट पर बोर्ड द्वारा की गई आधिकारिक घोषणाओं पर ही भरोसा करें। सभी से अनुरोध है कि वे ताजा अपडेट के लिए केवल बोर्ड की वेबसाइट www.cbse.nic.in या इसके सोशल मीडिया हैंडल देखते रहें, जो इस प्रकार हैं:


इंस्टाग्राम : https://instagram.com/cbse_hq_1929 


ट्विटर : https://twitter.com/@cbseindia29


फेसबुक : https://www.facebook.com/cbseindia29/


8- सभी विद्यार्थियों को सूचित करें स्कूल: सभी स्कूलों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि यह जानकारी संबंधित स्कूलों द्वारा सभी छात्रों तक पहुंचा दी जाए।



लाइफलाइन उड़ान सेवाओं के तहत 70,000 किमी से अधिक की हवाई दूरी तय की गई

लाइफलाइन उड़ान कार्गो सेवाओं के तहत अब तक परिचालित74 उड़ानों में से 56 उड़ानों का संचालन एयर इंडिया समूह द्वारा किया गया है। छह दिनों (26 से 31 मार्च 2020) की अवधि में इन उड़ानों का परिचालन एयर इंडिया, अलायंस एयर, भारतीय वायु सेना, पवन हंस और निजी वाहकों द्वारा किया गया। लाइफलाइन उड़ान सेवा के तहत अब तक 70,000 किमी से अधिक की हवाई दूरी तय की गई है और इसके जरिये अब तक करीब 38 टन कार्गो की ढुलाई की गई है। हवाई अड्डों तक और वहां से कार्गो के सड़क परिवहन और विमानन कर्मियों की आवाजाही में लॉजिस्टिक संबंधी उल्‍लेखनीय चुनौतियों के बावजूद लाइफलाइन उड़ान सेवाओं का परिचालन किया जा रहा है।


 






















































































क्रम संख्‍या



तिथि



एयर इंडिया



अलायंस



भारतीय वायु सेना



इंडिगो



स्‍पाइसजेट



कुल परिचालित उड़ान



1



26.3.2020



02



-



-



-



02



04



2



27.3.2020



04



09



-



-



-



13



3



28.3.2020



04



08



-



06



-



18



4



29.3.2020



04



10



06



--



-



20



5



30.3.2020



04



-



03



--



-



07



6



31.3.2020



09



02



01



 



 



12



 



कुल उड़ान



27



29



10



06



02



74



 


कार्गो में अधिकतर वस्‍तुएं कम वजन और अधिक मात्रा वाले उत्पाद शामिल थे जैसे मास्क, दस्ताने एवं उपभोग की अन्‍य वस्‍तुएं जिनके लिए प्रति टन कार्गो अधिक स्थान की आवश्यकता होती है। इन वस्‍तुओं को सावधानीपूर्वक एवं उचित देखभाल के साथ यात्रियों के बैठने के स्‍थान पर रखने के लिए विशेष अनुमति दी गई है।


अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, नागरिक उड्डयन मंत्रालयऔर एयर इंडिया 3 अप्रैल 2020 से महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति के लिए भारत और चीन के बीच कार्गो एयर-ब्रिज की स्थापना के लिए चीनी अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विमानन उद्योग भारत के दूरदराज के क्षेत्रों तककुशलता एवं कम लागत मेंचिकित्‍सा हवाई-कार्गो परिवहन के जरिये कोविड-19 के खिलाफ भारत की इस लड़ाई में मदद के लिए तैयार हैं।


 


लाइफलाइन उड़ान सेवाओं की तिथिवार विवरणइस प्रकार हैं:


* एयर इंडिया और भारतीय वायु सेना ने लद्दाख, दीमापुर, इंफाल, गुवाहाटी और पोर्ट ब्लेयर के लिए आपस में सहयोग किया।



एफसीआई ने कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान देश भर में बढ़ाई खाद्यान्न की आपूर्ति

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) लॉकडाउन के दौरान देश भर में गेहूं और चावल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। एफसीआई न सिर्फ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति महीने हरेक लाभार्थी की खाद्यान्न की जरूरत पूरी करने, बल्कि पीएम गरीब अन्न योजना के अंतर्गत 81.35 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की अतिरिक्त मांग की आपूर्ति करने के लिए भी तैयार है। 31.03.2020 तक एफसीआई के पास 56.75 मिलियन एमटी (एमएमटी) खाद्यान्न (30.7 एमएमटी चावल और 26.06 एमएमटी गेहूं) है।


इस चुनौतीपूर्ण माहौल में भी एफसीआई रेल के माध्यम से देश भर में गेहूं और चावल की आपूर्ति बढ़ाकर खाद्यान्न की बढ़ती मांग पूरी करने में सक्षम है। आज 01.04.2020 को कुल 53 रैक्स के माध्यम से लगभग 1.48 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न का भंडार भेज दिया गया है। लॉकडाउन के दिन यानी 24.03.2020 से अब तक एफसीआई 352 रैक्स के माध्यम से लगभग 9.86 एलएमटी खाद्यान्न भेज चुका है।


एफसीआई बाजार में आपूर्ति की बाधाओं को दूर करने के लिए पैनलबद्ध रोलर फ्लोर मिलों/ राज्य सरकार को गेहूं उपलब्ध कराने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत ई-निविदा करा रहा है। 31.03.2020 को हुई ई-निविदा में 1.44 एलएमटी गेहूं के लिए निविदाएं हासिल हुई हैं।


कोविड 19 महामारी के मद्देनजर नियमित ई-निविदा के अलावा जिलाधिकारियों/ कलेक्टरों को रोलर फ्लोर मिलों और अन्य गेहूं उत्पाद विनिर्माताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए ओएमएसएस आरक्षित मूल्य पर एफसीआई डिपो से सीधे उठान के लिए अधिकृत कर दिया गया है। इसके माध्यम से अभी तक निम्नलिखित राज्यों को कुल 79027 एमटी गेहूं का आवंटन किया जा चुका है :


 



















































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



उत्तर प्रदेश



35675



ii



बिहार



22870



iii



हिमाचल प्रदेश



11500



iv



हरियाणा



4190



v



पंजाब



2975



vi



गोवा



1100



vii



उत्तराखंड



375



viii



राजस्थान



342



 


इसके अलावा गेहूं के लिए भी ई-निविदा कराई गई है। 31.03.2020 को हुई पिछली ई-निविदा में तेलंगाना, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों से 77,000 एमटी चावल के लिए निविदाएं हासिल हुईं हैं।


इसके अलावा, बदले हालात में राज्यों को किसी भी प्रकार की जरूरत को पूरे करने और एनएफएसए आवंटन और पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत किए गए अतिरिक्त आवंटन की भरपाई के लिए ई-निविदा में भाग लिए बिना ओएमएसएस के अंतर्गत 22.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल के उठान की अनुमति दे दी गई है। अभी तक निम्नलिखित 6 राज्यों को उनके अनुरोध पर 93387 मीट्रिक टन (एमटी) चावल का आवंटन किया जा चुका है :









































क्र. सं.



राज्य



मात्रा (एमटी में)



i



तेलंगाना



50000



ii



असम



16160



Iii



मेघालय



11727



Iv



मणिपुर



10000



V



गोवा



4500



Vi



अरुणाचल प्रदेश



1000



 



नौसेना के मुंबई स्थित डॉकयार्ड ने बनाई कोरोना जांच के लिए कम लागत वाली इन्फ्रारेड सेंसर गन

नौसेना के मुबंई स्थिति डॉकयार्ड ने अपने  प्रवेश द्वारों पर बड़ी संख्या में कर्मियों की स्क्रीनिंग के लिए इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन डिजाइन की है, ताकि सुरक्षा जांच गतिविधियों पर बोझ कम किया जा सके। डॉकयार्ड द्वारा खुद के उपलब्ध संसाधनों से विकसित इस गन की कीमत 1000 रूपए से भी कम है जो कि बाजार में उपलब्ध ऐसे अन्य गनों की कीमत का अंश भर है।



कोविड-19 महामारी ने हाल के दिनों में दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सा आपात स्थिति पैदा कर दी हैं। संक्रमित रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि देखते हुए देश के चिकित्सा बुनियादी ढांचे की कडी परीक्षा हो रही है। 


नौसेना के पश्चिमी कमान के 285 वर्ष पुराने डॉकयार्ड में प्रतिदिन औसतन लगभग 20,000 कर्मी आते हैं। कोरोना संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर, इन कर्मियों की डॉकयार्ड में प्रवेश करने के समय प्रारंभिक जांच जरूरी हो गई है। संभावित रोगी की बिना संपर्क के प्रारंभिक स्क्रीनिंग करने के लिए उसके शरीर के तापमान की जांच करना सबसे बेहतर तरीका है।


कोविड के प्रकोप के बाद से, गैर-संपर्क वाले थर्मामीटर या इन्फ्रारेड तापमान सेंसर गन बाजार में दुर्लभ हो गई हैं, और बहुत अधिक कीमत पर बेची जा रही हैं। इनकी कमी को दूर करने और मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए  मुंबई के नौसेनिक डॉकयार्ड ने 0.02 डिग्री सेल्सियस तक के शारीरिक तापमान को सटीकता के साथ नापने में सक्षम गन डिजाइन और विकसित किया है। यह एक तरह का थर्मामीटर है जो किसी के शारीरिक संपर्क में आए बिना ही उसके शरीर का तापमान जांच लेता है। इसमें एक इन्फ्रारेड सेंसर और एक एलईडी डिस्प्ले लगा हुआ है जो एक माइक्रोकंट्रोलर के साथ जुड़ा हुआ है। यह 9  वोल्टेज की क्षमता वाली बैटरी पर चलता है ।


इस गन की विनिर्माण लागत 1000 रुपये से कम होने की वजह से , आवश्यकता पडने पर डॉकयार्ड में इन्हे बडी संख्या में बनाया जा सकता है। इसके लिए जरुरी संसाधनों को जुटाने का कार्य प्रगति पर है।




कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए पूर्व सैनिक अपनी सेवाएं देने को तैयार

राष्ट्र वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों से लड़ रहा है। ऐसी स्थिति में रक्षा मंत्रालय के पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) ने पूर्व सैनिकों को अपनी सेवाएं देने के लिए एकजुट किया है। इससे जहां भी जरूरत हो राज्य और जिला प्रशासन को बहुमूल्य मानव संसाधन प्राप्त होंगे।



राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड राज्य और जिला प्रशासन की सहायता के लिए अधिकतम ईएसएम वॉलेंटियर को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूर्व सैनिक संपर्क का पता लगाने, समुदाय की निगरानी करने, क्वारंटाइन सुविधाओं का प्रबंधन करने जैसे कार्यों में सहायता प्रदान करेगें।


कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्र ने लोगों से स्पष्ट आह्वान किया है। यह स्वागतयोग्य है कि पूर्व सैनिक अपने आदर्श "स्वयं से पहले सेवा" का ध्यान में रखते हुए सेवा और सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। पूर्व सैनिक अनुसासित, प्रेरणा से युक्त और विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित हैं। पूर्व सैनिकों की उपस्थिति पूरे देश के सभी जिलों और गांवों में है।


पंजाब राज्य में "गार्जियन ऑफ गवर्नेंस" संगठन में 4200 पूर्व सैनिक हैं, जो गांवों के डाटा संग्रह में प्रशासन की सहायता कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस की सहायता के लिए कुछ पूर्व सैनिकों की सेवाएं ली हैं। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में सभी जिला कलेक्टरों ने पूर्व सैनिकों की सेवाएं प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया है। उत्तर प्रदेश में सभी जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जिला नियंत्रण कक्षों के संपर्क में हैं तथा सेवानिवृत्त सेना चिकित्सा कर्मियों की पहचान की गई हैं तथा उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में सैनिक रेस्ट हाऊसों को अलग-अलग रहने/क्वारंटाइन सुविधाओं के लिए तैयार किया गया है। गोवा में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और पूर्व सैनिकों को स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु तैयार रहने के लिए कहा गया है।




कोविड-19 से लड़ने में युद्ध स्तर पर जुटे सीएसआईआर के वैज्ञानिक

कोविड-19 महामारी के संकट को देखते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि इस जिद्दी वायरस से लड़ने के लिए भारत के वैज्ञानिक आखिर क्या कर रहे हैं! लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की स्थितियों से निपटने में देश के वैज्ञानिकों का योगदान क्या हो सकता है? उनके प्रयासों से कौन से उपचार उभर सकते हैं? कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, डीआरडीओ और जैव प्रौद्योगिकी विभाग समेत देश के विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी संस्थान कार्य कर रहे हैं। लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों से यह अपेक्षा सबसे अधिक की जा रही है, उनमें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अग्रिम पंक्ति में शामिल है।


विभिन्न क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों के विकास से जुड़ीं सीएसआईआर की 38  वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है, जो इस महामारी से लड़ने के लिए कार्य कर रही हैं। सीएसआईआर ने दो अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत कोविड-19 से निपटने के लिए शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। पहली योजना के तहत शोध प्रस्ताव उद्योगों या स्टार्टअप कंपनियों से मंगाए गए हैं। भारत में पंजीकृत 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय शेयरधारक कंपनियां इसके तहत शोध प्रस्ताव भेज सकती हैं। जिन कंपनियों के भारतीय शेयर 50 प्रतिशत से कम हैं और उनकी विनिर्माण इकाई भारत में है, वे भी इस योजना के अंतर्गत प्रस्ताव भेज सकती हैं। दूसरी योजना के अंतर्गत सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, ताकि किफायती और त्वरित डायग्नोस्टिक किट विकसित की जा सकें। इन दोनों योजनाओं के तहत शोध प्रस्ताव 5 अप्रैल तक भेजे जा सकते हैं।


कोरोना संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों के नमूनों का परीक्षण प्रभावित लोगों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, परीक्षण उपकरण बहुत महंगे हैं, जिसके कारण इनकी पहुँच सीमित है। उदाहरण के लिए, आरटी-पीसीआर मशीन की कीमत सुविधाओं के आधार पर 10 से 20 लाख रुपये के बीच होती है। कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिक कोराना के परीक्षण के लिए किफायती पेपर किट विकसित कर रहे हैं, जो क्षणों में ही वायरस की पहचान कर सकता है।


सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने बताया कि नई दिल्ली स्थित “जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक जल्दी ही कोराना के परीक्षण के लिए यह किट विकसित कर लेंगे। इस किट के उपयोग से जाँच की लागत सिर्फ 100 रुपये आएगी और इसकी मदद से कहीं पर भी कोरोना का परीक्षण किया जा सकेगा।” इसके साथ ही, सीएसआईआर सीरो-डायग्नोस्टिक्स (रक्त सीरम के अध्ययन पर आधारित निदान) भी ला रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता और आईजीआईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर पाँच सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रहा है। इनमें बीमारी के खतरे और उसकी प्रकृति को समझने के लिए आणविक स्तर पर निगरानी, किफायती जाँच किट बनाना, दवा का विकसित करना, अस्पतालों व निजी सुरक्षा उपकरणों का विकास और चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। सीएसआईआर की कोर टीम, जिसमें इसकी प्रयोगशालाओं के आठ निदेशक शामिल हैं, महानिदेशक, डॉ शेखर मांडे के नेतृत्व में कोविड-19 से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से जुड़े विभिन्न आयामों पर केंद्रित होकर कार्य करने के लिए सीएसआईआर ने कुछ कंपनियों के साथ करार भी किया है। इन कंपनियों में बीएचईएल और सिप्ला के अलावा टीसीएस शामिल है। किसी बीमारी के उभरने पर दूसरे रोगों में उपयोग होने वाली दवाओं का उपयोग उस बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। कोविड-19 से लड़ने के लिए भी इसी तरह की रणनीति अपनायी जा रही है। कम समय में दवाओं के उत्पादन के लिए सीएसआईआर नई प्रक्रियाएं विकसित कर रहा है। इसके लिए, सिप्ला जैसी दवा कंपनी और सॉफ्टवेयर जगत की दिग्गज कंपनी टीसीएस की लाइफ-साइंस विंग से करार किया गया है।


सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाओं – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), पुणे, केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद के वैज्ञानिक दवा के विकास पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दवा कंपनी सिप्ला और कैडिला जायडस से एमओयू किया गया है। दूसरी ओर, अस्पताल व निजी सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए बीएचईएल के साथ मिलकर कार्य शुरू किया गया है। सीएसआईआर बीएचईएल के साथ मिलकर इलेक्ट्रोस्टेटिक-स्प्रेयर और 10 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक के वेंटिलेटर विकसित कर रहा है। ये किफायती वेंटिलेटर हैं, जिनको विकसित करने का उद्देश्य देश के हर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी पहुँच को आसान बनाना है।


कोरोना वायरस के उपचार के लिए सीएसआईआर के सहयोग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके टीसीएस नई रासायनिक संरचनाओं को डिजाइन कर रहा है। टीसीएस इनोवेशन लैब्स के एक ताजा शोध के अनुसार, उन्होंने "3CL प्रोटीज को रोकने में सक्षम नए छोटे अणुओं के डिजाइन के लिए "डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित जेनरेटिव तथा प्रिडिक्टिव मॉडल का उपयोग किया है। इस तरह, उत्पन्न अणुओं का परीक्षण SARS-CoV-2 की 3CLप्रोटीज संरचना की बाइंडिंग साइट के खिलाफ किया गया है। शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 के खिलाफ संश्लेषण और परीक्षण के लिए 31 संभावित यौगिकों की पहचान की है।


हैदराबाद स्थित कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) कोविड-19 वायरस से संक्रमित लोगों से लिए गए नमूनों का संपूर्ण जीन अनुक्रमण कर रहा है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा है कि "बड़े पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण से हमें इस वायरस की प्रकृति, रूपांतरण की दर और प्रसार के संभावित मार्गों के बारे में समझने में मदद मिल सकती है।" जीनोम जीवों की आनुवंशिक सामग्री है और जीनोम अनुक्रमण जीवों के जीनोम की पहचान करने का विज्ञान है।


 


सीएसआईआर से संबद्ध कोलकाता स्थित एक अन्य प्रयोगशाला भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना प्रोटीन्स के खिलाफ "अवरोधक" खोजने के लिए एक शोध प्रस्ताव तैयार किया है। वैज्ञानिक ऐसे बायोकेमिकल का पता लगाना चाहते हैं, जो नये कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सके। आईआईसीबी स्थानीय अस्पतालों को तकनीकी सहयोग और आरटी-पीसीआर मशीनें भी उपलब्ध करा रहा है। इन मशीनों का उपयोग जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जो आनुवंशिक रोगों के निदान और ड्रग थेरेपी की निगरानी के लिए आवश्यक है।


 


मास्क और सैनेटाइजर का उपयोग कोविड-19 वायरस से सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। कम कीमत में इसकी उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सीएसआईआर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संपर्क कर रहा है। सीएसआईआर ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो बाजार में बिकने योग्य उत्पाद बनाने में ग्रामीणों के लिए मददगार हो सकती हैं। लॉकडाउन के बाद अपने घरों को लौट रहे प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से नये उत्पाद बनाकर आमदनी का अवसर मिल सकता है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों को मास्क और सैनेटाइजर जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिसमें एनजीओ की भूमिका अहम हो सकती है। इस बीच सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाएं सैनेटाइजर बनाकर वितरित कर रही हैं।


देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा कोविड-19 को हराने के लिए किए जा रहे सैकड़ों प्रयासों की यह एक छोटी-सी झलक है, जो फलीभूत होती है, तो कोविड-19 को परास्त करना कठिन नहीं होगा।



भारत में कोविड-19 और लोगों के बीच फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाएं राज्य/संघ शासित क्षेत्र : गृह मंत्रालय

एक याचिका की सुनवाई के दौरान माननीय उच्चतम न्यायालय ने फर्जी खबरों के चलते बढ़ी परेशानियां और इस क्रम में प्रवासी कामगारों के व्यापक स्तर पर पलायन को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने माना कि इससे लोगों को  बेवजह मुसीबतों का सामना करना पड़ा है।



न्यायालय की टिप्पणियों के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) सचिव श्री अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को पत्र लिखकर फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। इसमें कहा गया कि भारत सरकार लोगों को तथ्यों और असत्यापित खबरों की पुष्टि की खबरों की सुविधा देने के लिए एक वेब पोर्टल तैयार कर रही है। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इससे संबंधित समस्याओं के लिए अपने स्तर पर ऐसा ही एक तंत्र विकसित करने का अनुरोध भी किया गया है।


उच्चतम न्यायालय ने एनडीएमए/ एमएचए के निर्देशों के क्रम में खाना, दवाएं आदि बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान सुनिश्चित करने और प्रवासी कामगारों के लिए बने आश्रय स्थलों में अन्य कल्याणकारी गतिविधियां उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने देश में कोविड 19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को दिशा-निर्देश/ परामर्श/ आदेश जारी किए हैं।




प्रधानमंत्री ने लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं दीं

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रामनवमी के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'रामनवमी के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। जय श्रीराम!'