विश्व स्वास्थ दिवस हम हर साल बनाते आएं है क्योंकि हमारा स्वास्थ हमारे लिए जरूरी है। हर कोशिश यही बतातीं आईं हैं। जो आज भी हम समझ सकते हैं। जब कोरोनावायरस से बचने के लिए हम अपना सभी कार्य छोड़ जीवन की सुरक्षा के लिए घरों पर बैठे है।
कोरोनावायरस के खौफ के चलते अपने स्वास्थ का ध्यान रखने की जहां एक और हमारी जिम्मेदारी बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर दुख भी होता है यह सोच कर कि आखिर हम क्यों इतने स्वार्थी हो गए हैं कि उसकी कीमत हमें अपना जीवन देकर चुकानी पड़ रही है।
वर्षों से हम प्रकृति को अपने फायदे के लिए नुकसान पहुंचाते चलें आएं हैं। जिसके कारण हवा, पानी सभी प्रकृति स्रोत इस तरह दूषित हो गए हैं कि हमारे ही स्वास्थ को नुकसान होने लगें। किन्तु आज हम अपने घरों में कैद है। जिसके चलते हवा और पानी दोनों साफ हो गए हैं। सरकार और हमारा सालों साल इनको साफ रखने के लिए किया जाने वाला प्रयास कभी इतना काम नहीं आया जितना कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन हुई हमारी जिंदगी काम आई।
आज देश का वातावरण बदल गया है। गांव की ही नहीं शहरों की भी हवा ताज़ी हो गई है। लेकिन हम उस हवा में बाहर नहीं जा सकते हैं। बिना मास्क लगाएं इस हवा में जाना हमारे लिए ख़तरनाक है। हमारे स्वास्थ के लिए साफ हवा जरूरी है। लेकिन हमारी जिंदगी मास्क में कहीं क़ैद हो कर रह गई है। ऐसे वक़्त को देख कर दुखी होने से ज्यादा जरूरी है। यह समझना कि हम कब तक अपने स्वार्थ के लिए अपने ही जीवन को संकट में डाल कर ।
हमें आज विचार करना होगा। कि हम अभी तक क्या करते आएं हैं और अब हमें ऐसा क्या करना चाहिए। कि हमें फिर से उसी स्थिति में ना पहुंचना पड़े जहां से प्रकृति आज हमें निकाल कर लें कर आईं हैं।
खुद को बदलें सरकार के फैसलों का इंतजार ना करें। अपने जीवन में बदलाव ला कर कुदरत को बताएं कि उसकी हमें सिर्फ जरूरत ही नहीं फ़िक्र भी है। हमें अपने आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ जीवन देने की सोच ही नहीं रखनी है। शुरुआत भी करनी है ताकि हम सभी खुद को सुरक्षित रख सकें और स्वस्थ भी रह सकें। खुद के स्वार्थ से प्रेम करना छोड़कर, खुद के स्वास्थ से प्रेम करें। उसकी फ़िक्र करें। अपने जीवन शैली को बदलें, अपने लिए।
राखी सरोज