Sunday, July 26, 2020

अलग - अलग मापदण्ड

       हर साल की तरह इस साल भी जैसे ही नए साल की पढ़ाई शुरू हुई। प्रिंसिपल मैडम साधना जी ने प्रार्थना स्थल पर खड़े होकर प्रार्थना के बाद अपनी स्पीच देना शुरू किया। उनकी स्पीच सभी बच्चों के लिए और स्कूल में पढ़ाने वाली सभी अध्यापकों के लिए थी।उन्होंने अपने सभी अध्यापकों और स्कूल में आए नए और पढ़ने वाले पुराने विद्यार्थियों को को समझाते हुए अपनी बातों को उनके सामने रखना शुरू किया।

 

           साधना जी ने बड़े ही प्यार से बच्चों को समझाया कि नए साल में सभी अपने किताबों को ध्यान से पढ़े और अपने भविष्य के लिए बडी ही मेहनत से पढ़ाई करें।उन्होंने अपने अध्यापकों से अनुरोध किया कि बच्चों को इस तरीके से पढ़ाया जाए कि उन्हें किसी भी प्रकार के ट्यूशन की जरूरत ना पड़े।उनकी पढ़ाई की सारी परेशानी कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही दूर की जाएं और बच्चों के मां-बाप के होने वाली ट्यूशन की फीस का अलग से खर्चे ना हो।

 

          साधना जी ने अपने टीचरों को समझाया कि उन्हें इतनी लगन से पढ़ाये कि जैसे अपने बच्चों को पढ़ाते है।उनकी शिक्षा से बच्चे आगे बढ़े और उन्हें किसी भी ट्यूशन की जरूरत ना पड़े।भाषण के बाद और स्कूल समाप्त होने के बाद साधना जी घर पहुंची। घर पहुंचने के बाद उन्होंने शाम को उनके पास जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने आते थे।उनको पढ़ाना शुरू किया बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते उन्हें समझा रही थी।देखो बच्चो स्कूल में आजकल कहां इतनी बढ़िया पढ़ाई होती है।ट्यूशन तो बहुत ही जरूरी हो गया है।बिना ट्यूशन के अब केवल स्कूल के समय मे पढ़ाई पूरा करना बड़ा मुश्किल है।

 

          क्लास में तो केवल औपचारिकता ही पूरी हो पाती है।राधा जो नवी कक्षा के विद्यार्थी है।सुबह ही उसने स्कूल में मैडम का भाषण के दौरान साधना जी एक दूसरा चेहरा देखा था और अब ट्यूशन के दौरान उनका कोई दूसरा ही चेहरा दिखाई दे रहा था।अपने भोलेपन में राधा ने साधना जी से पूछ लिया मैडम आप अपने चेहरे पर दो-दो चेहरे कैसे लगा लेते हो।स्कूल में कुछ कहते हो और घर में कुछ कहते हो।साधना मैडम ने राधा को डांट कर एक कोने पर बैठा दिया।शायद अपनी बेशर्मी को छिपाने का उनके पास और कोई तरीका नही था।

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

Saturday, July 25, 2020

ग़ैर कानूनी कार्यो को उजागर करने वाले पत्रकारों पर ही सम्बन्धित थाना कर रहा मुक़दमा दर्ज

लखनऊ। ग़ैर कानूनी कार्यो को उजागर करने वाले पत्रकारों पर ही सम्बन्धित थाना कर रहा मुक़दमा दर्ज सूत्र वीडयो में चकला सम्बन्धित महिलाओ के बयान के बावजूद पत्रकारों पर आखिर क्यों दर्ज हुआ मुक़दमा सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार क्षेत्रवासियों द्वारा सम्बदन्धित  मामले की तहरीर नही लेंगे थाना प्रभारी मड़ियांव पत्रकारो को ही क्यों वादी बनाने में तुला प्रशासन आइये देखते है चकला सम्बन्धित महिलाओ के बयान का वीडियो साभार से हिंदमोर्चा न्यूज़


शिवराज सिंह चौहान की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, मुख्यमंत्री ने कहा- मेरे संपर्क में आए लोग टेस्ट कराएं

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने उनके संपर्क में आने वालों से कोरोना टेस्ट कराने और करीबियों से क्वारैंटाइन होने की अपील की है। वे कोरोना से संक्रमित होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं। तीन दिन पहले उनके साथ लखनऊ जाने वाले कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और उनकी पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी।


शिवराज ने खुद ट्वीट करके जानकारी दी


मुख्यमंत्री ने शनिवार को ट्वीट करके खुद अपने संक्रमित होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा- मैं कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन कर रहा हूं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार खुद को क्वारैंटाइन करूंगा और इलाज कराऊंगा। प्रदेश की जनता से अपील है कि सावधानी रखें, जरा सी असावधानी कोरोना को निमंत्रण देती है।


उन्होंने कहा कि मैंने कोरोना से सावधान रहने के हर संभव प्रयास किए, लेकिन समस्याओं को लेकर लोग मिलते ही थे। मेरी उन सब को सलाह है कि जो मुझसे मिले, वे अपना टेस्ट करवा लें।




कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं: शिवराज


शिवराज ने कहा कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना का समय पर इलाज होता है तो यह बिल्कुल ठीक हो जाता है। मैं 25 मार्च से हर शाम कोरोना की समीक्षा बैठक करता रहा हूं। मैं अब वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोरोना की समीक्षा करने का प्रयास करूंगा।


दूसरे मंत्रियों को भी समीक्षा की जिम्मेदारी दी


शिवराज ने कहा कि मेरी गैरमौजूदगी में समीक्षा बैठक गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी करेंगे। मैं खुद भी क्वारैंटाइन रहते हुए इलाज के दौरान प्रदेश में कोरोना नियंत्रण के हरसंभव प्रयास करता रहूंगा। आप सब सावधान रहें, सुरक्षित रहें और गाइडलाइन का पालन जरूर करें।


शिवराज 3 दिन पहले कैबिनेट की मीटिंग में शामिल हुए थे


शिवराज ने 22 जुलाई को कैबिनेट की मीटिंग की थी। इसके अलावा वे 23 जुलाई को मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और खंडवा की मांधाता सीट से विधायक नारायण पटेल से मिल चुके हैं।


शिवराज का पहले भी 4-5 बार हो चुका टेस्ट


शिवराज का कोरोना टेस्ट पहले भी 4-5 बार किया जा चुका है, तब रिपोर्ट निगेटिव आई थीं। अब जबकि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है ऐसे में उनके परिवार अौर संपर्क में आए लोगों के भी सैम्पल लिए जा रहे हैं। शिवराज का इलाज चिरायु अस्पताल में होगा।


मंत्री भदौरिया के संपर्क में आए थे शिवराज


शिवराज सिंह हाल ही में स्टेट प्लेन से पूर्व राज्यपाल लाल जी टंडन के अंतिम संस्कार में शामिल होने लखनऊ गए थे। उनके साथ कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत और अन्य लोग भी थे। बाद में भदौरिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनका चिरायु अस्पताल में इलाज चल रहा है।


प्रदेश के कई विधायक और नेता पॉजिटिव हो चुके हैं


प्रदेश में शिवराज और भदौरिया के अलावा कई विधायक और नेता कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी, धार विधायक नीना वर्मा, जावद से विधायक ओमप्रकाश सकलेचा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा, जबलपुर से विधायक लखन घनघोरिया, सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह और टीकमगढ़ के विधायक राकेश के नाम शामिल हैं।


 

 



मुख्यमंत्री हुए कोरोना वायरस से संक्रमित

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री चौहान की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट कर खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। मेरी सभी साथियों से अपील है कि जो भी मेरे संपर्क में आए हैं वह अपना कोरोना टेस्ट करवा लें। मेरे निकट संपर्क वाले कोरेंनटाइन में चले जाएं। मैं कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन कर रहा हूं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्वयं को क्वारंटाइन करूंगा और इलाज कराऊंगा। मेरी प्रदेश की जनता से अपील है कि सावधानी रखें, जरा सी असावधानी कोरोना को निमंत्रण देती है।  उन्होंने आगे कहा कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना का समय पर इलाज होता है तो कोरोना बिल्कुल ठीक हो जाता है।


 


Tuesday, July 21, 2020

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया। मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि लालजी टंडन ने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर ली अंतिम सांस ली। लालजी टंडन के निधन के बाद उनके बेटे और यूपी सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्वीट करके कहा कि बाबूजी नहीं रहे। 


गौरतलब है कि लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब में परेशानी की वजह से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।





Monday, July 13, 2020

""चुनाव , सत्ता और माफिया लूट के लोकतंत्र का सच है भूख और गरीबी""

कोविड 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से दुनिया के लगभग सभी लोग त्राहिमाम है । लेकिन सबसे अधिक हमारे गरीब मजदूर और किसान लोग है । जब देश में लॉकडाउन लगाया गया था तो हमारे प्रवासी मजदूर जो कभी रोटी के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों और महानगरों में गए थे, लेकिन हम सभी ने देखा दोस्तों की हमारे देश के रीढ़ प्रवासी मजदूर  हजारों किलोमीटर पैदल ही चल कर अपने घरों की तरफ लौटने के लिए विवश हो गए थे । इनमें से बहुत से प्रवासी मजदूर अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले हीे कहीं किसी ट्रेन के नीचे तो कहीं कुछ हमारे प्रवासी मजदूर बसों और ट्रकों के नीचे कुचलकर मारे गए। हैरानी की बात यह है कि इन प्रवासी मजदूरों पर सभी राजनीतिक दलों ने खूब राजनीति की मुफ्त में अपना प्रचार किया लेकिन वास्तव में किसी भी प्रवासी मजदूरों का मदद नहीं किया गया। लेकिन हमने देखा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीबों को मुफ्त में राशन मुहैया कराने का निर्णय लिया और बहुत से संपन्न लोगों ने भी अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंद लोगों का मदद भी किए । लेकिन इस बिच में देखा गया कि अलग-अलग राज्यों और जिलों में सक्रिय राशन माफिया गरीबों के राशन पर झपट्टा मारने से बाज नहीं आए। कुछ दिनों पहले ही केवल 2 महीनों में राशन डीलरों  द्वारा ब्लैक किया गया 8 कुंटल से अधिक सरकारी गेहूं और चावल पकड़ा जा चुका है । आखिर क्यों गरीबों के पेट पर लात मारते हो ?

जैसा कि हम सब जानते हैं कि अपने देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था पहली बार इसलिए गरीबों और वंचितों के हालात को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने शहर और ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों को मुफ्त में राशन वितरण करने का आदेश जारी किया । लेकिन हमने देखा कि सभी गरीबों को तो राशन नहीं मिला लेकिन राशन माफिया सक्रिय हो गए और  राशन डीलरों से सांठगांठ कर गरीबों के लिए आने वाला राशन ब्लैक में खरीदना शुरू कर दिया ।

दोस्तों अगर हम लोकतंत्र का मतलब चुनाव है बोले तो फिर गरीबी का मतलब चुनावी वादा ही होगा । जिस प्रकार से कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे जोकि पिछले दिनों हमारे 8 पुलिसकर्मियों को भी मार डाला था । यह विकास दुबे राजनैतिक संरक्षण से ही पैदा हुआ था । जो वर्षों से अपना अत्याचार गरीब लोगों पर किया करता था और सभी राजनैतिक पार्टियों के साथ कहीं ना कहीं इसका सांठगांठ था ,इसीलिए वर्षों से यहां अपना अत्याचार किया करता था। लेकिन जब सभी राजनैतिक पार्टियों को लगा कि अब उनका राज खुलने वाला है तो विकास दुबे को मुठभेड़ में मार दिया गया । क्या यही लोक कल्याणकारी राज्य है ?

अगर लोकतंत्र का मतलब सत्ता की लूट है, माफिया पैदा करना है तो फिर नागरिकों के पेट का निवाला छीन कर लोकतंत्र के रईस होने का राग होगा ही और अपने देश में गरीबी और अमीरी का भेदभाव होगा ही। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के लगभग 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है वही 10% देश की संपत्ति पर 90% लोग किसी तरह गुजर- बसर करते हैं । आखिर इतना भेदभाव क्यों ? जबकि हमारे  संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी के बराबरी की बात कही गई है।

आपको बता दे कि पूरी दुनिया भारत को अपना बाजार इसलिए मानती  है कि हमारे यहां जनसंख्या तो है ही ज्यादा लेकिन एक बात और है जो लोग चर्चा नहीं करते अधिकतर वह है हमारे यहां की सत्ता कमीशन पर देश के खनिज संसाधनों की लूट की छूट देने के लिए हमेशा तैयार रहती है । सोच कर देखो आप ही बिहार झारखंड जैसे राज्य जहां लोग मेहनती होने के साथ-साथ यहां खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में फिर भी गरीबी  क्यों नहीं खत्म होती है? लोग दूसरे राज्यों और महानगरों में जाकर अपनी रोजी-रोटी के लिए भटकते हैं । इन सब का कारण मुझे लगता है कि घटिया राजनीति ही एकमात्र है ।

आपको जानकर हैरानी होगी सोशल इंडेक्स में भारत इतना नीचे है कि विकसित देशों का रिजेक्टेड माल भी भारत में खप  जाता है , और ध्यान से देखें तो हमारे भारत का बाजार इतना अधिक  

बिकसित है कि दुनिया के विकसित देश जिन दवाइयों को जानलेवा मानकर अपने देश में पाबंदी लगा चुके हैं वह दवा भी भारत के बाजार में खप जाती है ।

 अजीब हमारा लोकतंत्र है क्योंकि एक तरफ विकसित देशों की तर्ज पर सत्ता ,कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां काम करने लगी है तो वहीं दूसरी तरफ नागरिकों के हक में आने वाले खनिज संसाधनों की लूट उपभोग के बाद जो बचा खुचा गरीबों को बांटा जाता है, और इसको कल्याणकारी योजना का प्रतीक बना दिया जाता है । और हद तब हो जाता है इस कल्याणकारी योजना में भी माफिया अपना लूटमार करना शुरू कर देते हैं।

आज सभी राजनैतिक दल धनबल ,बाहुबली और भाई भतीजावाद के दम पर ही अपनी पार्टियों को चला रहे हैं। आप ध्यान से देखें तो जो विश्वविद्यालय स्तर की छात्र संघ चुनाव होता है उसमें भी उन्हीं को टिकट दी जाती है जिनके पास यह तीनों  शक्तियां हो साथ ही चापलूसी हो इसी प्रकार से सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों का भी हालात है।

इस तरह की व्यवस्था पर आखिर किसका हक रहे इसके लिए ही चुनाव है । जिस पर काबिज होने के लिए लूटतंत्र का रुपया लुटाया जाता है । लेकिन लूटतंत्र के इस लोकतंत्र की जमीन के हालात क्या है? आपको विकास दुबे जैसे राजनैतिक संरक्षण पाए हुए अपराधी से पता चल गया होगा ।

आज बहुत से लोग बहुआयामी गरीबी इंटेक्स के दायरे में आते हैं मतलब की सवाल सिर्फ मेरा गरीबी रेखा से नीचे भर होने का ही नहीं है बल्कि कुपोषित होने ,बीमार होने ,भूखे होकर  जीने के कुचक्र  में लगभग 50 फ़ीसदी से अधिक वंचित लोगों का है और अब तो इस वैश्विक महामारी के कारण और भी ज्यादा यह संख्या बढ़ेगी। वहीं दूसरी तरफ लोग ओवरन्यूट्रिशन से परेशान है तो एक तरफ मालनूट्रिशन से आखिर इतना भेदभाव क्यों ?

यूएनडीपी यानी संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाने वाली संस्था कहती है कि भारत को आर्थिक मदद दिया जाता है लेकिन मदद का रास्ता भी क्योंकि दिल्ली से होकर गरीब तक जाता है इसीलिए राजनैतिक दल गरीब को रोटी की एवज में सत्ता का चुनावी मेनिफेस्टो दिखाता है, वोट मांगता है और विभिन्न प्रकार के वादे करता है और इसके बावजूद भी इन गरीबों की हालत में कोई सुधार नहीं होता है। अब सवाल मेरा यह है कि क्या दुनिया भर से भारत के गरीबों के लिए जो अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए मदद दिया जाता है वह भी कहीं राजनैतिक पार्टियां तो नहीं हड़प लेते हैं और अगर नहीं हड़पते है तो फिर कहां जाता है?

दुख की बात तो यह है कि गरीबी या गरीबों के लिए काम करने वाली संस्थाएं भी विदेशी मदद के रुपयों को हड़पने में सत्ता का साथ देती। अक्सर सत्ता देखे तो उन्हीं संस्थानों को मान्यता देती है या धन देती है जो रुपयों को हड़पने में राजनैतिक सत्ता के साथ खड़े रहे । जब देश और राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनेता लोग अरबों रुपए प्रचार प्रसार में लुटाते हैं और चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टर से आसमान में उड़ते हुए नेता कुलांचे मारते रहते हैं आखिर यह सब पैसे कहां से आते हैं ?

आपको एक बात बता देते हैं दुनिया के मानचित्र में अफ्रीका का देश नामीबिया एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा भूख है और कल्पना कीजिए आप कि यूएनडीपी रिपोर्ट के मुताबिक नामीबिया एमपीआई मतलब मेरा कहने का है कि मल्टीनेशनल पॉवर्टी इंडेक्स गरीबी स्तर में 0.181है उसी प्रकार मध्य प्रदेश का भी लेवल 0.181 है मतलब की आज जिस अवस्था में नामीबिया है उसी अवस्था में मध्य प्रदेश और भी अन्य राज्यों जैसे बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश यह सब बीमारू राज्यों में आते हैं ।

जिस बिहार की सत्ता के लिए नीतीश कुमार बिहार में बहार है कि बात करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के सबसे निचले पायदान पर और दुनिया के 5 वे सबसे निचले पायदान पर आने वाले साउथ ईस्ट अफ्रीका के मलावाई देश के बराबर है ।

 आखिर अपने देश में क्यों जरूरी है जीरो बजट पर चुनाव लड़ने के लिए जनता का दबाव बनाना। उसकी सबसे बड़ी वजह यही लोकतंत्र है जिसके आसरे लोकतंत्र का राग गाया जाता है और हद तो तब हो जाती है जिस केरल के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सियासत अंधी हो चली थी । आपको बता दें कि केरल हमारे देश के सबसे विकसित राज्यों में एक हैं जहां सबसे कम गरीबी में यहां का एमपीआई 0.004 है । तो वही सत्ता और सियासत चुनावी लोकतंत्र के नाम पर देश को ही हड़प ले उससे पहले चेत जाइए दोस्तों ।

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया  -अंतरराष्ट्रीय चिंतक)

शॉर्ट सर्किट से लगी दैनिक अयोध्या टाइम्स कार्यालय में आग

कानपुर। बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा 3 केडीए मार्केट में संजय नगर निवासी बृजेश मौर्या का दैनिक अयोध्या टाइम्स कार्यालय है साथ ही जिसमें ऑनलाइन फार्म व ग्राफिक्स का काम होता है जिसमें रविवार देर रात अचानक शार्ट सर्किट होने के कारण आग लग गई जहां से धुआं उठते देख आस-पड़ोस के लोगा बाहर आ गये। जिसे देख क्षेत्रीय लोगों ने कार्यालय के बाहर लिखें मोबाइल नंबर पर फोन करके कार्यालय मे आग लगने के बारे में बताया जिनकी बात सुनते ही मौके पर आए कार्यालय ऑनर बृजेश मौर्य ने तुरंत कार्यालय का शटर खोला जिसमें तेज लपटों के साथ सारा सामान जल रहा था जिसपर बृजेश मौर्य और क्षेत्रीय लोगों ने मिलकर आग में बाल्टियो से भर भर कर पानी डाला जिससे लोगों ने थोड़ी देर बाद कार्यालय के अंदर लगी आग पर काबू पाया आग लगने से कार्यालय के अंदर रखा करीब दो से ढाई लाख का सामान जलकर खाक हो गया।



सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया

हमारी जिंदगी में नजरिया (attitude) बहुत ज्यादा मायने रखता है। हमारा नजरिया बचपन में ही बन जाता है। हम कैसे विचार करते हैं ये हमारे नजरिए पर निर्भर करता है। अगर हमारी सोच अक्सर सकारात्मक होती है तो हमारा नजरिया सकारात्मक होता है। अन्यथा हमारा नजरिया नकारात्मक होता है। कुछ लोग जरा सी परेशानी आयी औऱ घबराने लगते हैं । उन्हें हमेशा लगता है कि यह मुसीबत हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी। एक के बाद दूसरी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इनका कोई अंत नहीं है। यह सोचकर वे ज्यादा परेशान हो जाते हैं। उनका नजरिया ही नकारात्मक बन जाता है। वे हर सफल व्यक्ति में केवल बुराइयाँ ही तलाशते हैं। उन्हें लोगों की अच्छाइयां कभी दिखाई नहीं देती हैं। वे लोगों में केवल नकारात्मक विचारों को फैलाते हैं। न कभी खुश रहते हैं और ना किसी को रहने देते हैं। हमेशा नकारात्मक बातों को करते रहते हैं। जीवनभर अपना नजरिया बदल नहीं पाते हैं।

इस वजह से जीवन में सदा असफल रहते हैं। अपनी असफलता का कारण दूसरों को मानते हैं। वे यह समझ नहीं पाते हैं कि उनकी असफलता की असली वजह उनका नकारात्मक नजरिया है। वे अपने आपमें कभी सुधार नहीं करते हैं। सदा दुखी और असन्तुष्ट रहते हैं। इन लोगों से मिलकर लोग अप्रसन्न हो जाते हैं। ये लोग दूसरों की परवाह नहीं करते हैं।

दूसरी तरफ सकारात्मक नजरिया वाले लोग आत्मविश्वास से भरे रहते हैं। वे जो काम करते हैं उसमें उन्हें सफलता मिलती है। अगर कभी असफल भी होते हैं तो उसका कारण तलाशते हैं और उस कमी को दूर करते हैं। वे दूसरों पर दोषारोपण नहीं करते हैं। ऐसे लोगों से मिलकर लोग खुश हो जाते हैं क्योंकि वे अच्छे विचार फैलाते हैं। ऐसे लोग बुराई में अच्छाई तलाशते हैं। उनका यह नजरिया ही उन्हें सफलता के करीब ले जाता है। वे दूसरों की अच्छाइयों की तारीफ करते हैं। ऐसे लोगों के बहुत मित्र बन जाते हैं। वे दूसरों में आशा की किरण जगाते हैं तथा लोगों को सदा प्रोत्साहित करते रहते हैं। स्वयं भी सकारात्मक रहते हैं और सकारात्मक ऊर्जा लोगों में फैलाते हैं।

जीवन में सकारात्मक औऱ नकारात्मक विचारों का अपना ही महत्व है। सकारात्मक सोच आगे बढ़ने में सहायता करती है तो नकारात्मक सोच किसी काम में आनेवाली चुनोतियों का एहसास कराती है । हमें दोनों का उचित संतुलन बनाकर अपना काम करना चाहिए। जैसे–सकारात्मक सोच वालों ने हवाई जहाज बनाया लेकिन नकारात्मक सोच वालों ने पैराशूट बनाया। हवाई जहाज बनाने वाले ने सोचा लोग हवा में उड़ सकेंगे तो नकारात्मक विचारों वालों ने सोचा अगर हवाई जहाज गिर गया तो लोग कैसे बचेंगे इसलिए उन्होंने पैराशूट बनाया जिससे लोग बच सकें।

आप इस एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि एक हद तक नकारात्मकता सही है।

प्रफुल्ल सिंह "साहित्यकार"

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

उचित फीस

         लॉक डाउन के समय में अपने बच्चों की पढ़ाई खराब होने का डर शर्मा जी को लगातार हो रहा था।फिर कुछ खबर आई कि बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन होगी।अब शर्मा जी को कुछ तस्सली हुई।उन्हें लगा शायद अब बच्चों का 1 साल खराब होने से बच जाएगा।ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही फीस की स्लिप भी मिल गयी।फीस स्लिप को देखकर शर्मा जी की खुशी का ठिकाना ना रहा।उन्होंने देखा फीस की स्लिप तो केवल 11000 रुपये की है।जबकि पिछले साल तो एक क्वार्टर की फीस 12000 रुपये थी।

         शर्मा जी बहुत खुश थे कि चलो लॉक डाउन में स्कूल वालों ने कुछ तो फीस कम कर दी।तभी अचानक शर्मा जी का माथा ठनका।उन्होंने पिछले साल की स्कूल की फीस की स्लिप निकाली और उसमे 12000 रुपये की पूरी डिटेल देखने के बाद उन्हें समझ में आया कि वह तो बेकार ही खुश हो रहे थे।12000 रुपये क्वार्टर की फीस में 2000 रुपये तो बस की फीस थी।बच्चे जब स्कूल नही जाएंगे और घर पर ही पढ़ाई करेंगे।तो स्कूल की फीस के अलावा बस की फीस तो जाएगी ही नहीं,इसका मतलब इसकी स्लिप तो 10000 रुपये की आनी चाहिए थी।जो कि 11000 रुपये की थी।शर्मा जी अपनी शिकायत लेकर स्कूल की प्रिंसिपल मिलने से मिलने के लिए स्कूल पहुंचे।

          प्रिंसिपल के सामने पहुंचने के बाद उन्होंने प्रिंसिपल मैडम से पूछा, मैडम अगर बस की फीस नहीं जानी है तो उसे काट के तो एक क्वार्टर की फीस केवल 10000 रुपये ही बनती है।यह आपने हजार रुपये किस बात के बढ़ा दिए।प्रिंसिपल साहिबा अचानक शर्मा जी के सवाल से सकपका गयी।उन्होंने शर्मा जी को समझाने की कोशिश की।देखिए सर बच्चों की पढ़ाई तो हो ही रही है।हर साल की तरह सभी टीचरों की सैलरी तो वैसी की वैसी ही देनी है और आपको पता ही है कि हर साल सभी को इन्क्रीमेंट भी देना होता है।सभी बातों को ध्यान में रखते हुए फीस तो बढ़ानी ही पड़ती है।मैडम मेरी बड़ी बहन भी आपके स्कूल में टीचर है और जहां तक मुझे जानकारी है।इस साल आपने कोरोना की वजह से अपने किसी भी अध्यापक को इन्क्रीमेंट देने से मना किया है।

          अगर ऐसा तो आप किस बात के लिए फीस बढ़ा रही हैं।जबकि हम सभी के काम 2 माह बंद रहे हैं।प्रिंसिपल साहिबा से कोई जवाब ना बन पाया और फीस में हुई इस वृद्धि का कोई भी जवाब ना होने के कारण उन्होंने शर्मा जी से कहा आपका दिल करे तो आप बच्चों को यहां पढ़ा लीजिये वरना उन्हें कहीं और पढ़ा लीजिए।फीस तो कम नही होगी।शर्मा जी प्रिंसिपल साहिबा की इन बातों को सुनकर अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे थे। लेकिन कोरोना की इन परिस्थितियों में अब वह किसी और स्कूल में बच्चों का एडमिशन भी नहीं करा सकते थे। *इसलिए बिना मतलब ही फीस वृद्धि का थप्पड़ गाल पर खाकर वह अपना गाल सहलाते हुए फीस भरकर अपने घर वापस आ गए।*

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

जलती आग में घी डालना कोई विपक्षियों से सीखे

कल जब आठ पुलिस कर्मियों की बड़ी ही क्रूरता व निर्दयता से हत्यारे ने हत्या की , तब विपक्ष ने उसे हत्यारा कह-कहकर सरकार के नाक में दम कर दिया था । सोशल मीडिया से लेकर समाचारों के हर पन्नों पर विपक्ष की खोखली बयान बाजियां प्रमुखता से छाई हुई थीं , कि एक ऐसा खूंखार हत्यारा जो हमारे आठ पुलिस कर्मियों को मार कर खुलेआम घूम रहा है । आखिर उसके खिलाफ कार्रवाई कब होगी ? कल पुलिस कर्मियों के साथ दया भाव व घड़ियाली आसूं बहाने वाला यही विपक्ष जो सरकार पर सवालों के अंबार लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था , अब वही विपक्ष जिसने उसे खूंखार हत्यारे से संबोधित किया , आज उस हत्यारे के एनकाउंटर किए जाने के बाद विपक्ष ने ऐसा रंग बदला कि उसके आगे गिरगिट भी रंग बदलने में मात खा गया । आठ पुलिस कर्मियों के घर वाले कल महज विपक्ष की बयान बाजियां सुनते रहे और आज वही विपक्ष पलटी मार हत्यारे के साथ जा खड़ा हो गया । अब कांग्रेस को ही ले लें , वह खूंखार हत्यारे की हत्या के बाद हत्यारे का पक्षधर बन मानवाधिकार आयोग में जा पहुंचा । कल शहीद हुए पुलिस कर्मियों के पक्ष में महज खोखले राग अलाप रहे इस विपक्ष ने उन आठ पुलिस कर्मियों के पक्ष में मानवाधिकार आयोग का दरवाजा नहीं खटखटाया और न ही उन पुलिस कर्मियों के परिजनों से मिल उन्हें कोई सांत्वना ही दी , बस दूर से राजनैतिक रोटियाँ सेंकने में ही व्यस्त दिखे । गौरतलब है कि पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई के चलते एक खूंखार हत्यारे की हत्या हुई , तो विपक्ष और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को इस पर जाँच की माँग करना कहाँ तक जायज है ? जो अपराधी अनेक हत्याएं पहले ही कर चुका है , उसके लिए और कुछ हत्याएं करना बड़ी बात नहीं थी । ऐसे में पुलिस अपनी आत्मरक्षा न करती तो शायद आठ की जगह और अठ्ठारह पुलिस कर्मी उसके शिकार हो चुके होते , तब यही विपक्ष फिर सोशल मीडिया व समाचार चैनलों पर चिल्लाते फिरते कि एक हत्यारा हमारे पुलिस कर्मियों को मार कर चला गया और हमारी सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है ! आज हमारे देश के विपक्ष की हालत ऐसी हो गई है कि बाल की खाल निकालने का कोई भी मौका नहीं चूकने देना चाहते । सरकार के किसी भी कार्य में विपक्ष अपना रोल क्या खूब निभा रहा है , जिसमें वह महज कमियां निकालने व चुटकियां लेने के काम में पूर्ण प्रतिबद्धता दिखा रही है । इन विपक्षियों को यह नहीं समझ आता है कि उनकी इस तरह से राजनैतिक रोटियां सेंकने में जनता के अंदर अनायास की हिंसा पनप सकती है , जो कि देश की एकता , अखण्डता व संप्रभुता के खिलाफ होगा ।
देश की एकता , अखण्डता व संप्रभुता को बनाएं रखना महज सत्ता में मौजूद सरकार का ही कर्तव्य है , क्या विपक्ष का कुछ भी हक नहीं बनता ? क्या यह उनकी अपनी जनता नहीं है ? आखिर इन बेवजह के मुद्दों पर आए दिन उंगली उठाना क्या राजनैतिक दृष्टिकोण से किसी भी विपक्ष के हित में होगा ? विपक्ष की भूमिका निभाने में विपक्षी यह भी भूल जा रहा है कि वह क्या कर गया ? उसकी कभी पाकिस्तान , कभी नेपाल तो कभी चीन के पक्ष में बयान बाजियां आग में घी का काम रही हैं , जिससे उसकी निजी छवि तो खराब हो रही है , साथ जनता के मन में समस्त राजनैतिक पार्टियों के प्रति नकारात्मक संदेश का संचार भी खूब हो रहा है । हालांकि विपक्ष की भूमिका अदा करना गलत नहीं है , मगर राजनीति की मर्यादा को ध्यान में रखकर विपक्ष के कार्य को अंजाम देना भविष्य के लिए बेहतर विकल्प पैदा कर सकता है ।


रचनाकार - मिथलेश सिंह 'मिलिंद'
मरहट , पवई , आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)


Sunday, July 12, 2020

बघौली थाना में कोरोना की दस्तक, महिला कांस्टेबल व उसके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव

बघौली ध्हरदोई। (अयोध्या टाइम्स)कोरोनावायरस महामारी का कहर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिसकी चपेट में बघौली थाना भी आ गया है जहां पर तैनात महिला कांस्टेबल तथा उसके पति की रिपोर्ट कोरो ना पाजिटिव आई है थाना परिसर के साथ-साथ क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है


बताते चलें कि बघौली थाना में तैनात महिला हेल्थ हेड कांस्टेबल ज्योति कुशवाहा उम्र लगभग 38 वर्ष तथा  देवकांत कुशवाहा पुत्र कालिका प्रसाद कुशवाहा उम्र लगभग 41 वर्ष की जांच दिनांक 10 ध्07ध् 2020 को सैंपल हुआ था जिसके बाद आज रिपोर्ट कोरो ना पाजिटिव आने से थाना परिसर संदेह के घेरे में है इसके साथ बघौली क्षेत्र में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है  बघौली पुलिस कर्मियों के मस्तक पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं जिससे पूरा स्टाफ सदमे में है।


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक अहिरोरी मनोज सिंह ने बताया कि बघौली थाना में तैनात महिला कांस्टेबल एवं उसके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उन्हें क्वॉरेंटाइन कराने की व्यवस्था की जा रही है।


अमिताभ और अभिषेक के बाद एश्वर्या राय बच्चन और अराध्या बच्चन भी कोरोना पॉजिटिव

मुंबई


अमिताभ और अभिषेक के बाद एश्वर्या राय बच्चन और अराध्या बच्चन भी कोरोना पॉजिटिव.



अनुपन खेर की मां ,भाई, भाभी और भतीजी को हुआ कोरोना का संक्रमण

कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है अभी अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन के कोविड 19 पॉजिटिव होने की खबरों ने सभी को हैरान करके रख दिया था। अब खबर आ रही है कि अनुपन खेर की मां दुलारी देवी सहित घर के कई सदस्य कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। घर के कई सदस्यों के संक्रमित होने के बाद अनुपन खेर ने भी अपना कोविड 19 का टेस्ट करवाया हैं जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी हैं। फिलहाल अनुपम खैर की मां को कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती करवाया है। जानकारी के मुताबिक अनुपन खेर के भाई, भाभी और भतीजी को कोरोना संक्रमित है।




अनुपन खेर ने अपने मां और परिवार के सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव होने के जानकारी खुद सोशल मीडिया से दी हैं। अनुपम खैर ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा-अनुपम खेर ने आगे लिखा, 'मैंने अपना भी कोरोना टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। मैंने इसकी जानकारी बीएमसी को भी दी है।' वहीं वीडियो में अनुपम खेर ने कहा,'पिछले कुछ दिनों से मेरी मां दुलारी देवी को कुछ दिनों से भूख नहीं लग रही थी। वह कुछ भी नहीं खा रही थी और सोती रहती थी। तो हमने डॉक्टर की सलाह पर उनका ब्लड टेस्ट करवाया, उसमें सबकुछ ठीक निकला. इसके बाद डॉक्टर ने सीटी स्कैन करने किए कहा। तो हमने स्कैन करवाया, तो कोविड पॉजिटिव माइल्ड निकला।'