Monday, February 3, 2020

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत वर्ष 2014-15 में 11.95 लाख घरों की तुलना में वर्ष 2018-19 में 47.33 लाख घरों का निर्माण कार्य पूरा : आर्थिक समीक्षा

सभी के लिए आवास, पेयजल और स्‍वच्‍छता के साधनों सहित सामाजिक संपत्तियों के निर्माण का प्रावधान सरकार की सामाजिक अवसंरचना के निर्माण की कोशिशों के तहत एक प्रमुख स्‍तंभ रहा है। यह आर्थिक समीक्षा 2019-20 के प्रमुख घटकों में से एक है, जिसे आज संसद में केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने पेश किया।


सभी के लिए आवास


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2018 में भारत में पेयजल, साफ-सफाई और आवास स्थिति पर एनएसओ के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 76.7 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 96 प्रतिशत लोगों के पास पक्‍का घर है।


दो योजनाओं प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्‍य को हासिल करना है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि पीएमएवाई-जी के तहत एक साल में बनने वाले घरों की संख्‍या पहले से चार गुना बढ़ गई है, जो 2014-15 में 11.95 लाख से बढ़कर 2018-19 में 47.33 लाख हो गई है।


पेयजल एवं स्‍वच्‍छता


      आ‍र्थिक समीक्षा के अनुसार 2014 में शुरू हुए स्‍वच्‍छ भारत मिशन–ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत अब तक ग्रामीण इलाकों में 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। इस दौरान 5.9 लाख गांवों, 699 जिलों और 35 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों ने अपने आपको खुले में शौच से मुक्‍त घोषित किया है। भारत के सबसे बड़े ग्रामीण स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2019 में देश भर के 698 जिलों के 17,450 गांवों को शामिल किया गया, जिनमें 87,250 सार्वजनिक स्‍थल शामिल हैं।


      बजट पूर्व समीक्षा में बताया गया है कि सफाई को लेकर व्‍यवहार को बनाए रखने और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देने पर केन्द्रित 10 वर्षीय ग्रामीण स्‍वच्‍छता रणनीति (2019-2029) की शुरुआत की गई है। जल संकट से जुझ रहे प्रखंडों और जिलों में जल संरक्षण की गतिविधियों में तेजी लाने के उद्देश्‍य से पूरे भारत में जल शक्ति अभियान (जेएसए) शुरू किया गया है। आर्थिक समीक्षा में जोर देते हुए बताया गया है कि जेएसए के तहत अब तक 256 जिलों में 3.5 लाख से अधिक जल संरक्षण उपाए किए गए हैं। लगभग 2.64 लोगों ने भाग लेकर इसे जन आंदोलन बना दिया है।



2018 में विश्व के वाणिज्यिक सेवा निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़कर 3.5 प्रतिशत हुआः आर्थिक समीक्षा 2019-20

अपने महत्व को बढ़ाते हुए सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था तथा सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वृद्धि में लगभग 55 प्रतिशत हो गया है। भारत में कुल दो-तिहाई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवक हुई है और यह क्षेत्र कुल निर्यात का 38 प्रतिशत हो गया है। यह जानकारी आज केन्द्रीय वित्त तथा कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2019-20 में दी गई है। 33 राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में से 15 में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी सकल राज्य मूल्यवर्धन के 50 प्रतिशत को पार कर गई है।


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान सेवा क्षेत्र ने कुल एफडीआई इक्विटी आवक में 33 प्रतिशत की छलांग लगाई है और यह आवक 17.58 बिलियन डॉलर पहुंच गई है। ऐसा सूचना तथा प्रसारण, विमान परिवहन, दूर-संचार, परामर्श सेवाओं तथा होटल और पर्यटन जैसे उप-क्षेत्रों में मजबूत एफडीआई आवक के कारण हुआ है।


आर्थिक समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि हाल के वर्षों में वस्तुओं के निर्यात से अधिक सेवाओं का निर्यात हुआ है। इस कारण विश्व की वाणिज्यिक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी पिछले दशकों में बढ़ी है और यह 2018 में 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह विश्व के 1.7 प्रतिशत वाणिज्यिक निर्यात से दोगुना है।


बजट पूर्व समीक्षा में कहा गया है कि उच्च फ्रीक्वेंशी वाले विभिन्न संकेतक तथा विमान यात्री यातायात, रेल माल ढुलाई यातायात, बंदरगाह और जहाजरानी माल ढुलाई यातायात, बैंक ऋण, आईटी-बीपीएम (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) क्षेत्र राजस्व, विदेशी पर्यटक आगमन तथा पर्यटन विदेशी मुद्रा आय जैसे क्षेत्रवार डाटा बताते हैं कि 2019-20 के दौरान सेवा क्षेत्र में नरमी आई है। लेकिन अच्छी बात यह है कि 2019-20 के प्रारंभ में सेवा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में सुधार हुआ है और अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान सेवा निर्यात की गति तेज बनी रही है। समीक्षा में दीर्घकालिक दृष्टि से सुझाव दिया गया है कि द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं के दौरान सेवा निर्यात पर फोकस करना भारत के लिए व्यापार साझेदारों के साथ द्विपक्षीय व्यापार घाटे को दूर करने के लिए शुभ है।


आर्थिक समीक्षा में सेवा क्षेत्र के अंदर उप-क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विकासों को दिखाया गया हैः



  • पर्यटन सेवाः  यह क्षेत्र विकास को बढ़ाने वाला, जीडीपी में योगदान करने वाला, विदेशी मुद्रा कमाने वाला और रोजगार सृजन का प्रमुख ईंजन है, लेकिन वैश्विक रूझानों के अऩुरूप 2018 और 2019 में विदेशी मुद्रा आय वृद्धि में नरमी आई। ई-वीजा योजना को 169 देशों के साथ उदार बनाए जाने से ई-वीजा पर पर्यटकों का आगमन 2015 के 4.45 लाख विदेशी पर्यटकों की तुलना में 2018 में बढ़कर 23.69 लाख हो गया और यह जनवरी-अक्टूबर 2019 में 21.75 लाख रहा। इस तरह इसमें प्रति वर्ष 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

  • आईटी-बीपीएम सेवाः भारत का आईटी-बीपीएम उद्योग पिछले दो दशकों से भारत के निर्यात का ध्वजवाहक रहा है। आईटीबीपीएम उद्योग मार्च 2019 में 177 बिलियन डॉलर हो गया। रोजगार वृद्धि और मूल्यवर्धन के माध्यम से यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। आईटी-बीपीएम क्षेत्र में नवाचार को प्रेरित करने तथा प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में स्टार्टअप इंडिया, राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर, उत्पाद नीति और एंजिल टैक्स से संबंधित विषयों की समाप्ति शामिल है। भारत की स्टार्टअप व्यवस्था प्रगति कर रही है और 24 यूनिकॉर्न के साथ यह विश्व में तीसरी सबसे बड़ी व्यवस्था बन गई है।

  • बंदरगाह तथा जहाजरानी सेवाः जहाजों से माल उतारने और चढ़ाने में लगने वाला समय दक्षता का प्रमुख सूचक है। यह 2010-11 तथा 2018-19 के बीच आधा घटकर 4.67 दिवस से 2.48 दिवस हो गया है।

  • अंतरिक्ष क्षेत्रः पांच वर्ष पूर्व प्रारम्भिक शुरूआत के बाद से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में काफी प्रगति हुई है। अब साधारण मैपिंग सेवाओं से आगे अधिक सेवाएं मिल रही हैं। यद्पि अन्य देशों की तुलना में अंतरिक्ष कार्यक्रम पर भारत का खर्च कम है, लेकिन इसरो ने हाल के वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 5-7 सेटेलाइटों को बिना किसी दोष के लान्च किया है।



कृषि के मशीनीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में बदल जाएगीः आर्थिक समीक्षा

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कृषि के मशीनीकरण, पशुधन तथा मछलीपालन क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, वित्तीय समावेश, कृषि ऋण, फसल बीमा, सूक्ष्म सिंचाई तथा सुरक्षित भंडार प्रबंधन पर बल दिया।



कृषि का मशीनरीकरण


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जमीन, जल संसाधन और श्रम शक्ति में कमी आने के साथ उत्पादन का मशीनरीकरण तथा फसल कटाई के बाद के प्रचालनों पर जिम्मेदारी आ जाती है। कृषि के मशीनरीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। कृषि में मशीनरीकरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन (59.5 प्रतिशत) तथा ब्राजील (75 प्रतिशत) की तुलना में भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 प्रतिशत हुआ है।


मशुधन तथा मछलीपालन क्षेत्र


लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय दूसरा महत्वपूर्ण आय का साधन है और यह क्षेत्र किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 7.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मछलीपालन खाद्य, पोषाहार, रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन रहा है। मछलीपालन क्षेत्र से देश में लगभग 16 मिलियन मछुआरों और मछलीपालक किसानों की आजीविका चलती है। मछलीपालन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। इस क्षेत्र के महत्व को समझते हुए 2019 में स्वतंत्र मछलीपालन विभाग बनाया गया है। 


खाद्य प्रसंस्करण


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। प्रसंस्करण के उच्च स्तर से बर्बादी कम होती है, मूल्यवर्धन में सुधार होता है, फसल की विविधता को प्रोत्साहन मिलता है, किसानों को बेहतर लाभ मिलता है तथा रोजगार प्रोत्साहन के साथ-साथ निर्यात आय में भी वृद्धि होती है। 2017-18 में समाप्त होने वाले पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 5.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 2011-12 के मूल्यों पर विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) क्रमशः 8.83 प्रतिशत और 10.66 प्रतिशत रहा।


 वित्‍तीय समावेशन,  कृषि ऋण और फसल बीमा


      आर्थिक समीक्षा में पूर्वोत्‍तर में ऋण के तेज वितरण में सुधार के लिए पूर्वोत्‍तर के क्षेत्रों में वित्‍तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। फसल बीमा की जरूरत पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लाभों के बारे में बताया गया है, जिसकी शुरुआत 2016 में फसल बुवाई से पहले से लेकर, फसल कटाई के बाद तक के प्राकृतिक जोखिमों को कवर करने के लिए की गई थी। पीएमएफबीवाई की वजह से सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) मौजूदा 23 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। सरकार ने एक राष्‍ट्रीय फसल बीमा पोर्टल का भी गठन किया, जिसमें सभी हितधारकों के लिए इंटरफेस उपलब्‍ध है।


कृषि में सकल मूल्‍यवर्धन


      विकास प्रक्रिया की स्‍वाभाविक राह और अर्थव्‍यवस्‍था में हो रहे संरचनात्‍मक बदलाव की वजह से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान मौजूदा मूल्‍य पर देश के सकल मूल्‍य वर्धन में वर्ष 2014-15 के 18.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 में 16.5 प्रतिशत हो गया।


बफर स्‍टॉक प्रबंधन


      आर्थिक समीक्षा में बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दरों की समीक्षा का प्रस्‍ताव किया गया है। आर्थिक समीक्षा में भारतीय खाद्य निगम के बफर स्‍टॉक के विवेकपूर्ण प्रबंधन की भी सलाह दी गई है।


सूक्ष्‍म सिंचाई


      खेतों के स्‍तर पर जल इस्‍तेमाल की क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी योजनाओं के जरिए सूक्ष्‍म सिंचाई (ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई) के इस्‍तेमाल की सलाह दी गई है। आर्थिक समीक्षा में नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये के आरंभिक फंड के गठन के साथ समर्पित सूक्ष्‍म सिंचाई फंड की भी चर्चा की गई।                   




विद्यालय शिक्षा को प्री-स्कूल से उच्च माध्यमिक स्तर तक परिकल्पित करने के लिए समग्र शिक्षा 2018-19 का आरंभ किया गयाः आर्थिक  समीक्षा

भारत की आबादी की एक बड़ा हिस्सा नौजवानों का है इसलिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, जलापूर्ति और स्वच्छता जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भारत को जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त है। इसका लोगों के जीवन के गुणवत्ता के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की उत्पादकता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस दिशा में हुआ विकास केन्द्रीय वित्त एवं कम्पनी कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2019-20 का प्रमुख भाग हैं। यह समीक्षा 2014-15 से 2019-20 के अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर कुल खर्च में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित करती है।


शिक्षाः


आर्थिक समीक्षा में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-4 के तहत वर्ष 2030 तक सभी लोगों को समावेशी एवं समान गुणवत्तपूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के सरकार के हस्ताक्षेपों का उल्लेख किया गया है। इस उद्देश्य के साथ विद्यालय शिक्षा प्री-स्कूल से उच्च माध्यमिक (सीनियर सेकेंडरी) स्तर तक परिकल्पित करने के लिए समग्र शिक्षा 2018-19 का आरंभ किया गया है। सरकार की ओर से की गई अन्य पहलों में नवोदय् विद्यालय योजना, प्रधानमंत्री अभिनव शिक्षण कार्यक्रम (ध्रुव), ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल अवसंरचना (दीक्षा) मंच और ई-पाठशाला जैसी ई-कंटेंट साइट्स शामिल हैं।


बजट पूर्व समीक्षा उच्च और तकनीकी शिक्षा में शिक्षण और अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में की गई पहलों को भी रेखांकित करती है। इनमें अन्य के अलावा उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए), राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन प्रौद्योगिकी (एनईएटी), शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेश कार्यक्रम (इक्विप) परामर्श जैसी योजनाएं और स्वयं 2.0 जैसे विशाल ऑनलाइन डिग्री कार्यक्रम शामिल हैं।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू-डीआईएसई) के अनुसार 2017-18 (अनन्तिम) 98.38 प्रतिशत सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए शौचालयों की व्यवस्था है, जबकि 96.23 प्रतिशत सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कों के लिए शौचालयों की व्यवस्था है। 97.13 प्रतिशत सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पेय जल की सुविधा है। ये आंकड़े शिक्षा का अधिकार, 2009 को बरकरार रखने के प्रति सरकार की संकल्पबद्धता पर प्रकाश डालते है।


सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करने सहित नई शिक्षा नीति का निरुपण करने की प्रक्रिया आरंभ की है। आर्थिक समीक्षा में स्कूलों के विभिन्न स्तरों पर पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले बच्चों की अधिक संख्या और उच्च शिक्षा में व्यवहार्यता की कमी की चिंता के क्षेत्रों के रूप में पहचान की गई है।


स्वास्थ्यः


स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार लाने और बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना आयुष्मान भारत के तहत 14 जनवरी, 2020 तक 28,005 स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र खोले गए है। समीक्षा में कहा गया है, ‘निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए 2022 तक डेढ़ लाख आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र खोले जाने का प्रस्ताव है।’ मिशन इंद्रधनुष के तहत अब तक देशभर में 680 जिलों के 3.39 करोड़ बच्चों और 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है। इनके अलावा स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों के तहत सरकार ने ‘ईट राइट एंड ईट सेफ’, फिट इंडिया, अनीमिया मुक्त भारत, पोषण अभियान और स्वच्छ भारत अभियान जैसी मिशन मोड पहले की हैं। इसके अलावा ई-सिगरेट से संबंधित समस्त वाणिज्यिक कार्रवाईयों पर हाल ही में प्रतिबंध लगा दिया गया है।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा 2016-17 के अनुसार, कुल स्वास्थ्य खर्च के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर अपनी जेब से किए जाने वाले खर्च (ओओपीई) में गिरावट आई है। वर्ष 2013-14 में यह 64.2 प्रतिशत था, जो 2016-17 में 58.7 प्रतिशत रहा। विभिन्न योजनाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुंच को संभव बनाया है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार इनमें फ्री-ड्रग्स सर्विस इनिशिएटिव, निःशुल्क निदान सेवा पहल, प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना (पीएमवीजेपी) और प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिज प्रोग्राम (पीएमएनडीपी) शामिल हैं।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के लिए सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 141 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी है। सरकार ने 2.51 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी मानव संसाधनों को शामिल करने के लिए राज्यों को सहायता प्रदान की है।