Monday, February 3, 2020

भुवनेश्‍वर-वाराणसी सीधी दैनिक विमान सेवा प्रारंभ

भारत में क्षेत्रीय विमान सेवा क्‍नेक्टिविटी में एक छलांग और लगाते हुए आज एयरइंडिया की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली विमान सेवा कम्‍पनी एलायंस एयर ने भारत सरकार की आरसीए-उड़ान (क्षेत्रीय क्‍नेक्टिविटी योजना-उड़े देश का आम नागरिक) योजना के अन्‍तर्गत भुवनेश्‍वर से वाराणसी के लिए सीधी दैनिक विमान सेवा प्रारंभ की। उड़ान योजना के अन्‍तर्गत पहली उड़ान को माननीय प्रधानमंत्री ने 27 अप्रैल, 2017 को झंडी दिखाई थी। भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग पर विमान सेवा को प्रांरभ करना नागर विमानन मंत्रालय की शानदार उपलब्धि है और आरसीएस-उड़ान योजना के तहत यह 250वें मार्ग के परिचालन का प्रारंभ है।


हाल में 27 जनवरी 2020 को एलायंस एयर ने आरसीएस-उड़ान के अन्‍तर्गत कोलकाता-झरसूगुड़ा के लिए सीधी दैनिक विमान सेवा की शुरूआत की थी। उड़ान-3 बोली प्रक्रिया में भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग एलायंस एयर को दिया गया। एलायंस एयर विमान सेवा द्वारा आरसीएस-उड़ान योजना के तहत 58वें मार्ग पर सेवा दी जा रही है। गंगा नदी के किनारे बड़ी संख्‍या में मंदिरों और पवित्र घाटों के होने के कारण पूरे देश से लोग वाराणसी आते हैं। बौद्ध पर्यटन सर्किट होने के कारण यह मार्ग पर्यटन उद्योग को प्रोत्‍साहित करेगा, क्‍योंकि पर्यटन वाराणसी का दूसरा सबसे महत्‍वपूर्ण उद्योग है। वाराणसी विभिन्‍न कारणों से देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। धार्मिक और पर्यटन केन्‍द्र होने के अ‍तिरिक्‍त वाराणसी में भारत के प्रसिद्ध विश्‍वविद्यालयों में से एक बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) है।


एलायंस एयर भुवनेश्‍वर-वाराणसी मार्ग पर सीधी दैनिक विमान सेवा संचालित करेगी। इसके लिए विमान सेवा कम्‍पनी 70 सीटों वाला एटीआर 70 600 विमान तैनात करेगी। सीधी उड़ान से तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, वि़द्यार्थियों, व्‍यावसायियों तथा कारोबारियों को लाभ मिलेगा।  उड़ान की समयसारिणी इस प्रकार है।



सरकार एमएसएमई क्षेत्र को मदद देने को प्रतिबद्ध

सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मदद देने को प्रतिबद्ध है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है जो उद्यमिता को प्रोत्साहन देता है और कम लागत पर रोजगार के अवसर सृजित करता है।


केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की। आर्थिक समीक्षा में एमएसएमई को बेहतर ऋण प्रवाह, तकनीकी उन्नयन, व्यवसाय शुरु करने में आसानी और बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में मदद के लिए उठाए गए सभी कदमों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस क्षेत्र में तेज वृद्धि के लिए 2 नवंबर, 2018 को महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की। सरकार की ये पहलें और उनकी स्थिति निम्न प्रकार है।


(1)सिद्धांत: एक करोड़ रुपये तक के ऋण ऑन-लाइन पोर्टल के जरिए 59 मिनट के अंदर मंजूर किए जाते हैं। कुल 49,330 करोड़ रुपये के 1,59,422 ऋण प्रदान किए गए हैं। इनमें से 37,106 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण अक्टूबर 2019 तक कर दिया गया है।


(2) जीएसटी में पंजीकृत सभी एमएसएमई को एक करोड़ रुपये तक के इंक्रीमेंटल ऋण पर ब्याज में 2 प्रतिशत आर्थिक मदद दी जाती है। सिडबी ने नवंबर 2018 से लेकर मार्च 2019 तक 43 बैंकों/एनबीएफसी से प्राप्त 18 करोड़ रुपये के दावे को निपटाया है।   


(3) 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली सभी कंपनियों को टीआरईडीएस पोर्टल से जुड़ना अनिवार्य है ताकि उद्यमी बैंक से ऋण ले सकें।अब तक 329 कंपनियों ने टीआरईडीएस पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कराया है।


(4) सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (सीपीएसयू) को अपनी कुल खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत एमएसएमई से खरीदना होगा। सीपीएसयू ने 59,903 एमएसएमई से 15,936.39 करोड़ रुपये मूल्य के सामान और सेवाएं खरीदी हैं।


(5) सीपीएसयू के लिए एमएसएमई से 25 प्रतिशत की आवश्यक खरीद में से 3 प्रतिशत की खरीद महिला उद्यमियों से करना आरक्षित है। वर्ष 2019-20 के दौरान 1471 महिला एमएसएमई से कुल 242.12 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई।


(6)सभी सीपीएसयू को जीईएम पोर्टल से खरीदारी करना अनिवार्य है। जीईएम पोर्टल पर 258 सीपीएसयू/सीपीएसवी कंपनियां और 57,351 एमएसएमई कंपनियां पंजीकृत हैं।


(7) 6000 करोड़ रुपये की लागत से 20 प्रौद्योगिकी केंद्र और 100 एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना की जानी है। इन नप्रौद्योगिकी और एक्सटेंशन केंद्रों के लिए 99.30 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 10 और एक्सटेंशन केंद्र खोलने की योजना है।


(8) फार्मा क्लस्टर की स्थापना की लागत का 70 प्रतिशत हिस्सा सरकार वहन करेगी। चार शहरों सोलन, इंदौर, औरंगाबाद और पुणे को फार्मा क्लस्टर की स्थापना और साझा सुविधा स्थलों के विकास के लिए चुना गया है।


(9) 8 श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमन के तहत साल में एक बार रिटर्न फाइल करना है।


(10) इंस्पेक्टर द्वारा प्रतिष्ठानों के दौरा को लेकर फैसला कम्प्यूटरीकृत रैंडम आवंटन के लिए जरिए किया जाएगा। 3080 इंस्पेक्शन कराए गए हैं और इनकी सभी रिपोर्ट श्रम सुविधा पोर्टल पर अपलोड की गई हैं।   



वित्‍तवर्ष 2020-25 में अवसंरचना क्षेत्र में 102 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में भारत के अवसंचरना क्षेत्र के रुझानों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।


समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि विकास के लिए अवसंरचना के क्षेत्र में निवेश करना अनिवार्य है। बिजली की कमी, अपर्याप्त परिवहन सुविधा तथा कमजोर संपर्कता से कुल मिलाकर विकास संबंधी निष्पादन प्रभावित होता है। चूंकि पर्याप्त अवसंरचना का प्रावधान होना समावेशी विकास के लिए अनिवार्य है, भारत ने हाल में वित्‍त वर्ष 2020-2025 की पांच वर्ष की अवधि के लिए एक राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरूआत की है।


भारत को 2024-2025 तक पांच ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर के जीडीपी तक पहुंचने के लिए, अवसंरचना पर इन वर्षों में लगभग 1.4 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) व्यय करने की आवश्यकता है, ताकि‍ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अवसंरचना की कमी होना किसी प्रकार रुकावट न बने। एनआईपी से अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं को अच्छी तरह तैयार किया जा सकता है, जिससे रोजगार का सृजन होगा, जीवन स्तर में सुधार होगा और सबके लिए अवसंरचना के क्षेत्र में समान पहुंच कायम होगी। इस प्रकार विकास को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।


एनआईपी के अनुसार, केंद्र सरकार (39 प्रतिशत) और राज्य सरकारों (39 प्रतिशत) से अपेक्षा है कि वे निजी क्षेत्र (22 प्रतिशत) के बाद परियोजनाओं के वित्तपोषण में बराबर हिस्सेदारी करेंगी। फिलहाल 42.7 लाख करोड़ रुपये (42 प्रतिशत) लागत की परियोजनाएं क्रियान्वयन के अधीन हैं। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का वित्तपोषण एक चुनौती होगी, लेकिन समीक्षा में आशा व्‍यक्‍त की गई है कि अच्छी तरह से तैयार की गई परियोजनाओं के बल पर केंद्र और राज्य सरकार, शहरी स्थानीय शासन, बैंक और वित्तीय संस्थान, पीई फंड और निजी निवेशक इनमें निवेश के लिए आकर्षित होंगे।


आर्थिक समीक्षा में रेल, सड़क परिवहन, नागर विमानन, शिपिंग, टेलीकॉम, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, बिजली, खनन, आवास और शहरी अवसंरचना से संबंधित क्षेत्रवार विकास का मूल्यांकन किया गया है।


सड़क क्षेत्र


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि सड़क परिवहन सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) में अपने योगदान के संदर्भ में परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है। 2017-2018 में जीवीए में परिवहन क्षेत्र का हिस्सा लगभग 4.77 प्रतिशत था, जिसमें सड़क परिवहन का हिस्सा 3.06 प्रतिशत है, इसके बाद रेलवे (0.75 प्रतिशत), हवाई परिवहन (0.15 प्रतिशत) और जल परिवहन (0.06 प्रतिशत) है।


2014-15 से 2018-19 के पांच साल की अवधि में सड़कों और राजमार्ग क्षेत्र में कुल निवेश 3 गुना से अधिक हो गया है।


रेल


समीक्षा में बताया गया है कि वर्ष 2018-19 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 120 करोड़ टन माल ढुलाई की और 840 करोड़ यात्रियों के बल पर यह दुनिया का सबसे बड़ा यात्री वाहक और चौथा सबसे बड़ा माल वाहक बना।


नागर विमानन


नागरिक उड्डयन का व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए, आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि हवाईअड्डों के संचालन, रखरखाव और विकास के लिए भारत में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा 6 और सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 136 व्यावसायिक रूप से प्रबंधित हवाई अड्डे हैं। बिना लाइसेंस वाले हवाई अड्डों (उड़ान) के संचालन की योजना शुरू होने के बाद से कुल 43 हवाई अड्डों का परिचालन किया गया है। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी के संदर्भ में 7 अन्य देशों की तुलना में पहले स्थान पर रहा।


मौजूदा हवाई अड्डे की क्षमता पर दबाव को कम करने के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 तक 100 और हवाई अड्डों को चालू किया जाना है। समीक्षा में बताया गया है कि विकास की तीव्र गति जारी रखने के लिए सरकार एक स्थायी वातावरण उपलब्ध कराती रही है, ताकि भारतीय वाहक 2019 के अंत में लगभग 680 विमानों के अपने बेड़े को वित्त वर्ष 2023-24 तक 1200 विमानों तक बढ़ाकर अपने बेड़े को दोगुना कर सकें।


शिपिंग


शिपिंग के क्षेत्र में तेज विकास की चर्चा करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मात्रा के रुप में व्यापार के 95 प्रतिशत और मूल्य के रुप में व्यापार के 68 प्रतिशत व्यापार की ढुलाई समुद्र के रास्ते होता है। भारत के समुद्री बेड़े में 30 सितंबर, 2019 तक 1419 जहाज शामिल हैं।


देश के प्रमुख बंदरगाहों की 30 मार्च, 2019 तक स्थापित क्षमता 1514.09 एमटीपीए है और वर्ष 2018-19 के दौरान 699.09 मीट्रिक टन सामानों की ढुलाई हुई। समीक्षा में कहा गया है कि शिपिंग मंत्रालय मशीनीकरण, डिजिटाइजेशन, और आसान प्रक्रिया के जरिए संचालन क्षमता में सुधार करने के प्रयास में लगा है। साल 2018 में जहाज पर से माल उतारने और लादने की क्रिया में लगने वाले औसत समय में सुधार हुआ जो  59.51 घंटे रहा जबकि वर्ष 2017-18 में यह 64.43 घंटे था।


दूरसंचार क्षेत्र


दूरसंचार क्षेत्र पर नज़र डालते हुए आर्थिक समीक्षा में बताया गया कि भारत में आज दूरसंचार क्षेत्र में 4 प्रमुख कंपनियां कार्यरत है- इनमें तीन निजी क्षेत्र की और बीएसएनएल एवं एमटीएनएल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। समीक्षा में यह प्रमुखता से बताया गया है कि भारत में डेटा मूल्य दुनिया भर के देशों में सबसे सस्ता है जिससे डिजिटल इंडिया अभियान के हिस्से के रूप में ब्रॉडबैंड हाइवेज का विकास करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार देश की सभी 2.5 लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए चरणबद्ध तरीके से भारत नेट कार्यक्रम लागू कर रही है।


पेट्रोलियम एवं प्राकृति गैस   


      आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति कोयला, कच्चा तेल, अक्षय ऊर्जा और प्राकृतिक गैस से होती है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ाने, घरेलू एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने और मौजूदा क्षेत्रों से तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति में सुधार कर रहा है। साल 2019 में कच्चे तेल के भंडार में वृद्धि हुई है।


समीक्षा में कहा गया है कि भारत में 249.4 एमएमटीपीए की शोधन क्षमता है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है। पेट्रोलियम ईंधन एवं पेट्रो रसायन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत की शोधन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।


      समीक्षा में कहा गया है कि तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निजी संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई सुधार उपाय किए हैं, जिनमें सरलीकृत राजकोषीय और अनुबंध की शर्तें,  श्रेणी-2 के तहत अन्वेषण ब्लॉकों और बिना किसी उत्पादन या सरकार को राजस्व साझा के तीन तलछटी घाटियों की नीलामी, राजकोषीय प्रोत्साहनों का विस्तार करके खोजों का शीघ्र मुद्रीकरण, विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता सहित  गैस उत्पादन को प्रोत्साहित करना, नवीनतम प्रौद्योगिकी और पूंजी का समावेश,  राष्ट्रीय तेल कंपनियों में अधिक कार्यात्मक स्वतंत्रता और नामांकन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने में निजी क्षेत्रों की भागीदारी शामिल हैं।


बिजली


आर्थिक समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधर कर 76वें स्थान पर आ गई है। बिजली के उत्पादन और संचारण में भी सार्वभौमिक विद्युतीकरण प्रगति हुई है। मार्च 2019 में 3,56,100 मेगावाट की स्थापित क्षमता 31 अक्टूबर 2019 को बढ़कर 3,64,960 मेगावाट हो गई है।  


समीक्षा में यह कहा गया है कि समेकित विकास और जीवन को आसान बनाने के लिए बिजली का उपयोग आवश्यक है। 25 सितंबर, 2017 को 1,6,320 करोड़ की लागत से  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरूआत हुई जिसका उद्देश्य 31-03-2019 तक सभी घरों का विद्युतीकरण करना था। समीक्षा में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के चरमपंथ प्रभावित बस्तर क्षेत्र के कुछ घरों को छोड़कर सभी राज्यों के सभी घरों का विद्युतीकरण कर दिया गया है जिसकी रिपोर्ट सौभाग्य पोर्टल पर मौजूद है।


खनन क्षेत्र


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत 95 खनिजों का उत्पादन करता है जिसमें चार हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज, पांच परमाणु खनिज, 10 धातुएं, 21 गैर-धातु और 55 लघु खनिज शामिल हैं। वर्ष 2018-19 के दौरान जीवीए में खनन और उत्खनन क्षेत्र का योगदान लगभग 2.38 प्रतिशत है। समीक्षा में कहा गया है कि नीतिगत सुधारों की वजह से खनिजों के उत्पादन में उल्लेखनीय बदलाव आया है और पिछले साल की तुलना में इसमें वर्ष 2018-19 के दौरान मूल्य के रूप में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।


आवास और शहरी बुनियादी ढांचा


आर्थिक समीक्षा में निर्माण क्षेत्र के बारे कहा गया है कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 8.24 प्रतिशत है, जिसमें आवास शामिल है और कुल कार्यबल का लगभग 12 प्रतिशत इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) जून 2015 में शुरू की गई थी। समीक्षा में कहा गया है कि यह दुनिया की सबसे बड़े आवास योजनाओं में से एक है, जिसमें पूरे शहरी भारत को शामिल किया गया है और यह चार ऊर्ध्वाधरों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। यह योजना 2020 तक सभी को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है। अब तक 32 लाख घर बना कर वितरित कर दिये गए हैं।


समीक्षा में कहा गया है कि 100 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के शुभारंभ के बाद से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 5,151 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। 22,569 करोड़ रुपये की कुल 1,290 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कार्यरत हैं।



प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 के विजेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत का मूल पाठ

राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार के आप सभी विजेताओं को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। अब आप बधाई लेते-लेते थक गए लगते हो। बधाई ज्‍यादा हो गई ना? कम है कि ज्‍यादा हो गई; ऐसा तो नहीं हुआ ना? अच्‍छा, यहां आते समय मास्‍टरजी ने कहा होगा वहां बिल्‍कुल discipline में रहना है, हाथ-पैर नहीं हिलाने, ऐसा बोला होगा। हां....ये गड़बड़ है। यहां आ करके कैसा लग रहा है आप लोगों को? मतलब क्‍या – मौसम अच्‍छा लग रहा है? राष्‍ट्रपति भवन देखा…पूरा..और आज क्‍या देख रहे हैं? पेड़-पौधे ?


आप में से कितने लोग हैं जो पहली बार दिल्‍ली आए हैं? अच्‍छा...बाकी सब बार-बार आ चुके हैं.. सब परिचित हैं। ये जो पीछे लोग हैं उनके लिए सवाल नहीं हैं मेरे...ये सब बच्‍चों के लिए हैं। वरना prompting पीछे से हो रहा है।


वैसे दिल्‍ली आने का अपना ही एक उत्‍साह होता है, फिर भी मुझे पता है कि आपको जरा जल्‍दी जाने का मूड करता होगा, घर जाने का। देखिए, आपको पक्‍का मन करता होगा जल्‍दी घर जाएं, क्‍या-क्‍या हुआ दोस्‍तों को बताएं, फोटो दिखाएं, अपना अवॉर्ड दिखाएं, दिल्‍ली के अनुभव सुनाएं, दिल्‍ली की ठंड कैसी है, वो बताएं, ऐसा मन करता है ना? किसी का भी करता है जी, अपने सा‍थियों को अपनी अच्‍छी-अच्‍छी बातें बताने का मन हर किसी को करता है। आपको नहीं करता है?


देखिए, पूरी यात्रा की ढेर सारी कहानियां होंगी, जो आप सुनाना चाहते होंगे। आप भले ही न कहते हों, लेकिन आपका मन करता होगा, पहले जा करके दादीजी को तो ये कहना ही कहना है, ऐसा मन करता होगा। और कुछ लोग होंगे जो घर जा करके कहेंगे, देखो आप मुझे मना कर रहे थे, अब पता चला ना मैं अच्‍छा-अच्‍छा काम कर रहा हूं। तो अब आप लोग घर में जा करके मम्‍मी-पापा को डांटोगे? बताओगे- हां-हां देखो हमारे पास फोटो है राष्‍ट्रपति जी के साथ, हम अवॉर्ड लेकर आए हैं, ऐसा करोगे ना? नहीं करोगे? ऐसा हो सकता है क्‍या? अच्‍छा छुपा करके करना, चोरी-छिपे से करना। करेंगे, नहीं करेंगे?


ये क्‍या बचपन खो दिया है आपने? अरे बचपन तो बचा रहना चाहिए। आपका बचपन खो गया है। जिसको ये मन न करे कि मम्‍मी–पापा को भी जा करके बताऊंगा, ये कहूंगा, उनको ये सुनाऊंगा, तो फिर तो आपने बचपन खो दिया है आपका। तो आपको अलग खुला नहीं छोड़ते हैं मम्‍मी-पापा, पीछे लगे रहते हैं? उनको भरोसा नहीं है, छोटे बच्‍चे हैं क्‍या करेंगे, ऐसा लग रहा है ना? अगली बार बताइए उनको कि मुझे अकेले कहीं जाने दो।


देखिए, थोड़ी देर पहले आप सभी का जब परिचय हो रहा था, तो मैं सचमुच में बहुत हैरान था। इतनी कम आयु में जिस प्रकार से आप सभी ने अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ न कुछ करके दिखाया है, कोई प्रयास किए, कोई काम किया है, आपको तो समाधान होगा ही होगा लेकिन आज के बाद आपको कुछ और करने का मन कर जाएगा। और अधिक अच्‍छा करने का इरादा हो जाएगा।


और मैं समझता हूं कि ये सारे जो awards वगैरह होते हैं ना, वो आखिरी मुकाम नहीं होता है। एक प्रकार से ये beginning होता है। जब कोई recognize करता है तो मन को अच्‍छा लगता है। एक प्रकार से ये जिंदगी की शुरूआत है। और आपने मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने का साहस दिखाया। आप में से कुछ वीर बालक हैं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्‍होंने गंभीर बीमारियों से लोगों को बाहर निकालने के लिए, ease of living के लिए कई नए-नए innovation किए हैं। किसी ने आर्ट एंड कल्‍चर में, किसी ने स्‍पोर्ट्स में, तो किसी ने शिक्षा साहित्‍य में, तो किसी ने समाज सेवा में; विविधताओं से भरा हुआ आपका योगदान रहा है।


आप अपने समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी... आपने देखा होगा मैंने लालकिले से एक बात कही थी, याद है किसी को...लाल किले से कुछ कहा था? याद है ? बहुत कुछ कहा था, कुछ भी कहोगे तो सच निकलेगा। एक बात मैंने कही थी- ‘कर्त्तव्‍य पर बल’। ज्‍यादातर हम अधिकार पर बल देते हैं। अब देश की आजादी को 75 साल होने वाले हैं, तो कब तक अधिकार पर बल देते रहेंगे? अब कर्त्तव्‍य पर बल देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? Duty को प्राथमिकता कि rights को प्राथमिकता? पक्‍का, सब सहमत हैं, चलिए हमने आज एक कानून पास कर दिया।


देखिए, आप अपने समाज के प्रति, राष्‍ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी से और उसके लिए जिस प्रकार से जागरूक हैं, ये सिर्फ आपके माता-पिता को नहीं, आपके परिवारजनों के लिए, जो भी आपके बारे में जानेगा उन सबको गर्व होगा, उनको पक्‍का गर्व होगा।


देखिए, मैं एक काम करूंगा, आप सबकी फोटो के साथ मैं आज आपकी जो स्‍टोरी है, उसको मैं सोशल मीडिया में दुनिया से शेयर करूंगा। हर individual, कैसे आपने किया है, कहां से आए हैं, कैसा रहा है; मैं लिखूंगा उसमें। लेकिन कुछ गलती हो जाए तो फिर आप नाराज मत हो जाना, क्‍योंकि कभी-कभी जानकारियों में गलती हो जाती है।


देखिए दोस्‍तो, आप सब कहने को तो बहुत छोटी आयु के हैं, कम आयु के हैं, लेकिन आपको पता है आपने जो काम किया है, उसको करने की बात छोड़ दीजिए, सोचने में भी बड़े-बड़े लोगों को पसीने छूट जाते हैं। आप में से जिन्‍होंने innovation किया होगा, जब अपने टीचर को बताओगे तो टीचर भी कहेगा, तुम मुझे परेशान मत करो, तुम जाओ। उनको दिमाग खपाते होंगे, टीचर भी नाराज हो जाते होंगे। उनको लगता होगा ये बच्‍चा इतना bright है, ये मेरे पल्‍ले कैसे पड़ गया, ये मुझे पढ़ाता है। ऐसा होता है ना? देखिए, मैं एक बात बताऊं आपको, आप अपने सभी friends और teachers को जरूर बताइएगा। मैं आप सभी युवा साथियों के ऐसे साहसिक काम के बारे में जब भी सुनता हूं, आपसे बातचीत करता हूं, तो मुझे भी प्रेरणा मिलती है, आपसे मैं भी कुछ सीखता हूं। अभी एक बच्‍चे ने मुझे पूछा कि आप इतना काम करते हैं तो मां की याद नहीं आती है; याद करता हूं तो सब थकान उतर जाती है।


सा‍थियो, आप जैसे बच्‍चों के भीतर छुपी इस प्रतिभा को प्रोत्‍साहित करने के लिए ही ये राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों का दायरा बढ़ाया गया है। और ये सिर्फ आपको पुरस्‍कार मिल रहा है, ऐसा नहीं है, इस अवसर के कारण देशभर के बच्‍चों का इन चीजों पर ध्‍यान जाता है। एक प्रकार से आप उनके लिए हीरो बन जाते हैं, आप उनके लिए inspiration बन जाते हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर में बैठा हुआ कोई बच्‍चा होगा, लद्दाख में बैठा हुआ बच्‍चा होगा, नागालैंड में बैठा हुआ बच्‍चा होगा; वो केरल के किसी बच्‍चे की कथा सुनेगा तो उसको लगेगा अच्‍छा! हमारे देश के बालक ऐसा कर रहे हैं? ये अपने आप में- कई गुना इसका प्रभाव पैदा होता है, इसकी तरंगें चलती रहती हैं। Waves लगातार नीचे प्रभावित करते रहते हैं और इसलिए इन चीजों की तरफ, इन घटनाओं को कभी कम नहीं आंकना चाहिए, उसका अपना एक महत्‍व है। लेकिन कभी-कभी क्‍या होता है, जब नाम हो जाए, अखबार में तस्‍वीर छप जाए तो फिर हम भी जमीन से दो-तीन फीट ऊपर चलते हैं ना, फिर पैर जमीन पर नहीं पड़ते हैं, ऐसा हो जाता है ना? फिर घर में भी- देखिए, मुझे कोई काम मत बताइए, मैं National award लेकर आया हूं, ऐसा होता है ना? तो क्‍या ऐसा करोगे आप लोग? पैर जमीन पर रखोगे?


अधिकतम लोगों के जीवन में दो पड़ाव आते हैं- एक सहज भाव से अच्छा करता चला जाता है और जब कहीं recognized हो जाता है, फिर जाने-अनजाने में हवा भर जाती है और फिर वो उसी धुन में रहता है आगे कुछ नया नहीं कर पाता है। उसको लगता है बस हो गया, फोटो छप गई, दिल्‍ली हो आया, राष्‍ट्रपति भवन हो आया, अब क्‍या है। ज़िन्दगी में सब हो गया है। ज़िन्दगी इतनी छोटी नहीं है।


दूसरे वो लोग होते हैं- अगर कुछ किया, कहीं recognized हुआ तो उसी को वो अपनी प्रेरणा बना लेते हैं, उसी को अपनी प्रतिज्ञा बना लेते हैं, उसी में से पुरुषार्थ करने के रास्‍ते खोजते रहते हैं और वे नई-नई चीजों को हासिल करने के लिए रुकते नहीं हैं, थकते नहीं हैं।


मैं चाहूंगा कि आप कभी भी अपने जीवन में उन दूसरे प्रकार की आदतों को घुसने ही मत देना। अभी जो हुआ है वो कुछ नहीं, ऐसा ही मानकर जाइए। ठीक है, अभी तो मुझे बहुत कुछ करना है, देश को बहुत कुछ देना है, खुद को हर प्रकार से तैयार करना है। ये अगर जज्‍बा ले करके जाते हैं तो आप देखिए, आपको इस अवसर का बहुत बड़ा आनंद मिलेगा, उसमें से कुछ नया सीखने को मिलेगा। तो आप बताइए पहले रास्‍ते पर जाएंगे कि दूसरे? अपने हाथ ऊपर कीजिए, कितने लोग हैं जो पहले रास्‍ते पर जाएंगे? अच्‍छा ये बताइए, जो दूसरे रास्‍ते पर जाएंगे, वो कौन हैं? इसका मतलब आप मेरी बात समझे नहीं? मैं ये कह रहा था कि एक रास्‍ता वो होता है जो पहला रास्‍ता, कि जिसमें इसको आप अंतिम नहीं मानते हैं, इसको आप शुरूआत मानते हैं। आपके पैर जमीन से उखड़ नहीं जाते हैं, आप हवा में उड़ने नहीं लगते और कुछ और अधिक करने का संकल्‍प करते हैं, ये पहला रास्‍ता है। दूसरा- यार बहुत हो चुका, अब फोटो छप गई, टीवी में आ गए, अब क्‍या करना है, सो जाओ। तो बताइए कि पहला रास्‍ता है कि दूसरा? पक्‍का, देखिए, पहले गलती की थी ना?


अच्छा, मैं आपसे कुछ सवाल पूछता हूं। आप में से कौन इतने लोग हैं जिनको दिन में चार बार पसीना आता है, भरपूर पसीना आता है, पूरा पसीना-पसीना शरीर हो जाता है, जैसे कोई भी सीजन हो, ठंडी हो, गरमी हो। जिसको चार बार दिन में पूरा पसीना निकलता है, कैसे निकलता है, धूप में खड़े रहते हैं? Morning exercise में? और कोई ? देखिए एक भी बालक ऐसा नहीं होना चाहिए, अपने दोस्‍तों को भी बताइए कि जिसको दिन में चार बार पसीना नहीं आए, ऐसा एक भी बालक नहीं होना चाहिए। मुझे एक बार किसी ने बहुत साल पहले किसी ने पूछा था कि आपके चेहरे पर इतना तेज क्‍यों है तो मैंने बड़ा आसान जवाब दिया था- मैंने कहा मेरे शरीर में इतना पसीना निकलता है, मेहनत करता हूं और मैं उसी पसीने से मालिश करता हूं, इसलिए चमक जाता है। अच्‍छा आप में से कितने लोग हैं जो पानी पीते हैं तो खड़े-खड़े पीते हैं, बैठ करके नहीं पीते? ऐसे कितने लोग हैं? देखिए, पानी जब पीते हैं तो बैठ करके पीजिए। छोटी चीज है लेकिन आपको जा करके उसका शास्‍त्र कोई समझाएगा, मैं उस चक्‍कर में नहीं पड़ता हूं। करेंगे ये?


अच्‍छा आपमें से कितने हैं जो पानी दवाई की तरह पीते हैं? कुछ लोग होंगे जो पानी जूस की तरह पीते होंगे, पानी का भी आनंद लेते होंगे। कुछ लोग होते होंगे दवाई की तरह...आप कितने हैं जो पानी को पानी का मजा लेते हैं, पानी का टेस्‍ट करते हैं? Enjoy करते हैं। आप कोशिश कीजिए पानी का टेस्‍ट होता है, वो शरीर को बहुत फायदा करता है, आप उसको enjoy कीजिए। दवाई की तरह ऐसे पानी लगा दिया, ऐसे मत कीजिए। करेंगे? आप कहेंगे- ऐसे क्‍या फायदा, मां तो कहती है पढ़ाई करो, मैं पांच मिनट तक पानी पी रहा हूं, तो झगड़ा हो जाएगा ना। कभी-कभी मां दूध ले करके आती है, मां को काम है, टीवी सीरियल चल रहा है तो मां कहती है, चल जल्‍दी दूध पी ले और आप वो दूध भी दवाई की तरह पी जाते हो, क्‍योंकि मां को सीरियल देखना है। ऐसा होता है ना? कौन सा- सास भी कभी बहू थी?


छोटी-छोटी चीजें होती हैं, हमने बचपन में शरीर को जो आदतें डाली होती हैं वो जीवनभर काम आती हैं और मन में वो एकदम से फिट बैठ जाती हैं। आपको मालूम है देश में एक अभियान चल रहा है, ‘फिट इंडिया’, पता है? कितनों को मालूम है? तो फिट इंडिया के लिए किस दर्जी के पास जाते हो, किस tailor के पास जाते हो? कौन, फिट इंडिया के लिए tailor के पास कौन जाता है, तो क्‍या करते हैं फिट इंडिया के लिए कोई बताएगा? नहीं, क्‍या करते हैं? exercise कहने से थोड़ा ही होता है, कोई कहेगा मैं सूर्य नमस्‍कार करता हूं, कोई कहता है मैं साइकलिंग करता हूं, कोई कहता है मैं स्‍वीमिंग करता हूं...क्‍या करते हैं? अच्‍छा आप में से कितने लोग हैं फटाफट पेड़ पर चढ़ जाते हैं, फिर उतर जाते हैं? घरवालों को चिल्‍लाना पड़ता है, अरे नीचे उतरो, नीचे उतरो- ऐसे कितने लोग हैं?


देखिए साहस- ये हमारे स्‍वभाव में होना चाहिए। यहां पैर रखूंगा तो गिर जाऊंगा, तो ये करूंगा तो- ऐसे जिंदगी नहीं जीते। साहस के बिना जीवन संभव नहीं है। आप छोटी-छोटी चीजों का साहस करने की आदत बनाओगे तो आगे चलकर वो भी बहुत काम आएगा। और आप जैसे लोग जब करेंगा ना, तो बाकी 50 लोग देखेंगे- अरे देखो, ये भी करता है। इतना अवॉर्ड लेकर आया, फिर भी इतनी मेहनत करता है। इतना मान-सम्‍मान ले करके आया, लेकिन देखिए ये काम कर रहा है। तो क्‍या होगा- बहुतों को प्रेरणा मिलेगी। करोगे? पक्‍का करोगे? तो परसों 26 जनवरी की तैयारी? तो सिखाया गया होगा, ऐसे-ऐसे करो? दाहिने हाथ से करना है कि बाएं हाथ से? ये नहीं बताया। जिस तरफ लोग होंगे, उस तरफ करना है। अरे हम होंगे तो पांच मीटर, दस मीटर तक ही होंगे, बाकी तो बहुत भीड़ होती है।


चलिए, मुझे बहुत अच्‍छा लगा आप लोग enjoy कीजिए और दिल्‍ली में बहुत कुछ देखिए। अलग-अलग जगह पर जाइए। लालकिले में आपको मालूम होगा, नेताजी सुभाष बाबू को ले करके, क्रांतिकारियों को ले करके बहुत अच्‍छा म्‍यूजियम बना है। देखेंगे आप लोग? देखकर आए, ले जाने वाले हैं? अच्‍छा वॉर मेमोरियल देखा? हैं, नहीं देखा। देखिए, वॉर मेमोरियल भी देखने जाना चाहिए। और अपने राज्‍य का कोई एकाध भी जो वीर शहीद हुआ होगा, उसका नाम पढ़ करके, लिख करके ले जाना, अपने घर पर। अगर मोबाईल फोन है तो उसकी फोटो निकाल करके ले जाना। देखिए, कर्नाटक के ये वीर शहीद का नाम है, उसका फोटो लेकर जाना चाहिए। किसी को दिखाना चाहिए- देखिए, हमारे कर्नाटक के वीर शहीद का नाम वहां वॉर मेमोरियल में है। हरेक को अपने-अपने राज्‍य का ढूंढना चाहिए। ऐसे ही देखकर नहीं आना चाहिए वो जो नाम लिखे हैं ना उन पर तुम्‍हें गर्व होना चाहिए। यहां एक पुलिस मेमोरियल भी बना है, देखने जाओगे? आपको मालूम है ये देश में 33 हजार से ज्‍यादा पुलिस, कभी-कभी लोग पुलिस से नफरत करते हैं ना? पुलिसवाले कहते हैं, चलो इधर चलो, साइकिल यहां मत रखो, बहुत गुस्‍सा होता है ना? 33 हजार पुलिस देश के नागरिकों की रक्षा के लिए शहीद हुए हैं आजादी के बाद। आंकड़ा बहुत बड़ा है, 33 हजार। उस पुलिस के प्रति आदर का, गौरव का भाव बनना चाहिए, देखिए समाज जीवन में एक बदलाव शुरू हो जाएगा। पुलिस मेमोरियल देखोगे ना तो आपको लगेगा कि ये इतना काम होता रहा, ये ऐसे करते रहे। करोगे? पक्‍का करोगे?


चलिए, बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपको। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।