Friday, February 28, 2020

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र ने समुद्र आधारित उपयोगकर्ताओं के लिए तीन नए उत्पाद जारी किए

हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने अपने विविध उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए तीन नए उत्पाद जारी किए हैं। आईएनसीओआईएस समुद्री क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं के लिए कई निःशुल्क सेवाएं प्रदान करता है। ये संस्थान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र अपने विविध उपयोगकर्ता समुदाय से विशिष्ट सेवाओं के लिए मिले अनुरोधों को वरीयता देता है। इस समुदाय में मछुआरों से लेकर अपतटीय तेल अन्वेषण उद्योग तक शामिल हैं।


इन नए उत्पादों में से एक है 'लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली' (स्मॉल वेसल एडवाइज़री एंड फोरकास्ट सर्विसेज़ सिस्टम - एसवीएएस)। इसे कई छोटे समुद्री जहाजों, विशेष रूप से मछली पकड़ने वाले जहाजों के परिचालन में सुधार के लिए लाया गया है जो भारत के तटीय जल में विचरण करते हैं। इस दौरान 'स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम' भी लॉन्च किया गया जो भारत की विशाल तटरेखा के पास बसी आबादी के लिए पूर्वानुमान प्रदान करेगा, जो उन लहरों के उफान के चलते कई तरह के नुकसान का सामना करती है। ये लहरें सुदुर दक्षिणी हिंद महासागर से उत्पन्न होती हैं।इन तीन उत्पादों में आखिरी है ‘एलगल ब्लूम इनफॉर्मेशन सर्विस’ (एबीआईएस) जो ऐसी हानिकारक काई यानी शैवालों के खिलने के समय को लेकर जानकारी प्रदान करता है जो तटीय मत्स्य पालन के लिए हानिकारक है और समय-समय पर तटीय आबादी के बीच सांस संबंधी समस्याओं को जन्म देते हैं।


ये तीनों उत्पाद तटीय आबादी और सेवा / उत्पाद उपयोगकर्ताओं के लिए नुकसान को महत्वपूर्ण ढंग से कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रत्येक उत्पाद का विवरण निम्नलिखित हैं:


लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली (एसवीएएस): लघु पोत एडवाइज़री और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली दरअसल भारतीय तटीय जल में काम करने वाले छोटे जहाजों के लिए एक नवीन प्रभाव-आधारित सलाह और पूर्वानुमान सेवा प्रणाली है। ये प्रणाली उपयोगकर्ताओं को दस दिन पहले ही उन संभावित क्षेत्रों के बारे में चेतावनी देती है जहां जहाज पलट सकता है। ये एडवाइज़री 7 मीटर तक की चौड़ाई वाली बीम के छोटे जहाजों के लिए वैध होती है। यह सीमा भारत के सभी 9 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपयोग किए जाने वाले मछली पकड़ने के जहाजों की बीम चौड़ाई की पूरी श्रंखला को कवर करती है। ये चेतावनी प्रणाली 'बोट सेफ्टी इंडेक्स’ (बीएसआई) पर आधारित है जो लहर मॉडल के पूर्वानुमानों से प्राप्त होती है जैसे कि बड़ी ऊंचाई वाली लहर, लहर की ढलान, दिशात्मक प्रसार और समुद्र में हवा का तेजी से विकास जो नाव-विशिष्ट है।


स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम: स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम एक नवीन प्रणाली है जो कल्लकाडल यानी महातरंग उमड़ने (स्वेल सर्ज) की भविष्यवाणी के लिए तैयार की गई है जो भारतीय तट और विशेष रूप से पश्चिमी तट के पास होती है। कल्लकाडल / महातरंग उमड़ना दरअसल एकदम से बाढ़ आने की घटना होती है जो स्थानीय हवाओं या तटीय वातावरण में किसी उल्लेखनीय अग्रिम बदलाव के बिना या फिर तटीय वातावरण में किसी भी अन्य स्पष्ट संकेत के बिना होती हैं। इसलिए स्थानीय आबादी इन बाढ़ की घटनाओं से तब तक पूरी तरह अनजान रहती है जब तक कि वे वास्तव में नहीं हो जाती हैं। इस तरह की घटनाएं पूरे साल रुक-रुक कर होती हैं। कल्लकाडल एक स्थानीय बोलचाल की भाषा है जिसका इस्तेमाल केरल के मछुआरों ने भयंकर बाढ़ के प्रकरणों को संदर्भित करने के लिए किया था और 2012 में यूनेस्को ने औपचारिक रूप से इस शब्द को वैज्ञानिक उपयोग के लिए स्वीकार किया था। कल्लकाडल की घटनाओं के दौरान समुद्र भूमि क्षेत्र में प्रवेश कर लेता है और विशाल क्षेत्रों को जलमग्न कर देता है। इन घटनाओं ने विशेष रूप से हिंद महासागर में 2004 में आई सुनामी के बाद ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि ज्यादातर लोग कल्लकाडल को सुनामी मानने की गलती करते हैं। सुनामी और कल्लकाडल / महातरंग उमड़ना दरअसल दो अलग-अलग प्रकार की लहरें होती हैं जिनके कारण और काम करने के तंत्र पूरी तरह से अलग होते हैं। कल्लकाडल 30 ° S के दक्षिण में दक्षिणी महासागर में मौसम की स्थितियों के कारण होता है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन से पता चला है कि दक्षिणी हिंद महासागर में विशिष्ट मौसम संबंधी परिस्थितियां लंबी अवधि की महातरंगों (स्वेल) के निर्माण में सहयोग करती हैं। एक बार उत्पन्न होने के बाद ये महातरंगें उत्तर की ओर यात्रा करती हैं और 3-5 दिनों के समय में भारतीय तटों तक पहुंचती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आती है। यह प्रणाली अब कल्लकाडल की भविष्यवाणी करेगी और संबंधित अधिकारियों को कम से कम 2-3 दिन पहले चेतावनी दी जाएगी, जो स्थानीय अधिकारियों को आपात योजनाएं बनाने और नुकसान को कम करने में मदद करेंगी।


एलगल ब्लूम इनफॉर्मेशन सर्विस (एबीआईएस): काई या शैवालों के खिलने की बढ़ती आवृत्ति मत्स्य, समुद्री जीवन और पानी की गुणवत्ता पर इसके दुष्प्रभाव के कारण एक प्रमुख चिंता का विषय है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र ने "भारतीय समुद्र में शैवाल का पता लगाने और निगरानी" के लिए एक सेवा विकसित की है। इसके लक्षित उपयोगकर्ता मछुआरे, समुद्री मत्स्य संसाधन प्रबंधक, शोधकर्ता, पारिस्थितिकी विज्ञानी और पर्यावरणविद् हैं। यह सेवा भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र की समुद्री मछली पकड़ने की सलाह यानि संभावित फिशिंग ज़ोन की एडवाइज़री में इजाफा करती है। आईएनसीओआईएस-एबीआईएस उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर पादक प्लवकों (फाइटोप्लांक्टन) के फैलाव और इस स्थानिक-लौकिक घटना को लेकर करीब करीब उसी समय में सीधे जानकारी प्रदान करेगा। तदनुसार उपग्रहों से प्राप्त होने वाले प्रासंगिक आंकड़ों को रोज़ाना एबीआईएस के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। इन आंकड़ों में समुद्र की सतह का तापमान, क्लोरोफिल-ए, एलगल ब्लूम इंडेक्स - क्लोरोफिल, रोलिंग क्लोरोफिल में विसंगति, रोलिंग समुद्री सतह के तापमान में विसंगति, फाइटोप्लांक्टन वर्ग / प्रजाति, फाइटोप्लांक्टन आकार वर्ग और ब्लूम व ग़ैर-ब्लूम क्षेत्रों को अलग अलग बताने वाली एक संयुक्त तस्वीर शामिल है। इसके अलावा चार क्षेत्रों की पहचान ब्लूम हॉटस्पॉट्स के रूप में की गई है। ये क्षेत्र हैं - 1) उत्तर पूर्वी अरब सागर, 2) केरल का तटीय जल, 3) मन्नार की खाड़ी, और4) गोपालपुर का तटीय जल।



यू0पी0जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ब्लॉक बाजार शुकुल की कार्य कारणी गठित।




तहसील अध्यक्ष उपजा प्रदीप सिंह की अध्यक्षता में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 27 फरवरी  2020 दिन गुरुवार को बाजार शुकुल ब्लाक में सम्मानित पत्रकार साथियों की एक बैठक की गयी।जिसमें सर्वसम्मति से ब्लाक अध्यक्ष सरजू प्रसाद तिवारी, उपाध्यक्ष विक्रम भदौरिया ,महा मंत्री रामफेर यादव ,तथा राजेश कुमार पाल को कोषाध्यक्ष सदस्य महफ़ूज अहमद, सुरजीत यादव को मनोनीत किया गया। कार्यकारिणी के गठन पर उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन दिक्षित ने दूरभाष पर सभी को बधाई दी है।इस अवसर पर उपजा के प्रदेश कार्य कारिणी सदस्य पवन कुमार तिवारी तहसील उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह, तहसील महा मंत्री कुमैल रिजबी,व कोषाध्यक्ष समर बहादुर सिंह मौजूद रहे। उपस्थित सभी पत्रकार साथियों ने नव निर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई दी है। 


 

 



 

ठेका सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं :- सलविंदर विराट

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता, रामपुर-उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के बैनर तले नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें ठेका सफाई कर्मचारियों के 2 माह के वेतन ना मिलने पर नाराजगी जताई। शीघ्र ही वेतन देने की मांग की। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के वरिष्ठ नेता सलविंदर विराट ने इस मौके पर कहा एक फर्जी कंपनी ने नगर पालिका परिषद रामपुर में सफाई कर्मियों की फर्जी भर्ती कर हर व्यक्ति से पांच ₹500 की फर्जी रसीदें काटती है।और यह लोग दो माह से कड़ी मेहनत के साथ सफाई का कार्य कर रहे हैं। लेकिन इन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। जिसका जिम्मेदार पालिका प्रशासन है।वरिष्ठ नेता सलविंदर विराट ने कहा कि नगर पालिका परिषद जल्द से जल्द ऐसी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। और 2 माह से लंबित वेतन देने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में सलविंदर विराट, राजीव शर्मा, महफूज अहमद,अर्जुन वाल्मीकि, नीरज गर्ग, आदि लोग उपस्थित रहे।

Thursday, February 27, 2020

स्वीडन के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग का दौरा किया

 स्वीडन की संसद रिक्सदग में संविधान समिति के दस सदस्यीय सांसद प्रतिनिधिमंडल ने आज निर्वाचन आयोग का दौरा किया। रिक्सदग में संविधान समिति की अध्‍यक्ष और सांसद सुश्री करिन एनस्ट्रोम के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल के साथ दो संसदीय अधिकारी और नई दिल्ली में स्वीडन दूतावास के दो राजनयिक भी थे।  प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्तों श्री अशोक लवासा और श्री सुशील चंद्रा से मुलाकात की।


मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। अपने संबोधन में  उन्होंने कहा कि आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, शांतिपूर्ण, समावेशी, सुलभ, नैतिक और सहभागी चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारत में हुए पिछले राष्ट्रीय चुनावों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों का उपयोग करते हुए  पिछले लोकसभा चनावों और हाल ही में संपन्‍न राज्‍य विधान सभा चुनावों में चुनावी  प्रक्रिया को बाधामुक्‍त और मतदाताओं के अनुकूल बनाने के लिए कई नवीन उपाय किए गए। उन्होंने कहा कि दिव्‍यांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मतदान को सुलभ करने पर विशेष ध्यान दिया गया था। श्री अरोड़ा ने मेहमान सांसदों और अधिकारियों को चुनाव आयोग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी। इसमें नई दिल्ली में भारत ए-वेब (एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज) सेंटर की स्थापना शामिल है जहां 115 सदस्यीय संघ के साथ बेहतर कार्यप्रणाली साझा करने और उसकी क्षमता निर्माण के उद्देश्‍य से प्रलेखन, अनुसंधान और प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग भविष्‍य में स्‍वीडन चुनाव प्राधिकरण के साथ काम करने को उत्‍सुक है।


चुनाव आयुक्त श्री अशोक लवासा  ने कहा कि आयोग ने लोकतंत्र की प्रगति को फैलाने के लिए कई कदम उठाए हैं। चुनाव आयुक्त श्री सुशील चंद्रा  ने प्रतिनिधिमंडल को चुनाव में धनशक्ति के उपयोग को रोकने के लिए आयोग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी।


रिक्सदग में संविधान समिति की अध्यक्ष और सांसद सुश्री करिन एनस्ट्रोम ने स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत करने के लिए आयोग का धन्यवाद किया। उन्होंने स्वीडन की चुनावी प्रणाली के बारे में बताया, जहां एक साथ नगरपालिका, काउंटी और राष्ट्रीय चुनाव कराए जाते हैं। सुश्री एनस्ट्रॉम ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल भारतीय चुनावों के परिमाण  और इसे संपन्‍न कराने के चुनाव आयोग के तरीकों से प्रभावित है।


चुनाव आयोग के महासचिव श्री उमेश सिन्हा ने विश्‍व में सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया के  प्रबंधन की संरचना और कामकाज के बारे में एक प्रस्तुति दी। स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल के लिए संसदीय चुनाव-2019 पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।