Friday, February 28, 2020

आपस में मिल-जुलकर रहें 

1947 के बंटवारे का दर्द वो ही समझ सकते हैं, जिन्होंने उस दर्द को स्वयं सहा है | अगर हम समझ पाते तो आज हम सब भारतीय होते न कि गुजराती, मराठी, पंजाबी, बिहारी, दक्षिणी-पश्चिमी, उत्तरी... | आजादी के बाद भी हमने आजाद भारत में तमाम दंगे किये हैं | कभी राजनीति के शिकार होकर तो कभी धर्म में अंधे होकर | राम-रहीम की लड़ाई में मानवता कब दफन हो गई पता भी नहीं चला |

क्या भारत की नई पीढ़ी जानती है कि 1947 के दंगे कितने भीभत्स, भयानक थे | कत्ल, मारकाट, बलात्कार जैसे घिनौने कुकर्म किये गये वो भी सौ - दो सौ की संख्या में नहीं हजारों हजार की संख्या में, अपहरण, लूट, विश्वासघात, धर्मांतरण की ऐसी आँधी आई थी उस दौर में, जिन लेखकों ने उस बंटवारे की घटना का जिक्र किया है वे रो-रोकर ही लिख पाये | 

बंटवारे की हैवानियत का सबसे बड़ा शिकार पंजाब हुआ था | उस दंगे में इंसान ही इंसान के खून का प्यासा हो गया था | दहशत भरे उस काल में करीब 10 लाख से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था | क्या हम बीते खूनी इतिहास से कुछ सीख लेंगे | आपको बतादें कि बंटवारे के जिम्मेदार हमारे देश के ही कुछ स्वार्थी नेता थे | और आज भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी स्वार्थ भरी रोटियां सेकने के लिए दंगों को भड़काने का कार्य करते हैं |  साथियों भारत में अलग-अलग भाषायें, रीति-रिवाज, धर्म, पहनावा है, लेकिन हम सब भारतीय हैं | हम किसी एक प्रांत तक सीमित न रहें | हम जैसे भी हैं, हैं तो भारतवासी  

हमारा संबिधान, हमारे धर्म हमें एक रहने की शिक्षा देते हैं | मानव मात्र ही नहीं सम्पूर्ण जीवजन्तुओं से प्रेम करने की शिक्षा देते हैं हमारे महापुरुष | साथियों! किसी के बहकावे में न आयें, हमेशा अपनी मातृभूमि - जन्मभूमि की सेवा में तत्पर रहें | आपस में मिल-जुलकर रहें | क्योंकि आज हमें जरूरत है इंसानियत की, आदमी आदमी की सहायता करे...  एक-दूसरे की खुशियों में शामिल हों, एक-दूसरे के दुख दर्द बांटें | हम नफरत कब तक करते रहेंगे ,कब तक एक-दूसरे का अपमान करते रहेंगे | यह सारी प्रथ्वी प्यार स्नेह की भूखी है | माफ कीजिये दोस्तों... धर्म से बढ़कर इंसानियत है | इंसानियत हमारे साथ पैदा होती है और हमारे जाने के बाद भी जिंदा रहती है | धर्म बाद में पैदा होता है और हमारे साथ ही मिट जाता है | हमें अपनी आत्मा विषैली नहीं, अमृतमयी बनानी है | खून-खराबे से दूर मानवी सज्जनता में जीना है | यही हमारे धर्म हमें शिक्षा देते हैं | तो आइये मित्रों आपस में मिलजुलकर रहें |

नेताओं के बहकावे में कतई नहीं आयें | क्या आपने कभी किसी नेता या उसके परिवारी जन को दंगों की भेंट चढते देखा है | और तो और उस धर्म गुरू और उसके परिवारी जन को दंगों में मरते-कटते देखा है जो कहते हैं हमारा धर्म संकट में है, नहीं न तो भले मानुषों आपस में लड़ो मत सवाल करो सरकार से भूख पर, गरीबी पर, बेरोजगारी पर, शिक्षा पर न कि धर्म पर... 

तुम भूखें नंगों ने कभी सोचा है कि जिस धर्म गुरू, नेता, पार्टी का झंड़ा उठाये फिरते हो उसकी सम्पत्ति कितनी है | सच्चाई सुनोगे तो शायद बेहोश हो जाओगे | अरे भुल्लकड़ भारतीय जनता अपने इतिहास से कुछ सीखो और धर्म-वर्म को भूलकर अपने परिवार, अपने राष्ट्र की सोचो | ये हिंदू - मुस्लिम, सिख - ईसाई वाला खेल बहुत खेल लिया, अब बंद करो | जब राष्ट्र का जन-धन जलकर खाक हो जाता है तब इस देश की पुलिस - अन्य सुरक्षा बल हरकत में आते हैं और जब मजदूर, आदिवासी, किसान अपने हक की थोड़ी सी आवाज उठायें तो बड़ी बेदर्दी से उनकी आवाज दबा दी जाती है | पता है क्यों? क्योंकि यह सब स्क्रिप्ट द्वारा किया जाता है | सारी पटकथा नेताओं द्वारा लिखी जाती है | पुलिस - सेना तो बस नेताओं के हाथों की कठपुतली बनकर रह जाते हैं | उनके इसारे पर ही अपना खेल दिखाते रहते हैं | 

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली में कानून और व्यवस्था की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया

केंद्रीय गृह मंत्री, श्री अमित शाह ने दिल्ली के उत्‍तर-पूर्वी जिले में हाल में हुए दंगों के मद्देनजर कानून और व्यवस्था की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए एक समीक्षा बैठक की। बैठक में अन्‍य लोगों के अलावा केन्‍द्रीय गृह सचिव, दिल्ली के पुलिस आयुक्‍त और विशेष पुलिस आयुक्‍त, कानून और व्यवस्था शामिल हुए।


श्री शाह ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर विश्वास न करें और और न ही साम्प्रदायिक तनाव फैलाने में दिलचस्पी लेने वाले उपद्रवी तत्वों और समूहों के नापाक इरादों का शिकार बनें। दिल्ली के 203 पुलिस थानों (भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 4.2%) में से केवल 12 पुलिस थाने इन दंगों से प्रभावित हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में अन्‍य स्‍थानों पर सामान्य स्थिति और सांप्रदायिक सद्भाव बना हुआ है। दिल्ली पुलिस को समाज के सभी वर्गों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश है और वह इसके लिए बाध्य है।


समीक्षा बैठक की प्रमुख बातें:



  • उत्‍तर-पूर्वी जिले के किसी भी प्रभावित पुलिस स्टेशन में पिछले 36 घंटों में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।

  • जमीनी स्थिति में सुधार को देखते हुए धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा में कल कुल 10 घंटों की ढील दी जाएगी।

  • संघर्षों, जानमाल को नुकसान आदि से जुड़ी घटनाओं के संबंध में अब तक 48 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और उपयुक्‍त समय पर और एफआईआर दर्ज की जाएंगी।

  • पुलिस ने अब तक पूछताछ के लिए 514 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। जांच के क्रम में और गिरफ्तारियां की जाएंगी।

  • दिल्ली पुलिस ने गंभीर अपराधों की जांच के लिए अलग से दो एसआईटी का गठन किया है।

  • उत्‍तर-पूर्वी जिले के प्रभावित इलाकों में 24 फरवरी से अब तक केन्‍द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों के करीब 7,000 जवान तैनात किए गए है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने भी पुलिस आयुक्‍त की सम्‍पूर्ण देखरेख में तीन विशेष पुलिस आयुक्‍त, छह संयुक्त पुलिस आयुक्‍त, एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्‍त, 22 पुलिस उपायुक्‍त, 20 सहायक पुलिस आयुक्‍त, 60 इंस्पेक्टर, 1,200 अन्य रैंक और 200 महिला पुलिस को तैनात किया है ताकि वे प्रभावी प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन कर सकें और स्थिति पर काबू पाने और उस पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस की प्रतिक्रिया का निरीक्षण कर सकें।

  • 24 फरवरी से इन दुखद घटनाओं में 35 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।

  • नागरिकों से अनुरोध है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्‍यान न दें। दिल्ली पुलिस ने चौबीस घंटे सहायता के लिए हेल्‍पलाइन- 22829334 और 22829335 स्थापित की है। इन नंबरों का प्रचार किया जा रहा है ताकि उपद्रवियों और किसी भी उभरती हुई स्थिति के बारे में पुलिस को जानकारी दी जा सके।

  • कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए अपने कर्तव्‍य का पालन करते हुए दो सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। इसके अलावा, इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में लगभग 70 पुलिसकर्मी और वरिष्ठ अधिकारी घायल हुए हैं। घायलों को चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं।

  • समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विश्वास-निर्माण के उपाय के रूप में, दिल्ली पुलिस ने स्थिति को सामान्य बनाने और समुदायों के बीच आपस में सौहार्द बढ़ाने के लिए दिल्ली भर में शांति समिति की बैठकें शुरू कर दी हैं। शांति समिति की यह बैठकें स्थिति सामान्य होने तक जारी रहेंगी। पिछले दो दिनों में दिल्ली के विभिन्न जिलों में शांति समिति की अब तक लगभग 330 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इसके अलावा, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्‍ल्‍यूए) और मार्केट वेलफेयर एसोसिएशंस (एमडब्‍ल्‍यूए) के साथ भी कई इलाकों में मीटिंग बुलाई गई है। शांति समिति / आरडब्ल्यूए / एमडब्ल्यूए की इस तरह की बैठक में नागरिक समाज समूह, विभिन्न राजनीतिक दलों कांग्रेस, एएपी, बीजेपी आदि के प्रतिनिधियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने हिस्‍सा लिया।

  • पूर्वी दिल्ली नगर निगम दंगा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों की सफाई और क्षतिग्रस्त सार्वजनिक संपत्तियों की मरम्मत के लिए पहले ही कदम उठा चुका है।  अन्य नागरिक एजेंसियां भी ​​नागरिक सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल करने में लगी हुई हैं। राजमार्ग और उससे जुड़ी सड़कों पर यातायात की आवाजाही सामान्य हो रही है।



प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है।


प्रधानमंत्री ने अपने बधाई संदेश में कहा, ‘‘राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और दृढ़ता का अभिवादन करने का अवसर है। अविष्‍कार करने के उनके जोश और पथप्रदर्शक अनुसंधान ने भारत और दुनिया की सहायता की है। मेरी कामना है कि भारतीय वैज्ञानिक लगातार कामयाब होते रहें और हमारे युवा मस्तिष्‍क विज्ञान के प्रति अधिक जिज्ञासा रखें।  


भारत में अनुसंधान और नई खोजों के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए हमारी तरफ से, सरकार अनेक प्रयास कर रही है। इस वर्ष के शुरू में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान मैंने विज्ञान से जुड़े पहलुओं की चर्चा की थी। उन्‍हें मैं फिर साझा कर रहा हूं।’’



श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसायटी की 91वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सहकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही दस हजार नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का पंजीकरण करेगी। आज यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सोसाइटी की 91वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक एफपीओ को बुवाई, कटाई से लेकर वितरण और विपणन तक खेती से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए 15 लाख रुपये की राशि प्रदान करने के लिए बजटीय प्रावधान किया गया है।


श्री तोमर जो आईसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के तहत मिशन मोड के अंतर्गत 53 करोड़ मवेशियों और बकरियों का टीकाकरण करने के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रव्यापी योजना शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मत्स्य पालन, निर्यात और दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


कृषि मंत्री ने सरकारी योजनाओं के व्यापक प्रसार का भी आह्वान किया ताकि किसानों के बीच लाभ सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत ऐसी आशंकाएं थीं कि बीमा कंपनियों ने किसानों से अधिक लाभ प्राप्त किया, इसके अलावा निरीक्षण के दौरान निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की खबरें भी थीं। उन्होंने कहा कि इस तरह की चिंताओं को दूर करने के लिए फसल बीमा योजना को अब स्वैच्छिक रूप से बदल दिया गया है और उसका प्रीमियम भी समान रहेगा,1.5 से 2 प्रतिशत के बीच। श्री तोमर ने कहा कि पीएमएफबीवाई फसल कवर का लाभ उठाने वाले 58 प्रतिशत वो किसान थे जिन्होंने फसल ऋण लिया था। उन्होंने कहा कि हालांकि तथ्य यह है कि बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किए गए कुल 13,000 करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले किसानों को कुल 58,000 करोड़ रुपये का बीमा लाभ दिया गया है।


श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई शीर्ष प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि एक क्षेत्र है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना, खेती को एक लाभदायक उद्यम बनाना और किसानों तथा ग्रामीण आय को बढ़ाना चुनौती है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।


इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आईसीएआर, सीएसआईआर और डीआरडीओ के तहत विभिन्न अनुसंधान और विकास संस्थानों, विश्वविद्यालयों और शिक्षाविदों, सार्वजनिक उपक्रमों और उद्योग के बीच तालमेल बनाने का आह्वान किया ताकि उनमें से प्रत्येक द्वारा किए जा रहे भारी निवेश से बड़ा लाभ मिल सके। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, और साथ ही जोड़ा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बड़े कारक होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि में अधिक अनुसंधान और विकास(आरएंडडी), कृषि ऋण की समय पर उपलब्धता, मशीनीकृत खेती और स्वचालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।


श्री गोयल ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि जब हमारी कृषि प्रकृति की अनिश्चितताओं से मुक्त हो जाए तो फिर वे एक मंच की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में किसान रेल की घोषणा की गई है और फ्रोजन कंटेनरों वाली ये ट्रेन कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन में एक बड़ा कदम साबित होगी।


सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और योजना राज्यमंत्री (स्वंतत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने आरएंडडी के दोहराव से बचने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसी फसलें विकसित करने का आह्वान किया जो कम पानी में विकसित हो सकें।


सभा को संबोधित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लक्षित कृषि सब्सिडी और ग्रामीण योजनाओं के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने आईसीएआर आरएंडडी एक्सटेंशन कार्यक्रम के साथ पीपीपी मॉडल को बढ़ाने पर भी बल दिया। श्री रूपाला ने कहा कि वास्तविक आरएंडडी में अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है क्योंकि आईसीएआर बजट का कम से कम 70 प्रतिशत हिस्सा वेतन और भत्ते देने में जाता है।


किसानों की आय बढ़ाने के लिए अधिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का आह्वान करते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि कृषि प्रयोगशालाओं को छात्रों और किसानों सहित सभी संबंधित लोगों की भागीदारी के साथ जन संपत्ति बनाया जाना चाहिए।


भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी ने किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ठोस प्रयास उठाने का आह्वान किया।


कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने इस संगठन की गतिविधियों के बारे में संक्षेप में बताया। पिछले एक वर्ष में नई फसलों की 229 किस्में जारी की गई हैं जिनमें 189 जलवायु के प्रति अनुकूल फसलें शामिल हैं।


इस अवसर पर श्री तोमर और अन्य गणमान्य लोगों ने आईसीएआर प्रकाशन और आईसीएआर द्वारा विकसित विभिन्न किट और मोबाइल एप भी जारी किए।